RB 11 Chemistry

RBSE Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 13 हाइड्रोकार्बन

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Rajasthan Board RBSE Class 11 Chemistry Chapter 13 हाइड्रोकार्बन

RBSE Class 11 Chemistry Chapter 13 पाठ्यपुस्तक के अभ्यास प्रश्न

RBSE Class 11 Chemistry Chapter 13 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
आइसोपेन्टेन में 3°, 2° तथा 1° हाइड्रोजन की संख्या क्रमशः होगी –
(अ) 1, 9, 2
(ब) 9, 1, 2
(स) 2, 1, 9
(द) 1, 2, 9

प्रश्न 2.
2 – ब्यूटीन व HBr के योग से प्राप्त उत्पाद की वुटुंज अभिक्रिया कराने पर प्राप्त ऐल्केन –
(अ) एकशाखित होगी
(ब) द्विशाखित होगी।
(स) त्रिशाखित होगी
(द) अशाखित होगी

प्रश्न 3.
योगात्मक अभिक्रिया निम्न वर्ग के यौगिकों द्वारा नहीं दर्शाई जाती है –
(अ) ऐल्केन
(ब) एल्काडाइईन
(स) साइक्लोएल्कीन
(द) कीटोन

प्रश्न 4.
सामान्य दशा के अन्तर्गत मेथेन से कौन अभिक्रिया नहीं करेगा –
(अ) I2
(ब) Cl2
(स) Br2
(द) F2

प्रश्न 5.
एथीलीन व HX की क्रिया में एथिल कार्बोनियम आयन किसमें तीव्रता से बनता है –
(अ) HI
(ब) HBr
(स) HCl
(द) उपरोक्त सभी

उत्तरमाला:
1. (द)
2. (ब)
3. (अ)
4. (अ)
5. (अ)

RBSE Class 11 Chemistry Chapter 13 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 6.
पैराफिन और ओलिफिन किन्हें कहते हैं? प्रत्येक का एक – एक उदाहरण दीजिये और उनमें विभेद करने के रासायनिक परीक्षण लिखिये।
उत्तर:
ऐल्केनों को पैराफिन कहते हैं क्योंकि Parum यानी कम तथा affins यानी क्रियाशील होता है अर्थात् ये कम क्रियाशील होते हैं।
उदाहरण – एथेन।
एल्कीनों को ओलिफीन कहा जाता है क्योंकि इस श्रेणी का प्रथम सदस्य (एथीन) क्लोरीन से क्रिया करके तैलीय द्रव जैसे उत्पाद बनाता है तथा ओलिफीन का अर्थ होता है तैलीय पदार्थ बनाने वाले।
उदाहरण – एथीन एथीन ब्रोमीन विलयन को विरंजित करती है लेकिन एथेन नहीं।

प्रश्न 7.
ऐल्कीनों का सामान्य सूत्र लिखिये और उनको बनाने की सामान्य विधियों का वर्णन कीजिये।
उत्तर:
ऐल्कीनों का सामान्य सूत्र CnH2n होता है तथा इनके बनाने की सामान्य विधियों –

  1. एल्काइनों के आंशिक हाइड्रोजनीकरण से:
    ऐल्काइनों की अभिक्रिया, सल्फर जैसे विषाक्त यौगिकों द्वारा आंशिक निष्क्रिय पैलेडिकृत चारकोल की उपस्थिति में हाइड्रोजन की परिकलित मात्रा के साथ करवाने पर आंशिक अपचयन द्वारा ऐल्कीन बनती है। आंशिक निष्क्रिय पैलेडिकृत चारकोल को लिंडलार उत्प्रेरक कहते हैं। यह Pd, CaCO3, लैड एसीटेट तथा क्विनोलीन का मिश्रण होता है। इस अभिक्रिया लिण्डलार उत्प्रेरक के साथ समपक्ष ऐल्कीन बनती है लेकिन सोडियम तथा द्रव NH3 से अपचयन कराने पर विपक्ष ऐल्कीन बनती है। (त्रिविम विशिष्ट योग)
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  2. ऐल्किल हैलाइडों के विहाइड्रोहैलोजेनीकरण द्वारा:
    ऐल्किल हैलाइड को ऐल्कोहॉली कॉस्टिक पोटाश (KOH) विलयन या एथिल ऐल्कोहॉल में सोडियम एथॉक्साइड के साथ गरम करने पर हैलोजेन अम्ल के अणु का विलोपन होकर ऐल्कीन प्राप्त होती है। इस अभिक्रिया को विहाइड्रोहैलोजेनीकरण कहते हैं।
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    यह एक β – विलोपन अभिक्रिया है क्योंकि इसमें β – कार्बन परमाणु (हैलोजन युक्त कार्बन का अगला कार्बन) से हाइड्रोजन परमाणु का विलोपन होता है। अभिक्रिया का वेग ऐल्किल समूह तथा हैलोजन परमाणु की प्रकृति पर निर्भर करता है। ऐल्किल समूह बदलने पर अभिक्रिया का वेग निम्न क्रम में होता है – 3°> 2° > 1° तथा हैलोजन बदलने पर अभिक्रिया के वेग का क्रम निम्न प्रकार होता है – आयोडीन > ब्रोमीन > क्लोरीन
    RBSE Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 13 हाइड्रोकार्बन img 3
    जब किसी ऐल्किल हैलाइड के विहाइड्रोहैलोजेनीकरण से दो समावयवी ऐल्कीनों के बनने की सम्भावना हो तो अधिक प्रतिस्थापित एथिलीन अधिक मात्रा में बनती है। इसे सैत्जेफ का नियम कहते हैं। जैसे – द्वितीयक-ब्यूटिल हैलाइड के विहाइड्रोहैलोजेनीकरण पर β – ब्यूटिलीन (80%) तथा α – ब्यूटिलीन (20%) का मिश्रण प्राप्त होता है।
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    नोट – ऐल्किल हैलाइड का विहाइड्रोहैलोजेनीकरण ब्यूटिल ऐल्कोहॉल में पोटैशियम ब्यूटॉक्साइड द्वारा कराने पर कम स्थायी (कम प्रतिस्थापित) ऐल्कीन मुख्य उत्पाद होती है।
  3. डाइलाइडों के विहैलोजेनीकरण से:
    (a) निकटवर्ती (सन्निध) डाइहैलाइडों द्वारा –
    वे डाइहैलाइड जिनमें हैलोजन परमाणु दो निकटवर्ती कार्बन परमाणुओं पर उपस्थित होते हैं उन्हें निकटवर्ती डाइहैलाइड कहते हैं। निकटवर्ती डाइहैलाइडों को जिंक रज तथा मेथिल ऐल्कोहॉल के साथ गर्म करने पर एल्कीन बनती है। इस अभिक्रिया को विहैलोजेनीकरण कहते हैं क्योंकि इसमें हैलोजन का विलोपन होता है।
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    (b) जेम डाइहैलाइडों से: वे डाइहैलाइड जिनमें दोनों हैलोजन परमाणु एक ही कार्बन परमाणु से जुड़े होते हैं उन्हें जेम डाइहैलाइड कहा जाता है। इनकी क्रिया जिंक तथा मेथिल ऐल्कोहॉल के साथ करवाने पर उच्च तथा सममित एल्कीन बनती है जिसमें कार्बन परमाणुओं की संख्या जेम डाइहैलाइड से दुगुनी होती है।
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  4. ऐल्कोहॉलों के निर्जलीकरण से:
    ऐल्कोहॉलों को सान्द्र H2SO4 (निर्जलीकारक तथा उत्प्रेरक) के साथ गरम करने पर जल के एक अणु में विलोपन होकर ऐल्कीन बनती है। इस अभिक्रिया को ऐल्कोहॉलों का अम्लीय निर्जलीकरण कहते हैं। यह भी एक β – विलोपन अभिक्रिया है, क्योंकि इसमें β – कार्बन परमाणु से हाइड्रोजन परमाणु हटता है।
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    निर्जलीकारक के रूप में सान्द्र H3PO4, Al2O3, ऐलुमिना (350° C) ZnCl2 तथा P2O5 इत्यादि को भी प्रयुक्त किया जा सकता है। ऐल्कोहॉलों के निर्जलीकरण की सुगमता का क्रम निम्न प्रकार होता है – 3° > 2० > 1°
    RBSE Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 13 हाइड्रोकार्बन img 8
    इस अभिक्रिया में भी सेत्जैफ का नियम लागू होता है जिसके अनुसार यदि किसी ऐल्कोहॉल के निर्जलीकरण से दो प्रकार की ऐल्कीन बनने की संभावना हो तो अधिक प्रतिस्थापित ऐल्कीन अधिक मात्रा में बनती है।
  5. ऐल्केनों के ताप अपघटन द्वारा विहाइड्रोजनीकरण:
    ऐल्केनों को 500 – 700°C पर गरम करने पर ऐल्कीन, निम्नतर ऐल्केन तथा हाइड्रोजन का मिश्रण प्राप्त होता है।
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  6. एस्टरों के ताप अपघटन द्वारा:
    एस्टर की वाष्प को 400 – 600°C पर गरम करने से कार्बोक्सिलिक अम्ल के विलोपन द्वारा ऐल्कीन बनती है।
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  7. कोल्बे विद्युत अपघटनी संश्लेषण द्वारा:
    जब पोटैशियम अथवा सोडियम सक्सिनेट के सान्द्र जलीय विलयन का विद्युत अपघटन किया जाता है। तो ऐनोड पर एथीन प्राप्त होती है। इसी प्रकार सोडियम सक्सिनेट के ऐल्किल व्युत्पन्नों के प्रयोग से विभिन्न एल्कीन बनाई जा सकती हैं।
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  8. ग्रीन्यार अभिकर्मक द्वारा:
    ऐल्किलमैग्नीशियम हैलाइड (ग्रीन्यार अभिकर्मक) की ऐलिल हैलाइड से क्रिया द्वारा उच्च अन्तस्थ एल्कीन बनती है। जैसे मेथिलमैग्नीशियम क्लोराइड की ऐलिल क्लोराइड से क्रिया कराने पर α – ब्यूटिलीन प्राप्त होती है।
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प्रश्न 8.
निम्नलिखित से केवल एक पद में एथीन बनाने की समीकरण लिखिये
(क) एथेनॉल
(ख) एथिल ब्रोमाइड
(ग) एथाइन
(घ) एथिलीन डाइब्रोमाइड।
उत्तर:

RBSE Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 13 हाइड्रोकार्बन img 13
प्रश्न 9.
मार्कोनीकॉफ नियम की परिभाषा लिखिये तथा उपयुक्त उदाहरण दीजिये।
उत्तर:
मार्कोनीकॉफ का नियम – इस नियम के अनुसार, असममित ऐल्कीन तथा ऐल्काइन पर जुड़ने वाले यौगिक का ऋणात्मक भाग उस असंतृप्त कार्बन पर जुड़ता है, जिस पर हाइड्रोजन परमाणुओं की संख्या कम हो।
उदाहरण –
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प्रश्न 10.
ऐल्कीनों में HBr का योग मार्कोनीकॉफ नियम के आधार पर समझाइये।
उत्तर:
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इस अभिक्रिया में B\bar { r }  द्वितीय कार्बन पर जुड़ रहा है जो कि मार्कोनीकॉफ के नियम के अनुसार है क्योंकि इस नियम के अनुसार यौगिक का ऋणात्मक सिरा उस असंतृप्त कार्बन पर जुड़ता है जिस पर हाइड्रोजन परमाणुओं की संख्या कम हो।

प्रश्न 11.
ऐसीटीलीन श्रेणी के प्रथम तीन सदस्यों के सूत्र और नाम लिखिये।
उत्तर:
ऐसीटीलीन श्रेणी के प्रथम तीन सदस्य HC ≡ CH (एथाइन), CH3C ≡ CH (प्रोपाइन) तथा CH3 – CH2 – C ≡ CH (ब्यूट – 1 – आइन)

प्रश्न 12.
ऐल्कीन और ऐल्काइन श्रेणियों के सामान्य सूत्र बताइये और उनमें विभेद करने के रासायनिक परीक्षण लिखिए।
उत्तर:
ऐल्कीन और ऐल्काइन श्रेणी के सामान्य सूत्र CnH2n तथा CnH2n-2 हैं। एल्कीन सोडामाइड तथा अमोनियामय क्युप्रस क्लोराइड से क्रिया नहीं करती लेकिन 1 – एल्काइन इनसे क्रिया करके धातु व्युत्पन्न बनाती हैं।

प्रश्न 13.
1°, 2° और 3° हाइड्रोजन किसे कहते हैं? उदाहरण द्वारा समझाइये।
उत्तर:
1°, 2° और 3° हाइड्रोजन क्रमशः 1°, 2° तथा 3° कार्बन से जुड़े होते हैं। 1°, 2° तथा 3° कार्बन क्रमशः 1, 2, तथा 3 कार्बन से जुड़े होते हैं।
उदाहरण –
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आइसोपेन्टेन में 1°, 2° तथा 3° हाइड्रोजन परमाणुओं की संख्या क्रमशः 9, 2 तथा 1 है।

प्रश्न 14.
मेथेन का चतुष्फलकीय चित्र खींचिये और H – C – H कोण का मान बताइये।
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मेथेन में H – C – H बन्ध कोण 109° 28′ (109.5°) होता है।

प्रश्न 15.
निम्नलिखित से केवल एक पद में ऐसीटिलीन बनाने की समीकरणे लिखिये –
1. एथिलीन डाइब्रोमाइड
2. ट्राइक्लोरोमेथेन
3. एथिलिडीन डाइक्लोराइड
4. ऐसीटिलीन टेट्राब्रोमाइड
उत्तर:
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प्रश्न 16.
कार्बनिक यौगिकों में असंतृप्तता पहचान करने के दो रासायनिक परीक्षण दीजिये।
उत्तर:
कार्बनिक यौगिक में असंतृप्तता होने पर वह बेयर अभिकर्मक के गुलाबी रंग को रंगहीन कर देता है तथा ब्रोमीन के नारंगी, लाल विलयन को भी विरंजित करता है।

प्रश्न 17.
समीकरण देते हुए बताइये क्या होता है? जब –

  1. एथिल ऐल्कोहॉल को सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल के आधिक्य के साथ 160°C पर गर्म करते हैं।
  2. एथाइन को क्षारीय पोटेशियम परमैंगनेट के ठण्डे जलीय विलयन में प्रवाहित करते हैं।
  3. एथिल ऐल्कोहॉल की वाष्प को गर्म ऐलुमिनियम ऑक्साइड में 360°C पर प्रवाहित करते हैं।
  4. आइसोप्रोपिल ब्रोमाइड को ऐल्कोहॉलिक KOH के साथ गर्म करते हैं।
  5. एथिलीन पर परॉक्साइड उत्प्रेरक की उपस्थिति में उच्च दाब पर लगाया जाता है।
  6. प्रोपिलीन को पोटेशियम परमैंगनेट के गर्म जलीय विलयन में प्रवाहित करते हैं।
  7. एथिलीन की हाइपोक्लोरस अम्ल से अभिक्रिया होती है।
  8. ओजोन की एथिलीन से अभिक्रिया करायी जाती है।

उत्तर:
1. एथीन बनती है –
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प्रश्न 18.
एथिलीन से निम्नलिखित कैसे बनायेंगे –

  1. ऐसीटिलीन
  2. फॉर्मेल्डिहाइड
  3. एथिलीन ग्लाइकॉल
  4. एथिलीन क्लोरोहाइड्रिन
  5. एथिल ऐल्कोहॉल
  6. एथिलीन ऑक्साइड

उत्तर:
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प्रश्न 19.
एथेन, एथिलीन और ऐसीटिलीन में कार्बन – कार्बन बन्ध की तुलना बन्धन दूरी, दृढ़ता और अभिक्रियाशीलता में कीजिये।
उत्तर:
एथेन, एथिलीन और ऐसीटिलीन में कार्बन – कार्बन बन्ध के विभिन्न गुणों का क्रम निम्न प्रकार है –
बन्धन दूरी – एथेन > एथिलीन > ऐसीटिलीन
दृढ़ता – एथेन > ऐसीटिलीन > एथिलीन
क्रियाशीलता – एथिलीन > ऐसीटिलीन > एथेन

प्रश्न 20.
निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिये –

  1. एथिलीन का ब्रोमीनीकरण
  2. एथिलीन का बहुलकीकरण
  3. मार्कोनीकॉफ का नियम
  4. ओजोनी अपघटन

उत्तर:

  1. एथिलीन की ब्रोमीन विलयन (CClमें) से क्रिया कराने पर एथिलीन ब्रोमाइड बनता है। इसे एथिलीन का ब्रोमीनीकरण कहते हैं।
    RBSE Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 13 हाइड्रोकार्बन img 23
  2. एथिलीन का उच्च ताप, उच्च दाब तथा उत्प्रेरक की उपस्थिति में बहुलकीकरण करने पर पॉलिएथिलीन (पॉलिथीन) बनती है।
    RBSE Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 13 हाइड्रोकार्बन img 24
  3. मार्कोनीकॉफ का नियम – इस नियम के अनुसार, असममित ऐल्कीन तथा ऐल्काइन पर जुड़ने वाले यौगिक का ऋणात्मक भाग उस असंतृप्त कार्बन पर जुड़ता है, जिस पर हाइड्रोजन परमाणुओं की संख्या कम हो।
    उदाहरण –
    RBSE Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 13 हाइड्रोकार्बन img 25
  4. एल्कीनों की ओजोन से क्रिया कराने पर पहले एल्कीन ओजोनाइड बनता है जिसकी क्रिया Zn की उपस्थिति में H2O से कराने पर कार्बोनिल यौगिक बनते हैं। इस अभिक्रिया को ओजोनी अपघटन कहते हैं।
    उदाहरण –
    RBSE Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 13 हाइड्रोकार्बन img 26

प्रश्न 21.
निम्नलिखित के संरचना सूत्र लिखिये –

  1. एथिलीन ग्लाइकॉल
  2. एथिलिडीन डाइब्रोमाइड
  3. एथिलीन डाइब्रोमाइड
  4. आइसोप्रोपिल ब्रोमाइड
  5. 2 – मेथिल – 3 – हेक्सीन
  6. प्रोपिलीन ऑक्साइड

उत्तर:
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RBSE Class 11 Chemistry Chapter 13 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 22.
परॉक्साइड प्रभाव किसे कहते हैं? एक उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर:
परॉक्साइड प्रभाव – परॉक्साइड की उपस्थिति में किसी असममित ऐल्कीन पर HBr का योग परॉक्साइड प्रभाव (खराश प्रभाव) या प्रति मार्कोनीकॉफ नियम के अनुसार होता है, जिसके अनुसार किसी असममित ऐल्कीन पर परॉक्साइड की उपस्थिति में HBr का योग होने पर ब्रोमीन मुक्त मूलक उस असंतृप्त कार्बन पर जुड़ता है जिस पर हाइड्रोजन परमाणुओं की संख्या अधिक होती है।
उदाहरण –
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प्रश्न 23.
सिस – 2 – ब्यूटीन की ब्रोमीन से अभिक्रिया कराने पर बने त्रिविम – समावयवियों की संरचनाएँ लिखिये।
उत्तर:
सिस – 2 – ब्यूटीन की ब्रोमीन से अभिक्रिया कराने पर निम्नलिखित तीन त्रिविम समावयवी बनते हैं –
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प्रश्न 24.
1 – ब्यूटीन की ब्रोमीन (Br2) से अभिक्रिया कराने पर बने उत्पादों की संरचनाएँ और उनके नाम लिखिये।
उत्तर:
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इसके दो समावयवी होते हैं – d तथा l
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प्रश्न 25.
1, 3 – ब्यूटाडाइईन में केन्द्रीय कार्बन – कार्बन आबन्ध, n – ब्यूटेन के सम्बन्धित आबन्ध से छोटा होता है। क्यों?
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1, 3 – ब्यूटाडाइईन का केन्द्रीय कार्बन कार्बन आबन्ध sp– sp2 अतिव्यापन से बना है जबकि ब्यूटेन में यह आबन्ध sp3 – sp3 अतिव्यापन से बना है। sp2 कक्षक में s गुण (33%) sp3 कक्षक में s गुण (25%) से अधिक होता है जिससे बन्ध छोटा हो जाता है क्योंकि s गुण बढ़ने पर बन्ध – लम्बाई कम हो जाती है।

प्रश्न 26.
रासायनिक समीकरण देते हुए बताइये क्या होता है, जब –

  1. अमोनियामय क्यूप्रस क्लोराइड विलयन में ऐसीटिलीन गैस प्रवाहित की जाती है।
  2. ऐसीटिलीन गैस को रक्त तप्त नली में प्रवाहित करते हैं।
  3. ऐसीटिलीन तनु सल्फ्यूरिक अम्ल में मयूंरिक सल्फेट की उपस्थिति में प्रवाहित की जाती है।
  4. ऐसीटिलीन मयूंरिक क्लोराइड की उपस्थिति में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से क्रिया करती है।
  5. ऐसीटिलीन Hg+ और H+ आयनों युक्त जलीय विलयन में प्रवाहित की जाती है।
  6. ऐसीटिलीन गैस को हाइपोक्लोरस अम्ल में प्रवाहित करते है।

उत्तर:
1. क्युप्रस ऐसीटिलाइड का लाल अवक्षेप बनता है –
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5.
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6. डाइक्लोरो ऐसीटैल्डिहाइड बनता है –
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प्रश्न 27.
निम्नलिखित के बीच कैसे विभेद कीजियेगा? रासायनिक परीक्षण दीजिये –

  1. एथिलीन और ऐसीटिलीन
  2. एथेन और एथाइन
  3. संतृप्त और असंतृप्त हाइड्रोकार्बन
  4. 1 – ब्यूटीन और 1 – ब्यूटाइन
  5. 2 – ब्यूटाइन और 1 – ब्यूटाइन
  6. CHऔर C2H2
  7. एथिलीन और ऐसीटिलीन

उत्तर:

  1. एथिलीन सोडामाइड तथा अमोनियामय क्युप्रस क्लोराइड से क्रिया नहीं करती लेकिन ऐसीटिलीन इनसे क्रिया करके धातु व्युत्पन्न बनाती है क्योंकि इसमें सक्रिय हाइड्रोजन उपस्थित है।
  2. एथेन (संतृप्त हाइड्रोकार्बन) या एल्केन की ब्रोमीन विलयन से क्रिया नहीं होती जबकि एथाइन (असंतृप्त हाइड्रोकार्बन) ब्रोमीन विलयन को विरंजित कर देती है।
  3. एथेन (संतृप्त हाइड्रोकार्बन) या एल्केन की ब्रोमीन विलयन से क्रिया नहीं होती जबकि एथाइन (असंतृप्त हाइड्रोकार्बन) ब्रोमीन विलयन को विरंजित कर देती है।
  4. 1 – ब्यूटीन अमोनियामय सिल्वर नाइट्रेट विलयन से क्रिया नहीं। करती जबकि 1 – ब्यूटइन इससे क्रिया करके श्वेत अवक्षेप देती है।
  5. 2 – ब्यूटाइन की अमोनियामय सिल्वर नाइट्रेट विलयन से क्रिया नहीं होती लेकिन 1 – ब्यूटाइन इससे क्रिया करके श्वेत अवक्षेप देती है।
  6. एथेन (संतृप्त हाइड्रोकार्बन) या एल्केन की ब्रोमीन विलयन से क्रिया नहीं होती जबकि एथाइन (असंतृप्त हाइड्रोकार्बन) ब्रोमीन विलयन को विरंजित कर देती है। CH4 (मेथेन) एल्केन है लेकिन C2H2 (एथाइन) एक एल्काइन है।
  7. एथिलीन सोडामाइड तथा अमोनियामय क्युप्रस क्लोराइड से क्रिया नहीं करती लेकिन ऐसीटिलीन इनसे क्रिया करके धातु व्युत्पन्न बनाती है क्योंकि इसमें सक्रिय हाइड्रोजन उपस्थित है।

प्रश्न 28.
ऐसीटिलीन बनाने की औद्योगिक विधि का वर्णन कीजिये। आवश्यक रासायनिक समीकरण दीजिये।
उत्तर:

  • ऐल्काइनों के प्रथम तीन सदस्य (C2) से C4) गैस, अगले आठ सदस्य (C5 से C12) द्रव तथा शेष उच्चतर सदस्य ठोस होते हैं।
  • समस्त ऐल्काइन रंगहीन होते हैं।
  • एथाइन में अशुद्धि के कारण अभिलाक्षणिक गंध (लहसुन जैसी) होती है, लेकिन इस श्रेणी के अन्य सदस्य गंधहीन होते हैं।
  • ऐल्काइन अल्प ध्रुवीय, जल से हल्की तथा जल में लगभग अविलेय होती हैं, लेकिन ये ऐल्केनों तथा ऐल्कीनों की तुलना में कुछ अधिक विलेय होती हैं तथा कार्बनिक विलायकों जैसेकार्बनटेट्राक्लोराइड, ईथर, बेन्जीन एसीटोन में विलेय होते हैं।
  • ऐल्काइनों के गलनांक, क्वथनांक तथा घनत्व अणुभार के साथ बढ़ते हैं लेकिन ऐल्काइनों के गलनांक, क्वथनांक तथा घनत्व के मान संगत ऐल्केनों तथा ऐल्कीनों की तुलना में उच्च होती हैं।
  • समावयवी ऐल्काइनों के गलनांक तथा क्वथनांक पार्श्व श्रृंखलाओं की संख्या बढ़ने के साथ कम होते जाते हैं।
  • अन्तस्थ ऐल्काइनों (1 – ऐल्काइनों) के क्वथनांक समावयवी 2 – ऐल्काइनों की अपेक्षा कम होते हैं।

इस विधि में कैल्सियम कार्बाइड के जल अपघटन से ऐसीटिलीन बनायी जाती है।

प्रश्न 29.
ऐसीटिलीन अणु की ज्यामितीय आकृति चित्र द्वारा प्रदर्शित कीजिये और अणु में उपस्थित विभिन्न बन्धों की प्रकृति बताइये।
उत्तर:
एथाइन के कार्बन परमाणु sp संकरित होते हैं तथा प्रत्येक कार्बन परमाणु के पास दो sp संकरित कक्षक होते हैं। इन दोनों कार्बन परमाणुओं के sp संकरित कक्षकों के समाक्ष अतिव्यापन से C – C σ बन्ध बनता है तथा प्रत्येक कार्बन के शेष sp संकरित कक्षक अंतरनाभिकीय अक्ष पर हाइड्रोजन के 1s कक्षक के साथ समाक्ष अतिव्यापन करके दो C – H σ बन्ध बनाते हैं।
RBSE Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 13 हाइड्रोकार्बन img 37
एथाइन में H – C – C बंध कोण 180° होता है तथा प्रत्येक कार्बन परमाणु के पास कार्बन – कार्बन बंध के तल तथा एक – दूसरे के लंबवत् दो असंकरित p – कक्षक होते हैं। एक कार्बन परमाणु के 2p कक्षक दूसरे कार्बन परमाणु के 2p कक्षकों के समान (Parallel) होते हैं, जो कि समपाश्विक अतिव्यापन करके दो पाई बंध बनाते हैं। अतः एथाइन में एक C – C सिग्मा बंध, दो C – H सिग्मा बंध तथा दो C – C पाई बंध होते हैं।
C ≡ C की बंध सामर्थ्य या बंध एन्थैल्पी C = C द्विबंध की बंध एन्थैल्पी तथा C – C एकल बंध की बंध एन्थैल्पी से अधिक होती है तथा C = C की आबंध लम्बाई (120 pm), C = C द्विआबंध (13 pm) तथा C – C एकल आबंध (154 pm) की अपेक्षा कम होती है। दो कार्बन परमाणुओं के मध्य इलेक्ट्रॉन अभ्र अंतरानाभिकीय अक्ष पर बेलनाकार सममित होते हैं। अतः एथाइन एक रेखीय अणु है।
एथाइन में C – H बन्ध दूरी 106 pm होती है तथा यह बन्ध लम्बाई एथेन > एथीन > एथाइन क्रम में घटती है क्योंकि σ बन्ध बनाने में प्रयुक्त कक्षकों के s – लक्षण कार्बन परमाणु की sp3-, sp2-, sp संकरित अवस्था के क्रम में बढ़ता है।
RBSE Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 13 हाइड्रोकार्बन img 38
प्रश्न 30.
रासायनिक समीकरण देते हुए बताइये क्या होता है। जब –

  1. ऐसीटिलीन की ब्रोमीन जल से क्रिया होती है।
  2. ऐसीटिलीन में हाइड्रोजन ब्रोमाइड का योग होता है।
  3. ऐसीटिलीन ठण्डे तनु क्षारीय पोटेशियम परमैंगनेट विलयन में प्रवाहित की जाती है।
  4. कार्बन टेट्राक्लोराइड विलायक में एसीटिलीन की ओजोन से अभिक्रिया कराकर उत्पाद को जल द्वारा अपघटित किया जाता है।

उत्तर:
1.1, 1, 2, 2 – टेट्राब्रोमो एथेन बनता है तथा Brविलयन विरंजित हो जाता है।
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4. मेथेनोइक अम्ल बनता है –
RBSE Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 13 हाइड्रोकार्बन img 40
प्रश्न 31.
n – पेन्टेन का क्वथनांक नियोपेन्टेन से ज्यादा है। कारण बताइये।
उत्तर:
अणु भार (आण्विक द्रव्यमान) बढ़ने पर ऐल्केनों के क्वथनांक भी बढ़ते हैं क्योंकि इससे अणु का आकार तथा पृष्ठीय क्षेत्रफल बढ़ता है जिससे अंतराण्विक आकर्षण बल (वान्डरवाल बल) बढ़ते हैं। ऐल्केनों में शाखित श्रृंखलाओं की संख्या बढ़ने से अणु की आकृति लगभग गोलाकार हो जाती है, जिससे इन अणुओं का पृष्ठ क्षेत्रफल कम हो जाता है अतः इनमें दुर्बल अंतराण्विक बल पाए जाते हैं। इसलिए इनके क्वथनांक कम हो जाते हैं। इसी कारण n – पेन्टेन का क्वथनांक नियो पेन्टेन से ज्यादा है क्योंकि n – पेन्टेन एक सीधी श्रृंखला युक्त एल्केन है जबकि नियोपेन्टेन एक द्विशाखित एल्केन है।

RBSE Class 11 Chemistry Chapter 13 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 32.
1 – ब्रोमोप्रोपेन तथा 2 – बोमोप्रोपेन की ईथर की। उपस्थिति में सोडियम से अभिक्रिया कराने से प्राप्त विभिन्न ऐल्केनों के संरचना सूत्र तथा आई.यू.पी.ए.सी. नाम लिखिये। इस अभिक्रिया का नाम क्या है?
उत्तर:
इस अभिक्रिया में तीन ऐल्केनों का मिश्रण प्राप्त होता है –
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हैलोएल्केन की क्रिया शुष्क ईथर में सोडियम के साथ करवाने पर उच्च एल्केन बनते हैं जिनमें सम संख्या में कार्बन परमाणु होते हैं। इसे वुटुंज अभिक्रिया या वुज संश्लेषण कहते हैं। इस विधि द्वारा कार्बन श्रृंखला की लम्बाई बढ़ती है।
RBSE Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 13 हाइड्रोकार्बन img 43
मिश्र वुज संश्लेषण (दो भिन्न ऐल्किल हैलाइड लेकर) से विषम संख्या में कार्बन परमाणु युक्त एल्केन भी बनते हैं। इस अभिक्रिया में तीन एल्केनों का मिश्रण प्राप्त होता है।
RBSE Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 13 हाइड्रोकार्बन img 44
वुज अभिक्रिया द्वारा मेथेन नहीं बनाया जा सकता है। यह अभिक्रिया मुक्त मूलक क्रियाविधि एवं आयनिक क्रियाविधि दोनों द्वारा सम्पन्न होती है।
मुक्त मूलक क्रियाविधि
RBSE Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 13 हाइड्रोकार्बन img 44
आयनिक क्रियाविधि ।
RBSE Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 13 हाइड्रोकार्बन img 45
हैलोएल्केन की क्रिया शुष्क ईथर में सोडियम के साथ करवाने पर उच्च एल्केन बनते हैं जिनमें सम संख्या में कार्बन परमाणु होते हैं। इसे वुटुंज अभिक्रिया या वुज संश्लेषण कहते हैं। इस विधि द्वारा कार्बन श्रृंखला की लम्बाई बढ़ती है।

प्रश्न 33.
ऐल्केन किन्हें कहते हैं? ऐल्केनों का सामान्य सूत्र लिखिये और उनके बनाने की चार सामान्य विधियों का वर्णन कीजिये।
उत्तर:

  • ऐल्केन शाखित तथा अशाखित विवृत श्रृंखलायुक्त संतृप्त हाइड्रोकार्बन होते हैं जिनमें केवल कार्बन – कार्बन एकल आबन्ध अर्थात् σ आबन्ध होते हैं।
  • ये रासायनिक अभिकर्मकों के प्रति निष्क्रिय होते हैं अतः इनकी अम्लों (HCl, H2SO4 तथा HNO3), क्षारों (KOH, NaOH) तथा ऑक्सीकारकों (अम्लीय या क्षारीय KMnO4, K2Cr2O7) से कोई क्रिया नहीं होती है। इसी कारण प्रारम्भ में इन्हें पैराफिन कहा जाता था क्योंकि ग्रीक शब्द पैरम का अर्थ है कम तथा ऐफिनिस का अर्थ है क्रियाशीलता अर्थात् ये कम क्रियाशील होते हैं।
  • ऐल्केनों का सामान्य सूत्र CnH2n+2 होता है जहाँ n = 1, 2, 3…. ऐल्केनों को R – H, R – R तथा R – R’ द्वारा भी दर्शाया जा सकता है।
  • ऐल्केनों के अणु असमतलीय या बहुसमतलीय होते हैं क्योंकि इनमें उपस्थित सभी कार्बन परमाणु spसंकरित अवस्था में होते हैं तथा सभी कार्बन परमाणुओं की ज्यामिति चतुष्फलकीय होती है।
  • संयोजकता कोश इलेक्ट्रॉन युग्म प्रतिकर्षण सिद्धान्त के अनुसार मेथेन भी चतुष्फलकीय होती है जिसमें कार्बन परमाणु केन्द्र में तथा हाइड्रोजन परमाणु समचतुष्फलक के चारों कोनों पर स्थित होते हैं।
    RBSE Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 13 हाइड्रोकार्बन img 46
  • ऐल्केनों में बन्ध कोण का मान 109°28′ होता है। अतः कार्बन श्रृंखलाएँ सीधी न होकर टेढ़ी – मेढ़ी होती हैं।
  • ऐल्केनों में चतुष्फलक आपस में जुड़े रहते हैं जिनमें C – C आबन्ध लम्बाई 154pm तथा C – H आबन्ध लम्बाई 112pm होती है।
  • ऐल्केनों में जब एक कार्बन परमाणु अन्य कार्बन परमाणु के साथ sp3 – sp3 अतिव्यापन करता है तो एक σ आबन्ध बनता है, जबकि C – H σ आबन्ध sp3 – s अतिव्यापन द्वारा बनता है।
  • ऐल्केनों में C – C बन्ध ऊर्जा लगभग 83 किलोकैलोरी प्रति मोल तथा C – H बन्ध ऊर्जा लगभग 99 किलोकैलोरी प्रति मोल होती है।
  • ऐल्केन परिवार का प्रथम सदस्य मेथेन (CH4) है तथा इसमें क्रमशः CH2 जोड़ते जाने पर अन्य सदस्यों के सूत्र प्राप्त होते जाते हैं।
  • ऐल्केनों को आबन्ध रेखा सूत्रों द्वारा भी दर्शाया जा सकता है, जैसे –
    RBSE Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 13 हाइड्रोकार्बन img 47
  • मेथेन (CH4) को मार्श गैस, विस्फोटी खनिज गैस तथा फायर डैम्प भी कहा जाता है।
  • द्रवित पेट्रोलियम गैस जो कि मुख्यतः प्रोपेन तथा ब्यूटेन का मिश्रण है, को घरेलू ईंधन के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। यह एक कम प्रदूषण वाला ईंधन है।
  • कैलोर गैस मुख्यतः n – ब्यूटेन तथा आइसोब्यूटेन का मिश्रण है, भी एक ईंधन है।
  • C6 से Cतक के ऐल्केनों का मिश्रण गैसोलीन अथवा पेट्रोल कहलाता है जो कि स्वचालित वाहनों के ईंधन के रूप में प्रयुक्त होता है।
  • संपीड़ित प्राकृतिक गैस भी एक ईंधन है जो प्राकृतिक गैस के द्रवीकरण से प्राप्त होता है। इसे आजकल द्रवित प्राकृतिक गैस भी कहा जाता है।
  • पेट्रोल तथा सी.एन.जी. से चलने वाले स्वचालित वाहनों से प्रदूषण कम होता है।
  • C12 से C16 तक के ऐल्केनों का मिश्रण किरोसिन तेल कहलाता है जिसका उपयोग घरेलू ईंधन के रूप में किया जाता है, लेकिन इससे कुछ प्रदूषण होता है।

ऐल्केनों के बनाने की सामान्य विधियाँ:
ऐल्केनों के मुख्य स्रोत पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस हैं। इनके अतिरिक्त ऐल्केनों को निम्नलिखित विधियों द्वारा बनाया जा सकता है –

  1. असंतृप्त हाइड्रोकार्बनों (एल्कीन तथा एल्काइन) के हाइड्रोजनीकरण द्वारा – सूक्ष्म विभाजित धातु उत्प्रेरक (जैसे – प्लैटिनम, पैलेडियम तथा निकल) की उपस्थिति में ऐल्कीन तथा एल्काइन के साथ हाइड्रोजन गैस के योग से ऐल्केन बनते हैं। इस क्रिया को हाइड्रोजनीकरण कहते हैं। प्लैटिनम तथा पैलेडियम की उपस्थिति में यह अभिक्रिया कमरे के ताप पर ही हो जाती है परन्तु निकल उत्प्रेरक के लिए उच्च ताप तथा दाब की आवश्यकता होती है।
    RBSE Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 13 हाइड्रोकार्बन img 47
    प्रोपेन रेने निकल की उपस्थिति में 473 – 573K ताप पर एल्कीन तथा एल्काइन का हाइड्रोजनीकरण किया जाता है तो इस अभिक्रिया को साबात्ये सेन्डेरेन्स अभिक्रिया कहते हैं।
    नोट – इस अभिक्रिया द्वारा एल्कीनों से मेथेन तथा नियोपेन्टेन एल्काइनों से मेथेन, आइसोब्यूटेन तथा नियोपेन्टेन नहीं बनाए जा सकते हैं।
  2. ऐल्किल हैलाइडों से:
    (i) वुटुंज अभिक्रिया द्वारा – हैलोएल्केन की क्रिया शुष्क ईथर में सोडियम के साथ करवाने पर उच्च एल्केन बनते हैं जिनमें सम संख्या में कार्बन परमाणु होते हैं। इसे वुज अभिक्रिया या वुज संश्लेषण कहते हैं। इस विधि द्वारा कार्बन श्रृंखला की लम्बाई बढ़ती है।
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    मिश्र वुज संश्लेषण (दो भिन्न ऐल्किल हैलाइड लेकर) से विषम संख्या में कार्बन परमाणु युक्त एल्केन भी बनते हैं। इस अभिक्रिया में तीन एल्केनों का मिश्रण प्राप्त होता है।
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    वुटुंज अभिक्रिया द्वारा मेथेन नहीं बनाया जा सकता है। यह अभिक्रिया मुक्त मूलक क्रियाविधि एवं आयनिक क्रियाविधि दोनों द्वारा सम्पन्न होती है।
    मुक्त मूलक क्रियाविधि
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    आयनिक क्रियाविधि
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    (ii) ऐल्किल हैलाइडों के अपचयन द्वारा –
    (a)
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    अपचायक के रूप में निम्नलिखित अभिकर्मकों में से किसी को भी प्रयुक्त किया जा सकता है –
    लीथियम ऐलुमिनियम हाइड्राइड (LiAlH4), सोडियम बोरोहाइड्राइड (NaBH4), Na/एथेनॉल, Zn – Cu युग्म/तनु HCl या C2H5OH, Zn/सान्द्र HCl, Na – Hg (सोडियम अमलगम) अथवा Al – Hg युग्म के साथ जल या ऐल्कोहॉल।
    RBSE Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 13 हाइड्रोकार्बन img 53
    यह अपचयन जिंक धातु द्वारा होता है न कि नवजात हाइड्रोजन द्वारा। जिंक परमाणु से इलेक्ट्रॉनों का स्थानान्तरण ऐल्किल हैलाइड के कार्बन परमाणु पर होता है तथा अम्ल या एथिल ऐल्कोहॉल प्रोटॉन दाता का कार्य करता है।
    ऐल्किल हैलाइडों की अपचयन की सुगमता का क्रम निम्न प्रकार होता है। अतः ऐल्किल फ्लुओराइडों से ऐल्केन बनाना बहुत ही मुश्किल होता है।
    RBSE Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 13 हाइड्रोकार्बन img 54
    (b) ऐल्किल हैलाइड के उत्प्रेरकी हाइड्रोजनीकरण द्वारा
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    (c) लाल फॉस्फोरस तथा HI के मिश्रण द्वारा ऐल्किल आयोडाइड के अपचयन द्वारा (बर्थेलो विधि)
    RBSE Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 13 हाइड्रोकार्बन 56
  3. संतृप्त मोनो कार्बोक्सिलिक अम्लों द्वारा –
    (i) विकार्बोक्सिलीकरण – प्रयोगशाला विधि –
    संतृप्त मोनो कार्बोक्सिलिक अम्लों (वसा अम्लों) के सोडियम लवणों को सोडा लाइम (NaOH + CaO) के साथ गरम करने (शुष्क आसवन) पर ऐल्केन बनते हैं। इस अभिक्रिया में – COOH के स्थान पर हाइड्रोजन परमाणु आ जाता है।
    RBSE Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 13 हाइड्रोकार्बन img 57
    1. इस अभिक्रिया में प्रारम्भिक अम्ल के अणु में उपस्थित कार्बन परमाणुओं की संख्या से एक कार्बन कम युक्त ऐल्केन बनता है क्योंकि कार्बोक्सिलिक अम्ल में से CO2 का एक अणु निकल जाता है। अतः इसे विकार्बोक्सिलीकरण कहते हैं। इसलिए यह अभिक्रिया एक सजातीय श्रेणी में अवरोहण (कार्बन की लम्बाई कम करना) के लिए प्रयुक्त की जाती है।
    2. इस विधि में अनबुझा चूना (CaO) वातावरण की नमी को अवशोषित कर NaOH को गीला होने से रोकता है जिससे काँच के पात्र की NaOH से क्रिया नहीं होती।
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    इसी प्रकार विभिन्न अम्लों के सोडियम लवण लेकर अन्य ऐल्केन बना सकते हैं।
    (ii) कोल्बे की विद्युत अपघटनी विधि – संतृप्त मोनोकार्बोक्सिलिक अम्लों के सोडियम अथवा पोटैशियम लवणों के सान्द्र जलीय विलयन का विद्युत – अपघटन करने पर ऐनोड पर समसंख्या में कार्बनयुक्त उच्चतर ऐल्केन प्राप्त होते हैं।
    RBSE Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 13 हाइड्रोकार्बन img 58
    अभिक्रिया की क्रियाविधि – सोडियम ऐल्केनोएट पहले आयनित होता है फिर समांश विखण्डन अर्थात् मुक्त मूलक क्रियाविधि द्वारा अभिक्रिया सम्पन्न होती है।
    RBSE Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 13 हाइड्रोकार्बन img 59
    विद्युत धारा प्रवाहित करने पर धनायन ऋणाग्र की ओर तथा ऋणायन धनाग्र की ओर गमन करते हैं तथा वहाँ पहुँच कर अपना आवेश मुक्त कर देते हैं।
    ऐनोड पर –
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    कैथोड पर –
    RBSE Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 13 हाइड्रोकार्बन img 61
    इस विधि से मेथेन नहीं बनायी जा सकती है। सोडियम प्रोपिओनेट (C2H5COONa) के सान्द्र जलीय विलयन का विद्युत – अपघटन करने पर n – ब्यूटेन मुख्य उत्पाद के रूप में तथा एथेन, एथिलीन और एथिल प्रोपिओनेट उपजातों (सहउत्पाद) के रूप में बनते हैं।
    नोट – मिश्र वुज अभिक्रिया के समान इस अभिक्रिया में भी दो प्रकार के अम्लों का मिश्रण लेने पर तीन प्रकार के ऐल्केनों का मिश्रण प्राप्त होता है।
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  4. ऐल्कोहॉलों, ऐल्डिहाइडों, कीटोनों तथा कार्बोक्सिलिक अम्लों का लाल फॉस्फोरस तथा HI द्वारा अपचयन से:
    ROH, RCHO, RCOR तथा RCOOH का लाल फॉस्फोरस तथा HI से अपचयन कराने पर ऐल्केन प्राप्त होते हैं। इन अभिक्रियाओं में बनने वाले ऐल्केन में उतने ही कार्बन परमाणु होते हैं जितने कि प्रारम्भिक कार्बनिक यौगिक में होते हैं।
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    RBSE Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 13 हाइड्रोकार्बन img 64
  5. क्लीमेन्सन अपचयन:
    कार्बोनिल यौगिकों का अमलगमित जिंक तथा सान्द्र HCl(Zn/Hg + HCl) के मिश्रण से अपचयन कराने पर ऐल्केन बनते हैं। इस अभिक्रिया को क्लीमेन्सन अपचयन कहते हैं।
    RBSE Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 13 हाइड्रोकार्बन img 65
    यह अभिक्रिया मुख्यतः कीटोनों के लिए प्रयुक्त की जाती है। क्योंकि सान्द्र HCl की उपस्थिति में ऐलिफैटिक ऐल्डिहाइडों का बहुलकीकरण हो जाता है। इस अभिक्रिया से मेथेन, एथेन, आइसोब्यूटेन तथा नियोपेन्टेन नहीं बना सकते हैं क्योंकि इनमें > CH2 समूह नहीं है। जबकि इस अभिक्रिया में कीटोन का > C = O, > CH2 में परिवर्तन होता है।
  6. वोल्फ – किश्नर अपचयन:
    कार्बोनिल यौगिकों की हाइड्रेजीन के साथ अभिक्रिया कराने के पश्चात् C2H5ONaया ऐथिलीन ग्लाइकॉल (विलायक) में सोडियम या पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड के साथ गरम करने पर > C = O समूह – CH2 समूह में बदल जाता है तथा ऐल्केन प्राप्त होते हैं।
    RBSE Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 13 हाइड्रोकार्बन img 66
    इस अभिक्रिया में डाइएथिलीन ग्लाइकॉल (HO – CH2 – CH2O – CH2 – CH2 – OH) तथा KOH लेने पर इसे हुएंगमिनलॉन अभिक्रिया कहते हैं।
  7. ग्रीन्यार अभिकर्मक से:
    (i) हैलोऐल्केन की शुष्क ईथर की उपस्थिति में मैग्नीशियम के साथ अभिक्रिया कराने पर ग्रीन्यार अभिकर्मक (ऐल्किल मैग्नीशियम हैलाइड) बनता है।
    RBSE Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 13 हाइड्रोकार्बन img 67
    क्रियाशील हाइड्रोजन परमाणु युक्त यौगिकों, जैसे H2O, RO – H, NH3, R – NH2, R – COOH, HX, H – C ≡ C – H, C6H5OH, C6H5NH2 इत्यादि की क्रिया ग्रीन्यार अभिकर्मकों से कराने पर ग्रीन्यार अभिकर्मक के एल्किल समूह पर क्रियाशील हाइड्रोजन परमाणु जुड़कर संगत ऐल्केन बनता है।
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    इस विधि द्वारा किसी अणु में उपस्थित क्रियाशील हाइड्रोजन परमाणुओं की संख्या ज्ञात की जाती है तथा इस विधि को क्रियाशील हाइड्रोजन परमाणुओं के आकलन की जेरेविटिनॉफ विधि कहते हैं।
    (ii) उच्च ऐल्केन बनाना – ग्रीन्यार अभिकर्मक की हैलोएल्केन से अभिक्रिया कराने पर उच्च ऐल्केन बनते हैं।
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    मेथेन बनाने की विशिष्ट विधियाँ –
    (i) सीधे संश्लेषण द्वारा
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    (ii) ऐलुमिनियम कार्बाइड से – ऐलुमिनियम कार्बाइड पर तनु HCl की अभिक्रिया से जल – अपघटन द्वारा मेथेन गैस प्राप्त होती है।
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    (iii) सेलुलोस के किण्वन द्वारा
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    (iv) कार्बन डाइसल्फाइड तथा H2S से – CS2 वाष्प तथा H2S के मिश्रण को तप्त कॉपर पर प्रवाहित करने से मेथेन प्राप्त होती है।
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प्रश्न 34.
ब्यूटेन, पेन्टेन और हेक्सेन के समावयवियों के सूत्र और उनके साधारण व आई.यु.पी.ए.सी, नाम का वर्णन लिखिये।
उत्तर:
ऐल्केनों का नामकरण तथा समावयवता:
नामकरण – ऐल्केनों के IUPAC नामकरण में अनुलग्न ऐन (ane) प्रयुक्त किया जाता है तथा इनका नाम कार्बन परमाणुओं की संख्या के आधार पर दिया जाता है। इनके रूढ़ नाम (सामान्य नाम), व्युत्पन्न नाम तथा IUPAC नाम का विस्तृत विवेचन अध्याय 12 में किया जा चुका है। ऐल्केन परिवार के एक से पाँच कार्बन परमाणु तक के सभी सदस्यों के अणु सूत्र, संघनित सूत्र, संरचनात्मक सूत्र, रूढ़ नाम तथा IUPAC नाम निम्न प्रकार होते हैं –
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हेक्सेन (C6H14) के पाँच समावयवी होते हैं जो कि निम्न प्रकार हैं –
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इनमें से संरचना (ii) व (iii) एवं (iv) व (v) आपस में स्थिति (स्थान) समावयवी हैं।
अध्याय 12 में वर्णित IUPAC नाम पद्धति के सामान्य नियमों के आधार पर प्रतिस्थापी ऐल्केनों के नामकरण को निम्नलिखित उदाहरणों द्वारा आसानी से समझा जा सकता है
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नोट – इस उदाहरण में मेथिल की तरफ से अंकन किया गया है। क्योंकि यह कार्बन – 2 पर है जबकि एथिल समूह दाहिनी ओर से कार्बन – 3 पर है, लेकिन इन्हें अंग्रेजी वर्णमाला क्रम में लिखा गया है।
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नोट – इस यौगिक में अंकन दाहिनी ओर से किया गया है क्योंकि कार्बन – 3 पर दो एथिल समूह उपस्थित हैं तथा ऐल्किल मूलकों को अंग्रेजी वर्णमाला क्रम में लिखा गया है।
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नोट – इस यौगिक में पाश्र्व श्रृंखला के प्रतिस्थापियों का भी अंकन किया गया है।
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नोट – इस उदाहरण में अंकन बायीं ओर से किया गया है क्योंकि इस तरफ से एथिल समूह कार्बन – 3 पर है जबकि दायीं ओर से मेथिल समूह कार्बन – 3 पर है अतः अंग्रेजी वर्णमाला क्रम के अनुसार एथिल को प्राथमिकता दी गयी है।
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नोट – अंग्रेजी वर्णमाला क्रम में द्वितीयक का प्रथम अक्षर नहीं देखा जाता है जबकि आइसोप्रोपिल का प्रथम अक्षर देखा जाता है क्योंकि आइसोप्रोपिल को एक शब्द माना जाता है।
समावयवता:
ऐल्केन श्रृंखला स्थिति तथा प्रकाशिक समावयवता दर्शाते हैं। श्रृंखला तथा स्थिति समावयवती संरचनात्मक समावयता के प्रकार हैं, जबकि प्रकाशिक समावयवता त्रिविम समावयवता का प्रकार है।
(i) श्रृंखला समावयवता:
शृंखला समावयवता में कार्बन परमाणुओं का ढांचा भिन्न होता है। अर्थात् इनमें कार्बन परमाणुओं की श्रृंखला में भिन्नता होती है। ब्यूटेन के दो श्रृंखला समावयवी संभव हैं
C4H10
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पेन्टेन (C5H12) के तीन, हेक्सेन (C6H14) के पाँच, हेप्टेन (C7H16) के नौ तथा डेकेनं (C10H22) के 75 समावयवी संभव हैं। इन समावयवियों के क्वथनांक तथा भौतिक गुणधर्म भिन्न होते हैं।
(ii) स्थिति समावयवता: उच्च ऐल्केन स्थिति समावयवता दर्शाते हैं जिनमें ऐल्किल समूह की स्थिति भिन्न होती है।
उदाहरण –
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(iii) प्रकाशिक समावयवती: 3मेथिल हेक्सेन सरलतम एल्केन है जो प्रकाशिक समावयवता दर्शाता है। क्योंकि इसमें असममित कार्बन उपस्थित है।
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प्रश्न 35.
ऐल्केन रासायनिक रूप से निष्क्रिय क्यों होती हैं? ऐल्केनों की सामान्य अभिक्रियाओं का वर्णन कीजिये।
उत्तर:
ऐल्केनों के रासायनिक गुण:
सामान्य परिस्थितियों में ऐल्केनों की सान्द्र अम्लों, क्षारकों, प्रबल ऑक्सीकारकों, जैसे KMnO4, K2Cr2O7 तथा अपचायकों से कोई क्रिया नहीं होती क्योंकि इनमें सभी प्रबल σ आबन्ध होते हैं। अतः ये अत्यधिक स्थायी यौगिक हैं। लेकिन ये विशेष परिस्थितियों में निम्नलिखित अभिक्रियाएं दर्शाते हैं –
(a) प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ:
ऐल्केनों के एक या अधिक हाइड्रोजन परमाणु दूसरे परमाणु या समूह जैसे हैलोजन, नाइट्रोसमूह तथा सल्फोनिक अम्ल समूह द्वारा प्रतिस्थापित हैं तो इन्हें प्रतिस्थापन अभिक्रियाएं कहते हैं।
सामान्यतः ऐल्केनों की प्रतिस्थापन अभिक्रियाएं मुक्तमूलक क्रियाविधि द्वारा सम्पन्न होती हैं तथा इनके हाइड्रोजन परमाणुओं के प्रतिस्थापन की सुगमता का क्रम निम्न प्रकार होता है
तृतीयक H > द्वितीयक H > प्राथमिक H > मेथेन H
(1) हैलोजेनीकरण:
उच्चताप (573 – 773 K) अथवा सूर्य के विसरित प्रकाश या पराबैंगनी विकिरणों या उत्प्रेरकों की उपस्थिति में ऐल्केनों की हैलोजन से क्रिया कराने पर हाइड्रोजन परमाणुओं का प्रतिस्थापन हैलोजन परमाणुओं द्वारा हो जाता है, इस अभिक्रिया को हैलोजनीकरण कहते हैं।
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ऐल्केनों की विभिन्न हैलोजन के साथ अभिक्रिया की क्रियाशीलता का क्रम F2 >>> Cl2 >> Br2 > I2 है तथा ऐल्केनों के हाइड्रोजन के प्रतिस्थापन की दर निम्न प्रकार होती है – 3° > 2° > 1° अतः फ्लुओरीनीकरण तीव्र व अनियंत्रित होता है जबकि आयोडीनीकरण बहुत धीमे होता है। अतः आयोडीनीकरण एक उत्क्रमणीय अभिक्रिया है। इसलिए यह अभिक्रिया ऑक्सीकारक (जैसे HIO3 या HNO3) की उपस्थिति में करवायी जाती है जिससे ये प्राप्त HI से क्रिया करके पुनः I2 दे देते हैं।
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उदाहरण – मेथेन के क्लोरीनीकरण से विभिन्न उत्पाद प्राप्त होते हैं जब क्लोरीन को आधिक्य में लिया जाता है।
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इस अभिक्रिया में मेथेन को आधिक्य में लेने पर क्लोरोमेथेन मुख्य उत्पाद के रूप में प्राप्त होता है।
सूर्य के सीधे प्रकाश में मेथेन की क्लोरीन से अभिक्रिया निम्न प्रकार होती है –
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क्रियाविधि: हैलोजनीकरण अभिक्रिया मुक्त मूलक प्रतिस्थापन क्रियाविधि द्वारा सम्पन्न होती है। इस क्रियाविधि में तीन पद होते हैंश्रृंखला प्रारम्भन पद, श्रृंखला संचरण पद तथा श्रृंखला समापन पद –
(i) प्रारम्भन – इस पद में वायु तथा प्रकाश की उपस्थिति में Cl2 अणु का समांश विखण्डन होकर क्लोरीन मुक्तमूलक बनते हैं।
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(ii) संचरण – क्लोरीन मुक्तमूलक, मेथेन से क्रिया करके उसके C – H बंध को तोड़कर HCl तथा मेथिल मुक्तमूलक बनाते हैं, जिससे अभिक्रिया अग्र दिशा में जाती है।
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मेथिल मुक्त – मूलक क्लोरीन के दूसरे अणु से क्रिया करके CH3 – Cl तथा एक अन्य क्लोरीन मुक्त-मूलक बनाते हैं, जो क्लोरीन अणु के समांश विखण्डन के कारण बनते हैं।
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मेथिल तथा क्लोरीन मुक्त-मूलक, जो उपर्युक्त दो पदों (a) तथा (b) से प्राप्त होते हैं, पुनः व्यवस्थित होकर श्रृंखला अभिक्रिया प्रारम्भ करते हैं। संचरण पद (a) तथा (b) से सीधे ही मुख्य उत्पाद प्राप्त होते हैं। लेकिन अन्य कई संचरण पद भी सम्भव हैं, ऐसे पद निम्नलिखित हैं। जिनसे अधिक हैलोजनयुक्त उत्पाद बनते हैं
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(iii) समापन: अभिकर्मक की समाप्ति तथा विभिन्न पार्श्व अभिक्रियाओं के कारण अभिक्रिया समाप्त हो जाती है।
विभिन्न संभव श्रृंखला समापन पद निम्नलिखित हैं –
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यद्यपि पद (c) में CH3 – Cl एक उत्पाद है, लेकिन इससे मुक्त मूलकों की कमी हो जाती है। मेथेन के क्लोरोनीकरण में एथेन भी एक उपउत्पाद के रूप में प्राप्त होता है, इसकी व्याख्या उपरोक्त क्रियाविधि द्वारा हो जाती है।
एथेन
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प्रोपेन से 2° उत्पाद अधिक बन रहा है क्योंकि 2°H की क्रियाशीलता में 1°H से अधिक है।
आइसोब्यूटेन
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आइसोब्यूटेन में 1° तथा 3° हाइड्रोजन परमाणुओं का अनुपात 9 : 1 है जबकि 1° तथा 3° उत्पादों का अनुपात 2 : 1 है, इससे यह सिद्ध होता है कि 3° हाइड्रोजन की क्रियाशीलता 1° हाइड्रोजन की क्रियाशीलता से बहुत अधिक है।
(2) नाइट्रीकरण:
वाष्प अवस्था में ऐल्केन तथा सान्द्र HNO3 को 400 – 500°C ताप पर गरम करने पर विभिन्न नाइट्रोऐल्केन बनते हैं।
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(3) सल्फोनीकरण: अशाखित तथा निम्न ऐल्केनों में सल्फोनीकरण की अभिक्रिया बहुत धीरे होती है। लेकिन उच्च ऐल्केन एवं शाखित ऐल्केन सधूम सल्फ्यूरिक अम्ल (ओलियम, H2SO4 + SO3 या H2S2O7) से क्रिया करके ऐल्केन सल्फोनिक अम्ल देते हैं।
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(4) क्लोरोसल्फोनीकरण अथवा रीड अभिक्रिया:
पराबैंगनी प्रकाश की उपस्थिति में SO2 (आधिक्य) तथा Cl2 का मिश्रण ऐल्केनों से क्रिया कर ऐल्केनसल्फोनिल क्लोराइड बनाता है, इस क्रिया को रीड अभिक्रिया कहते हैं। यह क्रिया अपमार्जकों के औद्योगिक उत्पादन में प्रयुक्त होती है।
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(b) मेथिलीन समूह (> CH2) का समावेशन: पराबैंगनी प्रकाश की उपस्थिति में ऐल्केन पर डाइएजोमेथेन (CH2N2) अथवा कीटोन (CH2 = C = O) की क्रिया से उच्च ऐल्केन बनते हैं।
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(c) समावयवीकरण: सीधी श्रृंखला युक्त ऐल्केनों (n – ऐल्केन) का उत्प्रेरकों की उपस्थिति में शाखित श्रृंखला वाले ऐल्केनों में परिवर्तन समावयवीकरण कहलाता है। यह अभिक्रिया लगभग 35 वायु. दाब पर AlCl3 तथा HCl की उपस्थिति में करवायी जाती है। AlCl3 तथा HCl के स्थान पर AlBr3 व HBr या Al2(SO4)3 व H2SO4 भी लिया जा सकता है।
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(d) ऐरोमैटीकरण: उच्च तापमान (723 से 873K) पर ऐलुमिना (Al2O3) आधार पर भारी धातुओं (जैसे Cr, Mo, V इत्यादि) के ऑक्साइड उत्प्रेरकों की उपस्थिति में ऐल्केनों को गरम करने से संगत ऐल्कीन बनती है तथा हाइड्रोजन गैस निकलती है।
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एथीन जब ऐल्केनों में छः अथवा अधिक कार्बन परमाणुओं की अशाखित श्रृंखला होती है तो उपर्युक्त अभिक्रिया में उच्च ताप तथा उच्च दाब (10 से 20 वायु.) पर विहाइड्रोजनीकरण द्वारा। चक्रीकरण हो जाता है तथा ऐरोमैटिक यौगिक बनते हैं। इस अभिक्रिया को हाइड्रोसम्भवन अथवा उत्प्रेरकी पुनर्संभवन कहते हैं।
उदाहरण – n – हेक्सेन से बेन्जीन, n – हेप्टेन से टालूईन, n – ऑक्टेन से जाइलीन तथा नोनेन से मेसीटिलीन बनती हैं।
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(e) ताप अपघटन:
उच्च ऐल्केनों को उच्च ताप पर वायु की अनुपस्थिति में गरम करने पर ये निम्न ऐल्केनों तथा ऐल्कीनों में अपघटित हो जाते हैं। ऊष्मा के द्वारा उच्च ऐल्केनों के निम्न हाइड्रोकार्बनों में विखण्डित होने की इस प्रक्रिया को तापअपघटन या भंजन कहते हैं।
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प्रोपीन एथीन मेथेन ताप अपघटन प्रक्रम मुक्त मूलक क्रियाविधि द्वारा सम्पन्न होता है। किरोसीन तेल या पेट्रोल से, तेल गैस या पेट्रोल गैस बनाने में भंजन का सिद्धान्त ही प्रयुक्त होता है, जैसे डोडेकेन (किरोसिन तेल का घटक) को 973K ताप पर Pt, Pd या Ni उत्प्रेरक की उपस्थिति में गरम करने पर हेप्टेन, पेन्टीन तथा अन्य हाइड्रोकार्बनों का मिश्रण प्राप्त होता है।
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(f) दहन: ऐल्केनों को वायु तथा ऑक्सीजन की उपस्थिति में गरम करने पर ये ज्योतिहीन ज्वाला के साथ जलते हैं। तथा पूर्णतः ऑक्सीकृत होकर कार्बन डाइऑक्साइड और जल बनाते हैं। तथा साथ ही अत्यधिक मात्रा में ऊष्मा व प्रकाश उत्सर्जित होती है। इस क्रिया को दहन कहते हैं। दहन का सामान्य समीकरण निम्नलिखित है
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दहन से अधिक मात्रा में ऊष्मा उत्सर्जित होने के कारण ऐल्केनों को ईंधन के रूप में काम में लिया जाता है। ऐल्केनों का अपर्याप्त वायु तथा ऑक्सीजन द्वारा अपूर्ण दहन होने पर कार्बन कज्जल बनता है।
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(g) नियंत्रित ऑक्सीकरण: उच्च दाब पर ऑक्सीजन तथा वायु के प्रवाह में उपयुक्त उत्प्रेरक की उपस्थिति में एल्केनों को गरम करने पर इनके ऑक्सीकरण से विभिन्न उत्पाद प्राप्त होते हैं।
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(h) मेथेन की विशिष्ट अभिक्रियाएँ:
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प्रश्न 36.
रासायनिक समीकरण देते हुए बताइये क्या होता है। जब?

  1. शुष्क सोडियम ऐसीटेट को सोडालाइम के साथ गर्म करते हैं।
  2. ईथर विलयन में मेथिन आयोडाइड की सोडियम से क्रिया करायी जाती है।
  3. पोटेशियम ऐसीटेट के सान्द जलीय विलयन का विद्युत अपघटन करते हैं।
  4. ऐलुमिनियम कार्बाइड जल से अभिक्रिया करता है।

उत्तर:
1. मेथेन बनती है – (विकार्बोक्सिलीकरण) –
कार्बोक्सिलिक अम्लों के सोडियम लवण को सोडालाइम (सोडियम हाइड्रॉक्साइड एवं कैल्सियम ऑक्साइड का मिश्रण) के साथ गरम करने पर कार्बोक्सिलिक अम्ल से एक कम कार्बन परमाणु युक्त ऐल्केन बनता है। इस अभिक्रिया में कार्बोक्सिलिक अम्ल में से कार्बन डाइऑक्साइड निकलती है अतः इसे विकार्बोक्सिलीकरण कहते हैं।
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मेथेन इसी प्रकार विभिन्न अम्ल लेकर अन्य ऐल्केन भी बना सकते हैं।
2. एथेन बनती है –
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3. कार्बोक्सिलिक अम्लों के सोडियम या पोटेशियम लवण के जलीय विलयन में विद्युत प्रवाहित करने पर (विद्युत अपघटन) एनोड पर सम कार्बन परमाणु युक्त ऐल्केन प्राप्त होते हैं। इसे कोल्बे की विद्युत अपघटनी विधि कहते हैं।
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यह अभिक्रिया निम्नलिखित पदों में होती है –
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