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WBBSE 10th Class Hindi Solutions Chapter 3 चप्पल

WBBSE 10th Class Hindi Solutions Chapter 3 चप्पल

West Bengal Board 10th Class Hindi Solutions Chapter 3 चप्पल

West Bengal Board 10th Hindi Solutions

लेखक-परिचय

कावुरि वेकट नारायणराव दक्षिण भारतीय भाषाओं एवं साहित्य के प्रमुख लेखकों में से एक है। इन्होंने अपने साहित्य में उन लोगों को अपना विषय बनाया है जो समाज के निम्न तबके के हैं लेकिन शिक्षा के सहारे समाज में अपना एक स्थान बनाना चाहते हैं। इनके पात्र जातिवाद, वर्गवाद तथा स्वार्थ से ऊपर उठकर एक उच्च आदर्श की स्थापना करते हैं। ‘चप्पल’ कहानी भी एक ऐसी ही कहानी है जो शिक्षक के आदर्श, शिष्य की कर्त्तव्यपरायणता तथा मानवीयता व सहानुभूति प्रेम की नींव पर खड़ी है। अपनी इन्ही साहित्यिक विशेषताओं के कारण नारायणराव आज दक्षिण भारतीय भाषाओं के रचनाकारों में एक उज्ज्वल नक्षत्र की भांति चमक रहे हैं।

लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर

1. रंगय्या ने भगवान बेंकटश्वर से क्या प्रार्थना की ?
उत्तर : “हे भगवान! मेरे बच्चे का उद्धार करो । उसको खूब पढ़ना-लिखना आ जाए। उसको तुम्हारी शरण में ले आऊंगा । उसके बाल तुम्हें अर्पित करूंगा ……..अपने भी ।”
2. रंगय्या के कदम स्कूल की ओर क्यों चल पड़े?
उत्तर : रंगय्या अपने बेटे रमण को पढ़ते देखना चाहता था तथा मास्टर साहब के दर्शन भी करना चाहता था इसलिए उसके कदम स्कूल की ओर चल पड़े।
3. ‘चप्पल’ कहानी के कहानीकार कौन हैं ?
उत्तर : कावुटूरि वेंकट नारायणराव ।
4. कावुटूरि वेंकट नारायणराव किस भाषा के रचनाकार हैं ?
उत्तर : दक्षिण भारतीय भाषाओं के।
5. रंग्य्या किस कहानी का पात्र है ?
उत्तर : ‘चप्पल’ कहानी का।
6. रंगय्या क्या काम करता था ?
उत्तर : रंगय्या चप्पल सिलने तथा मरम्मरत करने का काम करता था।
7. रमण किस कहानी का पात्र है ?
उत्तर : ‘चप्पल’ कहानी का ।
8. रमण किसका पुत्र है ?
उत्तर : रंगय्या का।
9. रमण अपने पिता के पास किसके चप्पल मरम्मत के लिए लाया था ?
उत्तर : मास्टर साहब के चप्पल।
10. “दादा-परदादा के जमाने के दीख रहे हैं”- कौन किसके बारे में कह रहा है ?
उत्तर : रंगय्या मास्टर साहब के चप्पलों के बारे में कह रहा है।
11. रंगय्या किसे बड़े गौर से देख रहा था ?
उत्तर : रंगय्या मास्टर साहब के चप्पलों को बड़े गौर से देख रहा था।
12. किसका, किसके बजाय किसी दूसरी दुनिया से कोई वास्ता नहीं है ?
उत्तर :रंगय्या का चप्पलें सीने के बजाय किसी दूसरी दुनिया से कोई वास्ता नहीं है।
13. रंगय्या कितने वर्षों से कौन-सा पेशा करता आ रहा है ?
उत्तर : रंगय्या पचास वर्षों से चप्पलें सीने का पेशा करता आ रहा है।
14. कितने बच्चों के मर जाने के बाद रमण पैदा हुआ था ?
उत्तर : पाँच बच्चों के मर जाने के बाद।
15. रंगय्या किसका मन कभी नहीं दुखाता है ?
उत्तर :रंगय्या अपने बेटे रमण का मन कभी नहीं दुखाता है।
16. रंगय्या ने रमण को कितने पैसे दिए?
उत्तर : पाँच पैसे।
17. रंगय्या ने किस गर्व का अनुभव किया ?
उत्तर : रंगय्या ने इस गर्व का अनुभव किया कि उसके भी एक बेटा है जो दूसरे की समय व्यर्थ न गंवा कर कुछ पढ़ना-लिखना सीख रहा है।
18. रंगय्या की सारी आशाएँ किस पर है ?
उत्तर : बेटे रमण पर।
19. रंगय्या बेटे से क्या चाहता है ?
उत्तर : रंगय्या बेटे से यह चाहता है कि वह खूब पढ़े, बड़ा आदमी बनकर अपने कुलवालों में अच्छा नाम कमाए।
20. रमण की खुशनसीबी क्या थी ?
उत्तर : रमण की खुशनसीबी यह थी कि मास्टर साहब अपने यहाँ उसको खाना देकर पढ़ा-लिखा रहे हैं।
21. रंगय्या का हृदय किसके प्रति कृतज्ञता से भर गया ?
उत्तर : रंगय्या का हृदय मास्टर साहब के प्रति कृतज्ञता से भर गया।
22. मास्टर साहब के चप्पल कैसे थे ?
उत्तर : मास्टर साहब के चप्पल बड़े ही मामूली थे।
23. रंगय्या को मास्टर साहब के चप्पल कैसे लगे?
उत्तर : महिमान्वित या एकदम परम पवित्र ।
24. रंगय्या की जेब में कुल कितने पैसे थे ?
उत्तर : छ: रुपये बीस पैसे।
25. क्या देखकर रंगय्या की खुशी का ठिकाना न रहा ?
उत्तर : जेब में छ: रुपये बीस पैसे देखकर रंगय्या की खुशी का ठिकाना न रहा।
26. रमण का स्कूल कैसे मकान में था ?
उत्तर :रमण का स्कूल छोटे-से खपरैली मकान में था।
27. रंगय्या किसे ढूंढ रहा था ?
उत्तर :रंगय्या रमण के मास्टर साहब को ढूंढ रहा था।
28. रमण किस क्लास में पढ़ता था ?
उत्तर :पहली क्लास में।
29. पहली क्लास के बच्चे क्या याद कर रहे थे ?
उत्तर : बारह खड़ी ।
30. किसके भाग्य में पढ़ना-लिखना नहीं बदा था ?
उत्तर : रंगय्या के भाग्य में पढ़ना-लिखना नहीं बदा था।
31. स्टूल पर बैठे मास्टर साहब बच्चों से क्या करवा रहे थे ?
उत्तर : पाठ कंठस्थ करवा रहे थे।
32. ‘पेद्द बाल शिक्षा’ क्या है ?
उत्तर : तेलुगु बच्चों की प्रथम पुस्तक ।
33. मास्टर साहब को किस बात की उम्मीद नहीं थी ?
उत्तर :मास्टर साहब को इस बात की उम्मीद नहीं थी कि रंगय्या इस प्रकार झुककर उनके पाँव छुएगा।
34. ‘कोई देखेगा तो अच्छा नहीं होगा’ – वक्ता कौन है ?
उत्तर : रमण के मास्टर साहब।
35. ‘मैं उसे अपना बच्चा समझता हूँ’ – कौन, किसे अपना बच्चा समझता है ?
उत्तर : मास्टर साहब रंगय्या के बेटे रमण को अपना बच्चा समझते हैं।
36. रंगय्या को किसकी बातें अमृत के समान लगीं ?
उत्तर : रंगय्या को मास्टर साहब की बातें अमृत के समान लगीं।
37. रंगय्या को कौन-सी जगह स्वर्गधाम-सी लगी ?
उत्तर : रंगय्या को रमण का स्कूल स्वर्गधाम-सा लगा।
38. रंगय्या ने बेटे के बारे में क्या सोचा ?
उत्तर : रंगय्या ने बेटे के बारे में यह सोचा कि वह बड़ा भाग्यवान है।
39. किसके भोलेपन पर अध्यापक को हँसी आ गई ?
उत्तर : रंगय्या के भोलेपन पर अध्यापक को हँसी आ गई।
40. किसके पाँव जमीन पर नहीं पड़ रहे थे थे ?
उत्तर : रंगय्या के पाँव जमीन पर नहीं पड़ रहे थे।
41. वह बहुत-कुछ पढ़ लेगा – ‘वह’ से कौन संकेतित है ?
उत्तर : रंगय्या का बेटा रमण।
42. रंगय्या की झोपड़ी कहाँ थी ?
उत्तर : थियेटर के सामने वाली झोपड़ियों के बीच।
43. किसकी झोपड़ी को इमारत जैसा कहा गया है ?
उत्तर :रंगय्या की झोपड़ी को ।
44. रंगय्या का सिर क्यों चकरा-सा रहा था ?
उत्तर : धूप में चलने के कारण।
45. किसके प्रति रंगय्या की बड़ी भक्ति थी ?
उत्तर : भगवान वेंकटेश्वर के प्रति रंगय्या की बड़ी भक्ति थी।
46. रंगय्या को मामा कहने वाली लड़की का नाम क्या है ?
उत्तर : पोली।
47. पोली की उम्र क्या है ?
उत्तर : दस साल।
48. पोली ने रंगय्या से क्या कहा ?
उत्तर : आज माँ की तबीयत ठीक नहीं है। आज खाना नहीं बना सकेगी।
49. बिल्कुल नया रूप हो गया – किसका रूप बिल्कुल नया हो गया ?
उत्तर : मास्टर साहब के चप्पलों का रूप बिल्कुल नया हो गया।
50. मास्टर साहब के चप्पलों की मरम्मत में रंगय्या को कितना समय लगा ?
उत्तर : एक घंटा ।
51. रंगय्या के बारे में कौन-सी बात सबको मालूम है ?
उत्तर : रंगय्या नई चप्पलें बनाने का या पुराने को नया बनाने में माहिर हैं।
52. गंगा किस कहानी की पात्र है ?
उत्तर : ‘चप्पल’ ।
53. गंगा क्या करती है ?
उत्तर : प्लेटफार्म पर छोटा-सा होटल चलाती है।
54. पल्ली (बस्ती) में आग लगने की सूचना रंगय्या को किसने दी ?
उत्तर : नारिगा ने।
55. क्या सुनकर रंगय्या का दिल एकदम बैठ गया
उत्तर : पल्ली में आग लगने की खबर सुनकर रंगय्या का दिल एकदम बैठ गया।
56. रंगय्या की पल्ली में आग कितने बजे लगी ?
उत्तर : शाम के चार बजे ।
58. जाने वह किस आवेश में था – पंक्ति कस पाठ से ली गई है ?
उत्तर : ‘चप्पल’ पाठ से।
59. दमकलवालों ने सबसे पहले किसके घर की आग बुझाई ?
उत्तर : रंगय्या के घर की।
60. कौन-सी खबर आग की तरह फैल गई ?
उत्तर : रंगय्या जल गया।
61. एकाएक उसका काम रुक गया – पंक्ति किस पाठ से ली गई है ?
उत्तर : ‘चप्पल’ पाठ से।
62. रमण को कौन-सी चीजें मुफ्त दी गई थी ?
उत्तर : तेलगु की पहली पुस्तक, पाटी, पहाड़े आदि चीजें ।
63. ‘बहुत अच्छा ! बहुत अच्छा !!’ – पंक्ति किस पाठ से ली गई है ?
उत्तर : ‘चप्पल ।’
64. वह उसी की तरफ देख रहा था – कौन, किसकी तरफ देख रहा था ?
उत्तर :रंगय्या धूल उड़ाकर आगे निकल गई काली मोटर की ओर देख रहा था।
65. संसार बहुत कुछ बदल गया – पंक्ति किस पाठ से ली गई है ?
उत्तर :चप्पल ।
66. उसकी आँखों में उतावलापन दिख रहा था – किसकी आँखों में उतावलापन दिख रहा था?
उत्तर : रमण की आँखों में।
67. किसे सारी दुनिया पाँच पैसे के रूप में दिखने लगी ?
उत्तर : रंगय्या के बेटे रमण को ।
68. उससे रहा नहीं गया – पंक्ति किस पाठ से ली गई है ?
उत्तर : ‘चप्पल’ पाठ से।
69. रमण की उम्र कितनी थी ?
उत्तर : आठ वर्ष ।
70. रंगय्या की दो इच्छाएँ क्या थीं ?
उत्तर : रंगय्या की पहली इच्छा थी – रमण को पढ़ाने वाले मास्टर साहब को साष्टांग प्रणाम करना, दूसरी इच्छा बेटे रमण की पढ़ाई के बारे में जानना।
71. रंगय्या के लिए सबसे बड़ा काम क्या था ?
उत्तर : रंगय्या के लिए सबसे बड़ा काम यह था कि मास्टर साहब के चप्पलों की मरम्मत करके बिल्कुल नये जैसे बना देना
72. रेलवे प्लेटफार्म पर होटल कौन चलाती है ?
उत्तर : गंगी।
73. रंगय्या के निकलते हुए प्राणों को किसने देखा होगा ?
उत्तर : मास्टर साहब के चप्पलों ने।
74. मास्टर साहब ने रंगय्या से रमण के बारे में क्या कहा ?
उत्तर : मास्टर साहब ने रमण के बारे में रंगय्या से कहा कि …….. रमण की चिन्ता न करो। वह बहुत बड़ा आदमी बन जाएगा। तुम्हें मोटर में बिठाकर घुमाएगा।”
75. रंगय्या को मास्टर साहब की कौन-सी बातें अमृत के समान लगी ?
उत्तर : मास्टर साहब का यह कहना है कि, “रमण तुम्हारा बच्चा नहीं, मैं उसे अपना बच्चा समझता हूँ। तुम उसकी चिंता न करो ! उसका सारा भार मुझपर छोड़ दो।”
76. “उसका सारा भार मुझपर छोड़ दो” – पंक्ति किस पाठ से उद्धत है?
उत्तर : ‘चप्पल’ कहानी से उद्धत है।
77. रंगय्या को किन लोगों के साथ उठना-बैठना पसंद नहीं है ?
उत्तर : रंगय्या को शराबी तथा गंदे लोगों के साथ उठना-बैठना पसंद नहीं है।
78. रंगय्या की झोपड़ी में किसकी तस्वीर लगी हुई थी ?
उत्तर : भगवान वेंकटेश्वर की।
79. ‘चप्पल’ कहानी का हिंदी अनुवाद किसने किया है ?
उत्तर : दण्डमूडि महीधर ने
80. रंगय्या के लिए जलती झोपड़ी में सबसे बहुमूल्य वस्तु क्या थी ?
उत्तर : मास्टर साहब के चप्पल।
81. कौन-सा दृश्य देखकर लोग भय-कम्पित हो गए ?
उत्तर : जला हुआ रंगय्या मुँह के बल गिरा हुआ था।
82. रंगय्या ने मास्टर साहब के चप्पलों को आँखों से क्यों लगाया ?
उत्तर : परम पवित्र मानने के कारण।
83. गंगा खाने की कीमत क्यों बढ़ाना चाहती थी?
उत्तर : चावल की कीमत बढ़ जाने के कारण गंगा खाने की कीमत बढ़ाना चाहती थी।
84. रंगय्या की कौन-सी इच्छा बढ़ती जा रही थी ?
उत्तर : रंगय्या की यह इच्छा बढ़ती जा रही थी कि वह स्कूल जाकर देखे कि उसका बेटा रमण कैसे पढ़ रहा है।
85. रंगय्या के किस सवाल पर अध्यापक ने आश्चर्य किया ?
उत्तर : जब रंगय्या ने अध्यापक से यह पूछा कि, “क्या मैं भी पढ़ सकता हूँ?” – तो इस पर उन्होंने आश्चर्य किया।
86. किसके मन में तरह-तरह के विचार उठने लगे ?
उत्तर : रंगय्या के मन में तरह-तरह के विचार उठने लगे ।
87. “क्या हुआ है तेरी माँ को” ? – वक्ता और श्रोता कौन हैं ?
उत्तर : वक्ता रंगय्या तथा श्रोता पोली है।
88. “यहाँ पर कोई शराब पीता है” – पंक्ति किस पाठ से उद्धत है?
उत्तर : ‘चप्पल’ कहानी से उद्धत है।
89. रंगय्या किन लोगों के बीच रहते हुए भी उनसे अलग था ?
उत्तर : रंगय्या शराबी और गंदे लोगों के बीच रहते हुए भी उनसे अलग था।
90. रंगय्या ने मास्टर साहब के पास कितने रुपये जमा किए थे ?
उत्तर : दो सौ चार रुपये।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर:

1. रंगय्या ने चप्पल कहाँ रखे थे ?
(क) अटारी पर
(ख) अल्मारी में
(ग) आँगन में
(घ) पेटी पर
उत्तर : (क) अटारी पर।
2. रंगय्या किस कहानी का पात्र है ?
(क) उसने कहा था
(ख) चप्पल
(ग) नमक
(घ) धावक
उत्तर : (ख) चप्पल ।
3. ‘चप्पल’ कहानी के लेखक कौन हैं ?
(क) कृष्ण सोबती
(ख) शिवमूर्ति
(ग) जयशंकर प्रसाद
(घ) कावुटूरि वेंकट नारायणराव
उत्तर : (घ) कावुटूरि वेंकट नारायणराव ।
4. ‘चप्पल’ कहानी के अनुवादक कौन हैं ?
(क) शैल रस्तोगी
(ख) डॉ० रामकुमार वर्मा
(ग) दण्डमूडि महीधर
(घ) गुलेरी
उत्तर : (ग) दण्डमूडि महीधर ।
5. रमण की उम्र कितनी है ?
(क) सात
(ख) आठ
(ग) नौ
(घ) दस
उत्तर : (ख) आठ ।
6. रमण के कंधे पर क्या लटक रहा था ?
(क) चप्पलों का थैला
(ख) किताबों का बस्ता
(ग) सब्जी का थैला
(घ) मास्टरजी की चप्पलें
उत्तर : (ख) किताबों का बस्ता ।
7. किसका मुँह एकदम चमक उठा ?
(क) मास्टर साहब का
(ख) रमण का
(ग) पोली का
(घ) रंगय्या का
उत्तर : (घ) रंगय्या का।
8. रंगय्या किसे बड़े गौर से देख रहा था ?
(क) रमण को
(ख) काली कार को
(ग) चप्पलों को
(घ) मास्टर साहब को
उत्तर : (ग) चप्पलों को ।
9. किसे किसी दूसरी दुनिया से कोई वास्ता नहीं ?
(क) रंगय्या को
(ख) रमण को
(ग) पोली को
(घ) मास्टर साहब को
उत्तर : (क) रंगय्या को ।
10. रंगय्या कितने सालों से चप्पलें मरम्मत करने का काम करता आ रहा है ?
(क) तीस सालों से
(ख) चालीस सालों से
(ग) पचास सालों से
(घ) दस सालों से
उत्तर : (ग) पचास सालों से ।
11. किसकी जिंदगी में किसी तरह का परिवर्तन नहीं आया ?
(क) मास्टर साहब
(ख) लेखक
(ग) अध्यापक
(घ) रंगय्या
उत्तर : (घ) रंगय्या ।
12. “मुझे क्या मालूम ?” – वक्ता कौन है ?
(क) रमण
(ख) रंगय्या
(ग) पोली
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर : रमण ।
13. ‘झुर्रियों की परतें खुल गयीं’ – पंक्ति किस पाठ से उद्धत है
(क) दादी अम्मा
(ख) चप्पल
(ग) नमक
(घ) धावक
उत्तर : (ख) चप्पल।
14. “अभी चाहिए …….. जल्दी” – वक्ता कौन है ?
(क) रमण
(ख) मास्टर साहब
(ग) पोली
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर : (क) रमण।
15. रंगय्या कभी भी किसका मन नहीं दुखाता ?
(क) मास्टर साहब का
(ख) अपने ग्राहकों का
(ग) रमण का
(घ) मुहल्लेवालों का
उत्तर : (ग) रमण का।
16. रंगय्या की सारी आशाएँ किस पर हैं ?
(क) मास्टर साहब पर
(ख) रमण पर
(ग) पैसे पर
(घ) पोली पर
उत्तर : (ख) रमण पर।
17. ‘चटसार’ का अर्थ है –
(क) ट्यूशन
(ख) संगीत विद्यालय
(ग) पाठशाला
(घ) छोटे बच्चों की पाठशाला
उत्तर : (घ) छोटे बच्चों की पाठशाला।
18. रंगय्या चाहता है कि रमण –
(क) खूब पढ़े
(ख) उससे भी अच्छी चप्पल बनाए
(ग) खेती करे
(घ) नहीं पढ़े
उत्तर : (क) खूब पढ़े।
19. “ऐसा करूँगा कि मास्टर साहब याद रखें” – वक्ता कौन है ?
(क) पोली
(ख) रंगय्या
(ग) रमण
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर : (ख) रंगय्या ।
20. “इनको ठीक कर दूंगा” – पंक्ति किस पाठ से उद्धत है ?
(क) चप्पल
(ख) उसने कहा था
(ग) नन्हा संगीतकार
(घ) धावक
उत्तर : (क) चप्पल।
21. “अन्दर आने का साहस नहीं हुआ” – पंक्ति किस पाठ से उद्धत है ?
(क) उसने कहा था
(ख) धावक
(ग) चप्पल
(घ) नन्हा संगीतकार
उत्तर : (ग) चप्पल।
22. “उसकी जबान लड़खड़ाने लगी” – किसकी जबान लड़खड़ाने लगी ?
(क) लहना सिंह की
(ख) भिम्बल दा की
(ग) रंगय्या की
(घ) जेन की
उत्तर : (ग) रंगय्या की।
23. “उसका लड़का बड़ा खुशनसीब है”- ‘उसका’ से कौन संकेतित है ?
(क) जेन की माँ
(ख) रंगय्या
(ग) सूबेदार हजारा सिंह
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर : (ख) रंगय्या
24. “तुम्हें मोटर में बिठाकर घुमाएगा” – वक्ता कौन है?
(क) रंगय्या
(ख) रमण
(ग) मास्टर साहब
(घ) पोली
उत्तर : (ग) मास्टर साहब।
25. ‘उसका सारा भार मुझ पर छोड़ दो’ – पंक्ति किस पाठ से उद्धृत है ?
(क) नौबतखाने में इबादत
(ख) नमक
(ग) धावक
(घ) चप्पल
उत्तर : (घ) चप्पल।
26. “क्या वह दिन मैं देख सकूँगा” – वक्ता कौन है ?
(क) लहना सिंह
(ख) बिस्मिल्ला खाँ
(ग) रंगय्या
(घ) जेन
उत्तर : (ग) रंगय्या ।
27. “फूले अंग वह समा नहीं रहा था” – का अर्थ है ?
(क) खुश हो रहा था
(ख) शरीर अंग में नहीं समा रहा था
(ग) अंग फूल गया था
(घ) पूरा शरीर फूल गया था
उत्तर : (क) खुश हो रहा था।
28. ‘इसके पहले के दो सौ रुपये हुए” – वक्ता कौन है ?
(क) गंगा
(ख) पोली
(ग) मास्टर साहब
(घ) रंगय्या
उत्तर : (ग) मास्टर साहब ।
29. रंगय्या को रमण का स्कूल कैसा लगा ?
(क) पुराना
(ख) स्वर्ग
(ग) खपरैल
(घ) टूटा-फूटा
उत्तर : (ख) स्वर्ग।
30. “कौन हैं आप ?” – पंक्ति किस पाठ से उद्धृत है ?
(क) नमक
(ख धावक
(ग) चप्पल
(घ) उसने कहा था
उत्तर : (ग) चप्पल ।
31. पढ़ना-लिखना उसके भाग्य में नहीं बदा था – ‘उसके’ से कौन संकेतित है?
(क) रमण
(ख) रंगय्या
(ग) पोली
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर : (ख) रंगय्या
32. “मेरे साथ चलो” – वक्ता कौन है ?
(क) लहना सिंह
(ख) जेन
(ग) भम्बल दा
(घ) मास्टर साहब
उत्तर : (घ) मास्टर साहब।
33. “बच्चों को भी वह कुछ अजीब-सा लगा” – पंक्ति किस पाठ से उद्धृत है ?
(क) चप्पल
(ख) धावक
(ब) नमक
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर : (क) चप्पल।
34. “कोई देखेगा तो अच्छा नहीं होगा” – पंक्ति किस पाठ से उद्धृत है ?
(क) धावक
(ख) उसने कहा था
(ग) चप्पल
(घ) नमक
उत्तर : (घ) नमक।
35. “कोई देखेगा तो अच्छा नहीं होगा” – वक्ता कौन है ?
(क) लहना सिंह
(ख) मास्टर साहब
(ग) सरदारनी
(घ) पोली
उत्तर : (ख) मास्टर साहब।
36. “तुम उसकी चिंता न करो” – पंक्ति किस पाठ से उद्धृत है ?
(क) चप्पल
(ख) उसने कहा था
(ग) नौबतखाने में इबादत
(घ) नमक
उत्तर : (क) चप्पल ।
37. “तुम उसकी चिंता न करो” – वक्ता कौन है ?
(क) रंगय्या
(ख) मास्टर साहब
(ग) लहना सिंह
(घ) सरदारनी
उत्तर : (ख) मास्टर साहब ।
38. रंगय्या ने कितने रुपये मास्टर साहब के हाथ में रखे ?
(क) दो सौ चार
(ख) दो सौ
(ग) चार
(घ) चार सौ
उत्तर : (ग) चार ।
39. “उसको बड़ी तृप्ति हुई” – पंक्ति किस पाठ से उद्धृत है ?
(क) चप्पल
(ख) नमक
(ग) नन्हा संगीतकार
(घ) धावक
उत्तर : (क) चप्पल।
40. “यहाँ हर कोई शराब पीता है” – पंक्ति किस पाठ से उद्धृत है ?
(क) चप्पल
(ख) उसने कहा था
(ग) धावक
(घ) दीपदान
उत्तर : (क) चप्पल।
41. “बड़ी उम्र हो गई तो क्या हुआ” – पंक्ति किस पाठ से उद्धृत है ?
(क) नमक
(ख) उसने कहा था
(ग) चप्पल
(घ) दीपदान
उत्तर : (ग) चप्पल।
42. “बड़ी उम्र हो गई तो क्या हुआ” – वक्ता कौन है ?
(क) रंगय्या
(ख) सरदारनी
(ग) गंगा
(घ) पन्ना धाय
उत्तर : (क) रंगय्या।
43. रंगय्या की झोपड़ी कितने शहतीरों वाली है ?
(क) एक
(ख) दो
(ग) तीन
(घ) चार
उत्तर : (ग) तीन ।
44. पोली की उम्र कितने वर्ष है ?
(क) चार
(ख) आठ
(ग) दस
(घ) बारह
उत्तर : (ग) दस।
45. “बिल्कुल नया रूप हो गया” – पंक्ति किस पाठ से उद्धृत है ?
(क) नमक
(ख) नन्हा संगीतकार
(ग) चप्पल
(घ) धावक
उत्तर : (ग) चप्पल।
46. “किसी की आवाज सुनाई दी” – पंक्ति किस पाठ से उद्धृत है ?
(क) चप्पल
(ख) नमक
(ग) उसने कहा था
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर : (क) चप्पल।
47. “उनकी सुंदरता पर स्वयं मुग्ध हो रहा था” – पंक्ति किस पाठ से उद्धृत है ?
(क) नमक
(ख) उसने कहा था
(ग) चप्पल
(घ) धावक
उत्तर : (ग) चप्पल।
48. रंगय्या किस में बड़ा माहिर है ?
(क) बातें बनाने में
(ख) चप्पलें बनाने में
(ग) घर बनाने में
(घ) रंग करने में
उत्तर : (ख) चप्पलें बनाने में ।
49. “उसको बड़ी भूख लग रही थी” – पंक्ति किस पाठ से उद्धृत है ?
(क) नन्हा संगीतकार
(ख) चप्पल
(ग) नमक
(घ) धावक
उत्तर : (ख) चप्पल।
50. “क्यों नहीं ! अभी लो !” – वक्ता कौन है ?
(क) रंगय्या
(ख) रमण
(ग) मास्टर साहब
(घ) गंगा
उत्तर : (घ) गंगा।
51. नारिगा किस कहानी का पात्र है ?
(क) नमक
(ख) धावक
(ग) चप्पल
(घ) इनमें से किसी का नहीं
उत्तर : (ग) चप्पल।
52. “हमारी पल्ली में आग लग गई है आग” – वक्ता कौन है ?
(क) रमण
(ख) नारिगा
(ग) रंगय्या
(घ) पोली
उत्तर : (ख) नारिगा।
53. “क्या करूँ” – पंक्ति किस पाठ से उद्धृत है ?
(क) नमक
(ख) धावक
(ग) उसने कहा था
(घ) चप्पल
उत्तर : (घ) चप्पल ।
54. “शाम को चार बजे का वक्त था” – पंक्ति किस पाठ से उद्धृत है ?
(क) धावक
(ख) चप्पल
(ग) नमक
(घ) नन्हा संगीतकार
उत्तर : (ख) चप्पल।
55. “ज्वालाएँ आसमान को छू रही थीं” – पंक्ति किस पाठ से उद्धृत है ?
(क) चप्पल
(ख) धावक
(ग) नमक
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर : (क) चप्पल।
56. “तुम पागल तो नहीं हो गए” – पंक्ति किस पाठ से उद्धृत है ?
(क) चप्पल
(ख) नन्हा संगीतकार
(ग) धावक
(घ) नमक
उत्तर : (क) चप्पल ।
57. “अब कुछ नहीं हो सकता” – वक्ता कौन है ?
(क) रंगय्या
(ख) युवक
(ग) मास्टर साहब
(घ) रमण
उत्तर : (ख) युवक ।
58. “इस घटना की खबर भी आग की तरह फैल गई” – किस घटना की खबर फैल गई ?
(क) जर्मनों के हमले की
(ख) भिम्बल दा के मरने की
(ग) रंगय्या के जलने की
(घ) लहना सिंह के घायल होने की
उत्तर : (ग) रंगय्या के जलने की।
59. “दौड़कर सब-के-सब वहाँ इकट्ठे हो गए” – पंक्ति किस पाठ से उद्धृत है ?
(क) नमक
(ख) उसने कहा था
(ग) चप्पल
(घ) धावक
उत्तर : (ग) चप्पल।
60. “न जाने वह किस आवेश में था” – ‘वह’ से कौन संकेतित है ?
(क) लहना सिंह
(ख) जेन
(ग) रमण
(घ) रंगय्या
उत्तर : (घ) रंगय्या ।

वस्तुनिष्ठ सह व्याख्यामूलक प्रश्नोत्तर

1. ‘क्या वह दिन मैं देख सकूँगा ?”
प्रश्न : प्रस्तुत अंश के रचनाकार का नाम लिखिए।
उत्तर : इसके रचनाकार कावुटूरि वेंकट नारायण राव हैं।
प्रश्न : अंश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।
उत्तर : रंगय्या बेटे रमण के मास्टर साहब से मिलता है तो उनके पैर छूकर प्रणाम करता है। इस पर मास्टर साहब कहते हैं कि रमण पढ़-लिखकर एक दिन बहुत बड़ा आदमी बनेगा और तुम्हें मोटर में बिठाकर घुमाएगा। मास्टर साहब की इस बात पर वह मास्टर साहब से सवाल करता है कि क्या वह सचमुच वह दिन देख सकेगा? ऐसा होना तो उसके लिए एक सपना ही है ।
2. उनका ऋण किसी भी रूप में चुकाया नहीं जा सकता।
प्रश्न : अंश किस पाठ से उद्धृत है?
उत्तर : प्रस्तुत अंश ‘चप्पल’ पाठ से उद्धृत है।
प्रश्न : अंश में कौन-से ऋण की बात कही गई है ? उसे क्यों नहीं चुकाया जा सकता ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : यहाँ गुरु के ऋण की बात कही गई है। रंगय्या के बेटे रमण के जीवन में मास्टर साहब का प्रवेश वैसे ही हुआ था जैसे चंद्रगुप्त के जीवन में चाणक्य का तथा विवेकानंद के जीवन में रामकृष्ण परमहंस का। मास्टर साहब उच्च जाति के होते हुए भी रमण को खाना देकर अपने यहाँ पढ़ा-लिखा रहे थे। उनकी इस कृपा के लिए रंगय्या के मन में मास्टर साहब के प्रति कृतज्ञता का भाव भरा हुआ था। यह ऐसा ऋण था जिसे रंगय्या किसी भी रूप में नहीं चुका सकता था।
3. ठीक कराकर जल्दी लाने को कहा है।
प्रश्न : वक्ता कौन है ?
उत्तर : वक्ता रगय्या का बेटा रमण है।
प्रश्न : पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर : रमण अपने मास्टर साहब के चप्पलों को ठीक कराने के लिए अपने मोची पिता रंगय्या के पास लाया था। मास्टर साहब के पास चप्पलों की दूसरी जोड़ी नहीं थी इसलिए उन्होंने चप्पलों को जल्दी से ठीक कराकर लाने को कहा था।
4. रंगय्या का मुँह एकदम चमक उठा।
अथवा
5. झुर्रियों की परतें खुल गईं।
प्रश्न : रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर : रचाकार कावुटूरि वेंकट नारायण राव
प्रश्न : पंक्ति का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर : जब रंगय्या को यह पता चला की रमण जिन चप्पलों को मरम्मत कराने के लिए लाया है – वह उसके मास्टर साहब के हैं तो उसका चेहरा खुशी के मारे दमकने लगा। उसे लगा कि इसी बहाने वह मास्टर साहब की कुछ सेवा कर पाएगा।
6. उसे किसी दूसरी दुनिया से कोई वास्ता नहीं।
अथवा
7. संसार बहुत कुछ बदल गया, मगर उसकी जिंदगी में किसी तरह का परिवर्तन नहीं आया।
प्रश्न : यहाँ किसके बारे में कहा जा रहा है ?
उत्तर : यहाँ रंगय्या के बारे में कहा जा रहा है।
प्रश्न : पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर : रंगय्या को केवल अपने काम से मतलब था। दूसरी दुनिया से उसे कोई लेना-देना नहीं था। दुनिया तेजी से बदल रही थी। लेकिन उसकी जिंदगी पुराने ढर्रे पर चल रही थी। वह पचास वर्षों से चप्पल मरम्मत करने का वही पेशा करता आ रहा है।
8. अब इतनी जल्दी नहीं हो सकता है।
अथवा
9. शाम तक …….. जो कुछ होगा, मैं कर दूँगा।
प्रश्न : रचना तथा रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर : रचना ‘चप्पल’ है तथा इसके रचनाकार कावुटूरि वेंकट नारायण राव हैं।
प्रश्न : पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर : रमन अपने पिता रंगय्या के पास मास्टर साहब के पुराने चप्पल मरम्मत कराने के लिए लाया था। चप्पलों की हालत बहुत ही बुरी थी। उसके ओर गत्ते बाहर निकल गए थे तथा सारी सिलाई भी टूट-फूट गई थी। ऐसे चप्पलों की मरम्मत तुरंत नहीं हो सकती थी इसलिए रंगय्या ने कहा कि यह काम इतनी जल्दी नहीं हो सकता है। हो सकता है। वह शाम तक कर देने की कोशिश करेगा।
10. आज के जमाने में हर किसी को पैसे की जरूरत होती है।
प्रश्न : प्रस्तुत पंक्ति किस पाठ से उद्धृत है ?
उत्तर : प्रस्तुत पंक्ति ‘चप्पल’ पाठ से उद्धृत हैं।
प्रश्न : पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर : रंगय्या को चप्पलें देकर रमण लौटा नहीं बल्कि वहीं खड़ा रहा। रंगय्या को यह समझतेदेर नहीं लगी कि रमण क्या चाहता है। वह अपनी जेब खर्च के लिए कुछ पैसे चाह रहा था। रंगय्या ने मन ही मन सोचा- यह ठीक ही है तो है। आज के जमाने में हर किसी को पैसे की जरूरत होती है।
11. रंग्य्या कभी भी उसका मन नहीं दुखाता ।
प्रश्न : रंग्य्या कौन है ?
उत्तर : रंग्य्या ‘चप्पल’ कहानी का प्रमुख पात्र है।
प्रश्न : वह कभी किसका मन नहीं दुखाता और क्यों ?
उत्तर : रंग्य्या कभी भी अपने बेटे रमण का दिल नहीं दुखाता। पाँच संतान की मृत्यु के बाद उसके जीवन में रमण आया था। इतना ही नहीं जन्म देने के बाद उसकी माँ भी चल बसी थी। यही रमण उसके जीवन का एक मात्र आधार था इसीलिए वह कभी भी उसका दिल नहीं दुखाता है।
12. उसकी आँखों में उतावलापन दीख रहा था।
अथवा
13. सारी दुनिया उसको पाँच पेसे के रुप में दीखने लगी।
अथवा
14. जाने वह किस लोक में पहुँच जाता है।
प्रश्न : यहाँ किसके बारे में कहा जा रहा है ?
उत्तर : यहाँ रंगय्या के बेटे रमण के बारे में कहा जा रहा है।
प्रश्न : पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर : रंगय्या ने रमण को देने के लिए चिल्लरों से पाँच पैसे निकाले। उस पाँच पैसे के सिक्के को वह बड़े ही उतावलेपन से देख रहा था कि कब वह उसके हाथ में आए। इन पाँच पैसों में ही उसे सारी दुनिया नजर आ रही थी। बच्चे का स्वभाव ही ऐसा होता है कि वह थोड़े ही पैसों में अपनी कल्पना लोक में पहुँच जाते हैं। रमण की इस दशा की तुलना ‘ईदगाह’ कहानी के हामिद से की जा सकती है।
14. उसका मन एकदम पिघल गया।
प्रश्न : पाठ का नाम लिखें।
उत्तर : पाठ का ‘चप्पल’ है।
प्रश्न : पंक्ति का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर : पैसे लेकर जब रमण चला गया तो रंगय्या उसी के बारे में सोचने लगा। उसे इस बात का गर्व महसूस हो रहा था कि रमण पल्ली के अन्य बच्चों की तरह आवारागर्दी न करके पढ़ना-लिखना सीख रहा है। यह सोचकर ही बेटे के प्रति प्रेम के भाव से उसका मन एकदम पिघल गया ।
15. बड़ा आदमी बन जाए और कुलवालों में अच्छा नाम कमाए।
प्रश्न : वक्ता कौन है ?
उत्तर : वक्ता ‘चप्पल’ कहानी का प्रमुख पात्र रंग्य्या है।
प्रश्न : पंक्ति का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर : रमण रंगय्या के जीवन का एकमात्र सहारा था। उसकी पली भी रमण को जन्म देकर चल बसी थी। वह दिन रात मेहनत करके एक-एक पैसे जोड़ रहा था तथा रमण के मास्टर साहब के पास जमा कर रहा था ताकि उसकी पढ़ाई में कोई रुकावट न आए। उसका भविष्य संवर जाए। उसकी एकमात्र आकांक्षा थी कि रमण पढ़-लिखकर बड़ा आदमी बने तथा अपने कुलवालों में अच्छा नाम कमाए।
17. ये दोनों इच्छाएँ पूरी हो जाएँगी।
प्रश्न : पाठ का नाम लिखें।
उत्तर : पाठ का नाम ‘चप्पल’ है।
प्रश्न : इस कथन का प्रसंग स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : रमण के जाने के बाद रंग्य्या के मन में यह भाव आया कि वह रमण को पढ़ाने वाले मास्टर साहब को उनकी कृपा के लिए साष्टांग प्रणाम करें। वह स्कूल में रमण को देखे कि वह किस प्रकर पढ़ रहा है। उसने सोचा कि यदि वह स्कूल चला जाए तो उसकी ये दोनों ही इच्छाएँ पूरी हो जाएगी।
18. उनमें कोई खासियत नहीं थी।
अथवा
19. रंगय्या को बड़े महिमान्वित से लगे।
अथवा
20. एकदम परम पवित्र ।
अथवा
21. उन्हें आँखों से लगाया।
अथवा
22. रंग्य्या ने सोचा।
अथवा
23. हाँ, इनको ठीक कर दूँगा।
अथवा
24. ऐसा करुँगा कि मास्टर साहब याद रखें ।
प्रश्न : प्रस्तुत पंक्ति के रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर : प्रस्तुत पंक्ति के रचनाकार कावुटूरी वेंकट नारायण राव हैं।
प्रश्न : किसमें कोई खासियत नहीं थी ?
उत्तर : मास्टर साहब के चप्पलों में कोई खासियत नहीं थी।
प्रश्न : रंगय्या को कौन महिमान्वित-से लगे ?
उत्तर : रंगय्या को मास्टर साहब के चप्पल महिमान्वित से लगे।
प्रश्न : रंगय्या ने क्या सोचा?
उत्तर : रंगय्या ने सोचा कि इन चप्पलों को ठीक करना मुश्किल है।
प्रश्न : वक्ता किसे ठीक करने की बात कर रहा है ?
उत्तर : वक्ता मास्टर साहब के चप्पलों को ठीक करने की बात कह रहा है।
प्रश्न : प्रस्तुत गद्यांश का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर : रमण मास्टर साहब के जिन चप्पलों को मरम्मत के लिए अपने पिता के पास लाया था उनकी हालत खस्ता थी। उनमें कोई विशेषता भी नहीं थी फिर भी वे उन्हें महिमा से भरे तथा परम पवित्र लगे। बड़े ही भक्ति-भाव से उसने उन चप्पलों को अपनी आँखों से लगाया। उसने मन ही मन तय किया की इन चप्पलों की मरम्मत करके ऐसा नया बना दूँगा कि मास्टर साहब भी याद रखेंगे।
25. चिल्लर ही चिल्लर हाथ लगा।
अथवा
26. उसकी खुशी का ठिकाना न रहा।
प्रश्न : किसके हाथ चिल्लर ही चिल्लर लगा ?
उत्तर : रंगय्या के हाथ चिल्लर ही चिल्लर लगा।
प्रश्न : किसकी खुशी का ठिकाना न रहा ?
उत्तर : रंगय्या की खुशी का ठिकाना न रहा।
प्रश्न : पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर : रंगय्या ने रमण को देखने के लिए स्कूल जाने के पहले अपनी जेब को टटोला तो उसमें से केवल चिल्लर ही चिल्लर निकले। ये चिल्लर भी उसकी उम्मीद से ज्यादा निकले। पिछले दिन उसने जितना परिश्रम किया था यह उसी का नतीजा था। यह देखकर उसकी खुशी का ठिकाना न रहा कि कुल मिलाकर छ: रू० बीस पैसे थे।
27. अंदर जाने का साहस नहीं रहा।
प्रश्न : इस पंक्ति के लेखक का नाम लिखिए।
उत्तर : इस पंक्ति के लेखक कावुटूरि वेंकट नारायण राव हैं।
प्रश्न : पंक्ति का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर : मास्टर साहब को साष्टांग प्रणाम करने तथा बेटे रमण को पढ़ता हुआ देखने की इच्छा से रग्य्या स्कूल तक पहुँच गया। वहाँ का वातावरण देखकर कुछ समय के लिए तो वह जैसे अपने-आप को ही भूल गया। जब उसकी तंद्रा भंग हुई तब उसने अंदर जाने की सोची लेकिन उसे अंदर जाने का साहस नहीं हो रहा था।
28. कहीं वह ऐसा काम तो नहीं कर रहा है, जो उसे नहीं करना चाहिए?
अथवा
29. उसकी जबान लड़खड़ाने लगी ।
प्रश्न : ‘वह’ कौन है ?
उत्तर : ‘वह’ रंगय्या है।
प्रश्न : किसकी जबान लड़खड़ाने लगी।
उत्तर : रंगय्या की जबान लड़खड़ाने लगी।
प्रश्न : प्रस्तुत पद्यांश का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर : रमण के स्कूल जाकर रंग्य्या को ऐसा लगा कि वह अनपढ़ है तथा पढ़े-लिखे लोगों के बीच कम से कम इस समय तो नहीं आना चाहिए। एक अध्यापक द्वारा आने का मकसद पूछ लिए जाने के बाद वह निरूत्तर ही हो गया कि वह यहाँ क्यों आया है। उसे मन ही मन इस बात का भय होने लगा कि उसने यहाँ आकर गलती की है। वह कहीं ऐसा काम तो नहीं करने जा रहा जो उसे नहीं करना चाहिए।
30 : रंग्य्या की खुशी का ठिकाना न रहा।
प्रश्न : पाठ के रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर : पाठ के रचनाकार कावुटूरि वेंकट नारायण राव हैं।
प्रश्न : रंग्य्या की खुशी का ठिकाना क्यों न रहा ?
उत्तर : एक अध्यापक के कहने पर जब वह रमण को देखने विद्यालय के अंदर गया तो यह देखकर उसकी खुशी का ठिकाना न रहा कि उसका बेटा भी अन्य बच्चों के साथ बैठकर कुछ याद कर रहा था। मास्टर साहब अपने हाथ में तेलगु की प्रथम पुस्तक लेकर बच्चों से उसे कंठस्थ करवा रहे थे। भले ही उसकी किस्मत में पढ़ना-लिखना नहीं हो लेकिन उसका बेटा तो पढ़-लिख रहा है। यह सब देख व सोचकर ही रंग्य्या को खुशी का ठिकाना न रहा।
31. मास्टर साहब ने वह किताब दिखा दी।
अथवा
32. क्या यह सच है मास्टर साहब ?
अथवा
33. मैं भी यही चाहता हूँ साब।
प्रश्न: रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर : रचाकार कावुटूरि वेंकट नारायण राव हैं।
प्रश्न : प्रस्तुत पद्यांश का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर : मास्टर साहब ने रंगय्या को रमण की पढ़ाई के बारे में बताते हुए यह कहा कि अब तो रमण ‘बाल-शिक्षा’ भी पढ़ने लगा है। विश्वास दिलाने के लिए उन्होंने अपने हाथ की वह किताब भी रंगय्या को दिखा दी। लेकिन रंगय्या को अपनी आँखों व अपने कार्यों पर विश्वास नहीं हो रहा था। उसने फिर मास्टर साहब से कहा कि वह भी यही चाहता है कि उसका रमण पढ़-लिख कर बड़ा आदमी बने
34. मैं अपना चमड़ा उतार कर चप्पल बना के दूँगा।
अथवा
35. आपका ऋण नहीं चुका सकूँगा साब।
प्रश्न : वक्ता कौन है ?
उत्तर : वक्ता ‘चप्पल’ कहानी का प्रमुख पात्र रंगय्या है।
प्रश्न : आशय स्पष्ट करें।
उत्तर : मास्टर साहब रमण को जितना स्नेह देकर तथा उसकी देखभाल करके पढ़ा रहे थे वह रंगय्या के लिए किसी वरदान से कम नहीं था। मास्टर साहब के उपकार का बदला किसी भी रूप में नहीं चुका सकता था। वह कोई एक मौका चाहता था। जिससे मास्टर साहब का कोई काम करके उनके उपकार का बदला दे सके। चाहे इसके लिए उसे कितना ही बड़ा त्याग क्यों न करना पड़े। इसलिए उसने कहा कि यदि वह अपना चमड़ा उतरवा कर भी उनका चप्पल बना दे तो भी उनके उपकार का बदला नहीं चुका पाएगा।
36. मास्टर साहब को इस बात की उम्मीद नहीं थी।
अथवा
37. बच्चों को भी वह कुछ अजीब-सा लगा।
अथवा
38. कोई देखेगा तो अच्छा नहीं होगा।
प्रश्न : रचना तथा रचाकार का नाम लिखें।
उत्तर : रचना ‘चप्पल’ है तथा इसके रचनाकार कावुदूरी वेंकट नारायण राव हैं।
प्रश्न : पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर : रमण के स्कूल में मास्टर साहब से मिलने के बाद कृतज्ञता-भाव से रंगय्या ने उनके पाँव पकड़ लिए। यह सब इतना अचानक हुआ कि मास्टर साहब भी कुछ नहीं समझ पाए। यह सब देखकर कुछ अजीब-सा लग रहा था। वे माजरे को समझ नहीं पा रहे थे। तभी मास्टर साहब ने रंगय्या को टोकते हुए कहा कि अगर कोई रंगय्या को इस तरह पांवों पर गिरते देखेगा तो लोग इसे अच्छा नहीं समझेंगे।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न – 1 : ‘चप्पल’ कहानी के प्रमुख पात्र का चरित्र-चित्रण करें।
अथवा
प्रश्न – 2 : ‘चप्पल’ कहानी का नायक कौन है? उसका चरित्र-चित्रण करें।
अथवा
प्रश्न – 3 : ‘चप्पल’ कहानी के किस पात्र ने आपको सर्वाधिक प्रभावित किया है? उसकी चारित्रिक विशेषताओं को लिखें।
अथवा
प्रश्न – 4 : ‘चप्पल’ कहानी के आधार पर रंगय्या का चरित्र-चित्रण करें।
उत्तर : रंगय्या कावुटूरि वेंकट नारायणराव की कहानी ‘चप्पल’ का प्रमुख पात्र है। उसके चरित्र ने मुझे सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। वह समाज के उस वर्ग से है जिसे अछूत समझा जाता है। इस वर्ग से होने के बावजूद वह शिक्षा के माध्यम से अपने-आपको समाज में प्रतिष्ठित करना चाहता है।
रंगय्या के चरित्र की जिन विशेषताओं ने मुझे प्रभावित किया है, वे निम्नांकित हैं-
(क) सीधी-सादी जिंदगी जीने वाला : रंगय्या पेशे से चर्मकार है। वह पिछले पचास वर्षों से चप्पलें मरम्मत करने का कार्य करता आ रहा है। यही उसकी दुनिया है तथा दूसरी दुनिया से उसे कोई वास्ता नहीं है। इन पचास वर्षों में दुनिया इतनी बदल गई लेकिन उसके जीवन, पेशे तथा उसकी दुनिया वैसी की वैसी ही चल रही है।
(ख) पुत्र के लिए अपार प्रेम : अपने एकलौते बेटे रमण के लिए उसके दिल में अपार प्रेम है। पाँच बच्चों के मर जाने के बाद यही रमण जीवित रहा। रमण को जन्म देने के बाद उसकी माँ भी चल बसी। अब रंगय्या ही रमण की माँ और बाप-दोनों ही है। रमण ही उसके जीवन का एकमात्र आधार है। इन सब कारणों से बेटे रमण के लिए उसके दिल में अपार प्रेम है।
(ग) शिक्षक के प्रति अपार श्रद्धा : रंगय्या स्वयं तो अनपढ़ है लेकिन शिक्षकों के लिए उसके मन में अपार श्रद्धा है। रमण के मास्टर साहब जाति-पांति का भेदभाव किए रमण को अपने पास रखकर पढ़ा-लिखा तो रहे ही हैं उसके भोजन तथा पुस्तकों का भी ध्यान रखते हैं। रंगय्या इसलिए कबीर की तरह सोचता है कि गुरू का ॠण किसी भी रूप में नहीं चुकाया जा सकता –
राम नाम के पटंतरै देवै को कछु नाहिं ।
क्या लै गुरू संतोखिये हौंस रही मन मांहि ।।
(घ) शिक्षा पाने के लिए ललायित : रंगय्या अनपढ़ है। उसकी उम्र पचास वर्षों से अधिक की है फिर भी वह पढ़ना-लिखना चाहता है। इस बारे में वह रमण के स्कूल के एक अध्यापक से बातें भी करता है। इस उम्र में अपने पढ़ाई शुरू करने के बारे में काफी उधेड़बुन के बाद वह इस निष्कर्ष पर पहुँचता है –
“सबको पढ़ना-लिखना चाहिए।
बड़ी उम्र हो गई तो क्या हुआ?”
इतना ही नहीं वह मास्टर साहब के उपकार के बारे में कहता है – “मैं अपना चमड़ा उतारकर चप्पल बना के दूंगा, फिर भी आपका ॠण नहीं चुका सकूँगा साब।”
(ङ) अच्छी जिंदगी जीने की इच्छा : रंगय्या जिस बस्ती में रहता है वहाँ सब निचले तबके के ही लोग रहते हैं तथा अपनी स्थिति को सुधारने के बारे में कभी नहीं सोचते। लेकिन रंगय्या ऐसी जिंदगी से बेहतर जिंदगी चाहता है। इसीलिए रंगय्या को अपनी बस्ती के ऐसे लोगों के साथ उठना-बैठना पसंद नहीं है।
(च) कुशल कारीगर : रंगय्या की ख्याति एक कुशल कारीगर के रूप में है। पुरानी से पुरानी चप्पलों की भी ऐसी मरम्मत करता है कि वे नई लगने लगती है। मास्टर साहब की टूटी-फूटी चप्पलों की वह ऐसी मरम्मत करता है कि उसकी सुंदरता पर स्वयं मुग्ध हो जाता है।
(छ) बचत करने वाला : रंगय्या की जो कमाई होती है वह बस्ती के अन्य लोगों की तरह उन पैसों को शराब में नहीं उड़ाता है। वह उन पैसों को रमण के मास्टर साहब के पास जमा करता जाता है ताकि वे पैसे भविष्य में रमण के काम आ सके।
(ज) बेटे के भविष्य के सुनहले स्वप्न देखने वाला : रंगय्या चाहता है कि उसका बेटा रमण खूब पढ़े-लिखे। बड़ा आदमी बने तथा कुलवालों में अच्छा नाम कमाए। जब मास्टर साहब कहते हैं कि, “वह बहुत बड़ा आदमी बन जाएगा। तुम्हें मोटर में बिठाकर घुमाएगा।” रंगय्या उन दिनों के बारे में पूछता है – “क्या वह दिन मैं देख सकूँगा?’
(झ) वचन निभाने वाला : रंगय्या अपने वचन को निभाना जानता है उसने मास्टर साहब के चप्पलों की मरम्मत करके शाम तक देने का वचन दिया है। सही समय पर चप्पलों की मरम्मत करके अपनी झोपड़ी में अटारी में रख दी। बस्ती में आग लगने से उसकी झोपड़ी भी आग की चपेट में आ जाती है। अपने वचन को निभाने के लिए वह जलती झोपड़ी में चला जाता है। चप्पलें तो सुरक्षित रह जाती है लेकिन वह इस दुनिया से विदा हो जाता है। इस प्रकार अपने प्राण देकर भी वह वचन की रक्षा करता है।
दरअसल रंगय्या आधुनिक भारत का वह चरित्र है जिसके बारे में स्वामी विवेकानंद ने कहा था-
“शुद्र-शक्तियों से नवीन भारत एवं यथार्थ भारतीयता की किरणें फूटेंगी। वे ही भविष्य के ब्राह्मण,
क्षत्रिय हैं। ……. चिरकाल तक लड़कर ब्राह्मण-क्षत्रिय पस्त हो गए हैं …….. उनका कार्य अब वे जातियाँ करेंगी जो अब तक सेवा करती आयी है।”
प्रश्न – 5: ‘चप्पल’ कहानी में लेखक के व्यक्त विचारों को अपने शब्दों में लिखें।
अथवा
प्रश्न – 6 : ‘चप्पल’ कहानी के माध्यम से लेखक ने हमें क्या संदेश देना चाहा है?
अथवा
प्रश्न – 7 : ‘चप्पल’ कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालें।
अथवा
प्रश्न – 8: ‘चप्पल’ कहानी के शीर्षक के औचित्य पर प्रकाश डालिए।
अथवा
प्रश्न – 9 : ‘चप्पल’ कहानी का मूल भाव अपने शब्दों में लिखें।
अथवा
प्रश्न – 10 : ‘चप्पल’ कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखें।
अथवा
प्रश्न – 11 : ‘चप्पल’ कहानी दिशा-निर्देशक की भांति है – अपने विचार लिखें।
अथवा
प्रश्न- 12 : ‘चप्पल’ कहानी का उद्देश्य गुरू और शिष्य के रिश्तों की प्रासंगिकता पर आधारित है – अपने विचार लिखें।
अथवा
प्रश्न – 13 : ‘चप्पल’ कहानी रिश्तों को मजबूत बनाने वाली कहानी है – विवेचना करें।
उत्तर : ‘कावुटूरि वेंकट नारायणराव की कहानी ‘चप्पल’ गुरू तथा शिष्य के संबंधों पर आधारित एक आदर्शवादी कहानी है। यह हमें प्राचीन भारत की गुरू-शिष्य के संबंधों की दुनिया में ले जाती है।
प्रस्तुत कहानी में मास्टर साहब उच्च जाति के हैं लेकिन रमण जाति से चर्मकार है जिसे अछूत माना जाता है। फिर भी मास्टर साहब बिना किसी भेदभाव के उसे पढ़ाते-लिखाते हैं, उसके भोजन तथा पुस्तकों की भी व्यवस्था करते हैं। वह रमण को अपने पुत्र की तरह ही प्रेम देते हैं। वह रमण के पिता रंगय्या जो चप्पलें मरम्मत करने का काम करता है उसे कहते हैं-
“रमण तुम्हारा बच्चा नहीं, मैं उसे अपना बच्चा समझता हूँ। तुम उसकी चिंता न करो। उसका सारा भार मुझ पर छोड़ दो।”
अपने इस उपकार के बदले वे रंगय्या से कुछ लेना भी नहीं चाहते। इतना ही नहीं, वह रंगय्या द्वारा पैर छूने पर उसे इस काम के लिए मना भी करते हैं – “तुम यह क्या कर रहे हो रंगय्या? कोई देखेगा तो अच्छा नहीं होगा…….।”
रंगय्या को मास्टर साहब पर इतना विश्वास है कि वह अपनी कमाई के बचाए हुए रुपये भी उनके पास जमा करता है।
रंगय्या मास्टर साहब के टूटे चप्पलों को बड़ी हसरत से ठीक करता है, उन्हें फिर से नई बना देता है। वह अपने हाथों से उन्हें पहनाना चाहता है लेकिन वह इस हसरत को लिए हुए ही दुनिया से विदा हो जाता है। झोपड़ी में लगी आग से तो चप्पलों को बचा लेता है लेकिन स्वयं झुलस कर मर जाता है। रमण की सारी जिम्मेवारी मास्टर साहब पर आ जाती है।
इस प्रकार हम पाते हैं कि इस कहानी के माध्यम से लेखक ने एक सच्चे गुरू-शिष्य की आर्दशवादी पंरपरा को हमारे सामने रखना चाहा है। वह परंपरा जिसके अंतर्गत – कबीर, तुलसी, चन्द्रगुप्त, स्वामी विवेकानंद जैसी महान विभूतियों को उनके गुरू ने सजाया-संवारा था। गुरू और शिष्य के इस भेद-भाव रहित रिश्ते को दर्शाना ही लेखक का उद्देश्य है। उन्होंने जो संदेश देना चाहा है अगर उसे कबीर के शब्दों में कहें तो
‘कबीर गुर गरवा मिल्या, रलि गया आटैं लूंण।”
अर्थात् मुझे गौरवमय गुरूदेव मिल गए, उन्होंने अपने ज्ञान स्वरूप में मुझे इसी प्रकार एक कर लिया, अपने में मिला लिया जैसे आटे में नमक मिल जाता है।
इस कहानी की शुरूआत चप्पलों से होकर चप्पलों पर ही खत्म होती है, इसलिए इसका शीर्षक भी बिल्कुल सार्थक एवं उपयुक्त है।
प्रश्न – 14 : ‘चप्पल’ कहानी के मास्टर साहब का चरित्र-चित्रण करें।
अथवा
प्रश्न – 15 : ‘चप्पल’ कहानी के जिस पात्र ने आपको सबसे अधिक प्रभावित किया है उसका चरित्र-चित्रण करें।
अथवा
प्रश्न – 16 : ‘चप्पल’ कहानी के मास्टर साहब एक आदर्श शिक्षक हैं – अपने विचार लिखें।
अथवा
प्रश्न – 17 : ‘चप्पल’ कहानी के मास्टर साहब की चारित्रिक विशेषताओं को लिखें।
अथवा
प्रश्न – 18 : ‘चप्पल’ के मास्टर साहब एक आदर्श शिक्षक के प्रतीक हैं – अपने विचार लिखें।
उत्तर : ‘चप्पल’ कहानी में मास्टर साहब का चरित्र एक प्रभावशाली चरित्र हैं। उनमें एक आदर्श शिक्षक के सारे गुण हैं। यही कारण है कि उनके चरित्र ने मुझे सबसे ज्यादा प्रभावित किया है।
मास्टर साहब की चारित्रिक विशेषताओं को इन शीर्षकों के अंतर्गत रखा जा सकता है –
(क) प्रभावशाली व्यक्तित्व : मास्टर साहब का प्रभावशाली व्यक्तित्व किसी को अपनी ओर आकर्षित कर सकता है – गोरा-गोरा शरीर, सिर पर एक छोटी-सी चोटी, मस्तक पर भस्म की रेखाएँ, चन्दन का तिलक, धोबी की धुली हुई धोती और कंधे पर खादी की दुशाला।
(ख) जाति-पांति के भेदभाव से ऊपर : मास्टर साहब के वर्णन से प्रतीत होता है कि वे ब्राह्मण हैं। उच्च जाति के होने के बावजूद उनमें जाति-पांति के आधार पर भेदभाव की कोई भावना नहीं है। जाति से चर्मकार रमण को वे अपने बेटे की तरह मानते ही नहीं है, अपनी रसोई में खाना खिलाते व साथ बिठाकर पढ़ाते-लिखाते भी हैं। वे अपना सारा ज्ञान रमण को दे डालना चाहते हैं। ऐसे ही गुरू एवं रमण के जैसे शिष्य के बारे में कबीर ने लिखा है –
गुरू तो ऐसा चाहिए सिख से कछु नहिं लेय ।
सिस तो ऐसा चाहिए गुरू को सब कुछ देय ।।
(ग) कर्त्तव्यनिष्ठा व समर्पण: मास्टर साहब में अपने कर्त्तव्य के प्रति पूरी-पूरी निष्ठा व समर्पण का भाव है। वे बच्चों की शिक्षा के पीछे काफी परिश्रम करते हैं तथा अपने कर्त्तव्य के प्रति पूरी तरह समर्पित हैं। एक आदर्श शिक्षक की तरह वे अपने छात्रों से मधुर संबंध रखते हैं, उन्हें प्रोत्साहित करते हैं तथा पिता की तरह स्नेह करते हैं। इस गुण का पता उनके निम्नलिखित कथन से लग जाता है –
“तुम उसकी चिन्ता न करो ! उसका सारा भार मुझ पर छोड़ दो ! ……… वह बहुत बड़ा आदमी बन जाएगा।”
(घ) आदर्श शिक्षक : आशावादी दृष्टिकोण, प्रशासनिक योग्यता, मनोविज्ञान का ज्ञान, समाज की आवश्यकताओं का ज्ञान, विनोदी स्वभाव, दूरदर्शिता, मिलनसार प्रवृत्ति, अपने कार्य के प्रति आस्था, प्रभावशाली व्यक्तित्व आदि एक आदर्श शिक्षक के गुण होते हैं। मास्टर साहब में ये सारे गुण हैं तथा वे आदर्श शिक्षक की श्रेणी में आते हैं।
(ङ) गुरु-शिष्य की प्राचीन परंपरा : प्राचीन काल में गुरु और शिष्य का संबंध पिता-पुत्र के संबंध से बढ़कर होता था। आज शिक्षा एक व्यवसाय का रूप लेती जा रही है इसलिए शिक्षकों के व्यवहार में भी परिवर्तन देखने को मिलता है। ऐसे परिवर्तन के दौर में भी मास्टर साहब इन सबसे अछूते हैं तथा वे अपनी भूमिका का निर्वाह अच्छी तरह से कर रहे हैं।
विश्व के महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन ने कहा था – “विद्यार्थियों में सृजनात्मक भाव और ज्ञान का आनंद जगाना ही एक शिक्षक का सबसे महत्वपूर्ण गुण है।” – और इस कथन के आधार पर मास्टर साहब में ये सारे महत्वपूर्ण गुण हैं, इसलिए उनके व्यक्तित्व ने पूरी कहानी में मुझे सबसे ज्यादा प्रभावित किया है।

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