Hindi 10

UP Board Class 10 Hindi Chapter 4 – अजन्ता (गद्य खंड)

UP Board Class 10 Hindi Chapter 4 – अजन्ता (गद्य खंड)

UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 4 अजन्ता (गद्य खंड)

जीवन-परिचय

पुरातत्त्व कला के पण्डित, भारतीय संस्कृति और इतिहास के सुप्रसिद्ध विद्वान एवं प्रचारक तथा लेखक डॉ. भगवतशरण उपाध्याय का जन्म वर्ष 1910 में बलिया जिले के उजियारपुर गाँव में हुआ था। अपनी प्रारम्भिक शिक्षा समाप्त करने के पश्चात् उपाध्याय जी काशी आए और यहीं से प्राचीन इतिहास में एम.ए. किया। वे संस्कृत साहित्य और के पुरातत्त्व परम ज्ञाता थे। हिन्दी साहित्य की उन्नति में इनका विशेष योगदान था। उपाध्याय जी ने पुरातत्त्व एवं प्राचीन भाषाओं के साथ-साथ आधुनिक यूरोपीय भाषाओं का भी अध्ययन किया। इन्होंने क्रमश: ‘पुरातत्त्व विभाग’, ‘प्रयाग संग्रहालय’, ‘लखनऊ संग्रहालय’ के अध्यक्ष पद पर ‘बिड़ला महाविद्यालय’ में प्राध्यापक पद पर तथा विक्रम महाविद्यालय में प्रोफेसर एवं अध्यक्ष पद पर कार्य किया और यहीं से अवकाश ग्रहण किया।
उपाध्याय जी मे अनेक बार यूरोप, अमेरिका, चीन आदि देशों का भ्रमण किया तथा वहाँ पर भारतीय संस्कृति और साहित्य पर महत्त्वपूर्ण व्याख्यान दिए। इनके व्यक्तित्व की एक महत्त्वपूर्ण बात यह है कि प्राचीन भारतीय संस्कृति के अध्येता और व्याख्याकार होते हुए भी ये रूढ़िवादिता और परम्परावादिता से ऊपर रहे। अगस्त, 1982 में इनका देहावसान मॉरीशस में हो गया। हिन्दी साहित्य को समृद्ध बनाने की दिशा में उपाध्याय जी का योगदान स्तुत्य है।
रचनाएँ
इन्होंने साहित्य, कला, संस्कृति, आलोचना, यात्रा साहित्य, पुरातत्त्व, संस्मरण एवं रेखाचित्र आदि विषयों पर सौ से अधिक कृतियों की रचना की। इनकी प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं
  • आलोचनात्मक ग्रन्थ विश्व साहित्य की रूपरेखा, साहित्य और कला, इतिहास के पन्नों पर, विश्व को एशिया की देन, मन्दिर और भवन आदि ।
  • यात्रा साहित्य कलकत्ता से पीकिंग, सागर की लहरों पर, लालचीन आदि।
  • अन्य ग्रन्थ ठूंठा आम, खून के छींटें, सागर की लहरों पर, कुछ फीचर कुछ एकांकी, इतिहास साक्षी है, इण्डिया इन कालिदास आदि ।
भाषा-शैली
डॉ. उपाध्याय ने शुद्ध परिष्कृत और परिमार्जित भाषा का प्रयोग किया है। भाषा में प्रवाह और बोधगम्यता है, जिसमें सजीवता और चिन्तन की गहराई दर्शनीय है। उपाध्याय जी की शैली तथ्यों के निरूपण से युक्त कल्पनामयी और सजीव है। इसके अतिरिक्त विवेचनात्मक, चित्रात्मक, वर्णनात्मक और भावात्मक शैलियों का इन्होंने अपनी रचनाओं में प्रयोग किया है।
हिन्दी साहित्य में स्थान
डॉ. भगवतशरण उपाध्याय की संस्कृत साहित्य एवं पुरातत्त्व के अध्ययन में विशेष रुचि रही है। भारतीय संस्कृति एवं साहित्य विषय पर इनके द्वारा विदेशों में दिए गए व्याख्यान हिन्दी साहित्य की अमूल्य निधि हैं। इन्हें कई देशों की सरकारों ने शोध के लिए आमन्त्रित किया।
पाठ का सार
परीक्षा में ‘पाठ के सारांश’ से सम्बन्धित कोई प्रश्न नहीं पूछा जाएगा। यह केवल विद्यार्थियों को पाठ समझाने के उद्देश्य से दिया गया है।
पत्थरों पर खुदी जीवन गाथा
जीवन को अमर बनाने के लिए मनुष्य ने पहाड़ काटा, उसने अपनी कामयाबी को आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाने के लिए अनेकानेक उपाय सोचे। चट्टानों पर खोदे गए सन्देश, ऊँचे-ऊँचे पत्थरों के खम्भे, ताँबे – पीतल के पत्तरों पर लिखे अक्षरों में उसके जीवन मरण की आगे बढ़ती कहानी आज हमारी अमानत-विरासत बन गई है। इन्हीं उपायों में एक है- पहाड़ काटकर मन्दिर बनाना और उनकी दीवारों पर नयनाभिराम चित्र बनाना ।
अजन्ता की कला – भारत की अमूल्य विरासत
पहाड़ काटकर मन्दिर बनाने की स्थापत्य कला का प्रारम्भ लगभग सवा दो हजार वर्ष पहले से चला आ रहा है। अजन्ता की गुफाएँ इन्हीं प्राचीन गुफाओं में से एक हैं। अजन्ता की गुफाएँ गुफा मन्दिरों में सबसे विख्यात हैं, जिनकी दीवारों पर बने चित्र दुनिया के लिए उदाहरण बन गए। चीन और श्रीलंका ने इन चित्रों की नकल की थी। ये चित्र इतने सुन्दर हैं कि देशवासी और विदेशी दोनों ही इन्हें देखकर खुश हो जाते हैं। इन दीवारों पर दया और प्रेम की एक दुनिया सुरक्षित हो गई है।
पहाड़ों में बने गुफा और मन्दिर
अजन्ता गाँव से कुछ दूरी पर पर्वतों का आकार अर्द्धचन्द्राकार हो गया है। हरे-भरे वनों के बीच उठे मंच के आकार वाले पर्वत पूर्वजों को अच्छे लगे, उन्होंने पहाड़ की चट्टानी छाती पर अपने हाथों से चोट करनी शुरू की और वहाँ बरामदे, मन्दिर तथा हॉल का निर्माण कर दिया। पहाड़ों को काटने से बने रिक्त स्थान पर सुन्दर भवन बनाए। खम्भों और दीवारों पर मूर्तियाँ बना दीं।
अजन्ता की दीवारों पर खुदी कहानियाँ
अजन्ता की गुफाओं की दीवारों पर मनुष्य, पशु-पक्षी और विविध प्राणियों का ही • जीवन बरस पड़ा है। यहाँ नाना प्रकार की जीवन की कहानियाँ हैं; जैसे-बन्दरों की कहानी, हाथियों की कहानी, हिरनों की कहानियों के बीच क्रूरता और भय की, दया और त्याग की कहानी। यहाँ राजा और कंगले, विलासी और भिक्षु, नर-नारी, पशु-पक्षी सभी को सुरक्षित रख दिया गया है। हैवानियत को इन्सानियत से कैसे जीता जा सकता है, यह अजन्ता में देखा जा सकता है। यहाँ गौतम बुद्ध के जीवन सम्बन्धी चित्रों से आँखें हटाने से भी नहीं हटती हैं।
गुफा की दीवारों पर बुद्ध चरित तथा जातक कथाएँ
अजन्ता की दीवारों पर बने चित्र में बुद्ध कमल लिए खड़े हैं। उनके नेत्रों से प्रकाश फूट पड़ा है। कमलनाल धारण किए यशोधरा भी साथ में खड़ी हैं। महाभिनिष्क्रमण का दृश्य, यशोधरा और राहुल निद्रा में सोये हैं और गौतम अपना हृदय सँभाले जाने की तैयारी में खड़े हैं। उधर बौद्ध भिक्षु बने नन्द का चित्र है। वहीं एक अन्य चित्र में यशोधरा और राहुल साथ-साथ हैं।
सरोवर में जल विहार करता हाथी कमलदण्ड तोड़कर हथिनियों को दे रहा है। उधर महलों में प्याले पर चलते प्यालों का दौर और दम तोड़ती रानी का चित्र, न जाने कितने चित्र हैं इन दीवारों पर।
अजन्ता की गुफाएँ, चित्रकला का अलौकिक नमूना
गुफाओं पर अंकित अधिकतर चित्र गुप्तकाल (5वीं सदी) और चालुक्य काल (7वीं सदी) के मध्य के समय में तैयार हुए। एक-दो गुफाओं में लगभग 2 हजार वर्ष पुराने चित्र भी सुरक्षित हैं। इतने प्राचीन, इतने सजीव व गतिमान और इतनी अधिक संख्या में ऐसे चित्र अन्यत्र कहीं देखने को नहीं मिलते। अजन्ता के चित्रों को देश-विदेश में बहुत सम्मान प्राप्त है।
गद्यांशों पर आधारित प्रश्नोत्तर
1. और जैसे संगसाजों ने उन गुफाओं पर रौनक बरसाई है, चितेरे जैसे रंग और रेखा में दर्द और दया की कहानी लिखते गए हैं, कलावन्त छेनी से मूरतें उभारते-कोरते गए हैं, वैसे ही अजन्ता पर कुदरत का नूर बरस पड़ा है, प्रकृति भी वहाँ थिरक उठी है। बम्बई के सूबे में बम्बई और हैदराबाद के बीच विन्ध्याचल के बीच दौड़ती पर्वतमालाओं से निचौंधे पहाड़ों का एक सिलसिला उत्तर से दक्षिण चला गया है, जिसे सह्याद्रि कहते हैं। अजन्ता के गुहा मन्दिर उसी पहाड़ी जंजीर को सनाथ करते हैं। Imp [2022, 19]
प्रश्न
(क) उपरोक्त गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए ।
(ख) गद्यांश के रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(ग) अजन्ता की मूर्तिकला की कौन-सी विशेषताएँ गद्यांश में बताई गई हैं?
उत्तर
(क) सन्दर्भ प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक के ‘गद्य खण्ड’ में संकलित ‘अजन्ता’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके लेखक ‘डॉ. भगवतशरण उपाध्याय’ हैं।
(ख) लेखक कहता है कि अजन्ता की गुफाओं में बने चित्रों का सौन्दर्य तथा गुफाओं को देखकर ऐसा लगता है मानो गुफाओं के पत्थरों को काटकर मूर्ति बनाने वाले कलाकारों ने यहाँ सौन्दर्य बरसा दिया है। चित्रकारों ने रेखाओं में रंग भरकर पीड़ा और करुणा वाले चित्रों को सजीव बना दिया है। शिल्पकारों ने अपनी छेनी और हथौड़े से पत्थरों को काटकर बनाई उभरी मूर्तियों में प्राण डाल दिए हैं, जिससे अजन्ता के दृश्य बहुत ही मनमोहक प्रतीत हो रहे हैं। प्रकृति ने भी उन गुफाओं में दोनों हाथों से सौन्दर्य है। ऐसा लगता है कि प्रकृति भी ऐसे सौन्दर्य से अभिभूत लुटाया होकर थिरकने पर विवश हो उठी है।
(ग) गद्यांश में अजन्ता की मूर्तिकला की निम्नलिखित विशेषताएँ बताई गई हैं
(i) अजन्ता की गुफाओं में पत्थरों को काटकर बनाई गई मूर्तियाँ अत्यन्त सुन्दर हैं।
(ii) उनमें विभिन्न भाव उठते दिखाई देते हैं ।
(iii) उन्हें देखकर ऐसा लगता है, मानो मूर्तियाँ अभी बोल पड़ेंगी। वे अत्यन्त सजीव प्रतीत होती हैं।
2. पहले पहाड़ काटकर उसे खोखला कर दिया गया, फिर उसमें सुन्दर भवन बना लिए गए, जहाँ खम्भों पर उभरी मूरतें विहँस उठीं । भीतर की समूची दीवारें और छतें रगड़कर चिकनी कर ली गईं और तब उनकी जमीन पर चित्रों की एक दुनिया ही बसा दी गई। पहले पलस्तर लगाकर आचार्यों ने उन पर लहराती रेखाओं में चित्रों की काया सिरज दी, फिर उनके चेले कलावन्तों ने उनमें रंग भरकर प्राण फूँक दिए। फिर तो दीवारें उमग उठीं, पहाड़ पुलकित हो उठे। Imp [2022, 19]
प्रश्न
(क) उपरोक्त गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए।
(ख) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए ।
(ग) पहाड़ों को जीवन्त कैसे बनाया गया है? गद्यांश के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
(क) सन्दर्भ पूर्ववत् ।
(ख) लेखक कहते हैं कि दीवारों, छतों और खम्भों को रगड़-रगड़कर चिकना बना लिया गया तथा उसके बाद गुफाओं के अन्दर उन चिकने पृष्ठों पर चित्रकारों के द्वारा अनेक चित्र बना दिए गए। उन चित्रों को देखते ही व्यक्ति मन्त्र-मुग्ध हो जाता है। ऐसा लगता है; जैसे- उन दीवारों, छतों आदि पर एक नई दुनिया का निर्माण कर दिया गया हो ।
(ग) पहाड़ों को जीवन्त बनाने के लिए सबसे पहले पहाड़ों को काटकर खोखला बनाया गया तथा उसके बाद अन्दर की दीवारों और छतों को घिस – घिसकर चिकना बना दिया गया, फिर उन पर सजीव चित्र बना दिए गए।
3. कितना जीवन बरस पड़ा है इन दीवारों पर जैसे फसाने अजायब का भण्डार खुल पड़ा हो। कहानी-से-कहानी टकराती चली गई है। बन्दरों की कहानी, हाथियों की कहानी, हिरनों की कहानी। कहानी क्रूरता और भय की, दया और त्याग की। जहाँ बेरहमी है वहीं दया का समुद्र उमड़ पड़ा। जहाँ पाप है वहीं क्षमा का सोता फूट पड़ा है राजा और कंगले, विलासी और भिक्षु, नर और नारी, मनुष्य और पशु सभी कलाकारों के हाथों सिरजते चले गए हैं। हैवान की हैवानियत को इंसान की इन्सानियत से कैसे जीता जा सकता है, कोई अजन्ता में जाकर देखे । बुद्ध का जवीन हजारों धाराओं में होकर बहता है। जन्म से लेकर निर्वाण तक उनके जीवन की प्रधान घटनाएँ कुछ ऐसे लिख दी गई हैं कि आँखें अटक जाती हैं, हटने का नाम नहीं लेती। M. Imp. [2023, 20, 17, 14, 12 ]
प्रश्न
(क) उपरोक्त गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए ।
(ख) गद्यांश के रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए ।
(ग) दीवारों पर बने चित्र किन-किन से सम्बन्धित हैं?
(घ) कलाकारों के हाथों से क्या-क्या सिरजते चले गए हैं?
(ङ) कलाकारों ने किसके जीवन का चित्रांकन किया है?
उत्तर
(क) सन्दर्भ पूर्ववत् ।
(ख) लेखक अजन्ता की गुफाओं में बिखरे चित्रों के माध्यम से बिखरे सौन्दर्य के बारे में कहता है कि इन चित्रों की कला अत्यन्त सुन्दर है। ये चित्र इतने सुन्दर हैं कि वे जीते-जागते से प्रतीत होते हैं। लगता है कि संसार का जीवन इनमें समा गया है। ऐसा लगता है कि ये गुफाएँ सांसारिक जीवन का अजायबघर हों, जिनका दरवाजा गलती से खुला छोड़ दिया गया हो।
इन चित्रों में जीवन की कहानियों को एक-दूसरे से जोड़ा गया है। लेखक कहता है कि अजन्ता की गुफाओं की दीवारों पर, जो जीवन व्याप्त है, उनमें गौतम बुद्ध के जीवन के माध्यम से दया और त्याग की, पशुओं के माध्यम से क्रूरता और दया की तथा पाप और क्षमा की कहानियाँ उकेरी गई हैं। इनके माध्यम से परस्पर विरोधी भावों का अंकन सर्वत्र देखने को मिलता है। यदि कहीं क्रूरतापूर्ण चित्र है, तो साथ ही दयाभाव को दर्शाता चित्र भी बना है। यदि एक चित्र में पाप का चित्रण है, तो उसके समीप ही क्षमा का झरना कल-कल करता बह रहा है।
शिल्पकारों द्वारा की गई चित्रकारी में विविधता है; जैसे— राजाओं और कंगालों, नर और नारी, पशु और मनुष्य, भिक्षुओं एवं विलासियों के सजीव चित्र प्रस्तुत किए गए हैं। लेखक का मत है कि ये चित्र उद्देश्यपूर्ण हैं। लेखक के अनुसार, अजन्ता के चित्रों के द्वारा हमें यह शिक्षा प्राप्त होती है कि हैवान की हैवानियत पर इन्सान की इन्सानियत से किस प्रकार विजय प्राप्त की जाती है। व्यक्ति सीखता है कि बुराई को अच्छाई से किस प्रकार जीता जा सकता है। इसका ज्ञान हमें अजन्ता की गुफाओं से ही मिलता है।
(ग) अजन्ता की गुफाओं की दीवारों पर कलाकारों के हाथों राजा, उनकी अत्यन्त गरीब प्रजा, विलास में डूबे लोग, भिक्षु, नर-नारी तथा पशु आदि के चित्र बनाए गए हैं। इन गुफाओं पर जीवन के विविध रंगों से सम्बन्धित चित्र हैं, जो विभिन्न मनोभावों का प्रदर्शन करते हैं।
(घ) कलाकारों के हाथों से राजा और कंगले, विलासी और भिखारी, नर और नारी, मानव और पशु आदि सभी के चित्र सिरजते अर्थात् गढ़ते चले गए हैं।
(ङ) कलाकारों ने अजन्ता की गुफाओं की दीवारों पर महात्मा बुद्ध के जीवन की जन्म से लेकर मरण तक की घटनाओं का चित्रांकन किया है।
4. यह हाथ में कमल लिए बुद्ध खड़े हैं, जैसे छवि छलकी पड़ती है, उभरे नयनों की जोत पसरती जा रही है और यह यशोधरा है, वैसे ही कमलनाल धारण किए त्रिभंग में खड़ी और यह दृश्य है महाभिनिष्क्रमण का यशोधरा और राहुल निद्रा में खोए, गौतम दृढ़ निश्चय पर धड़कते हिया को और यह नन्द है, अपनी पत्नी सुन्दरी का भेजा, द्वार पर आए बिना भिक्षा के लौटे भाई बुद्ध को जो लौटाने आया था और जिसे भिक्षु बन जाना पड़ा था। बार-बार वह भागने को होता है, बार-बार पकड़कर संघ में लौटा लिया जाता है। उधर फिर वह यशोधरा है बालक राहुल के साथ। Imp [2023, 13]
प्रश्न
(क) उपरोक्त गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए ।
(ख) गद्यांश के रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिए ।
(ग) उपरोक्त गद्यांश में कहाँ के दृश्यों का चित्रण किया गया है ?
उत्तर
(क) सन्दर्भ पूर्ववत् ।
(ख) लेखक भगवान बुद्ध के गृह त्यागने का वर्णन अजन्ता के चित्रों के माध्यम से करता हुआ कहता है कि एक चित्र में हाथ में कमल लिए बुद्ध खड़े हैं। ऐसा लगता है, जैसे उनका रूप-सौन्दर्य छलककर चारों ओर बिखर गया हो । उनकी सुन्दर उभरी आँखों से चारों ओर प्रकाश फैल रहा है। उनकी पत्नी यशोधरा भी उसी प्रकार कमलनाल लिए त्रिभंग मुद्रा में खड़ी हैं। यह चित्र इतना सुन्दर है कि आँखें इसे देखते ही रहना चाहती हैं।
लेखक आगे कहता कि इसी गुफा में बने एक अन्य चित्र में गौतम बुद्ध का भाई नन्द खड़ा है, जिसे उसकी पत्नी सुन्दरी ने गौतम बुद्ध को लौटा लाने के लिए द्वार पर भेजा था, क्योंकि उन्हें सुन्दरी द्वारा भिक्षा नहीं मिल पाई थी। इससे वे खाली हाथ लौट रहे थे। कहाँ तो नन्द उन्हें लौटा ले जाने के लिए आया था, पर बुद्ध ने उसे ऐसी शिक्षा दी कि बुद्ध के साथ-साथ वह भी भिक्षु बन गया। कुछ ऐसा ही भावपूर्ण चित्र यहाँ अंकित हुआ है।
(ग) उपरोक्त गद्यांश में अजन्ता की गुफाओं में दीवारों पर बने चित्रों का चित्रण किया गया है।
5. और उधर वह बन्दरों का चित्र है, कितना सजीव – कितना गतिमान उधर सरोवर में जल विहार करता वह गजराज कमल दण्डं तोड़-तोड़कर हथिनियों को दे रहा है। वहाँ महलों में वह प्यालों के दौर चल रहे हैं, उधर ह रानी अपनी जीवन-यात्रा समाप्त कर रही है, उसका दम टूटा जा रहा है। खाने-खिलाने, बसने-बसाने, नाचने-गाने, कहने-सुनने, वन-नगर, ऊँच-नीच, धनी गरीब के जितने नजारे हो सकते हैं, सब आदमी अजन्ता की गुफाओं की इन दीवारों पर देख सकता है। [2012]
प्रश्न
(क) उपरोक्त गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए।
(ख) गद्यांश के रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए ।
(ग) अजन्ता की गुफाओं की दीवारों पर क्या देखा जा सकता है ?
उत्तर
(क) सन्दर्भ पूर्ववत् ।
(ख) लेखक अजन्ता की गुफाओं की दीवारों पर बने चित्रों की विविधता, सजीवता और गतिशीलता का वर्णन करते हुए कहता है कि इन दीवारों पर श्रृंखलाबद्ध चित्रकारी की गई है। चित्र में उछलते-कूदते बैठे बन्दरों को देखकर लगता है कि वे चित्र न होकर सचमुच ही सजीव बन्दर हैं, जो अपनी स्वाभाविक क्रियाओं में लीन हैं। उधर जलाशय में जल-क्रीड़ा करता हाथी मानवीय क्रियाएँ करता दिखाई दे रहा है। वह अपने पास के कमलनाल से कमल तोड़कर हथिनियों को दे रहा है। इसे देखकर मन भाव-विभोर हो उठता है।
(ग) अजन्ता की गुफाओं की दीवारों पर जीवन के विविध रंग, स्वाभाविक क्रियाएँ करते पशु-पक्षी, वन, प्रान्त, नगर, गाँव, धनी-निर्धन आदि के सजीव और बोलने को उत्सुक चित्रों को देखा जा सकता है।
6. बुद्ध के इस जन्म की घटनाएँ तो इन चित्रित कथाओं में हैं ही, उनके पिछले जन्मों की कथाओं का भी इसमें चित्रण हुआ है। पिछले जन्म की ये कथाएँ ‘जातक’ कहलाती हैं। उनकी संख्या 555 है और इनका संग्रह ‘जातक’ नाम से प्रसिद्ध है, जिनका बौद्धों में बड़ा मान है। इन्हीं जातक कथाओं में से अनेक अजन्ता के चित्रों में विस्तार के साथ लिख दी गईं हैं। इन पिछले जन्मों में बुद्ध ने गज, कप, मृग आदि के रूप में विविध योनियों में जन्म लिया था और संसार के कल्याण के लिए दया और त्याग का आदर्श स्थापित करते वे बलिदान हो गए थे। उन स्थितियों में किस प्रकार पशुओं तक ने मानवोचित व्यवहार किया था, किस प्रकार औचित्य का पालन किया था, यह सब उन चित्रों में असाधारण खूबी से दर्शाया गया है और इन्हीं को दर्शाते समय चितेरों ने अपनी जानकारी की गाँठ खोल दी है। V.Imp [2024, 22, 13]
प्रश्न
(क) उपरोक्त गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए ।
(ख) गद्यांश के रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(ग) अपनी जानकारी की गाँठ खोलने’ से क्या आशय है? स्पष्ट कीजिए ।
(घ) ‘जातक कथाएँ’ किन्हें कहते हैं?
उत्तर
(क) सन्दर्भ पूर्ववत् ।
(ख) लेखक अजन्ता की गुफाओं के चित्रों का वर्णन करता हुआ कहता है कि अजन्ता की गुफाओं में जातक – कथा से सम्बन्धित अनेक चित्र हैं, जिनमें बुद्ध के पशु-पक्षियों के रूप में विभिन्न जन्मों का चित्रण किया गया है। उनमें बताया गया है कि बुद्ध ने इन विभिन्न योनियों (रूपों) में जन्म लेकर संसार के कल्याण के लिए तथा दया और त्याग का आदर्श स्थापित करने के लिए स्वयं को बलिदान कर दिया था। इन चित्रों के माध्यम से दर्शाया गया है कि बुद्ध ने किस प्रकार पशु के रूप में जन्म लेकर पशुओं तक के व्यवहार को प्रभावित किया। यह बुद्ध के साथ का ही प्रभाव था कि पशु तक मानवोचित व्यवहार करने लगे। वे भी उचित – अनुचित का भेद करके जीवन बिताने लगे, यह अजन्ता के भित्ति चित्रों में देखा जा सकता है।
(ग) ‘अपनी जानकारी की गाँठ खोलने’ से आशय है कि अजन्ता की गुफाओं की दीवारों पर जिन कला-मर्मज्ञों ने गुफा चित्रों को बनाया है, उन्हें चित्रकला के बारे में जितना ज्ञान था, उन्होंने सारा का सारा ज्ञान इन चित्रों में उड़ेल दिया है। उन्होंने अपने मन में कुछ भी ज्ञान शेष न रखा।
(घ) महात्मा बुद्ध के पिछले जन्म की कथाओं को ही ‘जातक कथाएँ’ कहा जाता है।
7. अजन्ता संसार की चित्रकलाओं में अपना अद्वितीय स्थान रखता है। इतने प्राचीन काल के इतने सजीव, इतने गतिमान, इतने बहुसंख्यक कथा – प्राण चित्र कहीं नहीं बने। अजन्ता के चित्रों ने देश-विदेश सर्वत्र की चित्रकला को प्रभावित किया। उसका प्रभाव पूर्व के देशों की कला पर तो पड़ा ही, मध्य-पश्चिमी एशिया भी उसके कल्याणकर प्रभाव से वंचित न रह सका। [2023]
प्रश्न
(क) प्रस्तुत गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
(ख) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए ।
(ग) अजन्ता की कला का बाहर के देशों पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर
(क) सन्दर्भ पूर्ववत् ।
(ख) प्रस्तुत गद्यांश में लेखक कहता है कि विश्व की चित्रकलाओं में अजन्ता की चित्रकला अपना विशिष्ट स्थान रखती है। अतः संसार में चित्रकला का सर्वोत्कृष्ट नमूना अजन्ता की चित्रकला ही है। विश्वभर में ऐसा कोई स्थान नहीं है, जहाँ इतने प्राचीन और सजीव चित्र पाए जाते हैं अर्थात् ऐसी कोई चित्रशाला नहीं है, जहाँ इतने सजीव और गतिशील चित्र अत्यधिक संख्या में उपलब्ध हों, जिनके माध्यम से कथाओं को वर्णित किया गया हो। ऐसा स्थान सम्पूर्ण विश्व में दुर्लभ है, इसलिए देश और विदेश की चित्रकलाओं पर अजन्ता की चित्रकला का विशेष प्रभाव पड़ा है। पूर्व के देशों चीन, जापान, इण्डोनेशिया आदि में इसके जैसे प्रयोग स्पष्ट रूप से देखने को मिलते हैं। इसके साथ ही ईरान, मिस्र आदि मध्य पश्चिमी एशिया के देशों की चित्रकला भी इसके प्रभाव से अछूती नहीं रह सकी है।
(ग) अजन्ता की कला का प्रभाव पूर्व के देशों की कला पर तो पड़ा ही मध्य पश्चिमी एशिया, चीन, जापान, इण्डोनेशिया आदि पूर्व के देश तथा ईरान, मिस्र आदि मध्य-पश्चिमी एशिया के देशों की चित्रकला पर भी इसका पर्याप्त प्रभाव पड़ा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *