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WBBSE 10th Class Hindi Solutions Chapter 2 आत्मत्राण

WBBSE 10th Class Hindi Solutions Chapter 2 आत्मत्राण

West Bengal Board 10th Class Hindi Solutions Chapter 2 आत्मत्राण

West Bengal Board 10th Hindi Solutions

कवि – परिचय

यदि हम कविगुरू रवीन्द्रनाथ ठाकुर को भारतीय संस्कृति के सर्वश्रेष्ठ प्रतिनिधि के रूप में स्थान दें तो अतिशयोक्ति न होगी। 7 मई, 1861 ई०, दिन सोमवार को महर्षि देवेन्द्रनाथ ठाकुर के जोड़ासाँको (कलकत्ता) के ‘प्रासादोपम’ भवन में उनके कनिष्ठ (छोटे) पुत्र रवीन्द्रनाथ का जन्म हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही हुई। इन्हें बैरिस्ट्री की पढ़ाई के लिए 17 वर्ष की उम्र में लंदन भेजा गया लेकिन पढ़ाई पूरी किए बिना ही लौट आए। रवीन्द्रनाथ ने 7 वर्ष की उम्र से ही कविता लिखना प्रारंभ किया। इनकी अनुपम काव्यकृति ‘गीताजंलि’ के लिए इन्हें विश्व का सबसे बड़ा पुरस्कार नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ।
रवीन्द्रनाथ ठाकुर की रचनाओं में मानवतावाद को सबसे ऊपर स्थान दिया गया है –
“सुन हे मानुष भाई
सबार ऊपरे मानुष सत्य
ताहार ऊपरे नाई।”
उनका हृदय मन्दिर, मस्जिद, मूर्ति और बाह्याडम्बर से दूर था। इन्होंने शांतिनिकेतन की स्थापना बोलपुर (पं बंगाल) में की जो आज ‘विश्वभारती’ के नाम से जाना जाता है। चित्रकला, संगीत तथा भावनृत्य के प्रति इनका विशेष अनुराग (प्रेम) था। इनकी संगीत-शैली तो आज विश्वभर में ‘रवीन्द्र संगीत’ के नाम से प्रसिद्ध है।
सन् 1941 में यह ‘भारत-रवि’ अस्त हो गया। रवीन्द्रनाथ ठाकुर की प्रमुख कृतियाँ इस प्रकार हैं-
नोबेल पुरस्कार प्राप्त काव्य – गीतांजलि ।
नैवेध, पूरबी, बलाका, क्षणिका, चित्र, संध्यगीत।
कहानियाँ – काबुलीवाला, पोस्टमास्टर, मुन्ने की वापसी, मालादान, दृष्टिदान, देशभक्त, दुराशा, श्रद्धांजलि, कंचन, धन का मोह, मणिहार, अनाथ की दीदी, सुभाषिणी, वंशज-दान, नए जमाने की हवा, छुट्टियों का इंतजार, हेमु आदि
उपन्यास – गोरा, घरे-बाइरे ।
निबंध – रवीन्द्र के निबंध, रिलीजन ऑफ मैन ।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न – 1 : ‘आत्मत्राण’ कविता का भावार्थ अपने शब्दों में लिखें।
अथवा
प्रश्न – 2 : ‘आत्मत्राण’ कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखें।
अथवा
प्रश्न – 3 : ‘आत्मत्राण’ कविता का मूल भाव अपने शब्दों में लिखें।
अथवा
प्रश्न – 4 : ‘आत्मत्राण’ कविता के उद्देश्य को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
प्रश्न – 5 : ‘आत्मत्राण’ कविता का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।
अथवा
प्रश्न – 6 : ‘आत्मत्राण’ के कवि ईश्वर से क्या प्रार्थना करते हैं?
अथवा
प्रश्न – 7 : ‘आत्मत्राण’ कविता में निहित कवि के विचारों को लिखें।
उत्तर : कविगुरू रवीन्द्रनाथ ठाकुर में बौद्धिक प्रतिभा के साथ-साथ आध्यात्मिक विचारों की एक गहरी धारा उनके भीतर प्रवाहित हो रही थी। उन्हें यह प्रकाश की धारा किस प्रकार मिली उसके बारे में उन्होंने लिखा है –
“सूर्य देवता सामने के वृक्षों से झाँक रहे थे। वृक्षों पर सूर्य की किरणें पड़ रही थीं। इस अपूर्व दृश्य का वर्णन मानवी शक्ति के परे है। सूर्य की किरणें हर्ष और सौंन्दर्य से उत्फुल्ल प्रतीत होने लगीं। इस समय एकाएक दिव्य प्रकाश मिल गया।”
कविगुरू ईश्वर से यह निवेदन करते हैं कि उन्हें विपदाओं (मुसीबतों) से न बचाएं। वे उसपर इतनी कृपा करें कि जीवन में जब कभी भी विपदा आए तो उन्हें भय न हो ।
यदि आप मेरे दुख-ताप से भरे हृदय को ढाढ़स न भी दें तो कोई बात नहीं, लेकिन इतनी करुणा अवश्य करें कि मैं अपने दुःखों पर विजय प्राप्त कर सकूँ। यदि दुःख के दिनों में मुझे कोई सहायता करने वाला न भी मिले तो भी मेरा आत्मबल कम न हो। अपने आत्मबल के सहारे ही मैं अपने दुःख-ताप को पार कर जाऊँगा क्योंकि इस संसार में आत्मबल ही सबसे बड़ा बल है |
हो सकता है कि इस संसार में मुझे हानि ही उठानी पड़े, लाभ मेरे लिए मात्र एक धोखा हो। फिर भी मैं इसे अपनी हानि नहीं मानूं। इन सारी चीजों से तुम मुझे प्रतिदिन मुक्ति दो – मैं ऐसा भी नहीं चाहता। मैं तुमसे त्राण पाने की प्रार्थना नहीं करता। तुम तो मेरे ऊपर केवल इतनी कृपा करो कि मुझमें इन मुसीबतों से त्राण पाने की स्वस्थ शक्ति हो ।
अगर आप मेरे भार को कम न कर सकें, मुझे मुसीबत के दिनों में ढाढ़स भी न बंधा सकें तो भी मेरे ऊपर इतनी कृपा रखेंगे कि मैं अपने दुःख को निर्भय होकर सहन कर सकूँ। अपने सुख के दिनों में भी मैं नत सिर होकर प्रत्येक क्षण आपको स्मरण कर सकूँ।
कवि कहते हैं कि जब दुःखरूपी रात्रि में यह सारा संसार भी मुझे धोखा दे तब आपकी मेरे ऊपर कुछ ऐसी कृपा हो कि मैं आप पर संदेह न कर सकूँ। कहने का भाव यह है कि जब मेरा विश्वास इस दुनिया से उठ जाये तो भी मेरा विश्वास आपके ऊपर टिका रहे।
प्रस्तुत कविता की सबसे बड़ी विशेषता इस उद्देश्य में निहित है कि उन्होंने मानवतावाद को ईश्वरवाद के साथ जोड़कर देखा है। मनुष्य की सत्ता ईश्वर से अलग नहीं है। इसीलिए तो वे कहते हैं-
सुन हे मानुष भाई.
सवार ऊपरे मानुष सत्य
ताहार ऊपरे नाई।
प्रश्न – 8 : पठित पाठ के आधार पर रवीन्द्रनाथ ठाकुर की भक्ति-भावना पर प्रकाश डालें।
अथवा
प्रश्न- 9 : संकलित पाठ के आधार पर बताएं कि रवीन्द्रनाथ ईश्वरवादी के साथ ही साथ मानवतावादी
भी थे।
अथवा
प्रश्न – 10 : पठित पाठ के आधार पर रवीन्द्रनाथ ठाकुर की आस्थावादी विचार पर प्रकाश डालें।
अथवा
प्रश्न – 11 : ‘आत्मत्राण’ कविता के आधार पर रवीन्द्रनाथ ठाकुर की काव्यगत विशेषताओं पर
प्रकाश डालें।
अथवा
प्रश्न – 12 : ‘आत्मत्राण’ कविता में निहित संदेश को अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर : रवीन्द्रनाथ की प्रतिभा में अनेक विशेषताओं का समावेश है। यही कारण है कि उनकी कविताओं में एक ही साथ वेदान्त, वैष्णववाद, बौद्धदर्शन, सूफी मत, बाऊल सम्प्रदाय, ईसाई धर्म सभी का समन्वय मिलता है। रवीन्द्रनाथ की भक्ति-भावना की विशेषता है कि उन्होंने मानव को ईश्वर का अंश माना है। मानव और ईश्वर दोनों में एक अनंत सेतु है । और वह सेतु है – प्रेम का सेतु ।
यह बात सही है कि हमारे जीवन में ईश्वर की कृपा का होना आवश्यक है। लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि हम कर्म करना ही छोड़ दें। हमारे जीवन की सार्थकता कर्म करने में ही है।
संसार का तुच्छ से तुच्छ प्राणी भी अपने कर्म में लगा रहता है। वृक्ष अपने बल-बूते सारी आपदाओं को झेलते हुए संसार को हरियाली, फल-फूल और प्राणवायु भी देते रहते हैं। केवल प्राणी ही क्यों, सूर्य, चंद्रमा, सागर, नदी, वायु और पृथ्वी सभी अपने-अपने कर्म में लगे रहते हैं। नदी का कर्म है – रास्ते में आने वाले स्थानों को सींचते, हरियाली बाँटते हुए निरंतर बहते रहना। जीवन और प्रकृति के इन रूपों, नियमों और रहस्यों को समझ कर ही कवि ने यह संदेश चाहा है कि हमें भी ईश्वर में आस्था रखते हुए, आपदाओं को झेलते हुए अपने कर्म में लगे रहना चाहिए-
दुःख – ताप से व्यथित चित्त को न दो सांत्वना नहीं सही
पर इतना होवे करूणामय
दुख को मैं कर सकूँ सदा जय ।
कोई कहीं सहायक न मिले
तो अपना बल पौरूष न हिले।
दुःख और सुख तो मानव-जीवन के आरंभ से ही लगा हुआ है, आगे भी लगा रहेगा। यह जीवन की निश्चित सच्चाई है, परीक्षित सत्य है। सफलता प्राप्त करने की प्रेरणा लक्ष्य को हासिल करने की गहरी इच्छा-शक्ति से आती है।
रवीन्द्रनाथ ने अपने आध्यात्मिक विचारों को अपने सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ “The Religion of Man’ में विस्तारपूर्वक लिखा है। उन्होंने इसमें माना है कि मनुष्य ईश्वर का विरोध करके नहीं, उसमें आस्था व्यक्त करके ही जीवन में सफल हो सकता है। प्रस्तुत कविता का मूल संदेश भी यही है।

वस्तुनिष्ठ सह व्याख्यामूलक प्रश्नोत्तर

1. विपदाओं से मुझे बचाओ, यह मेरी प्रार्थना नहीं
केवल इतना हो करुणामय
कभी न विपदा में पाऊँ भय ।
शब्दार्थ : विपदाओं = विपत्तियों, आपदाओं। करूणामय = करूणा करने वाले, दया करने वाले, ईश्वर।
प्रश्न – 1 : रचना का नाम लिखें।
उत्तर : रचना का नाम ‘आत्मत्राण’ है।
प्रश्न – 2 : प्रस्तुत पंक्तियों का भावार्थ लिखें।
उत्तर : प्रस्तुत अंश में कविगुरू ईश्वर से यह निवेदन करते हैं कि उन्हें विपदाओं (मुसीबतों) से न बचाएं। वे उसपर इतनी कृपा करें कि जीवन में जब कभी भी विपदा आए तो उन्हें भय न हो। बे जीवन की विपदाओं का सामना बिना भय के सहज भाव से कर सकें।
काव्यगत सौंदर्य :-
1. प्रस्तुत अंश में कविगुरू की यह भावना दिखाई देती है कि मानव और ईश्वर दोनों के बीच एक अनंत सेतु है।
2. ईश्वर और मानव का संबंध रवीन्द्र-काव्य में एक अपूर्व रूप ले लेता है।
3. जीवन की विपदाओं को कविगुरू अपने बल पर झेलना चाहते हैं ।
4. रस शांत है।
5. भाषा की सहजता में आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की अनुवाद-प्रतिभा के दर्शन होते हैं।
2. दुःख – ताप से व्यथित चित्त को न दो सांत्वना नहीं सही
पर इतना होवे करुणामय
दुख को मैं कर सकूँ सदा जय।
कोई कहीं सहायक न मिले
तो अपना बल पौरूष न हिले।
शब्दार्थ : ताप = व्यथा, कष्ट। व्यथित = दुखी। चित्त = हृदय। सांत्वना = सहानुभूति । जय = विजय । सहायक = सहायता करने वाला। बल = शक्ति। पौरूष = पुरुषार्थ ।
प्रश्न – 1 : कवि का नाम लिखें।
उत्तर : कवि बंगला के प्रख्यात कवि रवीन्द्रनाथ ठाकुर हैं।
प्रश्न – 2 : प्रस्तुत अंश का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर : प्रस्तुत अंश में कविगुरू रवीन्द्रनाथ ठाकुर कहते हैं कि हे ईश्वर, यदि आप मेरे दुख-ताप से भरे हृदय को ढाढ़स न भी दें तो कोई बात नहीं, लेकिन इतनी करूणा अवश्य करें कि मैं अपने दुःखों पर विजय प्राप्त कर सकूँ। यदि दुःख के दिनों में मुझे कोई सहायता करने वाला न भी मिले तो भी मेरा आत्मबल कम न हो। अपने आत्मबल के सहारे ही मैं अपने दुःख-ताप को पार कर जाऊँगा क्योंकि इस संसार में आत्मबल ही सबसे बड़ा बल है।
काव्यगत सौंदर्य
1. प्रस्तुत अंश में कविगुरू की यह भावना दिखाई देती है कि मानव और ईश्वर दोनों के बीच एक अनंत सेतु है।
2. ईश्वर और मानव का संबंध रवीन्द्र-काव्य में एक अपूर्व रूप ले लेता है।
3. जीवन की विपदाओं को कविगुरू अपने बल पर झेलना चाहते हैं।
4. रस शांत है।
5. भाषा की सहजता में आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की अनुवाद-प्रतिभा के दर्शन होते हैं।
3. हानि उठानी पड़े जगत् में लाभ अगर वंचना रही
तो भी मन में ना मानूँ क्षय ।
मेरा त्राण करो अनुदिन तुम यह मेरी प्रार्थना
बस इतना होवे करूणामय
तरने की हो शक्ति अनामय।
शब्दार्थ : हानि = नुकसान । जगत् = दुनिया । वंचना = धोखा । क्षय = नुकसान । त्राण = रक्षा, मुक्ति। अनुदिन = प्रत्येक दिन तरने = पार होने, निकल जाने। अनामय = स्वस्थ्य ।
प्रश्न – 1.: रचना तथा रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर : रचना ‘आत्मत्राण’ है तथा रचनाकार रवीन्द्रनाथ ठाकुर हैं
प्रश्न – 2 : प्रस्तुत अंश का भावार्थ लिखें।
उत्तर : कविता के इस अंश में कविगुरू रवीन्द्रनाथ ठाकुर कहते हैं कि हो सकता है इस संसार में मुझे हानि ही उठानी पड़े, लाभ मेरे लिए मात्र एक धोखा हो। फिर भी मैं इसे अपनी हानि नहीं मानूं । इन सारी चीजों से तुम मुझे प्रतिदिन मुक्ति दो – मैं ऐसा भी नहीं चाहता। मैं तुमसे त्राण पाने की प्रार्थना नहीं करता। तुम तो मेरे ऊपर केवल इतनी कृपा करो कि मुझमें इन मुसीबतों से त्राण पाने की स्वस्थ शक्ति हो ।
काव्यगत सौंदर्य :-
1. प्रस्तुत अंश में कविगुरू की यह भावना दिखाई देती है कि मानव और ईश्वर दोनों के बीच एक अनंत सेतु है।
2. ईश्वर और मानव का संबंध रवीन्द्र-काव्य में एक अपूर्व रूप ले लेता है।
3. जीवन की विपदाओं को कविगुरू अपने बल पर झेलना चाहते हैं ।
4. रस शांत है।
5. भाषा की सहजता में आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की अनुवाद-प्रतिभा के दर्शन होते हैं।
4. मेरा भार अगर लघु करके न दो सांत्वना नहीं सही।
केवल इतना रखना अनुनय-
वहन कर सकूँ इसको निर्भय।
नत सिर होकर सुख के दिन में
तब मुख पहचानूँ छिन-छिन में।
शब्दार्थ : भार = बोझ । लघु = छोटा। सांत्वना = ढाढ़स । अनुनय = विनती, प्रार्थना । नत = झुका हुआ। छिन-छिन = क्षण-क्षण।
प्रश्न – 1 : प्रस्तुत अंश किस कविता से लिया गया है?
उत्तर : प्रस्तुत अंश ‘आत्मत्राण’ कविता से लिया गया है।
प्रश्न – 2 : प्रस्तुत अंश का भावार्थ लिखें।
उत्तर : कविता के इस अंश में कविगुरू रवीन्द्रनाथ ठाकुर कहते हैं कि हे ईश्वर ! अगर आप मेरे भार को कम न कर सकें, मुझे मुसीबत के दिनों में ढाढ़स भी न बंधा सकें तो भी मेरे ऊपर इतनी कृपा रखेंगे कि मैं अपने दुःख को निर्भय होकर सहन कर सकूँ। अपने सुख के दिनों में भी मैं नत सिर होकर प्रत्येक क्षण आपको स्मरण कर सकूँ। कहने का भाव यह है कि सुख या दुःख, दोनों ही दशा में कवि अपने साथ ईश्वर का केवल सानिध्य चाहते हैं।
काव्यगत सौंदर्य :-
1. प्रस्तुत अंश में कविगुरू की यह भावना दिखाई देती है कि मानव और ईश्वर दोनों के बीच एक अनंत सेतु है।
2. ईश्वर और मानव का संबंध रवीन्द्र-काव्य में एक अपूर्व रूप ले लेता है।
3. जीवन की विपदाओं को कविगुरू अपने बल पर झेलना चाहते हैं ।
4. स्स शांत हैं।
5. भाषा की सहजता में आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की अनुवाद-प्रतिभा के दर्शन होते हैं।
5. दुःख-रात्रि में करें वंचना मेरी जिस दिन निखिल मही
उस दिन ऐसा हो करूणामय,
तुम पर करूं नहीं कुछ संशय।।
शब्दार्थ : दुःख-रात्रि = दुःख रूपी रात्रि। वंचना= धोखा। निखिल मही= पूरी धरती/ पूरी दुनिया। संशय= शक, संदेह।
प्रश्न- 1 : प्रस्तुत अंश के रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर : प्रस्तुत अंश के रचनाकार कविगुरू रवीन्द्रनाथ ठाकुर हैं।
प्रश्न – 2 : प्रस्तुत पद्यांश का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : प्रस्तुत पद्यांश में कवि कहते हैं कि जब दुःखरूपी रात्रि में यह सारा संसार भी मुझे धोखा दे तब आपकी मेरी ऊपर कुछ ऐसी कृपा हो कि मैं आप पर संदेह न कर सकूँ। कहने का भाव यह है कि जब मेरा विश्वास इस दुनिया से उठ जाये तो भी मेरा विश्वास तुम्हारे ऊपर टिका रहे।
काव्यगत सौंदर्य :-
1. प्रस्तुत अंश में कविगुरू की यह भावना दिखाई देती है कि मानव और ईश्वर दोनों के बीच एक अनंत सेतु है।
2. ईश्वर और मानव का संबंध रवीन्द्र-काव्य में एक अपूर्व रूप ले लेता है।
3. जीवन की विपदाओं को कविगुरू अपने बल पर झेलना चाहते हैं।
4. रस शांत है।
5. भाषा की सहजता में आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की अनुवाद-प्रतिभा के दर्शन होते हैं।

अति लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर

1. दुख के समय किसी सहायक के न मिलने की स्थिति में कवि ईश्वर से क्या कामना करते हैं?
उत्तर : दुख के समय किसी सहायक के न मिलने की स्थिति में कवि ईश्वर से यह कामना करते हैं कि उनका बल-पौरूष न हिले।
2. कवि रवीन्द्रनाथ ठाकुर ‘सुख के दिन’ में परमात्मा के प्रति कैसा भाव रखते हैं ? 
उत्तर : कवि रवीन्द्रनाथ ठाकुर ‘सुख के दिन’ में परमात्मा को याद रखने का भाव रखते हैं क्योंकि अक्सर लोग सुख के दिनों में परमात्मा को भूल जाते हैं।
3. कवि रवीन्द्रनाथ ईश्वर से सहायता क्यों नहीं लेना चाहते हैं ?
उत्तर : कवि अन्य लोगों के तरह संसार के दु:खों और कष्टों का अनुभव करना चाहता है इसलिए यह नहीं चाहता कि प्रभु उसे संकट से बचा ले। वह तो वस इन कष्टों को सहन करने की शक्ति चाहता है।
4. रवीन्द्रनाथ ठाकुर के माता-पिता का नाम लिखें।
उत्तर : रवीन्द्रनाथ ठाकुर के पिता का नाम श्री देवेन्द्रनाथ ठाकुर तथा माता का नाम शारदा देवी था।
5. रवीन्द्रनाथ ठाकुर का जन्म कहाँ हुआ था?
उत्तर : कलकत्ता (कोलकाता) के जोड़ासाँको स्थित ‘प्रासादोपम भवन’ में हुआ था।
6. रवीन्द्रनाथ ठाकुर का जन्म कब हुआ था?
उत्तर : 7 मई, सन् 1861 ई० को।
7. रवीन्द्रनाथ ठाकुर की प्राथमिक शिक्षा कहाँ हुई थी?
उत्तर : रवीन्द्रनाथ ठाकुर की प्राथमिक शिक्षा घर पर ही हुई थी।
8. रवीन्द्रनाथ ठाकुर बैरिस्ट्री पढ़ने के लिए कहाँ गए थे?
उत्तर : लंदन।
9. लंदन विश्वविद्यालय में रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने किसके अधीन शिक्षा प्राप्त की?
उत्तर : प्रो० हेनरी मोर्ले के अधीन।
10. रवीन्द्रनाथ ठाकुर की मृत्यु कब हुई?
उत्तर : सन् 1941 ई० में ।
11. रवीन्द्रनाथ ठाकुर की कविताओं पर किसका प्रभाव दिखाई देता है?
उत्तर : रवीन्द्रनाथ ठाकुर की कविताओं पर एक ही साथ वेदान्त, वैष्णववाद, बौद्धदर्शन, सूफी मत, ईसाई धर्म तथा बाऊल सम्प्रदाय का प्रभाव दिखाई देता है।
12. रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने कितनी कविताएँ तथा गीत लिखे हैं?
उत्तर : रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने लगभग एक हजार कविताएँ तथा दो हजार गीत लिखे हैं।
13. रवीन्द्रनाथ ठाकुर को उनकी किस कृति के लिए नोबेल पुरस्कार मिला?
उत्तर : ‘गीताजंलि’ ।
14. रवीन्द्रनाथ ठाकुर की प्रमुख कहानी का नाम लिखें।
उत्तर : काबुलीवाला।
15. रवीन्द्रनाथ ठाकुर की प्रमुख काव्य कृत्तियों के नाम लिखें।
उत्तर : नैवेद्य, पूरबी, बलाका, क्षणिका, चित्र तथा सांध्यगीत।
16. रवीन्द्रनाथ ठाकुर द्वारा रचित उपन्यासों के नाम लिखें।
उत्तर : गोरा, घरे-बाइरे।
17. ‘आत्मत्राण’ मूल कविता किस भाषा में लिखी गयी ?
उत्तर : बंगला भाषा में।
18. ‘आत्मत्राण’ कविता का हिन्दी अनुवाद किसने किया?
उत्तर : हिन्दी के प्रसिद्ध साहित्यकार श्रद्धेय आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने।
19. ‘आत्मत्राण’ कविता किस कोटि की कविता है?
उत्तर : प्रार्थना गीत ।
20. ‘आत्मत्राण’ कविता में कवि का क्या मानना है?
उत्तर : ‘आत्मत्राण’ कविता में कवि का यह मानना है कि प्रभु में सबकुछ कर देने का सामर्थ्य है, फिर भी वे यह नहीं चाहते हैं कि वही सबकुछ कर दें।
21. ‘आत्मत्राण’ कविता के कवि की कामना क्या है?
उत्तर : ‘आत्मत्राण’ कविता के कवि की कामना यह है कि किसी भी आपद-विपद में, किसी भी द्वंद्व में सफल होने के लिए संघर्ष वह स्वयं करें, प्रभु को कुछ न करना पड़े
22. ‘आत्मत्राण’ कविता में कवि अपने प्रभु से क्या चाहता है?
उत्तर : ‘आत्मत्राण’ कविता में कवि अपने प्रभु से यह चाहते हैं कि वे उसे दु:ख के क्षणों में आत्मबल प्रदान करें ताकि वे दुःख को पार कर सके।
23. कवि प्रभु से क्या प्रार्थना नहीं करते हैं।
उत्तर : कवि प्रभु से यह प्रार्थना नहीं करता है कि वे उसे विपदाओं से बचाएँ।
24. कवि विपदा के समय प्रभु से क्या चाहते हैं?
उत्तर : कवि विपदा के समय प्रभु से यह चाहता है कि वह भय नहीं पाए।
25. कवि कब ईश्वर पर संशय न होने की प्रार्थना करता है?
उत्तर : जब पूरा संसार दु:ख के दिनों में उसकी उपेक्षा कर दे तब कवि यह कामना करता है।
26. किस कवि को ‘कविगुरू’ की उपाधि दी गई है?
उत्तर : रवीन्द्रनाथ ठाकुर को ‘कविगुरू’ की उपाधि दी गई है।
27. ‘आत्मत्राण’ कविता में कौन, किससे प्रार्थना करता है?
उत्तर : आत्मत्राण कविता में कवि रवीन्द्रनाथ ठाकुर ईश्वर से प्रार्थना करते हैं।
28. कवि किस बात का क्षय (हानि) अपने मन में नहीं मानने की प्रार्थना ईश्वर से करता है?
उत्तर : अगर कवि को इस संसार में हानि उठानी पड़े, उसे धोखा मिले फिर भी वह इस बात का क्षय अपने मन में नहीं मानने की प्रार्थना ईश्वर से करते हैं।
29. ‘आत्मत्राण’ कविता के कवि कौन हैं?
उत्तर : रवीन्द्रनाथ ठाकुर।
30. दु:ख के समय किसी सहायक के न मिलने पर कवि ईश्वर से क्या कामना करते हैं ?
उत्तर : उनका बल-पौरूष कम न हो।
31. कवि ईश्वर से दुःख के समय सांत्वना के स्थान पर क्या चाहता है ?
उत्तर : दुःख पर विजय करना चाहता है।
32. ‘आत्मत्राण’ कविता में कवि अपने प्रभु से क्या चाहता है?
उत्तर : दु:ख पर विजय पाने की शक्ति चाहता है।
33. कवि रवीन्द्र दुःख भरी रात की संभाव्यता पर ईश्वर से क्या प्रार्थना करते हैं ?
उत्तर : वे ईश्वर पर संशय (संदेह) न करें।
34. कवि किससे बचने की प्रार्थना नहीं करता ?
उत्तर : कवि विपदाओं से बचने की प्रार्थना नहीं करता।
35. ‘आत्मत्राण’ कविता में कविता किस पर विजय करने के लिए कहता है?
उत्तर : विपदाओं पर विजय करने के लिए कहता है।
36. ‘तुम पर करुं नहीं कुछ संशय’ – पद्यांश के माध्यम से कवि क्या प्रार्थना करते हैं ?
उत्तर :  दुःख रूपी रात्रि में भी वे ईश्वर पर संशय न करें।
37. कवि किससे और क्यों प्रार्थना कर रहा है ?
उत्तर : कवि ईश्वर से दु:ख पर विजय पाने की प्रार्थना कर रहा है।
38. ‘तो भी मन में न मानू क्षय’ – आशय स्पष्ट करें।
उत्तर : अगर कवि को इस संसार में हानि उठानी पड़े, धोखा मिले तो भी वह इस बात के लिए दु:ख न माने कि ईश्वर ने उसकी सहायता नहीं की।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

1. ‘आत्मत्राण’ कविता का हिन्दी अनुवाद किसने किया?
(क) राजेश जोशी
(ख) दिनकर
(ग) आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी
(घ) हरिवंश राय बच्चन
उत्तर : (ग) आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ।
2. “आत्मत्राण’ कविता के कवि कौन हैं?
(क) कबीर
(ख) पंत
(ग) रवीन्द्रनाथ ठाकुर
(घ) रघुवीर सहाय
उत्तर : (ग) रवीन्द्रनाथ ठाकुर
3. ‘आत्मत्राण’ किस विधा की रचना है?
(क) कहानी
(ख) कविता
(ग) उपन्यास
(घ) निबंध
उत्तर : (ख) कविता ।
4. रवीन्द्रनाथ ठाकुर का जन्म कब हुआ था?
(क) 7 मई 1861
(ख) 7 मई 1862
(ग) 8 मई 1863
(घ) 9 मई 1864
उत्तर : (क) 7 मई 1861 ।
5. ‘नोबेल पुरस्कार’ पाने वाले पहले भारतीय कौन हैं?
(क) सत्येन्द्र सत्यार्थी
(ख) अमर्त्य सेन
(ग) डॉ० हरगोविंद खुराना
(घ) रवीन्द्रनाथ ठाकुर
उत्तर : (घ) रवीन्द्रनाथ ठाकुर।
6. रवीन्द्रनाथ ठाकुर का जन्म कहाँ हुआ था?
(क) महिषादल
(ख) जोड़ासाँकू
(ग) रवीन्द्र सदन
(घ) रवीन्द्र सरणी
उत्तर : (ख) जोड़ासाँकू ।
7. रवीन्द्रनाथ ठाकुर के नाम से संगीत की कौन-सी धारा प्रावाहित हुई?
(क) लोक संगीत
(ख) रवीन्द्र संगीत
(ग) सुगम संगीत
(घ) बंगला संगीत
उत्तर : (ख) रवीन्द्र संगीत ।
8. रवीन्द्रनाथ की रचनाओं में किसका स्वर प्रमुख रूप से मुखरित होता है?
(क) बंगला साहित्य
(ख) इतिहास
(ग) विश्व-संस्कृति
(घ) लोक-संस्कृति
उत्तर : (घ) लोक-संस्कृति ।
9. रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने कितनी कविताएँ लिखी हैं?
(क) लगभग दो हजार
(ख) लगभग एक हजार
(ग) लगभग तीन हजार
(घ) लगभग पाँच सौ ।
उत्तर : (ख) लगभग एक हजार ।
10. रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने किस संस्था की स्थापना की?
(क) शांति निकेतन
(ख) संगीत निकेतन
(ग) नृत्य निकेतन
(घ) बाऊल निकेतन
उत्तर : (क) शांति निकेतन ।
11. रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने कितने गीत लिखे हैं?
(क) लगभग दो हजार
(ख) लगभग डेढ़ हजार
(ग) लगभग पाँच सौ
(घ) लगभग एक हजार
उत्तर : (क) लगभग दो हजार ।
12. रवीन्द्रनाथ ठाकुर को उनकी किस रचना के लिए नोबेल पुरस्कार मिला?
(क) गोरा
(ख) घरे-बाइरे
(ग) गीतांजलि
(घ) सांध्यगीत
उत्तर : (ग) गीतांजलि।
13. निम्नलिखित में से कौन-सा उपन्यास रवीन्द्रनाथ ठाकुर द्वारा रचित है?
(क) गोरा
(ख) मैला आँचल
(ग) वाणभट्ट की आत्मकथा
(घ) वीरांगना
उत्तर : (क) गोरा।
14. निम्नलिखित में से कौन-सा काव्य-संग्रह रवीन्द्रनाथ ठाकुर का नहीं है ?
(क) पल्लव
(ख) नैवेद्य
(ग) पूरबी
(घ) बलाका
उत्तर : (क) पल्लव।
15. निम्नलिखित में से कौन-सा काव्य-संग्रह रवीन्द्रनाथ ठाकुर का नहीं है?
(क) क्षणिका
(ख) चित्र
(ग) सांध्यगीत
(घ) मिलन
उत्तर : (घ) मिलन ।
16. निम्नलिखित में से कौन-सी कहानी रवीन्द्रनाथ ठाकुर की है?
(क) काबुलीवाला
(ख) नमक
(ग) उसने कहा था
(घ) सहपाठी
उत्तर : (क) काबुलीवाला ।
17. ‘घरे-बाइरे’ के रचनाकार कौन हैं?
(क) चन्द्रधर शर्मा गुलेरी
(ख) सत्यजित राय
(ग) रवीन्द्रनाथ ठाकुर
(घ) शिवमूर्ति
उत्तर : (ग) रवीन्द्रनाथ ठाकुर।
18. ‘पोस्टमास्टर’ के रचनाकार कौन हैं ?
(क) गुलेरी
(ख) प्रसाद
(ग) प्रेमचंद
(घ) रवीन्द्रनाथ ठाकुर
उत्तर : (घ) रवीन्द्रनाथ ठाकुर।
19. ‘मुन्ने की वापसी’ के लेखक कौन हैं ?
(क) रवीन्द्रनाथ ठाकुर
(ख) प्रसाद
(ग) पंत
(घ) निराला
उत्तर : (क) रवीन्द्रनाथ ठाकुर।
20. ‘मालादान’ के कहानीकार कौन हैं?
(क) प्रेमचंद
(ख) प्रसाद
(ग) निराला
(घ) रवीन्द्रनाथ ठाकुर
उत्तर : (घ) रवीन्द्रनाथ ठाकुर।
21. ‘दृष्टिदान’ किसकी रचना है ?
(क) रवीन्द्रनाथ ठाकुर
(ख) मोहन राकेश
(ग) ममता कालिया
(घ) रेणु
उत्तर : (क) रवीन्द्रनाथ ठाकुर।
22. ‘देशभक्त’ के रचनाकार कौन हैं ?
(क) प्रसाद
(ख) प्रेमचंद
(ग) महादेवी वर्मा
(घ) रवीन्द्रनाथ ठाकुर
उत्तर : (घ) रवीन्द्रनाथ ठाकुर।
23. ‘दुराशा’ के रचनाकार कौन हैं ?
(क) रवीन्द्रनाथ ठाकुर
(ख) संजीव
(ग) कृष्णा सोबती
(घ) शिवमूर्त्ति
उत्तर : (क) रवीन्द्रनाथ ठाकुर ।
24 ‘श्रद्धांजलि’ किसकी रचना है ?
(क) शिवमूर्त्ति
(ख) ग्रेजिया डेलेडा
(ग) संजीव
(घ) रवीन्द्रनाथ ठाकुर
उत्तर : (घ) रवीन्द्रनाथ ठाकुर।
25. ‘कंचन’ किसकी रचना है ?
(क) रवीन्द्रनाथ ठाकुर
(ख) सत्यजित राय
(ग) संजीव
(घ) प्रेमचंद
उत्तर : (क) रवीन्द्रनाथ ठाकुर।
26. ‘धन का मोह’ के लेखक कौन हैं ?
(क) गुलेरी
(ख) रवीन्द्रनाथ ठाकुर
(ग) अनामिका
(घ) कैलाश गौतम
उत्तर : (ख) रवीन्द्रनाथ ठाकुर।
27. ‘मणिहार’ के रचनाकार कौन हैं ?
(क) कैलाश गौतम
(ख) रघुवीर सहाय
(ग) रवीन्द्रनाथ ठाकुर
(घ) कन्हैया लाल नंदन
उत्तर : (ग) रवीन्द्रनाथ ठाकुर।
28. ‘अनाथ की दीदी’ कहानी किसने लिखा ?
(क) रवीन्द्रनाथ ठाकुर
(ख) प्रेमचंद
(ग) ऋतुराज
(घ) यतीन्द्र मिश्र
उत्तर : (क) रवीन्द्रनाथ ठाकुर।
29. ‘सुभाषिणी’ किसकी रचना है ?
(क) प्रेमचंद
(ख) प्रसाद
(ग) अनामिका
(घ) रवीन्द्रनाथ ठाकुर
उत्तर : (घ) रवीन्द्रनाथ ठाकुर।
30. ‘वंशज-दान’ कहानी किसने लिखा।
(क) यतीनछू मिश्र
(ख) रवीन्द्रनाथ ठाकुर
(ग) राम दरश मिश्र
(घ) यतीन्द्र मिश्र
उत्तर : (ख) रवीन्द्रनाथ ठाकुर।
31. ‘नए ज़माने की हवा’ किसकी रचना है ?
(क) प्रेमचंद
(ख) गुलेरी
(ग) रवीन्द्रनाथ ठाकुर
(घ) यतीन्द्र मिश्र
उत्तर : (ग) रवीन्द्रनाथ ठाकुर।
32. ‘छुट्टियों का इंतजार’ के रचनाकार कौन हैं ?
(क) राजेश जोशी
(ख) रवीन्द्र कालिया
(ग) रवीन्द्रनाथ ठाकुर
(घ) प्रेमचंद
उत्तर : (ग) रवीन्द्रनाथ ठाकुर।
33. ‘हेमू’ कहानी के कहानीकार कौन हैं ?
(क) निराला
(ख) प्रसाद
(ग) प्रेमचंद
(घ) रवीन्द्रनाथ ठाकुर
उत्तर : (घ) रवीन्द्रनाथ ठाकुर।
34. ‘आत्मत्राण’ मूल कविता किस भाषा में लिखी गई?
(क) हिन्दी
(ख) बंगला
(ग) संस्कृत
(घ) मराठी
उत्तर : (ख) बंगला।
35. ‘आत्मत्राण’ में किससे प्रार्थना की गई है?
(क) स्वयं से
(ख) कवि से
(ग) ईश्वर से
(घ) राजा से
उत्तर : (ग) ईश्वर से ।
36. कवि किस पर जय पाने की कामना करते हैं?
(क) शत्रु पर
(ख) स्वयं पर
(ग) दुःख पर
(घ) सुख पर
उत्तर : (ग) दुःख पर।
37. कविगुरू की प्रार्थना है कि-
(क) प्रभु कुछ भी कर सकते हैं
(ख) प्रभु सबकुछ कर दें
(ग) प्रभु अपनी कृपा बनाए रखें
(घ) प्रभु कवि के लिए संघर्ष करें
उत्तर : (ग) प्रभु अपनी कृपा बनाए रखें।
38. रवीन्द्रनाथ ठाकुर अपने प्रभु से क्या चाहते हैं?
(क) उनपर ईश्वर की कृपा बनी रहे
(ख) प्रभु उनके लिए सबकुछ कर दें
(ग) प्रभु उनके लिए कुछ न करें
(घ) प्रभु उन्हें लाभ पहुँचायें
उत्तर : (क) उनपर ईश्वर की कृपा बनी रहे ।
39. कवि किस पर संशय न करने की प्रार्थना करते हैं?
(क) स्वयं पर
(ख) दुख पर
(ग) ईश्वर पर
(घ) निखिल मही पर
उत्तर : (ग) ईश्वर पर ।
40. कवि किसके त्राण की बात करते हैं?
(क) स्वयं की
(ख) विश्व की
(ग) दुःख की
(घ) रात्रि की
उत्तर : (घ) स्वयं की ।
41. ‘आत्मत्राण’ कविता में दुःख की तुलना किससे की गई है?
(क) दिन से
(ख) रात्रि से
(ग) वंचना से
(घ) लाभ से
उत्तर : (ख) रात्रि से ।
42. ‘आत्मत्राण’ कविता में कवि किस पर जय करने के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते हैं ?
(क) निखिल मही पर
(ख) भार पर
(ग) दुखरूपी रात्रि पर
(घ) अपने-आप पर
उत्तर : (ग) दुखरूपी रात्रि पर।
43. कवि किससे बचाने की प्रार्थना करते हैं ?
(क) विपदा
(ख) आपदा
(ग) भय
(घ) लोभ
उत्तर : (क) विपदा ।
44. कवि किसे जय करने की बात करते हैं ?
(क) सहायक
(ख) बल
(ग) पौरुष
(घ) दुःख
उत्तर : (घ) दुःख ।
45. कवि ने दुःख की तुलना किससे की है ?
(क) पर्वत
(ख) त्राण
(ग) रात्रि
(घ) वंचना
उत्तर : (ग) रात्रि ।
46. ‘आत्मत्राण’ शीर्षक कविता मूलत: किस भाषा में रचित है?
(क) भोजपुरी
(ख) अवधी
(ग) ब्रजभाषा
(घ) बंग्ला
उत्तर : (घ) बंग्ला।
47. ‘आत्मत्राण’ कविता में ‘करुणामय’ किसे कहा गया है ?
(क) कवि को
(ख) ईश्वर को
(ग) वृक्ष को
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर : (ख) ईश्वर को।
48. ‘आत्मत्राण’ कविता में कवि किससे कभी भय नहीं पाना चाहता है ?
(क) क्रोध से
(ख) लोभ से
(ग) छल से
(घ) विपदा से
उत्तर : (घ) विपदा से।

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