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RBSE Solutions for Class 12 Maths Chapter 1 संयुक्त फलत Ex 1.2

RBSE Solutions for Class 12 Maths Chapter 1 संयुक्त फलत Ex 1.2

Rajasthan Board RBSE Class 12 Maths Chapter 1 संयुक्त फलत Ex 1.2

प्रश्न 1.
यदि A = {1, 2, 3, 4}, B = {a, b, c, d} हो, तो A से B में चार एकैकी आच्छादक फलन परिभाषित कीजिये तथा उनके प्रतिलोम फलन भी बताइए।
हल :
दिया है : A = {1, 2, 3, 4}, B = {a, b, c, d}
(a) f1 = {(1, a), (2, b), (3, c), (4, d)}
f1-1 = {(a, 1), (b, 2), (c, 3), (d, 4)}
(b) f2 = {(1, a), (2, c), (3, b), (4, d}}
f2-1 = {(a, 1), (c, 2), (b, 3), (d, 4}}
(c) f3 = {(1, b), (2, a), (3, 4), (4, b)}
f3-1 = {(b, 1), (a, 2), (d, 3), (b, 4)}
(d) f4 = {(1, c), (2, 4), (3, 4), (4, b)}
f4-1 = {(c, 1), (d, 2), (a, 3), (b, 4)}

प्रश्न 2.
यदि f: R → R, f(x) = x³ – 3 हो, तो सिद्ध कीजिए कि f-1 विद्यमान होगा तथा f-1 का सूत्र भी ज्ञात कीजिये। अतः f-1(24) तथा f-1 (5) के मान भी ज्ञात कीजिये।
हल :
दिया गया है,
f: R → R, f(x) = x³ – 3
एकैकी/बहुएकी : माना a, b ∈ R.
∴f(a) = f(b)
∵f(a) = f(b)
a³ – 3 = b³ – 3
a³ = b³
a = b
अतः f(a) = f(b)
⇒ a = b
∴ f एकैकी फलन है।
आच्छादक/अन्तःक्षेपी : माना y ∈ R (सह-प्रान्त)
f(x) = y
⇒ x³ – 3 = y
⇒ x = (y + 3)1/3 ∈ R ∀ y ∈ R
अतः y के प्रत्येक मान के लिए x प्रान्त R में विद्यमान है।
इस प्रकार, F का परिसर = f का सहप्रान्त
अतः f आच्छादक फलन है।
उपरोक्त से स्पष्ट है कि f एकैकी आच्छादक फलन है, इसलिये
f-1, R → R विद्यमान होगा।
f-1 (y) = x
⇒ f(x) = y
⇒ f(x) = x³ – 3
⇒ x³ – 3 = y
⇒ x³ = y +3
⇒ x = (y + 3)1/3
⇒ f-1(y) = (y + 3)1/3
⇒ f-1(x) = (x + 3)1/3 ∀ x ∈ R
x = 24 के लिए,
∴ f-1 (24) = (24 + 3)1/3 = (27)1/3
= 33 x 1/3 = 3
x = 24 के लिए,
f-1 (5)= (5 + 3)1/3 = (8)1/3
= 23 x 1/3 = 2

प्रश्न 3.
यदि f: R → R निम्न प्रकार परिभाषित है :
(i) f(x) = 2 – 3
(ii) f(x) = x3 + 5
तो सिद्ध कीजिये कि दोनों स्थितियों में f एकैकी आच्छादक है। f-1 भी ज्ञात कीजिये।
हल :
दिया गया फलन है,
f: R → R, f(x) = 2x – 3
एकैकी/बहुएकी-माना a, b ∈ R
f(a) = f(b)
⇒ 2a – 3 = 2b – 3
⇒ 2a = 2b
⇒ a = b
अतः f(a) = f(b) ⇒ a = b ∀a, b ∈ R
∴ f एकैकी फलन है।
आच्छादक/अन्तःक्षेपी—माना y ∈ R (सह-प्रान्त)
⇒ f(x) = y
⇒ 2x – 3 = y
⇒ x = y+3/2 ∈ R ∀ y ∈ R
अतः y के प्रत्येक मान के लिए पूर्व प्रतिबिम्ब प्रान्त R में विद्यमान है। इसलिए फलन f आच्छादक फलन है।
उपरोक्त से स्पष्ट है कि f एकैकी आच्छादक फलन है, अत: f-1 : R → R विद्यमान होगा।
माना x ∈ R (f का प्रान्त) तथा y ∈ R (f का सह-प्रान्त)
माना f(x) = y तब f-1(y) = x
⇒ f(x) = y
⇒ 2x – 3 = y ,
⇒ x=y+3/2 ∈ R
⇒ f-1(y) = y+3/2
⇒ f-1(x) = x+3/2 ∀ x ∈ R

(ii) प्रश्नानुसार
f: R → R, f(x) = x³ + 5
एकैकी/बहुएकी : माना a, b ∈ R
f(a) = f(b)
a3 + 5 = b3 + 5
a3 = b3
a = b
अतः f(a) = f(b)
a = b ∀ a, b ∈ R
∴ f एकैकी फलन है।
आच्छादक/अन्तःक्षेपी : माना y ∈ R (सह-प्रान्त)
f(x) = y
x3 + 5 = y
x3 = y – 5
x= (y – 5)1/3 ∈ R ∀ x ∈ R
अत: y के प्रत्येक मान के लिए पूर्व प्रतिबिम्ब प्रान्त R में विद्यमान है। इसलिए F का परिसर = F का सहप्रान्त
अतः फलन f आच्छादक फलन है।
अत: हम कह सकते हैं। f एकैकी आच्छादक फलन है; अतः f-1 : R → R अग्र प्रकार परिभाषित होगा।
f-1 (y) = x ⇔ (x) = y …(i)
⇒ f(x) = y
हल : दिया है, a*b= a + b + 1, ∀ a, b ∈ Z.
क्रम-विनिमेय : a*b = a + b + 1
a*b = b + a + 1
= b*a
∴ a*b = b*a
∴ * संक्रिया क्रम-विनिमेय हैं।
साहचर्य : (a*b)*c= (a + b + 1)*c
= a + b + 1 + c + 1
= a + b + c + 2
पुनः a*(b*c) = a*(b + c + 1)
= a + b + c + 1 + 1
= a + b + c + 2
⇒ a*(b*c) = (a*b)*c
∴* संक्रिया साहचर्य है।
तत्समक: यदि e तत्समक अवयव हो, तो
a*e = a
⇒ a + e + 1 = a
⇒ e = – 1
अत: – 1 ∈ Z तत्समक अवयव है।
प्रतिलोम : माना a का प्रतिलोम x है, तब परिभाषा के अनुसार,
a*= 0 [∵ 0 योग तत्समक हैं]
⇒ a + x + 1 = 0
⇒ x = – (a + 1) ∈ Z
यदि a ≠ – 1
प्रतिलोम अवयव – (a + 1) यदि a ≠ – 1

प्रश्न 4.
समुच्चय R – {1} पर एक द्विचर संक्रिया निम्न प्रकार परिभाषित है : ।
a*b = a + b – ab, ∀ a, b ∈ R – {1}
सिद्ध कीजिये कि * क्रम-विनिमेय तथा साहचर्य है। तत्समक अवयव ज्ञात कीजिये तथा किसी अवयव a का प्रतिलोम भी ज्ञात कीजिये।
हल :
यदि a, b ∈ R – {1} तो परिभाषानुसार,
a*b = a + b – ab
= b + a – ba
= b*a
∴ * एक क्रम-विनिमेय संक्रिया है।
पुनः (a*b)*c = (a + b – ab)*c
= (a + b – ab) + c – (a + b – ab).c
= a + b – ab + c – ac – bc + abc
= a + b + c – ab – bc – ac + abc …(i)
तथा a*(b*c) = a*(b + c – bc)
= a + (b + c – bc) – a.(b + c – bc)
= a + b + c – bc – ab – ac + abc
= a + b + c – ab – bc – ac + abc …(ii)

(i) और (ii) से स्पष्ट है कि
(ab)*c = a*(b*c)
∴ * एक साहचर्य संक्रिया है।
माना * का तत्समक अवयव e हो, तब किसी a ∈ R के लिये
a*e = a (तत्समक की परिभाषा से)
a + e – ae = a
e(1 – a) = 0
e = 0 ∈ R – {1}
1 – a ≠ 0 .
∴* का तत्समक अवयव 0 है।
माना b,a का प्रतिलोम है, तो a*b = e
a + b – ab = 0.e
b + ab = – a
b=a/a1 या a/a1
अत: a का प्रतिलोम है b=a/a1

प्रश्न 5.
समुच्चय R0 में चार फलन निम्न प्रकार परिभाषित है : f1(x) = x, f2(x) = – x, f3(x) = 1/x, f4(x) = – 1/x
फलनों का संयुक्त संक्रिया के लिए f1, f2, f3, f4 की संक्रियता सारणी बनाइये। तत्समक अवयव तथा प्रत्येक अवयव का प्रतिलोम भी ज्ञात कीजिये।
हल :
दिया है, f1(3) = x, f2(x) = – x,

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सारणी से स्पष्ट है कि f1,f2,f3,f4 की तत्समक अवयव f1 है। प्रत्येक अवयव का प्रतिलोम भी स्वयं ही है।

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