WBBSE 10th Class Hindi Solutions रचना – प्रतिवेदन लेखन
WBBSE 10th Class Hindi Solutions रचना – प्रतिवेदन लेखन
West Bengal Board 10th Class Hindi Solutions रचना – प्रतिवेदन लेखन
West Bengal Board 10th Hindi Solutions
प्रतिवेदन लेखन
प्रश्न – 1 : प्रतिवेदन क्या है ?
उत्तर : परिभाषा: ‘प्रतिवेदन’ अंग्रेजी शब्द ‘Report’ का पर्याय है। किसी घटना का वास्तविक या यथातथ्य संक्षेप में जन साधारण के समक्ष मौखिक या लिखित रूप से प्रस्तुत कर देना ही प्रतिवेदन है। इसका विषय विस्तृत है अर्थात् प्रतिवेदन का विषय कुछ भी हो सकता है जैसे, कोई घटना, समारोह, उत्सव, उद्घाटन, सभा-जुलूस, कोई बैठक आदि का संक्षिप्त चिट्ठा।
प्रतिवेदन का उद्देश्य यह होता है कि जिस व्यक्ति या जिन व्यक्तियों का किसी विषय से वास्ता या सरोकार हो जाये और जो उनके सारे तथ्यों की जानकारी रखता हो, उनके लिये यथावश्यक सूचना प्रस्तुत कर दी जाये।
इस प्रकार यह छोटा-सा शब्द अनेक प्रकार के भावों/अर्थों से भरा हुआ है । इस शब्द का प्रयोग विधि, पुलिस, प्रशासन, पत्रकारिता तथा साहित्य में होता है। प्रशासन में इसके लिये ‘प्रतिवेदन’ शब्द का प्रयोग मान्य है । विभिन्न संस्थानों, संगठनों, समितियों, विभागों, अनुभागों, आयोगों की साधारण (General) तथा विशेष बैठकें होती रहती है। इन बैठकों में किये गये निर्णय/विवेचन को तो कार्यवृत्त (Minutes) के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, किन्तु समय-समय पर अथवा अन्त में पूरा विवरण प्रतिवेदन या रिपोर्ट के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। प्रशासनिक रिपोर्ट तथा संसद में प्रस्तुत की जाने वाली रिपोर्ट द्विभाषिक (Bilingual) बनानी होती है, अर्थात् उसे हिन्दी एवं अंग्रेजी दोनों भाषाओं में जारी करना होता है ।
साहित्य में तो इसके लिये एक अलग शब्द ‘रिपोर्ताज’ फ्रान्सीसी शब्द पर बना लिया गया है। जिसमें किसी घटना का यथातथ्य वर्णन किया जाता है। घटना का यथातथ्य वर्णन कलात्मक तथा रससम्बंधात्मक रूप में दिया जाता है । इस प्रकार ‘रिपोर्ताज’ ही रिपोर्ट का कलात्मक तथा साहित्यिक रूप है ।
समितियों और उपसमितियों के प्रतिवेदन का अपना एक अलग वर्ग है । यदि कोई मामला ऐसा है कि उस पर कई लोगों का मिलजुल कर विचार और अन्वेषण करना आवश्यक हो, तो जाहिर है कि जो प्रतिवेदन आयेगा वह निश्चय ही महत्वपूर्ण होगा ।
आजकल अधिकतर समाचार-पत्र में प्रकाशित किसी घटना के विवरण को प्रतिवेदन कहा जाता है क्योंकि समाचार-पत्र में ही किसी घटना का यथातथ्य विवरण रहता है। अन्य प्रतिवेदनों से समाचार-पत्रों के प्रतिवेदन में अंतर आ जाता है। समाचार-पत्रों के प्रतिवेदन वास्तविक घटनाओं के साक्ष्य होते हैं। संवाद-पत्र के लिये प्रतिवेदन लिखते समय विषय-वस्तु की समष्टि पर ध्यान रखना चाहिए । यह घटना की समालोचना प्रस्तुत करता है। इसकी भाषा जनसाधारण की समझ में आने वाली होनी चाहिए । इसमें किसी प्रकार का व्यक्तिगत आक्षेप न हो ।
उपरोक्त चर्चाओं से यह स्पष्ट होता है कि प्रतिवेदन कई प्रकार के हो सकते हैं, जैसे-
- व्यक्ति द्वारा प्रतिवेदन
- विभाग/मंत्रालय का वार्षिक प्रतिवेदन
- संस्था/संस्थान द्वारा प्रस्तुत प्रगति विवरण भी प्रतिवेदन के रूप में हो सकता है
- समिति/आयोग/क्लब आदि द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन
- किसी भी प्रकार के सम्मेलन की समाप्ति पर तैयार किया गया प्रतिवेदन
प्रतिवेदन का ढँचा :-
प्रतिवेदन का ढाँचा इस प्रकार होता है –
1. शीर्षक
2. रूपरेखा-विषय-सूची
3. रिपोर्ट का संक्षेप
4. आमुख
5. आभार प्रदर्शन
6. मूल प्रतिवेदन :
(i) बड़ी होने पर अध्याओं में विभक्त, साथ ही सुविधा के लिये तारतम्य के दशमलव प्रणाली में प्रस्तुतीकरण ।
(ii) प्रमुख सिफारिशें :
7. तालिकाएँ : मूल रिपोर्ट के साथ भी महत्वपूर्ण हो सकती है अथवा उनको परिशिष्ट में लगाया जा सकता है
8. संदर्भ सूची
9. अनुक्रमणिका
उद्देश्य : प्रतिवेदन का उद्देश्य सिर्फ विवरण प्रस्तुत करना ही नहीं, वरन् समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करना भी है। इसका उद्देश्य बड़ा व्यापक होता है । प्रत्येक विभाग को अब वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी पड़ती है। प्रतिवेदन तैयार करने की प्रक्रिया अब विकसित हो गयी है। अब यह एक तकनीकी विषय बन गया है। अतः इस विद्या की पग-पग पर आवश्यकता पड़ती है।
यह बात उल्लेखनीय है कि भिन्न-भिन्न प्रकार के प्रतिवेदनों की प्रक्रिया भी भिन्न-भिन्न हो सकती है। किसी सभा/संगोष्ठी का प्रतिवेदन पत्रकारिता के क्षेत्र में अधिक किया जाता है। प्रतिवेदन में आज सबसे आवश्यक बात यह है कि महत्वपूर्ण विषयों को सापेक्षिक दृष्टि से दिखाया जाय । कभी-कभी इसकी ओर ध्यान नहीं दिया जाता है ।
प्रश्न – 2 : शहर कोलकाता के पुस्तक मेला पर समाचार पत्र में छपने के लिए एक प्रतिवेदन लिखिए।
अथवा, विगत वर्ष आयोजित ‘कोलकाता पुस्तक-मेला’ पर स्थानीय समाचार-पत्र में छपने के लिए एक प्रतिवेदन लिखिए ।
उत्तर : कोलकाता – अन्य वर्ष की तरह इस वर्ष भी ‘कोलकाता पुस्तक मेला’ लोगों के आकर्षण का केन्द्र बना रहा। इसमें विभिन्न राज्यों के विभिन्न भाषाओं की पुस्तकों के आकर्षक स्टॉल लगाए गए थे। बंगला और हिन्दी के स्टॉलों की संख्या सबसे अधिक थी । इस अवसर पर कुछ विदेशी प्रकाशनों ने भी अपने स्टॉल लगाए थे। हर पाठकों की रुचि के अनुसार पुस्तकें उपलब्ध थी। विभिन्न लेखकों, कवियों की उपस्थिति पाठकों को अपनी ओर आकर्षित करती रही। इस पुस्तक मेला में प्रिंटिंग मीडिया के भी कई स्टॉल लगाए गए थे। बच्चों तथा युवावर्ग की संख्या इस मेले में अन्य वर्षों की अपेक्षा अधिक थी।
प्रश्न – 3 : अपने विद्यालय में मनाए गए वार्षिकोत्सव पर समाचार-पत्र के लिए प्रतिवेदन लिखिए।
उत्तर : कोलकाता : आदर्श माध्यमिक विद्यालय के प्रांगण में 10 फरवरी 2007 को वार्षिक पुरस्कार वितरण समारोह सम्पन्न हुआ। समारोह के अध्यक्ष विद्यालय प्रबन्धकारिणी समिति के सचिव श्री श्याम नारायण राय शर्मा जी थे। मुख्य अतिथि के रूप में पश्चिम बंगाल एवं सिक्किम राज्य के एन०सी०सी० के ग्रुप कैप्टन श्री आर०एस० कटारिया जी समारोह में उपस्थित थे। इसके अतिरिक्त कोलकाता म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के क्रीड़ा, जनसम्पर्क, सूचना और पार्क एवं बागवानी विभाग के प्रभारी मंत्री जनाब फैयाज अहमद, छपते-छपते समूह के सम्पादक श्री विश्वम्भर नेवर, सनातन धर्म विद्यालय के प्रधानाध्यापक श्री एम.एम. तिवारी, आर्य विकास विद्यालय के प्रधानाध्यापक श्री जयशंकर सिंह जी और अनेक गणमान्य व्यक्ति थे। समारोह का संचालन विद्यालय के वरिष्ठ शिक्षक श्री जे०पी०पाण्डेय ने किया। विद्यालय के प्रधानाध्यापक डॉ०ए०पी० राय जी ने सभी अतिथियों का स्वागत किया । उपस्थित अविभावकों, अतिथियों एवं शिक्षकों के प्रति आभार व्यक्त किया। उनके स्वागत भाषण से समारोह का प्रारम्भ हुआ। विद्यालय के छात्रों द्वारा समारोह में सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। विद्यालय के सचिव श्री श्याम नारायण राय शर्मा, एन०सी०सी० के ग्रुप कैप्टन श्री कटारिया एवं श्री विश्वम्भर नेवर के कर-कमलों द्वारा छात्रों को पुरस्कार वितरण किया गया। समारोह के अन्त में विद्यालय के सचिव महोदय ने जीवन में शिक्षा और अनुशासन के महत्त्व पर प्रकाश डाला ।
प्रश्न – 4: अपने इलाके में आयोजित ‘रक्तदान शिविर’ पर समाचार-पत्र में छपने के लिए एक प्रतिवेदन लिखिए ।
उत्तर : अपने इलाके में आयोजित ‘रक्तदान शिविर’ – 18 अप्रैल को बड़ाबाजार क्षेत्र के पथुरिया घाट स्ट्रीट में एक रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया, जिसका उद्घाटन ‘माहेश्वरी विद्यालय’ के प्रधानाध्यापक श्री रामबहादुर पाण्डेय के कर कमलों से हुआ। इस शिविर में भाग लेने वाले नवयुवकों में काफी उत्साह देखा गया। उन्होंने देश के पीड़ित रोगियों की जीवन-सुरक्षा के लिए अपना रक्तदान किया। शिविर आयोजकों ने उन्हें दूध, अंडे तथा पौष्टिक पदार्थ खाने के लिए दिये । यह आयोजन प्रातः 10 बजे से शुरू हुआ और सायंकाल 5 बजे सम्पन्न हुआ। इसके बाद माहेश्वरी बालिका विद्यालय की प्रधानाध्यापिका श्रीमती रूपालीदास गुप्ता और श्री कृष्णावतार त्रिपाठी ‘राही’ के प्रभावी भाषण उपरान्त शिविर का समापन किया गया ।
प्रश्न – 5: अपने इलाके में आयोजित ‘बाल श्रम विरोधी अभियान’ विषय पर सामाचार-पत्र में छपने के लिए एक प्रतिवेदन लिखिए ।
उत्तर : कोलकाता, 18 फरवरी: बाल मजदूरी स्वतंत्र राष्ट्र की ही नहीं, बल्कि पूरी मानवता के माथे का कलंक है। इसके बावजूद भी बहुत से बच्चे को अति गरीबी के कारण साथ ही पढ़ाई में मन न लगना या फेल हो जाने पर मार के डर से घर से दूर भाग जाना अथवा माँ या पिता के कठोर व्यवहार से पीड़ित होकर तथा बुरी आदतों और बुरे लोगों की संगत में आ जाने के कारण मजदूरी करने के लिए विवश हो जाना पड़ता है । इसी उद्देश्य से बालश्रम विरोधी एक रैली बागबाजार से श्यामबाजार पाँच मुहानी मोड़ तक आज निकाली गयी, जिसमें भारी संख्या में समाज के विभिन्न वर्ग के लोगों ने भाग लिया । रैली के अन्त में एक सभा का आयोजन किया गया जिसमें विभिन्न वक्ताओं ने बालश्रम को समूची मानवता के माथे का कलंक माना । बालश्रम पर अपने विचारों को व्यक्त करते हुए वक्ताओं ने कहा कि देश का भविष्य कहे जाने वाले बच्चों को किसी भी कारण से मजदूरी करनी पड़े, इसे मानवीय नहीं कहा जा सकता। सरकार को बालश्रम से सम्बन्धित नियम को कड़ाई से लागू करने पर बल दिया गया। साथ ही गरीब बच्चों के पढ़ाई और देखभाल करने की सुविधाएँ प्रदान करने की माँग सरकार से की गई । सामूहिक प्रयास से ही इस समस्या का समाधान सम्भव है, अत: इस समस्या के समाधान के लिए समाज के सभी वर्ग के लोगों से एकजुट होने और आगे आने का आह्वान किया गया ।
प्रश्न – 6 : विद्यालय-पत्रिका में प्रकाशन के लिये अपने विद्यालय द्वारा आयोजित ‘वार्षिक क्रीड़ा प्रतियोगिता’ पर एक प्रतिवेदन लिखिये ।
उत्तर : विद्यालय द्वारा आयोजित वार्षिक क्रीड़ा प्रतियोगिता गत 5 फरवरी को धर्मतल्ला स्थित मोहन बगान क्लब ग्राउण्ड संलग्न मैदान में बहुत ही उत्साह और आनन्द के साथ सम्पन्न हुआ ।
विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री रघुवीर पाठक ने उपस्थित सभी शिक्षार्थियों, शिक्षकों, अतिथियों एवं क्रीड़ा में भाग लेनेवाले प्रत्याशियों का स्वागत करते हुए आयोजन का शुभारंभ किया। खेल-कूद में विभिन्न वर्ग के छात्रों ने विभिन्न खेलों में सउत्साह भाग लिया । प्रतियोगिता में 7 प्रकार के खेलों का आयोजन किया गया था ।
प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय विभाग में सफल कुल 21 प्रत्याशियों को आयोजन के मुख्य अतिथि रवीन्द्र भारती विश्वविद्यालय के प्रोफेसर श्री अमल राय चौधरी द्वारा पुरस्कृत किया गया। इसके साथ ही 7 अन्य प्रत्याशियों को भी सानत्वना पुरस्कार प्रदान किये गये ।
प्रश्न – 7 : विद्यालय-पत्रिका में प्रकाशन के लिए अपने विद्यालय में आयोजित कविता-पाठ प्रतियोगिता पर एक प्रतिवेदन लिखिए ।
उत्तर :
कविता-पाठ प्रतियोगिता संपन्न
दुर्गापुर, कल लाला लाजपत राय विद्यालय में कविता-पाठ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता के मूल में विद्यालय-पत्रिका के लिए स्तरीय कविता का चयन करना तो था ही, इसके साथ-साथ बच्चों में अपने भावों को नवीन रूप में व्यक्त करने की प्रतिभा का विकास करना भी था । कविता-पाठ प्रतियोगिता के इस अवसर पर विद्यालय के शिक्षकों के अतिरिक्त शहर के गणमान्य साहित्यप्रेमी भी उपस्थित थे । उन सबों ने बच्चों के प्रतिभा की खुलकर सराहना की तथा कविता-पाठ प्रतियोगिता का नियमित रूप से आयोजन करने में अपना पूर्ण सहयोग देने की भी बात कही। इस कविता-पाठ प्रतियोगिता को संपन्न कराने में छात्र संपादक आशुतोष, तुहिन, दीपांकर आदि का योगदान सराहनीय रहा।
प्रश्न – 8 : विद्यालय-पत्रिका में प्रकाशन के लिए अपने विद्यालय द्वारा आयोजित प्रेमचन्द-जयन्ती पर एक प्रतिवेदन प्रस्तुत कीजिए ।
उत्तर :
प्रेमचंद जयन्ती मनाई गई
पानागढ़, 1 अगस्त को बनवारीलाल विद्यालय में धूमधाम से प्रेमचंद जयंती मनाई गई। इस अवसर पर श्री धर्मनाथ विद्यालंकार, प्रसिद्ध समाजसेवी व साहित्यकार भी उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि प्रेमचंद एक गंभीर विचारक एवं चिन्तनशील व्यक्ति थे । उन्होंने उत्तरी भारत के समाज की विभिन्न समस्याओं पर अपने गंभीर विचार प्रकट किए हैं । उन्होंने बाल-विवाह, बेमेल विवाह, विधवा-विवाह, नारी-शिक्षा आदि अनेक सामाजिक समस्याओं को अपनी कृतियों में उठाया है और उनका समाधान प्रस्तुत करके अपने को एक सुधारक के रूप में प्रस्तुत किया है। प्रेमचंद ने हिन्दू-मुस्लिम साम्प्रदायिकता पर भी गहरा आघात किया है। उनका कहना था – “यदि हिन्दू-मुस्लिम समस्या को हल नहीं किया गया, तो स्वराज का कोई अर्थ नहीं होगा ।”
इस अवसर पर अन्य कई वक्ताओं ने भी प्रेमचंद के योगदान पर अपने-अपने विचार प्रकट किए। श्री योगेश ने कहा कि हमें यह न भूलना चाहिए कि प्रेमचंद उन साहित्यकारों में से है, जो साहित्यकार होने के साथ-साथ एक स्वतंत्रता-सेनानी भी थे ।
प्रश्न – 9 : अपने इलाके में आयोजित “वृक्षारोपण अभियान’ विषय पर स्थानीय समाचार-पत्र में छपने के लिये एक प्रतिवेदन लिखिये।
उत्तर : कोलकाता, 10 जुलाई । गत रविवार, 7 जुलाई को हमारे इलाके में प्रदूषण मुक्त पर्यावरण के मद्दे नजर वृक्षारोपण अभियान चलाया गया जिसमें स्थानीय एक क्लब के सदस्यों के साथ ही इलाके के नवयुवकों ने भारी संख्या में भाग लिया। कार्यक्रम का आरंभ सुबह 7 बजे अंचल के एक विशिष्ट चिकित्सक श्री प्रणव बसु के नेतृत्व में हुआ और 11 बजे तक चलता रहा। इस दौरान इलाके में करीबन दो सौ शीघ्र पनपने और विकसित होनेवाले पौधों का रोपण किया गया। पौधे स्थानीय पार्षद के तत्वावधान में कोलकाता नगर नगम की ओर से आपूर्ति की गई ।