गौतम बुद्ध के अनमोल विचार | Gautam Buddha Quotes In Hindi
गौतम बुद्ध के अनमोल विचार | Gautam Buddha Quotes In Hindi
गौतम बुद्ध के अनमोल विचार | Gautam Buddha Quotes In Hindi
हमारा देश भारत को देवो की भूमि कहा गया है यहा पर समय समय अनेक देवी देवताओ, महान पुरुषो, समाज सुधारक, युग प्रवर्तक, धर्म प्रवर्तक जैसे महापुरुषों ने जन्म लिया है और अपने बताये गये सत्य और धर्म की रास्ते के द्वारा विश्व को मानवता का एक नया सन्देश दिया है,
गौतम बुद्ध को आमतौर पर भगवान बुद्ध के नाम से भी जाना जाता है। वह एक तपस्वी और ऋषि थे और बौद्ध धर्म के संस्थापक थे। उन्होंने अपने प्रवचनों से लोगों को एक नया रास्ता दिखाया था। विश्व के प्रसिद्द धर्म सुधारकों एवं दार्शनिकों में से एक गौतम बुद्ध ने अपनी शिक्षाओं के आधार पर बौद्ध धर्म की स्थापना की।
गौतम बुद्ध ने 35 साल उम्र में अपना घर छोड़ दिया था और ज्ञान की प्राप्ति के लिए आध्यात्मिक मार्ग पर चल दिये थे और कई वर्षों की कठोर तपस्या के बाद उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई।
गौतम बुद्ध ने ज्ञान की प्राप्ति के बाद लोगों उपदेश देना शुरू कर दिया था। बुद्ध के उपदेशों का लोगों पर गहरा प्रभाव पड़ा। इस कारण उनके बहुत सारे अनुयायी बन गए थे।
आइये आज हम भगवान बुद्ध के अनमोल वचनों को पढ़कर शांति का अनुभव करते है।
Lord Gautam Buddha Quotes in Hindi
इस पूरे संसार में इतना अंधकार नही है,
की वो एक छोटी से दीपक का उजाला बुझा सकें।
जिस प्रकार कठोर चट्टान को हवा नही हिला सकती है,
उसी प्रकार विद्वान आदमी को प्रशंसा और आरोपों से विचलित नही किया जा सकता है।
अगर किसी समस्या का हल हो सकता है तो उसकी चिंता क्यों करें,
अगर किसी समस्या का हल नही हो सकता है तो चिंता करना आपको कोई फायदा नही पहुंचाएगा।
तुम अपने क्रोध के लिए सजा नही पाओगे,
बल्कि तुम अपने क्रोध के द्वारा सजा पाओगे।
जो व्यक्ति क्रोधित विचारों से मुक्त है,
उसे निश्चित रूप से शांति की प्राप्ति होती है।
बिता हुआ समय पहले ही बीत चुका है,
आने वाला समय अभी तक आया ही नही है,
इसलिए तुम्हारे जीने के लिए सिर्फ एक ही क्षण है,
और वो है वर्तमान समय।
इंसान की जीभ बिना खून बहाए,
एक तेज धार चाकू की तरह मार देती है।
क्रोध पर विजय संयम से करो,
बुराई पर विजय अच्छाई से करो,
कंजूसी पर विजय दरियादिली से करों,
और असत्य पर विजय सत्य से करों।
आसमान में पूर्व और पश्चिम का कोई भेद नही है,
लोग अपने विचारों से भेद पैदा करते है,
और उसके बाद उनके सही होने पर विश्वास कर लेते है।
हर इंसान अपनी सेहत और बीमारी का रचयिता खुद होता है।
आप को अतीत के बारे में नही सोचना चाहिए,
और न ही भविष्य के बारे में सोचना चाहिए,
आपको अपने मन को वर्तमान समय पर केन्द्रित करना चाहिए।
जिस प्रकार दीपक बिना आग के नही जल सकता है,
उसी प्रकार इंसान भी आध्यात्मिक ज्ञान के बिना जी नही सकता है।
संसार में तीन चीजे ज्यादा देर तक छुप नही सकती है,
और वो तीन चीजे सूर्य, चंद्रमा और सत्य है।
आप अपने मोक्ष की प्राप्ति के लिए खुद ही प्रयास करें,
इसके लिए आप दूसरों पर निर्भर ना रहें।
नफरत, नफरत से खत्म नही होती है,
बल्कि प्रेम से खत्म होती है,
और यह अटल सत्य है।
वह आदमी जो लोगों से प्रेम करता है तो उसके पास संकट है,
और वह आदमी जो किसी से प्रेम ही नही करता है,
उसके पास एक भी संकट नही है।
आपको यह कभी नही देखना चाहिए कि क्या किया जा चुका है,
बल्कि यह देखना चाहिए की क्या किया जाना बाकी है।
अगर आप सही में खुद से प्रेम करते है,
तो आप कभी भी किसी को दुःख नही पहुंचा सकते।
खुद पर विजय प्राप्त करना,
दूसरों पर विजय प्राप्त करने से भी कठिन काम है।
जो जगा हुआ है उसके लिए रात लंबी है,
जो थका हुआ है उसके लिए यात्रा लंबी है,
जो व्यक्ति सच्चा धर्म नही जानता उसके लिए ये जिंदगी लंबी है।
जीवन में धैर्य अत्यंत आवश्यक है,
क्योंकि एक घड़ा भी बूंद बूंद करके भरता है।
सत्य के रास्ते पर चलते हुए इंसान केवल दो ही गलतियां कर सकता है,
पहली पूरा रास्ता न तय करना और दूसरी शुरुआत ही न करना।
हमेशा क्रोधित रहना, जलते हुए कोयले को किसी दूसरे व्यक्ति पर फेंकने की इच्छा से पकड़ रखने के समान है,
यह क्रोध सबसे पहले आपको ही जलाता है।
आप को जो भी मिला है उसका अधिक मूल्यांकन न करें और न ही दूसरों से ईर्ष्या करें,
वे लोग जो दूसरों से ईर्ष्या करते है,
उन्हें मन को शांति कभी प्राप्त नही होती है।
अपने तन को स्वस्थ रखना भी एक कर्तव्य है,
अन्यथा आप अपनी मन और सोच को अच्छा और साफ नही रख पाएंगे।
एक जग बूँद-बूँद कर के भरता है.
अतीत पे ध्यान मत दो, भविष्य के बारे में मत सोचो, अपने मन को वर्तमान क्षण पे केन्द्रित करो.
जैसे मोमबत्ती बिना आग के नहीं जल सकती, मनुष्य भी आध्यात्मिक जीवन के बिना नहीं जी सकता.
अपने मोक्ष के लिए खुद ही प्रयत्न करें. दूसरों पर निर्भर ना रहे.
किसी जंगली जानवर की अपेक्षा एक कपटी और दुष्ट मित्र से अधिक डरना चाहिए, जानवर तो बस आपके शरीर को नुक्सान पहुंचा सकता है, पर एक बुरा मित्र आपकी बुद्धि को नुक्सान पहुंचा सकता है.
आपके पास जो कुछ भी है है उसे बढ़ा-चढ़ा कर मत बताइए, और ना ही दूसरों से ईर्ष्या कीजिये. जो दूसरों से ईर्ष्या करता है उसे मन की शांति नहीं मिलती.
वह जो पचास लोगों से प्रेम करता है उसके पचास संकट हैं, वो जो किसी से प्रेम नहीं करता उसके एक भी संकट नहीं है.
बिना सेहत के जीवन जीवन नहीं है; बस पीड़ा की एक स्थिति है- मौत की छवि है.
हर चीज पर सन्देह करो. स्वयं अपना प्रकाश ढूंढो.
शक की आदत से भयावह कुछ भी नहीं है. शक लोगों को अलग करता है. यह एक ऐसा ज़हर है जो मित्रता ख़त्म करता है और अच्छे रिश्तों को तोड़ता है. यह एक काँटा है जो चोटिल करता है, एक तलवार है जो वध करती है.
सत्य के मार्ग पे चलते हुए कोई दो ही गलतियाँ कर सकता है; पूरा रास्ता ना तय करना, और इसकी शुरआत ही ना करना.
बुराई होनी चाहिए ताकि अच्छाई उसके ऊपर अपनी पवित्रता साबित कर सके.
मन और शरीर दोनों के लिए स्वास्थय का रहस्य है- अतीत पर शोक मत करो, ना ही भविष्य की चिंता करो, बल्कि बुद्धिमानी और ईमानदारी से वर्तमान में जियो.
अंत में ये चीजें सबसे अधिक मायने रखती हैं: आपने कितने अच्छे से प्रेम किया? आपने कितनी पूर्णता के साथ जीवन जिया? आपने कितनी गहराई से अपनी कुंठाओं को जाने दिया.
अगर आप वास्तव में स्वयं से प्रेम करते हैं, तो आप कभी भी किसी को ठेस नहीं पहुंचा सकते.
शांति अन्दर से आती है. इसे बाहर मत ढूंढो.
हमें हमारे सिवा कोई और नहीं बचाता. न कोई बचा सकता है और न कोई ऐसा करने का प्रयास करे. हमें खुद ही इस मार्ग पर चलना होगा.
चलिए ऊपर उठें और आभारी रहे, क्योंकि अगर हमने बहुत नहीं तो कुछ तो सीखा, और अगर हमने कुछ भी नहीं सीखा, तो कम से कम हम बीमार तो नहीं पड़े, और अगर हम बीमार पड़े तो कम से कम हम मरे नहीं; इसलिए चलिए हम सभी आभारी रहे.
शरीर को अच्छी सेहत में रखना हमारा कर्तव्य है…. नहीं तो हम अपना मन मजबूत और स्पष्ठ नहीं रख पायेंगे.
जो आप सोचते हैं वो आप बन जाते हैं.
आप पूरे ब्रह्माण्ड में किसी ऐसे व्यक्ति की तलाश कर सकते हैं जो आपसे अधिक आपके प्रेम और स्नेह के लायक है, और वह व्यक्ति आपको कहीं नहीं मिलेगा. जितना इस ब्रह्माण्ड में कोई और आपके प्रेम और स्नेह के अधिकारी है, उतना ही आप खुद हैं.
पहुँचने से अधिक ज़रूरी ठीक से यात्रा करना है.
कोई व्यक्ति इसलिए ज्ञानी नहीं कहलाता क्योंकि वह सिर्फ बोलता रहता है; लेकिन अगर वह शांतिपूर्ण, प्रेमपूर्ण और निर्भय है तो वह वास्तव में ज्ञानी कहलाता है.
जो बुद्धिमानी से जिए हैं उन्हें मृत्यु का भी भय नहीं होना चाहिए.
पवित्रता या अपवित्रता अपने आप पर निर्भर करती है, कोई भी दूसरे को पवित्र नहीं कर सकता.
सच्चा प्रेम समझ से उत्पन्न होता है.
प्रसन्नता का कोई मार्ग नहीं है: प्रसन्नता ही मार्ग है.
यदि आपकी दया आपको सम्मिलित नहीं करती, तो वो अधूरी है.
दर्द निश्चित है, दुख वैकल्पिक है.
सबकुछ समझने का अर्थ है सबकुछ माफ़ कर देना.
एक योजना जिसे विकसित कर क्रियान्वित किया जाता है वो उस योजना से अच्छी है जो बस एक योजना के रूप में ही मौजूद है.
जब आपको पता चलेगा कि सबकुछ कितना सही है तब आप अपना सर पीछे झुकायेंगे और आकाश की और देखकर मुस्कुराएंगे.
धैर्य महत्त्वपूर्ण है. याद रखिये: एक जग बूँद-बूँद करके भरता है.
इस तिहरे सत्य को सभी को सिखाओ: एक उदार दिल, दयालु भाषण, तथा सेवा और करुणा का जीवन, ये वो चीजें हैं जो मानवता को नवीनीकृत करती हैं.
किसी चीज पर यकीन मत करो, ये मायने नहीं रखता कि आपने उसे कहाँ पढ़ा है, या किसने उसे कहा है, कोई बात नहीं अगर मैंने ये कहा है, जब तक कि वो आपके अपने तर्क और समझ से मेल नही खाती.
सभी प्राणियों के लिए दया-भाव रखें, चाहे वो अमीर हो या गरीब; सबकी अपनी-पानी पीड़ा है. कुछ बहुत अधिक भुगतते हैं, कुछ बहुत कम.
आकाश में, पूर्व और पश्चिम का कोई भेद नहीं है; लोग अपने विचारों से भेद पैदा करते हैं और फिर उनके सही होने पर यकीन कर लेते हैं.
यदि हम स्पष्ट रूप से एक फूल के चमत्कार को देख सकें, तो हमारा पूरा जीवन बदल जाएगा.
शांति अन्दर से आती है. इसे बाहर मत खोजो.
एक भिक्षुक जिस किसी भी चीज के पीछे अपने सोच-विचार से लगा रहता है, वही उसकी जागरूकता का झुकाव बन जाता है.
शब्द बहुत अच्छी तरह से विचार व्यक्त नहीं करते हैं; हर चीज तुरंत थोड़ा अलग हो जाती है, थोड़ा विकृत हो जाती है, थोड़ा मूर्खतापूर्ण हो जाती है.
चन्द्रमा की तरह, बादलों के पीछे से निकलो! चमको.
झूठ बोलने से बचना अनिवार्य रूप से पथ्य है.
अगर देने की ताकत के बारे में आप भी वो जानते जो मैं जानता हूँ तो आप एक बार का भी भोजन किसी तरह से साझा किये बिना नहीं जाने देते.
पानी से सीखो: नदी शोर मचाती है लेकिन महासागरों की गहराई शांत रहती है.
ध्यान से ज्ञान प्राप्त होता है; ध्यान की कमी अज्ञानता लाती है. अच्छी तरह जानो क्या तुम्हे आगे ले जाता है और क्या तुम्हे रोके रखता है, और उस मार्ग को चुनो जो बुद्धिमत्ता की और ले जाता हो.
अगर किसी के विचार गंदे हैं, अगर वह लापरवाह है और धोखे से भरा हुआ है, तो वह पीले वस्त्र कैसे धारण कर सकता है? जो कोई भी अपनी प्रकृति का स्वामी है, उज्ज्वल, स्पष्ट और सत्य है, वह वास्तव में पीले वस्त्र धारण कर सकता है.
क्रोध कभी नहीं जाएगा जब तक कि क्रोध के विचारों को मन में रखा जाएगा. जैसे ही क्रोध के विचारों को भुला दिया जाएगा वैसे ही क्रोध गायब हो जाएगा.
तुम्हारा सबसे बड़ा शत्रु तुम्हे उतना नुक्सान नहीं पहुंचा सकता जितना कि तुम्हारे खुद के बेपरवाह विचार. लेकिन एक बार काबू कर लिया जाए तो कोई तुम्हारी इतनी मदद भी नहीं कर सकता, तुम्हारे माता-पिता भी नहीं.
यदि आप पर्याप्त शांत हैं, तो आपको ब्रह्मांड का प्रवाह सुनाई देगा. आप उसकी ताल महसूस कर पायेंगे. इस प्रवाह के साथ आगे बढिए. आगे प्रसन्नता है. ध्यान महत्त्वपूर्ण है.
जो क्रोधित विचारों से मुक्त हैं उन्हें निश्चय ही शांति प्राप्त होगी.
अपना ह्रदय अच्छी चीजें करने में लगाओ. इसे बार-बार करो और तुम प्रसन्नता से भर जाओगे.
कष्ट की जड़ आसक्ति है.
आप तब तक उस मार्ग पर नहीं चल सकते जब तक आप खुद वो मार्ग नहीं बन जाते.
जीवन में एकमात्र वास्तविक असफलता आप जो सर्वश्रेष्ठ जानते हैं उसके प्रति सच्चे ना होना है.
सारे गलत काम मन की वजह से होते हैं. यदि मन को बदल दिया जाए तो क्या गलत काम रह सकते हैं?
अपने अहंकार को एक ढीले-ढाले कपड़े की तरह पहनें.
मन और शरीर दोनों के लिए सेहत का रहस्य है कि जो बीत गया उस पर दुःख ना करें, भविष्य की चिंता ना करें, और ना ही किसी खतरे की आशा करें, बल्कि मौजूदा क्षण में बुद्धिमानी और ईमानदारी से जियें.
कुछ भी स्थायी नहीं है.
एक क्षण एक दिन बदल सकता है, एक दिन एक जीवन को बदल सकता है और एक जीवन पूरे विश्व को बदल सकता है.
यदि आपका मुख सही दिशा की ओर है, तो आपको बस कदम बढ़ाते रहना है.
ये सोचना हास्यास्पद है कि कोई और आपको प्रसन्न या अप्रसन्न कर सकता है.
मैं दुनिया के साथ मतभेद नहीं करता; बल्कि ये दुनिया है जो मेरे साथ मतभेद करती है.
यदि एक पवित्र मन के साथ कोई व्यक्ति बोलता या काम करता है, तो कभी न जाने वाली परछाई की तरह ख़ुशी उसका पीछा करती है.