UP Board Class 10th Hindi – सन्धि
UP Board Class 10th Hindi – सन्धि
UP Board Solutions for Class 10 Hindi सन्धि
संस्कृत व्याकरण व अनुवाद
सब्धि
‘सन्धि’ का शाब्दिक अर्थ है-‘मेल’। जब पास-पास आये हुए दो वर्ण आपस में मिलकर एक नया रूप धारण करते हैं तो उस एकीकरण को सन्धि कहते हैं। सन्धि करने पर निकट के दो वर्ण मिलकर एक हो जाते हैं; जैसे-
हिम + आलयः = हिमालयः
सूर्य + उदयः = सूर्योदयः।
सु + आगतम् = स्वागतम् ।
सन्धि तीन प्रकार की होती हैं—
- स्वर सन्धि,
- व्यंजन सन्धि तथा
- विसर्ग सन्धि। ध्यातव्य-पाठ्यक्रम में केवल स्वर सन्धि के ‘यण’ एवं ‘वृद्धि’ भेद ही निर्धारित हैं।
स्वर सन्धि
जहाँ दो स्वरों के मेल से परिवर्तन होता है, वहाँ स्वर सन्धि होती है (स्वर + स्वर = स्वर सन्धि)। स्वर सन्धि के भी अनेक भेद हैं, जिनमें प्रमुख भेदों का नियमसहित विवरण नीचे दिया जा रहा है-
1. दीर्घ सन्धि (सूत्र–अकः सवर्णे दीर्घः)
नियम-यदि अ, इ, उ, ऋ, ले (ह्रस्व या दीर्घ) के बाद समान स्वर हो तो दोनों के स्थान पर उस वर्ण का दीर्घ; अर्थात् आ, ई, ऊ, ऋ, ऋ (लू नहीं) हो जाता है;
उदाहरण-
2. गुण सन्धि (सूत्र-आद्गुणः)
नियम–यदि अ या आ के बाद इ, उ, ऋ, लू (ह्रस्व या दीर्घ) आएँ तो उनके स्थान पर क्रमशः ए, ओ, अर् और अल् हो जाते हैं;
उदाहरण-
3. वृद्धि सन्धि (सूत्र-वृद्धिरेचि)
नियम-यदि अ या आ के बाद ए-ऐ तथा ओ-औ आएँ तो उनके स्थान पर क्रमश: ऐ तथा औ अर्थात् वृद्धि हो जाती है;
उदाहरण-
4. यण् सन्धि (सूत्र–इको यणचि)
नियम–यदि इ, उ, ऋ, लू (ह्रस्व या दीर्घ) के बाद असमान स्वर आते हैं तो उनके स्थान पर क्रमशः य, व, र, ल् हो जाता है;
उदाहरण-
अभ्यास
प्रश्न 1.
नीचे लिखे पदों का सन्धि-विच्छेद कीजिए और सन्धि का प्रकार भी लिखिए-
उत्तर
(I) महौत्सुक्यम्, शुद्धौषधम्, गंगौघः, महैश्वर्यम्, समयौचित्यम्, तत्रैव, मतैक्य, तदैव, रामौदार्यम्।
(II) मात्राज्ञाः, प्रत्युत्तरम्, अत्यन्तम्, करोम्यहम्, ग्रामेष्वपि, यद्यपि, गुर्वाज्ञा, अभ्युदयः, अन्वेषणम्, दध्यानय, स्वागतम्, पित्राकृतिः, प्रत्युपकार, देवेन्द्रः, हरिश्चन्द्रः, वाग्जाल, नमस्कार।
प्रश्न 2.
नीचे लिखे पदों में सन्धि कीजिए-
उत्तर
(I) कृष्ण + औत्कण्ठम्, महा + ऐक्यम्, अद्य + एव,
बाला + ओदनम्, अत्र + एव, रामस्य + एकः, अत्र + एव।
(II) लू + आकृतिः , इति + आदिः, वस्त्राणि + अपि, इति + उक्त्वा ,
मधु + अत्र, धातृ + अंशः, जाति + उपकारः, काष्ठ + ओषधिः।