UK Board 10th Class Social Science – (राजनीति विज्ञान) – Chapter 2 संघवाद
UK Board 10th Class Social Science – (राजनीति विज्ञान) – Chapter 2 संघवाद
UK Board Solutions for Class 10th Social Science – सामाजिक विज्ञान – (राजनीति विज्ञान) – Chapter 2 संघवाद
पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1 – भारत के खाली राजनीतिक नक्शे पर इन राज्यों की उपस्थिति दर्शाएँ – मणिपुर, सिक्किम, छत्तीसगढ़ तथा गोवा ।
उत्तर— भारत का नक्शा
प्रश्न 2–विश्व के खाली राजनीतिक मानचित्र पर भारत के अलावा संघीय शासन वाले तीन देशों की अवस्थिति बताएँ तथा नक्शे को रंग से भरें।
उत्तर— प्रमुख तीन संघीय देश – संयुक्त राज्य अमेरिका. स्विट्जरलैण्ड तथा बेल्जियम हैं।
(नोट – रंग भरने का कार्य विद्यार्थी स्वयं करें।)
विश्व का नक्शा
प्रश्न 3 – भारत की संघीय व्यवस्था में बेल्जियम से मिलती-जुलती एक विशेषता तथा उससे अलग एक विशेषता को बताएँ ।
उत्तर — (I) मिलती-जुलती (सामान्य) विशेषता – भारत तथा | बेल्जियम दोनों ही देशों में संघीय लोकतन्त्र की व्यवस्था को अपनाया गया | है। लिखित तथा कठोर संविधान द्वारा शासन की शक्तियों को केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकारों में विभाजित कर दिया गया है।
(II) पृथक् विशेषता – भारतीय संघीय व्यवस्था में सभी राज्यों (संघीय इकाइयों) की समान स्थिति नहीं है। जम्मू-कश्मीर राज्य को अन्य | राज्यों की तुलना में अधिक शक्तियाँ प्रदान की गई हैं। जम्मू-कश्मीर का पृथक् संविधान भी अस्तित्व में है जबकि दूसरे राज्यों को यह अधिकार | प्रदान नहीं किया गया है। परन्तु बेल्जियम में सभी राज्यों की स्थिति एवं शक्तियाँ समान हैं।
प्रश्न 4 – शासन के संघीय और एकात्मक स्वरूपों में क्या-क्या प्रमुख अन्तर है ? इसे उदाहरणों के माध्यम से स्पष्ट करें।
उत्तर- शासन के संघात्मक तथा एकात्मक स्वरूप में अन्तर
शासन के संघात्मक तथा एकात्मक स्वरूप में निहित अन्तर को निम्न प्रकार व्यक्त किया जा सकता है—
- संघात्मक शासन में दोहरी शासन व्यवस्था होती है— एक केन्द्र स्तर पर तथा दूसरी राज्य स्तर पर। जबकि एकात्मक शासन में सम्पूर्ण शक्तियाँ केन्द्र में निहित होती हैं। प्रान्तों की शासन व्यवस्था केन्द्र के अधीन होती है। संघात्मक व्यवस्था में शक्तियाँ केन्द्र तथा राज्यों में विभाजित होती हैं। अमेरिका बेल्जियम तथा भारत में संघीय व्यवस्था है। भारत में 28 राज्य , हैं जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका में राज्यों की संख्या 50 है। ब्रिटेन तथा श्रीलंका में एकात्मक सरकारें हैं।
- संघात्मक शासन व्यवस्था में लिखित तथा कठोर संविधान का होना अत्यावश्यक है, जैसा कि अमेरिका का संविधान हैं। जबकि एकात्मक शासन के लिए यह अनिवार्य शर्त नहीं है। ब्रिटेन में अलिखित तथा लचीला संविधान पाया जाता है।
- संघात्मक शासन व्यवस्था में दोहरा संविधान तथा दोहरी नागरिकता का प्रावधान होता है। परन्तु भारत में संघीय शासन व्यवस्था के होने के बावजूद भी इकहरी नागरिकता तथा इकहरा संविधान है। एकात्मक शासन में इकहरी नागरिकता तथा इकहरा संविधान होता है।
- संघात्मक शासन व्यवस्था में न्यायपालिका का स्वतन्त्र तथा निष्पक्ष होना अत्यावश्यक है जबकि एकात्मक शासन के लिए यह आवश्यक नहीं है।
प्रश्न 5- 1992 के संविधान के पहले तथा बाद के स्थानीय शासन के दो महत्त्वपूर्ण अन्तरों को बताएँ ।
उत्तर – 1992 के संविधान के पहले तथा बाद के स्थानीय शासन दो अन्तर निम्नलिखित हैं-
- 1992 से पूर्व स्थानीय शासन पूर्ण रूप से राज्य सरकारों के नियन्त्रण में था। उनकी मात्र कानूनी स्थिति थी। परन्तु अब स्थानीय शासन को संवैधानिक स्तर प्राप्त है। पहले राज्य सरकार स्थानीय निकायों का चुनाव ठीक समय पर नियमित रूप से नहीं कराती थी परन्तु अब इन निकायों के चुनाव ठीक समय पर नियमित रूप से कराना राज्य सरकारों के लिए अनिवार्य है।
- 1992 से पूर्व स्थानीय स्वशासन की संस्थाओं में महिलाओं के लिए स्थानों का आरक्षण नहीं था परन्तु अब इन निकायों में महिलाओं के लिए एक-तिहाई स्थानों को आरक्षित कर दिया गया है।
प्रश्न 6 – रिक्त स्थानों को भरें-
चूँकि अमेरिका¨¨¨¨तरह का संघ है इसलिए वहाँ सभी इकाइयों को समान अधिकार है। संघीय सरकार के मुकाबले प्रान्त¨¨¨¨हैं। लेकिन भारत की संघीय प्रणाली ¨¨¨¨की है और यहाँ कुछ राज्यों को औरों से ज्यादा शक्तियाँ प्राप्त हैं।
उत्तर- चूँकि अमेरिका आदर्श एवं मजबूत तरह का संघ है इसलिए वहाँ सभी इकाइयों को समान अधिकार है। संघीय सरकार के मुकाबले प्रान्त शक्तिशाली हैं। लेकिन भारत की संघीय प्रणाली अर्द्धसंघीय प्रकृति की है और यहाँ कुछ राज्यों को औरों से ज्यादा शक्तियाँ प्राप्त हैं।
प्रश्न 7 – भारत की भाषा नीति पर नीचे तीन प्रक्रियाएँ दी गई हैं। इनमें से आप किसे ठीक समझते हैं, उनके पक्ष में तर्क और उदाहरण दें।
संगीता – प्रमुख भाषाओं को समाहित करने की नीति ने राष्ट्रीय एकता को मजबूत किया है।
अरमान – भाषा के आधार पर राज्यों के गठन ने हमें बाँट दिया है। हम इसी कारण अपनी भाषा के प्रति सचेत हो गए हैं।
हरीश- इस नीति ने अन्य भाषाओं के ऊपर अंग्रेजी के प्रभुत्व को मजबूत करने भर का काम किया है।
उत्तर – संगीता का यह कथन उपयुक्त प्रतीत होता है क्योंकि संविधान द्वारा सभी भाषाओं को मान्यता प्रदान करने से हमारे देश में राष्ट्रीय एकता तथा अखण्डता और भी सुदृढ़ हो गई है। भाषा एवं संस्कृति का अधिकार प्रदान करने से व्यक्ति की आत्म सन्तुष्टि होती है। व्यक्ति में राष्ट्रीय भावों का संचार होता है।
भाषा नीति के प्रति अरमान द्वारा व्यक्त की गई प्रतिक्रिया से हम असहमत हैं क्योंकि भाषा व्यक्तियों तथा राष्ट्रों का विभाजन नहीं करती है बल्कि उन्हें एकता के सूत्र में बाँधने का प्रयास करती है। भारत की भाषायी तथा सांस्कृतिक एकता के पीछे सभी भाषाओं के प्रति सम्मान व्यक्त करने की भावना है। भारत बहुभाषी देश है; अतः प्रत्येक नागरिक को अपनी भाषा बोलने तथा उसका प्रयोग करने से प्रसन्नता का अनुभव होता है।
भारत की भाषा नीति अंग्रेजी भाषा को प्रोत्साहित नहीं करती है। यह भाषा बहुत कम भारतीयों द्वारा बोली तथा समझी जाती है। भारत में किसी भी भाषा को दूसरी भाषा के ऊपर थोपा नहीं गया है। लोकतन्त्र में सभी व्यक्तियों को स्वेच्छा से किसी भी भाषा को अपनाने का अधिकार होता है। अतः हरीश की प्रतिक्रिया से भी हम असहमत हैं।
प्रश्न 8 – संघीय सरकार की एक विशिष्टता है-
(क) राष्ट्रीय सरकार अपने कुछ अधिकार प्रान्तीय सरकारों को देती है।
(ख) अधिकार विधायिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका के बीच बँट जाते हैं।
(ग) निर्वाचित पदाधिकारी ही सरकार में सर्वोच्च ताकत का उपयोग करते हैं।
(घ) सरकार की शक्ति शासन के विभिन्न स्तरों के बीच बॅट जाती है।
उत्तर- (घ) सरकार की शक्ति शासन विभिन्न स्तरों के बीच बँट जाती है।
प्रश्न 9 – भारतीय संविधान की विभिन्न सूचियों में दर्ज कुछ विषय यहाँ दिए गए हैं। इन्हें नीचे दी गई तालिका में संघीय सूची, राज्य सूची तथा समवर्ती सूची वाले समूहों में लिखें—
(क) रक्षा, (ख) पुलिस, (ग) कृषि, (घ) शिक्षा, (ङ) बैंकिंग, (च) वन, (छ) संचार, (ज) व्यापार, (झ) विवाह ।
संघीय सूची | |
राज्य सूची | |
समवर्ती सूची |
उत्तर-
संघीय सूची | रक्षा, संचार, बैंकिंग, |
राज्य सूची | पुलिस, कृषि, व्यापार, |
समवर्ती सूची | शिक्षा, वन, विवाह । |
प्रश्न 10 – नीचे भारत में शासन के विभिन्न स्तरों तथा कानून बनाने के अधिकार क्षेत्र के जोड़े दिए गए हैं। इनमें से कौन-सा जोड़ा सही मेल वाला नहीं है-
(क) राज्य सरकार | राज्य सूची |
(ख) केन्द्र सरकार | संघीय सूची |
(ग) केन्द्र तथा राज्य सरकार | समवर्ती सूची |
(घ) स्थानीय सरकार | अवशिष्ट अधिकार । |
उत्तर – अन्तिम युग्म अर्थात् (घ) में मिलान ठीक नहीं है। संघीय शासन व्यवस्था में अविशिष्ट शक्तियाँ (अधिकार) केन्द्र अथवा राज्यों को प्रदान किए जाते हैं। स्थानीय सरकार को अविशिष्ट शक्तियाँ प्रदान नहीं की जाती हैं।
प्रश्न 11 – सूची I तथा सूची II में मेल ढूँढे तथा नीचे दिए गए कोड के आधार पर सही उत्तर चुनें-
सूची I | सूची II |
1. भारतीय संघ | (अ) प्रधानमन्त्री |
2. राज्य | (ब) सरपंच |
3. नगर निगम | (स) राज्यपाल |
4. ग्राम पंचायत | (द) मेयर |
1 | 2 | 3 | 4 | |
(सा) | द | अ | ब | स |
(रे) | ब | स | द | अ |
(ग) | अ | स | द | ब |
(म) | स | द | अ | ब |
उत्तर- सूची I तथा सूची II का सही मिलान निम्नवत् है-
सूची I | सूची II |
1. भारतीय संघ | (अ) प्रधानमन्त्री |
2. राज्य | (ब) राज्यपाल |
3. नगर निगम | (स) मेयर |
4. ग्राम पंचायत | (द) सरपंच |
अत: सही उत्तर निम्नवत् है-
(ग) | अ | स | द | ब |
प्रश्न 12 – इन बयानों पर गौर करें-
(अ) संघीय व्यवस्था में संघ तथा प्रान्तीय सरकारों के अधिकार स्पष्ट रूप से तय होते हैं।
(ब) भारत एक संघ है क्योंकि केन्द्र तथा राज्य सरकारों के अधिकार संविधान में स्पष्ट रूप से दर्ज हैं तथा अपने विषयों पर उनका स्पष्ट अधिकार है।
(स) श्रीलंका में संघीय व्यवस्था है क्योंकि उसे प्रान्तों में बाँट दिया गया है।
(द) भारत में संघीय व्यवस्था नहीं रही क्योंकि राज्यों के अधिकार स्थानीय शासन की इकाइयों में बाँट दिए गए हैं।
ऊपर दिए गए बयानों में कौन-कौन सही है-
(सा) अ, ब और स
(रे) अ, स और द
(ग) अ और ब
(मा) ब और स।
उत्तर- उपर्युक्त बयानों पर गौर करने के उपरान्त हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि इन बयानों में केवल अ और ब ही ठीक हैं। अतः (ग) अ और ब बयान ठीक है।
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
• विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1 – उन कारकों की विवेचना कीजिए जो भारत में संघात्मक शासन व्यवस्था के लिए उत्तरदायी हैं?
उत्तर— संघात्मक शासन व्यवस्था के लिए उत्तरदायी कारक
संघात्मक शासन-व्यवस्था के लिए उत्तरदायी प्रमुख कारक निम्नवत् है-
- सांस्कृतिक एकरूपता स्थापित करना – भारत विविधताओं से परिपूर्ण देश है। इसमें विभिन्न भाषा-भाषी, जातियों, धर्मों तथा वर्गों के लोग निवास करते हैं। अतः राष्ट्र की एकता तथा अखण्डता के लिए विभिन्नता में एकता स्थापित करना अत्यावश्यक है। इस कार्य को संघात्मक शासन व्यवस्था के माध्यम से सुगमता से किया जा सकता है।
- प्रशासनिक व्यवस्था का सफल संचालन – भारत क्षेत्रफल | तथा जनसंख्या के दृष्टिकोण से बड़ा राष्ट्र है। अतः बड़े राष्ट्र का शासन तथा | प्रशासन केन्द्रीय सरकार द्वारा संचालित करना बहुत कठिन है। अत: सम्पूर्ण देश को विभिन्न राज्यों में विभाजित कर दिया गया है जिससे स्थान विशेष की समस्याओं का समाधान राज्य सरकारें आसानी से कर सकती हैं। इससे प्रशासन में कार्यकुशलता उत्पन्न होती है। राष्ट्रीय महत्त्व के विषय केन्द्र के पास रहते हैं तथा स्थानीय महत्त्व के विषयों को राज्यों को प्रदान कर दिया जाता है।
- राष्ट्रीय एकता तथा स्थानीय स्वतन्त्रता में समन्वय – संघात्मक शासन व्यवस्था में राष्ट्रीय एकता स्थापित होती है। संविधान में ऐसे प्रावधान किए गए हैं जिससे संकट के समय संघात्मक ढाँचा शक्तिशाली एकात्मक शासन का रूप ग्रहण कर लेता है जबकि सामान्य परिस्थितियों में राज्यों की स्वतन्त्रता तथा स्वायत्तता बनी रहती है।
- केन्द्र सरकार की निरंकुशता पर नियन्त्रण – एकात्मक शासन व्यवस्था में शासन की सम्पूर्ण शक्ति केन्द्रीय सरकार में निहित होने में कारण निरंकुशता की सम्भावनाएँ उत्पन्न हो सकती हैं। परन्तु संघात्मक शासन व्यवस्था में शक्तियों का केन्द्र तथा राज्यों में विभाजन हो जाने के कारण निरंकुशता की स्थिति समाप्त हो जाती है।
- आर्थिक एवं सामाजिक विकास – संघात्मक शासन व्यवस्था कुछ में आर्थिक तथा सामाजिक विकास की गति तीव्र हो जाती है। राज्य अपने आर्थिक विकास के लिए योजनाएँ बनाते हैं तथा केन्द्र सरकार आर्थिक सहायता प्रदान करके योजनाओं को सफल बनाने में सहायक सिद्ध होती है। संघीय शासन छोटे राज्यों को सुरक्षा प्रदान करने के साथ-साथ उनकी अर्थव्यवस्था को भी सफल बनाता है। आर्थिक विकास के राज्यों को विदेशों पर निर्भर होना नहीं पड़ता है।
प्रश्न 2 – भारत की संघीय व्यवस्था में राज्यों की तुलना में केन्द्र को अधिक शक्तिशाली क्यों बनाया गया है? विवेचना कीजिए।
उत्तर- केन्द्र को अधिक शक्तिशाली बनाने के कारण
- स्वतन्त्रता प्राप्ति के उपरान्त भारत में जिस संघीय व्यवस्था को अपनाया गया है, वह ब्रिटिश शासन व्यवस्था में अपनाई गई व्यवस्था क ही प्रतिरूप है। ब्रिटिश शासन व्यवस्था में भारत में केन्द्र के पास अधिक शक्तियाँ थीं तथा उनका अनुसरण करने में भारतीयों को कभी कोई आपत्ति नहीं हुई।
- भारत की एकता तथा अखण्डता को बनाए रखने के लिए भी शक्तिशाली केन्द्र की आवश्यकता को महसूस किया । संविधान के निर्माताओं ने विगत अनुभव के आधार पर राज्यों को केन्द्र की तुलना में कम अधिकार प्रदान किए।
- आर्थिक विकास के दृष्टिकोण से भी केन्द्र को शक्तिशाली बनाया गया। ग्रामीण विकास को नई दिशा प्रदान करने में केन्द्र की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
- सामाजिक तथा आर्थिक परिवर्तन के कारण भी सभी संघीय राज्यों में केन्द्र की शक्तियाँ बँटती जा रही हैं। कल्याणकारी योजनाओं के निर्माण तथा आर्थिक संकट तथा युद्धों के भय को समाप्त करने में राज्यों की अपेक्षा केन्द्र की भूमिका अधिक महत्त्वपूर्ण है; अतः केन्द्र को शक्तिशाली बनाना अपरिहार्य है।
- भारत के राजनीतिज्ञों तथा विधिवेत्ताओं ने यह भी महसूस किया कि यदि केन्द्र को शक्तिशाली न बनाया गया तो राज्य आपस में मिलकर केन्द्र के विरुद्ध कोई भी षड्यन्त्र रच सकते हैं अथवा किसी विदेशी राष्ट्र को देश के आन्तरिक मामलों में हस्तक्षेप करने में सहायता प्रदान कर सकते हैं।
प्रश्न 3 – संविधान की संघीय व्यवस्था क्या है? इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए ।
अथवा भारतीय संघवाद की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
अथवा संघवाद क्या है? संघवाद की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं? भारत का उदाहरण देते हुए समझाइए ।
अथवा संघीय शासन व्यवस्था की किन्हीं चार विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर — संघवाद — संघवाद संवैधानिक राज संचालन की उस प्रवृत्ति का प्रारूप है, जिसके अन्तर्गत विभिन्न राज्य एक संविदा द्वारा एक संघ की स्थापना करते हैं। इस संविदा के अनुसार एक संघीय सरकार एवं अनेक राज्य सरकारें संघ की विभिन्न इकाइयाँ हो जाती हैं।
संविधान की संघीय व्यवस्था
- स्वतन्त्रता प्राप्ति के उपरान्त भारत में जिस संघीय व्यवस्था को अपनाया गया है, वह ब्रिटिश शासन व्यवस्था में अपनाई गई व्यवस्था का ही प्रतिरूप है। ब्रिटिश शासन व्यवस्था में भारत में केन्द्र के पास अधिक शक्तियाँ थीं तथा उनका अनुसरण करने में भारतीयों को कभी कोई आपत्ति नहीं हुई।
- भारत की एकता तथा अखण्डता को बनाए रखने के लिए भी शक्तिशाली केन्द्र की आवश्यकता को महसूस किया गया। संविधान के निर्माताओं ने विगत अनुभव के आधार पर राज्यों को केन्द्र की तुलना में कम अधिकार प्रदान किए।
- आर्थिक विकास के दृष्टिकोण से भी केन्द्र को शक्तिशाली बनाया गया। ग्रामीण विकास को नई दिशा प्रदान करने में केन्द्र की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
- सामाजिक तथा आर्थिक परिवर्तन के कारण भी सभी संघीय राज्यों में केन्द्र की शक्तियाँ बँटती जा रही हैं। कल्याणकारी योजनाओं के निर्माण तथा आर्थिक संकट एवं युद्धों के भय को समाप्त करने में राज्यों की अपेक्षा केन्द्र की भूमिका अधिक महत्त्वपूर्ण है; अतः केन्द्र को शक्तिशाली बनाना अपरिहार्य है।
- भारत के राजनीतिज्ञों तथा विधिवेत्ताओं ने यह भी महसूस किया कि यदि केन्द्र को शक्तिशाली न बनाया गया तो राज्य आपस में मिलकर केन्द्र के विरुद्ध कोई भी षड्यन्त्र रच सकते हैं अथवा किसी विदेशी राष्ट्र को देश के आन्तरिक मामलों में हस्तक्षेप करने में सहायता प्रदान कर सकते हैं।
भारतीय संघवाद की प्रमुख विशेषताएँ
- लिखित एवं कठोर संविधान – भारतीय संविधान लिखित संविधान है। इसमें 395 अनुच्छेद हैं। इसका निर्माण संविधान सभा द्वारा किया गया था। संविधान कठोर है क्योंकि इसका संशोधन विशिष्ट प्रक्रिया द्वारा किया जाता है। संविधान संशोधन में केन्द्र तथा राज्य दोनों की समान भूमिका है।
- शक्तियों का विभाजन — संविधान द्वारा केन्द्र तथा राज्यों में शक्तियों का विभाजन किया गया है। इस सम्बन्ध में तीन सूचियों – केन्द्र सूची, राज्य सूची तथा समवर्ती सूची का निर्माण किया गया है। अविशिष्ट शक्तियाँ केन्द्र को प्रदान की गई हैं।
- स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष न्यायपालिका – शक्तियों के विभाजन को बनाए रखने तथा संविधान की रक्षा करने के उद्देश्य से स्वतन्त्र, सर्वोच्च तथा निष्पक्ष न्यायपालिका की भी व्यवस्था की गई है।
- एकात्मकता की ओर झुकी हुई संघात्मक व्यवस्था – भारतीय संघवाद की यह प्रमुख विशेषता है कि यह एकात्मकता की ओर झुकी है। इसलिए कुछ विद्वानों ने इसे अर्द्ध-संघ की संज्ञा प्रदान की है तो कुछ ने इसके शरीर को संघात्मक तथा आत्मा को एकात्मक की संज्ञा प्रदान की है।
- इकहरी नागरिकता तथा इकहरा संविधान – भारतीय संघ में अन्य देशों की संघात्मकता के विपरीत इकहरी नागरिकता तथा इकहरे संविधान की व्यवस्था है।
- राज्य सभा में राज्यों का असमान प्रतिनिधित्वं – भारतीय संघ में राज्य सभा में राज्यों को समान प्रतिनिधित्व प्रदान नहीं किया गया है। छोटे राज्यों की तुलना में बड़े राज्यों का अधिक प्रतिनिधित्व है।
- राज्यों को अपनी भाषा तथा लिपि बनाए रखने का अधिकार – भारत में राज्यों को अपनी संस्कृति, भाषा तथा लिपि को बनाए रखने का अधिकार है। किसी राज्य में उसकी इच्छा के विपरीत अन्य भाषा को थोपा नहीं जाएगा।
प्रश्न 4 – केन्द्र तथा राज्यों के सम्बन्ध व्यवहार में कैसे रहे हैं? विवेचना कीजिए।
उत्तर – केन्द्र तथा राज्यों के सम्बन्धों की व्यावहारिकता को निम्न प्रकार व्यक्त किया जा सकता है-
- भारतीय संघ को सहकारी संघवाद की संज्ञा प्रदान की जाती है। इसका तात्पर्य यह है कि केन्द्र तथा राज्यों के सम्बन्ध सौहार्दपूर्ण रहे हैं तथा केन्द्र तथा राज्यों के बीच टकराव अथवा तनाव की स्थिति उत्पन्न नहीं हुई है।
- स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद अनेक वर्षों तक कांग्रेस पार्टी का केन्द्र तथा राज्यों की राजनीति पर पूर्ण आधिपत्य रहा। दोनों ही स्तरों पर कांग्रेस पार्टी की सरकार रही। अतः केन्द्र तथा राज्यों के सम्बन्ध सौहार्दपूर्ण रहे।
- 1967 के उपरान्त अनेक राज्यों में गैर-कांग्रेसी मन्त्रिमण्डलों का निर्माण हुआ तथा केन्द्र में कांग्रेस पार्टी की सरकार का अस्तित्व रहा। इस काल में केन्द्र ने राज्यपाल के माध्यम से अनेक गैर-कांग्रेसी सरकारों को भंग किया। अतः राज्यों तथा केन्द्र के सम्बन्ध तनावपूर्ण हो गए।
- आर्थिक रूप से भी राज्य केन्द्र के अधीन है। केन्द्र द्वारा ही राज्यों के आर्थिक विकास के लिए अनुदान दिया जाता है। अतः राज्यों की केन्द्र पर आर्थिक निर्भरता है।
- केन्द्र की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार राज्यों तक है। केन्द्र की सरकार किन्हीं भी कार्यों को पूर्ण करने के लिए राज्य सरकारों को आदेश तथा निर्देश दे सकती है।
- सम्पूर्ण देश के लिए एक ही सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना की गई है। राज्यों के उच्च न्यायालय सर्वोच्च न्यायालय की अधीनता में कार्य करते हैं।
• लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1 – क्या भारत में राज्यों की केन्द्र से पृथक् होने का अधिकार प्राप्त है ? स्पष्ट कीजिए।.
उत्तर- भारत में राज्यों को केन्द्र से पृथक् होने का अधिकार प्राप्त नहीं है जबकि विश्व के अन्य संघवादों में राज्यों को केन्द्र से पृथक् होने का अधिकार है। भारत में राज्यों को यह अधिकार इसलिए प्रदान नहीं किया गया क्योंकि संविधान निर्माताओं को यह आशंका थी कि कहीं कोई राज्य भाषा, संस्कृति अथवा क्षेत्र के आधार पर अपनी सम्प्रभुता की माँग न करने लगे। ऐसा होने पर एक-एक करके राज्य केन्द्र से पृथक होते जाएँगे तथा केन्द्र की शक्ति निरन्तर कम होती जाएगी। केन्द्र की कमजोर स्थिति पड़ोसी राज्यों को भारत पर आक्रमण करने के लिए प्रेरित करेगी । शक्तिशाली केन्द्रीय सरकार ही पड़ोसी राज्यों के आक्रमणों का मुकाबला करने में सक्षम हो सकती है। इन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए ही संविधान निर्माताओं तथा विधिवेत्ताओं ने राज्यों को केन्द्र से थक् होने का अधिकार प्रदान नहीं किया।
प्रश्न 2–संघीय व्यवस्था में न्यायपालिका की भूमिका की विवेचना कीजिए।
उत्तर— संघीय व्यवस्था में न्यायपालिका की सबसे महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है । संघात्मक व्यवस्था में केन्द्र तथा राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन होता है। शक्ति विभाजन की स्थिति को केन्द्र अथवा राज्य अपने निहित स्वार्थों में परिवर्तित कर सकते हैं जिससे संघात्मक व्यवस्था ही समाप्त हो जाएगी। संविधान द्वारा स्वतन्त्र, निष्पक्ष एवं सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना की गई है। संविधान की सुरक्षा का दायित्व भी न्यायपालिका को सौंपा गया है। न्यायपालिका ऐसे किसी भी कानून को अवैध घोषित कर सकती है जो संविधान के अनुच्छेदों का उल्लंघन करता है।
प्रश्न 3 – संघ तथा परिसंघ में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर— केन्द्र तथा परिसंघ में निम्नलिखित अन्तर दिखाई देता है-
- संघीय शासन की इकाइयों को सम्प्रभु शक्ति प्राप्त नहीं होती हैजबकि परिसंघ में इकाइयों को सम्प्रभु अधिकार प्राप्त होते हैं।
- संघीय व्यवस्था में केन्द्र तथा राज्यों में शक्तियों का विभाजन होता है जबकि परिसंघ में इस प्रकार का विभाजन नहीं होता है।
- संघीय व्यवस्था में राज्यों को केन्द्र से पृथक् होने का अधिकार प्राप्त होता है तथा कुछ राज्यों में नहीं भी प्राप्त होता, परन्तु परिसंघ में राज्यों को केन्द्र से पृथक् होने का पूरा अधिकार है।
- संघ का निर्माण किसी विशेष उद्देश्य को ध्यान में रखकर किया जाता है जबकि परिसंघ में इस प्रकार का कोई उद्देश्य नहीं होता है।
- संघीय व्यवस्था में केन्द्र तथा राज्यों का मजबूत संगठन होता है जबकि परिसंघ में केन्द्र तथा राज्यों का ढीला-ढाला संगठन होता है।
प्रश्न 4 – भारतीय संघीय व्यवस्था की भाषा नीति की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
उत्तर- संघीय व्यवस्था की भाषा नीति की विवेचना निम्न प्रकार की जा सकती है-
- संविधान में किसी एक भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं दिया गया। हिन्दी को राजभाषा का स्तर प्रदान किया गया। हिन्दी मात्र 40 प्रतिशत भारतीयों की भाषा है, अतः अन्य भाषाओं के संरक्षण के अनेक उपाय किए गए।
- संविधान में हिन्दी के अलावा 21 भाषाओं को अनुसूचित भाषा का दर्जा प्रदान किया गया है।
- राज्यों की अपनी भाषाएँ हैं तथा राज्य अपनी इच्छानुसार किसी भी भाषा का प्रयोग कर सकता है।
- हिन्दी के साथ अंग्रेजी भाषा के प्रयोग को भी संवैधानिक मान्यता प्रदान की गई।
- भाषा की समस्या का समाधान करने के लिए त्रि-भाषा फार्मूले को अपनाया गया।
- केन्द्र सरकार ने राज्य सरकारों को आश्वस्त किया है कि हिन्दी गैर-हिन्दी भाषी राज्यों पर थोपी नहीं जाएगी।
प्रश्न 5 – भारत की संघीय व्यवस्था बेल्जियम की संघीय व्यवस्था से कैसे भिन्न है? इन दोनों देशों की संघीय व्यवस्था की समानताएँ भी बताइए।
उत्तर- भारत और बेल्जियम की संघीय व्यवस्था में भिन्नताएँ
बेल्जियम में केन्द्र सरकार की अनेक शक्तियाँ देश के दो इलाकों की क्षेत्रीय सरकारों को सौंप दी गई हैं अर्थात् राज्य सरकारें केन्द्र सरकार के अधीन नहीं हैं, जबकि भारत में राज्य सरकारों पर कुछ हद तक केन्द्र सरकार का नियन्त्रण रहता है।
बेल्जियम में केन्द्र और राज्य सरकारों के अलावा एक तीसरे स्तर की सरकार भी काम करती है अर्थात् सामुदायिक सरकार। इस सरकार का चुनाव एक ही भाषा बोलने वाले लोग करते हैं। डच, फ्रेंच और जर्मन बोलने वाले समुदायों के लोग चाहे वे जहाँ भी रहते हों, इस सामुदायिक सरकार को चुनते हैं। इस सरकार को संस्कृति, शिक्षा और भाषा जैसे मसलों पर फैसले लेने का अधिकार है। भारत की संघीय व्यवस्था में इस तीसरे प्रकार की सरकार की कोई व्यवस्था नहीं है।
भारत और बेल्जियम की संघीय व्यवस्था में समानताएँ
- दोनों देशों में सरकार दो या अधिक स्तरों वाली होती है।
- अलग-अलग स्तर की सरकारें एक ही नागरिक समूह पर शासन करती हैं।
प्रश्न 6 – भाषायी आधार पर भारत में राज्यों का निर्माण कैसे किया गया था ? संक्षेप में विवेचना कीजिए ।
उत्तर – भारत में राज्यों का निर्माण भाषा तथा संस्कृति के आधार पर किया गया। नए राज्यों के निर्माण के लिए 1950 के दशक में भारत के अनेक पुराने राज्यों की सीमाएँ बदली गईं। ऐसा यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया कि एक भाषा को बोलने वाले लोग एक राज्य में आ जाएँ। जब भाषा के आधार पर राज्यों का गठन किया गया तो कुछ राजनेताओं को यह भय था कि कहीं यह भारत की एकता तथा अखण्डता के लिए खतरा न बन जाए। राज्यों का भाषा के आधार पर गठन एवं पुनर्गठन यह अनुभव कराता है कि भाषावार राज्यों का निर्माण ज्यादा एकीकृत तथा मजबूत हुआ है।
• अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1 – स्वतन्त्रता प्राप्ति से पूर्व भारत में किस अधिनियम द्वारा संघात्मक व्यवस्था को लागू किया गया?
उत्तर – भारत में स्वतन्त्रता प्राप्ति के पूर्व संघात्मक व्यवस्था को 1919 ई० के भारत शासन अधिनियम के द्वारा लागू किया गया।
प्रश्न 2- भारत की संघात्मक व्यवस्था को किस देश से लिया गया है?
उत्तर- भारत की संघात्मक व्यवस्था को कनाडा से लिया गया है।
प्रश्न 3 – विश्व में आदर्श तथा मजबूत संघीय व्यवस्था किस देश में पायी जाती है?
उत्तर – विश्व में आदर्श तथा मजबूत संघीय व्यवस्था अमेरिका में पायी जाती है।
प्रश्न 4 – संघात्मक व्यवस्था की कोई एक परिभाषा दीजिए।
उत्तर – जेलीनेक के शब्दों में, “संघात्मक राज्य अनेक राज्यों के मेल से बना हुआ प्रभुसत्ता सम्पन्न राज्य है।”
प्रश्न 5- विश्व के दो संघात्मक राज्यों के नाम लिखिए।
उत्तर- (1) अमेरिका तथा (2) भारत ।
प्रश्न 6 – किन्हीं दो एकात्मक राज्यों के नाम लिखिए।
उत्तर- (1) ब्रिटेन तथा ( 2 ) श्रीलंका ।
प्रश्न 7 – अमेरिका में अविशिष्ट शक्तियाँ किसे प्रदान की गई हैं?
उत्तर— अमेरिका में अविशिष्ट शक्तियाँ राज्यों को प्रदान की गई हैं।
प्रश्न 8 – भारत में अविशिष्ट शक्तियाँ किसे प्रदान की गई हैं?
उत्तर – भारत में अविशिष्ट शक्तियाँ केन्द्र को प्रदान की गई हैं।
प्रश्न 9 – ग्राम पंचायत से आप क्या समझते हैं?
उत्तर— पंचायती राज व्यवस्था, लोकतन्त्र का जीवन तथा प्राण है। ग्राम पंचायत पंचायती राज व्यवस्था की सबसे छोटी आधारभूत इकाई है। यह ग्राम सरकार की कार्यपालिका के रूप में कार्य करती है।
प्रश्न 10- भारतीय संघ के लिए संविधान में किस शब्द का प्रयोग किया गया है?
उत्तर – भारतीय संघ के लिए संविधान में ‘यूनियन’ शब्द का प्रयोग किया गया है।
प्रश्न 11 – भारत में केन्द्र तथा राज्यों में शक्ति विभाजन के लिए कितनी प्रकार की सूचियों का निर्माण किया गया है?
उत्तर – केन्द्र तथा राज्यों में शक्ति विभाजन में लिए तीन प्रकार की सूचियों – (1) केन्द्र सूची, (2) राज्य सूची तथा (3) समवर्ती सूची का निर्माण किया गया है।
प्रश्न 12 – समवर्ती सूची पर कानून बनाने का अधिकार किसे प्राप्त होता है?
उत्तर – समवर्ती सूची पर कानून बनाने का अधिकार केन्द्र तथा राज्य दोनों सरकारों को प्राप्त होता है, परन्तु यदि दोनों के द्वारा निर्मित कानूनों में विरोधाभास होता है तो केन्द्र का कानून माना जाता है।
• बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1 – अमेरिकी संघ में राज्यों की संख्या है-
(अ) 50
(ब) 52
(स) 28
(द) 13.
उत्तर- (अ) 50.
प्रश्न 2 – वर्तमान में किस संघीय व्यवस्था का पतन हुआ है-
(अ) अमेरिका
(ब) बेल्जियम
(स) स्विट्जरलैण्ड
(द) सोवियत संघ ।
उत्तर – (द) सोवियत संघ ।
प्रश्न 3 – भारत के राज्यों तथा संघीय क्षेत्रों की संख्या है—
(अ) 22 राज्य; 7 संघीय क्षेत्र
(ब) 28 राज्य; 5 संघीय क्षेत्र
(स) 28 राज्य; 8 संघीय क्षेत्र
(द) 25 राज्य; 7 संघीय क्षेत्र ।
उत्तर- (स) 28 राज्य; 8 संघीय क्षेत्र ।
प्रश्न 4 – किस संघीय व्यवस्था में राज्यों को केन्द्र से पृथक् होने का अधिकार प्रदान नहीं किया गया है—
(अ) अमेरिका
(ब) स्विट्जरलैण्ड
(स) बेल्जियम
(द) भारत।
उत्तर- (द) भारत ।
प्रश्न 5 – वर्तमान में केन्द्र (संघ) सरकार की शक्तियों में-
(अ) वृद्धि हुई है
(ब) कमी हुई है
(स) ज्यों-की-त्यों बनी हुई है
(द) कुछ नहीं कह सकते।
उत्तर- (अ) वृद्धि हुई है।