Social-science 9

UP Board Solutions for Class 9 Economics Chapter 1

UP Board Solutions for Class 9 Social Science Economics Chapter 1 पालमपुर गाँव की कहानी

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 9 Social Science. Here we have given UP Board Solutions for Class 9 Social Science Economics Chapter 1 पालमपुर गाँव की कहानी

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
भारत में जनगणना के दौरान दस वर्ष में एक बार प्रत्येक गाँव का सर्वेक्षण किया जाता है। पालमपुर से संबंधित सूचनाओं के आधार पर निम्न तालिका को भरिए
(क) अवस्थिति क्षेत्र,
(ख) गाँव का कुल क्षेत्र,
(ग) भूमि का उपयोग ( हेक्टेयर में)

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प्रश्न 2.
खेती की आधुनिक विधियों के लिए ऐसे अधिक आगतों की आवश्यकता होती है, जिन्हें उद्योगों में विनिर्मित किया जाता है, क्या आप सहमत हैं?
उत्तर:
हाँ, हम सहमत हैं। क्योंकि आधुनिक कृषि तकनीकों को अधिक साधनों की जरूरत है जो उद्योगों में बनाए जाते हैं। एचवाईवी बीजों को अधिक पानी चाहिए और इसके साथ ही बेहतर नतीजों के लिए रासायनिक खाद, कीटनाशक भी चाहिए। किसान सिंचाई के लिए नलकूप लगाते हैं। ट्रैक्टर एवं प्रैसर जैसी मशीनें भी प्रयोग की जाती हैं। एचवाईवी बीजों की सहायता से गेहूं की पैदावार 1300 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 3200 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तक हो गई और अब किसानों के पास बाजार में बेचने के लिए अधिक मात्रा में फालतू गेहूं है।

प्रश्न 3.
पालमपुर में बिजली के प्रसार ने किसानों की किस तरह मदद की?
उत्तर:
पालमपुर में बिजली के प्रसार ने किसानों की भिन्न रूप से सहायता की1. कृषि उपकरण, जैसे हार्वेस्टर, श्रेशर आदि ने किसानों की सहायता की है। 2. बिजली का उपयोग गाँव में प्रकाश के लिए भी किया गया। 3. विद्युत प्रकाश, पंखे, प्रेस एवं मशीनों ने किसानों के घरेलू कार्यों में सहायता दी है। 4. सिंचाई की उपयुक्त विधि, नलकूपों एवं पंपिंग सेटों को बिजली द्वारा चलाया जाता है। 5. बिजली से सिंचाई प्रणाली में सुधार के कारण किसान पूरे वर्ष के दौरान विभिन्न फसलें उगा सकते थे। 6. उन्हें मानसून की बरसात पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं है जो कि अनिश्चित एवं भ्रमणशील है।

प्रश्न 4.
क्या सिंचित क्षेत्र को बढ़ाना महत्त्वपूर्ण है? क्यों?
उत्तर:
सिंचित क्षेत्र में वृद्धि करना निम्न दृष्टि से महत्वपूर्ण है

  1.  सिंचाई की सुविधा प्राप्त भूम के टुकड़े में कृषि उत्पादन असिंचित भूमि के टुकड़े के उत्पादन से अधिक होता है।
  2. कृषि उत्पादन में वृद्धि के लिए सिंचित क्षेत्र महत्त्वपूर्ण ही नहीं बल्कि आवश्यक भी है।
  3. पौधों का जन्म, उनका विकास, फलना और फूलना; मिट्टी, जल और हवा के कुशल संयोग पर निर्भर करता है।
  4. यदि सिंचाई की असुविधा के कारण जल प्राप्त नहीं होता तो फसल सूख जाएगी, यदि लगातार जल की कमी होतो अकाल का भय हो जाता है।
  5.  सिंचित क्षेत्र की वृद्धि से भारत में व्याप्त मानसून की अनिश्चित बरसात से मुक्ति मिलेगी।

प्रश्न 5.
पालमपुर के 450 परिवारों में भूमि के वितरण की एक सारणी बनाइए।
उत्तर:
पालमपुर गाँव के 450 परिवारों में भूमि के वितरण की सारणी
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प्रश्न 6.
पालमपुर में खेतिहर श्रमिकों की मज़दूरी न्यूनतम मज़दूरी से कम क्यों है?
उत्तर:
पालमपुर में खेतिहर मज़दूरों में काम के लिए आपस में प्रतिस्पर्धा है। इसलिए लोग कम दरों पर मज़दूरी करने को तैयार हो जाते हैं। न्यूनतम मज़दूरी अधिनियम का ग्रामीण क्षेत्रों में लागू न किया जाना भी एक प्रमुख कारण है। इसलिए गरीब मज़दूरों को जो कुछ भी मज़दूरी दी जाती है उसे वे अपना भाग्य समझकर स्वीकार कर लेते हैं।

प्रश्न 7.
अपने क्षेत्र में दो श्रमिकों से बात कीजिए। खेतों में काम करने वाले या विनिर्माण कार्य में लगे मज़दूरों में से किसी को चुनें। उन्हें कितनी मज़दूरी मिलती है? क्या उन्हें नकद पैसा मिलता है या वस्तु-रूप में? | क्या उन्हें नियमित रूप से काम मिलता है? क्या वे कर्ज़ में हैं?
उत्तर:
हमारे क्षेत्र में रामबचन और जनार्दन दो खेतिहर मजदूर हैं जो एक मकान के निर्माण कार्य में काम करते हैं। इन दोनों को प्रति 90 से 100 रुपये मिलते हैं। यह सत्य है कि उन्हें नकद मजदूरी मिलती है। लेकिन इन्हें नियमित रूप से काम नहीं मिलता क्योंकि बहुत से लोग कम दरों पर काम करने के लिए राजी हो जाते हैं। क्योंकि उन्हें कम मजदूरी मिलती है इसलिए वे कर्ज में डूबे हुए हैं। कम मजदूरी के कारण वे बड़ी कठिनाई से परिवार का भरण-पोषण कर पाते हैं।

प्रश्न 8.
एक ही भूमि पर उत्पादन बढ़ाने के अलग-अलग कौन से तरीके हैं? समझाने के लिए उदाहरणों का प्रयोग कीजिए।
उत्तर:
भूमि के एक ही टुकड़े पर उत्पादन में वृद्धि हेतु निम्नलिखित तरीकों को अपनाया जाता है

  1. बहुविधि फसल उगाना-भूमि के एक ही टुकड़े पर एक वर्ष में कई फसलों को उगाना बहुविध फसल प्रणाली कहलाता है। पालमपुर के सभी किसान वर्ष में कम-से-कम दो फसलें उगाते हैं। पिछले 15-20 वर्ष से अनेक किसान तीसरी फसल के रूप में आलू की खेती कर रहे हैं।
  2. आधुनिक कृषि उपकरणों एवं तकनीक का उपयोग-पंजाब, हरियाणा एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान आधुनिक कृषि तरीकों को अपनाने वाले भारत के पहले किसान थे। इन क्षेत्रों के किसानों ने सिंचाई के लिए नलकूपों, एच.वाई.वी. बीज, रासायनिक खादों एवं कीटनाशकों का प्रयोग किया। ट्रैक्टर एवं प्रैशर का भी प्रयोग किया गया। जिससे जुताई एवं फसल की कटाई आसान हो गई। उन्हें अपने प्रयासों में सफलता मिली और उन्हें गेहूं की अधिक पैदावार के रूप में इसका प्रतिफल मिला। एचवाईवी बीजों की सहायता से पैदावार 1300 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 3200 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तक हो गई और अब किसानों के पास बहुत सा अधिशेष गेहूँ बाजार में बेचने के लिए होता है।

प्रश्न 9.
एक हेक्टेयर भूमि के मालिक किसान के कार्य का ब्यौरा दीजिए।
उत्तर:
भूमि को मापने की मानक इकाई हेक्टेयर है। एक हेक्टेयर 100 मीटर की भुजा वाले वर्गाकार भूमि के टुकड़े
के क्षेत्रफल के बराबर होता है। एक हेक्टेयर भूमि की मात्रा एक परिवार की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बहुत कम है। इसलिए उसके द्वारा अपने जीवन यापन के लिए किए गए कार्य का ब्यौरा निम्नलिखित हो सकता है

  1. गाँव के धनी लोगों के पास नौकरी कर सकता है।
  2. गैर-कृषि कार्यों जैसे-पशुपालन, मछलीपालन और मुर्गीपालन आदि का कार्य कर सकता है।
  3.  खेतिहर मजदूर के रूप में बड़े किसानों और जमींदारों के पास कार्य कर सकता है।
  4. अपने परिवार के सदस्यों को रोजगार के लिए शहरों में भेज सकता है।

प्रश्न 10.
मझोले और बड़े किसान कृषि से कैसे पूँजी प्राप्त करते हैं? वे छोटे किसानों से कैसे भिन्न हैं?
उत्तर:

  1.  मझोले और बड़े किसानों के पास अधिक भूमि होती है अर्थात् उनकी जोतों का आकार बड़ा होता है जिससे वे अधिक उत्पादन करते हैं।
  2. अधिक उत्पादन होने से वे इसे बाजार में बेचकर धनलाभ प्राप्त करते हैं। इस धन का प्रयोग वे उत्पादन की आधुनिक विधियों को अपनाने में करते हैं।
  3.  इनकी पूँजी छोटे किसानों से भिन्न होती है क्योंकि छोटे किसानों के पास भूमि कम होने के कारण उत्पादन उनके पालन-पोषण के लिए भी कम बैठता है।
  4. उन्हें आधिक्य प्राप्त न होने के कारण बचते नहीं होती हैं इसलिए खेती के लिए उन्हें पूँजी बड़े किसानों या साहूकारों से उधार लेकर पूरी करनी पड़ती है जिस पर उन्हें काफी ब्याज चुकाना पड़ता है जो उन्हें ऋणग्रस्तता के चंगुल में फँसा देता है।

प्रश्न 11.
सविता को किन शर्तों पर तेजपाल सिंह से ऋण मिला है? क्या ब्याज की कम दर पर बैंक से कर्ज मिलने पर सविता की स्थिति अलग होती?
उत्तर:
सविता ने तेजपाल सिंह से १ 3000, 24 प्रतिशत की दर पर चार महीने के लिए उधार लिया, जो कि ऊँची ब्याज दर है। सविता एक कृषि मजदूर के रूप में कटाई के समय 35 रुपए प्रतिदिन की दर पर उसके खेतों में काम करने को भी सहमत होती है। तेजपाल सिंह द्वारा सविता से लिया जाने वाला ब्याज बैंक की अपेक्षा बहुत अधिक था। यदि सविता इसकी अपेक्षा बैंक से उचित ब्याज दर पर ऋण ले पाती तो उसकी हालत निश्चय ही इससे अच्छी होती।

प्रश्न 12.
अपने क्षेत्र के कुछ पुराने निवासियों से बात कीजिए और पिछले 80 वर्षों में सिंचाई और उत्पादन के तरीकों में हुए परिवर्तनों पर एक संक्षिप्त रिपोर्ट लिखिए (वैकल्पिक)।
उत्तर:
अपने क्षेत्र के कुछ वयोवृद्ध व्यक्तियों से बात करने के बाद पिछले 30 वर्षों में सिंचाई और उत्पादन के तरीकों में हुए परिवर्तनों से मुझे इस बात का पता चला कि 30 वर्ष पहले कृषि करने के पुराने तरीके कैसे थे। यह जानकारी इस प्रकार है ।

  1.  प्राचीनकाल में सिंचाई के लिए कुओं का उपयोग किया जाता था। कुएँ से बैल के माध्यम से रहट का उपयोग करके पानी को ऊपर खींचकर सिंचाई जाती थी।
  2. सिंचाई के लिए पानी की प्राप्ति रहट द्वारा की जाती थी।
  3. तालाब और नदी-नाले के पानी का उपयोग सिंचाई के लिए किया जाता था।
  4. स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् सिंचाई की पद्धति में क्रान्तिकारी परिवर्तन किए गए और पम्पिंग सैट तथा नलकूपों का उपयोग पर्याप्त मात्रा में सिंचाई के लिए किया जाने लगा।
  5. विशेष रूप से नदियों से नहरें निकालकर सिंचाई की व्यवस्था का जाल बुना गया।

प्रश्न 13.
आपके क्षेत्र में कौन-से गैर-कृषि उत्पादन कार्य हो रहे हैं? इनकी एक संक्षिप्त सूची बनाइए।
उत्तर:
हमारे ग्रामीण क्षेत्रों में किए जाने वाले गैर कृषि उत्पादन कार्य इस प्रकार हैं

  1. खेतों में उत्पादित सब्जी, फलों को शहरी बाजारों में बेचा जाना।
  2. दूर गाँवों से एकत्र करके शहरों में आपूर्ति करना।
  3. सिलाई, कढ़ाई, प्रशिक्षण केन्द्र की स्थापना करना।
  4.  शिक्षित लोगों को कम्प्यूटर का प्रशिक्षण देना।
  5. पशुपालन (Dairy), मुर्गीपालन (Poultry) और मछली पालन आदि।
  6. परिवहन संबंधित कार्य अर्थात् यातायात के लिए रिक्शा, टाँगा, टैम्पो, जीप, बस और ट्रक का उपयोग किया जाना।।
  7.  कुछ शिक्षित लोगों द्वारा नर्सरी पाठशाला और प्राथमिक शिक्षा के लिए पाठशाला की स्थापना करना।
  8.  गन्ने से गुड़ और चीनी का तैयार किया जाना।

प्रश्न 14.
गाँवों में और अधिक गैर-कृषि कार्य प्रारंभ करने के लिए क्या किया जा सकता है?
उत्तर:
गाँव में और अधिके गैर-कृषि कार्य प्रारंभ करने के लिए निम्न उपाय अपनाये जा सकते हैं|

  1.  गाँव में अच्छे पब्लिक स्कूल खोलकर गाँव वालों की शिक्षा के स्तर को ऊँचा किया जा सकता है।
  2. सरकार द्वारा गाँव में उद्योग-धन्धे स्थापित किए जा सकते हैं।
  3.  परिवहन का विकास करके गाँव और शहरों के बीच संकल्प और उत्तम सड़क बनवाकर गाँव से कृषि का अतिरिक्त उत्पादन शहरों में भेजा जा सकता है।
  4.  इसी प्रकार शहरों से गाँव के लिए आवश्यक वस्तुएँ मँगाई जा सकती हैं।
  5.  संचार के विकास द्वारा गाँव को देश और विदेश से जोड़ा जा सकता है।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पालमपुर में किन-किन चीजों की दुकानें थी?
उत्तर:
पालमपुर में छोटे-छोटे जनरल स्टोरों में चावल, गेहूँ, चाय, तेल, बिस्कुट, साबुन, टूथपेस्ट, बैट्री, मोमबत्तियाँ, कॉपियाँ, पेन, पेंसिल आदि बेचते थे। यहाँ के दुकानदार शहरों के थोक बाजारों से वस्तुएँ खरीदकर लाते थे और उसे गाँव में बेचते थे।

प्रश्न 2.
पालमपुर गाँव के लोग बाजार करने कहाँ जाते थे?
उत्तर:
पालमपुर गाँव के लोग वस्तुओं को खरीदने के लिए तथा अपना अनाज बेचने के लिए शाहपुर कस्बे की ओर जाते थे।

प्रश्न 3.
पालमपुर की मुख्य क्रिया क्या थी?
उत्तर:
पालमपुर के लोग प्रमुखतः कृषि कार्य करते थे।

प्रश्न 4.
पालमपुर में कम्प्यूटर कक्षा का परिचालक कौन है?
उत्तर:
पालमपुर में करीम कम्प्यूटर कक्षा का परिचालन करता था।

प्रश्न 5.
पालमपुर के निकटतम बड़े गाँव एवं छोटे कस्बे का नाम बताइए।
उत्तर:
पालमपुर से 3 किमी. दूरी पर स्थित रायगंज एक बड़ा गाँव है जबकि शाहपुर इसका निकटतम कस्बा है।

प्रश्न 6.
पालमपुर में उपलब्ध परिवहन के साधन कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
यहाँ उपलब्ध प्रमुख परिवहन के साधन हैं-बैलगाड़ी, ताँगा, बुग्गी, जीप, ट्रैक्टर, ट्रक और मोटर साइकल।

प्रश्न 7.
पालमपुर में कितने स्कूल एवं स्वास्थ्य केन्द्र हैं?
उत्तर:
पालमपुर में दो प्राथमिक एवं एक उच्च प्राथमिक स्कूल है जबकि यहाँ एक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र तथा एक निजी डिस्पेंसरी है।

प्रश्न 8.
पालमपुर गाँव में जनसंख्या की संरचना क्या है?
उत्तर:
इस गाँव में 450 परिवार हैं, जो विभिन्न वर्गों एवं जातियों से सम्बन्धित हैं। 80 परिवार उच्च जातियों से सम्बन्धित हैं। अनुसूचित जनजाति एवं दलित का कुल जनसंख्या में हिस्सा 1/3 है। जबकि शेष हिस्सा अन्य जातियों का है।

प्रश्न 9.
भारत के किस राज्य में उर्वरक का सर्वाधिक उपयोग होता है?
उत्तर:
भारत के पंजाब राज्य में कृषि के अंतर्गत् उर्वरक का सर्वाधिक प्रयोग होता है।

प्रश्न 10.
वह क्या उद्देश्य है? जिनके लिए किसानों को रुपयों की आवश्यकता पड़ती है?
उत्तर:
कुछ किसानों को रुपयों की आवश्यकता अपनी आधारभूत आवश्यकताओं जैसे—खाना, कपड़ा और मकान के लिए होती है। अन्य आवश्यकता कृषि आगतों जैसे—बीज, पानी, पशुओं और कृषि उपकरणों जैसे-ट्रैक्टर, हार्वेस्टर, थ्रेशर आदि के लिए होती है। बहुत कम उद्यमी किसानों को रुपये की आवश्यकता निवेश जैसे-व्यवसाय का प्रारंभ, परिवहन का क्रय, उपकरण-जीप, टैम्पो, ट्रक और नलकूपों की स्थापना आदि के लिए होती है।

प्रश्न 11.
क्या आप सहमत हैं कि पालमपुर गाँव में कृषि भूमि का वितरण असमान है?
उत्तर:
हाँ. हम सहमत हैं कि पालमपुर गाँव में भूमि का वितरण असमान है, क्योंकि अधिक संख्या में छोटे किसानों के पास 2 एकड़ से भी कम भृमे है। बड़े एवं मझोले किसानों के पास 2 एकड़ से अधिक भूमि है। कुछ किसान तो अब भी भूमिहीन हैं।

प्रश्न 12.
किसानों को श्रम कौन प्रदान करता है?
उत्तर:
गाँव के भूमिहीन लोग और अपर्याप्त भूमि वाले किसान बड़े और मध्यम किसानों से श्रम प्रदान करते हैं। छोटे किसानों
की उनके परिवार द्वारा सहायता मिलती है।

प्रश्न 13.
कार्यशील पूँजी किसे कहते हैं?
उत्तर:
उत्पादन के दौरान भुगतान करने तथा जरूरी माल खरीदने के लिए कुछ पैसों की भी आवश्यकता होती है। कच्चा
माल तथा नकद पैसों को कार्यशील पूँजी कहते हैं।

प्रश्न 14.
स्थायी पूंजी किसे कहते हैं?
उत्तर:
ओजारों तथा मशीनों में अत्यंत साधारण औजार जैसे किसान का हल से लेकर परिष्कृत मशीनें जैसे-जेनरेटर, टग्बाइन, कंप्यूटर आदि आते हैं। आजारों, मशीनों और भवनों का उत्पादन में कई वर्षों तक प्रयोग होता है और इन्हें स्थायी पूँजो कहा जात है।

प्रश्न 15.
हरित क्रांति से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
1960 के दशक के उपरान्त कुछ क्षेत्रों के किसानों ने आधुनिक ढंग से कृषि करना शुरू कर दिया जिससे फसलों के उत्पादन में कई गुना वृद्धि हो गई। जिसे हरित क्रांति का दर्जा दिया गया।

प्रश्न 16.
कृषि मजदूर किसे कहते हैं?
उत्तर:
गाँव के वे लोग जो या तो भूमिहीन परिवारों से संबंध रखते हैं या छोटे भूखंडों पर खेती करने वाले परिवारों से संबंध रखते हैं। उन्हें नकदी या किसी अन्य रूप में केवल मजदूरी ही मिलती है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पालमपुर के किसानों में भूमि किस प्रकार वितरित है?
उत्तर:
कृषि कार्य में लगे हुए सभी लोगों के पास खेती के लिए पर्याप्त भूमि नहीं है। पालमपुर में लगभग 150 परिवार हैं जो भूमिहीन हैं और दलित वर्ग से संबंधित हैं। 240 परिवार 2 हेक्टेयर से कम भूमि पर खेती करते हैं। यहाँ 60 परिवार हैं। जिनके पास कृषि के लिए 2 एकड़ से अधिक भूमि है। बहुत कम किसानों के पास 10 हेक्टेयर भूमि है। यह प्रदर्शित करता है कि पालमपुर में भूमि का वितरण असमान है। इस प्रकार की स्थिति संपूर्ण भारत में पाई जाती है।

प्रश्न 2.
खेतिहर श्रमिक गरीब क्यों हैं?
उत्तर:
खेतिहर श्रमिक गरीब हैं क्योंकि|

  1.  ये श्रमिक भूमिहीन हैं या इनके पास भूमि का बहुत छोटा भाग है।
  2. वर्ष के दौरान उनके पास कोई कार्य नहीं है।
  3. इन मजदूरों को सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम मजदूरी प्राप्त नहीं होती है।
  4.  इनके परिवार बड़े होते हैं।
  5.  ये अशिक्षित, अस्वस्थ एवं अकुशल होते हैं।
  6. ये गरीब होते हैं, गरीबी ही गरीबी को जन्म देती है।

प्रश्न 3.
पालमपुर में उगाई जाने वाली विभिन्न फसलों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
पालमपुर में सारी भूमि जुताई के अंतर्गत है। भूमि का कोई भी टुकड़ा बंजर नहीं छोड़ा गया है। पालमपुर के किसान सुविकसित सिंचाई प्रणाली एवं बिजली की सुविधा के कारण वर्ष में 3 अलग-अलग फसलें उगा पाने में सफल हो पाते हैं। बरसात के मौसम (खरीफ) के दौरान किसान ज्वार एवं बाजरा उगाते हैं। इन फसलों को पशुओं के चारे में प्रयोग किया जाता है। इसके बाद अक्टूबर से दिसंबर के बीच आलू की खेती की जाती है।
सर्दी के मौसम (रबी) में खेतों में गेहूं बोया जाता है। पैदा किया गया गेहूँ किसान के परिवार के लिए प्रयोग किया जाता है और जो बच जाता है उसे रायगंज के बाजार में बेच दिया जाता है।
गन्ने की फसल की कटाई वर्ष में एक बार की जाती है। गन्ने को इसके मूल रूप या फिर गुड़ बना कर इसे शाहपुर के व्यापारियों को बेच दिया जाता है।

प्रश्न 4.
पालमपुर में कृषि-कार्य हेतु श्रमिक कौन उपलब्ध कराता है?
उत्तर:
कृषि में बहुत अधिक मेहनत की आवश्यकता होती है। छोटे किसान अपने परिवार सहित अपने खेतों में काम करते हैं। किन्तु मध्यम या बड़े किसानों को अपने खेतों में काम करने के लिए श्रमिकों को मजदूरी देनी पड़ती है। इन श्रमिकों को कृषि मजदूर कहा जाता है। ये कृषि मजदूर या तो भूमिहीन परिवारों से होते हैं या छोटे खेतों पर काम करने वाले परिवारों में से।
किसानों के विपरीत इन लोगों को खेत में उगाई गई फसल पर कोई अधिकार नहीं होता। इन्हें किसान द्वारा काम के बदले में पैसे या किसी अन्य प्रकार से मजदूरी मिलती है जैसे कि फसल। एक कृषि मजदूर दैनिक आधार पर कार्यरत हो सकता है या खेत में किसी विशेष काम के लिए जैसे कि कटाई, या फिर पूरे वर्ष के लिए भी।

प्रश्न 5.
डाला और रामकली जैसे खेतिहर श्रमिक गरीब क्यों हैं?
उत्तर:
पालमपुर निवासी डाला और रामकली भूमिहीन खेतीहर श्रमिक हैं। वे पालमपुर में दैनिक मजदूरी करते हैं। उन्हें निरंतर काम की खोज में रहना पड़ता है। सरकार द्वारा खेतीहर श्रमिक के लिए निर्धारित न्यूनतम मजदूरी 60 रुपए प्रतिदिन है।
किन्तु डाला और रामकली को केवल 35-40 रुपए ही मिलते हैं। पालमपुर के खेतीहर श्रमिकों में बहुत अधिक स्पर्धा है इसलिए लोग कम दरों पर मजदूरी के लिए तैयार हो जाते हैं। डाला और रामकली दोनों ही गाँव के सबसे गरीब लोगों में से एक हैं।

प्रश्न 6.
कृषि में रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से क्या हानि होती है?
उत्तर:
रासायनिक खाद के अधिक प्रयोग के कारण भूमि की उर्वरा शक्ति घट जाती है। रासायनिक खाद के कारण भूमिगत जल, नदियों व झीलों का पानी प्रदूषित हो जाता है। रासायनिक खाद के निरंतर प्रयोग ने मिट्टी की गुणवत्ता को कम कर दिया है। भू-उर्वरता एवं भूमिगत जल जैसे पर्यावरणीय संसाधन बनने में वर्षों लग जाते हैं। एक बार नष्ट होने के बाद इनकी पुनस्र्थापना कर पाना बहुत कठिन होता है। कृषि के भावी विकास को सुनिश्चित करने के लिए हमें पर्यावरण का ध्यान रखना चाहिए।

प्रश्न 7.
पालमपुर गाँव की आर्थिक क्रियाओं के नाम बताइए।
उत्तर:
पालमपुर गाँव में निम्नलिखित आर्थिक क्रियाएँ संपादित की जाती हैं

  1. गन्ने काटने की मशीन लगाना।
  2.  दुकानदार का कार्य करना।
  3. परिवहन संचालक का कार्य करना।
  4. लघु स्तरीय निर्माण कार्य।
  5. कृषि एक मुख्य आर्थिक क्रिया है।
  6. कृषि मजदूर के रूप में कार्य करना।
  7. दर्जी, धोबी, मोची, सुनार आदि का कार्य करना।
  8. मुर्गीपालन एवं डेयरी का कार्य अपनाना।

प्रश्न 8.
पालमपुर की गैर-कृषि क्रियाओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पालमपुर की गैर-कृषि क्रियाएँ इस प्रकार हैं

  1. डेयरी स्वामी के रूप में कार्य करना ।
  2. छोटी निर्माण फर्म को चलाना।
  3. दुकानदार के रूप में कार्य करना
  4.  परिवहन संचालक के रूप में कार्य करना।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पालमपुर में आधारभूत विकास का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पालमपुर गाँव में बिजली, पानी, सड़क, स्कूल, स्वास्थ्य सेवा, सिंचाई की सुविधाओं से संपन्न एक विकसित गाँव है। बिजली से खेतों में स्थित सभी नलकूपों एवं विभिन्न प्रकार के छोटे उद्योगों को विद्युत ऊर्जा मिलती है। बच्चों को शिक्षा देने के लिए सरकार द्वारा प्राथमिक व उच्च विद्यालय दोनों खोले गए हैं। लोगों का इलाज करने के लिए एक सरकारी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और एक निजी दवाखाना है। गाँव के लोगों द्वारा विभिन्न प्रकार की उत्पादन क्रियाएँ की जाती हैं जैसे कि खेती, लघु स्तरीय विनिर्माण, परिवहन, दुकानदारी आदि। पालमपुर का प्रमुख क्रियाकलाप कृषि है। 75 प्रतिशत लोग अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं।
बरसात के मौसम (खरीफ) के दौरान किसान ज्वार एवं बाजरा उगाते हैं। इन फसलों को पशुओं के चारे में प्रयोग किया जाती है। इसके बाद अक्टूबर से दिसंबर के बीच आलू की खेती का जाती है। सरदी के मौसम (रबी) में खेतों में गेहूं बोया जाता है। पैदा किया गया गेहूँ किसान के परिवार के लिए प्रयोग किया जाता है और जो बच जाता है उसे रायगंज के बाजर में बेच दिया जाता है।

गन्ने की फसल की कटाई वर्ष में एक बार की जाती है। गन्ने को इसके मूल रूप या फिर गुड़ बनाकर इसे शाहपुर के व्यापारियों को बेच दिया जाता है। पालमपुर के किसान सुविकसित सिंचाई प्रणाली एवं बिजली की सुविधा के कारण वर्ष में तीन अलग-अलग फसलें उगा पाने में सफल हो पाते हैं।
बहुत से लोग गैर-कृषि क्रियायों से जुड़े हुए हैं। जैसे कि डेयरी, विनिर्माण, दुकानदारी, परिवहन, मुर्गी पालन, सिलाई, शैक्षिक गतिविधियाँ आदि। किसान इन कार्यों को उस समय कर सकते हैं जब इन लोगों के पास खेतों में करने के लिए कोई काम न हो या वे बेरोजगार हों। यह उनकी आर्थिक दशा सुधारने में सहायता करेगा।

प्रश्न 2.
क्या रासायनिक उर्वरकों को प्रयोग हानिकारक है? क्या रसायन एवं उर्वरकों के निरंतर प्रयोग से भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाए रखा जा सकता है?
उत्तर:
निःसंदेह, रासायनिक उर्वरकों का उपयोग वर्ष के दौरान अनाजों की उत्पादकता में वृद्धि करता है, लेकिन यह मिट्टी की प्राकृतिक उत्पादकता को कम करता है। अगले वर्ष उत्पादन को बनाए रखने के लिए अधिक रासायनिक उर्वरक की
आवश्यकता होती है जो दोबारा मिट्टी की उपजाऊपन को कम करती है। रासायनिक उर्वरक उत्पादन की लागत में भी वृद्धि करते हैं, क्योंकि इसका उपयोग अच्छी सिंचाई सुविधा, कीटनाशक आदि के साथ किया जाता है।

नलकूपों का अधिक उपयोग धरती के प्राकृतिक जल स्तर को कम कर देता है, जिसे वापस प्राप्त करना अत्यंत कठिन है। रसायन एवं उर्वरक के अधिक उपयोग से भूमि अपनी उर्वरता नहीं बनाए रख सकती। पंजाब में निरंतर रासायनिक उर्वरक के प्रयोग से पैदावार में कमी हुई है। अब किसानों को समान उत्पादन प्राप्त करने के लिए अधिक से अधिक रासायनिक उर्वरक एवं अन्य साधनों के उपयोग के लिए बाध्य किया जा रहा है। यह उत्पादन लागत में भी वृद्धि करता है।
रासायनिक उर्वरक खनिज प्रदान करते हैं जो पानी में घुल जाता है और शीघ्र ही पेड़-पौधों को उपलब्ध होता है किंतु यह भूमि में अधिक समय तक नहीं रहता। यह भूमि, जल, नदियों एवं झीलों को दूषित करता है।
रासायनिक उर्वरक मिट्टी में पाए जाने वाले कीड़े-मकोड़े एवं सूक्ष्म बैक्टिरिया को भी मार सकता है। इसका अर्थ है कि मिट्टी की उर्वरता पहले से कम हो गई है।

प्रश्न 3.
पालमपुर में होने वाली गैर-कृषि क्रियाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
उन क्रियाओं को गैर कृषि क्रियाएँ कहते हैं जो कृषि के अतिरिक्त होती हैं जैसे-दुकानदारी, विनिर्माण, डेयरी, परिवहन, मुर्गीपालन, शैक्षिक गतिविधि आदि। पालमपुर में प्रचलित गैर कृषि गतिविधियों का विवरण इस प्रकार है

  1. परिवहन : तेजी से विकसित हो रहा क्षेत्र–पालमपुर और रायगंज के बीच की सड़क पर बहुत से वाहन चलते हैं जिनमें रिक्शा वाले, तांगे वाले, जीप, ट्रैक्टर, ट्रक चालक, पारंपरिक बैल गाड़ी एवं बुग्गी (भैंसागाड़ी) शामिल हैं। इस काम में लगे हुए कई लोग अन्य लोगों को उनके गन्तव्य स्थानों तक पहुँचाने और वहाँ से उन्हें वापस लाने का काम करते हैं जिसके लिए उन्हें पैसे मिलते हैं। वे लोगों और वस्तुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचाते हैं।
  2.  पालमपुर में लघुस्तरीय विनिर्माण का एक उदाहरण-इस समय पालमपुर में 50 से कम लोग विनिर्माण कार्य में लगे हुए हैं। इसमें बहुत साधारण उत्पादन क्रियाओं का प्रयोग किया जाता है और यह छोटे स्तर पर किया जाता है। ये कार्य पारिवारिक श्रम की सहायता से घर में या खेतों में किया जाता है। मजदूरों को कभी-कभार ही किराए पर लिया जाता है।
  3.  दुकानदार–पालमपुर में बहुत कम लोग व्यापार (वस्तु विनिमय) करते हैं। पालमपुर के व्यापारी दुकानदार हैं जो शहरों के थोक बाजार से कई प्रकार की वस्तुएँ खरीदते हैं और उन्हें गाँव में बेच देते हैं। उदाहरणतः गाँव के छोटे जनरल स्टोर चावल, गेहूँ, चीनी, चाय, तेल, बिस्कुट, साबुन, टूथ पेस्ट, बैट्री, मोमबत्ती, कॉपी, पेन, पेन्सिल और यहाँ तक कि कपड़े भी बेचते हैं।
  4. डेयरी–पालमपुर के कई परिवारों में डेयरी एक प्रचलित क्रिया है। लोग अपनी भैसों को कई तरह की घास, बरसात के मौसम में उगने वाली ज्वार और बाजरा आदि खिलाते हैं। दूध को पास के बड़े गाँव रायगंज में बेच दिया जाता है।

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