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WBBSE 10th Class Hindi Solutions Chapter 2 कर्मनाशा की हार

WBBSE 10th Class Hindi Solutions Chapter 2 कर्मनाशा की हार

West Bengal Board 10th Class Hindi Solutions Chapter 2 कर्मनाशा की हार

West Bengal Board 10th Hindi Solutions

लेखक-परिचय

डॉ० शिवप्रसाद सिंह का जन्म सन् 1929 में वाराणसी के एक जमींदार परिवार में हुआ था । शिक्षा वाराणसी में ही हुई । आगे चलकर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के विभागाध्यक्ष के पद पर आसीन हुए । इनकी पहली कहानी ‘दादी माँ’ सन् 1951 में ‘प्रतीक’ पत्रिका में प्रकाशित हुई थी । गाँव के प्रति इनके मन में जो लगाव है वह इनकी कहानियों में देखा जा सकता है ।
डॉ० शिव प्रसाद सिंह की रचनाओं का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है –
कहानी-संग्रह – कर्मनाशा ही हार, आर-पार की माला, इन्हें भी इंतजार है, राग गूजरी, भेदिए ।
उपन्यास – अलग-अलग वैतरणी, गली आगे मुड़ती है, नीला चाँद ।
नाटक – घाटियाँ गूंजती हैं ।
निबंध-संग्रह – शिखरों के सेतु, कस्तूरी मृग, चतुर्दिक ।
चर्चित कहानियाँ – दादी माँ, आर-पार की माला, पापजीवी, नन्हों, कर्मनाशा की हार, इन्हें भी इंतजार है तथा बिंदा महाराज ।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न – 1 : ‘कर्मनाशा की हार’ कहानी में किन समस्याओं को उजागर किया गया है ?
अथवा
प्रश्न – 2 : ‘कर्मनाशा की हार’ कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखें ।
अथवा
प्रश्न – 3 : ‘कर्मनाशा की हार’ कहानी के माध्यम से कहानीकार ने हमें क्या संदेश देना चाहा है ? यह कहानी आज के समय में कितनी उपयुक्त सिद्ध होती है ?
अथवा
प्रश्न – 4 : ‘कर्मनाशा की हार’ कहानी के उद्देश्य को लिखें ।
उत्तर : ‘कर्मनाशा की हार’ शिव प्रसाद सिंह की एक चर्चित कहानी है। इस कहानी में लेखक ने सामाजिक अंधविश्वास तथा कुरीतियों पर चोट करते हुए मानवतावाद की स्थापना करना चाहा है।
‘कर्मनाशा की हार’ में एक निम्न जाति की लड़की फुलमती और ब्राह्मण युवक कुलदीप के प्रेम की कहानी है। कुलदीप के बड़े भाई भैरो पाण्डे ने कुलदीप को अपने पुत्र की तरह पाला है। वे इन दोनों के प्रेम संबंधों के बारे में जानकर मन ही मन कुढ़ते रहते हैं लेकिन पितृवत प्रेम के कारण खुलकर कुछ कह नहीं पाते। गाँव भी इस संबंध में फुसफुसाता है, ग्रामीण औरतों की जुबान पर भी इस प्रेम-संबंध की चर्चा है। एक तरफ़ गाँव वालों का विरोध है तथा दूसरी ओर उच्च वर्ण की मार्यादा तथा तीसरी ओर भाई के प्रति प्रेम – भैरो इस त्रिकोण में फंस कर कुछ निर्णय नहीं ले पाते। फुलमती जब अविवाहिता की स्थिति में कुलदीप के बच्चे को जन्म देती है तो सारा गाँव विरोध में उठ खड़ा होता है।
कर्मनाशा नदी में आई प्रलयकारी बाढ़ तथा इससे होनेवाले गाँव के नुकसान के लिए सभी फुलमती को ही दोषी ठहराते हैं। गाँववाले यह निर्णय लेते हैं कि फुलमती के नवजात शिशु को कर्मनाशा की बलि दे दिया जाय। ऐसा करके ही कर्मनाशा के कोप से बचा जा सकता है। तभी भैरो पाण्डे आगे बढ़कर पूरे गाँव तथा मुखिया का विरोध करते हुए फुलमती और उसके बच्चे को अपना लेते हैं —
“मैं आपके समाज को कर्मनाशा से कम नहीं समझता। किन्तु, मैं एक-एक पाप गिनाने लगूँ तो यहाँ खड़े सारे लोगों को परिवार समेत कर्मनाशा के पेट में जाना पड़ेगा …….. है कोई तैयार जाने को …….?”
इस पूरी कहानी में सामाजिक परिवेश के चित्रण के साथ-साथ विपरीत परिस्थितियों में व्यक्ति की प्रधानता दिखाई गई है। इसमें जीवन तथा मानवीयता के सौंदर्य की झलक है। इस कहानी के माध्यम से कहानीकार ने मानव-मात्र के प्रति करुणा और प्रेम का संदेश देना चाहा है तथा अंधविश्वास से भैरो पाण्डे का अस्वीकार करना कहानी को आधुनिक बनाता है।
प्रश्न- 5: ‘कर्मनाशा की हार’ कहानी के प्रमुख पात्र का चरित्र-चित्रण करें ।
अथवा
प्रश्न – 6 : ‘कर्मनाशा की हार’ कहानी के भैरो पाण्डे की चारित्रिक विशेषताओं को लिखें ।
अथवा
प्रश्न – 7 : ‘कर्मनाशा की हार’ कहानी के भैरो पाण्डे की चरित्र-चित्रण करें ।
उत्तर : ‘कर्मनाशा की हार’ डॉ० शिव प्रसाद सिंह की बहुचर्चित कहानी है। भैरो पाण्डे इस कहानी का प्रमुख पात्र है तथा इसने मुझे काफी प्रभावित किया है । भैरो पाण्डे की चारित्रिक विशेषताओं को इन शीषर्कों के अंतर्गत देखा जा सकता है –
(क) आदर्श भाई-छोटे भाई कुलदीप के जन्म के कुछ समय बाद ही माता-पिता इस दुनिया से चल बसे। दो साल के कुलदीप का लालन-पालन भैरो पाण्डे ने पिता की तरह किया । भैरो पाण्डे फुलमतिया के साथ कुलदीप के प्रेम-प्रसंग से मन ही मन नाराज हैं लेकिन पितृवत स्नेह के कारण कुछ कह नहीं पाते ।
(ख) स्नेह, संस्कार, सामाजिक वर्जना तथा कर्त्तव्य के बीच द्वंद्व – एक तरफ भाई के प्रति स्नेह का अपार संचार, दूसरी तरफ संस्कार तथा सामाजिक वर्जनाएँ – भैरों पाण्डे लगातार इस द्वन्द्व से गुजरते रहते हैं तथा कुछ निर्णय नहीं ले पाते हैं।
(ग) अंधविश्वास के विरोधी एवं साहसी – सारा गाँव फुलमतिया के गर्भ से पैदा होने वाले नवजात शिशु को कर्मनाशा की बलि देना चाहता है। उनका ऐसा विश्वास है कि ऐसा करने से बाढ़ से रक्षा होगी। ऐसे समय भैरो पाण्डे अंधविश्वास को नकारते हुए फुलमतिया और उसके बच्चे को आगे बढ़कर साहस के साथ स्वीकार कर लेते हैं।
(घ) मानव-धर्म तथा आधुनिकता का पुजारी – भैरो पाण्डे में मानव-मात्र के प्रति करुणा है । अंधविश्वास का विरोध करना ही भैरो पाण्डे को आधुनिक बनाता है तथा इस कहानी को भी ।
इस प्रकार हम यह कह सकते हैं कि भैरो पाण्डे का चरित्र एक आदर्श चरित्र है। उसका चरित्र उस आम आदमी का चरित्र है जो अंधविश्वास, उपेक्षा, विवशता आदि के नीचे पिसता हुआ भी अपने सामाजिक तथा व्यक्तिगत हित के लिए लड़ता है तथा संघर्ष के बाद विजयी भी होता है।

लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर

1. ‘कर्मनाशा की हार’ के रचनाकार कौन हैं ?
उत्तर : डॉ० शिवप्रसाद सिंह ।
2. डॉ० शिव प्रसाद सिंह का जन्म कब और कहाँ हुआ था ?
उत्तर : सन् 1929 में वाराणसी में ।
3. डॉ० शिव प्रसाद सिंह ने उच्च शिक्षा कहाँ से प्राप्त की?
उत्तर : काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से ।
4. डॉ० शिव प्रसाद सिंह किस विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के विभागाध्यक्ष थे?
उत्तर : काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के ।
5. डॉ० शिव प्रसाद सिंह की प्रथम कहानी का नाम लिखें।
उत्तर : ‘दादी माँ’ ।
6. डॉ० शिव प्रसाद सिंह की पहली रचना कब और किसमें प्रकाशित हुई थी ?
उत्तर : सन् 1951 में ‘प्रतीक’ में।
7. ‘आर-पार की माला’ (कहानी-संग्रह) के रचनाकार कौन हैं ?
उत्तर : डॉ० शिवप्रसाद सिंह ।
8. ‘इन्हें भी इंतजार है’ (कहानी-संग्रह) के रचनाकार कौन हैं ?
उत्तर : डॉ० शिवप्रसाद सिंह।
9. ‘राग गूजरी’ (कहानी-संग्रह) के रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर : डॉ० शिवप्रसाद सिंह।
10. ‘भेदिए’ (कहानी-संग्रह) के रचनाकार कौन हैं ?
उत्तर : डॉ० शिवप्रसाद सिंह।
11. ‘अलग-अलग वैतरणी’ (उपन्यास) के लेखक का नाम लिखें।
उत्तर : डॉ० शिवप्रसाद सिंह।
12. ‘गली आगे मुड़ती है’ (उपन्यास) के रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर : डॉ० शिवप्रसाद सिंह।
13. ‘नीला चाँद’ (उपन्यास) के लेखक कौन हैं ?
उत्तर : डॉ० शिवप्रसाद सिंह।
14. डॉ० शिव प्रसाद सिंह को उनके किस उपन्यास पर साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त हुआ?
उत्तर : ‘नीला चाँद ।’
15. डॉ० शिव प्रसाद सिंह के लोकप्रिय नाटक का नाम लिखें।
उत्तर : ‘घाटियाँ गूंजती हैं।’
16. ‘शिखरों के सेतु’ (निबंध-संग्रह) के निबंधकार कौन हैं ?
उत्तर : डॉ० शिवप्रसाद सिंह ।
17. ‘कस्तूरी मृग’ (निबंध-संग्रह) के रचनाकार कौन हैं ?
उत्तर : डॉ० शिवप्रसाद सिंह ।
18. ‘चतुर्दिक’ (निबंध-संग्रह) के रचनाकार कौन हैं?
उत्तर : डॉ० शिवप्रसाद सिंह ।
19. ‘विद्यापति’ (आलोचनात्मक लेख) के रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर : डॉ० शिवप्रसाद सिंह ।
20. ‘आधुनिक परिवेश और नवलेखन’ (आलोचनात्मक लेख) के रचनाकार कौन हैं?
उत्तर : डॉ० शिवप्रसाद सिंह ।
21. ‘आधुनिक परिवेश और अस्तित्ववाद’ (आलोचनात्मक लेख) के लेखक कौन हैं ?
उत्तर : डॉ० शिवप्रसाद सिंह ।
22. ‘उत्तरयोगी श्री अरविंद’ (जीवनी) के रचनाकार कौन हैं ?
उत्तर : डॉ० शिवप्रसाद सिंह ।
23. कर्मनाशा किसका नाम है?
उत्तर : नदी का ।
24. कर्मनाशा के बारे में लोगों का क्या विश्वास प्रचलित था ?
उत्तर : यदि एक बार कर्मनाशा बढ़ आए तो बिना मनुष्य की बलि लिए लौटती नहीं।
25. नई डीहवालों को किसका खौफ नहीं था, क्यों?
उत्तर : नई डीहवालों को कर्मनाशा नदी का खौफ नहीं था क्योंकि वे थोड़ी ऊँचाई पर बसे हुए थे ।
26. कर्मनाशा में बाढ़ आने पर नई डीहवाले क्या करते थे ?
उत्तर : मुखिया जी के दरवाजे पर इकट्ठा होकर कजली सावन की ताल पर ढोलकों पर थाप देते ।
27. क्या देखकर नई डीहवालों में होलदिली (घबड़ाहट) छा गई ?
उत्तर : ऊँचे बसे गाँव के किनारे पर कर्मनाशा धारा लगातार टक्कर मार रही थी, बड़े-बड़े पेड़ जड़-मूल के साथ नदी के पेट में समा रहे थे। यह प्रलय का संदेश था।
28. किस गाँव के लोग चूहेदानी में फँसे चूहों की तरह भय से दौड़-धूप कर रहे थे ?
उत्तर : नईडीह गाँव के लोग।
29. किस गाँव के लोगों के चेहरे पर मुर्दानी छा गई थी ?
उत्तर : नईडीह गाँव के लोगों के चेहरे पर।
30. दीनापुर के सोखा (भगत) ने क्या भविष्यवाणी की थी ?
उत्तर : इतना पानी गिरेगा कि तीन घड़े भर जाएँगे, आदमी-मवेशी की क्षय (नुकसान) होगी, चारों ओर हाहाकर मच जाएगा।
31. कुएँ की जगत से बाल्टी सहित घबड़ाकर कौन नीचे कूद पड़ा?
उत्तर : जागेसर पाण्डे ।
32. “परलय न होगी, तो क्या बरक्कत होगी?” – वक्ता कौन है?
उत्तर : धनेसरा चाची।
33. उसकी माई कैसी सतवन्ती बनती थी – ‘उसकी माई’ से कौन संकेतित है ?
उत्तर : फुलमतिया की माई (माँ) ।
34. लोगों को परलय (प्रलय) की सूचना किसने दी ?
उत्तर : धनेसरा चाची ने।
35. विचित्र दृश्य है – वक्ता कौन है?
उत्तर : भैरो पाण्डे ।
36. भैरो पाण्डे के दादा कौन थे ?
उत्तर : भैरो पाण्डे के दादा गाँव के नामी पंडित थे। उनका ऐसा प्रभाव था कि कोई किसी को सताने की हिम्मत नहीं करता था।
37. मुट्ठी में बंद जुगनू हाथ के बाहर निकल गया – गद्यांश किस पाठ से लिया गया है ?
उत्तर : कर्मनाशा की हार से।
38. नईडीह गाँव का कौन-सा व्यक्ति पैर से पंगु है ?
उत्तर : भैरो पाण्डे ।
39. भैरो पाण्डे की दिनचर्चा क्या थी?
उत्तर : भैरो पाण्डे दिन-भर बरामदे में बैठकर रूई से बिनौले (बीज) निकालते, तूमते (धुनते), सूत तैयार करते और अपनी तकली नचा-नचाकर जनेऊ बनाते, जजमानी चलाते, पत्रा देखते एवं सत्यनारायण की कथा बाँच देते।
40. फुलमतिया के तुलसी-चौरे पर सिर रखकर प्रार्थना करते देख भैरो पाण्डे को किसकी याद आती है?
उत्तर : अपनी माँ की याद आती है।
41. किसके रूख से फुलमतिया सशंकित हो गई थी?
उत्तर : भैरो पाण्डे के रूख से ।
42. कुलच्छनी अब क्या चाहती है – गद्यांश किस पाठ से लिया गया है?
उत्तर : कर्मनाशा की हार ।
43. फुलमतिया किसकी बेटी है ?
उत्तर : टीमल मल्लाह की।
44. यह कबूतर की तरह मुँह फुलाए बैठा रहता है – ‘यह’ कौन है ?
उत्तर : भैरो पाण्डे का छोटा भाई कुलदीप ।
45. मुखिया जी की बेटी की शादी में कहाँ की बाई नाचने आई थी ?
उत्तर : बनारस की ।
46. मुखिया की बेटी की शादी के दिन गाँववालों में किसकी होड़ लग गई ?
उत्तर : बनने-सँवरने की ।
47. मुखिया की बेटी की शादी में आई बाई ने कौन-सा गीत गया?
उत्तर : नीच ऊँच कुछ बूझत नाहीं, मैं हारी समझाय
  ये दोनों नैना बड़े बेदरदी दिल में गड़ि गए हाय।
48. आशय स्पष्ट करें –
नीच ऊँच कुछ बूझत नाहीं, मैं हारी समझाय।
ये दोनों नैना बड़े बेदरदी दिल में गड़ि गए हाय।
उत्तर : मेरे ये दोनों नैना बड़े बेदर्द हैं। मैं इन्हें समझा कर हार गई लेकिन ये नीच-ऊँच की बातें कुछ समझते ही नहीं, मेरे दिल में गड़ गए हैं।
49. “किंतु मैं कायर नहीं हूँ” – पंक्ति किस पाठ से उद्धृत है?
उत्तर : ‘कर्मनाशा की हार’ से।
50. “झूठे, पेट में दर्द था कि आँख में” – वक्ता और श्रोता का नाम लिखें।
उत्तर : वक्ता भैरो पाण्डे हैं तथा श्रोता कुलदीप है।
51. अच्छे घर में जन्म लेने से कोई बहुत बड़ा नहीं हो जाता – प्रस्तुत गद्यांश किस पाठ से लिया गया है ?
उत्तर : कर्मनाशा की हार ।
52. “आँसुओं में जो पश्चाताप उमड़ता है, वह दिल की कलौंज (कलिमा) को मांज (चमका) डालता है” – प्रस्तुत गद्यांश किस पाठ से उद्धृत है ?
उत्तर : कर्मनाशा की हार।
53. “तुम मुझे मंझधार में लाकर छोड़ तो नहीं दोगे” – वक्ता का नाम लिखें।
उत्तर : टीमल मल्लाह की बेटी फुलमतिया।
54. “तुम गलत रास्ते पर पाँव रख रहे हो बेटा” – वक्ता कौन है ?
उत्तर : भैरो पाण्डे ।
55. “काश, फुलमत अपनी ही जाति की होती” – वक्ता कौन है ?
उत्तर : भैरो पाण्डे ।
56. “कितना अच्छा होता, वह विधवा न होती” – किसके बारे में कौन कह रहा है?
उत्तर : भैरो पाण्डे फुलमतिया के बारे में कह रहे हैं।
57. “तू मेरी हत्या करने पर ही तुल गया है” – वक्ता कौन है?
उत्तर : भैरो पाण्डे ।
58. “इतने निर्लज्ज हो तुम दोनों” – दोनों से कौन संकेतित हैं ?
उत्तर : भैरो पाण्डे का भाई कुलदीप और टीमल मल्लाह की बेटी फुलमतिया।
59. “मोहे जोगिनी बनाके कहाँ गइले रे जोगिया” – किस पाठ से लिया गया है?
उत्तर : कर्मनाशा की हार।
60. “उसने पाप किया है’ – ‘उसने’ से कौन संकेतित है ?
उत्तर : फुलमति ।
61. “बोतल की टीप खुल गई थी” – पंक्ति किस पाठ से ली गई है?
उत्तर : कर्मनाशा की हार।
62. “वह बहू-बच्चे को छोड़कर भाग सकता है” – ‘वह’ कौन है?
उत्तर : कुलदीप।
63. “वह बहू-बच्चे को छोड़कर भाग सकता है” – वक्ता कौन है ?
उत्तर : भैरो पाण्डे ।
64. “मैं आपके समाज को कर्मनाशा से कम नहीं समझता” – वक्ता कौन है?
उत्तर : भैरो पाण्डे ।
65. “यहाँ खड़े सारे लोगों को परिवार समेत कर्मनाशा के पेट में जाना पड़ेगा” – वक्ता कौन है ?
उत्तर : भैरो पाण्डे ।
66. पत्थर की विशाल मूर्त्ति की तरह उन्नत प्रशस्त, अटल” – किसके बारे में कहा गया है?
उत्तर : भैरो पाण्डे के बारे में।
67. “किन्तु मैं कायर नहीं हूँ” – वक्ता कौन है?
उत्तर : भैरो पाण्डे।
68. ‘कर्मनाशा की हार’ कहानी में लेखक ने किस पर चोट किया है ?
उत्तर : अंधविश्वास पर चोट किया है।
69. “एक के पाप के लिए सारे गाँव को मौत के मुँह में नहीं झोंक सकते” – वक्ता कौन है?
उत्तर : नईडीह गाँव का मुखिया ।
70. “उसकी माँ का कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता है” – किस पाठ से उद्धृत है तथा वक्ता कौन है ?
उत्तर : ‘कर्मनाशा की हार’ पाठ से उद्धृत है तथा वक्ता भैरो पाण्डे हैं।
71. “बढ़ी नदी का हौसला कम न हुआ” – किस नदी का हौसला कम नहीं हुआ?
उत्तर : कर्मनाशा नदी।
72. किसके गीतों की कड़ियाँ मुरझाकर होठों से पपड़ी की तरह छा गई?
उत्तर : नईडीह गाँव के लोगों की।
73. कौन लोग कर्मनाशा के उग्र रूप से काँप उठे?
उत्तर : नईडीह गाँव के लोग।
74. पिछले साल कर्मनाशा को लोगों ने कैसे शांत किया था ?
उत्तर : पूजा-पाठ कराकर ।
75. नईडीह गाँव कहाँ बसा हुआ था?
उत्तर : ऊँचे अरार (भूमि) पर।
76. नईडीह गाँव के लोगों के चेहरे पर मुर्दानी क्यों छा गई थीं?
उत्तर : कर्मनाशा नदी का प्रलयंकारी रूप देखकर।
77. “कल दीनापुर में कड़ाह चढ़ा था पाण्डे जी” – वक्ता कौन है?
उत्तर : ईसुर भगत ।
78. ईसुर भगत ने अपनी बात का विश्वास दिलाने के लिए किसकी सरन (कसम) खाई ?
उत्तर : काशीनाथ की।
79. “कुतिया ने पाप किया, गाँव के सिर बीता” – वक्ता कौन है?
उत्तर : धनेसरा चाची।
80. “मौत का ऐसा भयंकर स्वप्न भी शायद ही किसी ने देखा था” – गद्यांश किस पाठ से लिया गया है?
उत्तर : कर्मनाशा की हार।
81. भौरे पाण्डे के माध्यम से लेखक ने किस अंधविश्वास को तोड़ा है ?
उत्तर : इस अंधविश्वास को तोड़ा है कि कर्मनाशा बलि चाहती है। ·
82. ‘कर्मनाशा की हार’ किस कोटि की कहानी है?
उत्तर : ‘कर्मनाशा की हार’ भारतीय ग्रामीण परिवेश की मर्मस्पर्शी कहानी है।
83. डॉ० शिवप्रसाद सिंह की अधिकांश कहानियों का उद्देश्य क्या रहा है?
उत्तर : सामाजिक विसंगतियों तथा अंधविश्वासों पर प्रहार करना ।
84. डॉ० शिवप्रसाद सिंह की बहुचर्चित कहानी का नाम लिखें।
उत्तर : कर्मनाशा की हार।
85. गाँव का सारा आतंक, भय, पाप किसके पीछे कुत्ते की तरह दुम दबाए चले जा रहे थे ?
उत्तर : कर्मनाशा के प्रकोप से बचने के लिए ।
86. कर्मनाशा को बलि क्यों चढ़ाई जाती थी ?
उत्तर : धनेसरा चाची के पीछे।
87. ‘कर्मनाशा की हार’ कहानी में किस गाँव का उल्लेख हुआ है ?
उत्तर : नईडीह गाँव का।
88. ‘कर्मनाशा की हार’ में कर्मनाशा क्या है ?
उत्तर : एक नदी ।
89. ‘कर्मनाशा की हार’ कहानी किस विषय पर आधारित है ?
उत्तर : लोगों के अंधविश्वास पर आधारित है।
90. भैरो पाण्डे बैशाखी के सहारे अपनी बखरी के दरवाजे पर खड़े क्या देख रहे थे ?
उत्तर : बाढ़ के पानी का जोर देख रहे थे ।
91. भैरो पाण्डे दिन भर बरामदे में बैठकर क्या करते थे ?
उत्तर : रुई से बिनौले निकालते, तूमते, सूत तैयार करते, तकली चलाकर जनेऊ बनाते, जजमानी चलाते, पत्रा देखते थे ।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

1. ‘कर्मनाशा की हार’ के लेखक हैं:
(क) फणीश्वर नाथ रेणु
(ख) मन्नू भंडारी
(ग) शेखर जोशी
(घ) डॉ० शिव प्रसाद सिंह
उत्तर : (घ) डॉ० शिव प्रसाद सिंह ।
2. डॉ० शिवप्रसाद सिंह की पहली कहानी है?
(क) आर-पार की माला
(ख) कर्मनाशा की हार
(ग) दादी माँ
(घ) भेदिए
उत्तर : (ग) दादी माँ ।
3. डॉ० शिवप्रसाद सिंह की पहली कहानी किसमें प्रकाशित हुई?
(क) प्रतीक में
(ख) चंदा मामा में
(ग) सारिका में
(घ) धर्मयुग में
उत्तर : (क) प्रतीक में।
4. ‘आर-पार की माला’ (कहानी-संग्रह) के रचनाकार हैं:
(क) शेखर जोशी
(ख) मन्नू भंडारी
(ग) प्रेमचंद
(घ) डॉ० शिव प्रसाद सिंह
उत्तर : (घ) डॉ० शिवप्रसाद सिंह ।
5. ‘इन्हें भी इंतजार है’ (कहानी-संग्रह) के रचनाकार हैं:
(क) ममता कालिया
(ख) डॉ० शिवप्रसाद सिंह
(ग) रेणु
(घ) अमरकांत
उत्तर : (ख) डॉ० शिवप्रसाद सिंह ।
6. ‘राग गूजरी’ (कहानी-संग्रह) के रचनाकार हैं :
(क) डॉ० शिवप्रसाद सिंह
(ख) अमरकांत
(ग) ममता कालिया
(घ) मन्नू भंडारी
उत्तर : (क) डॉ० शिवप्रसाद सिंह।
7. ‘भेदिए’ (कहानी-संग्रह) के लेखक हैं :
(क) ममता कालिया
(ख) मन्नू भंडारी
(ग) अमरकांत
(घ) डॉ० शिवप्रसाद सिंह
उत्तर : (घ) डॉ० शिवप्रसाद सिंह ।
8. ‘अलग-अगल वैतरणी’ (उपन्यास) किसकी रचना है?
(क) अमरकांत की
(ख) डॉ० शिवप्रसाद सिंह की
(ग) ममता कालिया की
(घ) निराला की
उत्तर : (ख) डॉ० शिवप्रसाद सिंह की ।
9. ‘गली आगे मुड़ती है’ (उपन्यास) के लेखक हैं?
(क) नागार्जुन
(ख) मोहन राकेश
(ग) डॉ० शिव प्रसाद सिंह
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर : (ग) डॉ० शिवप्रसाद सिंह ।
10. ‘नीला-चाँद’ (उपन्यास) किसकी रचना है?
(क) नागार्जुन की
(ख) प्रसाद की
(ग) मोहन राकेश की
(घ) डॉ० शिव प्रसाद सिंह की
उत्तर : (घ) डॉ० शिवप्रसाद सिंह की।
11. निम्न में से शिव प्रसाद सिंह का लोकप्रिय नाटक कौन-सा है?
(क) आधे-अधूरे
(ख) घाटियाँ गूंजती हैं
(ग) परदा गिराओ परदा उठाओ
(घ) लहरों के राजहंस
उत्तर : (ख) घाटियाँ गूंजती हैं।
12. ‘शिखरों के सेतु’ के निबंधकार हैं :
(क) हज़ारी प्रसाद द्विवेदी
(ख) रामचंद्र शुक्ल
(ग) डॉ० शिवप्रसाद सिंह
(घ) प्रेमचंद
उत्तर : (ग) डॉ० शिवप्रसाद सिंह ।
13. ‘कस्तूरी मृग’ के निबंधकार हैं :
(क) डॉ० शिवप्रसाद सिंह
(ख) ममता कालिया
(ग) मन्नू भंडारी
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर : (क) डॉ० शिवप्रसाद सिंह ।
14. ‘चतुर्दिक’ के निबंधकार कौन हैं?
(क) मन्नू भंडारी
(ख) निराला
(ग) पंत
(घ) डॉ० शिवप्रसाद सिंह
उत्तर : (घ) डॉ० शिवप्रसाद सिंह ।
15. डॉ० शिवप्रसाद सिंह द्वारा लिखित जीवनी का नाम है :
(क) कर्मयोगी
(ख) उत्तरयोगी श्री अरविंद
(ग) महात्मा कबीर
(घ) महात्मा शेखसादी
उत्तर : (ख) उत्तरयोगी श्री अरविंद ।
16. ‘आधुनिक परिवेश और अस्तित्ववाद’ (आलोचनात्मक लेख) किसकी रचना है?
(क) डॉ० नगेन्द्र की
(ख) पंत की
(ग) डॉ० शिवप्रसाद सिंह की
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर : (ग) डॉ० शिवप्रसाद सिंह की ।
17. ‘आधुनिक परिवेश और नवलेखन’ (आलोचनात्मक लेख) के लेखक हैं?
(क) प्रेमचंद
(ख) डॉ० शिवप्रसाद सिंह
(ग) निराला
(घ) नागार्जुन
उत्तर : (ख) डॉ० शिवप्रसाद सिंह ।
18. डॉ० शिवप्रसाद सिंह की कौन-सी कहानी चरित्र प्रधान कहानी है?
(क) कर्मनाशा की हार
(ख) आर-पार की माला
(ग) भेदिए
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर : (क) कर्मनाशा की हार ।
19. नईडीह वालों को किसका खौफ नहीं था ?
(क) मुखिया का
(ख) भैरो पाण्डे का
(ग) कर्मनाशा का
(घ) ईसुर भगत का
उत्तर : (ग) कर्मनाशा का।
20. निम्नलिखित में कौन ‘कर्मनाशा की हार’ का पात्र नहीं है?
(क) हिरामन
(ख) ईसुर भगत
(ग) मुखिया
(घ) कुलदीप
उत्तर : (क) हिरामन ।
21. ‘कर्मनाशा की हार’ में नईडीह के अलावे अन्य किस गाँव का नाम आया है?
(क) फारबिसगंज
(ख) ननकपुर
(ग) छत्तरपुर
(घ) दीनापुर
उत्तर : (घ) दीनापुर ।
22. धनेसरा चाची किस कहानी की पात्र है?
(क) तीसरी कसम
(ख) कर्मनाशा की हार
(ग) नमक
(घ) त्रिशंकु
उत्तर : (ख) कर्मनाशा की हार ।
23. ‘दाल में काला होना’ का अर्थ है?
(क) संदेह होना
(ख) विश्वास होना
(ग) दाल सड़ जाना
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर : (क) संदेह होना।
24. “कुछ साफ भी कहोगी भौजी” – वक्ता कौन है?
(क) भैरो पाण्डे
(ख) कुलदीप
(ग) जागेसर पाण्डे
(घ) धनेसरा
उत्तर : (ग) जागेसर पाण्डे ।
25. ‘कर्मनाशा की हार’ में चाची का नाम क्या है?
(क) परबतिया चाची
(ख) मनखेरी चाची
(ग) धनेसरा चाची
(घ) रामप्यारी चाची
उत्तर : (ग) धनेसरा चाची।
26. नईडीह वालों को प्रलय की सूचना किसने दी?
(क) जागेसर पाण्डे
(ख) धनसेरा चाची
(ग) ईसुर भगत
(घ) कुलदीप
उत्तर : (ख) धनसेरा चाची।
27. जब माँ-बाप की मृत्यु हुई तो कुलदीप की उम्र कितनी थी?
(क) चार साल
(ख) दो साल
(ग) साठ साल
(घ) छ: साल
उत्तर : (ख) दो साल।
28. पैर से पंगु कौन है ?
(क) लहना सिंह
(ख) जागेसर पाण्डे
(ग) भैरो पाण्डे
(घ) ईसुर भगत
उत्तर : (ग) भैरो पाण्डे ।
29. “भाग का लेख कौन टारे” – का अर्थ है ?
(क) भाग्य से ही लिखा जा सकता है
(ख) भागने पर कौन लिख सकता है
(ग) भाग्य का लिखा कोन टाल सकता है
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर : (ग) भाग्य का लिखा कौन टाल सकता है?
30. कौन देस-दिहात के नामी-गिरामी पंडित थे?
(क) ईसुर भगत
(ख) जागेसर पाण्डे
(ग) भैरों पाण्डे
(घ) पाण्डे दादा
उत्तर : (घ) पाण्डे दादा।
31. “अब यह भी न बचेगी’ – ‘यह’ कौन है?
(क) फुलमतिया
(ख) बखरी
(ग) कर्मनाशां
(घ) धनसेरा
उत्तर : (क) फुलमतिया ।
32. किसे धन के नाम पर बाप का कर्ज मिला?
(क) जागेसर पाण्डे को
(ख) ईसुर भगत को
(ग) कुलदीप को
(घ) भैरो पाण्डे को
उत्तर : (घ) भैरो पाण्डे को ।
33. ‘कर्मनाशा की हार’ में मिर्च की तरह तीखी आवाज किसकी है?
(क) भैरो पाण्डे की
(ख) मुखिया की
(ग) धनेसरा चाची की
(घ) ईसुर भगत की
उत्तर : (ग) धनेसरा चाची की।
34. भैरो पाण्डे निम्नलिखित में से कौन-सा काम नहीं करते?
(क) रूई से बिनौले निकालना
(ख) तकली से जनेऊ बनाना
(ग) कपड़े बुनना
(घ) पत्रा देखना
उत्तर : (ग) कपड़े बुनना।
35. कौन गाँव के इस छोर से उस छोर तक चक्कर लगा रही थी?
(क) फुलमतिया
(ख) धनेसरा चाची
(ग) सनसनाती हवा
(घ) फुलमतिया की माँ
उत्तर : (ग) सनसनाती हवा ।
36. “सब कुछ गया’ – वक्ता कौन है?
(क) लहना सिंह
(ख) भैरो पाण्डे
(ग) जेन
(घ) सफ़िया
उत्तर : (ख) भैरो पाण्डे ।
37. “तेरी आँख में सौ. कुण्ड बालू” – वक्ता कौन है ?
(क) भैरो पाण्डे
(ख) जागेसर पाण्डे
(ग) कुलदीप
(घ) धनेसरा चाची
उत्तर : (क) भैरो पाण्डे ।
38. “तेरी आँख में सौ कुण्ड बालू’ – ‘तेरी’ से कौन संकेतित है?
(क) फुलमतिया
(ख) कुलदीप
(ग) मुखिया
(घ) ईसुर भगत
उत्तर : (ग) मुखिया।
39. “लड़के ने उन्हें किसी ओर का नहीं रखा’ – ‘उन्हें’ से कौन संकेतित है?
(क) मुखिया
(ख) ईसुर भगत
(ग) जागेसर पाण्डे
(घ) भैरो पाण्डे
उत्तर : (घ) भैरो पाण्डे ।
40. “मरे, हम क्या करें” – वक्ता कौन है ?
(क) जेन
(ख) लहना सिंह
(ग) भैरो पाण्डे
(घ) टीमल मल्लाह
उत्तर : (ग) भैरो पाण्डे ।
41. भैरो पाण्डे ने किसे क्षणिक खिलवाड़ माना था?
(क) कर्मनाशा की बाढ़ को
(ख) वर्षा को
(ग) कुलदीप और फुलमतिया के प्रेम को
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर : (ग) कुलदीप और फुलमतिया के प्रेम को।
42. “कुलच्छनी अब क्या चाहती है’ – ‘कुलच्छनी’ किसे कहा जा रहा है?
(क) कर्मनाशा को
(ख) फुलमतिया को
(ग) धनेसरा चाची को
(घ) कोसी को
उत्तर : (ख) फुलमतिया को।
43. “यह चुड़ैल मेरा घर खा गई’ – ‘चुड़ैल’ किसे कहा गया है?
(क) गंडक को
(ख) कोशी को
(ग) कर्मनाशा को
(घ) फुलमतिया को
उत्तर : (घ) फुलमतिया को ।
44. अब जाने क्या करेगी – पंक्ति किस पाठ से उदृत है?
(क) कर्मनाशा की हार
(ख) जाँच अभी जारी है
(ग) तीसरी कसम
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर : (क) कर्मनाशा की हार।
45. मुखिया की लड़की की शादी किस महीने में थी?
(क) आश्विन
(ख) कार्तिक
(ग) फाल्गुन
(घ) भादो
उत्तर : (ग) फाल्गुन ।
46. “नीच ऊँच कुछ बूझत नाहीं, मैं हारी समझाय” – पद्यांश किस पाठ से उद्धृत है?
(क) रैदास के पद
(ख) तीसरी कसम
(ग) कर्मनाशा की हार
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर : (ग) कर्मनाशा की हार।
47. “यदि कोई देख ले तो” – गद्यांश किस पाठ से उद्धृत है?
(क) उसने कहा था
(ख) नमक
(ग) चप्पल
(घ) कर्मनाशा की हार
उत्तर : (घ) कर्मनाशा की हार।
48. पाण्डे ने सोचा था कि ?
(क) कुलदीप अब ठीक रास्ते पर आ जाएगा
(ख) फुलमतिया गाँव से चली जाएगी
(ग) वह फुलमतिया की बलि दे देगा
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर : (क) कुलदीप अब ठीक रास्ते पर आ जाएगा।
49. “मैं अपने प्राण दे सकता हूँ” – वक्ता कौन है?
(क) लहना सिंह
(ख) रंगय्या
(ग) कुलदीप
(घ) भैरो पाण्डे
उत्तर : (ग) कुलदीप ।
50. एक क्षण के लिए भैरो पाण्डे ने सोचा :
(क) वह कुलदीप को गाँव से बाहर कर देगा
(ख) काश, फुलमत अपनी ही जाति की होती
(ग) तुम्हारा गला घोंटते मुझे देर न लगेगी
(घ) तुमने भैरो को प्यार देखा है क्रोध नहीं
उत्तर : (ख) काश, फुलमत अपनी ही जाति की होती ।
51. “अब वह कभी नहीं लौटेगा” – गद्यांश किस पाठ से लिया गया है?
(क) तीसरी कसम
(ग) नमक
(ख) चप्पल
(घ) कर्मनाशा की हार
उत्तर : (घ) कर्मनाशा की हार।
52. “अब वह कभी नहीं लौटेगा’ – ‘वह’ कौन है?
(क) कस्टम ऑफिसर
(ख) रमण
(ग) कुलदीप
(घ) लहना सिंह
उत्तर : (ग) कुलदीप।
53. “मैंने तो कई बार मना किया” – गद्यांश किस पाठ से उद्धृत है?
(क) तीसरी कसम
(ख) नमक
(ग) कर्मनाशा की हार
(घ) चप्पल
उत्तर : (ग) कर्मनाशा की हार।
54. “मैंने तो कई बार मना किया” – वक्ता कौन है?
(क) सफ़िया का भाई
(ख) रंगय्या
(ग) भैरो पाण्डे
(घ) कुलदीप
उत्तर : (घ) कुलदीप।
55. ‘मोहे जोगिनी बनाके कहाँ गइले रे जोगिया” – पंक्ति किस पाठ से उद्धृत है?
(क) तीसरी कसम
(ख) उसने कहा था
(ग) कर्मनाशा की हार
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर : (ग) कर्मनाशा की हार ।
56. “फुलमत को नदी में फेंक रहे हैं” – वक्ता कौन है?
(क) मुखिया
(ख) ईसुर भगत
(ग) धनेसरा चाची
(घ) छबीला
उत्तर : (घ) छबीला।
57. ‘न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी का अर्थ है –
(क) बाँस के बिना बाँसुरी नहीं बनेगी
(ख) कारण नहीं होने से कार्य नहीं होगा.
(ग) बाँसुरी बाँस से ही बन सकती है
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर : (ख) कारण नहीं होने से कार्य नहीं होगा।
58. उसकी बूढ़ी माँ जार-बेजार रो रही थी – पंक्ति किस पाठ से उद्धृत है?
(क) नन्हा संगीतकार
(ख) धावक
(ग) तीसरी कसम
(घ) कर्मनाशा की हार
उत्तर : (घ) कर्मनाशा की हार ।
59. “पता नहीं, किस बैर का बदला ले रहा है बेचारी से’ – प्रस्तुत गद्यांश किस पाठ से उद्धृत है ?
(क) धावक
(ख) नन्हा संगीतकार
(ग) कर्मनाशा की हार
(घ) तीसरी कसम
उत्तर : (ग) कर्मनाशा की हार ।
60. नईडीह के लोग अवाक् किसकी ओर देख रहे थे?
(क) मुखिया
(ख) धनेसरा चाची
(ग) पाण्डे
(घ) कर्मनाशा नदी
उत्तर : (ग) पाण्डे ।
61. ‘कर्मनाशा की हार’ में किसकी जीत होती है?
(क) मानवता की
(ख) मुखिया की
(ग) भैंरो पाण्डे की
(घ) कुलदीप की
उत्तर : (क) मानवता की।
62. फूलमती भैंरो पाण्डे के घर माँगने आई थी :
(क) लोटा
(ख) बाल्टी
(ग) रस्सी
(घ) सूत
उत्तर : (ख) बाल्टी।
63. “कह सीता माँ विधि प्रतिकूला” – के रचनाकार हैं?
(क) डॉ० शिव प्रसाद सिंह
(ख) कबीर
(ग) तुलसीदास
(घ) सूरदास
उत्तर : (ग) तुलसीदास ।
64. “कह सीता माँ विधि प्रतिकूला” – पद्यांश किस पाठ से उद्धृत है?
(क) चप्पल
(ख) कर्मनाशा की हार
(ग) तीसरी कसम
(घ) धावक
उत्तर : (ख) कर्मनाशा की हार ।
65. “यह कबूतर की तरह मुँह फुलाए बैठा रहता है” – ‘कबूतर’ किसे कहा गया है?
(क) जागेसर पाण्डे को
(ख) लहना सिंह को
(ग) जेन्को को
(घ) कुलदीप को
उत्तर : (घ) कुलदीप को।
66. फुलमति के बच्चे को किसने अपनी गोद में ले लिया?
(क) मुखिया ने
(ख) कुलदीप ने
(ग) भैरो पाण्डे ने
(घ) फुलमतिया की माँ ने
उत्तर : (ग) भैरो पाण्डे ने ।
67. फुलमतिया और उसके बच्चे की बलि देने का निर्णय किसका था?
(क) भैरो पाण्डे का
(ख) मुखिया का
(ग) कुलदीप का
(घ) जोगेसर पाण्डे का
उत्तर : (ख) मुखिया का ।
68. भैरो पाण्डे ने अपने समाज की तुलना किससे की?
(क) त्रिशंकु से
(ख) जंगल से
(ग) कोशी से
(घ) कर्मनाशा से
उत्तर : (घ) कर्मनाशा से ।
69. प्रचलित विश्वास के अनुसार कर्मनाशा किसकी बलि लिए बिना नहीं लौटती है ?
(क) पशु की बलि
(ख) मानुस की बलि
(ग) पेड की बलि
(घ) पक्षी की बलि
उत्तर : (ख) मानुस की बलि ।
70. ‘चुड़ैल मेरा घर खा गई’ – यह कथन किसका है ?
(क) भैरो पाण्डे
(ख) फुलमति के पिता
(ग) धनेसरा चाची
(घ) कुल दीपक
उत्तर : (क) भैरो पाण्डे ।
71. किसका पानी एक पौधे को छू ले, तो वह हरा नहीं हो सकता-
(क) गंगा
(ख) यमुना
(ग) सतलज
(घ) कर्मनाशा
उत्तर : (घ) कर्मनाशा ।
72. “कुलदीप, जरा भीतर से बाल्टी दे देना” – वक्ता कौन है ?
(क) भैरो पाण्डे
(ख) जागेसर पाण्डे
(ग) फुलमति
(घ) चाची
उत्तर : (ख) भैरो पाण्डे ।
73. “तुम मझधार में लाकर छोड़ तो नहीं दोगे” – यह उक्ति किसकी है ?
(क) फुलमतिया की
(ख) पतुरिया की
(ग) भैरो पाण्डे की
(घ) इनमें से किसी की नहीं
उत्तर : (क) फुलमतिया की।
74. कर्मनाशा से किसकी कथा जुड़ी है –
(क) राज सुख की
(ख) भगीरथ की
(ग) त्रिशंकु की
(घ) विक्रमादित्य की
उत्तर : (ग) त्रिशंकु की।
75. ‘इ बाढ़ी नदिया जिया ले के माने’ गीत कौन गाते थे ?
(क) नईडीहवाले
(ख) नौटंकीवाले
(ग) भैरो पाण्डे
(घ) नवयुवक
उत्तर : (क) नईडीहवाले।
76. ‘अब यह भी न बचेगी’ – ‘यह’ किसके लिए आया है ?
(क) फुलमति के लिए
(ख) कर्मनाशा के लिए
(ग) घर की दीवारों के लिए
(घ) गाय के लिए
उत्तर : (ग) घर की दीवारों के लिए।
77. ‘भगवान कसम तेरा गला घोंट दूंगा’ – वक्ता कौन है ?
(क) कुलदीप
(ख) मुखिया
(ग) भैरो पाण्डे
(घ) ईसुर भगत
उत्तर : (ग) भैरो पाण्डे ।
78. ‘भूखा बैठा होगा कहीं’ – किसके लिए कहा गया है ?
(क) हिरामन
(ख) कुलदीप
(ग) जेन्को
(घ) भंबल दा
उत्तर : (ख) कुलदीप ।
79. ‘न पढ़ता है, न लिखता है’ – किसके बारे में कहा गया है ?
(क) जेन्को
(ख) अमीरूद्दीन
(ग) कुलदीप
(घ) जेन
उत्तर : (ग) कुलदीप ।
80. “भाग, नहीं तो तेरा गला घोंटकर इसी पानी में फेंक दूँगा” – वक्ता कौन है ?
(क) कुलदीप
(ख) भंबल दा
(ग) अशोक दा
(घ) भैरो पाण्डे

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