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अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम के विभिन्न चरण और स्वरूप

अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम के विभिन्न चरण और स्वरूप

अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम के विभिन्न चरण और स्वरूप

औपनिवेशिक सरकार की नीतियों से क्षुब्ध होकर उपनिवेशवासी संघर्ष के लिए तैयार हो गए। इसका आरंभ फिलाडेलफिया के प्रथम सम्मेलन से हुआ।
फिलाडेलफिया का प्रथम सम्मेलन- 5 सितंबर 1774 को फिलाडेलफिया में अमेरिकी उपनिवेशों प्रतिनिधियों की बैठक
हुई। प्रतिनिधियों ने सरकार से माँग की कि उपनिवेशों पर लगाए गए व्यापारिक प्रतिबंध समाप्त कर दिए जाएँ एवं उपनिवेशवासियों की सहमति के बिना उनपर कोई कर नहीं लगाया जाए। सरकार ने यह माँग ठुकरा दी। इतना ही नहीं,
उसने उपनिवेशवासियों की माँगों को विद्रोह ठहरा दिया। विद्रोह को दबाने के लिए सरकार ने सेना भेजने का निर्णय लिया।
उपनिवेशवासी भी संघर्ष के लिए तैयार हो गए। 19 अप्रैल 1775 को अमेरिकी स्वातंत्र्य संग्राम का प्रथम युद्ध लेक्सिगटन में हुआ। उपनिवेशवासियों ने अँगरेजी सेना का डटकर मुकाबला किया।
फिलाडेलफिया का दूसरा सम्मेलन- 4 जुलाई 1776 को फिलाडेलफिया में ही उपनिवेशवासियों का दूसरा सम्मेलन
आयोजित हुआ। इस बैठक में ‘स्वतंत्रता की घोषणा’ (Declaration of Independence) के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।
इस घोषणा को तैयार करने में वर्जिनिया के टॉमस जेफर्सन की विशेष भूमिका थी। घोषणापत्र में तेरहों उपनिवेशों ने संयुक्त रूप से अपनी स्वतंत्रता की घोषणा की। इंगलैंड से युद्ध की आशंका को देखते हुए युद्ध के संचालन के लिए जॉर्ज वाशिंगटन को उपनिवेशों का सेनापति नियुक्त किया गया। अमेरिकनों ने जॉर्ज वाशिंगटन के नेतृत्व में स्वतंत्रता संग्राम लड़ा। अँगरेजी सरकार ने उपनिवेशवासियों के विद्रोह को कुचलने के लिए सेना भेजी। उपनिवेशवासियों की सहायता के लिए फ्रांस, स्पेन और हॉलैंड ने धन, युद्ध एवं खाद्य-सामग्री भेजी। फ्रांसीसी सैनिकों ने उपनिवेशवासियों की ओर से युद्ध में भाग भी लिया। इससे अमेरिकनों में उत्साह जगा और उनका मनोबल बढ़ा। उपनिवेशवासियों को आरंभ से ही युद्ध में विजय मिलती गई। जॉर्ज वाशिंगटन ने कुशलतापूर्वक युद्ध का संचालन किया। अंततः, 1781 में ब्रिटिश सेनापति लॉर्ड कॉर्नवालिस ने पराजित होकर आत्मसमर्पण कर दिया। इसके साथ ही अमेरिकी स्वातंत्र्य संग्राम समाप्त हुआ।
पेरिस की संधि- 1783 में पेरिस की संधि के अनुसार, अमेरिका के 13 उपनिवेशों की स्वतंत्रता को अँगरेजी सरकार ने
मान्यता प्रदान कर दी। इस प्रकार, स्वतंत्र संयुक्त राज्य अमेरिका का उदय हुआ। इसके साथ ही पेरिस की संधि द्वारा
अमेरिका और कनाडा की सीमारेखा मिसीसीपी नदी निर्धारित की गई। स्पेन और फ्रांस को कुछ उपनिवेश प्राप्त हुए।

युद्ध में अमेरिका की विजय और इंगलैंड की पराजय के कारण

अमेरिकी स्वातंत्र्य संग्राम में अमेरिका की विजय और इंगलैंड की पराजय के लिए अनेक कारण उत्तरदायी थे। इनमें प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-
(i) इंगलैंड का अकेले युद्ध लड़ना- इंगलैंड की पराजय का प्रमुख कारण यह था कि इंगलैंड यह युद्ध अकेले लड़ा। उसे
अन्य देशों का सहयोग नहीं मिला। इसके विपरीत, इंगलैंड के शत्रु और विरोधी उपनिवेशों की सहायता कर रहे थे। फ्रांस,
स्पेन, हॉलैंड इत्यादि ने धन, जन और सेना से उपनिवेशों की सहायता की। प्रशा और रूस ने तटस्थता की नीति अपना ली।
इससे उपनिवेशों की शक्ति बढ़ गई।
युद्ध में अमेरिका की विजय और इंगलैंड
की पराजय के कारण
(i) इंगलैंड का अकेले युद्ध लड़ना
(ii) युद्धक्षेत्र का दूर होना
(iii) इंगलैंड में योग्य राजनीतिज्ञों का अभाव
(iv) ब्रिटिश शासन की दुर्बलता
(v) दुर्बल ब्रिटिश नौसेना
(vi) उपनिवेशों की शक्ति का गलत मूल्यांकन
(vii) उपनिवेशवासियों का निश्चित आदर्श
(viii) उपनिवेशवासियों की एकता
(ii) युद्धक्षेत्र का दूर होना- इंगलैंड को हजारों मील दूर अमेरिकी उपनिवेशों में युद्ध करना पड़ रहा था। इससे उसे युद्ध
के सामान और रसद पहुँचाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। अमेरिकी उपनिवेशों को यह लाभ था कि वे अपने ही क्षेत्र
में युद्ध कर रहे थे। इसलिए, वे उन असुविधाओं से बच गए जिनका सामना इंगलैंड को करना पड़ा।
(iii) इंगलैंड में योग्य राजनीतिज्ञों का अभाव – अमेरिकी स्वातंत्र्य संग्राम के समय इंगलैंड में वैसे राजनीतिज्ञों की कमी थी जो उपनिवेशवासियों की मनोभावनाओं को समझकर उसके अनुरूप नीति अपना सकें। युद्ध को सही ढंग से संचालित करनेवाले व्यक्ति का भी अभाव था। सम्राट जॉर्ज तृतीय एवं प्रधानमंत्री लॉर्ड नॉर्थ ने समस्या को गंभीरता से नहीं लिया। प्रधानमंत्री बड़ा पिट (Pitt the Elder) योग्य होते हुए भी अपनी अस्वस्थता के कारण कुछ नहीं कर सका। दूसरी ओर, जॉर्ज वाशिंगटन एक योग्य सेनानायक के अतिरिक्त दक्ष राजनीतिज्ञ एवं संगठनकर्ता भी थे।
(iv) ब्रिटिश शासन की दुर्वलता- अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम के समय ब्रिटिश शासन सशक्त नहीं था। प्रशासन में आपसी
मतभेद थे। हिग (Whig) दलवाले युद्ध का विरोध कर रहे थे। इसलिए, सरकार की शक्ति कमजोर पड़ गई थी।
(v) दुर्वल ब्रिटिश नौसेना- सप्तवर्षीय युद्ध के बाद इंगलैंड ने अपनी नौसेना के गठन पर पूरा ध्यान नहीं दिया। इसके विपरीत,
फ्रांस की शक्तिशाली नौसेना ने उपनिवेशवासियों की सहायता कर इंगलैंड की पराजय का द्वार खोल दिया।
(vi) उपनिवेशों की शक्ति का गलत मूल्यांकन-इंगलैंड ने अपनी ताकत के घमंड में अमेरिकी उपनिवेशों की शक्ति का
गलत मूल्यांकन किया। वह समझता था कि कमजोर उपनिवेशों को वह आसानी से परास्त कर देगा। इसलिए, जितना अधिक
ध्यान युद्ध की नीतियों एवं इसके संचालन पर देना चाहिए था, इंगलैंड नहीं दे सका। फलतः, युद्ध में उसकी हार हुई।
(vii) उपनिवेशवासियों का निश्चित आदर्श –अमेरिकी उपनिवेशों की सफलता का एक महत्त्वपूर्ण कारण यह था कि वे एक
निश्चित उद्देश्य की प्राप्ति के लिए संघर्ष कर रहे थे। वे शोषण के विरुद्ध स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए लड़ रहे थे तथा इसके
लिए अपना सब कुछ न्योछावर करने को कटिबद्ध थे। दूसरी ओर, इंगलैंड उपनिवेशों पर अपनी सत्ता बनाए रखने के लिए
रक्षात्मक युद्ध लड़ रहा था। इसलिए, इंगलैंड की पराजय निश्चितप्राय थी।
(viii) उपनिवेशवासियों की एकता- स्वतंत्रता संग्राम में अमेरिका की विजय का प्रभावी कारण यह था कि उपनिवेशवासियों ने राष्ट्रीयता की भावना से उत्प्रेरित होकर एकीकृत रूप से युद्ध में भाग लिया। साथ ही, उन्हें जॉर्ज वाशिंगटन का कुशल नेतृत्व भी मिला। इससे उन्हें युद्ध में सफलता मिली।

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