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MP Board Class 9th Hindi Solutions Chapter 22 किस तरह आख़िरकार मै हिन्दी में आया

MP Board Class 9th Hindi Solutions Chapter 22 किस तरह आख़िरकार मै हिन्दी में आया

MP Board Class 9th Hindi Solutions Chapter 22 किस तरह आख़िरकार मै हिन्दी में आया ( शमशेर बहादुर सिंह )

लेखक – परिचय

जीवन परिचय – प्रसिद्ध कवि श्री शमशेर बहादुर सिंह का जन्म सन् 1911 में देहरादून, उत्तरांचल में हुआ था। आपकी प्रारंभिक शिक्षा देहरादून और उच्च शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हुई।
अनूठे काव्य बिम्बों का सृजन करने वाले श्री शमशेर एक असाधारण कवि और अनूठे गद्य लेखक हैं।
आपकी प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार हैं- कुछ कविताएँ, कुछ और कविताएँ, चुका भी नहीं हूँ मैं, इतने पास अपने, काल तुझसे होड़ है मेरी ( काव्य संग्रह), कुछ गद्य रचनाएँ, कुछ और गद्य रचनाएँ (गद्य-संग्रह ) |
पाठ का सार
“किस तरह आखिरकार में हिंदी में आया” पाठ के माध्यम से लेखक शमशेर बहादुर सिंह ने बताना चाहा कि हिंदी लेखन में रुचि न लेने वाला लेखक किस तरह हिंदी में आया । लेखक बहुत ही संवदेनशील व्यक्ति है। उसे किसी के द्वारा कही गई कटु बात से काफी टेस पहुँचती है। ऐसे ही किसी व्यक्ति ने उसे कुछ ऐसा कह दिया कि उसे आघात पहुँचा और वह दिल्ली जाने वाली बस पकड़कर दिल्ली के लिए रवाना हो गया। उसने सोच लिया था कि दिल्ली में रहकर पेंटिंग करूंगा। उसे उकील आर्ट स्कूल में दाखिला मिल गया। लेखक ने करोलबाग में कमरा लिया और पेंटिंग सीखने कनॉट प्लेस जाने लगा। वह चलते-चलते उर्दू और अंग्रेजी की कविताएँ लिखता था। वह हर चेहरे और चीज में अपनी पेंटिंग के लिए मसाला खोजता था। आर्थिक तंगी के कारण लेखक उद्विग्न रहता था। पत्नी की मृत्यु हो चुकी थी। एक दिन उनके कवि मित्र नरेंद्रा शर्मा बच्चन स्टूडियो में आए। परंतु लेखक क्लास खत्म होने के कारण घर जा चुका था। वे उसके लिए एक नोट छोड़ गए थे। लेखक ने उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त की।
कई महीनों बाद कुछ शोचनीय घटनाओं के कारण देहरादून चला गया और अपनी ससुराल की केमिस्ट वाली दुकान पर कंपाउण्डरी सीखने लगा। इस बीच देहरादून में उसकी चलने वाली पेंटिंग क्लास बंद हो गई। लेखक उदास रहने लगा। वह स्वयं को एकाकी महसूस करने लगा।
गर्मियों के दिनों में बच्चन जी छुट्टियाँ बिताने देहरादून आए थे। वे लेखक के भाई के मित्र बृजमोहन के साथ डिस्पेंसरी आए। लेखक के यहाँ रुके और उनसे मुलाकात की। बच्चन जी वाणी के धनी थे। उन्होंने देखा लेखक निराश और दुःखी है तो वे उन्हें अपने साथ ले आए। उनका मानना था कि यदि लेखक देहरादून में और रहा तो मर जाएगा।
इलाहाबाद पहुँचकर लेखक ने एम. ए. में दाखिला लिया जिसका सारा खर्च बच्चन जी ने वहन किया, इतना ही नहीं वे उसके अभिभावक भी बने। कुछ समय बाद हिंदू बोर्डिंग हाउस के कामन रूम में लेखक को अनुवाद करने का कार्य पंत जी की कृपा से मिल गया। यह कार्य इंडियन प्रेस में था। उस समय निराला और पंत जी लोकप्रिय थे। अब लेखक के मन में हिन्दी में कविता लिखने की इच्छा जाग्रत हुई। लेखक हिन्दी की ओर खिंचने का कारण निराला जी, पंत जी, उनके संस्कार, इलाहाबाद प्रवास और वहाँ के साहित्यकारों से मिलने वाले प्रोत्साहन को मानता है। । सन 1937 में उसकी स्थिति सुधरने लगी। उसने बच्चन के निर्देशन में चौदह पंक्तियों की एक कविता लिखी। वह बच्चन जी के ‘निशा निमंत्रण’ की कविताओं के पैटर्न पर भी कविताएँ लिखने लगा। लेखक का प्रयास रंग लाया। उसकी कुछ कविताएँ ‘सरस्वती’ पत्रिका में छपीं। लेखक ने हिन्दी में निबंध भी लिखे। वह बच्चन जी की उदारता का सानिध्य पाकर उनके बहुत करीब रहा। उनकी उदारता श्रेष्ठ कविता से कहीं महान है। लेखक कहता है बच्चन जैसे लोग दुनिया में हुआ करते हैं। वे असाधारण नहीं होते। होते तो साधारण ही हैं किंतु होते बिरले हैं, दुष्प्राप्य हैं।
पाठ्य पुस्तक पर आधारित महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर 
प्रश्न 1. वह ऐसी कौन-सी बात रही होगी, जिसने लेखक को दिल्ली जाने के लिए बाध्य कर दिया?
उत्तर- लेखक श्री शमशेर बहादुर सिंह के सामने कोई काम नहीं था। ऐसी स्थिति में उनके घर के किसी सदस्य या सम्बन्धी ने उन्हें कह दिया होगा कि तुम अपना समय व्यर्थ बिता रहे हो। कोई कार्य क्यों नहीं करते। यह वाक्य स्वाभिमानी लेखक के दिल-दिमाग में तीर के समान चुभ गया होगा और वह दिल्ली जाने और कोई कार्य करने के लिए बाध्य हो गए होंगे।
प्रश्न 2. लेखक को अंग्रेजी में कविता लिखने का अफ़सोस क्यों रहा होगा?
उत्तर- लेखक श्री शमशेर बहादुर सिंह के द्वारा अंग्रेजी में लिखे एक सानेट को जब विख्यात कवि एवं साहित्यकार श्री हरिवंशराय बच्चनजी ने पढ़ा, तो उन्होंने उस ‘सानेट’ को स्तर के अनुरुप नहीं पाया और कहा यह तो खालिस सानेट है। ईधर लेखक को इलाहाबाद का साहित्यिक वातावरण, मित्रों का अच्छा सहयोग एवं हिन्दी साहित्यकारों का उचित मार्ग-दर्शन लेखन के लिए उपयुक्त लग रहा था । अतः लेखक को अंग्रेजी में कविता लिखने का अफसोस रहा होगा।
प्रश्न 3. अपनी कल्पना से लिखिए कि बच्चन ने लेखक के लिए ‘नोट’ में क्या लिखा होगा?
उत्तर- मेरी कल्पना में यही आता है कि बच्चनजी ने लेखक श्री शमशेर बहादुर सिंह के लिए ‘नोट’ में यही लिखा होगा कि शमशेर सिंह तुम आगे अपना लेखन कार्य और अध्ययन जारी रखो। अच्छा होगा कि तुम हमारे पास इलाहाबाद चले आओ। वहाँ तुम्हें लेखन कार्य के साथ कोई व्यवसाय भी मिल जाएगा।
प्रश्न 4. लेखक ने बच्चन के व्यक्तित्व के किन-किन रूपों को उभारा है?
उत्तर- लेखक श्री शमशेर सिंह जी ने डॉ. हरिवंशराय बच्चन जी के व्यक्तित्व के अनेक रूपों को बड़ी सच्चाई के साथ उभारने का प्रयास किया है। लेखक की दृष्टि में बच्चन जी अत्यन्त सहयोगी संघर्षी, परोपकारी, कर्तव्यानिष्ठ और फौलादी संकल्प के व्यक्ति थे। उनका हृदय मक्खन के समान अत्यन्त कोमल था। उनके अपने आदर्श थे। वे बड़े उत्साही व संघर्षी व्यक्ति थे । कवि के रूप पारदर्शी थे। वे अपनी बात के धनी थे। समय के पाबंद थे। कविता लिखना भी उन्हें बच्चनजी ने ही सिखाया था। बच्चनजी ही लेखक को इलाहाबाद लाए थे। लेखक ने अपने जीवन में जो कुछ भी प्राप्त किया, उसमें बच्चनजी का अविस्मरणीय योगदान रहा।
प्रश्न 5. बच्चन के अतिरिक्त लेखक को किन लोगों का तथा किस प्रकार का सहयोग मिला?
उत्तर- लेखक को जीवन में बच्चनजी के अतिरिक्त अनेक इष्ट मित्रों का सहयोग मिला। उनमें प्रमुख थे- सहपाठी श्री नरेन्द्र शर्मा, जो कि बी.ए. में साथ थे व कवि भी थे। देहरादून में अपनी ससुराल की केमिस्ट एण्ड ड्रगिस्ट की दुकान पर कम्पाउण्डरी सीखी, जिससे उन्हें दवाइयों का ज्ञान प्राप्त हुआ। इलाहाबाद में श्री सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला एवं श्री सुमित्रानंदन पन्त से साहित्य के संस्कारों के साथ लेखन का विशेष प्रोत्साहन भी मिला।
प्रश्न 6. लेखक के हिन्दी लेखन में कदम रखने का क्रमानुसार वर्णन कीजिए।
उत्तर- प्रारम्भ में लेखक श्री सिंह अंग्रेजी व उर्दू में गजल व शेर लिखते थे। परन्तु जब वे इलाहाबाद में श्री बच्चन श्री के सम्पर्क में आए, तब उन्हें उच्च शिक्षा के साथ-साथ हिन्दी में लेखन की विशेष प्रेरणा मिली। इसके अतिरिक्त पंतजी व निरालाजी से भी उन्हें लेखन की काफी प्रेरणा मिली। तब लेखक ने हिन्दी में लिखना शुरू कर दिया। उनकी ये रचनाएँ हिन्दी की पत्र-पत्रिकाओं में यथा समय प्रकाशित होती चली गई। सन् 1933 में लेखक की हिन्दी की कुछ रचनाएँ ‘सरस्वती’ व ‘चाँद’ पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई। सन् 1937 में चौदह पंक्तियों की कविताएँ प्रकाश में आई। सरस्वती में प्रकाशित लेखक की कविता ने निरालाजी का ध्यान आकर्षित किया । लेखक को साहित्य के क्षेत्र में बहुत कुछ आगे बढ़ाने का श्रेय बच्चनजी को रहा है।
प्रश्न 7. लेखक ने अपने जीवन में जिन कठिनाइयों को झेला, उनके बारे में लिखिए।
उत्तर- लेखक श्री सिंह ने अपने जीवन में अनेक कठिनाइयों को झेला। जब वे दिल्ली के लिए घर से निकले, तब उनकी जेब में पाँच-सात रुपये थे। वे दिल्ली के उकील आर्ट स्कूल में प्रवेश लेना चाहते थे। उन्हें बिना फीस प्रवेश मिला। करोल बाग में उन्होंने किराए का कमरा लिया। यहीं पेंटिंग सीखी। भाई के द्वारा भेजे कुछ रुपयों तथा साइन बोर्ड आदि की पेंटिंग करके अपना खर्च चलाते रहे। इस अवधि में टी.बी. के कारण उनकी पत्नी का निधन हो गया। तत्पश्चात् देहरादून में अपने ससुराल की दुकान पर कम्पाउण्डरी सीखी । इलाहाबाद में बच्चनजी की प्रेरणा से हिन्दी में एम. ए. किया। फीस बच्चनजी के पिताजी ने भरी। हिन्दी में रचनाएँ लिखीं, किन्तु वे प्रकाशित नहीं हो पाती थी। इस प्रकार लेखक का जीवन अनेक कठिनाइयों के दौर से आगे बढ़ा।
वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. सही शब्द चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
(i) शमशेर बहादुर सिंह और डॉ. बच्चन की पहली मुलाकात ……… में हुई थी । (इलाहाबाद/देहरादुन)
(ii) शमशेर बहादुर सिंह को इलाहाबाद लाने वाले कौन थे। (डॉ. बच्चन/ डॉ. सुमन)
(iii) श्री सिंह का एम.ए. का खर्च वहन किया। (डॉ. बच्चन / परिवार)
(iv) श्री सिंह ने डॉ. बच्चन का ……..  के रूप में आँका । (सामान्य व्यक्ति / असाधारण महापुरुष )
(v) श्री सिंह ने कला का प्रशिक्षण ……… से प्राप्त किया था। ( उकील बंधुओ / सलीम खाँ )
(vi) श्री सिंह पहले  …………. भाषा में गीत लिखते। (बंगला / अंग्रेजी)
उत्तर- (i) देहरादून, (ii) डॉ.बच्चन, (iii) डॉ. बच्चन, (iv) उकील बन्धुओं, (v) असाधारण महापुरुष, (vi) अंग्रेजी ।
प्रश्न 2. सत्य / असत्य बताइए –
(i) ‘मैला आँचल’ के लेखक फणीश्वरनाथ रेणु हैं।
(ii) श्री शमशेर बहादुर सिंह को इलाहाबाद लाने वाले सुमित्रानंदन पन्त थे।
(iii) ‘निशानिमंत्रण रचना के कवि श्री सिंह हैं।
(iv) श्री सिंह को इंडियन प्रेस में अनुवाद करने का काम डॉ. बच्चन की कृपा से मिला था।
उत्तर- (i) सत्य, (ii) असत्य, (iii) असत्य, (iv) असत्य।
प्रश्न 3. एक वाक्य में उत्तर दीजिए
(i) श्री शमशेर बहादुर सिंह पहले किस भाषा में लिखते थे?
(ii) श्री सिंह को इंडियन प्रेस में अनुवाद करने का काम किसकी कृपा से मिला था ? ।
(iii) श्री सिंह को इलाहाबाद कौन लाए थे ?
(iv) श्री सिंह की पहली मुलाकात कहाँ और किससे हुई थी ?
(v) श्री सिंह का एम.ए. का खर्च किसने वहन किया था ?
(vi) श्री सिंह ने डॉ. बच्चन को किस रूप में आँका था?
उत्तर – (i) श्री शमशेर बहादुर सिंह पहले अंग्रेजी भाषा में लिखते थे।
(ii) श्री सिंह को इंडियन प्रेस में अनुवाद का काम कवि श्री सुमित्रानंदन पंत की कृपा से मिला था।
(iii) श्री सिंह को इलाहाबाद डॉ. बच्चन लाए थे।
(iv) श्री सिंह की पहली मुलाकात डॉ. बच्चन से देहरादून में हुई थी।
(v) श्री सिंह का एम. ए. का खर्च डॉ. बच्चन ने वहन किया था।
(vi) श्री सिंह ने डॉ. बच्चन को एक असाधारण महापुरुष के रूप में आँका था।
प्रश्न 4. सही सम्बन्ध स्थापित कीजिए –
(अ)                                 (ब)
(i) इस जल प्रलयं में        –  (अ) शमशेर बहादुर सिंह
(ii) मेरे संग की औरतें      – (ब) विद्यासागर नौटियाल
(iii) रीढ़ की हड्डी            –  (स) मृदुला गर्ग
(iv) माटी वाली               –  (द) जगदीश चन्द्र माथुर
(v) किस तरह आखिरकार – (इ) फणीश्वरनाथ ‘रेणु’
      मैं हिन्दी में आया ?     –  (फ) डॉ. बच्चन
उत्तर- (i) (इ), (ii) (स), (iii) – (द), (iv) – (ब), (v)- (अ)।
प्रश्न 5. उचित मिलान कीजिए –
(अ)                                                    (ब)
(i) कलम थी वह भी चोरी चली गई          (A) सन् 1967 में
(ii) ब्रदर्स कारामजोव                            (B) मृदुला गर्ग
(iii) कैथोलिक विशप                            (C) लालची आदमी
(iv) मोर के पँख होते हैं, मोरनी के नहीं     (D) डॉ. बच्चन
(v) ब्रजमोहन गुप्त                                (E) विस्थापन की समस्या
(vi) पटना में भीषण बाढ़                       (F) उपन्यास
(vii) बल बाही                                     (G) रीढ़ की हड्डी
(viii) गोपाल प्रसाद                              (H) देहरादून
(ix) माटी वाली                                    ( I ) फणीश्वरनाथ ‘रेणु’
(x) असाधारण महापुरुष                       (J ) प्राइमरी स्कूल
उत्तर- (i)–(I), (ii) – (F), (iii) – (B), (iv)-(G), (v)–(H), (vi)-A, (vii)-(K), (viii)-(C), (ix)-(E), (x) – (D)।

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