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MP Board Class 9th Hindi Solutions Chapter 21 माटी वाली

MP Board Class 9th Hindi Solutions Chapter 21 माटी वाली

MP Board Class 9th Hindi Solutions Chapter 21 माटी वाली ( विद्यासागर नौटियाल )

लेखक – परिचय

जीवन परिचय – प्रसिद्ध कथाकार श्री विद्यासागर नौटियाल का जन्म सन् 1933 में माली देवल ग्राम टिहरी गढ़वाल, उत्तरांचल में हुआ। आपकी उच्च शिक्षा वाराणसी में हुई।
गढ़वाल के यथार्थ जीवन के कुशल चित्रकार श्री नौटियाल जी की कहानियों में मिट्टी की सौंधी गंध मिलती है।
आपकी प्रमुख रचनाएँ हैं- टिहरी की कहानियाँ, सुच्ची डोर (कहानी संग्रह) उलझे रिश्ते, बीम अकेली, सूरज सबका है, उत्तर बायाँ है, झुंड से बिछुड़ा (उपन्यास) मोहन गाता जाएगा (आत्मकथा) आदि।
पाठ का सार
विद्यासागर नौटियाल द्वारा रचित ‘माटी वाली’ पाठ में विस्थापन की समस्या का मर्मस्पर्शी चित्रण किया गया है। इस समस्या के अंतर्गत गरीब व मजदूर वर्ग को अधिक दुःख भोगना पड़ता है।
टिहरी शहर में एक वृद्ध महिला थी। मिट्टी का काम करने के कारण उसे ‘माटी वाली’ कहते थे। वह घरों में लीपने पोतने के लिए मिट्टी पहुँचाती थी। वह हँसमुख स्वभाव वाली थी, फलतः लोग उससे खुश रहते थे।
‘माटी वाली’ का पति बूढ़ा, अशक्त व बीमार था । माटी वाली जहाँ भी माटी ले जाती वहाँ की औरतें उसे रोटी, चाय-पानी आदि दे देती थीं। उनमें से वह दो रोटी. बचाकर अपने बीमार पति के लिए ले जाती थी । एक दिन घर की एक मालकिन ने उसे दो रोटियाँ और पीतल के गिलास में चाय दी। उसने एक रोटी कपड़े में लपेट कर दूसरी रोटी चाय के साथ स्वयं खा गई। माटी वाली ने मालकिन से कहा, आप पुरानी चीजें बड़े संभालकर रखती हैं तो मालकिन ने कहा, मैं पुरखों की कमाई को सँभालकर रखती हूँ। पता नहीं कैसे पैसे बचाकर खरीदा हो ।
इधर टिहरी में चर्चा थी कि सरकार शहर को खाली कराना चाहती है। लोग शहर छोड़कर जाने की तैयारी में लग गए लेकिन माटी वाली की समस्या थी कि वह इस उम्र में कहाँ जाए ?
उस दिन माटी वाली को दो-तीन घरों में माटी देने के बाद तीन रोटियाँ मिल गईं। उसने सोचा एक पाव प्याज खरीदकर पीसकर तलूँगी फिर अपने बुड़ढे को रोटी प्याज दूँगी। घर पहुँचकर उसकी आहट से जब बुड्ढे ने उसकी और नहीं देखा तो वह चौंक गई। पास जाकर छूकर देखा तो बुड्ढा मर चुका था।
टिहरी बाँध के कारण विस्थापित लोगों के साथ वह भी पुनर्वास अधिकारी के पास पहुँची। साहब ने घर का कागज दिखाने को कहा तो उसके पास कोई कागज नहीं था। बुढिया ने बताया- माटाखाना मेरी रोजी थी।
कुछ समय बाद टिहरी बाँध की दो सुरंगों को बंद कर दिया गया। टिहरी शहर में पानी भरने लगा। शहर में भगदड़ मच गई। लोग घर छोड़कर भाग रहे थे। मानसिक रूप से विक्षिप्त माटी वाली आने-जाने वाले हर व्यक्ति से एक ही बात कहती थी – “गरीब आदमी का श्मशान नहीं उजड़ना चाहिए।”
पाठ्य पुस्तक पर आधारित महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. ‘शहरवासी सिर्फ माटी वाली को नहीं, उसके कंटर को भी उच्छी तरह पहचानते हैं आपकी समझ में वे कौनसे कारण रहे होंगे, जिनके रहते ‘माटी वाली’ को सब पहचानते थे?
उत्तर- माटी वाली को लोग निम्नांकित कारणों से पहचानते थे –
(1) माटी वाली के बिना शहर के लोगों का काम चलता ही नहीं था। रोज सुबह-शाम चूल्हा-चौका मिट्टी से लीपा-पोता जाता था। यदि माटी वाली इसके लिए मिट्टी न दे, तो यह काम नहीं हो सकता था।
(2) पूरे टिहरी शहर में दूसरी कोई माटी वाली नहीं थी, जो उपयोगी मिट्टी दूर से लाकर उपलब्ध कराने का काम तत्परता से पूरा कर सके। स्थानीय मिट्टी रेतीली होने के कारण उपयोगी नहीं थी।
(3) चौके-चूल्हे के अलावा गोबर पुताई आदि में भी मिट्टी की जरूरत रहती है। यह काम माटी वाली के ही बस का था।
उक्त कारणों से माटी वाली को बच्चा, जवान, बूढ़ा, स्त्री पुरुष हर कोई टिहरी शहरवासी अच्छी तरह से जानता एवं पहचानता था।
प्रश्न 2. माटी वाली के पास अपने अच्छे या बुरे भाग्य के बारे में ज्यादा सोचने का समय क्यों नहीं था?
उत्तर- ‘माटी वाली’ समाज की एक अत्यन्त गरीब मजदूर वर्ग की महिला थी? वह सुबह जल्दी उठकर दूर माटाखान जाती तथा मिट्टी खोदकर कंटर में भरती और उसे लेकर शहर में घर-घर घूमती । मिट्टी बेचती और अपना गुजारा करती थी। दूसरे दिन फिर उसे सुबह से अपने काम पर लगना पड़ता था। जीविका इसी बीच उसका अपने बूढ़े पति की भी देख भाल एवं सेवा करनी पड़ती थी। इस कार्य में उसका पूरा दिन बीत जाता था। ऐसी स्थिति में माटी वाली के पास अपने अच्छे या बुरे भाग्य के बारे में ज्यादा सोचने का समय ही नहीं था। .
प्रश्न 3. ‘भूख मीठी कि भोजन मीठा’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर- प्रस्तुत कहावत का यह अभिप्राय है कि यदि खाने वाले को भूख लगी हो, तो भोजन रुचिकर तथा स्वादिष्ट लगता है। यदि खाने वाले को भूख नहीं है, तो उसे स्वादिष्ट भोजन भी अच्छा नहीं लगेगा। वस्तुतः स्वाद भोजन में नहीं, अपितु भूख में होता है। दूसरे शब्दों में, भूख मीठी होती है, न कि भोजन मीठा होता है।
प्रश्न 4. “पुरखों की गाढ़ी कमाई से हासिल की गई चीजों को हराम के भाव बेचने को मेरा दिल गवाही नहीं देता।” मालकिन के इस कथन के आलोक में विरासत के बारे में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर- पीढ़ियों से चली आ रही धरोहर ही विरासत कहलाती है। उस धरोहर का महत्व उसकी कीमत से नहीं आँका जाना चाहिए। उसका महत्वं इस बात से आँका जाना चाहिए कि उसे हासिल करने में उसे प्राप्त करने में उसे बनाने में हमारे पूर्वजों को कितना परिश्रम एवं त्याग करना पड़ा। साधारण लोग धरोहर का मूल्य एवं महत्व नहीं समझते हैं। वे पुरानी विरासत को कम भाव में बेचकर नई चलन की चीजें खरीद लेते हैं। यह विचार धारा उचित नहीं है। ऐसा करके हम अपने पूर्वजों की यादों को नष्ट कर देते हैं। बुद्धिमानी इसी में है कि हम पूर्वजों की धरोहर को सुरक्षित रखें और नई वस्तु का स्वागत करें। मालिकन का कथन उक्त सन्दर्भ में मुझे समीचीन जान पड़ता है।
प्रश्न 5. माटी वाली का रोटियों को इस तरह हिसाब लगाना उसकी किस मजबूरी को प्रकट करता है?
उत्तर- माटी वाली का रोटियों का इस तरह हिसाब लगाना उसकी गरीब परिस्थिति को प्रकट करता है। दिनभर कठोर परिश्रम करने के उपरान्त उसे दो टाइम की रोटियाँ भी बड़ी मुश्किल से नसीब होती हैं। रोटियों का हिसाब लगाना उसके लिए इसलिए भी जरूरी था कि किसी समय उसे भूखा न रहने पड़े, जिससे उसका जीवन ही खतरे में पड़ जाए।
प्रश्न 6. “आज माटी वाली बुड्ढे को कोरी रोटियाँ नहीं देगी”- इस कथन के आधार पर माटी वाली के हृदय के भावों को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर- माटी वाली घर-घर माटी पहुँचाने का काम करती थी। उसे अपने इस काम से इतनी आय नहीं होती थी कि वह साग या सब्जी भी रोटी के साथ खा सके। उसे घर की मालकिनों से जो एक-दो रोटियाँ मिल जाती थीं, उन्हें ही बचाकर अपने बूढ़े एवं बीमार पति के लिए घर ले जाती थी। इन रोटियों को वह साग-सब्जी के बिना जैसे-तैसे खा लिया करता था। एक दिन वह तीन रोटियाँ बचाकर ले जा रही थी। वह अपने मन में यही सोच रही थी कि आज वह कुछ प्याज खरीद कर ले जाएगी। प्याज को कूटकर वह उन्हें जल्दी सब्जी के रूप में बना लेगी और अपने बूढ़े पति को रोटियों के साथ परोस देगी।
प्रश्न 7. “गरीब आदमी का श्मशान नहीं उजड़ना चाहिए”इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- उक्त कथन का यह आशय है कि आम आदमी का या किसी गरीब का घर उजड़ता है उसे विस्थापित किया जाता है, तो उसे दिली – दर्द होता है। गरीब व्यक्ति के पास रहने का अन्य कोई साधन न होने के कारण उसके लिए घर तथा श्मशान में कोई अन्तर नहीं होता है। माटी वाली अपने मन में यही विचार करती है कि सरकार सदैवं विकास करने का दावा करती रहती है, परन्तु गरीबों का सब कुछ छिनता जा रहा है। उसे मरने के बाद श्मशान तक में जगह मिलना मुश्किल होता जा रहा है। ऊपर कथन में लेखक माटी वाली के माध्यम से रास्ते में आते-जाते लोगों से एक ही शिकायत रह रही है कि गरीब आदमी का श्मशान नहीं उजड़ना चाहिए।
प्रश्न 8. ‘विस्थापन की समस्या पर एक अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर- विस्थापन हमारे वर्तमान समाज की एक ज्वलंत समस्या बन गई है। विकास के क्रम में देश में पानी, बिजली, सड़कों आदि की माँग बढ़ती ही जा रही है जिन स्थानों पर पानी, बिजली, सड़क आदि सम्बन्धी परियोजनाएँ स्थापित की जाती हैं, वहाँ के नागरिकों की जमीन को शासन द्वारा अधिगृहीत कर लिया जाता है। इसके बदले में उन्हें कहीं दूसरी जगह बसाने या स्थापित करने का प्रयास किया जाता है। यहाँ ध्यान देने की बात है कि विस्थापितों के लिए केवल जगह दे देने से समस्या का समाधान नहीं हो जाता है। लोगों को अपना बसाया हुआ घर छोड़ने के साथ व्यापार व्यवसाय तथा खेतीबाड़ी से भी दूर होना पड़ता है। लोग अपने पूर्वजों की जमीनजायदाद, घर आदि को छोड़ना नहीं चाहते हैं। कुछ लोग इस संकट से दुःखी एवं परेशान होकर विक्षिप्त होकर आत्महत्या तक करने पर उतारू हो जाते हैं। सबसे विषम स्थिति उन लोगों की होती है, जो किसी स्थान पर रहते हैं, परन्तु उनके पास उस जमीन के कागजात या अभिप्रमाणपत्र नहीं होते हैं। ऐसी स्थिति में विस्थापित लोग अपना आवास नयी जगह पर नहीं बना सकते हैं। उनके पास जो स्थान था, उससे भी वे हाथ धो बैठते हैं- वंचित रह जाते हैं। टिहरी और नर्मदा बाँध इसके प्रत्यक्ष प्रमाण हैं। टिहरी के नदी में डूबने तक कुछ लोगों ने अपने घर नहीं छोड़े जो विस्थापित हुए, उन्हें सुविधाएँ नहीं मिलीं। नर्मदा बाँध में लाखों लोग विस्थापित हुए। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी उन्हें यथास्थान बसाया न जा सका है। मेघा पाटकर वर्षों से उनके लिए आन्दोलन करती आ रही है। अब आमिर खान ने भी विस्थापितों के समर्थन में अपनी आवाज उठाई है।
वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. सही शब्द का चयन कर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
(i) टिहरी बाँध ………. प्रदेश में हैं (राजस्थान/उत्तरांचल)
(ii) माटी वाली …………. में रहती थी। (केदारनाथ/गढ़वाल)
(iii) ‘गरीब आदमी का श्मशान नहीं उजड़ना चाहिए’ ……….. का कथन है। (कहानीकार / माटी वाली)
(iv) ‘भूख मीठी कि भोजन मीठा’ …………. का कथन है।  (माटी वाली/बूढ़े पति का)
(v) ‘माटी वाली’ कहानी में ………. की समस्या को प्रभावी ढंग से उठाया गया है।  (गरीबी/विस्थापन)
उत्तर- (i) उत्तरांचल, (ii) गढ़वाल,  (iii) माटी वाली, (iv) बूढ़े पति का, (v) विस्थापन।
प्रश्न 2. एक वाक्य में उत्तर दीजिए –
(i) ‘माटी वाली’ कहानी में लेखक ने किस समस्या को उठाया है ?
(ii) ‘माटी वाली’ की जीविका क्या थी ?
(iii) “गरीब आदमी का श्मशान नहीं उजड़ना चाहिए।” उक्त कथन किसका है।
(iv) माटी वाली कहाँ रहती थी ?
(v) “भूख मीठी कि भोजन मीठा” – क्या मीठा होता है ?
उत्तर- (i) ‘माटी वाली’ कहानी में लेखक ने विस्थापन की समस्या को प्रभावी ढंग से उठाया है।
(ii) माटी वाली की जीविका का साधन दैनिक मजदूरी और बस्ती से मिलने वाला बचाखुचा खाना था।
(iii) यह कथन माटी वाली का है।
(iv) माटी वाली गढ़वाल में अपनी एक झोपड़ी में रहती थी।
(v) वास्तव में भूख मीठी होती है। भूख न होने पर मीठा भोजन भी मीठा या प्रिय नही लगता है।
प्रश्न 3. सत्य / असत्य बताइए
(i) “गरीब आदमी का श्मशान नहीं उजड़ना चाहिए” उक्त कथन स्वंय कहानी कार का है ।
(ii) माटी वाली जंगल से मिट्टी लाती थी ।
(iii) ‘माटी वाली’ के पास अच्छे या बुरे भाग्य के बारे में ज्यादा सोचने का समय नहीं था ।
(iv) ‘गाढ़ी कमाई से हासिल की गई चीजों को हराम के भाव बेचने को मेरा दिल गवाही नहीं देता । – यह कथन माटी वाली का है।
उत्तर- (i) असत्य, (ii) असत्य, (iii) सत्य, (iv) असत्य।

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