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बिहार में उग्रवाद की समस्या

बिहार में उग्रवाद की समस्या

वर्तमान में बिहार के अनेक जिलों में उग्रवाद की समस्या मौजूद है। उग्रवाद की यह समस्या मुख्यतः गया, जहानाबाद, भोजपुर, नवादा, औरंगाबाद, रोहतास, पूर्णियां, पटना आदि जिलों में फैली हुई है। इसके अलावा कमोबेश राज्य के दूसरे जिलो में भी उग्रवाद की घटनायें घटती रहती हैं। बिहार में सांप्रदायिक दंगों को छोड़कर दूसरे कारणों से ‘उग्रवादियों द्वारा अनेक बार सामूहिक नरसंहार की घटनायें घटी हैं। राज्य में सबसे पहले अप्रैल 1968 में मुजफ्फरपुर जिले में नरसंहार की घटना हुई जिसमें छह लोग मारे गये और 16 घायल हुये। उसके बाद पूर्णियां जिले के रूपसपूर गांव में भूपतियों ने 14 आदिवासियों को जिंदा जला दिया। पटना में 1979 में बेलछी हत्याकांड में 11 दलित मारे गये। 1980 में पारसबीघा में 11 तथा पिपरा में 14 लोग मारे गये। 1986 में कंथीबीघा में 11, बांझी में 15, लक्ष्मीपुर में 12 लोगों की सामूहिक हत्या हुई। 1987 में औरंगाबाद जिले में दलेलचक बघेरा में उग्रवादियों ने एक जाति विशेष के 54 लोगों की हत्या कर दी। 1988 में जहानाबाद जिले के मोनही नगवां में 21, तमूहा खगड़ी में 11 लोगों की हत्या हुई। 1989 में दनवार बिहटा में 21 तथा रोहतास जिला के केसारी में 10 लोगों की सामूहिक हत्या हुई। 1991 में मलवरिया में 14, तीसखोखा में 14, दवसहियारा में 15 लोगों की सामूहिक हत्या की
गयी। 1992 में गया जिला के बारा में 34 लोगों का नरसंहार हुआ। 1996 में नरकटिया में 19 तथा भोजपुर के बथानी टोला में 22 लोग मारे गये। 1997 में हैवसपुर में 10, दानापुर में 10, जहानाबाद के अमकोदर में 10 तथा पटना के जलपुरा में लोगों की सामूहिक हत्या की गयी। 1 दिसंबर, 1997 को जहानाबाद के लक्ष्मणपुर बाथे में सामूहिक नरसंहार की सबसे भयानक घटना घटी। इसमें रणवीर सेना ने 62 दलितों की हत्या कर दी। इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया। राष्ट्रपति ने भी बिहार
सरकार से शीघ्र कारवाई का आह्वान किया। इसका बदला माले ने  10 जनवरी, 1998 को रापूर चौरम में 9 रणवीर सेना समर्थकों की हत्या करके लिया। उग्रवाद के कारण : बिहार में उग्रवाद और नरसंहार के सर्वाधिक प्रमुख कारण भूमि संबंधित
समस्यायें हैं। इसके अलावा गरीबी, सामंती प्रथा व जाति प्रथा तथा बेरोजगारी भी इसके महत्वपूर्ण कारण हैं। उग्रवाद के महत्वपूर्ण कारण निम्नलिखित हैं:
(क) भूमि पर जनसंख्या का दबाव
(ख) मजदूरी की समस्या
(ग) भूमिहीन श्रमिक
(घ) भूमि सुधार की समस्या
(ङ) सामंती एवं जाति प्रथा
(च) नौकरशाही की शिथिलता
(छ) बेरोजगारी
ज) मूलभूत संरचना का अभाव
(झ) सरकारी प्रयास का अभाव आदि।
बिहार में उग्रवाद को समाप्त करने हेतु पुलिस व्यवस्था को दुरुस्त करने के साथ ही गरीबी, बेरोजगारी, भूमिहीनता, मजदूरी और भूमि सुधार जैसे कार्यों पर ध्यान देना सबसे जरूरी है।

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