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MP Board Class 9th Special Hindi Sahayak Vachan Solutions Chapter 10 जीवन दृष्टि

MP Board Class 9th Special Hindi Sahayak Vachan Solutions Chapter 10 जीवन दृष्टि

MP Board Class 9th Special Hindi सहायक वाचन Solutions Chapter 10 जीवन दृष्टि (लघु प्रसंग)

जीवन दृष्टि अभ्यास

बोध प्रश्न

प्रश्न 1.
विक्रम साराभाई कौन थे?
उत्तर:
विक्रम साराभाई एक महान् वैज्ञानिक थे। आपने राष्ट्रीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संस्थान (इसरो) की स्थापना की है।

प्रश्न 2.
लेखक के अनुसार अच्छे पुरुष कौन होते हैं?
उत्तर:
लेखक के अनुसार अच्छे पुरुष उन सुन्दर फूलों के समान होते हैं जो अपनी उदारता से सुगंध और शहद देते हैं। बिना किसी चाह के प्रेम और सुन्दरता बाँटते हैं और जब अपना काम कर लेते हैं तो चुपचाप गिर जाते हैं। कहने का भाव यह है कि अच्छे पुरुष अपने कार्यों से समाज और देश में अच्छे जन उपयोगी कार्य करते हैं। इन कार्यों के करने में उनका कोई स्वार्थ नहीं होता है और जब वे अपने निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त कर लेते हैं तो चुपचाप इस लोक से गमन कर जाते हैं।

प्रश्न 3.
विद्यालय के छात्रों को किस बात के लिए पुरस्कृत किया गया था?
उत्तर:
विद्यालय के छात्रों को उनके अच्छे आचरण एवं श्रेष्ठ चरित्र के लिए पुरस्कृत किया गया था।

प्रश्न 4.
बुढ़िया माँ कलकत्ता क्यों गई थी?
उत्तर:
बुढ़िया माँ कलकत्ता गंगा स्नान के लिए गयी थी।

प्रश्न 5.
कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायाधीश का नाम क्या था?
उत्तर:
कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायाधीश का नाम श्री गुरुदास वन्द्योपाध्याय था।

प्रश्न 6.
‘इसरो’ की स्थापना कहाँ और कैसे हुई?
उत्तर:
‘इसरो’ की स्थापना पालीथुरा, थुम्बा (केरल) में महान वैज्ञानिक प्रो. विक्रम साराभाई के अथक प्रयासों से हुई थी।

प्रश्न 7.
विक्रम साराभाई किस बात पर शोध कर रहे थे?
उत्तर:
विक्रम साराभाई अन्तरिक्ष की किरणों पर शोध कर रहे थे। आप राष्ट्रीय अनुसन्धान संस्थान की स्थापना के लिए 400 एकड़ भूमि भूमध्य रेखा के पास चाहते थे।

प्रश्न 8.
‘संसार की स्थिति भी ऐसी ही है’ के माध्यम से किस स्थिति की बात कही गई है ?
उत्तर:
‘संसार की स्थिति भी ऐसी ही है’ के माध्यम से लेखक ने बताया है कि हम आपस में बिना दूसरे की भावना को समझे अकारण ही लड़ाई-झगड़ा किया करते हैं। हमें भाषा, जाति या देश के भेदभाव के कारण आपस में टकराना नहीं चाहिए अपितु परस्पर एक-दूसरे की भावना को समझकर प्रेम और शान्ति का वातावरण बनाना चाहिए।

प्रश्न 9.
न्यायाधीश अपने आसन से क्यों खड़े हो गये?
उत्तर:
न्यायाधीश श्री गुरुदास वन्द्योपाध्याय अपनी बूढ़ी धाय माँ (पालन करने वाली माँ) को न्यायालय कक्ष के दरवाजे पर खड़े देखकर अपने आसन से खड़े हो गये।

प्रश्न 10.
गुरुदास ने बुढ़िया माँ का परिचय किस प्रकार दिया?
उत्तर:
गुरुदास ने बुढ़िया माँ का परिचय देते हुए कहा कि ये मेरी माँ हैं, इन्होंने मुझे दूध पिलाकर पाला है।

प्रश्न 11.
गुरुदास बुढ़िया माँ से किस प्रकार मिले?
उत्तर:
गुरुदास भूमि पर लेटकर उस बुढ़िया को दण्डवत् प्रणाम करके मिले।

प्रश्न 12.
धर्म और विज्ञान राष्ट्र उत्थान में सहयोगी हैं। प्रसंग के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
धर्म और विज्ञान राष्ट्र उत्थान में शत-प्रतिशत सहयोगी हैं। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हमें ‘इसरो’ की स्थापना में मिलता है। जब विक्रम साराभाई राष्ट्रीय अनुसन्धान संस्थान (इसरो) की स्थापना के लिए भूमध्य रेखा के निकटवर्ती क्षेत्र की भूमि चाहते थे। उन्हें यह भूमि केरल राज्य के थुम्बा क्षेत्र में दिखाई दी। इस भूमि पर उस क्षेत्र के ईसाइयों तथा बिशप परेरा का आवास था। जब विक्रम साराभाई ने राष्ट्र के निर्माण के लिए इस भू-भाग (जो लगभ 400 एकड़ में था) को माँगा तो आदरणीय फादर डॉक्टर पीटर परेरा बिशप के विज्ञान को धर्म से जोड़कर यह भूमि सहर्ष ‘इसरो’ की स्थापना के लिए दान में दे दी।

प्रश्न 13.
ओछे और अच्छे पुरूषों की क्या पहचान है? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
ओछे लोग वे होते हैं जो सदैव अपने स्वार्थ की बातें करते हैं। वे कभी भी यह नहीं सोचते कि हमारे इन स्वार्थ पूर्ण कार्यों से अन्य व्यक्तियों, समाज और राष्ट्र को क्या हानि उठानी पड़ेगी।

इसके विपरीत जो अच्छे पुरूष होते हैं वे उस सुन्दर पुष्प के समान होते हैं जो अपनी सुगन्ध एवं मिठास रूपी सत्कार्यों से अन्य व्यक्तियों, समाज एवं राष्ट्र की नि:स्वार्थ भाव से सेवा करते हैं। वे राष्ट्रहित में अपना सर्वस्व निछावर करने में भी गर्व का अनुभव करते हैं।

प्रश्न 14.
गुरुदास की कौन-सी विशेषता ने उन्हें महान् बनाया? समझाइए।
उत्तर:
गुरुदास एक नम्र, शीलवान, विद्वान एवं मातृभक्त इन्सान थे। वे कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायाधीश तथा कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलपति थे। अंग्रेजी काल में इतना सम्मान का पद पाने वाले वे प्रथम भारतीय थे। इतना ऊँचा पद पाकर भी अहंकार से दूर थे। जब उनकी निर्धन धाय माँ अपने भीगे वस्त्रों को पहने न्यायालय के कक्ष के दरवाजे पर आ जाती है तो वे अपनी कुर्सी छोड़कर उसे दण्डवत् प्रणाम करते हैं तथा कोर्ट के सभी काम बन्द करके उसे अपने घर ले जाते हैं तथा उसकी सेवा सुश्रूषा करते हैं। उपर्युक्त विशेषताओं के कारण गुरुदास वन्द्योपाध्याय महान् बन गये थे।

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