RBSE Class 5 Hindi रचना कहानी लेखन
RBSE Class 5 Hindi रचना कहानी लेखन
Rajasthan Board RBSE Class 5 Hindi रचना कहानी लेखन
निर्देश रूपरेखा के आधार पर कहानी लिखिए।
1. निम्नलिखित रेखांकित शब्दों के आधार पर शेर व खरगोश की कहानी लिखिए
जंगल में एक शेर’…………। वह जंगल
के जानवरों को………………सब जानवर
परेशान……………….। वे सब मिलकर
खरगोश……………”।खरगोश…………….को कुएँ
के पास……………..अपनी परछाईं…………………
“कुएँ में छलांग लगा दी।
उत्तर:
शेर व खरगोश
एक जंगल में एक शेर रहता था। वह बड़ा क्रूर था। वह जंगल के जानवरों को मारकर खा जाता था। सब जानवर बहुत परेशान थे। वे सब मिलकर खरगोश के पास गए। खरगोश बुद्धिमान था। उसने एक योजना बनाई । वह शेर के पास गया और बोला-”महाराज ! | इस जंगल में एक दूसरा शेर भी है, जो आपको चुनौती देते हुए अपने आपको यहाँ का राजा बताता है।” इतना सुनकर शेर को गुस्सा आ गया। उसने खरगोश को कहा-“मुझे उस शेर के पास ले चलो।” खरगोश उसे एक कुएँ के पास ले गया और उसे कहा कि दूसरा शेर इसमें रहता है। शेर कुएँ में झाँका और अपनी परछाई को दूसरा शेर समझकर कुएँ में कूद गया और मर गया इस प्रकार बुद्धिमान खरगोश ने सभी जानवरों की जान बचाई।।
2. निम्नलिखित रूपरेखा के आधार पर ‘टोपीवाला और बन्दर’ की कहानी लिखिए
एक कस्बे में………………टोपियां बेचा
………………”पेड़ के नीचे………………बन्दर आये।
…………………….”टोपी लेकर पेड़ पर……………….‘आँख
खुली’………………”गट्ठर को खाली………………….बन्दरों
पर…………………..“सिर की टोपी उतारकर……………….
वैसा ही किया…………………..टोपियों को
उठाया………………….”चला गया।
उत्तर:
टोपीवाला और बन्दर
एक कस्बे में टोपियों का एक व्यापारी रहता था। वह आस-पास के गाँवों में फेरी लगाकर अपनी टोपियाँ बेचा करता था। एक बार वह दोपहर में थककर एक पेड़ के नीचे बैठ गया। गर्मी का मौसम था, ठण्डी छाया मिलने पर वह टोपियों का गट्ठर एक तरफ रखकर वहीं पर लेट गया और उसे नींद आ गई। उसके सोते ही पेड़ से कई बन्दर आये गट्ठर से एक-एक टोपी लेकर पेड़ पर चले गये। अपने-अपने सिर पर टोपी रखकर बन्दर खूब उछल-कूद करने लगे। कुछ समय बाद टोपीवाले की आँख खुली। अपने पास रखे हुए गट्ठर को खाली देखकर वह अचम्भे में पड़ गया। उसने आस-पास देखा। उसकी नजर बन्दरों पर गई। उसने बन्दरों से टोपियाँ वापस लेने का उपाय सोचा । इसलिए उसने अपने सिर की टोपी उतारकर जोर से फेंक दी। बन्दरों ने भी उसे देखकर वैसा ही किया और सारी टोपियाँ जमीन पर आ गिरीं । टोपीवाले ने उन्हें उठाया और गट्ठर बाँधकर वहाँ से चला गया।
3. निम्नलिखित रूपरेखा के आधार पर ‘लालची कुत्ता’ कहानी लिखिये
एक कुत्ते को ‘……………….‘रोटी का टुकड़ा
……………..एकान्त स्थान पर जाने लगा।:::::
नाला ………………..”तख्ते पर……………….. परछाईं दिखाई
दी। ………………… दूसरा कुत्ता है जो रोटी का टुकड़ा
मुँह में रखकर …………….:भौंकने के लिए मुँह
खोला ………………. पानी में गिर गया……………..
पछताया……………….।
उत्तर:
लालची कुत्ता
एक कुत्ते को कहीं से एक रोटी का टुकड़ा मिला। वह उसे अपने मुँह में उठाकर एकान्त स्थान पर जाने लगा। रास्ते में एक छोटा नाला था, जिसे पार करने के लिए एक तख्ता रखा हुआ था। वह कुत्ता उसी रास्ते जाने लगा। जब वह नाले के ऊपर तख्ते पर गया, तो उसे पानी में अपनी परछाईं दिखाई दी। तब वह सोचने लगा कि नीचे कोई दूसरा कुत्ता है जो रोटी का टुकड़ा मुँह में रखकर उसकी तरफ देख रहा है। इसलिए वह उस पर झपटने के लिए तैयार हुआ और जोर-जोर से
भौंकने लगा। भौंकने के लिए उसका मुँह खुलते ही रोटी का टुकड़ा पानी में गिर गया। इस प्रकार लालची कुत्ता बहुत पछताया और दुम दबाकर वहाँ से चला। गया।
4. निम्नलिखित रूपरेखा के आधार पर चतुर किसान’ की कहानी लिखिए
एक गाँव में रामलाल नाम का किसान……………….
शहर गया।”……………… सौदा-सामान खरीदा।
………………भूख…………….. दुकान पर पहुँचा
……………….“दुकानदार बेईमान …………………… मिठाई
कम तौली ……………….खाने में कम कष्ट होगा।
…………..मिठाई खायी ………………. कम पैसे
दिये ………….” गिनने में कम कष्ट होगा
…………..: कम तौलने की आदत छोड़ दी।
उत्तर:
चतुर किसान
एक गाँव में रामलाल नाम का किसान रहता था। एक बार वह किसी काम से शहर गया। उसने वहाँ पर घर के लिए अन्य सौदा-सामान खरीदा। उसे भूख लग रही थी, इसलिए मिठाई की एक दुकान पर पहुँचा
और दुकानदार से मिठाई देने को कहा। दुकानदार बेईमान था। उसने मिठाई कम तौली। रामलाल ने कहा कि कम क्यों तौल रहे हो? दुकानदार ने कहा कि कम होने से तुम्हें खाने में कम कष्ट होगा। रामलाल चतुर था। उसने पहले मिठाई खायी और तब दुकानदार को कम पैसे दिये। दुकानदार ने उससे पूरे पैसे देने को कहा। रामलाल ने कहा कि कम पैसे देने से तुम्हें गिनने में कम कष्ट होगा। यह सुनकर दुकानदार चुप हो गया। तब से उसने कम तौलने की आदत छोड़ दी।
5. निम्नलिखित रूपरेखा के आधार पर दो मित्र एवं एक भालू’ की कहानी लिखिये
……………….’सोनू और मोनू नाम के मित्र
…………… दूसरा उसकी सहायता के लिए दौड़
पड़ता।……………….शहर जाने का निश्चय………………:रास्ता
घने जंगल से होकर:::::भालू आता दिखाई
दिया…………….. सोनू पेड़ पर चढ़ गया………….:मोनू जमीन
पर लेट:.:.::.:.:… श्वास रोक::::::: मरा
जानकर………..‘भालू ने कान में क्या
कहा::.:…:.:सच्चे मित्र नहीं होते::::::।।
उत्तर:
दो मित्र एवं एक भालू
एक बार एक गाँव में सोनू और मोनू नाम के दो मित्र रहते थे। उन दोनों में अत्यधिक प्रेम था। यदि एक पर कोई मुसीबत आ जाती तो दूसरा उसकी सहायता के लिए दौड़ पड़ता। एक बार दोनों मित्रों ने शहर जाने का निश्चय किया। दोनों अपना-अपना सामान लेकर शहर की ओर निकल पड़े। शहर जाने का रास्ता घने जंगल से होकर जाता था। जब वे दोनों जंगल के रास्ते से गुजर रहे थे तब उन्हें सामने से एक भालू आता दिखायी दिया। भालू को आते देखकर वे दोनों घबरा गए। सोनू अपने मित्र को छोड़कर एक पेड़ पर चढ़ गया। मोनू को पेड़ पर चढ़ना नहीं आता था। मोनू तुरन्त वहीं जमीन पर लेट गया और अपनी श्वास रोक ली। भालू उसके पास आ गया। भालू ने उसे मरा हुआ जानकर छोड़ दिया। भालू के चले जाने के बाद सोनू पेड़ से उतरा और मोनू से पूछा कि भालू ने तुम्हारे कान में क्या कहा? तब मोनू ने कहा कि भालू ने कहा कि जो लोग मुसीबत में अपने मित्र का साथ छोड़कर भाग खड़े होते हैं, वे सच्चे मित्र नहीं होते, वरन् कपटी होते हैं। सोनू को मोनू की बात समझ में आ गयी तथा उसने मोनू से क्षमा माँग ली।
6. निम्नलिखित शब्दों के आधार पर कहानी लिखिए
एक कौआ…………….:”। एक दिन………….”प्यासा था। वह
उड़कर……………। उसे एक:……………। उसमें पानी
……………….”कम था। कौए ने एक तरकीब…। उसने
………”मटके:……………..। पानी…………….आया।
कौए ने तथा उड़ गया।
उत्तर:
प्यासा कौआ
एक कौआ था। एक दिन वह बहुत प्यासा था। पानी की तलाश में वह उड़कर इधर-उधर गया। उसे एक मटका दिखाई दिया। वह मटके के पास गया। उसने देखा कि उसमें पानी बहुत कम था। उसकी चोंच पानी तक नहीं जा पा रही थी। कौए ने एक तरकीब | सोची। उसने पास में पड़े केकड़ों को एक-एक कर भौंकने लगा। भौंकने के लिए उसका मुँह खुलते ही | रोटी का टुकड़ा पानी में गिर गया। इस प्रकार लालची कुत्ता बहुत पछताया और दुम दबाकर वहाँ से चला गया।
निर्देश पाठ्य-पुस्तक में से पढ़ी हुई कोई कहानी लिखिए।
1. मेहनत की कमाई
एक अमीर बाप ने अपने आलसी बेटे को कुछ कमा कर लाने को कहा। बेटा निर्लज्ज और लापरवाह था। वह अपनी माँ के पास गया और रो-धोकर एक रुपया ले आया और अपने पिता को दे दिया। अनुभवी पिता सब समझ गया। उसने बेटे को वह रुपया कुएँ में फेंकने को कहा। बेटे ने झट से वह रुपया कुएँ में डाल दिया। अगले दिन पिता ने बेटे से फिर कहा कि ‘जा कुछ कमा कर ला नहीं तो आज खाना नहीं मिलेगा।’ | लड़का अपनी बहिन के पास गया और एक रुपया ले
आया और पिता को दे दिया। पिता ने फिर वह रुपया कुएँ में फिंकवा दिया।
अगले दिन पिता ने पत्नी और बेटी को घर से बाहर भेज दिया और बेटे को कुछ कमाकर लाने के लिए कहा। बेटा दिनभर सुस्त और उदास बैठा रहा। शाम के समय विवश होकर वह मजदूरी खोजने बाजार गया। बाजार में एक सेठ ने संदूक अपने घर पहुँचाने की मजदूरी में लड़के को चार आने दिए। रात में जब पिता ने उससे कमाने के बारे में पूछा तो उसने चवन्नी निकाल कर दे दी। पिता ने उसे भी कुएँ में फेंकने के लिए कहा। इस पर लड़के | को क्रोध आ गया। उसने कहा कि यह मेरी मेहनत की कमाई है, मैं इसे कुएँ में नहीं फेंकेंगा। अनुभवी पिता सब समझ गया। अगले ही दिन उसने अपना सारा कारोबार बेटे को सौंप दिया।
2. अपनी वस्तु
एक महात्माजी कहीं जा रहे थे। रास्ते में उन्होंने दो भाइयों को जमीन के लिए लड़ते देखा। वे दोनों खुद को उस जमीन का मालिक बता कर एक-दूसरे के प्राण लेने पर उतारू थे। महात्माजी स्वभाव से दयालु और परोपकारी थे। उन्होंने इन दोनों को समझाबुझाकर शांत करने की बात सोची। वे इन दोनों के पास जाकर शांत भाव से बोले कि यदि तुम दोनों इस भूमि को अपना कह कर लड़ते रहोगे तो कभी निर्णय नहीं हो पाएगा। इसलिए अच्छा यही रहेगा कि इस |
भूमि से ही पूछ लिया जाए कि इसका असली मालिक कौन है? इस पर दोनों भाई राजी हो गए। तब महात्माजी ने भूख लगने की बात कह कर पहले उन्हें भोजन खिलाने को कहा। दोनों भाई अपने-अपने घर से भोजन लेकर आए। तीनों ने साथ बैठकर भोजन किया । जब दोनों भाइयों का गुस्सा कुछ शांत हुआ तो महात्माजी ने कहा कि अब भूमि से उसके मालिक के बारे में पूछते हैं। उन्होंने अपना कान जमीन के लगाया, जैसे कि कुछ सुन रहे हों। इसके बाद वे बोले कि यह भूमि कह रही है कि यह तुम दोनों में से | किसी की नहीं है, हाँ तुम दोनों अवश्य इसके हो।
इस भूमि ने तुम्हारी कई पीढ़ियों को पाला है और | आते-जाते देखा है। इतना सुनकर दोनों भाई लज्जित होकर महात्माजी के चरणों में गिर गए। तब महात्माजी ने कहा कि इस संसार में कोई वस्तु किसी की नहीं है। तुम्हारी कोई अपनी वस्तु है तो वह है भजन-भक्ति और अच्छे कर्म । इसलिए लड़ने-झगड़ने की अपेक्षा इनमें ध्यान लगाओ। यह सुनकर दोनों भाइयों ने महात्माजी के चरणों में गिर क्षमा माँगी और प्रेम : व्यवहार से एक-दूसरे के साथ रहने लगे।
3. अनोखी सूझ
बात पुराने जमाने की है। एक बार देवता और दानव मिलकर प्रजापति के पास गए और उनसे पूछा कि हम में से बुद्धि में श्रेष्ठ कौन है? ब्रह्माजी दोनों में से किसी को नाराज करना नहीं चाहते थे, इसलिए उन्होंने इस बात का फैसला करने के लिए दोनों को अगले दिन अपने यहाँ भोजन पर आमंत्रित किया। दूसरे दिन जब देवता और दानव उनके यहाँ भोजन के लिए पहुँचे तो प्रजापति ने उन दोनों को अलग-अलग कमरों में बैठाया और लड्डुओं के थाल भिजवा दिये।
उन्होंने शर्त भी रखी कि भोजन बिना कोहनी मोड़े करना है। यह सुनकर दोनों परेशान हो गए, लेकिन देवताओं ने एक तरकीब निकाली। वे एक-दूसरे के सामने बैठ | गए और लड्डू उठा-उठा कर एक-दूसरे के मुँह में देने लगे। इस प्रकार कुछ ही देर में उन्होंने सारे लड्डू खा लिए। उधर दूसरे कमरे में दानवों को कुछ समझ नहीं आ रहा था। वे लड्डू उछाल-उछाल कर मुँह में लपकने लगे। इस प्रकारे कुछ लड्डू तो उनके मुँह में आए और कुछ इधर-उधर बिखर गए। कमरे में सब तरफ गंदगी और शोर-शराबा मच गया। अंत में प्रजापति ने दोनों को बुलाकर कहा कि देवताओं ने सहकार की भावना से काम किया है। उन्होंने खुद भी खाया है और दूसरे को भी खिलाया है। दूसरी तरफ दानवों ने न खुद खाया और न ही दूसरे को खाने दिया। सब तरफ गंदगी और फैला दी। अतः देवता ही बुद्धि में श्रेष्ठ हैं।
4. बालक का स्वप्न
किसी सेठ के एक छोटा लड़का काम करता था। एक दिन रात में वह स्वप्न देख कर चिल्लाया, ‘अहो मेरा भाग्य’। सेठ ने लड़के से स्वप्न की बात पूछी, पर वह टाल गया और छिप कर पढ़ने लगी। सेठ ने स्वप्न नहीं बताने के कारण उसे काम से निकाल दिया। लड़के ने पढ़ाई जारी रखी और गाँव के जमींदार के नौकरी करने लगा। एक दिन वह सेठ कपड़े लेकर जमींदार के पहुँचा। लड़के को वहाँ देखकर उसने स्वप्न वाली बात जमींदार को बताई । जमींदार ने भी स्वप्न वाली बात लड़के से पूछी, और नहीं बताने पर उसे नौकरी से निकाल दिया। लड़का अपनी सूझ-बूझ से वहाँ के राजा के पास जाकर पहले साधारण नौकर बन गया और बाद में मंत्री बन गया ।
एक दिन जमींदार राजा के यहाँ आया। उसने लड़के को पहचान लिया और राजा से उसके स्वप्न वाली बात बताई। राजा ने मंत्री से स्वप्न वाली बात पूछी, परन्तु उसने बताने से मना कर दिया। इससे नाराज होकर राजा ने मंत्री को कैदखाने में डाल दिया। कुछ दिन बाद पड़ोसी राज्य के राजा ने हमला करने की योजना के साथ इस राज्य की सीमा पर सेना जमा कर दी। उसने इस राज्य के राजा और मंत्री की चतुराई जानने के लिए दो घोड़ियाँ भेजीं और पूछा कि इनमें से कौनसी माँ और कौनसी बेटी है। कैद में बंद मंत्री ने इसका सही जवाब दिया। इसके बाद उसने पड़ोसी राजा के कुछ और सवालों का सही जवाब दिया। इससे प्रसन्न होकर पड़ोसी राजा ने अपनी पुत्री का विवाह मंत्री के साथ कर दिया और आधा राज्य भी दे दिया। उसके बाद इस राजा ने भी उसे बहुतसी सम्पत्ति दी।
एक दिन मंत्री राजा ने दोनों राजाओं, जमींदार और सेठ को अपने यहाँ आमंत्रित किया। जब ये सब मंत्री राजा के महल पहुँचे तो मंत्री राजा बड़े भवन में पलंग पर लेटा हुआ था। उसकी पत्नी पास में बैठी थी। अन्य कई नौकर सेवा में जुटे थे। मंत्री राजा ने उन सबसे कहा कि यही दृश्य उसने स्वप्न में देखा था। यदि उस समय वह स्वप्न सबको बता देता तो कोई उसका स्वप्न पूरा होने नहीं देता।। संभवतः उसे मार भी दिया जाता। इसलिए यह सच है कि मस्तिष्क में कोई भी विचार आए तो उस पर बेकार चर्चा नहीं करके लगन और निष्ठा से उसे पूरा करना चाहिए।
5. पन्ना का त्याग
चित्तौड़गढ़ में महाराणा संग्रामसिंह की मृत्यु के बाद अव्यवस्था फैल गई थी। उनके बड़े पुत्र भोजराज का पहले ही निधन हो चुका था। दूसरा पुत्र विक्रम सिंह चौदह-पंद्रह वर्ष का था और छोटा उदय सिंह केवल सात-आठ वर्ष का। संग्राम सिंह की मृत्यु के बाद विक्रम सिंह का राज्याभिषेक किया गया। उसी समय वहाँ एक दासी-पुत्र बनवीर राजगद्दी हथियाने के लिए षड्यंत्र रच रहा था। वह अपना रास्ता साफ करने के लिए विक्रम सिंह और उदय सिंह को मारना चाहता था। उदयसिंह की देखभाल पन्नाधाय करती थी। जब उसे इस बात की भनक लगी तो उसने उदयसिंह को कीरत बारी की टोकरी में बैठा कर महल से बाहर भेज दिया और उदयसिंह के बिस्तर पर अपने स्वयं के पुत्र चंदन को, जो उदयसिंह के बराबर ही था, लिटा दिया। जब बनवीर उदयसिंह को मारने के लिए। महल में पहुँचा तो उसने चंदन को ही उदयसिंह समझकर मार दिया। इस प्रकार पन्ना धाय ने अपने कलेजे पर पत्थर रखकर राजकुमार को बचाने के लिए अपने पुत्र का बलिदान कर दिया।