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WBBSE 10th Class Hindi Solutions व्याकरण – समास

WBBSE 10th Class Hindi Solutions व्याकरण – समास

West Bengal Board 10th Class Hindi Solutions व्याकरण – समास

West Bengal Board 10th Hindi Solutions

समास

लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर

1. ‘दालरोटी’ सामासिक पद का विग्रह करते हुए उसका नाम लिखिए।
उत्तर : दाल और रोटी -द्वंद्व समास ।
2. किसी एक सामासिक पद का विग्रह कीजिए और नाम बताइए – चौराहा, पीताम्बर ।
उत्तर : चौराह : चार राहों का समाहार । (द्वंद्व समास)
पीताम्बर: पीत हो अम्बर जिसका। (बहुब्रीही समास)
3. उदाहरण सहित बहुव्रीहि समास की परिभाषा लिखिए।
उत्तर : जहाँ समस्त पद में आए हुए दोनों पद गौण होते हैं तथा ये दोनों मिलकर किसी तीसरे पद के विषय में संकेत करते हैं तथा यही तीसरा पद प्रधान होता है तो उसे बहुब्रीहि समास कहते हैं। जैसे-
नीलकंठ – नीला है कंठ जिसका अर्थात् शिव ।
वीणापाणि – वीणा है हाथ (वाणि) में जिसके अर्थात् सरस्वती।
4. तत्पुरुष समास की परिभाषा सोदाहरण लिखें।
उत्तर : जिस समास का पहला पद गौण तथा दूसरा पद उसका विशेषण होने के कारण प्रधान होता है उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। जैसे-
शिवालय = शिव का आलय : जनप्रिय = जन का प्रिय ।
5. किसी एक सामासिक पद का विग्रह कीजिए और नाम बताइए- अपवित्र, मनोहर। 
उत्तर : अपवित्र – बिना पवित्र – नञ् समास । मनोकर – मन को हरने वाला – तत्पुरुष समास ।
6. ‘समास’ शब्द का क्या अर्थ है?
उत्तर : संक्षिप्त करने की रचना विधि या छोटा करने का तरीका।
7. कौन-सी विधि समास कहलाती है?
उत्तर : एक से अधिक शब्दों को मिलाने की संक्षिप्त विधि ही समास कहलाती है।
8. समास की परिभाषा लिखें।
उत्तर : परस्पर संबंध रखनेवाले दो या दो से अधिक शब्दों के मेल को समास कहते हैं।
9. समास-विग्रह किसे कहते हैं?
उत्तर : जब सामासिक पदों को अलग-अलग किया जाता है तो उसे समास-विग्रह कहते हैं।
10. समास के लिए कम से कम कितने पद (शब्द) होने चाहिए?
उत्तर : समास के लिए कम से कम दो पद होने चाहिए।
11. समास के पहले पद को क्या कहते हैं?
उत्तर : पूर्वपद।
12. समास के दूसरे पद को क्या कहते हैं?
उत्तर : उत्तर पद।
13. समास-प्रक्रिया के अंतर्गत कितने प्रकार से शब्दों की रचना हो सकती है?
उत्तर : तीन प्रकार से –
(क) तत्सम शब्दों के समास से, जैसे- राजा + पुत्र = राजपुत्र
(ख) तद्भव शब्दों के समास से, जैसे- बैल + गाड़ी = बैलगाड़ी
(ग) विदेशी शब्दों के समास से, जैसे- जेब + खर्च = जेबखर्च
14. समस्रोतीय समास किसे कहते हैं?
उत्तर : जब एक ही स्रोत से आए शब्दों के समास से शब्दों का निर्माण हाता है तो उसे समस्रोतीय समास कहते हैं।
15. संकर समास किसे कहते हैं?
उत्तर : दो भिन्न भाषाओं के शब्दों के मेल से बने सामासिक पद को संकर समास कहते हैं। जैसे-
योजना (तत्सम) + कमीशन (विदेशी) = योजना कमीशन
डाक (तद्भव) + खाना (विदेशी) = डाकखाना
पॉकेट (विदेशी) + मार (तद्भव) = पॉकेटमार
16. कर्म तत्पुरुष समास की परिभाषा सोदाहरण लिखें।
उत्तर : जहाँ पूर्वपद में कर्म कारक की विभक्ति (को) का लोप हो, वहाँ कर्म तत्पुरुष होता है। जैसे- सर्व प्रिय – सर्व को प्रिय : यशप्राप्त – यश को प्राप्त ।
17. करण तत्पुरुष समास किसे कहते हैं? सोदाहरण लिखें।
उत्तर : जहाँ पहले पद में करण कारक की विभक्ति (से, द्वारा) का लोप हो, उसे करण तत्पुरुष समास कहते हैं। भूखमरा – भूख से मरा; तुलसीकृत – तुलसी द्वारा कृत।
18. संप्रदान तत्पुरुष समास की परिभाषा सोदाहरण लिखें।
उत्तर : जहाँ पूर्वपद में संप्रदान कारक की विभक्ति (के लिए) का लोप हो, उसे संप्रदान तत्पुरुष समास कहते हैं। जैसे-
चिकित्सालय – चिकित्सा के लिए आलय; विद्यालय – विद्या के लिए आलय ।
19. अपादान तत्पुरुष समास की परिभाषा सोदाहरण लिखें।
उत्तर : जहाँ समस्त पद के पहले खंड से अपादान कारक (से पृथक) विभक्ति का लोप हो उसे अपादान तत्पुरुष समास कहते हैं। जैसे-
पथ भ्रष्ट – पथ से भ्रष्ट : देश निकाला – देश से निकाला।
20. संबंध तत्पुरुष समास की परिभाषा सोदाहरण लिखें।
उत्तर : जहाँ समस्त पद के पहले खंड से संबंध कारक की विभक्ति (का, के, की) का लोप हो उसे संबंध तत्पुरुष समास कहते हैं। जैसे –
समयानुसार – समय के अनुसार ; जीवनसाथी – जीवन के साथी ; प्राणहानि – प्राण की हानि ।
21. अधिकरण तत्पुरुष समास की परिभाषा सोदाहरण लिखें।
उत्तर : जहाँ समस्त पद के पहले खंड के अधिकरण कारक की विभक्ति (में, पर, पे) का लोप हो उसे अधिकरण तत्पुरुष समास कहते हैं। जैसे-
कर्त्तव्यनिष्ठा – कर्त्तव्य में निष्ठा ; रथासीन – रथ पर आसीन ।
22. नञ समास की परिभाषा सोदाहरण लिखें।
उत्तर : जिस समस्त पद का पहला पद अभावात्मक (न का अर्थ देने वाला) हो उसे नञ समास कहते हैं। जैसे-
असंभव – न संभव ; अनीति – न नीति ; नास्तिक – न आस्तिक ।
23. कर्मधारय समास की परिभाषा सोदाहरण लिखें।
उत्तर : जहाँ पूर्वपद ‘विशेषण’ और उत्तरपद ‘विशेष्य’ या ‘उपमेय’- उपमान होता है उसे कर्मधारय समास कहते हैं। जैसे-
महावीर – महान है जो वीर; अधपक – आधा है जो पका । विशेषण-विशेष्य
नरसिंह – सिंह रूपी नर: कनकलता – कनक (सोना) के समान लता। – उपमेय-उपमान
24. द्विगु समास की परिभाषा सोदाहरण लिखें।
उत्तर : जहाँ समस्त पद का पहला पद संख्यावाचक अथवा परिमाणवापक विशेषण होता है उसे द्विगु समास कहते हैं। जैसे-
त्रिफला – तीन फलों का समाहार; सप्ताह सात दिनों का समाहार।
25. कर्मधारय तथा बहुब्रीहि समास में सोदाहरण अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर : कर्मधारय समास में दूसरा पद प्रधान होता है जबकि बहुबीहि में दोनों पद मिलकर किसी तीसरे पद की ओर संकेत करते हैं। जैसे-
पीतांबर – पीत है जो अंबर- कर्मधारय समास ।
     पीला है जिसका अंबर- बहुब्रीहि समास ।
     अर्थात् कृष्ण
26. द्वंद्व समास की परिभाषा सोदाहरण लिखें।
उत्तर : जिस समास के दोनों पद प्रधान हों तथा विग्रह करने पर ‘और’ या ‘एवं’ शब्द लगाना पड़ता है उसे द्वंद्व समास कहते हैं। जैसे-
अपना पराया = अपना और पराया।
अमीर – गरीब = अमीर एवं गरीब।
27. अव्ययीभाव समास की परिभाषा सोदाहरण लिखें।
उत्तर : जिस समास का पहला पद अव्यय हो तो उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं। इसका पहला पद प्रधान होता है। जैसे –
आजन्म – जन्म से लेकर ; प्रतिवर्ष – प्रत्येक वर्ष।
28. अव्यय किसे कहते हैं?
उत्तर : वैसे शब्द जिनका स्वरूप किसी भी लिंग-वचन या काल में प्रयोग करने पर बदलता नहीं है उसे अव्यय कहते हैं।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

1. किसमें द्विगु समास नहीं है?
(क) दो तरफा
(ख) तीन-तीन
(ग) चौरास्ता
(घ) पंचमेल
उत्तर : (ख) तीन-तीन
2. ‘नीलकंठ’ में कौन-सा समास है?
(क) बहुव्रीहि
(ख) द्विगु
(ग) द्वन्द्व
(घ) तत्पुरुष
उत्तर : (क) बहुव्रीहि
3. ‘चद्रशेखर’ में कौन-सा समास है ?
(क) द्वन्द्व
(ख) कर्मधारय
(ग) बहुब्रीहि
(घ) तत्पुरुष
उत्तर : (ग) बहुब्रीहि
4. ‘विद्याघर’ – समास विग्रह :
(क) विद्या का घर
(ख) विद्या और घर
(ग) विद्या के लिए घर
(घ) विद्या ही है घर
उत्तर : (ग) विद्या के लिए घर
5. दो पदों के मेल को कहते हैं
(क) प्रत्यय
(ख) समास
(ग) संधि
(घ) उपसर्ग
उत्तर : (ख) समास ।
6. समास के भेद होते हैं-
(क) दो
(ख) तीन
(ग) पाँच
(घ) छः
उत्तर : (घ) छः ।
7. निम्नलिखित में अव्ययीभाव समास का उदाहरण नहीं है –
(क) यथारूप
(ख) रातोरात
(ग) हमसफर
(घ) गंगाजल
उत्तर : (घ) गंगाजल।
8. किसमें सही सामासिक पद है
(क) पुष्पधन्वी
(ख) दिवारात्रि
(ग) त्रिलोकी
(घ) मंत्रिपरिषद
उत्तर : (ख) दिवारात्रि ।
9. ‘समास’ शब्द का अर्थ है –
(क) संक्षेप
(ख) व्यास
(ग) टिप्पणी
(घ) सार
उत्तर : (क) संक्षेप ।
10. निम्नलिखित शब्दों में से द्वन्द्व समास किस शब्द में है-
(क) पाप-पुण्य
(ख) धड़ाधड़
(ग) कलाप्रवीण
(घ) त्रिभुवन
उत्तर : (क) पाप-पुण्य ।
11. निम्नलिखित में से द्विगु समास का उदाहरण कौन है –
(क) अनन्य
(ख) दिन-रात
(ग) चतुरानन
(घ) त्रिभुवन
उत्तर : (घ) त्रिभुवन ।
12. ‘परमेश्वर’ शब्द किस समास का उदाहरण है –
(क) द्विगु
(ख) कर्मधारय
(ग) तत्पुरुष
(घ) अव्ययीभाव
उत्तर : (ख) कर्मधारय ।
13. ‘गगनचुम्बी’ शब्द किस समास का उदाहरण है –
(क) बहुब्रीहि
(ख) अव्ययीभाव
(ग) द्विगु
(घ) कर्मधारय
उत्तर : (ख) अव्ययीभाव ।
14. ‘लम्बोदर’ शब्द किस समास का उदाहरण है –
(क) द्वंद्व
(ख) द्विगु
(ग) बहुब्रीहि
(घ) कर्मधारय
उत्तर : (ग) बहुब्रीहि ।
15. दो या दो से अधिक शब्द अपने प्रत्ययों को छोड़कर मिलते हैं तब क्या कहलाते हैं –
(क) संधि
(ख) समास
(ग) उपसर्ग
(घ) प्रत्यय
उत्तर : (ख) समास ।
16. समास से भाषा में आती है –
(क) फैलाव
(ख) संक्षिप्ता
(ग) प्रमाणिकता
(घ) अप्राणिकता
उत्तर : (ख) संक्षिप्ता ।
17. समास के मुख्यतः कितने भेद होते हैं-
(क) तीन
(ख) पाँच
(ग) छः
(घ) आठ
उत्तर : (ग) छः ।
18. कर्मधारय को किस समास का भेद माना जाता है –
(क) अव्ययीभाव
(ख) कर्मधारय
(ग) तत्पुरुष
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर : (ग) तत्पुरुष ।
19. न व्यय होने वाले शब्द कहलाते है –
(क) अव्यय
(ख) निपात
(ग) क्रिया
(घ) समास
उत्तर : (क) अव्यय ।
20. ‘प्रतिदिन’ में कौन-सा समास है –
(क) अव्ययीभाव समास
(ख) द्वंद्व समास
(ग) द्विगु समास
(घ) कर्मधारय समास
उत्तर : (क) अव्ययीभाव समास ।
21. जिस समास का उत्तर पद प्रधान हो, कहलाता है
(क) तत्पुरुष
(ख) द्वंद्व
(ग) द्विगु
(घ) बहुब्रीहि
उत्तर : (क) तत्पुरुष ।
22. ‘गगनचुम्बी’ में कौन-सा समास है –
(क) कर्मधारय
(ख) तत्पुरुष
(ग) द्वंद्व
(घ) द्विगु
उत्तर : (क) कर्मधारय ।
23. ‘रंग भरी’ में कौन समास है –
(क) तत्पुरुष
(ख) कर्मधारय
(ग) द्वंद्व
(घ) द्विगु
उत्तर : (क) तत्पुरुष ।
24. किस समास को दो पद मिलकर अन्य अर्थ का बोध कराते हैं ?
(क) तत्पुरुष
(ख) कर्मधारय
(ग) बहुव्रीहि
(घ) द्वंद्व
उत्तर : (ग) बहुब्रीहि ।
25. किस समास का दोनों पद प्रधान होता है –
(क) कर्मधारय
(ख) द्वंद्व
(ग) द्विगु
(घ) अव्ययीभाव
उत्तर : (ख) द्वंद्व ।
26. किस समास का कारक चिह्नों के आधार पर विग्रह करते हैं –
(क) द्वंद्व
(ख) तत्पुरुष
(ग) कर्मधारय
(घ) बहुब्रीहि
उत्तर : (ख) तत्पुरुष ।
27. किस समास का पूर्व पद संख्यावाचक होता है –
(क) द्वंद्व
(ख) द्विगु
(ग) अव्ययीभाव
(घ) कर्मधारय
उत्तर : (ख) द्विगु ।
28. ‘प्रतिमाह’ में कौन-सा समास है –
(क) अव्ययीभाव
(ख) द्वंद्व
(ग) द्विगु
(घ) कर्मधारय
उत्तर : (क) अव्ययीभाव ।
29. ‘चंद्रशेखर’ में कौन-सा समास है –
(क) अव्ययीभाव
(ख) बहुब्रीहि
(ग) द्विगु
(घ) द्वंद्व
उत्तर : (ख) बहुब्रीहि ।
30. ‘नवरत्न’ में कौन-सा समास है –
(क) द्विगु
(ख) द्वंद्व
(ग) कर्मधारय
(घ) बहुब्रीहि
उत्तर : (क) द्विगु ।
31. ‘चरणकमल’ में कौन-सा समास है –
(क) द्वंद्व
(ख) द्विगु
(ग) कर्मधारय
(घ) अव्ययीभाव
उत्तर : (ग) कर्मधारय ।
32. ‘धनहीन’ में कौन-सा समास है –
(क) द्विगु
(ख) अव्ययीभाव
(ग) तत्पुरुष
(घ) कर्मधारय
उत्तर : (ग) तत्पुरुष ।
33. ‘चतुरानन’ में कौन-सा समास है –
(क) कर्मधारय
(ख) बहुब्रीहि
(ग) द्वंद्व
(घ) द्विगु
उत्तर : (ख) बहुब्रीहि ।
34. ‘बेकाम’ में कौन-सा समास है –
(क) अव्ययीभाव
(ख) द्वंद्व
(ग) द्विगु
(घ) कर्मधारय
उत्तर : (क) अव्ययीभाव ।

पाठ्य पुस्तक पर आधारित व्याकरण

रैदास के पद

सामासिक पद समास-विग्रह समास का नाम
अंग-अंग
चंद-चकोरा
दिन-राति
नर हरि
तोर-मोर
असमझ
जगत-अधारा
अविगत
निरंजन
सुरसरी
चारिवेद
पढ़े-गुने
असमझासि
चेति-चेति
अचेत
हरि-भगति
हरि-कथा
अजाति
द्रुमति (दुरमति)
षटक्रम
कवि-कुलीन
जोगी-सन्यासी
औगुन
काम-क्रोध
मोह-मद
ग्यानीं-गुनीं
‘अंग’ की द्विरुक्ति
चांद और चकोर
दिन और रात
नर और हरि
तोर (तुम्हारा) और मोर (मेरा)
न समझ
जगत का आधार
न विगत
न अंजन
सुर (देवता) की सरी (नदी)
चारों वेद
पढ़े और गुने
न समझासि
‘चेति’ की द्विरुक्ति
न चेत
हरि की भगति (भक्ति)
हरि की कथा
न जाति
दुर (बुरी) हो जो मति
छः कर्म
कवि और कुलीन
जोगी और सन्यासी
न गुण
काम और क्रोध
मोह और मद
ग्यानी और गुनी
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
नञ समास
तत्पुरुष समास
नञ समास
नञ समास
तत्पुरुष समास
द्विगु समास
द्वंद्व समास
नञ समास
द्वंद्व समास
नञ समास
तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास
नञ समास
कर्मधारय समास
द्विगु समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
नञ समास
द्वद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास

आत्मत्राण

सामासिक पद समास-विग्रह समास का नाम
दुःख-ताप
बल-पौरूष
छिन छिन
दुःख-रात्रि
दुःख और ताप
बल और पौरूष
‘छिन’ की द्विरुक्तिं
दुःख रूपी रात्रि
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्विगु समास
कर्मधारय

नीड़ का निर्माण फिर-फिर

सामासिक पद समास-विग्रह समास का नाम
फिर-फिर
धूलि-धूसर
उत्पात-भय
जन-जन
कण-कण
उखड़-पुखड़
ईंट-पत्थर
वज्र दंतों
‘फिर’ की द्विरुक्ति
धूलि से धूसर
उत्पात का भय
‘जन’ की द्विरुक्ति
‘कण’ की द्विरुक्ति
उखड़ और पुखड़
ईंट और पत्थर
वज्र है जो दाँत
द्वंद्व समास
तत्पुरुष समास
तत्पुरूष समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
कर्मधारय समास

मनुष्य और सर्प

सामासिक पद समास-विग्रह समास का नाम
कुरूक्षेत्र
वाजियों-गजों
मनुज
चतुष्पद
द्विपद
रक्त-रंजित
कौंतेय-कर्ण
क्षण-क्षण
रण-कुशल
धनुर्धर
अमोध
विशिख-वृष्टि
विषधर
हितकामी
महाशत्रु
पुर- ग्राम
ग्राम-घरों
नर-भुजंग
द्वेषांध
कुरू का क्षेत्र
वाजियों (घोड़ों) और गजों (हाथियों)
मनु से जनमा
चार (पदों) पैरों का समाहार
दो पदों का समाहार
रक्त से रंजित
कौंतेय (अर्जुन) और कर्ण
‘क्षण’ की द्विरुक्ति
रण में कुशल
धनु (धनुष) को धारण करने वाला
न मोध
विशिख (वाणों) की वृष्टि
विष को धारण करनेवाला
हित का कामी (चाहनेवाला)
महान है जो शत्रु
पुर (नगर) और ग्राम (गाँव)
ग्राम और घरों
नर के रूप में भुजंग
द्वेष में अंधा
तत्पुरुष समास
द्वंद्व समास
तत्पुरुष समास
द्विगु समास
द्विगु समास
तत्पुरुष समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास
नञ समास
तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास
कर्मधारय समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
कर्मधारय समास
तत्पुरुष समास

रामदास

सामासिक पद समास-विग्रह समास का नाम
रामदास
धीरे-धीरे
देखो-देखो
निडर
राम का दास
‘धीरे’ की द्विरुक्ति
‘देखो’ की द्विरुक्ति
न डर
तत्पुरुष समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
नञ समास

नौरंगिया

सामासिक पद समास-विग्रह समास का नाम
नौरंगिया
देवी-देवता
छक्का-पंजा
संग-संग
गाँव-गली
सौ-सौ
फिर-फिर
क्या-क्या
टूटा-फूटा
नौ रंगों की
देवी और देवता
छक्का और पंजा
‘संग’ की द्विरुक्ति
गाँव की गली
‘सौ’ की द्विरुक्ति
‘फिर’ की द्विरुक्ति
‘क्या’ की द्विरुक्ति
टूटा और फूटा
द्विगु समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
तत्पुरुष समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास

देश-प्रेम

सामासिक पद समास-विग्रह समास का नाम
देश-प्रेम
कभी-कभी
कोने-अंतरों
भारी-भरकम
सुबह-सुबह
राष्ट्रगान
सिनेमाघर
धीरे-धीरे
देश के लिए प्रेम
‘कभी’ की द्विरुक्ति
कोने और अंतरों
भारी और भरकम
‘सुबह’ की द्विरुक्ति
राष्ट्र के लिए गान
सिनेमा के लिए घर
‘धीरे’ की द्विरुक्ति
तत्पुरुष समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास
द्वंद्व समास

धूमकेतु

सामासिक पद समास-विग्रह समास का नाम
धूमकेतु
शुभाशुभ
गुरूत्वाकर्षण
सौर मंडल
भविष्यवाणी
खगोलविदों
धूलि-कण
हजारों-लाखों
घटता-बढ़ता
सौर-वायु
धीरे-धीरे
एक-दूसरे
वायुमंडल
अंतरिक्षयान
स्वचालित
यंत्रोपकरणों
चक्रण-काल
धूम का केतु
शुभ और अशुभ
गुरूत्व का आकर्षण
सौर का मंडल
भविष्य की वाणी
खगोल के विदों
धूलि के कण
हजारों और लाखों
घटता और बढ़ता
सौर का वायु
‘धीरे’ की द्विरुक्ति
एक और दूसरे
वायु का मंडल
अंतरिक्ष का यान
स्व (स्वयं) से चालित
यंत्र के उपकरणों
चक्रण का काल
तत्पुरुष समास
द्वंद्व समास
तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास
द्वंद्व समास
तत्पुरुष समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास

नौबतखाने में इबादत

सामासिक पद समास-विग्रह समास का नाम
मंगलध्वनि
बात-बात
जाने-माने
संगीत प्रेमी
एक-दूसरे
जन्म स्थान
बोल बनाव
वर्णमाला
कल्पद्रुम
लोकगीतों
विधि-विधानों
अनगढ़
वरदान
कार्यक्रम
दालमंडी
कभी-कभी
सिनेमाहाल
अठन्नी
आरोह-अवरोह
संगीत-आयोजन
संकटमोचन
हनुमान जयंती
अपार
गायन-वादन
विश्वनाथ
रामदास
सेहरा बना
गंगाद्वार
बेताल
सरताज
डरते-डरते
भारतरत्न
बनाव- सिंगार
कचौड़ी- जलेबी
सुर-साधक
मुहर्रम- ताजिया
होली- अबीर
गंगा-जमुनी
आनंदकानन
संगीतयात्रा
भरी-पूरी
संगीत-रसिकों
एकाधिकार
मंगल की ध्वनि
‘बात’ की द्विरुक्ति
जाने और माने
संगीत का प्रेमी
एक और दूसरे
जन्म का स्थान
बोल और बनाव
वर्ण की माला
कल्प का द्रुम
लोक का गीतों
विधि और विधानों
न गढ़ा
वर का दान
कार्य का क्रम
दाल की मंडी
‘कभी’ की द्विरुक्ति
सिनेमा के लिए हॉल
आठ आने का समाहार
आरोह और अवरोह
संगीत का आयोजन
संकट का मोचन
हनुमान की जयंती
न पार
गायन और वादन
विश्व का नाथ
राम का दास
सेहरा और बचा
गंगा का द्वार
न ताल
सर का ताज
‘डरते’ की द्विरुक्ति
भारत का रत्न
बनाव और सिंगार
कचौड़ी और जलेबी
सुर का साधक
मुहर्रम और ताजिया
होली और अबीर
गंगा और यमुना की
आंनद का कानन
संगीत की यात्रा
भरी और पूरी
संगीत के रसिकों
एक का अधिकार
तत्पुरुष समास
द्वद्व समास
द्वंद्व समास
तत्पुरुष समास
द्वंद्व समास
तत्पुरुष समास
द्वंद्व समास
तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास
द्वंद्व समास
नञ समास
तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास
द्वंद्व समास
तत्पुरुष समास
द्विगु समास
द्विगु समास
तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास
नञ समास
द्वद्व समास
तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास
द्वंद्व समास
तत्पुरुष समास
नत्र समास
तत्पुरुष समास
द्वंद्व समास
तत्पुरुष समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
तत्पुरुष समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास
द्वंद्व समास
तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास

उसने कहा था

सामासिक पद समास-विग्रह समास का नाम
इक्के-गाड़ीवालों
बड़े-बड़े
अमृतसर
निराशा
बार-बार
दूसरे-तीसरे
राम-राम
दिन-रात
सौ-सौ
बेईमान
तीस-तीस
देस-देस.
मरने-मारने
रोम-रोम
नीचे-नीचे
तीन-चार
समझा-बुझाकर
मारते-मारते
बेशक
दियासलाई
देखते-देखते
ऐसी-तैसी
एक-एक
गौ-हत्या
कपाल-क्रिया
आर-पार
कमरबन्द
दौड़ा-दौड़ा
अंदर-अंदर
चलते-चलते
नमक हलाली
रोती-रोती
चाचा-भतीजा
टप-टप
इक्के और गाड़ीवालों
‘बड़े’ की द्विरुक्ति
अमृत का सर (तालाब)
न आशा
‘बार’ की विरुक्ति
दूसरे और तीसरे
‘राम’ की द्विरुक्ति
दिन और रात
‘सौ’ की द्विरुक्ति
न ईमान
‘तीस’ की द्विरुक्ति
‘देस’ की द्विरुक्ति
मरने और मारने
‘रोम’ की द्विरुक्ति
‘नीचे’ की द्विरुक्ति
तीन और चार
समझा और बुझाकर
‘मारते’ की द्विरुक्ति
बिना शक
दिया के लिए सलाई
‘देखते’ की द्विरुक्ति
ऐसी और तैसी
‘एक’ की द्विरुक्ति
गौ की हत्या
कपाल की क्रिया
आर और पार
कमर का बंद
‘दौड़ा’ की द्विरुक्ति
‘अंदर’ की द्विरुक्ति
‘चलते’ की द्विरुक्ति
नमक की हलाली
‘रोती’ की द्विरुक्ति
चाचा और भतीजा
‘टप’ की द्विरुक्ति
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
तत्पुरुष समास
नञ समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
नञ समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
नञ समास
तत्पुरुष समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
तत्पुरुष समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास

नन्हा संगीतकार

सामासिक पद समास-विग्रह समास का नाम
बेहद
इर्द-गिर्द
बेनाम
यहाँ-वहाँ
बोलते-बोलते
जल्दी-जल्दी
जोर-जोर
हौले-हौले
पूजा-पाठ
भली-चंगी
काम-काज
कुहु कुहु
लोक-विश्वास
दुबला-पतला
अनदेखा
दौड़-भाग
बेइन्तहा
भविष्यवाणी
जैसे-जैसे
भेड़-बकरियाँ
स्वर-लहरी
संगी-साथी
दो-तीन
स्वप्नद्रष्टा
मिले-जुले
सुर संगति
वाद्ययंत्रों
धीमे-धीमे
कभी-कभार
शराबखाने
मयखाने
कीड़े-मकोड़े
भिन्न-भिन्न
दिनोंदिन
वर्दीधारी
ऊँचे-ऊँचे
मंद-मंद
काँव-काँव
अनजाने
मकान-मालिक
कैदखाने
बेरहम
बेजान
न हद
इर्द और गिर्द
न नाम
यहाँ और वहाँ
‘बोलते’ की द्विरुक्ति
‘जल्दी’ की द्विरुक्ति
‘जोर’ की द्विरुक्ति
‘हौले’ की द्विरुक्ति
पूजा और पाठ
भली और चंगी
काम और काज
‘कुहु’ की द्विरुक्ति
लोक का विश्वास
दुबला और पतला
न देखा
दौड़ और भाग
न इन्तहा
भविष्य की वाणी
‘जैसे’ की द्विरुक्ति
भेड़ और बकरियाँ
स्वर की लहरी
संगी और साथी
दो और तीन
स्वप्न का द्रष्टा
मिले और जुले
सुर की संगति
वाद्य के यंत्रों
‘धीमे’ की द्विरुक्ति
कभी और कभार
शराब के लिए खाने
मय के लिए खाने
कीड़े और मकोड़े
‘भिन्न की द्विरुक्ति
दिन प्रति दिन
वर्दी को धारण करने वाला
‘ऊँचे’ की द्विरुक्ति
‘मंद’ की द्विरुक्ति
‘काँव’ की द्विरुक्ति
न जाने
मकान का मालिक
कैद के लिए खाने
बिना रहम के
बिना जान के
नञ समास
द्वंद्व समास
नञ समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
तत्पुरुष समास
द्वंद्व समास
नञ समास
द्वंद्व समास
नञ समास
तत्पुरुष समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
तत्पुरुष समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
तत्पुरुष समास
द्वंद्व समास
तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
अव्ययीभाव
कर्मधारय समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
नञ समास
तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास
नञ समास
नञ समास

चप्पल

सामासिक पद समास-विग्रह समास का नाम
धड़ाम-धड़ाम
गोल-गोल
दादा-परदादा
टूट-फूट
बहुत-कुछ
लाड़-प्यार
पाल-पोस
पढ़ना-लिखना
गोरा-गोरा
छोटा-मोटा
बैठे-बैठे
अभी-अभी
स्वर्गधाम
भाग्यवान
चलते-चलते
तरह-तरह
उठना-बैठना
साथ-साथ
ठीक-ठाक
क्या-क्या
जल्दी-जल्दी
रोना-धोना
नहीं-नहीं
भय-कम्पित
‘धड़ाम’ की द्विरुक्ति
‘गोल’ की द्विरुक्ति
दादा और परदादा
टूट और फूट
बहुत और कुछ
लाड़ और प्यार
पाल और पोस
पढ़ना और लिखना
‘गोरा’ की द्विरुक्ति
छोटा और मोटा
‘बैठे’ की द्विरुक्ति
‘अभी’ की द्विरुक्ति
स्वर्ग का धाम
भाग्य का वान (स्वामी)
‘चलते’ की द्विरुक्ति
‘तरह’ की द्विरुक्ति
उठना और बैठना
‘साथ’ की द्विरुक्ति
ठीक और ठाक
‘क्या’ की द्विरुक्ति
‘जल्दी’ की द्विरुक्ति
रोना और धोना
‘नहीं’ की द्विरुक्ति
भय से कंपित
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
तत्पुरुष समास

नमक

सामासिक पद समास-विग्रह समास का नाम
छोटी-छोटी
सैर-सपाटे
आहिस्ता-आहिस्ता
हिस्से-बखरे
चिंदी-चिंदी
कानून-कानून
इधर-उधर
आसपास
नन्हें-नन्हें
भतीजे-भतीजियाँ
फैलता-उभरता
बेजान
हिन्दुस्तान-पाकिस्तान
एक-दो
इक्का-दुक्का
रफ़्ता-रफ़्ता
बीच-बीच
‘छोटी’ की द्विरुक्ति
सैर और सपाटे
‘आहिस्ता’ की द्विरुक्ति
हिस्से और बखरे
‘चिंदी’ की द्विरुक्ति
‘कानून’ की द्विरुक्ति
इधर और उधर
आस और पास
‘नन्हें’ की द्विरुक्ति
भतीजे और भतीजियाँ
फैलता और उभरता
बिना जान के
हिन्दुस्तान और पाकिस्तान
एक या दो
इक्का और दुक्का
‘रफ़्ता’ की द्विरुक्ति
‘बीच’ की द्विरुक्ति
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
नञ समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास

धावक

सामासिक पद समास-विग्रह समास का नाम
रंग-बिरंगे
स्वागत-सत्कार
मैले-कुचैले
मजदूर-बाबू
अता-पता
अनचाहे
क्या-क्या
धीरे-धीरे
खिलाड़ियों- धावकों
शुरु-शुरु
दो-दो
तीन-तीन
बेईमानी
मारो-मारो
तोड़-फोड़
बेकाबू
होते-होते
साइकिल रेस
किसान-मजदूर
बाधा-दौड़
उलट-पलट
आना-जाना
देश-देशान्तर
गृहत्याग
गाहे-बगाहे
आडे-डल्टे
गैर बंगाली
खुशी-गमी
घूम-फिर
मर-खप
बलबूते
बेटा-बेटा
दरवाजे-खिड़कियाँ
शुभचिन्तक
आत्मसात्
नाजायज
ढूँढ़ – ढाँढ़
तले-तले
पुरस्कारदाता
भारी-भारी
धूप-काठी
धूप-बाती
दूर-दूर
हिसाब-किताब
तेज-तर्रार
विजय-लिप्सा
साँड़-युद्ध
नये-नये
कामुक-क्रूर
छीना-झपटी
एक-दूजे
अस्वस्थ
जी-जान
ताम-झाम
दृष्टिसीमा
रंग और बिरंगे
स्वागत और सत्कार
मैले और कुचैले
मजदूर और बाबू
अता और पता
न चाहे
‘क्या’ की द्विरुक्ति
‘धीरे’ की द्विरुक्ति
खिलाड़ियों और धावकों
‘शुरु’ की द्विरुक्ति
‘दो’ की द्विरुक्ति
‘तीन’ की द्विरुक्ति
न ईमानी
‘मारो’ की द्विरुक्ति
तोड़ और फोड़
न काबू
‘होते’ की द्विरुक्ति
साइकिल की रेस
किसान और मजदूर
बाधा की दौड़
उलट और पलट
आना और जाना
देश और देशान्तर
गृह का त्याग
गाहे और बेगाहे
आड़े और उल्टे
न बंगाली
खुशी और गमी
घूम और फिर
मर और खप
बल के बूते
‘बेटा’ की द्विरुक्ति
दरवाजे और खिडकियाँ
शुभ का चिन्तक
आत्म में सात् (लीन)
न जायज
ढूँढ़ और ढाँढ़
‘तले’ की द्विरुक्ति
पुरस्कार के दाता
‘भारी’ की द्विरुक्ति
धूप और काठी
धूप और बाती
‘दूर’ की द्विरुक्ति
हिसाब और किताब
तेज और तर्रार
विजय की लिप्सा
साँड़ का युद्ध
‘नये’ की द्विरुक्ति
कामुक और क्रूर
छीना और झपटी
एक और दूजे
न स्वस्थ.
जी और जान
ताम और झाम
दृष्टि की सीमा
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
नञ समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
नञ समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
नञ समास
द्वंद्व समास
तत्पुरुष समास
द्वंद्व समास
तत्पुरुष समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
तत्पुरुष समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
नञ समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
तत्पुरुष समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास
नञ समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
तत्पुरुष समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
‘नञ समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
तत्पुरुष समास

दीपदान

सामासिक पद समास-विग्रह समास का नाम
उत्तराधिकारी
दासीपुत्र
नृत्यध्वनि
सुन्दर-सुन्दर
राजवंश
कुल- दीपक
बार-बार
प्रात:काल
हाथी-घोड़ों
आर-पार
भवसागर
टुकड़े-टुकड़े
नगर-निवासी
राजमहल
मल्ल-क्रीड़ा
अंतःपुर
राजसेवा
सूर्यलोक
पास-पास
राग-रंग
आत्मबलिदान
मातृभूमि
रास-रंग
उछलती-कूदती
अच्छी-अच्छी
सर्वनाश
त्रिशूल
नाच-गान
आता-जाता
निष्कंटक
असन्तुष्ट
राजपूत-रक्त
जीवन-भिक्षा
बेखटके
जुग जुग
हर भजन
चौर-छतर
राजकुमार
राजसिंहासन
बीस-बीस
माल-मत्ता
मंगलतिलक
परोस-परोस
खेल-खेल
रसाई-घर
सोचते-सोचते
बड़े-बड़े
साथ-साथ
रक्तधारा
उठाते-उठाते
अनन्त
राजलक्ष्मी
रणभूमि
चिर-निद्रा
अबोध
नराधम
उत्तर का अधिकारी
दासी का पुत्र
नृत्य की ध्वनि
‘सुन्दर’ की द्विरुक्ति
राजा का वंश
कुल का दीपक
‘बार’ की द्विरुक्ति
प्रातः का काल
हाथी और घोड़ों
आर और पार
भव का सागर
‘टुकड़े’ की द्विरुक्ति
नगर के निवासी
राजा का महल
मल्ल की क्रीड़ा
अंतः का पुर
राजा की सेवा
सूर्य का लोक
‘पास’ की द्विरुक्ति
राग और रंग
आत्मा का बलिदान
मातृ की भूमि
रास और रंग
उछलती और कूदती
‘अच्छी’ की द्विरुक्ति
सर्व का नाश
तीन शूल का समाहार
नाच और गान
आता और जाता
बिना कंटक के
न संतुष्ट
राजपूत का रक्त
जीवन की भिक्षा
बिना खटके
‘जुग’ की द्विरुक्ति
हर का भजन
चौर और छतर
राजा का कुमार
राजा का सिंहासन
‘बीस’ की द्विरुक्ति
माल और मत्ता
मंगल का तिलक
‘परोस’ की द्विरुक्ति
‘खेल’ की द्विरुक्ति
रसोई के लिए घर
‘सोचते’ की द्विरुक्ति
‘बड़े’ की द्विरुक्ति
‘साथ’ की द्विरुक्ति
रक्त की धारा
‘उठाते’ की द्विरुक्ति
न अंत
राज की लक्ष्मी
रण की भूमि
चिर के लिए निद्रा
न बोध
नर में अधम
तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास
द्वंद्व समास
तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास
द्वंद्व समास
तत्पुरुष समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
तत्पुरुष समास
द्वंद्व समास
तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
तत्पुरुष समास
द्विगु समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
नञ समास
नञ समास
तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास
द्वंद्व समास
तत्पुरुष समास
द्वद्व समास
तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
तत्पुरुष समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
तत्पुरुष समास
द्वद्व समास
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
तत्पुरुष समास
द्वंद्व समास
नञ समास
तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास
नञ समास
तत्पुरुष समास

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