UK 10th Social Science

UK Board 10th Class Social Science – (आपदा प्रबन्धन) – Chapter 6 उत्तरदायित्व में भागीदारी : स्थानीय एवं राज्य स्तरीय निकायों की भूमिका

UK Board 10th Class Social Science – (आपदा प्रबन्धन) – Chapter 6 उत्तरदायित्व में भागीदारी : स्थानीय एवं राज्य स्तरीय निकायों की भूमिका

UK Board Solutions for Class 10th Social Science – सामाजिक विज्ञान – (आपदा प्रबन्धन) – Chapter 6 उत्तरदायित्व में भागीदारी : स्थानीय एवं राज्य स्तरीय निकायों की भूमिका

पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
• I. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
प्रश्न 1 – आपदा प्रबन्धन हेतु विभिन्न स्तरों का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर – आपदाओं में राहत एवं बचाव कार्यों के उत्तरदायित्व का निर्वाह प्रक्रियाओं का वर्गीकरण निम्नलिखित स्तरों पर किया जाता
आपदा प्रबन्धन प्रक्रिया के विभिन्न स्तरों का वर्गीकरण
स्तर उत्तरदायित्व
1. राष्ट्रीय गृह मन्त्रालय तथा नोडल मन्त्रालय
2. राज्य राहत और पुनर्वास प्रभाग/आपदा प्रबन्धन विभाग
3. जिला जिला मजिस्ट्रेट
4. विकासखण्ड पंचायत समिति
5. ग्राम ग्रामीण आपदा प्रबन्धन समिति (अन्तरक्षेपण दल)
प्रश्न 2 – आपदा के दौरान केन्द्रीय स्तर पर कौन-से विभाग सक्रिय योगदान प्रदान करते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर — आपदा के दौरान केन्द्र सरकार आपदा राहत कार्यों को विभिन्न मन्त्रालय एवं विभागों द्वारा पूरा करती है । किन्तु प्राकृतिक आपदाओं के प्रबन्धन कार्यों के प्रति देश का गृह मन्त्रालय उत्तरदायी होता है। गृह मन्त्रालय एक नोडल मन्त्रालय है जो अलग-अलग मन्त्रालयों के विभागों से समन्वय स्थापित करके आपदा राहत कार्यों का दायित्व सौंपता है। केन्द्र सरकार के आपदा प्रबन्धन कार्यों के प्रति उत्तरदायी नोडल मन्त्रालय अग्रांकित तालिका में दिए गए हैं-
तालिका 6.1 : केन्द्र सरकार के विभिन्न आपदा प्रबन्धन मन्त्रालय/नोडल मन्त्रालय
क्र०सं० आपदाएँ नोडल मन्त्रालय
1. प्राकृतिक आपदाएँ (सूखे को छोड़कर) गृह मन्त्रालय
2. सूखा कृषि मन्त्रालय
3. हवाई दुर्घटनाएँ नागरिक विमानन मन्त्रालय
4. रेल दुर्घटनाएँ रेल मन्त्रालय
5. रासायनिक आपदाएँ गृह मन्त्रालय
6. जैविक आपदाएँ गृह मन्त्रालय
7. नाभिकीय गृह मन्त्रालय
8. महामारियाँ स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मन्त्रालय
9. चक्रवात एवं भूकम्प आपदा भारतीय मौसम विभाग
10. बाढ़ तबाही केन्द्रीय जल आयोग
11. पुनर्वास एवं निर्माण कार्य भवन एवं सामग्री संवर्धन परिषद्
प्रश्न 3 – संयुक्त राष्ट्र आपदा प्रबन्धन दल (यू०एन०डी०एम०टी०) के कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर— संयुक्त राष्ट्र आपदा प्रबन्धन दल (यूएनडीएमटी) एफएओ, आईएलओ, यूएनडलपी, यूएनसफपीए, यूनएनआईसीईएफ, डब्ल्यूएफसी, और डब्ल्यूएचओ जैसी संयुक्त राष्ट्र की विभिन्न एजेंसियों का संयुक्त मंच है। यूएनडीएमटी का प्रमुख उद्देश्य यूएन प्रणाली द्वारा देशव्यापी त्वरित, प्रभावी और एकजुट तैयारी कर आपदा के समय कार्यवाही सुनिश्चित करना है। उस संस्था के सभी संगठन आपदा प्रबन्धन हेतु तैयारी और कार्यवाही करने के लिए महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों की पहचान करते हैं। यह संस्था बाढ़, चक्रवात एवं सूखे से होने वाली क्षति के विषय में विभिन्न विपक्षीय राजकीय संस्थाओं व गैस – सरकारी संगठनों के साथ सूचना का आदानप्रदान व द्विपक्षीय बैठकों का आयोजन करती है।
प्रश्न 4 – आपदा के दौरान राहत कार्यों में सहयोग करने वाले संगठनों की व्याख्या कीजिए ।
उत्तर- आपदा प्रबन्धन हेतु सामान्य प्रशासन के अतिरिक्त भी अनेक ऐसे संस्थान है जो देश में विभिन्न स्तरों पर आपदा प्रबन्धन में सहयोग प्रदान करते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख संगठन निम्नलिखित हैं—
  1. संयुक्त राष्ट्र आपदा प्रबन्धन दल (यूएनडीएमटी) – यह विभिन्न एजेंसियों का संयुक्त मंच है जो आपदा सम्बन्धी देशव्यापी प्रभावी तैयारी कर उचित समय पर कार्यवाही सुनिश्चित करता है । यह दर बाढ़, चक्रवात एवं सूखे के समय सरकारी व गैर-सरकारी संस्थाओं के साथ सूचनाओं का आदान-प्रदान कर सहयोग देता है।
  2. भारतीय सुरक्षा दल – आपदा के समय परिस्थिति जब नागरिक प्रशासन के नियन्त्रण से बाहर हो जाती है तो यह दल प्रशासन का हर प्रकार से सहयोग करता है। यह सुरक्षा बल अपने उपलब्ध संसाधनों का उपयोग कर प्रत्येक स्तर आपदा प्रबन्धन में महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करता है।
  3. नेशनल कैडेट कोर (एनसीसी) – आपदा प्रबन्धन व आपात स्थितियों में एनसीसी के कैडेट अपने कौशल के अनुरूप त्वरित योगदान करते हैं। विभिन्न आपात स्थितियों में इनके द्वारा सराहनीय राहत कार्यों का संचालन किया जाता है।
  4. नागरिक सुरक्षा – नागरिक सुरक्षा स्वयं सेवक भी आपात स्थितियों व राहत कार्यों में त्वरित योगदान करते हैं। इसके लिए देश में 1957 में राष्ट्रीय नागरिक सुरक्षा महाविद्यालय की स्थापना नागपुर में की गई है। सम्पूर्ण देश में इस दल के स्वयं सेवकों की संख्या लगभग 5 लाख है।
  5. राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) – राष्ट्रीय सेवा योजना के अन्तर्गत समस्त क्रिया-कलाप छात्रों में समाज के प्रति अपना योगदान देने की प्रेरणा देते हैं। इस योजना के फलस्वरूप स्कूल एवं महाविद्यालय के छात्र/छात्राएँ राहत एवं बचाव कार्य में अपना योगदान करते हैं।
  6. नेहरू युवा केन्द्र – मानव संसाधन विकास मन्त्रालय: ‘अन्तर्गत नेहरू युवा केन्द्र संगठन (एनवाइकेएस) का गठन वर्ष 1987 में एक स्वायत्त संगठन के रूप में किया गया है। इस संगठन के सदस्य भी निःस्वार्थ भाव विभिन्न आपत्तियों व आपदाओं के समय अपना सक्रिय योगदान देते हैं।
  7. होमगार्ड्स — इस बल की स्थापना नागरिक अशान्ति, साम्प्रदायिक दंगों व आपातकाल पर नियन्त्रण करने में पुलिस के सहयोग हेतु की गई है। वर्तमान में यह बल पूर्ण तत्परता के साथ अपनी क्षमता के अनुरूप सामाजिक कार्यों में योगदान देता है।
प्रश्न 5–केन्द्र सरकार किस प्रकार से आपदा सहायतार्थ कार्य करती है ?
उत्तर- राष्ट्रीय स्तर पर आपदा प्रबन्धन
भारत में केन्द्र सरकार अपने देश की विभिन्न राज्यों को आपदा के समय वित्तीय सहयोग प्रदान करती है। इस सहायता का निर्धारण केन्द्रीय सरकार निम्नलिखित तथ्यों के आधार पर करती है—
(i) आपदा की गम्भीरता, (ii) राहत कार्य की मात्रा, (iii) राज्य सरकार के पास उपलब्ध वित्तीय संसाधन ।
केन्द्र सरकार, जब किसी राज्य में कोई आपदा उत्पन्न हो जाती है तो कुछ वित्तीय सहयोग प्रदान करती है, जिससे राहत एवं बचाव कार्य तेजी से किया जा सके। राज्य सरकार जो अपने स्तर पर आपदा राहत एवं पुनर्वास कार्य में लगी है वह केन्द्र सरकार को आपदा की गम्भीरता से अवगत कराती है और वित्तीय सहयोग राशि की माँग करती है। केन्द्र सरकार के प्रतिनिधि भी अपने स्तर पर आपदाग्रस्त क्षेत्र का दौरा करते हैं और राज्य सरकार की कार्यक्षमता का आकलन करके सरकार को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करते केन्द्र सरकार इसी आधार पर आपदा हेतु वित्तीय एवं अन्य सहायता राज्य सरकार को भेजती है। अतः केन्द्र सरकार अपने मन्त्रालयों तथा विभिन्न समितियों के समन्वय से आपदा प्रबन्धन कार्यों के लिए प्रयत्नशील रहती है।
प्रश्न 6 – आपदा सहायता जोखिम और राहत कार्यों में राज्य सरकार की भूमिका पर प्रकाश डालिए ।
उत्तर – प्राकृतिक आपदा के समय आपदा राहत कार्यों के संचालन का दायित्व राज्य सरकार का है। राहत कार्यों के लिए राज्य सरकार आवश्यकता के अनुरूप वित्तीय व सामग्री सहायता की माँग केन्द्र सरकार से करती है। प्रत्येक राज्य के मुख्यमन्त्री या मुख्य सचिव की अध्यक्षता में आपदा प्रबन्धन हेतु एक राज्य स्तर की समिति गठित की जाती है। यह समिति राज्य में राहत कार्यों की देखभाल करती है। इस समिति के निर्देशन में राहत आयुक्त, प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में राहत और पुनर्वास कार्यों के संचालक होते हैं, राज्यों में आपदाओं के प्रबन्धन हेतु राज्य आपात योजना व निर्देशिका होती है जो आपदा प्रबन्धनों में मार्गदर्शन करती है।
प्रश्न 7 – आपदा प्रबन्धन सम्बन्धी निम्नलिखित विषयों के बारे में बताइए – 
(क) नागरिक समितियाँ, (ख) नागरिक सुरक्षा, (ग) होमगार्ड्स, (घ) नेहरू युवा केन्द्र, (ङ) सशस्त्र सैन्य बल, (च) जिला एवं स्थानीय प्रशासन ।
उत्तर- (क) नागरिक समितियाँ- आपदा एवं राहत कार्यों को व्यवस्थित रूप से चलाने के लिए स्थानीय नागरिकों का सहयोग आवश्यक होता है। उसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु गाँव एवं शहर स्तर की नागरिक समितियों का गठन किया जाता है तथा इन्हें विभिन्न आपदाओं से निपटने हेतु नियमित अन्तरालों पर पूर्वाभ्यास कराया जाता है।
(ख) नागरिक सुरक्षा – शत्रु आक्रमणों से नागरिकों की जीवन एवं सम्पदा की सुरक्षा हेतु नागरिक सुरक्षा दल का गठन किया जाता है। इस दल के सदस्यों को नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवक के रूप में जाना जाता है। यह सुरक्षा दल आपात काल में भी त्वरित योगदान देता है।
(ग) होमगार्ड्स – इस बल की स्थापना देश के आन्तरिक दंगों व आपातकाल में पुलिस के सहयोग हेतु की गई है। यह बल अनिवार्य सेवाओं को बनाए रखने में मदद करता है तथा हवाई हमला, आग लगना, चक्रवात, भूकम्प, महामारी आदि में समुदाय की सहायता करता है।
(घ) नेहरू युवा केन्द्र – ग्रामीण युवाओं को राष्ट्र निर्माण की गतिविधियों सम्मिलित करने तथा उनके व्यक्तित्व एवं कौशल के विकास में वृद्धि करने के उद्देश्य से नेहरू युवा केन्द्रों का गठन किया गया है । इस योजना को भारत की स्वतन्त्रता की रजत जयन्ती समारोह अवसर पर वर्ष 1972 में प्रारम्भ किया गया था। 1987 में मानव संसाधन विकास मन्त्रालय के अन्तर्गत नेहरू युवा केन्द्र संगठन (एनवाइकेएस) का गठन किया गया है। यह एक स्वायत्त संगठन है जो निःस्वार्थ भाव से विभिन्न आपत्तियों व आपदाओं के समय अपना सहयोग देता है।
(ङ) सशस्त्र सैन्यबल – इसका गठन शत्रु देशों की कार्यवाहियों से राष्ट्र की सुरक्षा करने और परिस्थितियों के नागरिक प्रशासन के नियन्त्रण से बाहर होने पर प्रशासन के सहयोग के लिए किया गया है। यह बल आपात सहायता कार्यों में अपने उपलब्ध संसाधनों एवं क्षमताओं के आधार पर उल्लेखनीय सहयोग प्रदान करता है।
(च) जिला एवं स्थानीय प्रशासन – जिला, खण्ड एवं गाँव आदि स्थानीय प्रशासन के अन्तर्गत आते हैं। जिला स्तर पर जिलाधिकारी तमाम स्थानीय प्रशासन और आपातकाल में सहायता के प्रति उत्तरदायी होता है।’ जो अन्य विभागों अधिकारियों के समन्वय से विभिन्न समितियों का गठन करके सहायता एवं सहयोग के लिए तत्पर रहते हैं । खण्ड स्तर पर विकास अधिकारी एवं गाँव स्तर पर गाँव मुखिया जिला अधिकारी के नियन्त्रण में ही कार्य करते हैं।
प्रश्न 8 – आपदा प्रबन्धन समिति क्या है?
उत्तर— आपदा प्रबन्धन से जुड़े विभिन्न पक्षों को योजनाबद्ध ढंग से लागू करने वाली समिति आपदा प्रबन्धन समिति कहलाती है। यह समिति, व गाँव, शहर विकास खण्ड, जिला, राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर गठित होती है। इस समिति का मुख्य कार्य आपातकाल से पूर्व, आपातकाल के दौरान और आपातकाल के पश्चात् प्रभावित समूह की सहायता करना प्रशिक्षण प्रदान करना और जनसामान्य को जागरूक करना है। केन्द्रीय स्तर पर आपदा प्रबन्धन के लिए निम्नलिखित चार समितियाँ गठित की जाती हैं-
  1. प्रधानमन्त्री की अध्यक्षता में केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल के समस्त सदस्यगण,
  2. प्रधानमन्त्री की अध्यक्षता में सम्बन्धित विभागों के मन्त्रियों का दल,
  3. मन्त्रिमण्डल सचिव की अध्यक्षता में राष्ट्रीय संकट प्रबन्धन समिति (एनसीएमसी),
  4. मुख्यमन्त्री या मुख्य सचिव की अध्यक्षता में ‘आपदा प्रबन्धन’ हेतु राज्य स्तरीय समिति ।
प्रश्न 9 – नेतृत्व क्या है?
उत्तर – किसी भी समूह, समुदाय या दल का उचित उद्देश्य के लिए किया गया मार्गदर्शन नेतृत्व कहलाता है। यह गुण कुछ विशिष्ट व्यक्तियों में होता है जो समूह को प्रजातान्त्रिक आधार पर साथ लेकर चलने की क्षमता रखते हैं।
प्रश्न 10 – राहत प्रतिवाद से क्या तात्पर्य है? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर- आपदा के बाद राहत कार्यों को व्यवस्थित ढंग से पूरा करने के लिए बनाई गई योजना राहत प्रतिवादन कहलाती है। इसमें राज्य आपदा स्थिति के आधार पर नीति निर्धारण करना, आवश्यक संसाधनों का आवंटन, व्यय हेतु बजट की व्यवस्था, राहत गतिविधियों को क्रमबद्ध करना एवं आपदा न्यूनीकरण और प्रबन्धन केन्द्र के माध्यम से आपदा प्रबन्धन तन्त्र का अनुश्रवण करना आदि पक्षों को सम्मिलित किया जाता है।
प्रश्न 11 – राज्य आपातकालीन परिचालन समूह के कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर— राज्य आपातकालीन परिचालन समूह के मुख्य कार्य अग्रलिखित हैं—
  1. भारत सरकार के राहत प्रतिवादन तन्त्र से समन्वय स्थापित करके राज्य में राहत कार्यों को प्रारम्भ करना।
  2. आपदा के दौरान किए गए कार्यों की समीक्षा, मूल्यांकन एवं राहत सामग्री का वितरण सुनिश्चित करना।
  3. आपदा के पूर्व, दौरान व पश्चात् होने वाले कार्यों का चिह्नीकरण विभिन्न संस्थाओं, व्यक्तियों के मध्य दायित्वों का उचित आवंटन करना।
  4. आपदा के दौरान समयबद्ध व सर्वोच्च स्तर की कार्यक्षमता को सुनिश्चित करना ।
  5. प्रशासनिक तन्त्र के मनोबल व आत्मविश्वास में वृद्धि हेतु सशक्त एवं क्रियात्मक प्रतिवादन ढाँचा उपलब्ध कराना।
  6. समस्त प्रतिवादन करने वाले समूहों के मध्य समन्वय स्थापित करना।
प्रश्न 12- आपदा प्रतिवादन स्तर का निर्धारण कैसे किया जाता है ? प्रतिवादन स्तर के विभिन्न चरणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर— आपदा की स्थिति में राहत की आवश्यकता के आधार पर आपदा प्रतिवादन स्तर का निर्धारण किया जाता है। इसके निर्धारण हेतु क्षति की गम्भीरता व अपेक्षित हानि, क्षति का प्रभाव व विस्तार क्षति का भौगोलिक एवं फलकन विस्तार आदि का आकलन मुख्य आधार है।
आपदा प्रतिवादन स्तर के मुख्य चरण निम्नलिखित हैं-
स्तर विवरण
L0 — शून्य आपदा की स्थिति इस स्तर पर निगरानी, तैयारी एवं न्यूनीकरण जैसी गतिविधियाँ केन्द्रित होती हैं।
L1 — जनपद स्तरीय आपदा वह स्थिति जिसके निवारण हेतु जिला प्रशासन सक्षम होता है।
L2 — राज्य स्तरीय आपदा वह स्थिति जिसके निवारण हेतु उत्तराखण्ड सरकार सक्षम होती है।
L3 — राष्ट्र स्तरीय आपदा इस स्थिति में भारत सरकार का अविलम्ब सहयोग आवश्यक होता है।

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