UK Board 10th Class Social Science – (राजनीति विज्ञान) – Chapter 3 लोकतन्त्र और विविधता
UK Board 10th Class Social Science – (राजनीति विज्ञान) – Chapter 3 लोकतन्त्र और विविधता
UK Board Solutions for Class 10th Social Science – सामाजिक विज्ञान – (राजनीति विज्ञान) – Chapter 3 लोकतन्त्र और विविधता
पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1 – सामाजिक विभाजनों की राजनीति के परिणाम तय करने वाले तीन कारकों की चर्चा करें।
उत्तर- सामाजिक विभाजनों की राजनीति को तय करने वाले कारक
सामाजिक विभाजनों की राजनीति को तय करने वाले कारकों की विवेचना निम्न प्रकार की जा सकती है-
- धार्मिक आधार पर समाज का विभाजन तथा राजनीति- लोकतान्त्रिक समाज में सभी व्यक्तियों को अपने अन्तःकरण की आवाज के अनुसार किसी भी धर्म के पालन करने का अधिकार होता है। अतः ऐसे समाज में अनेक धर्मों के मानने वालों का अस्तित्व होता है । परन्तु यदि राजनीतिज्ञ अथवा राजनीतिक दल धर्म के आधार पर समाज का विभाजन कराना चाहते हैं अथवा धर्म के आधार पर अपना ‘वोट बैंक’ बनाना चाहते हैं तो यह समाज के सौहार्दपूर्ण वातावरण को समाप्त कर देगा। यदि राज्य की सम्पूर्ण जनता धर्म के नाम पर बँट जाती है तो एक धार्मिक समूह अन्य के प्रति घृणा तथा प्रतिद्वन्द्विता की भावना रखेगा। राजनीतिक दल प्रायः मतों की प्राप्ति के लिए एक समुदाय के लोगों को दूसरे समुदाय के लोगों के विरुद्ध भड़काते रहते हैं। उदाहरण के लिए – उत्तरी आयरलैण्ड में कैथोलिक तथा प्रोटेस्टेंट धर्म के मानने वाले लोग रहते हैं। प्रोटेस्टेंट धर्म के मानने वाले लोगों का प्रतिनिधित्व संघीय पार्टियाँ करती हैं जबकि कैथोलिकों का प्रतिनिधित्व राष्ट्रवादी पार्टियाँ करती हैं। संघीय तथा राष्ट्रवादी के बीच चलने वाले संघर्षों में ब्रिटेन के सुरक्षा बलों सहित सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं। 1998 में ब्रिटेन की सरकार तथा राष्ट्रवादियों के बीच शान्ति समझौता हुआ जिसमें दोनों पक्षों ने आन्दोलन बन्द करने की बात स्वीकार की। भारत में भी धर्मों के आधार पर कुछ राजनीतिक दल; जैसे- मुस्लिम लीग, शिव सेना, हिन्दू महासभा आदि का निर्माण किया गया है। लोकतन्त्र के सफल संचालन के लिए यह आवश्यक है कि यदि किसी देश में धर्म के आधार पर सामाजिक विभाजन हो तो उसकी राजनीति में अभिव्यक्ति नहीं होने देनी चाहिए।
- सांस्कृतिक विभिन्नताओं के कारण सामाजिक विभाजन- समाज में विभिन्न संस्कृतियों का अस्तित्व होता है। सांस्कृतिक मान्यताओं तथा परम्पराओं के आधार पर सम्पूर्ण राष्ट्र छोटे-छोटे भागों में विभाजित हो जाता है। संस्कृति के आधार पर व्यक्ति अपनी पहचान बना लेता है तथा उसे कायम भी रखना चाहता है । यदि लोग स्वयं को विशिष्ट तथा दूसरों से अलग मानना प्रारम्भ कर देते हैं तो उनके लिए दूसरों के साथ तालमेल बैठाना बहुत कठिन हो जाता है।
भारत तथा बेल्जियम में विभिन्न भाषाओं तथा संस्कृतियों के समूह एक ही राष्ट्र के अन्तर्गत शान्तिपूर्ण तथा सौहार्दपूर्ण वातावरण में रहते हैंक्योंकि वे स्वयं को पहले भारतीय मानते हैं, फिर किसी प्रदेश, क्षेत्र, भाषा समूह अथवा धार्मिक समुदाय का सदस्य मानते हैं।
- विभिन्न समुदायों के प्रति राजनीतिक दलों का दृष्टिकोण अथवा उनकी भूमिकाएँ – लोकतन्त्र में यह बहुत ही महत्त्वपूर्ण है कि भाषा, धर्म अथवा संस्कृति के आधार पर उत्पन्न समस्याओं के समाधान से राजनीतिक दलों का दृष्टिकोण किस प्रकार का रहता है। क्योंकि सामाजिक विभाजन को राजनीति किसी-न-किसी रूप में प्रभावित करती है। राजनीतिक दलं भाषा अथवा संस्कृति के आधार पर निर्मित समूहों का सत्ता प्राप्ति के लिए सहयोग चाहते हैं। राजनीतिक दल विभिन्न समुदायों की माँगों का समर्थन करते हैं। संविधान की सीमाओं के अन्तर्गत आने वाली तथा अन्य समुदायों को हानि न पहुँचाने वाली माँगों को शासन द्वारा स्वीकार करना सामान्यतया आसान होता है।
श्रीलंका में ‘केवल सिंहलियों के लिए’ माँग तमिल समुदाय की पहचान तथा हितों के विरुद्ध थी। यूगोस्लाविया में विभिन्न समुदायों के नेताओं ने अपने जातीय समूहों की ओर से ऐसी माँगें रख दीं जिनकी पूर्ति करना सरकार के लिए असम्भव था । यदि शासन राष्ट्रीय एकता के नाम पर किसी ऐसी माँग को दबाना प्रारम्भ कर देता है जो किसी समूह विशेष के हितों के अनुकूल है तो उसके परिणाम बहुत गम्भीर तथा भयावह होते हैं। शक्ति के आधार पर एकता को बनाए रखने की कोशिश प्रायः विभाजन के लिए उत्तरदायी होती है।
प्रश्न 2 – सामाजिक अन्तर कब और कैसे सामाजिक विभाजनों का रूप ले लेते हैं?
उत्तर- सामाजिक अन्तर तथा सामाजिक विभाजन
- विद्वानों का यह मत है कि सामाजिक विभिन्नताएँ सामाजिक विभाजन के लिए उत्तरदायी बन जाती हैं। समाज में जन्म, लिंग, रंग, जाति, धर्म तथा क्षेत्र के आधार पर विभिन्नताएँ विद्यमान रहती हैं। लोगों, राजनीतिज्ञों, राजनीतिक दलों एवं सरकार की संकीर्ण मानसिकता उसे सामाजिक विभाजन का रूप प्रदान कर देती है। दक्षिण अफ्रीका में समाज अल्पसंख्यक श्वेत तथा बहुसंख्यक अश्वेत (काले) में विभाजित था। गोरे लोग स्वाभाविक रूप से काले लोगों से घृणा करते थे। वहाँ की सरकार ने भी श्वेत लोगों को प्रोत्साहित किया क्योंकि यह सरकार भी जातीय विभेद तथा रंगभेद की नीति का अनुसरण करती थी ।
- यदि समाज में विद्यमान सामाजिक विभिन्नताएँ दूसरी अनेक विभिन्नताओं से अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाती हैं तो स्थिति और भी गम्भीर हो जाती है। अमेरिका में नीग्रो (अश्वेत) तथा गोरे लोगों के बीच काफी समय तक गृहयुद्ध चला। इस सामाजिक अन्तर ने समाज के विभाजन की नींव डाली।
- भारत में भी जाति के आधार पर सामाजिक अन्तर देखने को मिलता है। अत: जाति के आधार पर समाज का सवर्ण जाति (सामान्य जाति), अन्य पिछड़ी जातियाँ, अनुसूचित जातियाँ तथा अनुसूचित जनजातियों में विभाजन की स्थिति उत्पन्न हो गई है। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लोग आमतौर पर गरीब तथा भूमिहीन हैं। अत: उन्हें भेदभाव तथा अन्याय का शिकार होना पड़ता है।
- सामाजिक अन्तर व्यक्तियों को विभिन्न समूहों अथवा समुदायों में विभाजित कर देता है। इस प्रकार की संकीर्ण मनोवृत्तियाँ अन्ततोगत्वा समाज के विभाजन के लिए उत्तरदायी बन जाती हैं। लोगों को यह महसूस होने लगता है कि वे दूसरे समुदाय के हैं।
- यह भी देखा गया है कि अनेक बार सामाजिक विभाजन की खाई इतनी अधिक चौड़ी हो जाती है कि उसे लोकतान्त्रिक तरीकों से पाटना दुष्कर हो जाता है। एक वर्ग समूह द्वारा दूसरे समूह का उत्पीड़न तथा शोषण किया जाता है। इस अन्याय के विरुद्ध किए जाने वाले संषर्घ में हिंसा सहारा लिया जाता है। यह आन्दोलन शासन के विरुद्ध भी खड़ा हो का जाता है।
- कोई भी राष्ट्र चाहे उसका आकार छोटा हो अथवा बड़ा, सभी में सामाजिक भिन्नताएँ विद्यमान रहती हैं जो सामाजिक विभाजन को जन्म देती हैं। भारत बड़ा राष्ट्र है जबकि बेल्जियम छोटा राष्ट्र है। इन दोनों राष्ट्रों में ही विभिन्न समुदायों के लोग निवास करते हैं।
प्रश्न 3 – सामाजिक विभाजन किस प्रकार से राजनीति को प्रभावित करते हैं? दो उदाहरण भी दीजिए।
उत्तर- सामाजिक विभाजनों का राजनीति पर प्रभाव
सामाजिक विभाजनों के राजनीति पर प्रभाव को निम्नलिखित बिन्दुओं के आधार पर स्पष्ट किया जा सकता है-
- वर्तमान में विश्व के अधिकांश राष्ट्रों में किसी-न-किसी प्रकार का सामाजिक विभाजन अस्तित्व में है तथा ऐसे विभाजन प्रायः राजनीतिक रूप से आन्दोलनों तथा विरोध का रूप धारण कर लेते हैं।
- यह भी देखा गया है कि सामाजिक विभाजनों के आधार पर राजनीतिक दलों तथा दबाव समूहों का भी विभाजन हो जाता है।
- सामाजिक विभाजन राजनीति को भी विभिन्न समूहों, विचारधाराओं, कार्यक्रमों के आधार पर विभाजित करने में सफल हो जाते हैं।
- अनेक बार भाषा, संस्कृति तथा क्षेत्रीय भेदभाव के आधार पर विभाजन हिंसात्मक संघर्ष का रूप धारण कर लेता है। इससे देश का विभाजन तक हो जाता है। भारत के विभाजन में हिन्दू तथा मुसलमानों की सामाजिक भावनाएँ ही उत्तरदायी रहीं । मुस्लिम लीग ने मुसलमानों को पाकिस्तान के निर्माण के लिए प्रेरित किया तथा उन्हें हिन्दुओं के विरुद्ध हिंसात्मक संघर्ष करने के लिए भड़काया। अतः भारत के सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने विवशतावश विभाजन को स्वीकार कर लिया।
- लोकतन्त्र में विभिन्न राजनीतिक दलों का अस्तित्व होता है। अतः उनके लिए सामाजिक विभाजनों की बात करना तथा विभिन्न समूहों को · अलग-अलग लाभ पहुँचाना स्वाभाविक बात हैं।
- इसका भी अनुभव किया गया है कि एक समुदाय के लोग सामान्यतया किसी एक दल को दूसरों की तुलना में अधिक पसन्द करते हैं तथा चुनाव में उसी के पक्ष में मतदान करते हैं। अनेक देशों में ऐसे दल भी हैं जो मात्र एक ही समुदाय विशेष पर ध्यान देते हैं तथा उसी के हित में राजनीति करते हैं।
उदाहरण 1 – उपर्युक्त बिन्दुओं को और अधिक स्पष्ट करने के लिए हम आयरलैण्ड का उदाहरण ले सकते हैं। ब्रिटेन में ईसाई धर्म के दो सम्प्रदायों में इतनी घृणा तथा द्वेष की स्थिति उत्पन्न हो गई थी कि उसने हिंसा का रूप धारण कर लिया। 1998 में ब्रिटिश सरकार तथा राष्ट्रवादियों के बीच समझौते के उपरान्त ही शान्ति स्थापित हुई ।
उदाहरण 2 – यूगोस्लाविया के भी अनेक राज्यों में जातीय (नस्लीय) हिंसा ने उग्र रूप धारण कर लिया। इस देश में भी सामाजिक तथा जाति विभाजन अच्छा नहीं रहा । इस देश की धार्मिक तथा जाति – विभाजन के आधार पर प्रारम्भ हुई राजनीतिक प्रतिस्पर्द्धा ने यूगोस्लाविया को अनेक टुकड़ों में विभाजित कर दिया।
प्रश्न 4 – रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए-
¨¨¨¨¨सामाजिक अन्तर गहरे सामाजिक विभाजन तनावों की स्थिति पैदा करते हैं। ¨¨¨¨¨सामाजिक अन्तर सामान्य तौर पर टकराव की स्थिति तक नहीं जाते।
उत्तर – कतिपय, सभी ।
प्रश्न 5 – सामाजिक विभाजनों को सँभालने के सन्दर्भ में इनमें से कौन-सा बयान लोकतान्त्रिक व्यवस्था पर लागू नहीं होता?
(क) लोकतन्त्र में राजनीतिक प्रतिद्वन्द्विता के चलते सामाजिक विभाजनों की छाया राजनीति पर भी पड़ती है। .
(ख) लोकतन्त्र में विभिन्न समुदायों के लिए शान्तिपूर्ण ढंग से अपनी शिकायतें जाहिर करना सम्भव है।
(ग) लोकतन्त्र सामाजिक विभाजनों को हल करने का सबसे अच्छा तरीका है।
(घ) लोकतन्त्र सामाजिक विभाजनों के आधार पर समाज को विखण्डन की ओर ले जाता है।
उत्तर- (घ) लोकतन्त्र सामाजिक विभाजनों के आधार पर समाज को विखण्डन की ओर ले जाता है।
प्रश्न 6 – निम्नलिखित तीन बयानों पर विचार करें-
(अ) जहाँ सामाजिक अन्तर एक-दूसरे से टकराते हैं, वहाँ सामाजिक विभाजन होता है।
(ब) यह सम्भव है कि एक व्यक्ति की कई पहचान हों।
(स) सिर्फ भारत जैसे बड़े देशों में ही सामाजिक विभाजन होते हैं। इन बयानों में से कौन-कौन से बयान सही हैं-
उत्तर – उपर्युक्त बयानों में निम्नलिखित दो बयान सही हैं-
(अ) तथा ( ब ) ।
प्रश्न 7 – निम्नलिखित बयानों को तार्किक क्रम से लगाएँ तथा चे दिए गए कोड के आधार पर सही जवाब ढूँढे-
(अ) सामाजिक विभाजन की सारी राजनीतिक अभिव्यक्तियाँ खतरनाक ही हों, यह जरूरी नहीं है।
(ब) हर देश में किसी-न-किसी तरह के सामाजिक विभाजन रहते ही हैं।
(स) राजनीतिक दल सामाजिक विभाजनों के आधार पर राजनीतिक समर्थन जुटाने का प्रयास करते हैं।
(द) कुछ सामाजिक अन्तर सामाजिक विभाजनों का रूप ले सकते हैं।
(क) द, ब, स, अ
(ख) द, ब, अ, स
(ग) द, अ, स, ब
(घ) अ, ब, स, दा
उत्तर – उपर्युक्त बयानों का सही क्रम निम्नवत् है-
(क) द, ब, स, अ
प्रश्न 8 – निम्नलिखित में से किस देश को धार्मिक तथा जातीय पहचान के आधार पर विखण्डन का सामना करना पड़ा-
(क) बेल्जियम
(ख) भारत
(ग) यूगोस्लाविया
(घ) नीदरलैण्ड ।
उत्तर – (ग) यूगोस्लाविया ।
प्रश्न 9 – मार्टिन लूथर किंग जू० के 1963 के प्रसिद्ध भाषण के निम्नलिखित अंश को पढ़ें। वे किस सामाजिक विभाजन की बात कर रहे हैं? उनकी उम्मीदें और आशंकाएँ क्या-क्या थीं? क्या आप उनके बयान तथा मैक्सिको ओलम्पिक की उस घटना में कोई सम्बन्ध देखते हैं जिसका जिक्र इस अध्याय में था ?
“मेरा एक सपना है कि मेरे चार नन्हें बच्चे एक दिन ऐसे मुल्क में रहेंगे जहाँ उन्हें उनकी चमड़ी के रंग के आधार पर नहीं, बल्कि उनके चरित्र असल गुणों के आधार पर परखा जाएगा। स्वतन्त्रता को उसके असली रूप में आने दीजिए। स्वतन्त्रता तभी कैद से बाहर आ पाएगी जब यह हर बस्ती, हर गाँव तक पहुँचेगी, हर राज्य और हर शहर में होगी तथा हम उस दिन को ला पाएँगे, जब ईश्वर की सारी सन्तानें – अश्वेत स्त्री-पुरुष, गोरे लोग, यहूदी तथा गैर-यहूदी, प्रोटेस्टेंट और कैथोलिक — हाथ में हाथ डालेंगी तथा इस पुरानी नीग्रो प्रार्थना को गाएँगी — ‘मिली आजादी, मिली आजादी । प्रभु बलिहारी, मिली आजादी ।’ मेरा एक सपना है कि एक दिन यह देश उठ खड़ा होगा तथा अपने वास्तविक स्वभाव के अनुरूप कहेगा, “हम इस स्पष्ट सत्य को मानते हैं कि सभी लोग समान हैं।”
उत्तर— मार्टिन लूथर किंग अपने भाषण में जाति तथा देश के आधार पर सामाजिक विभिन्नता की बात कर रहे हैं। उनका भाषण नागरिकों की स्वतन्त्रता तथा समानता की वकालत करता है। उनकी उम्मीदें तथा आशंकाएँ ये हैं कि उन्होंने अपने चार छोटे बच्चों के लिए एक स्वप्न देखा। इस स्वप्न के अनुसार वे एक ऐसे राष्ट्र के नागरिक होंगे जहाँ चमड़ी के रंग आधार पर नहीं वरन् गुणों के आधार पर लोग उनका सम्मान करेंगे। मार्टिन लूथर किंग के भाषण के अंशों तथा मैक्सिको ओलम्पिक की घटना में सम्बन्ध यह है कि उस ओलम्पिक में भी रंगभेद तथा जातिभेद के विरुद्ध आवाज उठाई गई थी।
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
• विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1 – मार्टिन लूथर किंग जूनियर के योगदान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर- मार्टिन लूथर किंग जूनियर
मार्टिन लूथर किंग का जन्म संयुक्त राज्य अमेरिका में हुआ था। वे बचपन में ही कुशाग्र बुद्धि के बालक रहे थे। उनके विचारों पर गांधी जी के विचारों का बहुत प्रभावं पड़ा। अतः उन्होंने जीवन का उद्देश्य समाज में अन्याय, उत्पीड़न, शोषण तथा भेदभाव को समाप्त करना बना लिया। उन्होंने अमेरिकन समाज में जाति तथा रंग के आधार पर किए जाने वाले भेदभाव के विरुद्ध आवाज उठाई। उन्होंने सभी व्यक्तियों को बिना किसी जाति, धर्म, रंग तथा लिंग के भेदभाव के समान नागरिक, राजनीतिक, सामाजिक तथा धार्मिक अधिकारों के लिए सत्याग्रह पर आधारित अहिंसात्मक आन्दोलन प्रारम्भ किया। मार्टिन लूथर किंग नागरिक अधिकारों के एक प्रमुख तथा शक्तिशाली नेता थे। उनके द्वारा पृथक्तावाद तथा नस्लीय भेदभाव के विरुद्ध चलाए गए अहिंसात्मक आन्दोलन का सामान्य जनता पर बहुत प्रभाव पड़ा। रंगभेद तथा जातिभेद के विरुद्ध होटलों, बसों तथा सार्वजनिक स्थलों पर धरने तथा प्रदर्शन किए गए। इसमें विद्यार्थियों ने महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया । अश्वेत लोगों के नामों को मतदाता सूची में सम्मिलित करने के लिए भी आन्दोलन प्रारम्भ किया गया। 1963 ई० में लूथर किंग के नेतृत्व में विज्ञान रैली का आयोजन किया गया। लूथर किंग के प्रयासों से नागरिक अधिकारों को कानूनी अधिकारों का स्तर प्राप्त हुआ। इसके पश्चात् अन्य नेताओं ने युद्ध विरोधी आन्दोलन प्रारम्भ कर दिए । अश्वेत लोगों के आन्दोलन ने धीरे-धीरे उग्र रूप धारण कर लिया। इसका परिणाम यह हुआ कि 1968 ई० में मार्टिन लूथर किंग की हत्या कर दी गई। तत्पश्चात् नवयुवकों तथा बुद्धिजीवियों गुट ने वियतनाम के युद्ध के विरुद्ध एक शक्तिशाली युद्ध-विरोधी आन्दोलन प्रारम्भ कर दिया। बाद में इस आन्दोलन ने विश्व शान्ति, निःशस्त्रीकरण तथा पर्यावरण संरक्षण आदि विषयों पर भी बल दिया।
मार्टिन लूथर किंग विश्व में मानवाधिकारों के मसीहा के रूप में प्रतिष्ठित हो गए। उनके द्वारा किए गए प्रयास सार्थक सिद्ध हुए। वे अमेरिका के इतिहास में एक चमकता हुआ सितारा हैं। उन्होंने सामाजिक न्याय पर आधारित समतावादी समाज की नींव रखी।
प्रश्न 2 – संयुक्त राज्य अमेरिका में नागरिक अधिकार आन्दोलन के विकास की विवेचना कीजिए।
उत्तर- अमेरिका में नागरिक अधिकार आन्दोलन का विकास
अमेरिका यद्यपि लोकतान्त्रिक देश था, परन्तु द्वितीय विश्वयुद्ध में पश्चात् तक अमेरिका में अश्वेत लोगों को नागरिक अधिकारों से वंचि किया गया था। वहाँ पर रंग-विभेद तथा जाति विभेद की स्थिति विद्यमान थी । अश्वेत लोगों पर विभिन्न प्रकार के प्रतिबन्ध थे।
1980 दशक में अमेरिका में लगभग 33 प्रतिशत अश्वेत लोग, आदि देशों से आए लोग) तथा लगभग 12 प्रतिशत श्वेत गरीब तथा 20 प्रतिशत हिस्पानी (स्पेनिश भाषा-भाषी एवं मैक्सिको तथा प्यूरियेटिनो आवासीय व्यक्ति थे ।
1950 ई० में अमेरिका में समान नागरिक अधिकारों के लिए शक्तिशाली जन-आन्दोलन प्रारम्भ किया गया जिसे अप्रत्याशित सफलता प्राप्त हुई। इस आन्दोलन का उद्देश्य पृथक्तावाद, अश्वेत लोगों के साथ किए जाने वाले भेदभाव तथा गरीबी को समाप्त करने के साथ-साथ अश्वेत व्यक्तियों को मताधिकार प्रदान करना था। इस आन्दोलन का यह प्रभाव हुआ कि राष्ट्रपति टुमैन के राष्ट्रपतित्व काल में पृथक्तावाद को समाप्त कर दिया गया। 1954 में सर्वोच्च न्यायालय ने ‘पृथक् परन्तु समान’ के सिद्धान्त को अमान्य कर दिया। सन् 1957 में अरकन्सास के लिटिल रॉक नगर के एक स्कूल में 17 अश्वेत बच्चों को प्रवेश दिया गया। 1962 ई० में एक अश्वेत विद्यार्थी को मिसीसिपी विश्वविद्यालय में प्रवेश दिया गया।
मार्टिन लूथर किंग जैसे महान्, साहसी तथा शक्तिशाली व्यक्ति के नेतृत्व में प्रदान किए गए आन्दोलन के परिणामस्वरूप अमेरिका में रंग तथा व्यक्ति के आधार पर किए जाने वाले भेदभाव का अन्त हो गया तथा अमेरिका सही अर्थों में लोकतान्त्रिक देश बन गया। अमेरिका में समतावादी समाज की स्थापना हुई जहाँ प्रत्येक नागरिक को समान अधिकार प्रदान किए गए।
• लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1— भारत में विभिन्नताओं को प्रदर्शित करने के लिए किन्हीं चार तत्त्वों का उल्लेख कीजिए ।
उत्तर— भारत में विभिन्नताओं को प्रदर्शित करने के लिए प्रमुख रूप से निम्नलिखित चार तत्त्व हैं-
- जातीय विभिन्नता – भारत में सदियों से विभिन्न जातियों के लोग निवास करते हैं। वर्ण के आधार पर समाज को चार भागों में विभाजित किया गया था जिन्होंने कालान्तर में जाति का रूप ग्रहण कर लिया। उदाहरण के लिए – सवर्ण जाति, पिछड़ी जाति, अनुसूचित जाति तथा अनुसूचति जनजाति आदि। सवर्ण जातियों तथा पिछड़ी जातियों में भी अनेक जातिगत विभाजन हैं। हिन्दुओं के समान मुसलमानों में भी अनेक जातियाँ पायी जाती हैं।
- भाषाओं की विभिन्नता – भारत में अनेक भाषाएँ बोली जाती हैं। 22 भाषाओं को संविधान द्वारा मान्यता प्रदान की जा चुकी है। सम्पूर्ण देश में 400 से भी अधिक बोलियाँ बोली जाती हैं। अलग-अलग भाषाओं के लिए अलग-अलग लिपियों का प्रयोग किया जाता है।
- धर्मो की विभिन्नता—भारत में अनेक धर्मों – हिन्दू, सिक्ख, ईसाई, इस्लाम, जैन, पारसी तथा यहूदी आदि के मानने वाले लोग निवास करते हैं।
- संस्कृति की विभिन्नता – भारत में अनेक प्रकार की संस्कृतियों का अस्तित्व है। भारत के विभिन्न भागों में रहन-सहन के तरीके, पहनावे तथा खान-पान में विभिन्नता दिखाई देती है।
प्रश्न 2 – उन तत्त्वों की विवेचना कीजिए जो भारत की अनेकता में एकता का प्रदर्शन करते हैं।
उत्तर- भारत की अनेकता में एकता के तत्त्व निम्नलिखित हैं-
- सांस्कृतिक एकता – यद्यपि भारत में अनेक प्रकार की संस्कृतियों का अस्तित्व है परन्तु उन सभी के मूल में सहनशीलता, करुणा, प्रेम, अहिंसा, स्वतन्त्रता तथा शान्ति जैसे तत्त्व निहित हैं। राष्ट्र के सभी लोग इन तत्त्वों अथवा मूल्यों का सम्मान करते हैं। यह भी सत्य है कि प्रत्येक भारतीय में साहित्य, कला, दर्शन तथा प्राकृतिक दृश्यों के प्रति लगाव है।
- भाषा की एकता – यद्यपि भारत में क्षेत्रों के आधार पर अनेक भाषाएँ बोली जाती हैं। वैदिक काल में भारत में मात्र संस्कृत भाषा बोली जाती थी। अनेक भाषाओं के बोलने वाले व्यक्ति होने के बावजूद सम्पूर्ण भारत के प्रत्येक क्षेत्र के निवासी हिन्दी भाषा का ज्ञान रखते हैं। 60 प्रतिशत से अधिक लोग इस भाषा को लिख तथा पढ़ सकते हैं।
- धर्मों के मध्य एकता – भारत बहुधर्मी राष्ट्र होने के बावजूद भी यहाँ धार्मिक एकता देखने को मिलती है। हमारी संस्कृति धार्मिक स्वभाव तथा धार्मिक सहिष्णुता पर आधारित रही है। प्रत्येक धर्म को मानने वाला व्यक्ति हमारे धर्म को सम्मान के साथ देखता है तथा उसका सम्मान करता है। सभी नागरिकों के हृदय में मानववाद विराजमान है।
• अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1 – सामाजिक विभिन्नता के दो प्रमुख कारक बताइए ।
उत्तर – सामाजिक विभिन्नता के दो प्रमुख कारक हैं-
(1) धार्मिक आधार पर समाज का विभाजन,
(2) सांस्कृतिक विभिन्नताएँ ।
प्रश्न 2 – भारत में सामाजिक विभाजन का आधार क्या है?
उत्तर- (1) धार्मिक आधार
(2) सांस्कृतिक विभिन्नताओं के कारण सामाजिक विभाजन ।
प्रश्न 3 – नागरिक अधिकार आन्दोलन किस देश से प्रारम्भ किया गया था ?
उत्तर— नागरिक अधिकार आन्दोलन संयुक्त राज्य अमेरिका से प्रारम्भ किया गया था।
प्रश्न 4 – 1968 में ओलम्पिक मुकाबले कहाँ हुए थे? मुकाबले ‘मेक्सिको’ में हुए थे।
उत्तर— 1968 में ओलम्पिक
प्रश्न 5 – नागरिक अधिकार आन्दोलन को प्रारम्भ करने वाले नेता का नाम लिखिए।
अथवा अमेरिका में नागरिक अधिकार आन्दोलन किसकी अगुवाई में लड़ा गया?
उत्तर- अमेरिका में नागरिक अधिकार आन्दोलन को प्रारम्भ करने वाले नेता का नाम मार्टिन लूथर किंग जूनियर था ।
प्रश्न 6 – ‘समरूप समाज’ को परिभाषित कीजिए ।
अथवा समरूप समाज से क्या अभिप्राय है?
उत्तर – जिस समाज में अधिकांश लोग एक ही नस्ल और संस्कृति के होते हैं, वह समाज ‘समरूप समाज’ कहलाता है; जैसे—जर्मनी और स्वीडन राष्ट्रों का समाज ।
प्रश्न 7 – एफ्रो – अमेरिकन से आप क्या समझते हो ?
उत्तर – एफ्रो- अमेरिकन, अश्वेत अमेरिकी या अश्वेत राष्ट्र उन अफ्रीकी लोगों के वंशजों के लिए प्रयुक्त होता है जिन्हें 17वीं सदी से लेकर 19वीं सदी की शुरुआत तक अमेरिका में गुलाम बनाकर लाया गया था।
प्रश्न 8 – रंगभेद नीति से क्या अभिप्राय है?
उत्तर – रंगभेद नीति से अभिप्राय त्वचा के गोरे / काले रंग के आधार पर मानव-मानव में भेद से है। अमेरिका में रंगभेद नीति का बहुत प्रभाव रहा है।
प्रश्न 9 – मार्टिन लूथर किंग की हत्या कब की गई ?
उत्तर— मार्टिन लूथर किंग की हत्या 4 अप्रैल, 1968 को की गई।
प्रश्न 10 – मार्टिन लूथर किंग जूनियर की अगुवाई में लड़े गए आन्दोलन का नाम लिखिए।
उत्तर – नागरिक अधिकार आन्दोलन |
• बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1 – अमेरिका में नागरिक संरक्षण अधिकार आन्दोलन शुरू किया था-
(अ) जॉन मिल्टन ने
(ब) मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने
(स) जॉर्ज बुश ने
(द) जॉन एफ कैनेडी ने।
उत्तर- (ब) मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने
प्रश्न 2 – सामाजिक विभाजन अधिकांशतः आधारित होता है-
(अ) मृत्यु पर
(ब) वंश पर
(स) परिवार पर
(द) जन्म पर ।
उत्तर- (द) जन्म पर ।
प्रश्न 3 – अफ्रीकियों के उन बच्चों को क्या कहते हैं जो गुलामों के रूप में अमेरिका भेजे गए थे-
(अ) अफ्रीकन एशियन
(ब) एफ्रो-अमेरिकी मानने
(स) अमेरिकन एशियन
(द) ऐंग्लो इण्डियन।
उत्तर- (ब) एफ्रो-अमेरिकी ।
प्रश्न 4 – संयुक्त राज्य अमेरिका में सन् 1954 से 1968 के मध्य संचालित आन्दोलन का नाम था-
(अ) नागरिक अधिकार आन्दोलन
(ब) अश्वेत शक्ति आन्दोलन
(स) सत्याग्रह आन्दोलन
(द) उपर्युक्त सभी।
उत्तर- (अ) नागरिक अधिकार आन्दोलन ।
प्रश्न 5 – ग्रेट ब्रिटेन की अधिकांश जनसंख्या किस धर्म को मानने वालों की है-
(अ) ईसाई
(ब) हिन्दू
(स) बौद्ध
(द) मुस्लिम ।
उत्तर- (अ) ईसाई ।