MP Board Class 9th Hindi Solutions Chapter 19 मेरे संग की औरतें
MP Board Class 9th Hindi Solutions Chapter 19 मेरे संग की औरतें
MP Board Class 9th Hindi Solutions Chapter 19 मेरे संग की औरतें ( मृदुला गर्ग )
लेखक – परिचय
जीवन परिचय – समकालीन हिदी कथा – साहित्य की महत्वपूर्ण लेखिका श्रीमती मृदुला गर्ग का जन्म सन् 1938 में कोलकाता में हुआ। आपने दिल्ली विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र में एम.ए. किया। आपने सन् 1947 से दिल्ली में रहकर स्वतंत्र लेखनकार्य किया। कथा – साहित्य के अतिरिक्त आपने अपने समय और समाज की समस्याओं पर विचारपूर्ण निबंध भी लिखे हैं। मृदुला गर्ग ने दृश्य और शिल्प दोनों स्तरों पर गद्य-लेखन की प्रचलित परम्परा को तोड़ने का प्रयास किया है।
आपकी प्रमुख रचनाएँ हैं- उसके हिस्से की धूप, अनित्य, चित्तकोबरा, कठ गुलाब (उपन्यास); संगति-विसंगति (कहानी संग्रह); रंग-ढंग; चुकते नहीं सवाल (निबंध संग्रह) आदि ।
पाठ का सार
‘मेरे संग की औरतें’ लेखिका मृदुला गर्ग द्वारा लिखित आत्मकथात्मक निबंध है जिसमें लेखिका ने अपने पारिवारिक जनों- नानी, माँ, अपनी चार बहनों के प्रेरक प्रसंगों का वर्णन किया है। लेखिका ने तत्कालीन सामाजिक, घरेलू, आर्थिक तथा शैक्षिक स्थिति से परिचित कराया है।
लेखिका की नानी स्वतंत्रता प्रिय महिला थीं। लेखिका की नानी लेखिका की माँ की शादी से पहले मर चुकी थी, जिससे लेखिका नानी की कहानियाँ नहीं सुन सकीं और शायद इसी वजह से लेखिका लोगों के लिए कहानियाँ लिखती है। लेखिका की नानी अनपढ़, परम्पराओं को मानने वाली, तथा पर्दानशीं थीं। उनकी शादी विलायती रंग में रंगे व्यक्ति से हुई। जब कैंब्रिज विश्वविद्यालय से वकालत की डिग्री लेकर आए तो उनके आचार-विचार में अंग्रेजियत साफ झलक रही थी । लेखिका की नानी ने कभी-भी अपने पति से अपनी इच्छा का इज़हार नहीं किया। उन्होंने अपने पति की जीवन-शैली का कभी-भी विरोध नहीं किया। परंतु जब उनकी मृत्यु निकट लगने लगी तो उन्होंने अपने पति से स्वतंत्रता सेनानी प्यारेलाल शर्मा को अपने घर बुलवाया कि उसकी लड़की के लिए कोई क्रांतिकारी वर खोजने के लिए कहा। उनकी इच्छानुसार लेखिका की माँ की शादी स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने वाले एक नवयुवक से हो गई। वे सादा जीवन जीने लगीं। वे रात में जागकर खादी की साड़ी बांधने का अभ्यास करतीं। वे साहित्य पढ़तीं, संगीत सुनती थीं। वे सत्यभाषी तथा गोपनीयता को बनाए रखनेवाली महिला थीं।
लेखिका की माँ का उनकी ससुराल में पूरा रोबदाब था । कारण – लेखिका की माँ की शख्सियत बहुत प्रभावी थी। वे सुंदर, नाजुक, ईमानदार तथा गैर दुनियादार महिला थीं। लोग किसी काम को करने के लिए नहीं कहते थे बल्कि स्वयं कार्य करने के लिए उनकी सलाह लेते थे। उनका निर्णय, मसविरा पत्थर की लकीर होता था। घर का काम-काज उनकी सास, जेठानियाँ एवं स्वयं पति भी सँभाल लेते थे। लेखिका की माँ में आजादी का जुनून था। घर वाले और बाहर वाले सभी उनका सम्मान करते थे।
लेखिका की एक परदादी थीं। वे लीक से हटकर चलने वाली औरत थीं। उन्होंने भगवान से मन्नत माँगी कि मेरी पतोहू को पहला लड़का न होकर लड़की पैदा हो । उनकी बार-बार की विनती, मन्नत से भगवान ने अफरातफरी में आकर एक के बाद एक पाँच कन्याएँ उतार दीं और बेटा केवल एक ।
लेखिका की माँ अपने बात- विचारों से लोगों के हृदय परिवर्तन करने में सक्षम महिला थीं। एक बार हवेली में एक चोर घुस गया क्योंकि उस दिन घर के सारे मर्द बारात में गए थे और घर की औरतें सज-धजकर रतजगा कर रही थीं। ढोल, मजीरा और संगीत का शोर था। संयोग से चोर उस कमरे में घुस गया जहाँ लेखिका की माँ सोई हुई थीं। चोर के पैरों की आहट से लेखिका की माँ की नींद खुल गई। माँ ने पूछा कौन ? चोर ने कहा- मैं । लेखिका की माँ ने उसे लोटा पकड़ाते हुए कहा- पानी पिलाओ। ध्यान रखना कपड़ा कसकर बाँधे रखना, कहीं खिसक न जाए। चोर ने सोचा शायद वह भाँप गई है। चोर बोला- मैं तो चोर हूँ। क्या चोर के हाथ का पानी पिओगी? माँ ने कहा- ‘तेरे और भगवान के सिवा कौन है, जो पानी पिलाएगा।’ पानी लाते समय चोर पकड़ लिया गया और माँ के सामने लाया गया। माँ ने आधा पानी पीकर आधा चोर को पीने के लिए दे दिया। लेखिका ने उसे बेटा कहकर चोरी न कर खेती करने की नेक सलाह दे डाली। बस, चोर का हृदय परिवर्तित हो गया और उसने चौर-कर्म छोड़कर खेती करना शुरू कर दिया।
लेखिका अपनी नानी, माँ और परदादी के बारे में बताने के बाद अपनी चारों बहनों के बारे में कहती हैं – मेरी सबसे बड़ी बहन मंजुल, दो बहनें रेणु और चित्रा तथा सबसे छोटी बहन अचला हैं। लेखिका कहती हैं कि सबसे बड़ी बहन को घर में सभी लोग रानी कहते थे। शादी के बाद उन्होंने मंजल भगत के नाम से लेखन कार्य शुरू कर लेखिका बनी। दूसरे नंबर की लेखिका स्वयं मृदुला गर्ग के नाम से लेखन कार्य शुरू किया। तीसरी बहन गौरी उर्फ चित्रा लेखन कार्य नहीं करती थीं। चौथी बहन रेणु भी नहीं लिखती थी और सबसे छोटी बहन अचला ने पत्रकारिता में प्रवेश लिया और बाद में लेखन कार्य में लग गई और अंग्रेजी में लिखती हैं। लेखिका का छोटा भाई राजीव हिन्दी का लेखक है।
लेखिका शादी के बाद बिहार के एक छोटे कस्बे डालमियानगर में पहुँची। वहाँ उन्हें रहना पड़ा। वहाँ नर-नारी की पृथकता इतनी हावी थी कि पिक्चर देखते समय नर-नारी अलग बैठते थे। उन्होंने वहाँ कुछ शादीशुदा औरतों को पराए मर्दों के साथ नाटक में काम करने के लिए राजी कर लिया। उन्होंने चार वर्ष तक कई नाटक किए।
इसके बाद लेखिका कर्नाटक के एक छोटे कस्बे बागलकोट पहुँची। वहाँ उन्होंने कैथोलिक बिशप से एक प्राइमरी स्कूल खोलने की प्रार्थना की, लेकिन उसकी यह प्रार्थना पूरी न हो पाई। अब लेखिका ने संकल्प लिया कि वह अंग्रेजी, हिंदी, कन्नड़ तीन भाषाएँ सिखाने वाला स्कूल खोलेंगी और कर्नाटक सरकार से मान्यता भी दिलाएगी। उसका यह संकल्प पूरा हुआ । इस प्रकार लेखिका ने हर जगह अपनी जिद पूरी की – विशेषकर लेखन के मंच पर । लेखिका सोचती थी कि शहर में अकेले ही अपनी मंजिल की ओर बढ़ते जाने का मजा कुछ और ही है।
पाठ्य पुस्तक पर आधारित महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. लेखिका ने अपनी नानी को कभी देखा भी नहीं था, फिर भी उनके व्यक्तित्व से वे क्यों प्रभावित थी?
उत्तर- लेखिका मृदुला गर्ग ने अपनी नानी को यद्यपि कभी देखा नहीं था, तथापि उनके सम्बन्ध में अपनी माँ, पिताजी आदि से काफी कुछ सुन रखा था।
लेखिका ने सुन रखा था का नानी घर में पर्दा करती थी। वह परम्परागत ढंग से रहती थी। वह अपनी बेटी की शादी एक ऐसे युवक से करना चाहती थी, जो स्वतंत्रता सेनानी प्यारेलाल शर्मा जैसा हो।
लेखिका की नानी ममतामयी थी। वह अन्य भारतीय औरतों की तरह ही अपनी बेटी की पन्द्रह साल की होते ही उसकी शादी की फिक्र करने लगती थी।
निजी जीवन में नानी काफी स्वतंत्र विचारों वाली औरत थी। नानी अपने पति के मित्र स्वतंत्रता सेनानी प्यारेलाल शर्मा के सामने परदे का लिहाज न करते हुए पति के सामने ही अपनी इकलौती बेटी के लिए वर ढूँढने के लिए कहने में संकोच नहीं करती थी।
नानी दूसरों के जीवन में कभी किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं करती थी। नानी के व्यक्तित्व की इन्हीं विशेषताओं के कारण लेखिका उनसे अत्यधिक प्रभावित थी।
प्रश्न 2. लेखिका की नानी की आजादी के आन्दोलन में किस प्रकार की भागीदारी रही?
उत्तर- लेखिका की नानी एक अनपढ़, परदा करने वाली और पारंपरिक औरत थी। आजादी के आन्दोलन में उनका प्रत्यक्ष में कोई योगदान नहीं था। परन्तु वे अपनी इकलौती बेटी की शादी किसी नौजवान आजादी के सिपाही या सैनिक से अवश्य करना चाहती थी। वे अपने पति के मित्र स्वतंत्रता सैनानी प्यारेलाल शर्मा से यही कहा करती थीं कि उसकी बेटी की शादी किसी आजादी के नौजवान सैनिक से तय की जाए। इस प्रकार स्पष्ट होता है कि लेखिका की नानी की आजादी के आन्दोलन में अप्रत्यक्ष रूप से भागीदारी अवश्य रही।
प्रश्न 3. “लेखिका की माँ परम्पराओं का निर्वाह न करते हुए भी सबके दिलों पर राज करती थी।” इस कथन के आलोक में (क) लेखिका की माँ के व्यक्तित्व की विशेषताएँ लिखिए। (ख) लेखिका की दादी के घर के माहौल का शब्द-चित्र अंकित कीजिए।
उत्तर – निस्सन्देह, लेखिका की माँ परम्पराओं का निर्वाह न करते हुए भी सबके दिलों पर राज करती थीं।
(क) लेखिका की माँ के व्यक्तित्व की विशेषताएँ निम्नलिखित थीं
(1) लेखिका की माँ ‘सादा जीवन उच्च विचार के सिद्धान्त में पूर्ण विश्वास रखने वाली औरत थी। वे जीवन भर गांधी जी के सिद्धान्तों का पालन करती रही। उन्होंने सदैव खादी की ही साड़ी पहनी।
(2) लेखिका की माँ परी की बेटी लगती थी। वे बड़ी सुन्दर, नाजुक नजाकतवाली ईमानदार और स्पष्टवादी औरत थी।
(3) लेखिका की माँ के मन में आजादी का भरपूर जुनून था।
(4) लेखिका की माँ सदैव सत्य बोलती थी।
(5) वे किसी की गोपनीय बात को उजागर नहीं करती थी।
(6) लेखिकी माँ का जीने का रंग ढंग बिल्कुल निराला ही था।
(ख) लेखिका की दादी के घर का माहौल निम्नानुसार था-
(1) लेखिका की दादी के घर का माहौल आन्य परिवारों से बिल्कुल अलग ही था।
(2) परिवार के सदस्य परम्परावादी नहीं थे।
(3) दादी अपरिग्रही वृत्ति की थी। वह अनावश्यक वस्तुएँ दूसरों को दान कर देती थी।
(4) दादी के घर में लड़के-लड़की में भेदभाव नहीं किया जाता था।
(5) घर की महिलाओं को उचित सम्मान दिया जाता था।
(6) पूरे घर में समानता का वातावरण था।
(7) परिवार में धार्मिक माहौल था। स्वयं दादी नियमपूर्वक मंदिर जाकर धर्मध्यान किया करती थी।
(8) दादी के परिवार में किसी पर भी किसी प्रकार का दबाव नहीं था।
(9) दादी के घर में सभी के साथ प्रेमपूर्ण वातावरण था। चोर को भी दादी ने सन्मार्ग पर लगा दिया था।
प्रश्न 4. आप अपनी कल्पना से लिखिए कि परदादी ने पतोहू के लिए पहले बच्चे के रूप में लड़की पैदा होने की मन्नत क्यों माँगी थी?
उत्तर- परदादी ने पतोहू के लिए पहले बच्चे के रूप में लड़की पैदा होने की मन्नत इसलिए माँगी कि- (1) परदादी के मन में सबसे अलग दिखने की अभिलाषा रही होगी। समाज के ज्यादातर लोग पहली संतान के रूप में पुत्र होने की मनोकामना करते हैं। (2) परदादी की दूसरी यह भी इच्छा रही होगी कि पुत्री बड़ी होकर अपनी माँ के कार्यों में हाथ बँटा सकेगी। तीसरी यह भावना रही होगी कि लड़की उत्पन्न होने पर उसकी शादी के समय वे स्वयं तथा अपने पुत्र को कन्यादान करने का पुण्यदान ले सकेंगी। चौथी यह भी धारणा रही होगी कि लड़कों की अपेक्षा लड़की बड़ी होने पर घर-परिवार को अधिक अच्छे ढंग से चला सकती है।
प्रश्न 5. ‘डराने, धमकाने, उपदेश देने या दबाव डालने की जगह सहजता से किसी को भी सही राह पर लाया जा सकता है।’ पाठ के आधार पर तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर- यह मनोवैज्ञानिक सत्य है कि किसी व्यक्ति को डराने, धमकाने, उपदेश देने या दबाव डालने की जगह सहजता से राह पर लाया जा सकता है। पाठ्य संस्मरण में लेखिका ने बड़े अच्छी तरह से इस तथ्य को चित्रित करने का प्रयास किया है। माँ जी जिस कमरे में सोई थीं, गलती से उसी कमरे में जब चोर घुस आया, तो उसके पैरों की आहट से माँ जी की नींद खुल गई। यह जानने के बाद भी कि कमरे में चोर है, माँ जी ने उससे पानी पिलाने को कहा। उसे खाली लोटा देकर कुए से पानी लाने के लिए भेजा। कुए पर उस चोर को हवेली के पहरेदार ने पकड़ लिया। पानी लाने पर माँ जी ने उसमें से आधा पानी स्वयं पिया और आधा पानी उस चोर को पिलाकर उससे माँ-बेटे का सम्बन्ध बनाया। अन्त में उससे कहा कि एक ही लोटे से पानी पीने के कारण हम ‘माँ-बेटे’ हुए। अब बेटा! तू चाहे तो तू चोरी चोरी कर या खेती कर माँ जी के इस सद्व्यवहार से चोर का हृदय परिवर्तित हो गया। उसने चोरी करना छोड़कर खेती करना प्रारम्भ कर दिया। यदि माँ जी उस चोर को पुलिस से पकड़वा कर उसके साथ मारपीट का और अपमान जनक व्यवहार करती तो चोर विद्रोही हो जाता और हो सकता था कि वह माँ जी की जान का ग्राहक भी बन जाता।
प्रश्न 6. “शिक्षा बच्चों का जन्म सिद्ध अधिकार है” – इस दिशा में लेखिका के प्रयासों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर- “शिक्षा बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार है”उक्त दिशा में लेखिका श्रीमती मृदुला गर्ग ने निम्नलिखित प्रयास किए –
1. प्राइमरी स्कूल खोलने के लिए कैथोलिक बिशप से प्रार्थना – शादी के बाद लेखिका जब डालमिया नगर से कर्नाटक के बागलकोट पहुँची, तब तक स्वयं लेखिका के दो बच्चे स्कूल में पढ़ने लायक हो गये थे। वहाँ पर ढंग का कोई स्कूल नहीं था । लेखिका ने आसपास के लोगों से परामर्श करके पास के कैथोलिक बिशप से यह प्रार्थना की कि उनका मिशन वहाँ के सीमेंट कारखाने की आर्थिक सहायता से उस कस्बे में एक प्राइमरी स्कूल खोलने का कष्ट करें। परन्तु क्षेत्र में ईसाई जनसंख्या की कमी होने से बिशप ने ऐसा करने में अपनी असमर्थता व्यक्त कर दी।
2. प्राइमरी स्कूल खोलकर सरकार से उसे मान्यता दिलवाना- बिशप के द्वारा स्कूल खोलने से इंकार करने पर लेखिका श्रीमती गर्ग ने अपने प्रायस जारी रखे। उन्होंने स्थानीय समृद्ध लोगों से सम्पर्क कर वहाँ एक प्राइमरी स्कूल खोला। इसमें अंग्रेजी, हिनदी, कन्नड़ तीनों भाषाएँ पढ़ाई जाती थी। आगे चलकर उन्होंने इस स्कूल को कर्नाटक सरकार से मान्यता भी दिलवा दी।
लेखिका और अन्य व्यक्तियों के बच्चे उसी स्कूल में पढ़ लिखकर आगे चलकर शहर के प्रसिद्ध स्कूलों में प्रविष्ट हुए। इस प्रकार लेखिका ने अपने अथक प्रयासों के बल पर बच्चों को शिक्षित किए जाने की दिशा में अविस्मरणीय प्रयास किए।
प्रश्न 7. पाठ के आधार पर लिखिए कि जीवन में कैसे इंसानों को अधिक श्रद्धा भाव से देखा जाता है ?
उत्तर- ‘मेरे संग की औरतें’ पाठ के आधार पर हम कह सकते हैं कि निम्नांकित गुणों वाले इंसानों को अधिक श्रद्धा भाव से देखा जाता है
1. सत्य बोलने वालों को- समाज में सत्य बोलने वालों को उचित स्थान मिलता है। उन्हें श्रद्धा-भाव से देखा जाता है। लेखिका की माँ कभी झूठ नहीं बोलती थी। अतः घर के सभी सदस्य उन्हें आदर की दृष्टि से देखते थे। उनके प्रति श्रद्धाभाव रखते थे।
2. समय पर उचित सलाह या परामर्श देने वालों कोसमय पर उचित सलाह या परामर्श देने वालों के प्रति लोगों के मन में विशेष श्रद्धा – भाव रहता है। लेखिका की माता घर के सदस्यों को समय-समय पर उचित सलाह देती रहती थी। इसलिए पूरा परिवार उन्हें श्रद्धा-भाव से देखता था।
3. गोपनीयता भंग न करने वाले को किसी की गोपनीयता भंग करने वाले दूसरों की दृष्टि में गिर जाते हैं। वे उनकी श्रद्धा के पात्र नहीं रहते हैं। लेखिका की माँ किसी को गोपनीय बात को किसी के सामने उजागर नहीं करती थी। इसलिए वे सबकी श्रद्धा की पात्र थीं।
4. खानदानी और चरित्रवान लोगों को- खानदानी और चरित्रवान लोग हर एक व्यक्ति की निगाह में प्रेमपात्र एवं श्रद्धास्पद होते हैं। पाठ में लेखिका की माँ खानदानी परिवार से सम्बन्धित थी। उसके नाना विलायत से बेरिस्टर बन कर आए थे। उनका रहन-सहन विलायती ढंग का था। साहबी मिजाज था। अतः लेखिका की माँ को बड़े श्रद्धा भाव से देखा जाता था।
उपर्युक्त सत्य निष्ठता, उचित परामर्श देना, किसी की गोपनीयता को भंग न करना, खानदानी होना, चरित्र की निर्मलता आदि गुणों के कारण व्यक्ति घर, परिवार और समाज में श्रद्धा भाव से देखे जाते हैं।
प्रश्न 8. “सच, अकेलेपन का मजा ही कुछ और है”. इस कथन के आधार पर लेखिका की बहन एवं लेखिका के व्यक्तित्व के बारे में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर- “सच, अकेलेपन का मजा ही कुछ और है”- उक्त कथन के आधार पर यहाँ हम लेखिका की छोटी बहन के व्यक्तित्व के सम्बन्ध में विचार करने जा रहे हैं।
लेखिका की छोटी बहन रेणु के व्यक्तित्व में हमें निश्चय की दृढ़ता दिखाई देती है। वह जिस कार्य को करने का संकल्प करती है, उसे पूरा किए बिना नहीं छोड़ती है। उसके सोचे गए, कार्य में कोई सहयोग करे या न करे वह स्वयं उस कार्य को अंजाम पर ले जाकर ही शांत बैठती है। इसका हम एक उदाहरण लेते हैं। घटना सन् 1950 की है। उस दिन एक रात भयंकर बारिश हुई। पुलों के नीचे पानी भर गया। मकानों की पहली मंजिल में पानी आ गया। सड़कें पानी में डूब गईं। रेणू की स्कूल की बस उसे लेने नहीं आई। ऐसी स्थिति में घर के सभी लोगों के मना करने पर भी वह पैदल दो मील स्कूल गई । स्कूल बन्द मिला। तब घर लौट आई। घर के लोगों ने जब उससे कहा कि हमने तो पहले ही कहा था कि स्कूल मत जाओ, वह बन्द मिलेगा, तब रेणु का उन्हें एक ही जवाब था- “स्कूल बंद था, तो मैं वापस आ गई। इसमें आपका कहना कहाँ से आ गया ?”
उक्त उदाहरण लेखिका की बहन रेणु के एक अच्छे व्यक्तित्व, उसके निश्चय की दृढ़ता की ओर इंगित करता है जो हमें काफी प्रभावित भी करता है।
यहाँ आगे हम लेखिका के व्यक्तित्व के सम्बन्ध में विचार करने का उपक्रम करते हैं।
लेखिका का व्यक्तित्व अपना व्यक्तित्व था। वह संयुक्त परिवार में रहती थी। दो-तीन पीढ़ियों के सदस्यों के साथ सामंजस्य स्थापित करना उत्तम मानसिकता को दर्शाता है। संयुक्त परिवार में रहने पर लेखिका को अपने व्यक्तित्व का विकास करने का भरपूर अवसर मिला। उसने शादी के बाद लेखन कार्य में कदम आगे बढ़ाए। लड़की होने पर भी उनके मन में किसी प्रकार की हीन भावना उत्पन्न नहीं हुई। लेखिका ने ‘ब्रदर्स कारामजोव’ नामक उपन्यास कई बार पढ़ा था। इसमें एक अध्याय में उन्हें बच्चों पर होने वाले अनाचार एवं अत्याचार के विषय में अच्छी जानकारी हो गई थी। घर में रहकर भी लेखिका अपने ढंग से आगे बढ़ती रही। उसने हमेशा व्यापक दृष्टिकोण से काम लिया। समाज की शादीशुदा औरतों को पराए मर्दों के साथ नाटक करने को राजी कर लिया। लेखिका के व्यक्तित्व की एक अन्य विशेषता भी थी। वे लीक से हटकर चलना पसन्द करती थी। अपनी राह स्वयं खोजती थी। इसका एक उदाहरण है। उन्होंने अपने बलबूतें पर कर्नाटक में एक छोटे से कस्बे में कैथोलिक विशप से स्कूल खोलने की प्रार्थना की। जब विशप ने कतिपय कारणों से इसमें अपनी असमर्थता प्रकट कर दी, तब स्थानीय सक्षम लोगों के सहयोग से अंग्रेजी-हिन्दी कन्नड़’ तीन भाषाओं का विद्यालय स्थापित कर उसे कर्नाटक सरकार को सौंप दिया।
उक्त उदाहरण से पता चलता है कि लेखिका अपने जीवन में अपनी नई राह स्वयं खोजती रही और सदैव आगे बढ़ने के लिए प्रयासरत रही।
वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. सही शब्द चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
(i) लेखिका मृदुला गर्ग ने प्राइमरी स्कूल खोलने के लिए ……….. से प्रार्थना की थी। (सरकार/ बिशप)
(ii) मंजुल भगत का घर का नाम ………. था। (परी / रानी )
(iii) प्यारेलाल शर्मा एक ……….. थे। (मंत्री/सेनानी)
(iv) “सच, अकेलेपन का मजा ही कुछ और है”- का कथन है। ( दार्शनिक / मृदुला गर्ग )
(v) लेखिका मृदुला गर्ग को ……….. रोग था। (आंदोलन करने / पुस्तकें पढ़ने )
उत्तर- (i) बिशप, (ii) रानी, (iii) सेनानी, (iv) मृदुला गर्ग (v) पुस्तकें पढ़ने ।
प्रश्न 2. सत्य / असत्य बताइए –
(i) लेखिका मृदुला गर्ग ने प्राइमरी स्कूल खोलने के लिए प्रार्थना की। सरकार
(ii) मृदुला गर्ग ने हिन्दी विषय में एम.ए. किया था।
(iii) लेखिका को संगीत सुनने का बड़ा शौक था।
(iv) लेखिका के नाना लंदन विश्व विद्यालय से बैरिस्ट्री पास करके आए थे।
(v) मृदुला गर्ग एक साहित्यकार थीं।
उत्तर- (i) असत्य, (ii) असत्य, (iii) असत्य, (iv) असत्य, (v) सत्य।
प्रश्न 3. एक वाक्य में उत्तर दीजिए
(i) लेखिका मृदुला गर्ग ने किस विषय में एम. ए. किया था ?
(ii) लेखिका को कौन-सा मानसिक रोग था ?
(iii) प्यारेलाल शर्मा कौन थे ?
(iv) लेखिका के नाना ने कहाँ से बैरिस्ट्री पास की थी ?
(v) लेखिका की माता का ज्यादा वक्त किसमें बीतता था ?
उत्तर- (i) लेखिका मृदुला गर्ग ने अर्थशास्त्र विषय में एम.ए. पास किया था।
(ii) लेखिका को पुस्तकें पढ़ने का मानसिक रोग था।
(iii) प्यारेलाल शर्मा एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे।
(iv) लेखिका के नाना ने कैंब्रिज विश्व विद्यालय से बैरिस्ट्री पास की थी।
(v) लेखिका की माता का ज्यादा वक्त किताबें पढ़ने में बीतता था।
प्रश्न 4. सही विकल्प चुनकर लिखिए –
(i) मृदुला गर्ग को ………मानसिक रोग था।
(अ) संगीत का,
(ब) पुस्तकें पढ़ने का,
(स) कविता लिखने का
(द) गृह कार्य का
(ii) लेखिका ने ……. विषय में एम.ए. किया था।
(अ) हिन्दी साहित्य
(ब) संगीत
(स) अर्थशास्त्र
(द) कानून
(iii) ‘ब्रदर्स कारामजोव’ एक ……….. है ।
(अ) कहानी संग्रह
(ब) उपन्यास
(स) महाकाव्य
(द) पुराण ग्रन्थ
(iv) लेखिका के परिवार में …….. पारीजात थी।
(अ) नानी
(ब) दादी
(स) माँ
(द) कोई नहीं
(v) “अकेलेपन का मजा ही कुछ और है”- कथन किसका है?
(अ) नानी
(ब) दादी
(स) लेखिका
(द) किसी का नहीं
उत्तर-(i)-(ब); (ii)-(स); (iii)-(ब); (iv)-(स); (v) – (स)।