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MP Board Class 9th Hindi Solutions Chapter 14 चंद्र गहन से लौटती बेर

MP Board Class 9th Hindi Solutions Chapter 14 चंद्र गहन से लौटती बेर

MP Board Class 9th Hindi Solutions Chapter 14 चंद्र गहन से लौटती बेर ( केदारनाथ अग्रवाल )

कवि – परिचय

जीवन परिचय – प्रगतिवादी कवि एवं लेखक केदारनाथ अग्रवाल का जन्म 1911 में उत्तर प्रदेश के बाँदा जनपद के कमासिन गाँव में हुआ था। इलाहाबाद में कॉलेज की शिक्षा पूरी करने के बाद इन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से एल.एल.बी. कर वकालत शुरू कर दी। बचपन से ही इनकी रुचि काव्य-रचना में थी। बाद में प्रगतिवादी आंदोलन से जुड़ गए। ‘हरिऔध’ और ‘रसाल’ जैसे साहित्यकारों से उनका संपर्क रहा। उनका देहांत सन् 2000 में हुआ।
रचनाएँ- केदारनाथ अग्रवाल की प्रमुख रचनाएँ हैं-‘ नींद के बादल’, ‘युग की गंगा’, ‘लोग और अलोक’, फूल नहीं रंग बोलते हैं’, ‘आग का आईना’, कहे केदार खरी-खरी’, ‘पंख और पतवार’, ‘हे मेरी तुम’, ‘मार प्यार की थापें’ आदि ।
साहित्यिक विशेषताएँ – केदारनाथ अग्रवाल प्रगतिवादी विचारधारा के प्रमुख कवि माने जाते है। उनकी कविताओं में जन सामान्य का संघर्ष और प्रकृति सौंदर्य का विशेष चित्रण हुआ है। उनके काव्य में बुंदेलखंडी समाज का दैनंदिन जीवन अपने खुलेपन और उमंग के साथ अभिलक्षित हुआ है।
भाषा-शैली – कवि के काव्य की भाषा आम आदमी के जीवन की भाषा है। इसमें शब्दों का सौंदर्य, ध्वनियों की धारा और स्थापत्य की कला है। वे ग्रामीण जीवन से जुड़े बिंबों को आत्मीयता के साथ प्रस्तुत करते हैं। वे हृदय की बात कलात्मक और मनोरम शब्दों में व्यक्त करने में दक्ष हैं। इनकी रचनाएँ मुक्त छंद शैली में है।
कविता का सार
ब ‘चंद्र गहना से लौटती बेर’ नामक इस कविता में कवि का प्रकृति के प्रति गहन अनुराग व्यक्त हुआ है। चंद्र गहना नामक स्थान से लौटने समय कवि का किसान मन खेतों के सहज सौंदर्य पर आकर्षित हो उठता है। कवि को साधारण सी चीजों में भी सौंदर्य के दर्शन होते हैं। वह पोखर की हलचल, दूर तक फैली चित्रकूट की पहाड़ियों उन पर उगे वृक्षों पर बैठे पक्षी और उनके कलरव को शहरी विकास की तीव्रगति से बनाए रखना चाहता है। प्रकृति की गोद में वह शांति की अनुभूति करता है ।
पाठ्य पुस्तक पर आधारित महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर 
प्रश्न 1. इस विजन में…….. अधिक है’-पंक्तियों में नागरीय संस्कृति के प्रति कवि का क्या आक्रोश है और क्यों?
उत्तर- उपर्युक्त पंक्तियों में कवि का यह आक्रोश व्यक्त है, कि शहर या नगर में रहने वाले लोगों में पैसों के प्रति इतना लगाव बढ़ गया है कि उसके आगे उन्हें सब कुछ तुच्छ-सा लगता है। वे अपने काम धन्धे पर अधिक ध्यान देते हैं। वे प्रेम और सौन्दर्य बहुत दूर हो चुके हैं। कवि के आक्रोश का कारण यह है कि कवि प्रकृति को बहुत प्यार करता है। वह शहर के बनावटी जीवन को अच्छा नहीं मानता है। गाँवों का वातावरण शहर के शोर, प्रदूषण, आपधापी की जिन्दगी से कोसों दूर है तथा गाँवों में प्रकृतिक का अंग-अंग प्यार में डूबा नजर आता है।
प्रश्न 2. सरसों को ‘सयानी’ कहकर कवि क्या कहना चाहता है?
उत्तर- सरसों को ‘सयानी’ कहकर कवि यह कहना चाहता है कि खेत में उपस्थित चना, अलसी आदि की तुलना में सरसों बढ़कर लम्बी और बड़ी हो गई है। उसमें पीले फूल नजर आ रहे हैं। वह अन्य फसलों से बढ़कर हाथ पीले कर विवाह मंडप में जाने को तैयार है।
प्रश्न 3. अलसी के मनोभावों का वर्णन कीजिए।
उत्तर कवि ने अलसी को हठीली रूप में चित्रित किया है। कारण, वह चने के पास हठपूर्वक उग आयी है। दुबले शरीर और लचकदार कमरवाली अलसी सिर पर नीले फूल धारण कर प्रेमातुर हो यह घोषणा कर रही है कि जो उसे छुएगा, उसको वह अपने हृदय का दान देगी।
प्रश्न 4. अलसी के लिए ‘हठीली’ विशेषण का प्रयोग क्यों किया गया है?
उत्तर-अलसी के लिए हठीली विशेषण का प्रयोग इसलिए किया गया है कि किसान ने उसे चने से अलग कतार में बोया होगा। पर वह हठपूर्वक चने के पास उग आई। दुबले शरीर वाली अलसी बार-बार हवा के झोंके से उठकर खड़ी हो जाती है और चने के बीच नजर आने लगती है। उसकी यह हठ है कि अपने सिर पर सजाए नीले फूलों को छूने वाले को ही वह अपना हृदय दान करेगी।
प्रश्न 5. ‘चाँदी का बड़ा-सा गोल खम्भा’ में कवि की किस सूक्ष्म कल्पना का आभास मिलता है?
उत्तर-तालाब के जल में जब सूर्य की किरणें सीधी पड़ती हैं, तो उसका प्रतिबिम्ब कवि को चाँदी के खंबे – सा लगता है। कवि की यह नूतन कल्पना अत्यन्त मनोरम है।
प्रश्न 6. कविता के आधार पर ‘हरे चने’ का सौन्दर्य अपने शब्दों में चित्रित कीजिए।
उत्तर – कवि ने हरे चने के पौधे को आकार में छोटा दिखाया है, जो अपने सिर पर गुलाबी रंग की पगड़ी अर्थात् गुलाबी फूल बाँधे खड़ा है। उसे देखकर लगता है कि वह दूल्हे के रूप में सजकर खड़ा है।
प्रश्न 7. कवि ने प्रकृति का मानवीकरण कहाँ-कहाँ किया है ?
उत्तर – कवि ने अपनी इस कविता में अनेक स्थलों पर प्रकृति का मानवीकरण किया है, जैसे –
(i) यह हरा ठिगना चना
बाँधे मुरैठा शीश पर
(ii) बीच में अलसी हठीली
देह की पतली, कमर की है लचीली,
(iii) सरसों के लिए हाथ पीले कर लिए हैं
ब्याह मंडप में पधारी।
(iv) फाग गाता मास फागुन
आ गया है आज जैसे
(v) हैं कई पत्थर किनारे पी
रहे चुपचाप पानी
(vi) बगुले के लिए देखते ही मीन चंचल
ध्यान निद्रा त्यागता है
प्रश्न 8. कविता में से उन पंक्तियों को ढूंढिए, जिनमें निम्नलिखित भाव व्यंजित हो रहा है और चारों तरफ सूखी और उजाड़ जमीन है, लेकिन वहाँ भी तोते का मधुर स्वर मन को स्पंदित कर रहा है।
उत्तर- “चित्रकूट की अनगढ़ चौड़ी
कम ऊँची-ऊँची पहाड़ियाँ
दूर दिशाओं तक फैली हैं।
बाँझ भूमि पर
इधर-उधर रींवा के पेड़
काँटेदार कुरूप खड़े हैं।
सुन पड़ता है
मीठा-मीठा रस टपकाता
सुग्गे का स्वर
टें टेंटें टें।”
प्रश्न 9. “चन्द्र गहना से लौटती बेर” कविता में प्रकृति अपनी प्रसन्नता कैसे व्यक्त कर रही है? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर-दूल्हे के रूप में चने और पीले हाथों वाली सजी-धजी सरसों को देखकर लगता है कि प्रकृति का एक भाग ब्याह मंडप बन गया है। फागुन द्वारा गायन किया जा रहा है। सुगंधित समीर चलने से अन्य पेड़-पौधे हिल-डुल रहे हैं। यह देखकर ऐसा लगता है कि प्रकृति अपना आँचल हिलाकर खुशी प्रकट कर रही है।
प्रश्न 10. सारस की आवाज सुनकर कवि क्यों बेचैन हो उठता है?
उत्तर- खेत की मेड़ पर बैठा कवि दूर से आती सारस टिरटों-टिरटों की आवाज सुनता है। उसके मन में इच्छा होती है कि हरे-भरे खेतों में रहने वाली सारस की जोड़ी के पास उड़कर चला जाए और उनकी प्रेम कहानी चुपचाप सुन ले |
प्रश्न 11. कवि चन्द्र गहना से लौटते समय क्यों तथा कहाँ रुक गया था?
उत्तर- कवि चंद्र गहना से लौटते समय खेत की मेड़ पर रुक गया था। वहाँ चारों ओर प्राकृतिक सौंदर्य बिखरा पड़ा था। प्रकृति प्रेमी कवि उस सौंदर्य को देखकर आगे न बढ़ सका। वह प्रकृति के एक-एक अंग का असाधारण सौन्दर्य निरखने लगा।
प्रश्न 12. ‘चन्द्र गहना से लौटती बेर’ कविता के आधार पर तालाब के सौंदर्य का वर्णन कीजिए ।
उत्तर – कवि एक तालाब के किनारे पर बैठा था। वहाँ किनारे पर अनेक पत्थर पड़े थे। तालाब की तली में भूरी घास उगी थी, जो पानी की लहरों के साथ लहरा रही थी। इस पानी में सूर्य का प्रतिबिम्ब आँखों को चुँधिया रहा था। एक बगुला ध्यान मग्न खड़ा था जो मछलियों को देखते ही ध्यान भंगकर उनको पकड़कर निगल जाता था।
प्रश्न 13. प्रकृति की छटा देखने में लीन कवि को स्वयंवर होने जैसा क्यों लगता है?
उत्तर – कवि को ऐसा इसलिए लगता है कि चना सिर पर गुलाबी पगड़ी बाँधे सज-धज कर खड़ा है। सरसों भी हाथ पीले किए खड़ी है। ऐसे में फागुन भी फाग गाता हुआ आ खड़ा हुआ। दूल्हे के रूप में चने को और दुल्हन के रूप में सरसों को देखकर कवि को लगता है कि स्वयंवर हो रहा है।
प्रश्न 14. ‘प्यास जाने कब बुझेगी’ का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-कवि देखता है कि तालाब के किनारे अनेक पत्थर पड़े हैं। वे चुपचाप पानी पिए जा रहे हैं। ऐसा वे पता नहीं, कब से कर रहे हैं और अब भी पानी पी रहे हैं। इस पर भी उनकी प्यास बुझ नहीं रही है।
प्रश्न 15. ‘चन्द्र गहना से लौटती बेर’ कविता में वर्णित चिड़िया कैसी थी? वह अपना शिकार कैसे करती थी?
उत्तर- प्रस्तुत कविता में वर्णित चिड़िया का माथा काला था। वह बड़ी चतुर थी। उसके पंख सफेद थे। जैसे ही वह पानी की सतह पर कोई मछली देखती थी, उस पर झपट्टा मार देती थी। वह उसे अपनी पीली चोंच में दबाकर आकाश में उड़ जाती थी।
प्रश्न 16. बगुले के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?
उत्तर – बगुले के माध्यम से कवि समाज के ऐसे व्यक्तियों की ओर संकेत करना चाहता है, जो बाहर में तो बड़े पवित्र, नेक तथा समाज सुधार के उद्देश्यपूर्ण कार्य में लगे दिखाई देते है, किन्तु वास्तविकता इसके बिलकुल विपरीत होती है। ये लोग नेक कार्यों की आड़ में कमजोर और निर्दोष लोगों को अपना शिकार बनाने से भी नहीं चूकते हैं ।
प्रश्न 17. कविता के आधार पर चित्रकूट की पहाड़ियों का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए ।
उत्तर – चन्द्र गहना से लौटते समय कवि प्रकृतिक सौंदर्य देखने में मग्न है। वह देखता है कि उसके सामने ही चित्रकूट की पहाड़ियाँ हैं, जो दूर तक फैली हुई, उबड़-खाबड़ अनुपजाऊ तथा बेडौल हैं। इनकी ऊँचाई एक-सी नहीं है। इन पर कंटीले जंगली पेड़ उगे हुए हैं। पहाड़ी पर ऐसा ही रीवा के जंगली कंटीले काँटेदार पेड़ हैं, जो देखने में बड़े ही कुरूप हैं।
प्रश्न 18. ‘दूर व्यापारिक नगर से, प्रेम की प्रिय भूमि अधिक उपजाऊ है।’ इस बारे में आप क्या सोचते हैं?
उत्तर- ‘दूर व्यापारिक नगर से, प्रेम की प्रिय-भूमि उपजाऊ अधिक है’ – इस बारे में मैं यह सोचता हूँ कि यह कथन बिलकुल सत्य है। शहरों में लोगों को काम धन्धे से फुर्सत नहीं है। वे अपनी आपाधापी की जिन्दगी से परेशान रहते हैं। वहाँ लोगों के पास समयाभाव भी रहता है। इसलिए वे एक दूसरे के सुख-दुख में कम समय दे पाते हैं। वहाँ लोगों के प्रेम में वास्तविकता की गहराई कम, दिखावटीपन अधिक होता है। वहाँ युवक-युवतियों के प्यार की बातें सुनी जाती हैं। परन्तु गाँव के खेत-खलिहान, बाग बगीचे, पेड़-पौधे तक में प्यार रचा-बसा है। यहाँ मनुष्यों के अलावा पशुपक्षी, चना, सरसों, अलसी जैसे पौधे भी प्यार में डूबे दिखते हैं। धान के हरे-भरे खेतों में सारस पक्षी अपनी प्रेम कहानी कहते नजर आते हैं। गाँव की प्रकृति के कण-कण में प्यार समाया हुआ है। में
वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. रिक्त स्थानों की सही शब्द द्वारा पूर्ति कीजिए-
(i) कवि ने …………… को प्रेम की प्रिय भूमि कहा है। ( शहर की / ग्राम की )
(ii) केदारनाथ अग्रवाल……….कवि है | (प्रयोगवादी/प्रगतिवादी)
(iii) प्रस्तुत कविता ………. छन्द में रचित है। (मुक्त/तुकान्त)
(iv) ‘पत्थरों द्वारा पानी पीना’ में ……… अलंकार है।(रूपक/मानवीकरण )
उत्तर- (i) ग्राम की, (ii) प्रगतिवादी, (iii) मुक्त, (iv) मानवीकरण।
प्रश्न 2. सत्य / असत्य बताइए –
(i) प्रकृति शान्ति की गोद है।
(ii) केदारनाथ अग्रवाल प्रयोगवादी कवि है।
(iii) अलसी एक तिलहनी पौधा है।
(iv) ग्रामीण सौन्दर्य प्राकृतिक होता है।
उत्तर- (1) सत्य, (2) असत्य, (3) सत्य, (4) सत्य।
प्रश्न 3. एक वाक्य में उत्तर दीजिए –
(i) कवि ने प्रेम की प्रिय भूमि किसे कहा है ?
(ii) कविता में ‘चिड़िया’ किसका प्रतीक है।
(iii) कवि ने अलसी के लिए कौनसा विशेषण प्रयुक्त किया है ?
(iv) नीलें फूलों से युक्त अलसी क्या कहती है ।
(v) पानी में सूर्य का बिम्ब कैसा दिखाया गया है ?
उत्तर- (i) कवि ने प्राकृतिक सौन्दर्य से युक्त ग्रामीण भूमि को प्रेम की प्रिय भूमि कहा है।
(ii) कविता में ‘चिड़िया’ शोषकों का प्रतीक है।
(iii) कवि ने अलसी के लिए ‘हठीली’ विशेषण प्रयुक्त किया है।
(iv) नीले फूलों से युक्त अलसी कहती है कि जो उसे छुएगा उसे वह अपना हृदय दान देगी।
(v) चाँदी के बड़े-से गोल खम्भे की तरह दिखाया गया है।
काव्यांश पर आधारित महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
काव्यांश – 1
“देख आया चन्द्र गहना ।
देखता हूँ दृश्य अब मैं
मेड़ पर इस खेत की बैठा अकेला ।
एक बीते के बराबर
यह हरा ठिगना चना,
बाँधे मुरैठा शीश पर
छोटे गुलाबी फूल का,
सज कर खड़ा है। “
प्रश्न 1. काव्यांश में कवि क्या कर रहा है?
उत्तर-काव्यांश में कवि सुन्दर प्राकृतिक दृश्य को देखकर उसका वर्णन कर रहा है ।
प्रश्न 2. उपर्युक्त काव्यांश का सार अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-उपर्युक्त काव्यांश में कवि चन्द्रगहना से लौटते समय खेत की मेड़ पर बैठकर प्राकृतिक सौंदर्य को निहारते हुए कहता है कि एक बीते (बिते) की लम्बाई का ठिगना-सा चने का पौधा सिर पर गुलाबी पगड़ी बाँधे सज-धजकर खड़ा है।
प्रश्न 3. काव्यांश का शिल्प – सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर-उपर्युक्त काव्यांश में लोकभाषा का प्रयोग है। यह अत्न्यत सरल तथा सजीव है। चने के सज-धज के खड़े होने के कारण मानवीकरण अलंकार है। ‘एक बीते के बराबर’ में उपमा एवं अनुप्रास अलंकार है।
काव्यांश – 2
“पास ही मिल कर उगी है
बीच में अलसी हठीली
देह की पतली कमर की है लचीली,
नील फूले फूल को सिर पर चढ़ा कर
कर रही है, जो छुए यह
दूँ हृदय का दान उसको । “
प्रश्न 1. उपर्युक्त पंक्ति किस कविता से ली गई है? इसके रचयिता कौन हैं?
उत्तर – पाठ – चन्द्र गहना से लौटती बेर । लेखक-केदारनाथ अग्रवाल।
प्रश्न 2. उपर्युक्त काव्यांश में वर्णित ‘अलसी’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर – ‘अलसी’ एक तिलहनी पौधा है, जिसे बोलचाल की भाषा में ‘तीसी’ कहते हैं।
प्रश्न 3. कवि ने अलसी के लिए कौन-से विशेषण का प्रयोग किया है?
उत्तर- कवि ने अलसी के लिए हठीली विशेषण का प्रयोग किया है।
प्रश्न 4. कवि ने उक्त काव्यांश में अलसी को किस रूप में चित्रित किया है?
उत्तर-एक प्रेमातुर नायिका के रूप में चित्रित किया है।
प्रश्न 5. नीले फूलों से युक्त अलसी क्या कहती है ? उत्तर-नीले फूलों से युक्त अलसी कहती है कि जो उसे छुएगा, उसे वह अपना हृदय दान देगी।
काव्यांश – 3
“और सरसों की न पूछो –
हो गई सबसे सयानी,
हाथ पीले कर लिए हैं
ब्याह मंडप में पधारी
फाग गाता मास फागुन
आ गया है आज जैसे।
देखता हूँ मैं; स्वयंवर हो रहा है,
प्रकृति का अनुराग – अंचल हिल रहा है
इस विजन में,
दूर व्यापारिक नगर से
प्रेम की प्रिय भूमि उपजाऊ अधिक है।’
प्रश्न 1. पीले फूलों से युक्त सरसों के पौधों को देखकर कवि क्या कहता है ?
उत्तर- पीले फूलों से युक्त सरसों के पौधों को देखकर कवि कहता है कि वह विवाह योग्य हो गई है।
प्रश्न 2. कवि के अनुसार सरसों से हाथ पीले क्यों किए हैं?
उत्तर-ब्याह मंडप में जाने के लिए हाथ पीले किए हैं।
प्रश्न 3. उपर्युक्त काव्यांश में गीत गाता हुआ किसे दिखाया गया है?
उत्तर – फाल्गुन मास को गीत गाता हुआ दिखाया गया है।
प्रश्न 4. कवि ने प्रेम की प्रिय भूमि किसे कहा है ?
उत्तर- कवि ने प्राकृतिक सौन्दर्य से मुक्त ग्रामीण भूमि को प्रेम की प्रिय भूमि कहा है।
प्रश्न 5. काव्यांश में आए शब्द ‘विजन’ का क्या तात्पर्य है?
उत्तर- ‘विजन’ का शाब्दिक अर्थ है सुनसान या निर्जन।
काव्यांश – 4
” और पैरों के तले है एक पोखर,
उठ रहीं इसमें लहरियाँ,
नील तल में जो उगी है घाश भूरी
ले रही वह भी लहरियाँ ।
एक चाँदी का बड़ा-सा गोल खंभा
आँख को है चकमकाता। “
हैं कई पत्थर किनारे
पी रहे चुपचाप पानी,
प्यास जाने कब बुझेगी।
प्रश्न 1. कवि ने उपर्युक्त काव्यांश में तालाब को कहाँ दर्शाया है?
उत्तर कवि ने उपर्युक्त काव्यांश में तालाब को कवि के पैरों के तले दर्शाया है।
प्रश्न 2. तालाब की नीली ताली में कवि ने क्या दिखाया है?
उत्तर कवि ने तालाब की नीली तली में भूरी घास को दिखाया है।
प्रश्न 3. पानी में सूर्य का प्रतिबिम्ब कैसा दिख रहा है?
उत्तर- पानी में सूर्य का प्रतिबिम्ब चाँदी के बड़े-से गोल खम्भे की तरह दिख रहा है।
प्रश्न 4. पत्थरों का चुपचाप पानी पीना किस अलंकार को दर्शा रहा है।
उत्तर- यह मानवीकरण अलंकार को दर्शा रहा है।
प्रश्न 5. ‘प्यास जाने कब बुझेगी’ के माध्यम से कवि का क्या आशय है?
उत्तर- कवि तालाब के किनारे स्थित पत्थरों को देखकर यह सोचता है कि इन पत्थरों की प्यास पता नहीं कब बुझेगी।
काव्यांश – 5.
“चुप खड़ा बगुला डुबाए टाँग जल में,
देखते ही मीन चंचल
ध्यान-निद्रा त्यागता है,
चट दबा कर चोंच में
नीचे गले के डालता है!
एक काले माथ वाली चतुर चिड़िया
श्वेत पंखों के झपाटे मार फौरन
टूट पड़ती है भरे जल के हृदय पर,
एक उजली चटुल मछली
चोंच पीली में दबा कर
दूर उड़ती है गगन मैं !”
प्रश्न 1. उपर्युक्त काव्यांश का भाव अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-उपर्युक्त पंक्तियों में कवि तालाब के किनारे ध्यानमग्न बगुले का वर्णन करते हुए लिखता है कि बगुला तालाब में खड़ा ध्यानमग्न है। परन्तु उसका ध्यान दिखावटी है। कारण, वह मछलियों को देखते ही अपना ध्यान त्यागकर मछली को अपनी पीली चोंच से पड़कर गले के नीचे उतार लेता है। तभी कवि देखता है कि काले माथे वाली एक चतुर चिड़िया, जिसके पंख सफेद हैं, पानी की सतह पर झपट्टा मारकर अपनी चोंच में मछली पकड़कर आकाश में उड़ जाती है।
प्रश्न 2. उक्त काव्यांश का शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – उक्त काव्यांश में बगुले के बनावटी ध्यान तथा सफेद पंखों वाली चिड़िया का वर्णन है। काव्य की भाषा सरल है। ‘चतुर-चिड़िया’ में अनुप्रास अलंकार प्रयुक्त है।
प्रश्न 3. चिड़िया किसकी प्रतीक है?
उत्तर- चिड़िया सफेदपोश शोषकों की प्रतीक है।
काव्यांश – 6
“चित्रकूट की अनगढ़ चौड़ी
कम ऊँची-ऊँची पहाड़ियाँ
दूर दिशाओं तक फैली हैं।
बाँझ भूमि पर “
इधर-उधर रींवा के पेड़
काँटेदार कुरूप खड़े हैं। “
प्रश्न 1. उपर्युक्त काव्यांश का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर- उपर्युक्त काव्यांश में कवि लिखता है कि उसके सामने चित्रकूट की टेढ़ी-मेढ़ी, उबड़-खाबड़, कम ऊँचाई वाली एवं अनुपजाऊ पहाडड़ियाँ दूर-दूर तक फैली हैं उस पर रींवा की काँटेदार झाड़ियों का आधिपत्य है।
प्रश्न 2. काव्यांश का शिल्प – सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर-काव्यांश में प्रयुक्त भाषा, सरल, सहज एवं सुबोध है। ऊँची-ऊँची में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है तथा ‘दूर दिशाओं’ और ‘काँटेदार कुरूप’ में अनुप्रास की छटा दर्शनीय है।
प्रश्न 3. चित्रकूट की पहाड़ियों की क्या विशेषता है?
उत्तर – चित्रकूट की पहाड़ियाँ ऊँची-नीची, ऊबड़-खाबड़, निर्जन व काँटेदार है।

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