PSEB Solutions for Class 9 Social Science Geography Chapter 2b पंजाब : धरातल/भू-आकृतियां
PSEB Solutions for Class 9 Social Science Geography Chapter 2b पंजाब : धरातल/भू-आकृतियां
PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 2b पंजाब : धरातल/भू-आकृतियां
पंजाब : धरातल/भू-आकृतियां PSEB 9th Class Geography
- पंजाब का भौतिक मानचित्र देखने में पंजाब मुख्य एक मैदानी प्रदेश दिखाई देता है। परंतु यहाँ अन्य भी कई भू-आकार देखने को मिलते हैं।
- पंजाब के मैदान संसार के सबसे उपजाऊ मैदानों में से एक हैं।
- भौतिक दृष्टि से पंजाब के मैदानों को पांच भागों में बांटा जा सकता है : चोअ वाले मैदान, बाढ़ के मैदान, नैली, जलोढ़ मैदान तथा बालू (रेत) के टिब्बे।
- दोआब का अर्थ है दो नदियों के बीच का प्रदेश।
- पंजाब के पूर्वी तथा उत्तर-पूर्वी भाग में शिवालिक की पहाड़ियां स्थित हैं।
- शिवालिक श्रेणी के अध्ययन के लिए इसे गुरदासपुर-पठानकोट शिवालिक, होशियारपुर शिवालिक तथा रोपड़ शिवालिक आदि भागों में बांटा गया है।
- पंजाब का कंडी क्षेत्र विच्छेदित लहरदार मैदानों से बना है। इसमें काफी चोअ हैं।
- पंजाब सरकार ने डेरा बस्सी, चंडीगढ़, रोपड़-बलाचौर, होशियारपुर तथा मुकेरियाँ के पूरे क्षेत्र को कंडी क्षेत्र घोषित किया हुआ है।
- बारी दोआब का एक और नाम माझा भी है।
- मंड, बेट, चंगर, घाड़, बेला आदि नदियों के समीप पड़ने वाले निचले क्षेत्रों के नाम हैं।
- नैली, घग्गर नदी द्वारा बनाए गए जलोढ़ मैदानों का स्थानीय नाम है।
- पंजाब के किसानों ने सुदूर दक्षिण-पश्चिम के टीलों को लगभग समाप्त कर दिया है। अब इस भाग में सिंचाई द्वारा सफल खेती की जाने लगी है।
- जलोढ़ मैदानों में खादर तथा बांगर दो प्रकार की मिट्टियां मिलती हैं।
- खादर नई जलोढ़ मिट्टी होती है जो बहुत ही उपजाऊ होती है। बांगर पुरानी जलोढ़ होने के कारण कंकड़-पत्थरों से भरी होती है।
- बारी तथा बिस्त दोआब के प्रदेश जलोढ़ी मिट्टी से बने हैं। इन मैदानों में खादर तथा बांगर दोनों प्रकार की मिट्टियां पाई जाती हैं।
- मैदान बाढ़ के मैदान नदियों के किनारे पर निचले भागों में मिलते हैं। इनका निर्माण बाढ़ के पानी द्वारा मिट्टी के जमाव से होता है।
PSEB 9th Class Social Science Guide पंजाब : धरातल/भू-आकृतियां Important Questions and Answers
बहुविकल्पीय प्रश्न :
प्रश्न 1.
पंजाब का अधिकतर भू-भाग कैसा है ?
(क) पहाड़ी
(ख) मैदानी
(ग) पठारी
(घ) मरुस्थलीय।
उत्तर-
(ख) मैदानी.
प्रश्न 2.
पंजाब के शिवालिक पहाड़ों की उत्पत्ति किन दो भू-भागों के टकराने का परिणाम थी ?
(क) गोंडवाना लैंड तथा भाबर मैदान
(ख) अंगारा लैंड तथा शिवालिक मैदान
(ग) गोंडवाना लैंड तथा यूरेशिया प्लेट
(घ) अंगारालैंड तथा यूरेशिया प्लेट।।
उत्तर-
(ग) गोंडवाना लैंड तथा यूरेशिया प्लेट
प्रश्न 3.
बारी दोआब का एक अन्य नाम कौन-सा है ?
(क) मालवा
(ख) चज
(ग) नैली
(घ) माझा।
उत्तर-
(घ) माझा।
प्रश्न 4.
पंजाब के तराई प्रदेश का चोओं से घिरा प्रदेश क्या कहलाता है ?
(क) कंडी
(ख) बारी दोआब
(ग) बेट
(घ) बेला।
उत्तर-
(क) कंडी
प्रश्न 5.
घग्गर के जलोढ़ मैदानों का एक नाम है-
(क) चो
(ख) नैली
(ग) टैथीज़
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(ख) नैली
रिक्त स्थानों की पूर्ति
- पंजाब के ……………. में रेत के टीले मिलते हैं।
- कंडी क्षेत्र पंजाब के कुल क्षेत्रफल का ……….. प्रतिशत भाग है।
- सिरसा नदी के निकट कंडी क्षेत्र को …………. कहा जाता है।
- पंजाब का 70% भू-भाग ………….. मैदान है।
- पंजाब के मैदान ………. तथा ………… के मैदानों का भाग है।
उत्तर-
- दक्षिण-पश्चिम,
- 10,
- घाड़,
- जलोढ़ी,
- गंगा, सिंध।
उचित मिलान :
1. बारी दोआब – (i) होशियारपुर शिवालिक
2. बाढ़ के मैदान – (ii) रोपड़ शिवालिक
3. सतलुज-घग्गर – (iii) बेट
4. ब्यास-सतलुज – (iv) माझा।
उत्तर-
- माझा।
- बेट
- रोपड़ शिवालिक
- होशियारपुर शिवालिक।
अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न
प्रश्न 1.
शिवालिक की पहाड़ियां पंजाब के किस ओर स्थित हैं ?
उत्तर-
पूर्व और उत्तर-पूर्व में।
प्रश्न 2.
पंजाब की शिवालिक पहाड़ियां किस राज्य की सीमाओं को छूती हैं ?
उत्तर-
हिमाचल प्रदेश।
प्रश्न 3.
पंजाब की शिवालिक पहाड़ियों की औसत ऊंचाई कितनी है ?
उत्तर-
600 मीटर से 1500 मीटर तक।
प्रश्न 4.
पठानकोट जिले का कौन-सा ब्लॉक पूरी तरह गुरदासपुर-पठानकोट शिवालिक पहाड़ियों के बीच स्थित है ?
उत्तर-
धार कलां।
प्रश्न 5.
होशियारपुर शिवालिक का सबसे ऊँचा ब्लॉक/विकास खण्ड कौन-सा है ?
उत्तर-
तलवाड़ा (741 मीटर)
प्रश्न 6.
होशियारपुर शिवालिक के दो प्रमुख चोओं के नाम बताओ।
उत्तर-
कोट मैंरा, ढल्ले की खड्ड।
प्रश्न 7.
किस नदी के कारण रोपड़ शिवालिक श्रेणी की निरंतरता टूट जाती है ?
उत्तर-
सतलुज की सहायक नदी सरसा के कारण।
प्रश्न 8.
कंडी क्षेत्र का निर्माण कौन-सी भू-रचनाओं के आपस में मिलने से हुआ है ?
उत्तर-
जलोढ़ पंख।
प्रश्न 9.
पंजाब के जलोढ़ मैदान कौन-कौन सी भौगोलिक इकाइयों में बंटे हुए हैं ?
उत्तर-
बारी दोआब, बिस्त दोआब, सिज दोआब।
प्रश्न 10.
पंजाब में नदियों के रास्ता बदलने से बने ढाए (Dhaiya) कहां देखे जा सकते हैं ? (कोई एक स्थान)
उत्तर-
फिल्लौर।
प्रश्न 11.
पंजाब के जलोढ़ मैदानों में नदियों से दूर ऊंचे क्षेत्रों को क्या नाम दिया जाता है ?
उत्तर-
बांगर।
प्रश्न 12.
पंजाब की शिवालिक पहाड़ियों की लगभग लंबाई कितनी है ?
उत्तर-
280 कि०मी०।
प्रश्न 13.
होशियारपुर शिवालिक अपने दक्षिणी भाग में क्या कहलाता है ?
उत्तर-
कटार की धार।
प्रश्न 14.
होशियारपुर शिवालिक की लंबाई-चौड़ाई बताओ।
उत्तर-
होशियारपुर शिवालिक की लंबाई 130 किलोमीटर और चौड़ाई 5 से 8 किलोमीटर तक है।
लघु उत्तरों वाले प्रश्न
प्रश्न 1.
पंजाब के धरातल में भिन्नता पाई जाती है। उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
पंजाब के धरातलीय नक्शे पर सरसरी दृष्टि डालने पर यह एक मैदानी क्षेत्र दिखाई देता है परंतु भौगोलिक दृष्टि और भू-वैज्ञानिक रचना के अनुसार इसमें काफी भिन्नता पाई जाती है।
पंजाब के मैदान संसार के सबसे ऊपजाऊ मैदानों में से एक हैं। पंजाब के पूर्व और उत्तर-पूर्व में शिवालिक की पहाडियां हैं। पंजाब के दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र में रेत के टीले भी मिलते हैं। राज्य में जगह-जगह चोअ दिखाई देते हैं।
प्रश्न 2.
पंजाब में शिवालिक की पहाड़ियों का विस्तार बताएं। इसके तीन भाग कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-
शिवालिक की पहाड़ियां बाह्य हिमालय का भाग हैं। यह पर्वत पंजाब के पूर्व में हिमाचल प्रदेश की सीमा के साथ-साथ 280 किलोमीटर की लंबाई में फैले हुए हैं।
शिवालिक की पहाड़ियों के तीन भाग हैं-
- गुरदासपुर-पठानकोट शिवालिक-ये पहाड़ियां रावी और ब्यास नदियों तक फैली हैं।
- होशियारपुर शिवालिक-ये पहाड़ियां ब्यास और सतलुज नदियों तक हैं।
- रोपड़ शिवालिक-इसका विस्तार सतलुज और घग्गर नदी तक है।
प्रश्न 3.
पंजाब के कंडी क्षेत्र का निर्माण कहां और कैसे हुआ है ?
उत्तर-
कंडी क्षेत्र का निर्माण शिवालिक की तराई में बने गिरीपद मैदानों (Foothill planes) में हुआ है। इनके निर्माण में जलोढ़ पंखों का हाथ है। ये भू-रचनाएं गिरीपद मैदानों में आपस में मिलती हैं और कंडी क्षेत्र बनाती हैं। इस प्रदेश में भूमिगत जल का स्तर काफी नीचे है।
प्रश्न 4.
होशियारपुर शिवालिक को दक्षिण में ‘कटार की धार’ क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
होशियारपुर शिवालिक की ढलाने नालीदार अपरदन के कारण बहुत अधिक फटी-कटी हैं। इसके अतिरिक्त यहां बहने वाले चोओं ने भी इन पहाड़ियों को कई स्थानों पर बुरी तरह काट दिया है। कटी-फटी पहाड़ियों के सिरे तीखे होने के कारण इन पहाड़ियों को ‘कटार की धार’ कहते हैं।
प्रश्न 5.
रोपड़ शिवालिक की कोई चार विशेषताएं बताओ।
उत्तर-
- शिवालिक की यह श्रेणी सतलुज और घग्गर नदियों के बीच स्थित है। इसका विस्तार रूपनगर (रोपड़) जिले में हिमाचल प्रदेश की सीमा के उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व की ओर है।
- यह पहाड़ उत्तर में नंगल से शुरू होकर चंडीगढ़ के नजदीक घग्गर नदी तक चले जाते हैं।
- इस श्रेणी की लंबाई 90 किलोमीटर तक है। इस श्रेणी की निरंतरता (Continuity) सतलुज की सहायक नदी सरसा के कारण टूट जाती है।
- दूसरी शिवालिक श्रेणियों की तरह यह श्रेणी भी मौसमी चोओं से भरी हुई है। इन्हें राओ (Rao) तथा घाड़ (Ghar) भी कहा जाता है।
प्रश्न 6.
पंजाब के जलोढ़ मैदानों का दोआबो के अनुसार वर्गीकरण करते हुए एक सूची बनाएं।
उत्तर-
पंजाब के जलोढ़ मैदान
बारी दोआब (ब्यास-रावी) | बिस्त दोआब (ब्यास-सतलुज) | सिज-दोआब (सतलुज-जमना) |
रावी-सक्की किरन | पश्चिमी दोआब | कोटकपूरा पठार |
सकी किरन-उदियारा | मंजकी दोआब | नैली |
उदियारा-कसूर | ढक दोआब | पभाध |
बेट/खाडर | बाढ़ के मैदान | |
पट्टी-ब्यास | रेतीले टिब्बे |
प्रश्न 7.
शिवालिक पहाड़ों (पहाड़ियों) की उत्पत्ति कैसे हुई ?
उत्तर-
शिवालिक पहाड़ियों की उत्पत्ति भी हिमालय की तरह टैथीज़ सागर से हुई। इनका निर्माण सागर में जमा कीचड़, चिकनी मिट्टी, ककड़-पत्थर आदि के ऊँचा उठने से हुआ। एक विचार के अनुसार मायोसीन (Miocene) काल में हिमालय के निर्माण के समय हिमालय के सामने एक छिछला सागर अस्तित्व में गया। लाखों वर्षों तक इसमें गाद जमा होती रही। कुछ समय बाद यूरेशिया प्लेट के गोंडवाना लैड से टकराने पर जमा पदार्थों ने ऊपर उठकर पहाड़ों का रूप ले लिया। यही पहाड़ शिवालिक पहाड़ कहलाते हैं।
प्रश्न 8.
पंजाब के मैदानों का सबसे बड़ा क्षेत्र कौन-सा है ? इसमें शामिल ज़िलों के नाम बताओ।
उत्तर-
पंजाब के मैदानों का सबसे बड़ा क्षेत्र मालबा है। इसमें फिरोजपुर, फरीदकोट का उत्तरी भाग, मोगा, लुधियाना, बरनाला, संगरूर, पटियाला, पश्चिमी रूपनगर, साहिबजादा अजीत सिंह नगर (मोहाली), फतेहगढ़ साहिब आदि ज़िले शामिल हैं।
प्रश्न 9.
पंजाब के किन्हीं दो दोआबों के नाम लिखो तथा उनमें शामिल ज़िलों के बारे में बताओ।
उत्तर-
बारी दोआब तथा बिस्त दोआब पंजाब के दो प्रमुख दोआब हैं। इनका वर्णन इस प्रकार है
- बारी दोआब-पंजाब में रावी और सतलुज नदियों के बीच का क्षेत्र बारी दोआब कहलाता है। इसे ‘माझा क्षेत्र’ भी कहा जाता है। इसमें पठानकोट, गुरदासपुर, अमृतसर और तरनतारन के ज़िले आते हैं।
- बिस्त दोआब-बिस्त दोआब ब्यास और सतलुज नदियों के बीच का क्षेत्र है। इसमें जालंधर, कपूरथला, होशियारपुर और शहीद भगत सिंह नगर (नवांशहर) के जिले आते हैं।
प्रश्न 10.
पंजाब के जलोढ़ मैदानों के बीच स्थित रेतीले टीलों पर नोट लिखो।
उत्तर-
सतलुज नदी के दक्षिणी भाग में पानी का बहाव घग्गर नदी की ओर है। इस क्षेत्र में बाढ़ के दिनों में पानी के बह जाने से रेत के टीले बन गए हैं। बाढ़ों से बचाव के लिए कई स्थानों पर नाले तथा नालियां बनाई गई हैं। अब इन टीलों को कृषि योग्य बना लिया गया है।
प्रश्न 11.
पंजाब के दक्षिण पश्चिमी भाग में स्थित रेतीले टीलों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर-
पंजाब के दक्षिण-पश्चिम में राजस्थान के साथ लगती सीमा पर जगह-जगह रेतीले टीले दिखाई देते हैं। इस प्रकार के टीले प्रायः भठिंडा, मानसा, फाजिल्का, फरीदकोट, संगरूर, मुक्तसर तथा पटियाला ज़िलों के दक्षिणी भागों में मिलते हैं। फिरोजपुर जिले के मध्यवर्ती भागों में भी कुछ टीले पाए जाते हैं। इन टीलों की ढलान टेढ़ी मेढ़ी है।
इस क्षेत्र की जलवायु अर्ध शुष्क है। अब पंजाब में रेत के टीलों को समतल करके खेती की जाने लगी है। पंजाब के मेहनती किसानों ने सिंचाई की सहायता से कृषि को उन्नत किया है। परिणामस्वरूप इस क्षेत्र की प्राकृतिक भौगोलिक विशेषता लगभग लुप्त हो गई है।
दीर्घ उत्तरों वाले प्रश्न
प्रश्न 1.
पंजाब को धरातल के अनुसार हम कौन-कौन से भागों में बांट सकते हैं ? शिवालिक की पहाड़ियों का विस्तृत वर्णन करो।
उत्तर-
इसमें कोई संदेह नहीं कि पंजाब अपने विशाल उपजाऊ मैदानों के लिए संसार भर में प्रसिद्ध है। परंतु यह केवल मैदानी क्षेत्र नहीं है। इसके धरातल में काफी भिन्नता पाई जाती है। इसके पूर्व और उत्तर-पूर्व में शिवालिक की पहाड़ियां हैं। पंजाब के दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र में रेत के टीले भी हैं। पंजाब के धरातल को हम नीचे लिखे क्षेत्रों में बांट सकते हैं
- शिवालिक की पहाड़ियां
- विशाल जलोढ़ी मैदान
- जलोढ़ मैदानों के मध्य (दक्षिण-पश्चिम के) रेतीले टीले।
शिवालिक की पहाड़ियां बाह्य हिमालय का भाग हैं। ये पर्वत पंजाब के पूर्व में हिमाचल प्रदेश की सीमा के साथसाथ 280 किलोमीटर की लंबाई में फैले हुए हैं।
इस पर्वत श्रेणी की औसत चौड़ाई 5 से 12 किलोमीटर तक है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊंचाई 600 से 1500 मीटर तक है।
शिवालिक की पहाड़ियों के भाग-शिवालिक की पहाड़ियों को तीन भागों में बांटा जा सकता है-
- गुरदासपुर-पठानकोट शिवालिक रावी और ब्यास नदियों तक,
- होशियारपुर शिवालिक ब्यास और सतलुज नदियों तक
- रोपड़ शिवालिक सतलुज और घग्गर तक।
इन भागों का विस्तृत वर्णन इस प्रकार है-
1. गुरदासपुर-पठानकोट शिवालिक इस पहाड़ी श्रेणी का विस्तार गुरदासपुर और पठानकोट जिलों के बीच है। पठानकोट जिले का धार कलां ब्लॉक पूरी तरह शिवालिक पहाड़ों के बीच स्थित है। इन पहाड़ों की औसत ऊंचाई 1000 मीटर के लगभग है।
इस क्षेत्र की पहाड़ी ढलाने, पानी के तेज बहाव के कारण किनारों से कट जाती हैं जिससे गहरी खाइयां/खड्डे (Gullies) बन जाती हैं। इस क्षेत्र में बहने वाली मौसमी नदियाँ (Seasonal River) चक्की खड्डु और उसकी सहायक नदियां ब्यास नदी में गिरती हैं।
2. होशियारपुर शिवालिक होशियारपुर शिवालिक का क्षेत्र ब्यास और सतलुज के मध्य होशियारपुर, शहीद भगत सिंह (नवांशहर) और रूपनगर जिले के नूरपूर बेदी ब्लॉक के बीच फैला हुआ है। इसकी लंबाई 130 किलोमीटर और चौड़ाई 5 से 8 किलोमीटर तक है। उत्तर में ये पहाड़ियाँ अधिक चौड़ी हैं परंतु दक्षिण में नीची तथा तंग हो जाती हैं। इसका सबसे ऊँचा ब्लॉक तलवाड़ा है और जिसकी ऊँचाई 741 मीटर तक है। शिवालिक की ये ढलाने नालीदार अपरदन (Gully Erosion) का बुरी तरह शिकार हैं और बहुत ज्यादा कटी फटी हैं। प्रत्येक किलोमीटर बाद प्रायः एक चोअ (Choe) आ जाता है। इन चोओं के अपरदन (Headward Erosion) के कारण ये पहाड़ कई स्थानों पर कटे हुए हैं। होशियारपुर के दक्षिण में इन्हें कटार की धार भी कहा जाता है। इसका बीच वाला भाग गढ़शंकर के पूर्व में स्थित है। कोट, मैरां, डले की खड़ यहां के प्रमुख चोअ हैं।
3. रोपड़ शिवालिक-शिवालिक की यह श्रेणी सतलुज और घग्गर नदियों के बीच स्थित है। यह रूपनगर (रोपड़) जिले में हिमाचल प्रदेश की सीमा के साथ उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व ओर फैली हुई है। ये पहाड़ उत्तर में नंगल से शुरू होकर चंडीगढ़ के नजदीक घग्गर नदी तक चले जाते हैं। इनकी लंबाई 90 किलोमीटर तक है। इस श्रेणी की निरंतरता (Continuity) सतलुज की सहायक नदी सरसा के कारण टूट जाती है। अन्य शिवालिक श्रेणियों की तरह यह श्रेणी भी मौसमी नालों से भरी हुई है। यहां पर इन नालों को राओ और घार (Rao & Ghare) भी कहा जाता है।
प्रश्न 2.
पंजाब के मैदान की उत्पत्ति कैसे हुई ? इनकी भौगोलिक दृष्टि से बांट करो।
उत्तर-
पंजाब के मैदान गंगा और सिंध के मैदान का भाग हैं। ये मैदान सिंध और उसकी सहायक नदियों रावी, ब्यास, सतलुज और उसकी सहायक नदियों द्वारा हिमालय से बहाकर लाई गई मिट्टी के जमाव से है। इन मैदानों की समुद्र तल से औसत ऊंचाई 200 मी० से 300 मी० तक है। इनकी ढलान पूर्व से पश्चिम की ओर है।
भौगोलिक बांट-भौगोलिक दृष्टि से पंजाब के मैदानों को 5 भागों में बांटा जा सकता है-
- चो (नालों) वाले क्षेत्रों के मैदान
- बाढ़ के मैदान
- नैली
- जलोढ़ के मैदान
- जलोढ़ मैदानों के बीच स्थित रेतीले (बालू के) टीले
(i) चोअ (नालों) वाले क्षेत्रों के मैदान-ये मैदान शिवालिक पहाड़ियों की तराई में स्थित हैं। यह प्रदेश चोओं से घिरा है। वर्षा के मौसम में इन चोओं में प्रायः बाढ़ आ जाती है। इससे जान-माल की बहुत हानि होती है। इन मैदानों की मिट्टी में कंकड़ पाए जाते हैं। इसके नीचे पानी का स्तर काफी नीचा होता है।
(ii) बाढ़ के मैदान-इन मैदानों में रावी, ब्यास तथा सतलुज़ के बाढ़ वाले मैदान शामिल हैं। इन मैदानों को बेट भी कहा जाता है। पंजाब में फिल्लौर बेट, आनंदपुर बेट तथा नकोदर बेट इसके मुख्य उदाहरण हैं।
(iii) नैली-पंजाब के दक्षिण-पूर्व में घग्गर नदी ने जलोढ़ के मैदानों का निर्माण किया है। इन मैदानों को स्थानीय भाषा में नैली कहते हैं। इन नैलियों में वर्षा ऋतु में बाढ़ें आ जाती हैं। घुड़ाम, समाना तथा सरदूलगढ़ इन मैदानों के मुख्य उदाहरण हैं।
(iv) जलोढ़ के मैदान-बारी तथा बिस्त दोआब के प्रदेश जलोढ़ी मिट्टी से बने हैं। इन मैदानों में खाडर तथा बांगर दोनों प्रकार की मिट्टियां पाई जाती हैं।
(v) जलोढ़ मैदानों के बीच स्थित बालू टीले-सतलुज नदी के दक्षिणी भाग में पानी का बहाव घग्गर नदी की
ओर है। बाढ़ के दिनों में यहां पानी के बहने से रेत के टीले बन जाते हैं। बाढ़ों से बचाव के लिए कई स्थानों पर नाले तथा नालियाँ बनाई गई हैं। अब इन टीलों को कृषि योग्य बना लिया गया है।
SST Guide for Class 9 PSEB पंजाब : धरातल/भू-आकृतियां Textbook Questions and Answers
(क) नक्शा कार्य (Map Work) :
प्रश्न 1.
पंजाब के रेखाचित्र में अंकित करें :
उत्तर-
- होशियारपुर शिवालिक तथा रोपड़ शिवालिक शृंखालायें
- सतलुज का बेट क्षेत्र।
प्रश्न 2.
अर्ध पर्वतीय, मैदानी तथा दक्षिण-पश्चिम रेतीले टीलों वाले क्षेत्रों में पड़ते जिलों की सारणियां बनाकर कक्षा में लगाएं।
नोट-विद्यार्थी यह प्रश्न अध्याय में दिए गए मानचित्र की सहायता से स्वयं करें।
(ख) निम्नलिखित वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के उत्तर दें :
प्रश्न 1.
प्राचीन जलोढ़ निर्मित क्षेत्र को क्या कहा जाता है ?
उत्तर-
बांगर।
प्रश्न 2.
खाडर (खादर) या बेट से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
खाडर अथवा बेट नई जलोढ़ मिट्टी के मैदान हैं। यह मिट्टी नदियों के किनारों पर निचले क्षेत्रों में पाई जाती है।
प्रश्न 3.
पंजाब के मैदानों को किन भागों में वर्गीकृत किया जाता है ?
उत्तर-
पंजाब के मैदानों को पांच भागों में बांटा जाता है-
- चो वाले मैदान,
- बाढ़ के मैदान,
- नैली,
- जलोढ़ के मैदान,
- जलोढ़ मैदानों के बीच स्थित रेतीले टीले।
प्रश्न 4.
पंजाब में रेत के टीले किस दिशा में थे/हैं।
उत्तर-
रेतीले टिब्बे पंजाब के दक्षिण पश्चिम में राजस्थान की सीमा के साथ-साथ पाए जाते हैं।
प्रश्न 5.
चंगर किसे कहते हैं ?
उत्तर-
आनंदपुर साहिब के नज़दीक कंडी क्षेत्र को चंगर कहा जाता है।
प्रश्न 6.
सही और गलत कथन बताएं-
(i) हिमालय की बाहरी श्रेणी का नाम शिवालिक है। ( )
(ii) कंडी क्षेत्र रूपनगर व पटियाला ज़िलों के दक्षिण में है। ( )
(iii) होशियारपुर शिवालिक, सतलुज व व्यास नदियों के बीच है। ( )
(iv) पंजाब के दक्षिण-पूर्व क्षेत्र में घग्गर के जलोढ़ मैदान, नैली में मिलते हैं। ( )
उत्तर-
- सही,
- गलत,
- सही,
- सही।
(ग) निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षेप उत्तर दें:
प्रश्न 1.
कंडी क्षेत्र की विशेषताएं लिखें तथा बतायें ये क्षेत्र कौन-से जिलों में पड़ते हैं ?
उत्तर-
पंजाब की शिवालिक पहाड़ियों के पश्चिम तथा रूपनगर (रोपड़) जिले की नूरपुर बेदी तहसील के पूर्व में स्थित मैदानी प्रदेश को स्थानीय भाषा में कंडी क्षेत्र कहा जाता है। इस क्षेत्र की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं
- यह क्षेत्र पंजाब के 5 लाख हेक्टेयर भू-भाग में फैला हुआ है जो पंजाब के कुल क्षेत्रफल का 10% हिस्सा है।
- इस क्षेत्र की मृदा मुसामदार (Porons) है।
- इसमें बहुत से चोअ मिलते हैं।
- यहां जल-स्तर काफ़ी गहरा है।
ज़िले-इस क्षेत्र में होशियारपुर, रूपनगर (रोपड़) आदि जिले शामिल हैं।
प्रश्न 2.
चोअ क्या होते हैं ? उदाहरण देकर बतायें।
उत्तर-
चोअ एक प्रकार के बरसाती नाले हैं। ये नाले वर्षा के मौसम में भरकर बहने लगते हैं। शुष्क ऋतु में इनमें पानी सूख जाता है। ऐसे नालों को मौसमी चोअ कहते हैं। रूपनगर (रोपड़) के शिवालिक प्रदेश में बहुत अधिक मौसमी नाले पाए जाते हैं। यहाँ पर इन्हें राओ और घाड़ (Rao & Ghar) भी कहा जाता है।
प्रश्न 3.
पंजाब के जलोढ़ मैदानों की उत्पत्ति के विषय पर नोट लिखें।
उत्तर-
पंजाब का 70% भू-भाग जलोढ़ी मैदानों से घिरा हुआ है। यह मैदान भारत के गंगा और सिंध के मैदान का भाग है। इनकी उत्पत्ति हिमालय क्षेत्र से नदियों द्वारा बहाकर लाई गई मिट्टी के जमाव से हुई है। इन नदियों में सिंध और उसकी सहायक नदियों सतलुज, रावी, व्यास का महत्त्वपूर्ण योगदान है। समुद्र तल से इन मैदानों की ऊंचाई 200 मीटर से 300 मीटर तक है।
प्रश्न 4.
गुरदासपुर-पठानकोट शिवालिक पर नोट लिखें।
उत्तर-
गुरदासपुर-पठानकोट शिवालिक की पहाड़ी श्रेणी का विस्तार गुरदासपुर और पठानकोट जिलों के बीच है। पठानकोट जिले का धार कलां ब्लॉक पूरी तरह शिवालिक पहाड़ों के बीच स्थित है। इन पहाड़ों की औसत ऊंचाई 1000 मीटर के लगभग है।
इस क्षेत्र की पहाड़ी ढलाने, पानी के तेज बहाव के कारण किनारों से कट गई हैं जिससे ये काफी तीखी हो गई
इस क्षेत्र में बहने वाली मौसमी नदियाँ (Seasonal River) चक्की खड्ड और उसकी सहायक नदियां व्यास नदी में गिरती हैं।