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WBBSE 10th Class Hindi Solutions Chapter 5 धावक

WBBSE 10th Class Hindi Solutions Chapter 5 धावक

West Bengal Board 10th Class Hindi Solutions Chapter 5 धावक

West Bengal Board 10th Hindi Solutions

लेखक-परिचय

कथाकार संजीव का जन्म 6 जुलाई सन् 1947, सुत्लानपुर (उत्तर प्रदेश) के बाँगरकलाँ गाँव में हुआ था।
इनकी शिक्षा-दीक्षा पश्चिम बंगाल में हुई थी जहाँ से उन्होंने रसायन-शास्त्र में स्नातकोत्तर के समकक्ष डिग्री हासिल की।
सेन्ट्रल ग्रोथ वर्क्स (इस्का) कुल्टी (पश्चिम बंगाल) में वर्षों रसायनज्ञ के रूप में कार्य करने के बाद फिलहाल स्वतन्त्र लेखन के कार्य से जुड़े हुए हैं।
समकालीन हिन्दी कथा-साहित्य के जाने-माने कथाकार हैं। वे अपने शोधपरक लेखन और वर्जित विषयों के अवगाहन के लिए विख्यात हैं।
उनके आठ उपन्यास और सौ से अधिक कहानियाँ प्रकाशित हो चुकी हैं। इसके अतिरिक्त विविध विषयों और विविध विधाओं में वे लगातार लेखनरत हैं।
प्रमुख रचनाएँ – तीस साल का सफरनामा, आप यहाँ हैं, भूमिका और अन्य कहानियाँ, दुनिया की सबसे हसीन औरत, प्रेतमुक्ति, प्रेरणास्रोत और अन्य कहानियाँ, ब्लैक होल, खोज, दस कहानियाँ, गति का पहला सिद्धान्त, गुफा का आदमी, आरोहण (कहानी-संग्रह), किशनगढ़ के अहेरी, सर्कस, सावधान! नीचे आग है, धार, पाँव तले की दूब, जंगल जहाँ शुरू होता है, सूत्रधार (उपन्यास), रानी की सराय (किशोर उपन्यास), डायन और अन्य कहानियाँ (बाल-साहित्य)
सम्मान प्रथम कथाक्रम सम्मान (1997), अन्तर्राष्ट्रीय इन्दु शर्मा सम्मान (2001) (लन्दन), भिखारी ठाकुर सम्मान (2004), पहला सम्मान (2005)। उन्हें श्रीलाल शुक्ल स्मृति सम्मान (2013) से सम्मानित किया गया है।

लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर

1. औरतों से भंबल दा को विरक्ति क्यों हो गई थी?
उत्तर : अपनी भाभी अर्थात् अशोक दा की पत्नी के उपेक्षापूर्ण व्यवहार के कारण भंबल दा को औरतों से विरक्ति हो गई थी ।
2. भंबल दा की जीवन के प्रति क्या धारणा थी ?
उत्तर : भंबल दा की जीवन के प्रति यह धारणा थी कि जिंदगी शान की नहीं बल्कि सम्मान की होनी चाहिए।
3. अशोक दा हत्बुद्धि कब हो गये थे?
उत्तर : जब भंबल दा ने पुरस्कार लेने से इन्कार कर दिया था उस समय अशोक दा हत्बुद्धि हो गये थे।
4. भंबल दा ने अपना मकान कैसे बनवाया था?
उत्तर : भंबल दा ने को-आपरेटिव और पी०एफ० के लोन से अपना मकान बनवाया था।
5. भंबल दा की साइकिल कैसी थी?
उत्तर : भंबल दा की साइकिल खटारा थी।
6. स्पोर्ट्स का मैदान कैसा था?
उत्तर : स्पोर्ट्स का मैदान ज्यामितिक अल्पना से अलंकृत (सजा) था।
7. मैदान में किसकी कमी थी?
उत्तर : मैदान में भंबल दा की कमी थी।
8. लेखक ने हड़बड़ाकर किस पर नजर डाली?
उत्तर : लेखक ने हड़बड़ाकर धावकों पर नजर डाली।
9. लेखक ने खेल प्रारम्भ कराने के लिए क्या किया?
उत्तर : लेखक ने खेल प्रारम्भ कराने के लिए पिस्तौल का घोड़ा दबा दिया।
10. स्पोर्ट्स अधिकारी से भंबल दा ने क्या पूछा?
उत्तर : स्पोर्ट्स अधिकारी से भंबल ने पूछा क्या सभी खिलाड़ियों को समान सुविधा देने का कोई कानून नहीं है?
11. भंबल दा को लोग क्या कहकर ललकार रहे थे ?
उत्तर : भंबल दा को लोग, “बढ़े चलिए बम भोले भैया’ कहकर ललकार रहे थे।
12. भंबल दा धीरे-धीरे क्यों दौड़ रहे थे?
उत्तर : भंबल दा थकान के प्रभाव से धीरे-धीरे दौड़ रहे थे।
13. भंबल दा को लंगी मारने पर लोग क्या कह कर चिल्ला रहे थे?
उत्तर : भंबल दा को लंगी मारने पर लोग मारो-मारो कहकर चिल्ला रहे थे।
14. भंबल दा हँसते हुए क्या कहते ?
उत्तर : भंबल दा हँसते हुए कहते भला किसान-मजदूर को कसरत की क्या जरूरत।
15. लोग किसकी आयु को पाँच साल की कहते हैं?
उत्तर : लोग स्पोर्ट्समैन और बीमा कम्पनी के एजेन्ट की आयु को पाँच साल का कहते हैं।
16. भंबल दा अपवाद क्यों थे?
उत्तर : भंबल दा 25 वर्षों से स्पोर्ट्स में भाग लेते आ रहे हैं, इसलिए अपवाद थे।
17. खेल अधिकारी, चाहकर भी भंबल दा को क्यों बैठा नहीं सकते थे?
उत्तर : दर्शकों के जबर्दस्त समर्थन के कारण खेल अधिकारी चाहकर भी भंबल दा को बैठा नहीं सकते थे।
18. पिछली बार बाधा दौड़ में कितने प्रतियोगी थे?
उत्तर : पिछली बार बाधा-दौड़ में महज चार प्रतियोगी थे।
19. भंबल दा किसलिए दौड़ते थे?
उत्तर : भंबल दा पुरस्कारों के लिए नहीं बल्कि अपने को तौलने के लिए दौड़ते थे।
20. भंबल दा को कैसी जिन्दगी प्यारी थी?
उत्तर : भंबल दा को शान की नहीं सम्मान की जिन्दगी प्यारी थी।
21. भंबल दा के अनुसार शान की जिन्दगी कैसी होती है?
उत्तर : भंबल दा के अनुसार शान की जिन्दगी दूसरों से अपने को ऊँचा दिखाने, क्रूरता और खुदगर्जी की होती है।
22. भंबल दा सम्मान को क्या मानते थे?
उत्तर : भंबल दा सम्मान को परस्पर सौहार्द और समता का द्योतक मानते थे।
23. चीफ पर्सनल अफसर के रूप में अशोक दा क्या करते थे?
उत्तर : चीफ पर्सनल अफसर के रूप में अशोक दा जायज को नाजायज और नाजायज को जायज किया करते थे।
24. भंबल दा को क्यों औरतों से विरक्ति हो गयी थी?
उत्तर : भंबल दा को अपनी भाभी के आचरणों के कारण औरतों से विरक्ति हो गयी थी।
25. माँ ने लेखक को बुलाकर क्या कहा?
उत्तर : माँ ने लेखक को बुलाकर भंबल दा की शादी के लिए कहा।
26. ‘धावक’ कहानी के रचनाकार कौन हैं?
उत्तर : ‘धावक’ कहानी के रचनाकार संजीव हैं।
27. स्पोर्ट्स के मैदान में किसकी कमी थी?
उत्तर : स्पोर्ट्स के मैदान में भंबल दा की कमी थी।
28. ‘बम भोले भैया’ के नाम से किसे जाना जाता है?
उत्तर : भंबल दा को बम भोले भैया के नाम से जाना जाता है।
29. अजीब खब्ती आदमी है – ‘खब्ती आदमी’ किसे कहा गया है?
उत्तर : भंबल दा को ‘खब्ती आदमी’ आदमी कहा गया है।
30. लेखक स्पोर्ट्स के मैदान में किस बात पर चौकन्ना थे ?
उत्तर : लेखक इस बात पर चौकन्ना थे कि कहीं सामान्य मजदूर-बाबू क्लास के लोग वी.आई.पी. की जगहों को न हथिया लें।
31. लोग भंबल दा के किस बात आश्वस्त थे?
उत्तर : लोग भंबल दा के इस बात पर आश्वस्त थे कि खेल में दूसरे भले ही बेईमानी कर बैठें लेकिन भंबल दा कभी बेईमानी नहीं कर सकते।
32. लेखक भंबल दा की किस बात से कुढ़ते थे?
उत्तर : अक्सर जब दौड़ समाप्त हो चुकी होती और धावक अपने प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान पर खड़े होकर दर्शकों का अभिवादन कर रहे होते उस समय भी भंबल दा अपनी दौड़ पूरी करने के लिए ट्रैक पर दौड़ रहे होते थे।
33. भंबल दा की साइकिल के बारे में क्या प्रसिद्ध था?
उत्तर : भंबल दा की साइकिल के बारे में यह बात प्रसिद्ध थी कि घंटी छोड़कर उसका सब कुछ बजता है।
34. लेखक ने भंबल दा को अन्य धावकों की तरह क्या नहीं करते देखा ?
उत्तर : लेखक ने भंबल दा को अन्य धावकों की तरह कभी दौड़ का अभ्यास करते नहीं देखा।
35. “भला किसान-मजदूर को कसरत की क्या जरूरत” – कथन किसका है?
उत्तर : यह कथन भंबल दा का है।
36. लोग स्पोर्ट्स मैन तथा बीमा कंपनी के एजेंट के बारे में क्या कहते हैं ?
उत्तर : इनकी आयु पाँच साल होती है।
37. भंबल दा किसके अपवाद थे ?
उत्तर : लोगों के अनुसार स्पोर्ट्समैन तथा बीमा कंपनी के एजेंट की आयु पाँच साल होती है – भंबल दा इस नियम के अपवाद थे।
38. किसने कभी नहीं खेलों के नियमों का उल्लंघन किया ?
उत्तर : भंबल दा ने खेलों के नियमों का उल्लंघन कभी नहीं किया।
39. पिछली बार की बाधा दौड़ में कुल कितने प्रतियोगी थे?
उत्तर : पिछली बार के बाधा दौड़ में कुल चार प्रतियोगी थे।
40. जब एक प्रतियोगी ने भंबल दा के बाधा दौड़ में द्वितीय आने को गलत बताकर माँ की कसम खाने को कहा तो भंबल दा ने क्या उत्तर दिया?
उत्तर : “तुम्हारी माँ नहीं है शायद वरना तुम इस तुच्छ पुरस्कार के लिए माँ को दाँव पर नहीं लगाते मेरे भाई ।’
41. भंबल दा के बड़े भाई का नाम क्या था?
उत्तर : भंबल दा के बड़े भाई का नाम अशोक दा था।
42. भंबल दा तथा उनके भाई अशोक दा की उपलब्धियों में कितना अंतर था?
उत्तर : भंबल दा तथा उनके भाई अशोक दा की उपलब्धियों में वर्षों का नहीं युगों का अंतर था। भंबल दा एक किरानी थे जबकि अशोक दा चीफ पर्सनल ऑफिसर थे ।
43. भंबल दा की शिक्षा कहाँ तक हुई ?
उत्तर : भंबल दा की शिक्षा मैट्रीक्यूलेशन तक हुई थी।
44. भंबल दा मैट्रीक्यूलेशन में कितनी बार फेल हुए थे ?
उत्तर : भंबल दा मैट्रीक्यूलेशन में चार बार फेल हुए थे।
45. किसने काफी करीब से भंबल दा को देखा था ?
उत्तर : लेखक ने भंबल दा को काफी करीब से देखा था।
46. “आदमी को शान से जीना चाहिए या तो इस दुनिया से कूच कर जाना चाहिए’ – यह कथन किसका और किसके प्रति है?
उत्तर : यह कथन भंबल दा के बड़े भाई अशोक दा का है तथा यह भंबल दा के प्रति है।
47. अशोक दा अक्सर भंबल दा से क्या कहा करते थे?
उत्तर : अशोक दा अक्सर भंबल दा से यह कहा करते थे कि, “आदमी को शान से जीना चाहिए या तो इस दुनिया से कूच कर जाना चाहिए। मेरा भाई मेरी गरिमा के अनुकूल होकर आता है तो उसका स्वागत है, वरना उसे यहाँ आने की जरूरत ही क्या है? माँ को मेरे पास छोड़ दे या उसे लेकर किसी दूसरे शहर चला जाय। मैं दूसरे को खैरात बाँटता हूँ, उन्हें भी ढाई सौ भेज दिया करूँगा।”
48. भंबल दा को कैसी जिंदगी चाहिए थी ?
उत्तर : भंबल दा को शान की नहीं सम्मान की जिंदगी चाहिए थी।
49. भंबल दा के अनुसार शान क्या होती है?
उत्तर : भंबल दा के अनुसार शान द्वारा अपने को ऊँचा दिखाने की क्रूरता तथा खुदगर्जी होती है।
50. भंबल दा के अनुसार सम्मान क्या होता है?
उत्तर : भंबल दा के अनुसार सम्मान आपसी प्रेमं तथा समता का प्रतीक होता है
51. लेखक के सामने भंबल दा को लेकर क्या समस्या थी?
उत्तर : लेखक के सामने भंबल दा को लेकर समस्या यह थी कि कैसे उन्हें बाकी सहकर्मियों से आगे बढ़ाकर शीर्ष पर ले जाएँ।
52. लेखक भंबल दा को किस बात के लिए उकसा रहे थे ?
उत्तर : लेखक भंबल दा को इस बात के लिए उकसा रहे थे कि वे ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट होकर किसी ट्रेड में विशेषता प्राप्त कर लें।
53. भंबल दा केवल परिवार ही नहीं, मुहल्ले तक में अपनी जड़ जमाए हुए थे – कैसे ?
उत्तर : भंबल दा सबके गम, सबकी खुशी में शरीर होने वाले थे- चाहे वह बंगाली हो, गैर बंगाली हो, हिन्दू हो या फिर मुसलमान हो। जहाँ भी उनकी जरूरत होती थी- वे वहीं हाजिर हो जाते थे। अपनी इन्हीं विशेषताओं के कारण भिंबल दा केवल अपने परिवार में ही नहीं, मुहल्ले तक में अपनी जड़ें जमाए हुए थे।
54. किसकी शादी से भंबल दा की माँ टूट गई थी?
उत्तर : भंबल दा के भाई अर्थात् अपने बड़े बेटे अशोक की शादी से भिंबल दा की माँ टूट गई थी।
55. माँ को कौन-सी चीज बुरी तरह सालती थी ?
उत्तर : माँ को यह बात बुरी तरह सालती थी कि उनका एक बेटा (अशोक) उनकी छाया तक से बचता चलता है।
56. भंबल दा को सोया जानकर माँ क्या करती थीं?
उत्तर : भिंबल दा को सोया जानकर माँ अपने दिल के दरवाजे-खिड़कियाँ बंद कर तनहाइयों में डूब जाती थी।
57. अपने दर्द को झूठलाने के लिए माँ क्या करती थीं ?
उत्तर : अपने दर्द को झूठलाने के लिए माँ अशोक दा की खूब प्रशंसा किया करती थीं।
58. परिवार का शुभचिंतक होने के नाते लेखक के सामने कौन-सा रास्ता बच रहा था?
उत्तर : परिवार का शुभचिंतक होने के नाते लेखक के सामने एक ही रास्ता बच रहा था। वह रास्ता था- भिंबल दा तथा अशोक दा के बीच की कड़ी को जोड़ देना।
59. क्या भंबल दा का प्रमोशन हुआ ? क्यों ?
उत्तर : नहीं, भंबल दा का प्रमोशन नहीं हो पाया क्योंकि वह गलत तरीके से प्रमोशन लेना नहीं चाहते थे।
60. भंबल दा के विवाह के बारे में क्या मुश्किल थी ?
उत्तर : भंबल दा के विवाह के बारे में मुश्किल यह थी कि वे उम्र के उस दौर में पहुँच रहे थे जहाँ मनचाही लड़कियाँ नहीं मिलती हैं।
61. लेखक ने भंबल दा से शादी के लिए किसे राजी क्या ?
उत्तर : लेखक ने एक मास्टरनी को भंबल दा से शादी के लिए राजी किया।
62. लेखक ने जिसके साथ भंबल दा की विवाह तय किया – क्या वह विवाह हो पाया?
उत्तर : लेखक ने जिसे भंबल दा के साथ विवाह के लिए राजी किया था उसके साथ विवाह नहीं हो पाया ।
63. मास्टरनी के सामने पड़ने से किसकी रूह काँपती थी और क्यों ?
उत्तर : मास्टरनी के सामने पड़ने से लेखक की रूह काँपती थी। क्योंकि उसका विवाह भंबल दा के साथ नहीं हो पाया।
64. भंबल दा को औरतों से विरक्ति क्यों हो गई थी?
उत्तर : अपनी भाभी के व्यवहार के कारण भंबल दा को औरतों से विरक्ति हो गई थी।
65. भंबल दा ने विवाह क्यों नहीं किया ?
उत्तर : भंबल दा का मासिक वेतन साढ़े तीन सौ रुपये था। माँ के इलाज के बाद इतने पैसे नहीं बचते थे कि पत्नी का भी भार वहन कर सकते। यही कारण था कि भंबल दा ने विवाह नहीं किया।
66. कौन भंबल दा की पैसे की समस्या हल कर सकता था ?
उत्तर : भंबल दा की भावी पत्नी पैसे की समस्या हल कर सकती थी।
67. भंबल दा को किसका अहसानमंद बनना कुबूल न था ?
उत्तर : भावी पत्नी का अहसानमंद बनना भंबल दा को कुबूल न था।
68. किसने, किससे, किसके लिए शादी करने की कोशिश करने की बात लेखक से कही?
उत्तर : भंबल दा की माँ ने लेखक से भंबल दा की शादी के लिए कोशिश करने की बात कही।
69. पचीस वर्षों में पहली बार भंबल दा को कौन-सा पुरस्कार मिलने जा रहा था?
उत्तर : पचीस वर्षों में पहली बार भंबल दा को विदूषक का सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार मिलने जा रहा था।
70. भंबल दा को पहला स्ट्रोक कब हुआ?
उत्तर : जिस दिन भंबल दा को विदूषक का सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गई उसी रात भंबल दा को पहला स्ट्रोक हुआ।
71. भंबल दा का मकान कहाँ था ?
उत्तर : स्टेशन के पास ही भंबल दा का मकान था।
72. भंबल दा का मकान कितने कमरे का था?
उत्तर : भंबल दा का मकान दो कमरे का था।
73. भंबल दा के कमरे की दशा कैसी थी?
उत्तर : भंबल दा के कमरे की दशा काफी अस्त-व्यस्त थी। माँ काली के चित्र के सामने जली हुई धूप-काठियों की ढेर थी। मकड़े के जाले लटक रहे थे। पिछले तीन महीने से कैलेण्डर का पन्ना नहीं बदला गया था तथा चमगादड़ों ने वहाँ अपना घर बना लिया था।
74. भंबल दा ने जो कागज भैया (अशोक दा) के नाम छोड़ा था उसमें क्या लिखा था?
उत्तर : भंबल दा ने अपने भाई के लिए छोड़े गए कागज में लिखा- “भैया, दौड में जीत उसी की होती है जो सबसे आगे निकल जाता है, चाहे लंगी मारकर हो, या गलत ट्रैक हथिया कर हो।… मुझे खुशी है कि मैंने लंगी नहीं मारी, गलत ट्रैक नहीं पकड़ा।
75. भंबल दा के पड़ोस के दूर-दूर खड़े लोग, औरतें, बच्चे लेखक तथा अशोक दा को किस नजर से देख रहे थे ?
उत्तर : भंबल दा के पड़ोस के दूर-दूर खड़े लोग, औरतें, बच्चे तथा लेखक अशोक दा को अजूबा-सा देख रहे थे ।
76. समाज का कामुक, क्रूर वर्ग किसका रस लेते आघाता नहीं है ?
उत्तर : समाज का कामुक तथा क्रूर वर्ग सांड़-युद्ध, ग्लैडियेटर्स तथा म्यूजिकल चेयर जैसे खेल की रस लेते अघाता नहीं है।
77. कुछ दिनों से एक नया कौन-सा रुचि-संस्कार जन्मा है ?
उत्तर : पिछले कुछ दिनों से एक नया रुचि-संस्कार जो जन्मा है, वह है- लड़कियों, युवतियों की म्यूजिकल चेयर ।
78. लेखक पिछले कई सालों से रस ले-लेकर क्या देख रहे हैं?
उत्तर : लेखक पिछले कई सालों से रस ले-लेकर कामुक तथा क्रूर वर्ग की मानसिकता को देख रहे हैं।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

1. ‘धावक’ कहानी के रचनाकार कौन हैं ?
(क) कृष्णा सेबती
(ख) संजीव
(ग) शिवमूर्ति
(घ) चन्द्रधर शर्मा ‘गुलेरी’
उत्तर : (ख) संजीव
2. ‘तीस साल का सफरनामा’ (कहानी-संग्रह) किसकी रचना है?
(क) गुलेरी की
(ख) प्रेमचंद की
(ग) संजीव की
(घ) शिवमूर्ति की
उत्तर : (ग) संजीव की।
3. ‘आप यहाँ हैं’ (कहानी-संग्रह) के रचनाकार कौन हैं?
(क) संजीव
(ख) जयशंकर प्रसाद
(ग) कृष्णा सोबती
(घ) बंग महिला
उत्तर : (क) संजीव ।
4. ‘भूमिका और अन्य कहानियाँ’ किसकी कृति है ?
(क) गुलेरी की
(ख) प्रेमचंद की
(ग) यतीन्द्र मिश्र की
(घ) संजीव की
उत्तर : (घ) संजीव की।
5. ‘दुनिया की सबसे हसीन औरत’ (कहानी-संग्रह) किसकी रचना है ?
(क) संजीव की
(ख) यतीन्द्र मिश्र की
(ग) महादेवी वर्मा की
(घ) प्रेमचंद की
उत्तर : (क) संजीव की।
6. ‘प्रेतमुक्ति’ (कहानी-संग्रह) के रचनाकार कौन हैं ?
(क) संजीव
(ख) कृष्णा सोबती
(ग) जयशंकर प्रसाद
(घ) शिवमूर्ति
उत्तर : (क) संजीव ।
7. ‘प्रेरणास्त्रोत और अन्य कहानियाँ’ (कहानी-संग्रह) के रचनाकार कौन हैं ?
(क) प्रेमचंद
(ख) संजीव
(ग) गुलेरी
(घ) जयशंकर प्रसाद
उत्तर : (ख) संजीव ।
8. ‘ब्लैकहोल’ (कहानी-संग्रह) के लेखक कौन हैं ?
(क) कृष्णा सोबती
(ख) गुलेरी
(ग) शिवमूर्ति
(घ) संजीव
उत्तर : (घ) संजीव ।
9. ‘खोज’ (कहानी-संग्रह) किसकी रचना है?
(क) शैल रस्तोगी की
(ख) महादेवी वर्मा की
(ग) संजीव की
(घ) पंत की
उत्तर : (ग) संजीव की ।
10. ‘दस कहानियाँ’ के रचनाकार कौन हैं ?
(क) संजीव
(ख) निराला
(ग) डॉ० रामकुमार वर्मा
(घ) कृष्णा सोबती
उत्तर : (क) संजीव ।
11. ‘गति का पहला सिद्धांत’ किसकी कृति है ?
(क) निराला की
(ख) प्रसाद की
(ग) पंत की
(घ) संजीव की
उत्तर : (घ) संजीव की।
12. ‘गुफा का आदमी’ (कहानी-संग्रह) के रचनाकार कौन हैं ?
(क) शिवमूर्ति
(ख) संजीव
(ग) अनामिका
(घ) महादेवी वर्मा
उत्तर : (ख) संजीव ।
13. ‘आरोहण’ (कहानी-संग्रह) के रचनाकार कौन हैं ?
(क) अनामिका
(ख) संजीव
(ग) कृष्णा सोबती
(घ) शैल रस्तोगी
उत्तर : (ख) संजीव।
14. ‘किशनगढ़ के अहेरी’ (उपन्यास) के रचनाकार कौन हैं ?
(क) प्रेमचंद
(ख) महादेवी वर्मा
(ग) संजीव
(घ) निराला
उत्तर : (ग) संजीव ।
15. ‘सावधान! नीचे आग है’ के उपन्यासकार कौन हैं?
(क) प्रेमचंद
(ख) संजीव
(ग) जयशंकर प्रसाद
(घ) निराला
उत्तर : (ख) संजीव ।
16. ‘धार’ (उपन्यास) के लेखक कौन हैं ?
(क) जयशंकर प्रसाद
(ख) (निराला)
(ग) अनामिका
(घ) संजीव
उत्तर : (घ) संजीव ।
17. ‘रानी की सराय’ (किशोर उपन्यास) किसकी रचना है?
(क) बंग महिला की
(ख) महादेवी वर्मा की
(ग) संजीव की
(घ) निराला की
उत्तर : (ग) संजीव की ।
18. ‘डायन और अन्य कहानियाँ’ (बाल-साहित्य) के रचनाकार कौन हैं?
(क) संजीव
(ख) जयशंकर प्रसाद
(ग) निराला
(घ) प्रेमचंद
उत्तर : (क) संजीव ।
19. निम्नलिखित में से कौन-सा सम्मान कथाकार संजीव को प्राप्त नहीं हुआ है?
(क) प्रथम कथाक्रम सम्मान
(ख) अन्तर्राष्ट्रीय इन्दु शर्मा सम्मान
(ग) सोवियत भूमि नेहरू पुरस्कार
(घ) भिखारी ठाकुर सम्मान
उत्तर : (ग) सोवियत भूमि नेहरू पुरस्कार ।
20. निम्नलिखित में से कौन-सा सम्मान कथाकार संजीव को प्राप्त नहीं हुआ है ?
(क) भिखारी ठाकुर सम्मान
(ख) अकादमी अवार्ड
(ग) पहला सम्मान
(घ) श्री लाल शुक्ल स्मृति सम्मान
उत्तर : (ख) अकादमी अवार्ड।
21. कथाकार संजीव का जन्म किस प्रदेश में हुआ था?
(क) उत्तर प्रदेश
(ख) मध्य प्रदेश
(ग) हिमाचल प्रदेश
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर : (क) उत्तर प्रदेश ।
22. भंबल दा की कमी कहाँ खलती थी?
(क) घर में
(ख) स्पोर्ट्स के मैदान में
(ग) ऑफिस में
(घ) कवि सम्मेलन में
उत्तर : (ख) स्पोर्ट्स के मैदान में ।
23. भंबल दा को लोग अन्य किस नाम से पुकारते थे?
(क) गोबर गणेश भैया
(ख) खिलाडी भैया
(ग) बम भोले भैया
(घ) धावक भैया
उत्तर : (ग) बम भोले भैया।
24. “अजीब खब्ती आदमी है” – खब्ती किसे कहा गया है?
(क) अशोक दा को
(ख) भंबल दा को
(ग) लेखक को
(घ) प्रबीण को
उत्तर : (ख) भंबल दा को।
25. भंबल दा कोथाय – का अर्थ है ?
(क) भंबल दा मर गए
(ख) भंबल दा हार गए
(ग) भंबल दा कहाँ हैं
(घ) भंबल दा चले गए ?
उत्तर : (ग) भंबल दा कहाँ हैं ?
26. ‘नगण्य प्राणी’ किसे कहा गया है ?
(क) भंबल दा को
(ख) प्रवीण को
(ग) लेखक को
(घ) अशोक दा का
उत्तर : (क) भंबल दा को ।
27. लेखक भंबल दा को कितने वर्षों से जानते हैं ?
(क) बीस
(ख) पच्चीस
(ग) तीस
(घ) पैंतीस
उत्तर : (ख) पच्चीस ।
28. भंबल दा ने निम्नलिखित में से किस खेल में भाग नहीं लिया?
(क) कार रेस
(ख) लौंग जम्प
(ग) हाई जम्प
(घ) हर्डल्स रेस
उत्तर : (क) कार रेस।
29. भंबल दा ने निम्लिखित में से किस खेल में भाग नहीं लिया ?
(क) डिस्क थ्रो
(ख) साइकिल रेस
(ग) म्यूजिकल चेयर
(घ) मील भर की दौड़
उत्तर : (ग) म्यूजिकल चेयर ।
30. मायूसी का भंबल दा पर क्या असर होता था?
(क) गुस्सा हो जाते थे
(ख) रूँआसे हो जाते थे
(ग) चेहरा लाल हो जाता
(घ) चेहरा सूज आता
उत्तर : (घ) चेहरा सूज आता।
31. टका-सा भोथरा जवाब- क्या था?
(क) भाग जाओ
(ख) बाद में आना
(ग) नहीं बोलो
(घ) ठीक है, मत पार्टिसिपेट करो
उत्तर : (घ) ठीक है, मत पार्टिसिपेट करो।
32. भंबल दा क्या नहीं कर सकते?
(क) बेईमानी
(ख) चोरी
(ग) साइकिल चलाना
(घ) सच बोलना
उत्तर : (क) बेईमानी ।
33. साइकिल-रेस में भंबल दा की चाल कैसी रहती?
(क) तेज
(ख) बहुत तेज
(ग) भोली
(घ) कम तेज
उत्तर : (ख) भोली ।
34. लोगों के अनुसार स्पोर्ट्समैन और बीमा कं० के एजेण्ट की आयु कितनी होती है?
(क) पाँच साल
(ख) सात साल
(ग) दस साल
(घ) पंद्रह साल
उत्तर : (क) पाँच साल।
36. लेखक ने किसे काफी करीब से देखा है?
(क) अशोक दा को
(ख) भंबल दा की माँ को
(ग) भंबल दा को
(घ) जोगन मुण्डा को
उत्तर : (ग) भंबल दा को ।
37. अशोक दा भंबल दा से कितने वर्ष बड़े थे?
(क) एक
(ख) दो
(ग) तीन
(घ) चार
उत्तर : (ख) दो
38. भंबल दा मैट्रीक्युलेशन में कितनी बार फेल हुए?
(क) एक बार
(ख) दो बार
(ग) तीन बार
(घ) चार बार
उत्तर : (घ) चार बार ।
39. भंबल दा को कैसी जिंदगी चाहिए थी?
(क) शान की
(ख) गरीबी की
(ग) सम्मान की
(घ) अमीरी की
उत्तर : (ग) सम्मान की।
40. किसने लेखक को बुलाकर कसकर डाँटा था?
(क) यशराज ने
(ख) अशोक दा ने
(ग) माँ ने
(घ) विधवा बहन ने.
उत्तर : (ख) अशोक दा ने ।
41. भंबल दा की जवान बहन किस पर आश्रित थी?
(क) माँ, पर
(ख) अशोक दा पर
(ग) भंबल दा पर
(घ) किसी पर नहीं
उत्तर : (ग) भंबल दा पर ।
42. किसकी शादी से माँ पूरी तरह टूट गई थीं?
(क) अशोक दा की
(ख) बेटी की
(ग) भंबल दा की
(घ) लेखक की
उत्तर : (क) अशोक दा की।
43. “माँ के लिए बेटा-बेटा ही होता है” – गद्यांश किस पाठ से लिया गया है ?
(क) नन्हा संगीतकार
(ख) धावक
(ग) चप्पल
(घ) नमक
उत्तर : (ख) धावक ।
44. “अपने दिल के दरवाजे-खिड़कियाँ बंद कर फिर उन्हीं तनहाइयों में डूब जातीं” – प्रस्तुत गद्यांश किस पाठ से लिया गया है ?
(क) चप्पल
(ख) नन्हा संगीतकार
(ग) धावक
(घ) नमक
उत्तर : (ग) धावक ।
45. “बात पानी में फेंके गए मुर्दे की तरह ही उतरा आयी” – प्रस्तुत गद्यांश किस पाठ से लिया गया है ?
(क) धावक
(ख) चप्पल
(ग) नन्हा संगीतकार
(घ) नमक
उत्तर : (क) धावक ।
46. “तुम्हें दूसरे के काम में दखल नहीं देना चाहिए” – वक्ता कौन है ?
(क) अशोक दा
(ख) भंबल दा
(ग) माँ
(घ) सफ़िया
उत्तर : (ख) भंबल दा।
47. “क्यों क्या किया है मैंने” – वक्ता कौन है ?
(क) सफिया
(ख) भंबल दा
(ग) अशोक दा
(घ) जेनको
उत्तर : (ग) अशोक दा।
48. ‘मास्टरनी के सामने पड़ने से तो अब मेरी रुह ही काँपती है” – वक्ता कौन है ?
(क) माँ
(ख) भंबल दा
(ग) अशोक दा
(घ) लेखक
उत्तर : (घ) लेखक ।
49. “उन्हें औरतों से विरक्ति हो गई” – ‘उन्हें’ से कौन संकेतित है?
(क) मास्टर साहब
(ख) कस्टम ऑफिसर
(ग) भंबल दा
(घ) रंगय्या
उत्तर : (ग) भंबल दा।
50. भंबल दा का वेतन कितना था?
(क) दो सौ रुपये
(ख) ढाई सौ रुपये
(ग) तीन सौ रुपये
(घ) सढ़े तीन सौ रुपये
उत्तर : (घ) साढ़े तीन सौ रुपये।
51. “हमारा कलेजा धक-सा रह जाता है”- प्रस्तुत पंक्ति किस पाठ से उद्धृत है?
(क) चप्पल
(ख) नमक
(ग) नन्हा संगीतकार
(घ) धावक
उत्तर : (घ) धावक ।
52. “आज सुबह ही वे गुजर गए’ – पंक्ति किस पाठ से उद्धृत है ?
(क) धावक
(ख) चप्पल
(ग) इनमें से कोई नहीं
(घ) नमक
उत्तर : (क) धावक ।
53. “कल रात ही उन्हें दूसरा दौरा पड़ा था” – उन्हें से कौन संकेतित हैं ?
(क) रंगय्या
(ख) सिख बीवी
(ग) भंबल दा
(घ) अशोक दा
उत्तर : (ग) भंबल दा।
54. “आज सुबह ही वे गुजर गए’ – ‘वे’ कौन हैं?
(क) रंगय्या
(ख) सफिया
(ग) अशोक दा
(घ) भंबल दा
उत्तर : (घ) भंबल दा।
55. “लड़का लौट आता है” – पंक्ति किस पाठ से ली गई है ?
(क) धावक
(ख) नमक
(ग) चप्पल
(घ) नन्हा संगीतकार
उत्तर : (क) धावक ।
56. “मगर मुझे खुशी और संतोष है” – पंक्ति किस पाठ से उद्धृत है?
(क) धावक
(ख) नमक
(ग) चप्पल
(घ) उसने कहा था
उत्तर : (क) धावक ।
57. “एक छोटी-सी आयताकार जर्द-सी उठान” – पंक्ति किस पाठ से उद्धृत है?
(क) चप्पल
(ख) धावक
(ग) उसने कहा था
(घ) नमक
उत्तर : (ख) धावक ।
58. “माँ की मौत के समय विदेश में थे” – यहाँ किसके बारे में कहा गया है?
(क) रंगय्या
(ख) सफिया
(ग) अशोक दा
(घ) भंबल दा
उत्तर : (ग) अशोक दा ।
59. “मैं तुम्हारी तरह होता’ – ‘मैं’ कौन है?
(क) रमण
(ख) सफिया का भाई
(ग) अशोक दा
(घ) भंबल दा
उत्तर : (घ) भंबल दा।
60. “आठ साल ज्यादा जी लोगे यही न?” – वक्ता कौन हैं?
(क) अशोक दा
(ख) लेखक
(ग) भंबल दा
(घ) रंगय्या
उत्तर : (ग) भंबल दा।
61. “हो सके तो चखकर कभी देखना” – वक्ता कौन है?
(क) सफिया
(ख) मास्टर साहब
(ग) लेखक
(घ) भंबल दा
उत्तर : (घ) भंबल दा।
62. “रूहें पनाह माँगती फिरेंगी” – पंक्ति किस पाठ से उद्धृत है?
(क) नमक
(ख) उसने कहा था
(ग) चप्पल
(घ) धावक
उत्तर : (घ) धावक ।
63. “फिर गये कहाँ” – पंक्ति किस पाठ से ली गई है?
(क) नमक
(ख) चप्पल
(ग) धावक
(घ) उसने कहा था
उत्तर : (ग) धावक ।
64. “पता नहीं कितना कुछ हो सकता था” – पंक्ति किस पाठ से ली गई है?
(क) धावक
(ख) उसने कहा था
(ग) नमक
(घ) चप्पल
उत्तर : (क) धावक ।
65. “इतना सोचने का भी वक्त नहीं था मेरे लिए?” – पंक्ति किस पाठ से उद्धृत है?
(क) नमक
(ख) धावक
(ग) चप्पल
(घ) नन्ही संगीतकार
उत्तर : (ध) धावक ।

वस्तुनिष्ठ सह व्याख्यामूलक प्रश्नोत्तर

1. “आदमी को शान से जीना चाहिए या तो इस दुनियाँ से कूच कर जाना चाहिए’ 
प्रश्न : प्रस्तुत कथन का वक्ता कौन है?
उत्तर : प्रस्तुत कथन का वक्ता भंबल दा के भाई अशोक दा हैं।
प्रश्न : कथन की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।
उत्तर : भंबल दा काफी संघर्ष करके केवल अप्रेष्टिससिप पा सके थे। बड़े ऑफिसार थे और भंबल दा उनकी गरिमा के अनुकूल नहीं थे। यह बात अशोक दा को नागवार गुज़रती थी इसलिए वे अक्सर कहा करते थे कि आदमी को शान से जीना चाहिए या तो इस दुनिया से कूच कर जाना चाहिए।
2. ‘इसे मेरी ओर से तुम्हीं रख लो।’
प्रश्न : प्रस्तुत अंश किस पाठ से उद्धृत है ?
उत्तर : प्रस्तुत अंश ‘धावक’ पाठ से उद्धृत है ।
प्रश्न : वक्ता का नाम लिखते हुए प्रस्तुत अंश का सप्रसंग आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : पच्चीसवीं वर्ष गांठ पर भंबल दा को सर्वश्रेष्ठ धावक का नहीं बल्कि उनको सर्वश्रेष्ठ विदूषक का पुरस्कार दिया जा रहा था । इतना ही नहीं, पुरस्कार देते समय अशोक दा ने व्यंग्य किया – “अपनी करनी का पुरस्कार ले जाओ शर्म काहे की ? खानदान में एक जोकर तो निकला।” इस अपमान को न सह पाने के कारण भंबल दा ने अशोक दा से कहा कि इसे मेरी ओर से तुम्हीं रख लो।
3. बमभोले भैया कहाँ हैं ?
अथवा
4. सचमुच भंबल दा या बमभोले भैया का कहीं अता-पता नहीं था ।
अथवा
5. फिर गये कहाँ?
अथवा
6. अजीब खब्ती आदमी है।
अथवा
7. सूची में तो उनका नाम था ।
अथवा
8. आज उन्हीं की कमी यूँ अखर रही थी मानो सारा मैदान सूना है।
प्रश्न : रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर : रचनाकार संजीव हैं।
प्रश्न : भंबल दा का कहाँ अता-पता नहीं था?
उत्तर : स्पोर्ट्स मैदान में भंबल का कहीं अता-पता नहीं था।
प्रश्न : ‘अजीब खब्ती आदमी’ किसे कहा गया है?
उत्तर : भंबल दा को अजीब खब्ती आदमी कहा गया है।
प्रश्न : किस सूची में किसका नाम था?
उत्तर : धावकों की सूची में भंबल दा का नाम था।
प्रश्न : प्रस्तुत गद्यांश का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर : भंबल दा को उनके भोलेपन के कारण लोग बमभोले भैया भी कहा करते थे। एक बार लेखक स्पोर्ट्स के मैदान में एक मील की दौड़ को शुरू करने वाले थे। सारे धावक मैदान में आ चुके थे। स्टेडियम में लाउडस्पीकर से धावकों के नाम पुकारे जा रहे थे, दौड़ से संबंधित सारे निर्देश दुहराये जा रहे थे, लेकिन भंबल दा का कोई अता-पता नहीं था। उनके बगैर मैदान सूना लग रहा था क्योंकि वे लोगों के हीरो थे। लेखक भी परेशान था क्योंकि धावकों की सूची में  उनका नाम तो था लेकिन अभी तक वे मैदान में नजर नहीं आ रहे थे। लेखक झुंझलाहट में उन्हें खब्ती आदमी तक कह • डालते हैं। कारण यह है कि उनका कोई ठिकाना नहीं। हो सकता है कि निकले हों स्पोर्ट्स के मैदान के लिए और कहीं समाज-सेवा के काम में लग गए हो। भबल दा के इस रवैये पर कबीर की यह उक्ति बिल्कुल सटीक बैठती है –
“आए थे हरि भजन को ओटन लगे कपास।”
9. धीरे-धीरे अधिकांश खेलों से बहिष्कृत होते गए भंबल दा।
अथवा
10. जब भी ऐसा होता मायूसी में उनका चेहरा और भी सूज आता।
अथवा
11. खेल का एक न्यूनतम मानक होता है।
अथवा.
12. क्या सभी खिलाड़ियों-धावकों को समान सुविधा देने का कोई कानून नहीं है।
अथवा
13. साहबों के एक बर्बर मनोरंजन से अधिक इस स्पोर्ट्स का कोई महत्व है?
प्रश्न : रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर : रचनाकार संजीव हैं।
प्रश्न : प्रस्तुत गद्यांश का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर : हरेक खेल के अपने कुछ नियम होते हैं जो उम्र, वजन आदि से जुड़े होते हैं। इन नियमों के अनुसार ही खिलाड़ियों का चयन किया जाता है। उम्र बढ़ते जाने के कारण भंबल दा धीरे-धीरे कई खेलों से बाहर होते जा रहे थे। लेकिन उनका भोला खिलाड़ी मन इन नियमों को मानने से इन्कार कर देता था। उनका यह कहना था कि खिलाड़ी-खिलाड़ी में कोई किसी आधार पर कोई भेद-भाव नहीं किया जाना चाहिए। अगर ऐसा किया जाता है तो यह केवल साहबों के एक बर्बर मनोरंजन से अधिक कुछ नहीं है।
14. लोग उन्हें ललकार रहे होते ।
अथवा
15. चलिए, चलिए जान ।
अथवा
16. बढ़े चलिए, बढ़े. चलिए।
अथवा
17. कभी-कभी तो हमें भी उनकी वास्तविक स्थिति का भ्रम हो जाता।
अथवा
18. दूसरे भले ही बेईमानी कर बैठें, भंबल दा नहीं कर सकते।
अथवा
19. बिना सारे चक्र पूरे किए वे बैठते कैसे?
अथवा
20. यह स्पोर्ट्समैन के रुतबे के खिलाफ हो जाता न!
प्रश्न : रचना एवं रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर : रचना ‘धावक’ है तथा इसके रचनाकार संजीव हैं।
प्रश्न : ‘स्पोट्र्समैन’ किसे कहा गया है?
उत्तर : भंबल दा को स्पोर्ट्समैन कहा गया है।
प्रश्न : पंक्ति का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर : हालाँकि भंबल दा अपनी सुस्त चाल से सभी खेलों में अंतिम स्थान पर ही आते थे फिर भी वे लोगों के आकर्षण के केंद्र थे। उनकी कछुआ चाल के बावजूद दर्शक चिल्ला-चिल्ला उनका हौसला बढ़ाते रहते थे। जब दौड़ समाप्त हो चुकी होती, प्रथम, द्वितीय एवं तीसरे स्थान पर आने वाले के नामों की घोषणा हो रही होती – फिर भी भंबल दा अपना चक्र पूरा करने में लगे रहते थे। दौड़ को पूरा किए ही बीच में छोड़ देना उनके स्पोर्टमैन के रुतबे के खिलाफ था। फिर भी भंबल दा में एक बड़ी खूबी थी कि उन्होंने बेईमानी कर कभी कोई स्थान पाने की कोशिश नहीं की।
21. घंटी छोड़कर उसका सब कुछ बजता है।
प्रश्न : रचना एवं रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर : रचना ‘धावक’ है तथा इसके रचनाकार संजीव हैं।
प्रश्न : प्रस्तुत कथन का अभिप्राय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : भंबल दा साइकिल रेस में भाग लेने से नहीं चूकते थे। साइकिल रेस के लिए खिलाड़ी अच्छी-अच्छी तथा कम वजन की साइकिलें लेकर आते थे। लेकिन भंबल दा इस अवसर पर भी अपनी खटारा साइकिल ही लेकर आते थे जिसके बारे में लोगों के बीच में यह प्रसिद्ध था कि उनकी साइकिल का घंटी छोड़कर सबकुछ बजता है। साइकिल रेस के लिए किसी से साइकिल उधार लेना उनके स्वाभिमान के खिलाफ था।
22. कभी अन्य धावकों की तरह रियाज करते नहीं देखा।
अथवा
23. पति-पत्नी दोनों ही ‘योगा’ करते।
अथवा
24. भला किसान-मजदूर को कसरत की क्या जरूरत?
प्रश्न : रचना एवं रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर : रचना ‘धावक’ है तथा रचनाकार संजीव हैं।
प्रश्न : पति-पत्नी से कौन संकेतिक है?
उत्तर : अशोक दा और उनकी पत्नी संकेतित हैं।
प्रश्न: कौन अपने को किसान-मजदूर कह रहा है?
उत्तर : भंबल दा अपने को किसान-मजदूर कह रहे हैं।
प्रश्न : पंक्ति का अभिप्राय स्पष्ट करें।
उत्तर : भंबल दा खिलाड़ी थे फिर भी वे अन्य खिलाड़ियों की तरह कोई अभ्यास नहीं करते थे। उनका कहना था कि श्रम करके जीने वाले किसी किसान-मजदूर को कसरत या अभ्यास करने की कोई जरूरत नहीं है। इसके विपरीत उनके भाई अशोक दा का खेल से कोई लेना-देना नहीं था, फिर भी दोनों पति-पत्नी अपने-आपको चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए योगा किया करते थे।
25. हम उन्हें चाहकर भी बैठा न पाते।
प्रश्न : प्रस्तुत गद्यांश किस पाठ से- उद्धृत है?
उत्तर : प्रस्तु गद्यांश ‘धावक’ पाठ से उद्धृत है।
प्रश्न : पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर : खेलों में अपनी सुस्त-चाल तथा ट्रैक जाम रखने के कारण भंबल दा को कई बार लोगों के व्यंग्यवाण तथा अफसरों की घुड़कियों को भी सहना पड़ता था। इसके बावजूद उन्होंने न तो कभी खेल के नियमों का उल्लंघन किया, न किसी का विरोध किया और सबसे बड़ी बात यह कि खेलों में भाग लेना भी नहीं छोड़ा। भंबल दा को दर्शकों का इतना जबर्दस्त समर्थन प्राप्त था कि खेल के अधिकारी उन्हें चाहकर भी कभी खेल से बिठाना तो दूर, उसके बारे में सोच भी नहीं पाए।
26. यूँ भंबल दा उसकी मुखरता की तुलना में मौन थे ।
अथवा
27. आप माँ की कसम खा लीजिए।
अथवा
28. मैं अपना दावा छोड़ देता हूँ।
अथवा
29. तुम्हारी माँ नहीं है शायद ।
अथवा
30. इस तुच्छ पुरस्कार के लिए माँ को दाँव पर नहीं लगाते मेरे भाई ।
अथवा
31. तुम्हें शायद मालूम नहीं ।
अथवा
32. भंबल ऐसे पुरस्कारों के लिए नहीं दौड़ता।
अथवा
33. मुझे तो सिर्फ अपने को तौलना था।
अथवा
34. और वह मैं कर चुका…..।
प्रश्न : रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर : रचनाकार संजीव हैं।
प्रश्न : वक्ता के कथन का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर : एक बार भंबल दा बाधा दौड़ में दूसरे स्थान पर आए लेकिन दूसरे प्रतियोगी ने उन्हें गलत बताया था। कहा कि वह दूसरे स्थान पर आया है। इतना ही नहीं, उसने कहा कि अगर भंबल दा माँ की कसम खाकर बोलें कि वे दूसरे स्थान पर आए हैं तो वे मान लेंगे। माँ की कसम की बात सुनते ही भंबल दा भावुक हो आए। उन्होंने कहा कि शायद तुम्हारी माँ नहीं है वरना इस तुच्छ पुरस्कार के लिए तुम माँ को दाँव पर नहीं लगाते। इस तुच्छ पुरस्कार का मूल्य माँ से बढ़कर नहीं हो सकता।
35. आज दोनों की उपलब्धियों में वर्षों का नहीं, युगों का फासला था ।
प्रश्न : रचना एवं रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर : रचना ‘धावक’ है तथा इसके रचनाकार संजीव हैं।
प्रश्न : ‘दोनों’ से कौन संकेतित है ?
उत्तर : दोनों से भंबल दा तथा अशोक दा संकेतित हैं।
प्रश्न : पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर : भंबल दा तथा अशोक दा सगे भाई थे। लेकिन दोनों की उपलब्धियों में काफी अंतर था। अशोक दा सही-गलत तरीके को अपना कर चीफ पर्सनल ऑफिसर के पद तक पहुँच गए थे। जीवन की सारी सुख-सुविधाओं के साथ-साथ रुतबा भी था। इसके विपरीत भंबल दा के जीवन की उपलब्धि केवल किरानी के पद तक सिमट कर रह गयी थी। पारिवारिक बोझ का वहन करने में ही वे जिंदगी की दौड़ में पीछे रह गए।
36. फिर तो देश-देशान्तर घूमने का एक क्रम ही चल पड़ा।
प्रश्न : रचना एवं रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर : रचना का नाम ‘धावक’ है तथा रचनाकार संजीव हैं।
प्रश्न : प्रस्तुत गद्यांश का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर : अशोक दा की शादी बड़े साहब की बेटी से हुई थी। स्कॉलरशिप पाने के कारण वे बड़े साहब को पसंद आ गए थे। शादी होते ही वे बड़े साहब के बंगले में रहने को आ गए थे। फिर बड़े साहब के पैसों से ही उन्होंने देश-विदेश की कई यात्रा भी कर डाली।
37. खैर उस बार फेल नहीं हुए।
प्रश्न : प्रस्तुत पंक्ति किस पाठ से उद्धृत है?
उत्तर : प्रस्तुत पंक्ति ‘धावक’ पाठ से उद्धृत है।
प्रश्न : पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर : भंबल दा मैट्रिक की परीक्षा में चार बार फेल हो चुके थे, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने पाँचवीं बार परीक्षा दी और पास हो गए। अगर पाँचवीं बार भी, वे पास नहीं हो पाते तो शायद फिर कभी पास नहीं कर पाते क्योंकि बढ़ते घर-खर्च के कारण वे अपनी पढ़ाई जारी नहीं रख पाते।
38. आदमी को शान से जीना चाहिए या तो इस दुनिया से कूच कर जाना चाहिए।.
अथवा
39. मेरा भाई मेरी गरिमा के अनुकूल होकर आता है तो उसका स्वागत है।
अथवा
40. उसे यहाँ आने की जरूरत ही क्या है?
अथवा
41. उसे लेकर किसी दूसरे शहर चला जाय।
अथवा
42. उन्हें भी ढाई सौ भेज दिया करूंगा।
प्रश्न : वक्ता कौन है?
उत्तर : वक्ता भंबल दा के भाई अशोक दा हैं।
प्रश्न : वक्ता के कथन का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर : भंबल दा तथा अशोक दा के पद, प्रतिष्ठा तथा हैसियत में जमीन-आसमान का अंतर था। वे चाहते थे कि उनका भाई भी ऊँचाइयों को छुए क्योंकि भंबल दा को इस फटेहाल में अपना भाई स्वीकार करने में उन्हें लज्जा आती थी वे साफ-साफ शब्दों में कहते थे कि अगर जिंदगी शानदार न हो तो उससे अच्छा मर जाना है। मेरा भाई भी अगर मेरी तरह की हैसियत लेकर मेरे पास आए तो मैं उसका स्वागत करूंगा। इस फटेहाली में उसे मेरे पास आने की जरूरत नहीं है। वह माँ को मेरे पास छोड़कर या उसे लेकर दूसरे शहर चला जाय। उसके खाना-खर्ची के लिए मैं उसे ढाई सौ रुपये हरेक महीने भेज दिया करूंगा।
43. भंबल दा को शान की नहीं, सम्मान की जिंदगी चाहिए थी।
अथवा
44. उनके अनुसार शान में दूसरे से अपने को ऊँचा दिखाने की क्रूरता और खुदगर्जी होती है।
अथवा
45. सम्मान उनके लिए परस्पर सौहार्द और समता का द्योतक था।
प्रश्न : रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर : रचनाकार संजीव हैं।
प्रश्न : भंबल दा कैसा जीवन जीना चाहते थे?
उत्तर : भंबल दा सीधे-सरल व्यक्ति थे। वे चाहते थे कि वे शान की नहीं, सम्मान की जिंदगी जिएँ। जो शान को जिंदगी जीते हैं उनमें स्वार्थ की भावना होती है। दूसरों से अपने को ऊँचा दिखाने के लिए वे सही-गलत की परवाह भी नहीं करते हैं। जबकि सम्मान का जीवन इससे बिल्कुल अलग होता है। सम्मान में आपसी प्रेम तथा समानता की भावना होती है – उसमें खुदगर्जी नहीं होती है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न – 1 : ‘धावक’ कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखें।
अथवा
प्रश्न – 2 : ‘धावक’ कहानी में निहित संदेश को लिखें।
अथवा
प्रश्न – 3 : ‘धावक’ कहानी के माध्यम से लेखक ने हमें क्या संदेश देना चाहा है?
अथवा
प्रश्न – 4 : ‘धावक’ कहानी का मूल भाव लिखते हुए उसके उद्देश्य पर प्रकाश डालें।
अथवा
प्रश्न – 7 : ‘धावक कहानी की कथावस्तु को संक्षेप में लिखें।
अथवा
प्रश्न- 5: ‘धावक’ कहानी का मूल भाव लिखते हुए इसके शीर्षक की सार्थकता पर प्रकाश डालें।
अथवा
प्रश्न – 6 : ‘धावक’ कहानी की समीक्षा करें।
उत्तर : ‘धावक’ कहानी के रचनाकार संजीव हैं। इनकी कहानियाँ अनुभवों तथा अपने आस-पास के जीते-जागते पात्रों की कहानियाँ हैं न कि किसी कल्पनालोक की उपज । कथाकार संजीव ने ‘धावक’ कहानी में एक ऐसे ही व्यक्ति भंबल दा की स्मृतियों को पिरोया है।
भंबल दा ‘धावक’ कहानी के नायक हैं। वे सच्चे अर्थों में खिलाडी है। कंपनी की ओर से आयोजित कोई भी क्रीडा प्रतियोगिता भंबल दा के बिना अधूरी है। भले ही भंबल दा किसी प्रतियोगिता में स्थान न बना पाते हों लेकिन वे खेल के नियमों का पूरा-पूरा पालन करते हैं। पुरस्कार पाने के लिए अन्य खिलाड़ियों की तरह उन्होंने कभी बेइमानी का सहारा नहीं लिया। अपनी इमानदारी, समाज-सेवा तथा पारिवारिक बोझ के कारण ही वे जिंदगी की दौड में भी पिछड़ गये। लेकिन उन्हें इसका ज़रा-सा भी मलाल नहीं है ।
भंबल दा के विपरीत उनके बड़े भाई ने अपने साहब की लड़की से विवाह कर तथा पारिवारिक दायित्वों की उपेक्षा कर जीवन में काफी आगे निकल गए। भंबल दा केवल किरानी बनकर ही रह गए लेकिन अशोक दा चीफ पर्सनल मैनेजर तक पहुँच गए।
कम आय होने के कारण भंबल दा कभी विवाह के लिए राजी नहीं हुए। इस स्थिति में भी उन्होंने बहन को प्रतिमाह रूपये भेजने में कभी कोताही नहीं की।
धीरे-धीरे यह बोझ असहनीय हो गया तथा एक दिन भंबल दा इस दुनिया से उसी तरह चल बसे जिस प्रकार भारत में खिलाड़ी उम्र निकल जाने के बाद गुमनामी के अंधेरे में खो जाते हैं।
इस प्रकार कथाकार संजीव ने धावक’ भंबल दा के माध्यम से उन खिलाड़ियों की ओर ध्यान आकर्षित करना चाहा है जो सुविधा के अभाव में असमय ही जीवन के दौड़ से निकल जाते हैं। ऐसे खिलाड़ियों के प्रति समाज तथा देश की कुछ जिम्मेवारी होनी चाहिए यही संदेश इस कहानी में छिपा है।
जहाँ तक कहानी के शीर्षक की बात है – यह शीर्षक ही भंबल दा के सम्पूर्ण जीवन की कहानी कह देता है। एक ऐसे धावक की कहानी जो बेइमानी, दुनिया की चालाकी और अपने ही बोझ से जीवन में पीछे ही रह गया। सम्पूर्ण कहानी की पृष्ठभूमि में धावक ही छाया हुआ है। इसलिए हम ऐसा कह सकते हैं कि कहानी का शीर्षक अपने-आप में सर्वथा उपयुक्त है।
प्रश्न – 8: ‘धावक’ कहानी के आधार पर भम्बल दा का चरित्र-चित्रण करें।
अथवा
प्रश्न – 9 : ‘धावक’ कहानी के प्रमुख पात्र का चरित्र-चित्रण करें।
अथवा
प्रश्न – 10 : ‘धावक’ कहानी के जिस पात्र ने आपको सबसे अधिक प्रभावित किया है, उसका चरित्र-चित्रण करें।
अथवा
प्रश्न – 11 : ‘धावक’ पाठ के प्रमुख पात्र की चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन करें।
अथवा
प्रश्न – 12 : पठित कहानी के आधार पर भंबल दा का चरित्र-चित्रण करें।
अथवा
प्रश्न – 13 : “भंबल ऐसे पुरस्कारों के लिए नहीं दौड़ता” – के आधार पर भंबल दा का चरित्र-
चित्रण करें।
अथवा
प्रश्न – 14 : ‘गलत पुरस्कार मै नहीं लेता दादा” – के आधार पर भंबल दा का चरित्र-चित्रण करें।
अथवा
प्रश्न – 15 : मगर मुझे खुशी और संतोष है कि मैंने लंगी नहीं मारी, गलत ट्रैक नहीं पकड़ा – के आधार पर भंबल दा का चरित्र-चित्रण करें।
अथवा
प्रश्न – 16 : जिस जुनून में जिया, उसकी तासीर का एक क्षण भी तुम्हारे तमाम ताम-झाम के सालों से उम्दा है। – के आधार पर भंबल दा का चरित्र-चित्रण करें।
उत्तर : भम्बल दा ‘धावक’ कहानी के मुख्य पात्र हैं। पूरी कहानी में उनके चरित्र का ताना-बाना लेखक संजीव ने कुछ इस तरह से बुना है कि पाठक चाहकर भी उनके व्यक्तित्व से अपने आपको अलग नहीं कर पाता।
भम्बल दा का चरित्र-चित्रण निम्नांकित शीर्षकों के अंतर्गत किया जा सकता है –
(क) आदतन खिलाड़ी – भम्बल दा की पहचान धावक के रूप में है। कोई भी दौड़ प्रतियोगिता हो, वह उनके बिना अधूरी लगती है। भले ही वे कभी अव्वल नहीं आ पाते लेकिन प्रतियोगिता में भाग लेना मानो उनकी आदत में शामिल थी। दौड़ में सबसे पीछे रह जाने पर भी वे अपनी दौड़ पूरा करके ही दम लेते। इतना ही नहीं, बाधा दौड़ और साइकिल रेस में भी वे अवश्य भाग लेते थे।
(ख) भावुक एवं माँ से अत्यंत प्रेम करने वाले – भम्बल दा भावुक होने के साथ-साथ माँ से अत्यंत प्रेम करने वाले हैं। एक बार बाधा दौड़ में बेईमानी होने पर किसी ने विश्वास दिलाने के लिए भम्बल दा को माँ की कसम खाने को कहा। जवाब में उन्होंने जो कहा, वह उनके मातृप्रेम को दर्शाता है – “तुम्हारी माँ नहीं है शायद वरना तुम इस तुच्छ पुरस्कार के लिए माँ को दाँव पर नहीं लगाते मेरे भाई।”
(ग) समाज-सेवक – आर्थिक स्थिति से विपन्न होने के बावजूद भम्बल दा सबके दुःख-सुख में शरीक होते थे। अगर किसी को अस्पताल पहुँचाना है तो उनके कंधे एंबुलेंस की तरह हाजिर, श्मशान जाना हो तो उनके कंधे अर्थी के लिए हाजिर, कब्रिस्तान जाना हो या फिर किसी के लिए सामान का जुगाड़ करना हो- भम्बल दा हर जगह मौजूद रहते थे।
(घ) पारिवारिक जिम्मेवारियों को उठाने वाले – यद्यपि भम्बल दा की स्वयं की आर्थिक स्थिति काफी नाजुक है फिर भी वे शक्ति भर पारिवारिक जिम्मेवारियों को निभाने की कोशिश करते हैं। भाई अशोक से किसी प्रकार की सहायता न पाने पर भी वे बहन की शादी करते हैं। जब वह विधवा हो जाती है और उसे बड़े भाई के यहाँ भी शरण नहीं मिलती, तब वे उसे प्रतिमाह पचास रुपये मदद के तौर पर भेजते हैं।
(ङ) स्वाभिमानी : भम्बल दा किसी भी स्थिति में अपने स्वाभिमान से समझौता नहीं करते। यदि वे चाहते तो अपनी भावी पत्नी से आर्थिक सहायता ले सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। इतना ही नहीं, मरने के पहले उन्होंने अपने स्वार्थी भाई के लिए एक संदेश भी छोड़ दिया, “जिस जुनून में जिया, उसकी तासीर का एक क्षण भी तुम्हारे तमाम ताम-झाम के सालों से उम्दा है। हो सके तो चखकर कभी देखना।”
इस प्रकार हम यह कह सकते हैं कि भम्बल दा का चरित्र एक स्वाभिमानी आदमी का चरित्र है जो टूटकर बिखर जाता है लेकिन पंगु व्यवस्था के सामने घुटने नहीं टेकता।

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