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UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 6

UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 6 स्थानीय स्वास्थ्य संस्थाएँ एवं सेवाएँ

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 9 Home Science . Here we have given UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 6 स्थानीय स्वास्थ्य संस्थाएँ एवं सेवाएँ.

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
स्थानीय स्वास्थ्य संस्थाओं से क्या तात्पर्य है? इनके मुख्य कार्यों का वर्णन कीजिए।
या
अपने राज्य की स्थानीय स्वास्थ्य सेवाओं के जिला स्तरीय कार्यों का वर्णन कीजिए।
या
जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी का क्या कार्य है? समझाइए।
उत्तर:
स्थानीय स्वास्थ्य संस्थाओं का अर्थ

किसी स्थान विशेष (नगर, ग्राम, कस्बा तथा कॉलोनी आदि) की स्वास्थ्य सम्बन्धी देख-रेख; जैसे कि रोगियों के उपचार, निर्धनों को पौष्टिक आहार, पेय जल एवं स्वच्छता के लिए जिन संस्थाओं की व्यवस्था की जाती है, उन्हें स्थानीय स्वास्थ्य संस्थाएँ कहते हैं। जैसे–राजकीय चिकित्सालय,  परिवार नियोजन केन्द्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, चलते-फिरते चिकित्सालय, बाल स्वास्थ्य रक्षा केन्द्र तथा स्वास्थ्य निरीक्षण केन्द्र इत्यादि।

जिला स्तरीय स्थानीय स्वास्थ्य संस्थाओं के प्रमुख कार्य

सभी स्थानीय स्वास्थ्य संस्थाएँ जनहित में कार्य करती हैं। जिला स्तर पर स्वास्थ्य सम्बन्धी किए जाने वाले समस्त कार्यों के लिए जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी जिम्मेदार होता है। जिला स्तर पर किए जाने वाले जन-स्वास्थ्य सम्बन्धी मुख्य कार्यों का विवरण निम्नवर्णित है

  1.  बच्चे का जन्म, भार एवं क्रमिक शारीरिक विकास का विवरण लिखना
  2. छोटे बच्चों को रोग-प्रतिरोधक टीके लगाना।
  3.  सम्बन्धित क्षेत्र में संक्रामक रोगों से बचाव की व्यवस्था करना
  4. आर्थिक रूप से दुर्बल एवं सामान्य नागरिकों के लिए नि:शुल्क अथवा कम मूल्य की औषधियों की व्यवस्था करना।
  5. विभिन्न ग्रामों एवं मौहल्लों में छोटे-छोटे औषधालय खोलने के यथासम्भव प्रयास करना।
  6. स्वास्थ्य सम्बन्धी आवश्यक जानकारी उपलब्ध कराने के लिए स्थान-स्थान पर पोस्टर, चित्र, चार्ट तथा चलचित्र आदि की व्यवस्था करना। .
  7. रक्त, मल-मूत्र तथा कफ इत्यादि के निरीक्षण हेतु परीक्षण प्रयोगशालाओं की व्यवस्था करना।
  8.  नागरिकों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए मनोरंजन केन्द्रों को खोलना।
  9. ग्रामवासियों को स्वास्थ्य सम्बन्धी शिक्षा देना, जिससे कि उनमें फैले परम्परागत अन्ध-विश्वास समाप्त हो सकें।
  10.  सामान्य रूप से उपयोग में आने वाले भोज्य पदार्थों की स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से गुणवत्ता के निरीक्षण की व्यवस्था करना तथा दोषी पाए जाने वाले विक्रेताओं को शासन द्वारा दण्ड दिलाना।
  11. सड़कों, गलियों, नालियों तथा सीवर पाइप लाइनों की सफाई एवं स्वच्छता का प्रबन्ध करना।।
  12. किसी रोग के संक्रामक रूप ग्रहण करने की आशंका होने पर सामान्य नागरिकों को आवश्यक सावधानियों एवं उपचार के विषय में विभिन्न माध्यमों द्वारा जानकारी देना।
  13. स्वास्थ्य विभाग नागरिकों के जन्म-मरण का ब्यौरा भी रखता है।

प्रश्न 2:
प्रमुख जन-स्वास्थ्य संस्थाओं एवं उनके कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
स्थानीय स्वास्थ्य संस्थाएँ–देखें प्रश्न संख्या 1 का प्रारम्भिक भाग।

प्रमुख स्थानीय संस्थाएँ एवं उनके कार्य

(1) प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र:
हमारे देश में प्रायः सभी क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र स्थापित किए गए हैं। यह प्रायः एक निश्चित जनसंख्या (20,000 से 25,000 तक) के क्षेत्र में खोले जाते हैं। प्रत्येक केन्द्र का संचालक प्रभारी चिकित्सा-अधिकारी होता है। इसके अतिरिक्त प्रत्येक केन्द्र में स्वास्थ्य निरीक्षक, कम्पाउण्डर,  वार्ड-ब्वाय तथा नर्स भी होते हैं। नवीन व्यवस्था के अनुसार छोटे-छोटे क्षेत्रों (ग्राम आदि) के लिए एक स्त्री अथवा पुरुष, जन-स्वास्थ्य निरीक्षक नियुक्त किया जाता है, – जिसका कार्य अपने क्षेत्र में स्वास्थ्य सम्बन्धी सभी सेवाएँ उपलब्ध कराना होता है। इन केन्द्रों के संचालन
के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं

  1.  जन-स्वास्थ्य की देख-रेख करना,
  2.  स्वास्थ्य सम्बन्धी शिक्षा का प्रसार करना,
  3.  परिवार नियोजन कार्यक्रम का संचालन,
  4.  विभिन्न रोगों के आँकड़े एकत्रित करना तथा
  5.  घातक रोगों (टी० बी०, पोलियो, चेचक आदि) से बचाव के टीके लगाना।

(2) चिकित्सालय:
विभिन्न नगरों में स्थिति के अनुसार, ऐलोपैथिक, होम्योपैथिक एवं दक चिकित्सालय होते हैं, जिनमें नागरिकों को नि:शुल्क चिकित्सा-सुविधा उपलब्ध होती है। प्रत्येक जिले में प्रायः एक जिला राजकीय चिकित्सालय होता है, जिसमें रोगी की चिकित्सा तथा विभिन्न प्रकार के ऑपरेशनों की सुविधा भी उपलब्ध होती है। कुछ बड़े नगरों में मेडिकल कॉलेज होते हैं जो कि चिकित्सा क्षेत्र में विद्यार्थियों को स्नातक तथा स्नातकोत्तर  स्तर तक शिक्षा देते हैं। इनसे सम्बन्धित चिकित्सालय नागरिकों को विशिष्ट एवं महत्त्वपूर्ण चिकित्सा सुविधा निःशुल्क उपलब्ध कराते हैं। राजकीय चिकित्सालयों में प्रायः चिकित्सा के साथ-साथ रोगियों के आवास (जनरल वार्ड) एवं भोजन की भी निःशुल्क व्यवस्था होती है।

(3) परिवार नियोजन केन्द्र:
इनकी स्थापना केन्द्रीय सरकार ने देश की जनसंख्या में वृद्धि को नियन्त्रित रखने तथा परिवार-कल्याण के उद्देश्य से की है। इन केन्द्रों में योग्य चिकित्सक एवं नसें होती हैं। इनके द्वारा परिवार नियोजन सम्बन्धी जानकारियों का जन-प्रसार किया जाता है तथा सम्बन्धित साधनों को निःशुल्क वितरण  किया जाता है। सरकार समय-समय पर परिवार नियोजन अपनाने वालों को आर्थिक व अन्य प्रकार के प्रोत्साहन दिया करती है।

(4) चलते-फिरते चिकित्सालय:
चिकित्सा विभाग द्वारा विशेष प्रकार की बसों से गाँवों में चिकित्सक भेजे जाते हैं जो कि रोगियों का उपचार करते हैं तथा औषधियों का वितरण करते हैं। चिकित्सक ग्रामवासियों को चेचक, टिटेनस इत्यादि संक्रामक रोगों के टीके भी लगाते हैं।

(5) नगरपालिका जन-स्वास्थ्य विभाग:
प्रत्येक नगर में नगरपालिका अथवा महानगरपालिका का स्वास्थ्य विभाग होता है। यह नगर की स्वच्छता एवं स्वास्थ्य की देख-रेख करती है। मलेरिया उन्मूलन तथा संक्रामक रोगों से नागरिकों की सुरक्षा आदि स्वास्थ्य विभाग के महत्त्वपूर्ण दायित्व होते हैं।

(6) प्रौढ़ शिक्षा केन्द्र:
इनको कार्य ग्रामों की अशिक्षित जनता को आवश्यक शिक्षा प्रदान करना है। भाषणों, चित्रों, चलचित्रों, टी० वी० तथा विशेष कैम्पों द्वारा प्रौढ़ शिक्षा केन्द्रों के प्रायोजक ग्रामवासियों को शिक्षा देते हैं, उनके अन्धविश्वासों को दूर करने का प्रयास करते हैं तथा स्वास्थ्य के प्रति उनमें चेतना जाग्रत करते हैं।

(7) अन्धे, बधिर व मूक व्यक्तियों के स्कूल:
केन्द्र सरकार के अनेक सार्वजनिक संस्थाओं द्वारा अनेक स्थानों पर इस प्रकार के स्कूल चल रहे हैं। इनमें अन्धे बच्चों व युवाओं को विशेष तकनीक (बेल विधि) द्वारा शिक्षा दी जाती है। इसी प्रकार अन्य तकनीकों द्वारा बधिर व गैंगों को शिक्षा दी जाती है। तथा अनेक प्रकार से इन्हें आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास किए जाते हैं।

(8) विकलांग केन्द्र:
इन केन्द्रों पर अपंग व्यक्तियों का उपचार किया जाता है तथा उनमें आवश्यक कृत्रिम अंग भी आरोपित किए जाते हैं। इन्हें शिक्षित किया जाता है तथा विभिन्न व्यावसायिक कार्यों की शिक्षा दी जाती है, जिससे कि ये आत्मनिर्भर हो सकें।

(9) बाल स्वास्थ्य रक्षा केन्द्र:
इन केन्द्रों का संचालन प्रायः नगरपालिका करती है। समय-समय पर इन केन्द्रों द्वारा बच्चों के स्वास्थ्य का परीक्षण किया जाता है, रोग-प्रतिरोधक औषधियाँ निःशुल्क वितरित की जाती हैं तथा गम्भीर रोगों से ग्रस्त बच्चों के उपचार की व्यवस्था की जाती है।

(10) निरीक्षण विभाग:
राज्य सरकार द्वारा इस प्रकार के विभागों की स्थापना की गई है। इनमें कार्यरत कर्मचारी विभिन्न खाद्य सामग्रियों व औषधियों के सेम्पल लेकर उनकी गुणवत्ता का विश्लेषण करते हैं। दोषी पाए जाने वाले विक्रेताओं को राज्य सरकार दण्डित किया करती है।

प्रश्न 3:
बहुउद्देशीय कार्यकर्ताओं के विषय में आप क्या जानती हैं? इनके कार्यों का वर्णन ‘, कीजिए।
उत्तर:
बहुउद्देशीय कार्यकर्ता सम्बन्धित ग्रामीण क्षेत्र में संक्रामक रोगों पर नियन्त्रण, पर्यावरण स्वच्छता, परिवार नियोजन, स्वास्थ्य सम्बन्धी शिक्षा तथा छोटे-छोटे रोगों के उपचार सम्बन्धी उपायों की यथासम्भव व्यवस्था करता है। महिला एवं पुरुष दोनों ही बहुउद्देशीय कार्यकर्ता के रूप में नियुक्त  किए जाते हैं। महिला कार्यकर्ता 2000 तक की जनसंख्या के लिए तथा पुरुष कार्यकर्ता 3000 तक की जनसंख्या वाले क्षेत्र के लिए पूर्णतः उत्तरदायी होते हैं। आवश्यकता पड़ने पर दोनों प्रकार के कार्यकर्ता एक-दूसरे की सहायता कर सकते हैं।

बहुउद्देशीय कार्यकर्ताओं के महत्त्वपूर्ण कार्य

महिला कार्यकर्ता द्वारा किए जाने वाले कार्य:
परिवार नियोजन व मातृ-शिशु कल्याण महिला कार्यकर्ता के दो महत्त्वपूर्ण दायित्व हैं। उसके अन्य कार्यों का संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित है

  1. महिलाओं को परिवार नियोजन के लाभ बताकर उन्हें इसके लिए प्रेरित करना।
  2. गर्भ निरोध की विधियों के विषय में महिलाओं को पर्याप्त जानकारियाँ देना।
  3. गर्भवती महिलाओं को सस्ते एवं पौष्टिक आहार के विषय में बताकर उन्हें इसके प्रयोग के लिए प्रेरित करना।
  4.  प्रसव के पूर्व व पश्चात् तथा प्रसव काल में महिलाओं की मदद करना।
  5.  बच्चों एवं नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य की देख-रेख करना।।
  6. कुपोषण से ग्रस्त माताओं व बच्चों को कैल्सियम, आयरन, विटामिन्स तथा प्रोटीन इत्यादि की आवश्यक मात्रा देना।

पुरुष कार्यकर्ताओं के कार्य:
पुरुष कार्यकर्ता अपेक्षाकृत बड़े क्षेत्र में कार्य करते हैं। इनके निम्नलिखित सामान्य कार्य हैं

  1.  ग्रामीणों को पर्यावरण प्रदूषण से उत्पन्न होने वाली विभिन्न कठिनाइयों से अवगत कराना।
  2. गाँव में कूड़ा-करकट दूर करने तथा मल-मूत्र के उचित निकास के विषय में वहाँ के निवासियों को प्रेरित करना।
  3.  ग्रामीणों को स्वास्थ्य के महत्त्व से परिचित कराना।
  4.  ग्रामीणों को शुद्ध पेय जल के महत्व को समझाना तथा जल शुद्ध करने की सामान्य विधियों से उन्हें परिचित कराना।
  5. गाँव में किसी सुविधाजनक स्थान पर स्वास्थ्य-क्लीनिक की स्थापना करना।
  6. संक्रामक रोगों से बचाव के सभी उपायों को प्रयोग में लाना।
  7. छोटे-मोटे रोगों के उपचार के उपाय करना।
  8. बड़े अथवा घातक रोग से ग्रसित रोगी को बड़े अस्पताल पहुँचाने की अविलम्ब व्यवस्था करना।
  9. पुरुषों को परिवार नियोजन के लाभ समझाकर उन्हें बन्ध्यीकरण के लिए प्रेरित करना।
  10.  आवश्यकता पड़ने पर महिला कार्यकर्ता की मदद करना।

प्रत्येक कार्यकर्ता को सप्ताह में कम-से-कम एक बार मुख्य केन्द्र में अपने कार्यों का लेखा-जोखा देना होता है। इसके आधार पर मुख्य केन्द्र से उन्हें आवश्यक एवं उपयोगी निर्देश प्राप्त होते हैं। बहुउद्देशीय कार्यकर्ताओं का ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अत्यधिक महत्त्व है।

 

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
प्रसार-शिक्षक के मुख्य कार्य क्या हैं?
उत्तर:
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में चिकित्सा अधिकारी चिकित्सा सम्बन्धी दायित्वों का निर्वाह करते हैं तथा इसके साथ-साथ प्रसार-शिक्षक के कार्यों का भी निरीक्षण करते हैं। प्रसार-शिक्षक परिवार नियोजन, माताओं, शिशुओं तथा बच्चों के स्वास्थ्य सम्बन्धी कार्यों के लिए विशेष रूप से उत्तरदाई होता है। इन कार्यों में प्रसार-शिक्षक की सहायता के लिए 6 परिनिरीक्षक (4 पुरुष व 2 महिलाएँ) भी नियुक्त  किए जाते हैं। महिला परिनिरीक्षिकाएँ माताओं व शिशुओं की सीधे सहायता करती हैं, जबकि पुरुष परिनिरीक्षक महिला कार्यकर्ताओं की सहायता करते हैं। प्रसार-शिक्षक व उसके सहयोगियों को उनके . विशिष्ट कार्य के साथ-साथ स्वास्थ्य सम्बन्धी अन्य सभी कार्यों को भी अपनी क्षमता के अनुसार करना होता है। इस प्रकार प्रसार-शिक्षक एवं उसके सहयोगी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र से प्राप्त सुविधाओं को सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुँचाते हैं।

प्रश्न 2:
‘सामुदायिक विकास खण्ड के विषय में आप क्या जानती हैं?
उत्तर:
‘सामुदायिक विकास खण्ड’ योजना का प्रारम्भ केन्द्रीय सरकार ने ग्रामीण जनता के कल्याण को दृष्टिगत रखते हुए किया है। इस योजना में ग्रामीण क्षेत्रों को विभिन्न खण्डों में विभाजित किया गया है। इन खण्डों के कार्य-क्षेत्र में कृषि एवं अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के साथ-साथ निम्नलिखित कार्य भी सम्मिलित किए गए हैं

  1. जन-स्वास्थ्य की देख-रेख व स्वास्थ्य सम्बन्धी आवश्यक शिक्षण।
  2. मातृ एवं शिशु कल्याण।
  3.  चेचक, मलेरिया आदि के उन्मूलन की योजनाओं को गति प्रदान करना।
  4.  संक्रामक रोगों से ग्रामीण जनता को सुरक्षित रखने के यथासम्भव प्रयास करना।
  5.  परिवार नियोजन के कार्यक्रम को गति प्रदान करना।

केन्द्रीय सरकार ने ग्रामीण अंचल में एक लाख की जनसंख्या वाले क्षेत्र के सभी खण्डों को मिलाकर एक बड़े खण्ड का रूप देने का प्रस्ताव किया तथा इसका नाम ‘सामुदायिक विकास खण्ड रखा गया। इस प्रकार यह केन्द्रीय सरकार के अनुदान पर चलने वाली ग्रामीण अंचल के लिए एक
उपयोगी योजना है।

प्रश्न 3:
जन-स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के मार्ग में कौन-कौन सी कठिनाइयाँ आती हैं?
उत्तर:
हमारे ग्रामीण अंचल में एक सीमा तक शिक्षा का अभाव है, जिसके फलस्वरूप ग्रामीणों में अन्धविश्वास का बोलबाला है तथा टोने-टोटके आज भी प्रचलित हैं। इस वातावरण में जन-स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का मार्ग अनेक कठिनाइयों से भरा होता है। अपने कल्याण से सम्बन्धित होने पर भी ग्रामीण इन कार्यकर्ताओं को पूर्ण सहयोग देने में हिचकिचाते हैं। अतः कार्यकर्ताओं को अनेक परेशानियाँ उठानी पड़ती हैं। कुछ सामान्य कठिनाइयाँ निम्नलिखित हैं

(1) शिक्षा का अभाव:
भली प्रकार शिक्षित न होने के कारण अधिकांश ग्रामीण स्वास्थ्य सम्बन्धी नियम, रोगों से बचाव तथा भोजन एवं पोषण जैसी महत्त्वपूर्ण बातों से अनजान होते हैं। अतः इन्हें
जन-स्वास्थ्य सेवाओं का पूर्ण लाभ नहीं मिल पाता।

(2) रूढ़िवादिता:
अधिकांश ग्रामीण जनता अयोग्य हकीम, वैद्य तथा चिकित्सकों की दवाइयों पर ही निर्भर करती है। कुछ लोग तो रोगों में टोने-टोटके का प्रयोग करना लाभकारी मानते हैं। इन्हें सही मार्ग पर लाना सरल कार्य नहीं है।

(3) सार्वजनिक स्वच्छता का अभाव:
अधिकांश ग्रामीण तथा आदिवासी जनता सार्वजनिक स्वच्छता के महत्त्व को नहीं समझती है। कहीं भी कूड़ा-करकट फेंक देना, मल-मूत्र का अनुचित निकास तथा नालियों में ठहरा हुआ गन्दा पानी ग्रामीण क्षेत्रों में सामान्य बातें हैं, जिनके फलस्वरूप विभिन्न रोगों के फैलने की सम्भावनाएँ सदैव ही बनी रहती हैं। इन्हें स्वच्छता का महत्त्व समझाना तथा इस पर चलने के लिए विवश करना एक कठिन कार्य है।

(4) स्वास्थ्य संगठनों की अकर्मण्यता:
केन्द्रीय एवं राज्य सरकार जनहित में सदैव नई-नई योजनाएँ प्रारम्भ करती हैं, परन्तु अत्यन्त दु:ख की बात है कि न तो इनके प्रति जनता ही पूर्णरूप से जागरूक रहती है और न ही इनके अन्तर्गत नियुक्त किए गए कर्मचारी अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं। अतः परिणाम यह निकलता है कि योजनाएँ केवल आंशिक रूप से ही सफल हो पाती हैं। सरकार द्वारा गठित विभिन्न स्वास्थ्य संगठन भी इसके अपवाद नहीं हैं।

प्रश्न 4:
विश्व स्वास्थ्य संगठन क्या है?
उत्तर:
विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्थापना वर्ष 1940 में हुई तथा यह 4 अप्रैल, 1948 ई० से पूर्ण रूप से कार्य कर रहा है। इसका गठन संयुक्त राष्ट्र संघ के तत्त्वावधान में किया गया है। विश्व के अधिकांश देश इसके सदस्य हैं तथा इनके चिकित्सा विशेषज्ञ विश्व स्वास्थ्य संगठन का प्रतिनिधित्व करते हैं। कम विकसित एवं विकासशील देशों के लिए यह संगठन अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। इसका प्रमुख उद्देश्य स्वास्थ्य, कुपोषण तथा विभिन्न रोगों के निवारण सम्बन्धी नए-नए अन्वेषण व नीतियों का सृजन करना है। किसी भी देश में कोई संक्रामक  रोग फैलने पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि उस देश की पीड़ित जनता के लिए आवश्यक औषधियों एवं चिकित्सकों को अविलम्ब प्रबन्ध करते हैं। इसके अतिरिक्त पीड़ित देश को आवश्यक आर्थिक सहायता भी विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से प्राप्त होती दक्षिण-पूर्वी एशिया से सम्बन्धित विश्व स्वास्थ्य संगठन का मुख्य कार्यालय नई दिल्ली में है।

 

प्रश्न 5:
रेडक्रॉस सोसायटी का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
यह एक ऐसा संगठन है जिसकी शाखाएँ विश्व भर में फैली हुई हैं। इस संगठन की हमारे देश में 400 से अधिक शाखाएँ हैं जो कि लगभग सभी मुख्य जिलों में स्थित हैं। इसे भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी कहते हैं। मानव-कल्याण एवं नि:स्वार्थ मानव-सेवां इसकी प्रमुख विशेषताएँ हैं। यह अनाथों, महिलाओं तथा बच्चों को औषधियाँ एवं पोषक आहार नि:शुल्क उपलब्ध कराती है। यह स्कूल तथा कॉलेजों में प्राथमिक  उपचार, गृह परिचर्या एवं स्वास्थ्य सम्बन्धी शिक्षा का भी प्रबन्ध करती है। रेडक्रॉस सोसायटी एक गैर-राजनीतिक संगठन है। यह किसी भी देश में महामारी फैलने पर अविलम्ब पीड़ितों की सहायता करती है। युद्ध के समय यह घायलों की सेवा एवं चिकित्सा करती है तथा युद्ध के समय सैनिक रेडक्रॉस के कार्यकर्ताओं एवं गाड़ियों पर हमला नहीं करते हैं।

प्रश्न 6:
स्थानीय अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाएँ मानव-कल्याण के कार्य में किस प्रकार योगदान देती हैं?
उत्तर:
विश्व स्वास्थ्य परिषद् के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए अनेक क्लब एवं संस्थाएँ कार्यरत हैं। रोटरी क्लब, लायन्स क्लब, स्काउट गाइड संस्था, स्थानीय स्वास्थ्य संगठन इत्यादि संस्थाएँ मानवकल्याण हेतु अनेक कार्यक्रम आयोजित किया करती हैं। इस प्रकार के कार्यक्रम निम्नलिखित हैं

  1. नि:शुल्क नेत्रों का कैम्प।
  2. निःशुल्क रक्तदान पखवाड़ा।
  3.  नि:शुल्क बन्ध्यीकरण कैम्प।
  4. वृक्ष लगाओ कार्यक्रम।
  5.  स्वास्थ्य उपकेन्द्रों की स्थापना।
  6.  सार्वजनिक शौचालय एवं मूत्रालयों का निर्माण।

प्रश्न 7:
चलती-फिरती डिस्पेन्सरी का क्या कार्य है?
उत्तर:
चिकित्सा विभाग द्वारा विशेष प्रकार की बसों में ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सक भेजे जाते हैं। ये रोगियों का उपचार करते हैं तथा औषधियों का नि:शुल्क वितरण करते हैं। ये ग्रामवासियों को चेचक, टिटेनस व हैजा आदि संक्रामक रोगों से बचाव के टीके भी लगाते हैं। इसके अतिरिक्त इस डिस्पेन्सरी के कार्यकर्ता स्वास्थ्य सम्बन्धी जानकारी भी प्रदान करते हैं।

प्रश्न 8:
राष्ट्रीय परिवार कल्याण कार्यक्रम के अन्तर्गत परिवार नियोजन की सामान्य विधियों को संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
राष्ट्रीय परिवार कल्याण कार्यक्रम के अन्तर्गत परिवार नियोजन की विधियों को दो भागों में बाँटा जा सकता है

(1) अस्थायी विधियाँ:
पुरुषों के लिए ‘निरोध’ तथा महिलाओं के लिए ‘कॉपर टी’ अथवा ‘लूप’ आदि पूर्ण तथा सफल विधियाँ नि:शुल्क परिवार कल्याण केन्द्र से प्राप्त की जा सकती हैं। इसके अतिरिक्त खाने के लिए गोलियाँ तथा प्रयोग करने के लिए क्रीम आदि अनेक साधन अपनाए जा सकते
(2) स्थायी विधियाँ:
इसके अन्तर्गत महिला नसबन्दी तथा पुरुष नसबन्दी प्रमुख हैं। इन विधियों के लिए जिला तथा अन्य स्तरों पर सुविधाएँ प्राप्त हैं। पुरुष नसबन्दी महिला के मुकाबले आसान तथा निरापद है। आजकल महिला नसबन्दी लैप्रोस्कोपिक विधि के द्वारा अधिक सुविधाजनक बनाई गई है।

प्रश्न 9:
जन-स्वास्थ्य के सामान्य नियमों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
व्यक्तिगत स्वास्थ्य तथा जन-स्वास्थ्य में घनिष्ठ सम्बन्ध है। जन-स्वास्थ्य के नियमों की अवहेलना करके कोई व्यक्ति अपने व्यक्तिगत स्वास्थ्य को भी ठीक नहीं रख सकता। सामान्य रूप से स्वस्थ वातावरण बनाए रखने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को जन-स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहना चाहिए।
जन-स्वास्थ्य के मुख्य नियम हैं

  1. व्यक्ति को खाँसने एवं छींकने में सावधानी बरतनी चाहिए,
  2. व्यक्ति को जहाँ-तहाँ थूकना नहीं चाहिए,
  3.  मल-मूत्र त्यागने में सावधानी रखनी चाहिए,
  4.  जहाँ-तहाँ कूड़ा-करकट नहीं फेंकना चाहिए तथा
  5. कहीं भी संक्रामक रोग के फैलने की आशंका होते ही स्वास्थ्य-विभाग को सूचित करना चाहिए।

प्रश्न 10:
जहाँ-तहाँ थूकना क्यों हानिकारक माना जाता है?
उत्तर:
जन-स्वास्थ्य का एक मुख्य नियम है कि व्यक्ति को जहाँ-तहाँ नहीं थूकना चाहिए। वास्तव में जहाँ-तहाँ थूकने से वातावरण में गन्दगी व्याप्त होती है तथा रोगाणुओं के फैलने की आशंका बढ़ती है। थूक एवं बलगम पर मक्खियाँ भिनभिनाने लगती हैं। इसके अतिरिक्त कुछ व्यक्तियों के थूक में किसी संक्रामक रोग के कीटाणु भी विद्यमान होते हैं। ऐसे व्यक्तियों द्वारा जहाँ-तहाँ थूकने से वातावरण में रोग के कीटाणु व्याप्त हो  जाते हैं तथा वायु के माध्यम से अन्य स्वस्थ व्यक्तियों के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं तथा उन्हें भी संक्रमित कर सकते हैं। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कहा जाता है कि जहाँ-तहाँ थूकना हानिकारक होता है। प्रत्येक व्यक्ति को थूकने में विशेष सावधानी रखनी चाहिए। व्यक्ति को सदैव पीकदान में ही थूकना चाहिए। पीकदानों में कोई अच्छा नि:संक्रामक भी अवश्य डाला जाना चाहिए तथा उनकी नियमित सफाई की व्यवस्था होनी चाहिए।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
जन-स्वास्थ्य के हित में घर के कूड़े को कहाँ फेंकना चाहिए?
उत्तर:
जन-स्वास्थ्य के हित में घर के कूड़े को सार्वजनिक कूड़ेदान अथवा खत्ते में ही फेंकना चाहिए।

 

प्रश्न 2:
स्थानीय स्वास्थ्य संस्थाओं के किन्हीं दो कार्यों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
स्थानीय स्वास्थ्य संस्थाओं के दो मुख्य कार्य हैं

  1.  साधारण रोगों का उपचार तथा
  2.  विभिन्न संक्रामक रोगों को फैलने से रोकने के सभी सम्भव उपाय करना।

प्रश्न 3:
बाल रक्षा केन्द्रका संचालन कौन करता है?
उत्तर:
बाल रक्षा केन्द्र का संचालन नगरपालिका करती है।

प्रश्न 4:
भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी का मुख्यालय कहाँ स्थित है?
उत्तर:
भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।

प्रश्न 5:
विश्व स्वास्थ्य संगठन का भारत में मुख्य कार्यालय कहाँ है?
उत्तर:
विश्व स्वास्थ्य संगठन का भारत में मुख्य कार्यालय नई दिल्ली में स्थित है।

प्रश्न 6:
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में कितने चिकित्सा अधिकारी होते हैं?
उत्तर:
प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय कुल तीन चिकित्सा अधिकारी होते हैं, जिनमें प्रथम चिकित्सा अधिकारी मुख्य प्रशासनिक अधिकारी होता है।

प्रश्न 7:
मलेरिया एवं कुष्ठ रोग सम्बन्धित राष्ट्रीय योजनाएँ कौन-सी हैं?
उत्तर:

  1. राष्ट्रीय मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम,
  2.  राष्ट्रीय कुष्ठ रोग नियन्त्रण कार्यक्रम।

 

प्रश्न 8:
बच्चों को ट्रिपल एण्टीजन टीका क्यों लगाया जाता है?
उत्तर:
यह डिफ्थीरिया, काली खाँसी तथा टिटेनस की बीमारियों से बचाव के लिए लगाया जाता

प्रश्न 9:
पोलियो उन्मूलन के लिए देश में कौन-सी व्यापक योजना चलाई जा रही है?
उत्तर:
पोलियो उन्मूलन के लिए देश में ‘पल्स पोलियो’ नामक व्यापक योजनां चलाई जा रही है।

प्रश्न 10:
बच्चों को बी० सी० जी० का टीका क्यों लगाया जाता है?
उत्तर:
यह टीका बच्चों में क्षय रोग (टी० बी०) से बचाव के लिए लगाया जाता है।

प्रश्न 11:
चलती-फिरती डिस्पेन्सरी का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
यह गाँव-गाँव में ग्रामीणों को दवाइयाँ वितरित करती है तथा संक्रामक रोगों से बचाव के उपाय करती है।

प्रश्न 12:
परिवार की कुशलता के लिए परिवार नियोजन क्यों आवश्यक है? दो कारण लिखिए।
उत्तर:
परिवार के सुख, समृद्धि तथा कल्याण के लिए एवं देश की जनसंख्या को नियन्त्रित करने के लिए परिवार नियोजन आवश्यक है।

 

प्रश्न 13:
गृहिणी के लिए स्थानीय स्वास्थ्य संस्थाओं के विषय में जानकारी को क्यों आवश्यक माना जाता है?
उत्तर:
गृहिणी के लिए स्थानीय स्वास्थ्य संस्थाओं की जानकारी को आवश्यक माना जाता है, क्योंकि किसी भी आकस्मिक घटना के घटित होने पर अथवा संक्रामक रोगों से बचाव के टीके लगवाने के लिए स्थानीय स्वास्थ्य संस्थाओं से ही सहायता प्राप्त होती है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न:
प्रत्येक प्रश्न के चार वैकल्पिक उत्तर दिए गए हैं। इनमें से सही विकल्प चुनकर लिखिए

(1) मातृ-कल्याण सेवा केन्द्रों का मुख्य कार्य है
(क) केवल प्रसूता की देखभाल करना,
(ख) केवल नवजात शिशुओं की देखभाल करना,
(ग) माता तथा शिशुओं की देखभाल करना,
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं।

(2) दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराई जाती हैं
(क) जिला अस्पताल द्वारा,
(ख) ग्राम पंचायत द्वारा,
(ग) चलती-फिरती डिस्पेन्सरी द्वारा,
(घ) नीम-हकीमों द्वारा।

(3) बच्चों को क्षय रोग से बचाने के लिए टीका लगाया जाता है
(क) ट्रिपल एण्टीजन का,
(ख) बी० सी० जी० का,
(ग) टिटेनस का,
(घ) इन सभी का।

(4) चिकित्सालय में रोगियों की देख-रेख की जाती है
(क) परिचारिकाओं द्वारा,
(ख) चिकित्सकों द्वारा,
(ग) सरकारी कर्मचारियों द्वारा,
(घ) जनसेवकों द्वारा।

(5) भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी की शाखा होती है प्रत्येक
(क) नगर में,
(ख) गाँव में,
(ग) कस्बे में,
(घ) जिले में।

(6) परिवार नियोजन केन्द्र कार्यरत हैं
(क) केवल नगरों में,
(ख) केवल गाँवों में,
(ग) प्रत्येक गाँव व नगर में,
(घ) सुविधा सम्पन्न स्थानों पर।

(7) ग्रामीण स्त्रियों को परिवार-नियोजन के लिए जागरूक करते हैं
(क) सरपंच,
(ख) महिला स्वास्थ्य कार्यकत्री,
(ग) प्रधान चिकित्सा अधिकारी,
(घ) विभिन्न शिक्षिकाएँ।

 

(8) अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित स्वास्थ्य संगठन है
(क) मातृ एवं शिशु कल्याण केन्द्र,
(ख) विश्व स्वास्थ्य संगठन,
(ग) राष्ट्रीय कुष्ठ रोग निवारण कार्यक्रम,
(घ) मलेरिया निवारण कार्यक्रम।

उत्तर:
(1) (ग) माती तथा शिशुओं की देखभाल करना,
(2) (ग) चलती-फिरती डिस्पेन्सरी द्वारा,
(3) (ख) बी० सी० जी० का,
(4) (क) परिचारिकाओं द्वारा,
(5) (घ) जिले में,
(6) (ग) प्रत्येक गाँव व नगर में,
(7) (ख) महिला स्वास्थ्य कार्यकत्री,
(8) (ख) विश्व स्वास्थ्य संगठन।

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