RBSE Class 9 Sanskrit व्याकरण उपसर्ग-प्रकरणम्
RBSE Class 9 Sanskrit व्याकरण उपसर्ग-प्रकरणम्
Rajasthan Board RBSE Class 9 Sanskrit व्याकरण उपसर्ग-प्रकरणम्
उपसर्ग की परिभाषा-शब्द या धातु (क्रिया) के पूर्व जो पद जोड़े या लगाये जाते हैं वे उपसर्ग कहे जाते हैं। उपसर्ग का प्रयोग करने से धातु के अर्थ में विशेषता आ जाती है। कहीं धातु का अर्थ परिवर्तित होकर एक नया अर्थ प्रकट करता है तो कहीं अर्थ का विपर्यय या विलोम हो जाता है और इस प्रकार अर्थ में सौन्दर्य आ जाता है। जैसे-
उपर्युक्त सभी उपसर्गयुक्त शब्द एक ही धातु (क्रिया) शब्द के साथ भिन्न-भिन्न उपसर्ग जोड़ने से बने हैं, किन्तु उनके अर्थ बिल्कुल बदल गये हैं। कुल उपसर्ग 22 होते हैं जो इस प्रकार हैं-प्र, परा, अप, सम्, अनु, अव, निस्, निर, दुस्, दुर्, वि, आड्. (आ), नि, अधि, अपि, अति, सु, उत्, अभि, प्रति, परि, उप। अब यहाँ पर कतिपय उपसर्गों द्वारा धातु के अर्थ परिवर्तन को प्रदर्शित करते हैं
‘प्र’ उपसर्ग का प्रयोग। ‘प्र’ उपसर्ग का प्रयोग धातु (क्रिया) शब्द से पूर्व उत्कर्ष-अर्थ में होता है। ‘प्र’ उपसर्ग जोड़ने से बने कुछ क्रियापदों के उदाहरण इस प्रकार है-
(2) ‘सम्’ उपसर्ग का प्रयोग
‘सम्’ उपसर्ग का प्रयोग अच्छा, पूरा, साथ आदि अनेक अर्थ में किया जाता है। क्रिया में सम्’ उपसर्ग जोड़ने से बने कुछ क्रियापदों के उदाहरण इस प्रकार हैं-
(3) ‘दुस्’ उपसर्ग का प्रयोग
‘दुस्’ उपसर्ग का प्रयोग बुरा, दुष्कर्म आदि अर्थ में आता है। क्रिया-शब्द में ‘दुस्’ जोड़ने से बने कुछ क्रियापदों के उदाहरण इस प्रकार हैं-
(4) ‘अनु’ उपसर्ग का प्रयोग
‘अनु’ उपसर्ग का प्रयोग ‘बाद में’ अथवा ‘अनुकरण’ आदि के अर्थ में होता है। जैसे-
(5) ‘वि’ उपसर्ग को प्रयोग
‘वि’ उपसर्ग का प्रयोग ‘विशेष’, ‘रहित’, ‘विपरीत’ अथवा ‘पृथक् आदि अर्थ में होता है। जैसे-
(6) ‘उप’ उपसर्ग का प्रयोग
‘उप’ उपसर्ग का प्रयोग ‘समीप’, अथवा ‘ओर’ आदि के अर्थ में होता है। जैसे-
पाठ्य पुस्तक ‘सरसा से संबंधित उपसर्ग पद
अभ्यास
प्रश्न 1.
‘गम्’ धातु के साथ ‘सम्’ उपसर्ग लगाने पर अर्थ में क्या अन्तर पड़ता है?
उत्तर:
‘गच्छति’ में ‘सम्’ उपसर्ग जोड़ने पर ‘संगच्छति’ का अर्थ ‘साथ जाता है’ हो जाता है।
प्रश्न 2.
‘भू’ (भ) अथवा ‘गम्’ (गच्छ) के साथ ‘सम्’ और ‘अनु’ उपसर्ग लगाकर शब्द लिखिए।
उत्तर:
- सम् + भू (भव्) = संभवति (संभव होता है)
- अनु। भू (भ) = अनुभवति (अनुभव करता है)।
- सम् + गम् (गन्छ) = संगच्छति (साथ जाता है)
- अनु + गम् (गच्छु) = अनुगति (पीछे जाता है)।
प्रश्न 3.
‘नी’ (नय्) अथवा ‘कृ’ के साथ अनु’ एवं ‘उप’ उपसर्ग लगाकर उदाहरण लिखिये।
उत्तर:
- अनु + नी (नय्) = अनुनयति (अनुनय करता हैं)
- उप। नी (नयू) = उपनयति (पास ले जाता है।
- अनु + १ = अनुकरोति ( अनुकरण करता है)
- उप + कृ = उपकरोति (उपकार करता है)
प्रश्न 4.
‘भू’ (भ) अथवा ‘वद्’ के साथ ‘सम्’ और ‘अनु’ उपसर्ग लगाकर उदाहरण लिखिये।
उत्तर:
- सम् + भू (भ) = संभवति (संभव होता है)
- अनु + भू (भ) = अनुभवति (अनुभव करता है)
- सम् + बद् = संवदति (वार्तालाप करता हैं)
- अनु + वद् = अनुवदति ( अनुवाद करता है)
प्रश्न 5.
‘नी’ (न) अथवा ‘चर्’ धातु के साथ ‘अनु’ उपसर्ग लगाकर उदाहरण लिखिये।
उत्तर:
- अनु + नी (नय्) = अनुनयति (अनुनय करता है)
- अनु + चर् = अनुचरति (अनुकरण करता है)
पाठ्य पुस्तक ‘सरसा से संबंधित उपसर्ग पद
अभ्यास
प्रश्न 1.
‘गम्’ धातु के साथ सम्’ उपसर्ग लगाने पर अर्थ में क्या अन्तर पड़ता है?
उत्तर:
‘गच्छति’ में सम्’ उपसर्ग जोड़ने पर ‘संगच्छति’ का अर्थ ‘साथ जाता है’ हो जाता है।
प्रश्न 2.
‘भू’ (भ) अथवा ‘गम्’ (गच्छ) के साथ ‘सम्’ और ‘अनु’ उपसर्ग लगाकर शब्द लिखिए।
उत्तर:
- सम् + भू (भव्) = संभवति (संभव होता है)
- अनु + भू (भव्) = अनुभवति (अनुभव करता है)
- सम् + गम् (गच्छु) = संगच्छति (साथ जाता है)
- अनु + गम् (गच्छु) = अनुगच्छति (पीछे जाता है)
प्रश्न 3.
‘नी’ (नय्) अथवा ‘कृ’ के साथ ‘अनु’ एवं ‘उप’
उपसर्ग लगाकर उदाहरण लिखिये।।
उत्तर:
- अनु + नी (नय्) = अनुनयति (अनुनय करता है)
- उप + नी (नय्) = उपेनयति (पास ले जाता है)
- अनु + कृ = अनुकरोति (अनुकरण करता है)
- उप + कृ = उपकरोति (उपकार करता है)
प्रश्न 4.
‘भू’ (भव्) अथवा ‘वद्’ के साथ ‘सम्’ और ‘अनु’ उपसर्ग लगाकर उदाहरण लिखिये।।
उत्तर:
- सम् + भू (भव्) = संभवति (संभव होता है)
- अनु + भू (भव्) = अनुभवति (अनुभव करता है)
- सम् + वद् = संवदति (वार्तालाप करता है)
- अनु + वद् = अनुवदति (अनुवाद करता है)
प्रश्न 5.
‘नी’ (नय्) अथवा ‘चर्’ धातु के साथ ‘अनु’ उपसर्ग लगाकर उदाहरण लिखिये।
उत्तर:
- अनु + नी (नय्) = अनुनयति (अनुनय करता है)
- अनु + चर् = अनुचरति (अनुकरण करता है)
प्रश्न 6.
‘वद्’ अथवा ‘चर्’ के साथ ‘सम्’ और ‘अनु’ उपसर्ग लगाकर उदाहरण लिखिये।।
उत्तर:
- सम् + वद् = संवदति (वार्तालाप करता है)
- अनु + वद् = अनुवदति (अनुवाद करता है)
- सम् + चर् = संचरति (घूमता-फिरता है)
- अनु + चर् = अनुचरति (अनुकरण करता है) 7
प्रश्न 7.
‘ह’ अथवा ‘चल्’ के साथ ‘प्र’ और ‘वि’ उपसर्ग लगाकर उदाहरण लिखिये।
उत्तर:
- प्र + ऋ = प्रहरति (प्रहार करता है)
- वि + है = विहरति (घूमता है)।
- प्र + चल् = प्रचलति (घूमता-फिरता है)
प्रश्न 8.
‘वस्’ अथवा ‘गम्’ धातु के साथ ‘उप’ उपसर्ग लगाकर उदाहरण लिखिये।
उत्तर:
- उप + वस् = उपवसति (पास रहता है)
- उप + गम् = उपगच्छति (पास जाता है)
प्रश्न 9.
‘स्मृ’ अथवा ‘तृ’ धातु के साथ ‘वि’ और ‘सम्’ उपसर्ग लगाकर उदाहरण लिखिये।
उत्तर:
- वि + स्मृ = विस्मरति (भूलता है)
- सम् + स्मृ = संस्मरति (याद करता है)
- वि + तृ = वितरति (बाँटता है)।
- सम् + तृ = संतरति (पार जाता है)
प्रश्न 10.
‘कृ’ अथवा नी धातु के साथ ‘अनु’ और ‘उप’ उपसर्ग लगाकर उदाहरण लिखिये।
उत्तर:
- अनु + कृ = अनुकरोति (अनुकरण करता है)
- उप + १ = उपकरोति (उपकार करता है)
- अनु + नी = अनुनयति (अनुनय करता है)
- उप + नी = उपनयति (पास ले जाता है). 1
1. अधोलिखितेभ्यः पदेभ्यः उपसर्गान् पृथक् कृत्वा लिखत।
उत्तर: