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MP Board Class 9th Hindi Solutions Chapter 20 रीढ़ की हड्डी

MP Board Class 9th Hindi Solutions Chapter 20 रीढ़ की हड्डी

MP Board Class 9th Hindi Solutions Chapter 20 रीढ़ की हड्डी ( जगदीशचंद्र माथुर )

लेखक – परिचय

जीवन परिचय- प्रसिद्ध नाटककार श्री जगदीश चन्द्र माथुर का जन्म खुर्जा उत्तरप्रदेश में सन् 1917 में हुआ। आपकी शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हुई। बचपन से ही नाटकों में आपकी गहरी रुचि रही । आपने स्कूल, कॉलेज के सांस्कृतिक उत्सवों में नाट्य लेखन, निर्देशन और मंचन किया। सन् 1973 में आपका निधन हो गया।
श्री माथुर ने ऐतिहासिक नाटकों के साथ-साथ सामाजिक समस्याओं के सम्बन्धित नाटक एवं एकांकी भी लिखे हैं।
आपकी प्रमुख कृतियाँ इस प्रकार हैं- कोणार्क, दशरथ नंदन, शारदीया, पहला राजा (नाटक); भोर का तारा, ओ मेरे सपने (एकांकी संग्रह) आदि ।
पाठ का सार
‘रीढ़ की हड्डी’ जगदीशचंद्र माथुर द्वारा रचित एक व्यंग्य प्रधान एकांकी है। प्रस्तुत एकांकी में समाज में लड़कियों की उपेक्षा और नारी को सम्मान न मिल पाने का प्रभावी चित्रण किया गया है। पात्र परिचय कुछ इस प्रकार है-
रामस्वरूप                :  उमा के पिता
प्रेमा                         :  उमा की माताजी
उमा                         :  बी.ए. पास एक चरित्रवान्  लड़की । आकर्षक चेहरा और आँखों पर चश्मा |
शंकर                       :  उमा को शादी के लिए देखने आने वाला लड़का
गोपाल प्रसाद            :  शंकर के पिता। पेशे से वकील
रतन                         :  घर का नौकर
परदा खुलने पर बाबू रामस्वरूप अपने नौकर रतन के साथ अतिथि कक्ष को सजा रहे हैं। वे तख्त बिछाकर नौकर को दरी और चादर लाने का आदेश देते हैं। नौकर मालकिन से चादर के बजाय मालिक की धोती माँगता है तो मालकिन प्रेमा गुस्से में अतिथि कक्ष में प्रवेश करती हैं । प्रेमा अपने पति रामस्वरूप से कहती हैं लड़के वाले आने वाले हैं लेकिन उमा मुँह फुलाए बैठी है। आपने ही उसे पढ़ा-लिखाकर सिर चढ़ा रखा है। रामस्वरूप अपनी पत्नी से कहते हैं कि गोपाल प्रसाद को यह कतई न मालूम पड़े कि उमा बी.ए. पास है, मैट्रिक ही बताना। लड़के वाले दकियानूसी विचारों वाले हैं। उन्हें अधिक पढ़ी-लिखी लड़की नहीं चाहिए। रामस्वरूप ने अपनी पत्नी से कहा कि गोपाल प्रसाद और उनका लड़का शंकर लड़की देखने आ रहे हैं। गोपाल प्रसाद नामी-ग्रामी इज्जतदार और पेशे से वकील हैं और उनका लड़का शंकर बीएससी. करके मेडिकल कॉलेज में पढ़ रहा है, फिर भी वे अधिक पढ़ी-लिखी बहू नहीं चाहते हैं। तुम उमा को समझा बुझाकर रखना।
कुछ ही समय बाद नौकर आकर रामस्वरूप जी को बताता है कि कोई अतिथि आए हैं। रामस्वरूप ने नौकर को मक्खन लाने के लिए भेजा। बाबू गोपाल प्रसाद जी अपने बेटे शंकर के साथ प्रवेश करते हैं। रामस्वरूप जी ने उनका स्वागत-सत्कार किया। लड़के शंकर की रीढ़ कुछ झुकी है। कुशल-क्षेम पूछने के बाद रामस्वरूप जी शंकर से पूछते हैं कि अब तो पढ़ाई का आखिरी साल होगा। शंकर ने कहा, नहीं अभी दो साल बाकी हैं। गोपाल प्रसाद बताते हैं कि वास्तव में वह एक साल बीमार हो गया था।
इसी बीच नाश्ता लाया जाता है। बातों-बातों में यह बात होती है कि लड़कियों को ज्यादा पढ़ा-लिखा नहीं होना चाहिए। आखिर, लड़कियों को तो घर में ही रहना है। उन्हें अपने बेटे शंकर के लिए कम पढ़ी-लिखी यानी मैट्रिक पास लड़की चाहिए।
इसी बीच उमा तश्तरी में पान लेकर आती है। गोपाल प्रसाद अभी भी लड़कियों के विरुद्ध बातें करते रहते हैं। गोपाल प्रसाद ने शंकर से कहा मकान देखकर हैसियत तो ठीक लगती है, देखते हैं, लड़की कैसी है। फिर वह शंकर को सीधे बैठने के लिए कहता है- बैकबोन सीधी करने के लिए।
इधर-उधर की गपशप के बीच लड़की की खूबसूरती की चर्चा होने लगती है। गोपाल प्रसाद कहते हैं- लड़की का खूबसूरत होना जरूरी है क्योंकि घर की औरतें राजी नहीं होती हैं। गोपाल प्रसाद जी कहते हैं, हमें ज्यादा पढ़ी-लिखी लड़की नहीं चाहिए। कौन भुगतेगा उसके नखरे । बस हद-से-हद मैट्रिक होनी चाहिए। उनका बेटा शंकर भी कहता है, ‘जी हाँ, कोई नौकरी तो करानी नहीं।’
गोपाल प्रसाद जी लड़की उमा की चाल और चेहरा देखना चाहते हैं। उमा जब अपना चेहरा उठाती है तो चश्मा लगा हुआ चेहरा देख गोपाल प्रसाद चौंक जाते हैं। वे उमा से गाने के लिए कहते हैं। उमा मीरा का भजन सुनाती है—‘मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई।’ उसके स्वर में तल्लीनता और मधुरता है। अचानक उमा की आँखें शंकर की झेंपती हुई आँखों से मिल जाती हैं। वह गाते-गाते रुक जाती है।
गोपाल प्रसाद द्वारा पेंटिंग के बारे में पूछे जाने पर रामस्वरूप कहते हैं, कमरे में टँगी सारी तस्वीरें उमा के द्वारा बनाई हुई हैं। गोपाल प्रसाद उमा से सिलाई के बारे में पूछते हैं, पढ़ाई के दौरान इनामों के बारे में पूछते हैं। उमा चुप रहती है। रामस्वरूप जी सफाई देते हुए कहते हैं- बेचारी शरमाती है।
गोपाल प्रसाद रुखे स्वर में कहते हैं- ज़रा इसे भी तो मुँह खोलना चाहिए। उमा दृढ़ स्वर में कहती है – “क्या जवाब दूँ, बाबू जी! जब कुर्सी, मेज बिकती है तो दुकानदार कुर्सी-मेज से कुछ न पूछकर सिर्फ खरीददार को दिखा देता है। पसंद आ गई तो अच्छा, वरना… ” ये महाशय जो हमारे खरीददार बनकर आए हैं, इनसे जरा पूछिए कि क्या लड़कियों के दिल नहीं होता? क्या उनके चोट नहीं लगती? क्या बेबस भेंड़-बकरियाँ हैं, जिन्हें कसाई अच्छी तरह देखभालकर
गोपाल प्रसाद उमा की बातों को अपमानजनक मानते हैं। उमा कहती है – ‘ और आप जो इतनी देर से नाप तोल कर रहे हैं तो जरा अपने साहबजादे से पूछिए कि अभी पिछली फरवरी में ये लड़कियों के हॉस्टल के इर्द-गिर्द क्यों घूम रहे थे और वहाँ से कैसे भगाए गए थे।’ गोपाल प्रसाद कहते हैं कि क्या तुम पढ़ी-लिखी हो? उमा कहती है, ‘हाँ, मैंने बी.ए. पास किया है, कोई चोरी नहीं की। न ही आपके बेटे की तरह ताक-झाँककर कायरता दिखाई है। मुझे अपनी इज्जत और मान-सम्मान का ख्याल है’।
गोपाल प्रसाद उमा की पढ़ाई के बारे में सुनकर उखड़ जाते हैं। वे कहते हैं यह तो सरासर धोखा है। झूठ का भी कुछ ठिकाना है। वे जाने लगते हैं। उमा आखिरी चोट करती हुई कहती है – जरूर चले जाइए। लेकिन घर जाकर देखना कि आपके लाड़ले बेटे की रीढ़ की हड्डी है भी या नहीं। गोपाल प्रसाद जी अपमानित होकर घर वापस चले जाते हैं। रामस्वरूप धम से सोफे पर बैठ जाते हैं ।
पाठ्य पुस्तक पर आधारित महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर 
प्रश्न 1. रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद बात बात पर “एक हमारा जमाना था’ कह कर अपने समय की तुलना वर्तमान समय से करते हैं। इस प्रकार की तुलना करना कहाँ तक तर्क संगत है?
उत्तर- रामस्वरुप और गोपाल प्रसाद का बात-बात पर “एक हमारा जमाना था” कहकर अपने समय को अधिक अच्छा बताना या अपने समय की तुलना वर्तमान समय से करना मेरी दृष्टि में तर्क संगत नहीं है। कारण, व्यक्ति का जीवन स्तर, विचार, आदर्श, मान्यताएँ, मापदण्ड आदि चीजें सामाजिक परिस्थितियों के अनुसार बदलती रहती हैं। व्यक्ति को समय के साथ चलना होता है। इसी में उसकी बुद्धिमानी है। यदि व्यक्ति समय के साथ नहीं चलता है, तो वह पिछड़ जाता है।
प्रश्न 2. रामस्वरुप का अपनी बेटी को उच्च शिक्षा दिलवाना और विवाह के लिए छिपाना, यह विरोधाभास उनकी किस विवशता को उजागर करता है।
उत्तर- रामस्वरुप आधुनिक विचारधारा के व्यक्ति हैं। वे अपनी पुत्री उमा को बी.ए. तक पढ़ाते हैं। वे स्त्री शिक्षा के पक्षधर हैं। परन्तु जब वे उमा के विवाह के लिए योग्य वर की तलाश करते हैं, तब लड़की की उच्च शिक्षा एक बड़ी बाधा बन जाती है। गोपाल प्रसाद और उनका लड़का शंकर कम पढ़ी-लिखी लड़की चाहते हैं। इसलिए रामस्वरूप अपनी बेटी उमा की उच्च शिक्षा की बात को छिपा लेना चाहते हैं। व्यक्ति को परिस्थितियों से समझौता करने के लिए जीवन में कई बार विवश होना आवश्यक हो जाता है। रामस्वरूप प्रगतिशील विचारधारा के होने पर भी रुढ़िवादी लोगों के सामने झुकने को विवश हुए।
प्रश्न 3. अपनी बेटी का रिश्ता तय करने के लिए रामस्वरुप उमा से जिस प्रकार के व्यवहार की अपेक्षा कर रहे हैं? वह उचित क्यों नहीं है?
उत्तर- रामस्वरुप चाहते थे कि उनकी बेटी उमा लड़के वालों के समक्ष सज सँवर कर जाए और लड़के वालों की पसन्द के अनुसार अपनी योग्यता सम्पादित करे। परन्तु मेरी राय में उमा से इस प्रकार के व्यवहार की अपेक्षा करना उचित नहीं है। कारण, स्त्री का भी समाज में पुरुष जैसा समानता का व्यवहार होना चाहिए। वह कोई भेड़ बकरी नहीं है कि उसे किसी भी अयोग्य व्यक्ति के हाथों सौंप दिया जाए। विवाह जैसे महत्वपूर्ण प्रसंग में उसकी भी पसन्द का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए।
प्रश्न 4. गोपाल प्रसाद विवाह को ‘बिजनेस’ मानते हैं और रामस्वरूप अपनी बेटी की उच्च शिक्षा छिपाते हैं। क्या आप मानते हैं कि दोनों ही समान रूप से अपराधी हैं। अपने विचार लिखिए।
उत्तर- गोपाल प्रसाद विवाह को ‘बिजनेस’ मानते हैं। बिजनेस में हानि-लाभ सर्वोपरि होते हैं। लड़के वाले किसी अच्छी हैसियत वाले पिता की कम पढ़ी लिखी बेटी से सम्बन्ध जोड़कर दहेज आदि में अच्छी रकम मिलने की अपेक्षा करते हैं। साथ ही उनका यह भी सोच रहता है कि ऐसी लड़की बिना नाज-नखरे के घर के कामों में लगी रहेगी। ऐसे व्यक्ति स्त्री को सम्मान नहीं देते हैं। अतः वे सामाजिक अपराधी हैं। रामस्वरूप अपनी बेटी की उच्च शिक्षा को छिपाकर विवाह के लिए आगे बढ़ते हैं, तो उसके सामने एक प्रकार की विवशता है। इसलिए गोपाल प्रसाद की तुलना में रामस्वरूप का अपराध अपेक्षाकृत कम है।
प्रश्न 5. “आपके लाड़ले बेटे की रीढ़ की हड्डी भी है या नहीं” – उमा इस कथन के माध्यम से शंकर की किन कमियों की ओर संकेत करना चाहती है?
उत्तर- उक्त कथन के माध्यम से उमा शंकर की निम्नांकित कमियों की ओर संकेत करना चाहती है
( 1 ) शंकर की कमर थोड़ी झुकी हुई है। इसलिए कालेज के सहपाठी इसका यह कहकर माजक उड़ाते थे कि शंकर की ‘बेकबोन’ नहीं है। इस बात को उमा स्वयं अच्छी तरह से जानती है।
(2) कॉलेज में लड़कियों के होस्टल के आसपास चक्कर लगाने के कारण शंकर को वहाँ से भगाया गया था। वह नौकरानी के पैरों को पकड़कर अपना मुँह छिपाकर वहाँ से भागा था। इससे स्पष्ट होता है कि उसका चाल-चलन या चरित्र अच्छा नहीं है।
(3) शंकर में आत्म विश्वास का अभाव है। वह गृहस्थी का बोझ उठाने में सक्षम नहीं है।
(4) शंकर दिखने में भी अच्छा नहीं लगता है।
(5) गोपाल प्रसाद उमा की चाल ढाल, शिक्षा, सुन्दरता आदि के सम्बन्ध में गहराई से पूछना चाहते हैं, परन्तु अपने बेटे की कमियों की ओर उनका कोई ध्यान नहीं है।
प्रश्न 6. शंकर जैसे लड़के या उमा जैसी लड़की समाज को कैसे व्यक्तित्व की जरूरत है? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर- आज हमारे मानव-समाज को उमा जैसे व्यक्तित्व की बड़ी जरूरत है। उमा क चरित्र सम्पन्न एवं सुशील लड़की है। । वह रूढ़िवादी परम्पराओं की सख्त विरोधी है। वह स्त्री शिक्षा, उसकी गरिमा को विशेष महत्व देती हैं। उसमें अदम्य साहस है। वह अपनी शिक्षा एवं संस्कारों पर पर्दा डालने का प्रयास नहीं करती है। उसे सम्बन्ध होने या न होने का कोई भय नहीं है।
इसके विपरीत, हम देखते हैं कि शंकर एक चरित्र हीन लड़का है। उसे लड़कियों के होस्टल का चक्कर लगाते समय वहाँ से भगाकर अपमानित किया गया था। शंकर पढ़ने-लिखने में भी लापरवाह है। वह एक साल फेल भी हो चुका है। वह कम पढ़ी-लिखी पत्नी चाहता है, ताकि वह उसेक नियंत्रण में रहे। शंकर शारीरिक दृष्टि से भी अक्षम प्रतीत होता है। ऐसे हर दृष्टि से अयोग्य, अक्षम, चरित्रहीन व्यक्ति समाज का कल्याण नहीं कर सकते। ऐसे व्यक्तित्व समाज में विकृति लाने वाले होते हैं। हमें आज के समाज में उमा जैसे आत्म विश्वासी, शिक्षित, सुसंस्कारित, चरित्रवान, कर्मनिष्ठ व्यक्तित्व की आवश्यकता है, जो स्वयं का, समाज का एवं राष्ट्र का कल्याण कर सके।
प्रश्न 7. ‘रीढ़ की हड्डी’ शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- मानव शरीर में रीढ़ की हड्डी एक अत्यन्त महत्वपूर्ण अंग होता है। उसके अभाव में हमारा शरीर तनकर खड़ा नहीं हो सकता है। प्रस्तुत एकांकी में ‘रीढ़ की हड्डी’ यानी बैकबोन को एक प्रतीक के रूप में लिया गया है। यदि हम मानव समाज को स्वस्थ सुन्दर एवं सशक्त बनना चाहते हैं तो इसके लिए ऐसे स्त्री-पुरुषों की आवश्यकता है, जिनका सुन्दर सशक्त एवं चरित्र दृढ़ तथा कर्मठ हैं। शरीर शंकर जैसे अशक्त, चरित्रहीन, हीन दृष्टिकोण वाले व्यक्ति एक उत्कृष्ट समाज का निर्माण नहीं कर सकते। उमा जैसे सुशिक्षित, स्वस्थ, सुन्दर एवं चरित्र सम्पन्न व्यक्ति ही आदर्श समाज का निर्माण कर सकते हैं। स्त्रीपुरुष दोनों परिवार, समाज एवं राष्ट्र की रीढ़ की हड्डी होते हैं। दोनों में से किसी एक की किसी भी प्रकार की कमी उस परिवार, समाज एवं राष्ट्र को कमजोर बना सकती है। पुरुष के साथ स्त्री को सम्मान नहीं मिलेगा, तो राष्ट्र कमजोर होगा। इस प्रकार एकांकीकार ने अपने इस एकांकी को ‘रीढ़ की हड्डी’ शीर्षक दिया है, वह सार्थक एवं समीचीन है।
प्रश्न 8. कथावस्तु के आधार पर आप किसे एकांकी का मुख्य पात्र मानते हैं और क्यों?
उत्तर- ‘रीढ़ की हड्डी’ एकांकी में रामस्वरुप, गोपाल प्रसाद, शंकर तथा उनका नौकर पुरुष पात्र के अन्तर्गत आते हैं। स्त्री-पात्र में प्रेमा तथा उमा उपस्थित रहते हैं। इनमें रामस्वरुप तथा गोपालदास एकांकी के अधिकांश भाग में उपस्थित रहते हैं, किन्तु इनमें से कोई भी अपने दर्शकों या पाठकों को चारित्रिक दृष्टि से प्रभावित नहीं कर पाते हैं। रामस्वरुप समझौतावादी दिखते हैं, तो गोपाल प्रसाद में अनुकरणीय गुणों का अभाव दिखता है। शंकर के चरित्र में अनेक दोष है। उसका चरित्र अच्छा नहीं है। शारीरिक दृष्टि से भी अशक्त है। उसकी विचारधारा भी उत्तम नहीं है। प्रेमा एवं सामान्य गृहिणी की भूमिका में रह जाती है। अब शेष पात्र रहता है- उमा। एकांकी की सम्पूर्ण कथावस्तु उमा के इर्द-गिर्द या चारों ओर घूमती है। एकांकी की प्रमुख घटना उमा के विवाह से सम्बन्धित है। वह अपनी शिक्षा की असलीयत पर पर्दा नहीं डालती है। शंकर के चारित्रिक दोषों को उजागर करने में संकोच नहीं करती है। स्वंय स्पष्टवादी, निर्भय, सुशील, सुन्दर एवं आकर्षक व्यक्तित्व वाली हैं। वह स्त्री की गरिमा, सम्मान एवं महत्ता की पक्षधर हैं। इन्हीं विशेषताओं के कारण हम उमा को एकांकी का मुख्य पात्र मानते हैं।
प्रश्न 9. एकांकी के आधार पर रामस्वरूप और गोपालप्रसाद की चारित्रिक विशेषताएँ बताइए।
उत्तर-(अ) रामस्वरूप की चारित्रिक विशेषताएँ –
(1) रामस्वरुप आधुनिक विचारधारा वाले पुरुष हैं। वे उच्च शिक्षा के समर्थक हैं। अपनी बेटी उमा को बी. ए. की उच्च शिक्षा दिलवाते हैं। वे उसके विवाह सम्बन्ध के लिए चिंतित दिखाई देते हैं।
(2) रामस्वरुप उमा के पिता हैं। वे अधेड़ उम्र के व्यक्ति हैं।
(3) अपनी बेटी उमा के विवाह सम्बन्ध में झूठ का सहारा लेने में भी संकोच नहीं करते हैं और उसकी उच्च शिक्षा की बात को छिपा लेते हैं।
(4) वे एक विनोदप्रिय व्यक्ति हैं। वे अपनी पत्नी से सदा हँसी-मजाक पूर्वक बातें करते हैं।
(ब) गोपाल प्रसाद की चारित्रिक विशेषताएँ-
(1) गोपाल प्रसाद अधेड़ उम्र के व्यक्ति हैं। वे शंकर के पिता हैं।
(2) गोपालप्रसाद पेशे से वकील एवं चालाक किस्म के व्यक्ति हैं।
(3) वे पुराने जमाने की बातों के पक्षधर हैं एवं उस समय की वही प्रशंसा करते दिखाई देते हैं।
(4) वे तुच्छ विचारधारा के व्यक्ति हैं।
(5) वे विवाह को ‘बिजनेस’ मानते हैं।
(6) वे लालची प्रवृत्ति के व्यक्ति हैं।
(7) वे लड़के-लड़की में भेद करते हैं। लड़की को उच्च शिक्षा देने के विरोधी हैं।
प्रश्न 10. इस एकांकी का क्या उद्देश्य है? लिखिए।
उत्तर- ‘रीढ़ की हड्डी’ एकांकी का मुख्य उद्देश्य समाज में स्त्रियों के प्रति व्याप्त रूढ़िवादी मनोवृत्ति पर प्रहार करते हुए स्त्रियों की शिक्षा एवम् उससे उत्पन्न उनके आत्म विश्वास और साहस को निर्देशित करना है। उक्त एकांकी में यह भी संदेश दिया गया है कि समाज में उचित सम्मान प्राप्त करने के लिए स्त्री को दृढ़तापूर्वक संघर्ष करना आवश्यक है। पुरुष वर्ग से भी यह अपेक्षा की गई है कि वह स्त्री का यथोचित सम्मान करे। वह उसे अपनी जीवन संगिनी एवं एक उत्तम मित्र माने।
प्रश्न 11. समाज में महिलाओं को उचित गरिमा दिलाने हेतु आप कौन-कौन से प्रयास कर सकते हैं?
उत्तर- समाज में महिलाओं को उचित गरिमा दिलाने हेतु हम निम्नांकित प्रयास कर सकते हैं
(1) हमें सर्व प्रथम महिला के प्रति सम्मान का भाव रखना चाहिए। उसे अबला, असहाय या अपने से होन नहीं समझना चाहिए।
(2) हमें महिला को अधिकारों से वंचित नहीं रखना चाहिए। उसके अधिकारों के लिए सतत् संघर्ष करना चाहिए।
(3) स्त्री शिक्षा को बढ़ावा देना चाहिए। उसकी उत्तम एवं उच्च शिक्षा का समुचित प्रबन्ध किया जाना चाहिए।
(4) महिला के प्रति हो रहे अनाचार, अत्याचार, भेद भाव, दुष्कर्म आदि के प्रति घोर विरोध कर उन्हें उचित न्याय दिलाने के लिए कठोर संघर्ष करेंगे।
(5) दहेज प्रथा को समाज से निर्मूल करने का हर संभव प्रयास करेंगे।
वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. सही शब्द चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(1) गोपाल प्रसाद के बेटे का नाम ……… था। (महादेव/शंकर)
(ii) रामस्वरुप की पत्नी का नाम …………. था। (राधा/प्रेमा)
(iii) गोपाल प्रसाद एक………….. व्यक्ति था। (दानी/लालची)
(iv) ‘रीढ़ की हड्डी’ एक ………. है। (एकांकी/कहानी)
(v) “अरे! मर्दों का काम तो है ही पढ़ना और काबिल होना।” – कथन ………. का है। (गोपाल प्रसाद / राम स्वरुप)
उत्तर- (i) शंकर, (ii) प्रेमा,  (iii) लालची, (iv) एकांकी, (v) गोपाल प्रसाद।
प्रश्न 2. सत्य / असत्य बताइए –
( i ) रीढ़ की हड्डी’ एकांकी में समाज में स्त्रियों के प्रति व्याप्त रूढ़िवादी मानसिकता पर प्रहार किया गया है।
(ii) एकांकी की मुख्य नायिका उमा है।
(iii) मोर के पंख होते हैं, मोरनी के नहीं, शेर के बाल होते हैं, शेरनी के नहीं।” यह कथन रामस्वरूप का है।
(iv) उमा एक शिक्षित लड़की है।
(v) शंकर की आँखों पर चश्मा था और उमा की रीढ़ की हड्डी टेड़ी थी।
उत्तर- (i) सत्य, (ii) सत्य, (iii) असत्य, (iv) सत्य, (v) असत्य।
प्रश्न 3. एक वाक्य में उत्तर दीजिए –
(i) लोभी प्रकृति का कौन था – गोपाल प्रसाद या रामस्वरुप ?
(ii)  ‘रीढ़ की हड्डी’ एकांकी में किस मानसिकता पर प्रहार किया गया है?
(iii) “क्या लड़कियों के दिल नहीं होते ? उनको चोट नहीं लगती?” किसका कथन है ?
(iv) ‘रीढ़ की हड्डी’ एकांकी का मुख्य पात्र कौन है ?
(v) गोपाल प्रसाद को कैसी लड़की चाहिए थी ?
उत्तर- (i) लोभी प्रकृति का गोपाल प्रसाद था।
(ii) ‘रीढ़ की हड्डी’ एकांकी में समाज में स्त्रियों के प्रति व्याप्त रूढ़िवादी मानसिकता पर कठोर प्रहार किया गया है।
(iii) यह कथन उमा का है।
(iv) इस एकांकी का मुख्य पात्र उमा है।
(v) गोपाल प्रसाद को कम पढ़ी-लिखी लड़की चाहिए थी।
प्रश्न 4. सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखिए
( i ) उमा एक ………. लड़की थी ।
(अ) परम्परावादी
(ब) आधुनिक
(स) सुशील
(द) शिक्षित
(ii) गोपाल प्रसाद एक ………. व्यक्ति था।
(अ) धूर्त
(ब) चालाक
(स) लालची
(द) वकील
(iii) शंकर एक ………… लड़का था।
(अ) चरित्रवान
(ब) चरित्रहीन
(स) शिक्षित
(द) बीमार
(iv) ‘ रीढ़ की हड्डी’ एकांकी का मुख्य पात्र …….. है।
(अ) उमा
(ब) शंकर
(स) गोपाल प्रसाद
(द) प्रेमा
उत्तर – (i) (स) सुशील, (ii) (स) लालची, (iii) (ब) चरित्रहीन, (iv) (अ) उमा।

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