UK Board 10th Class Social Science – (इतिहास) – Chapter 3 भूमण्डलीकृत विश्व का बनना
UK Board 10th Class Social Science – (इतिहास) – Chapter 3 भूमण्डलीकृत विश्व का बनना
UK Board Solutions for Class 10th Social Science – सामाजिक विज्ञान – (इतिहास) – Chapter 3 भूमण्डलीकृत विश्व का बनना
पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
• संक्षेप में लिखें
प्रश्न 1 – सत्रहवीं सदी से पहले होने वाले आदान-प्रदान के दो उदाहरण दीजिए। एक उदाहरण एशिया से और एक उदाहरण अमेरिका महाद्वीपों के बारे में चुनें।
उत्तर — सत्रहवीं सदी के पूर्व एशिया और अमेरिका में होने वाले आदान-प्रदान निम्नलिखित थे-
(i) एशिया (चीन) से यूरोप के पश्चिमी देशों को रेशम भेजा जाता था।
(ii) आलू, मूँगफली, मक्का, टमाटर, मिर्च आदि खाद्य पदार्थ अमेरिका में होते थे जिन्हें संसार को अमेरिका ने दिया।
प्रश्न 2 – बताएँ कि पूर्व आधुनिक विश्व में बीमारियों के वैश्विक प्रसार ने अमेरिकी भू-भागों के उपनिवेशीकरण में किस प्रकार मदद की?
उत्तर — वर्षों तक संसार से अलग रहने के कारण अमेरिका के लोगों के शरीर में चेचक से बचने की रोग प्रतिरोध क्षमता नहीं थी । जब यूरोपीय शक्तियों ने वहाँ उपनिवेश स्थापित किए तब चेचक फैल गई। इस प्रकार, यूरोपीय शक्तियों को अमेरिका के लोगों को जीतने के लिए सैन्य अस्त्रों का उपयोग नहीं करना पड़ा। यह अत्यन्त घातक रोग था जिसने पूरे के पूरे अमेरिकी समुदाय को मौत के घाट उतार दिया। इस प्रकार बीमारियों ने अमेरिकी भू-भागों के उपनिवेशीकरण में सहायता की।
प्रश्न 3 – निम्नलिखित के प्रभावों की व्याख्या करते हुए संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखें—
(क) कॉर्न लॉ के समाप्त करने के बारे में ब्रिटिश सरकार का फैसला।
(ख) अमेरिका में रिंडरपेस्ट का आना ।
(ग) विश्वयुद्ध के कारण यूरोप में कामकाजी उम्र के पुरुषों की मौत |
(घ) भारतीय अर्थव्यवस्था पर महामन्दी का प्रभाव ।
(ङ) बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा अपने उत्पादन को एशियाई देशों में स्थानान्तरित करने का फैसला।
उत्तर- (क) ब्रिटिश सरकार द्वारा कॉर्न लॉ समाप्त करने के पश्चात् बहुत कम मूल्य पर खाद्य पदार्थों का आयात किया जाने लगा। आयातित खाद्य पदार्थों की लागत ब्रिटेन में पैदा होने वाले खाद्य पदार्थों से भी कम थी। परिणामस्वरूप, ब्रिटेन के किसानों की हालत बिगड़ने लगी क्योंकि वे आयातित माल की कीमत का मुकाबला नहीं कर सकते थे। विशाल भू-भाग पर कृषि कार्य बन्द हो गया। हजारों लोग बेरोजगार हो गए। गाँवों से उजड़कर वे या तो शहरों में अथवा अन्य देशों की ओर पलायन करने लगे।
(ख) रिंडरपेस्ट का रोग एशियाई मवेशियों से अफ्रीकी मवेशियों में फैला जिन्हें यूरोपीय उपनिवेशक वहाँ ले गए थे। बीमारी बड़ी तेजी से अफ्रीकी मवेशियों में फैली और देखते-ही-देखते हजारों मवेशी मर गए । इसने अफ्रीकी अर्थव्यवस्था को नष्ट कर दिया जो मवेशियों और जमीन पर आधारित थी। इससे जब बेरोजगारी बढ़ी तो अफ्रीकी लोगों को यूरोपीय बागानों और खानों में काम करने के लिए बाध्य किया गया।
(ग) प्रथम विश्वयुद्ध में यूरोप की ओर से लड़ने वाले लोग कामकाजी आयु के थे। युद्ध में इनकी मृत्यु अधिक हुई। इससे यूरोप में कामकाज के लायक लोगों की संख्या बहुत कम रह गई। परिवार के सदस्य कम हो जाने से युद्ध के पश्चात् परिवारों की आय भी गिर गई।
(घ) महामन्दी के कारण भारतीय आर्थिक दशा अत्यन्त खराब हो गई। किसानों को भारी हानि उठानी पड़ी क्योंकि कम निर्यात के कारण कच्चे माल के दाम गिर गए थे। किसान भारी कर्ज के बोझ में दब गए। दूसरी ओर नगरों में रहने वाले लोग इस महामन्दी से अधिक प्रभावित नहीं हुए क्योंकि इस मन्दी से निपटने के लिए उनके पास पर्याप्त धन था ।
(ङ) विश्व के आर्थिक भूगोल में एक बार उस समय परिवर्तन आया जब बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने एशियाई देशों में उत्पादन प्रचालन स्थापित करने का निर्णय किया। आज एशियाई देश – भारत, नेपाल, चीन, पाकिस्तान बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के माल से भरे पड़े हैं।
प्रश्न 4 – खाद्य उपलब्धता पर तकनीक के प्रभाव को दर्शाने के लिए इतिहास से दो उदाहरण दें।
उत्तर – इतिहास में अनेक उदाहरण हैं जो यह प्रकट करते हैं कि किस प्रकार तकनीक ने खाद्य उपलब्धता को प्रभावित किया, जैसे— रेफ्रिजरेटेड जहाजों के आविष्कार ने मांस के व्यापार को आरम्भ कराया और सड़ने- गलने वाले पदार्थ सस्ते हो गए। मांस के दाम भी गिर गए। तीव्र रेल यातायात और बड़े जहाजों ने अधिक माल को तेजी से खेतों से दूर बाजार तक पहुँचाया और उनके दाम भी गिरे।
प्रश्न 5 – ब्रेटन वुड्स समझौते का क्या अर्थ है ?
उत्तर— ब्रेटन वुड्स समझौता एक विचार है जिसे औद्योगिक देशों ने अन्तर्राष्ट्रीय भागीदारी के अन्तर्गत आम सहमति से तैयार किया है। इसमें युद्धोत्तर आर्थिक भरपाई और राशि का संचय कैसे स्थिर रहे इस विषय पर रणनीति बनाई गई। इसका मुख्य उद्देश्य विश्व में आर्थिक स्थिरता को बनाए रखना था।
ब्रेटन वुड्स समझौता इस परिणाम के पश्चात् सामने आया था कि किसी देश की आर्थिक स्थिरता अन्य देशों को भी प्रभावित करती है क्योंकि आज देश परस्पर निर्भर हैं।
• चर्चा करें
प्रश्न 6 – कल्पना कीजिए कि आप कैरीबियाई क्षेत्र में काम | करने वाले गिरमिटिया मजदूर हैं। इस अध्याय में दिए गए विवरणों के आधार पर अपने हालात एवं अपनी भावनाओं का वर्णन करते हुए अपने परिवार के नाम एक पत्र लिखें।
उत्तर – मेरे प्रिय परिजनो,
सभी को यथायोग्य सम्मान स्वीकार हो। मैं यहाँ ठीक हूँ और आपसे भी ऐसी आशा करता हूँ। लेकिन यहाँ की परिस्थितियाँ बिल्कुल विपरीत हैं जैसा कि मुझे भारत में कहा गया था, वहाँ जो वादे किए गए थे, यहाँ ऐसा कुछ भी नहीं है। आने-जाने का, भोजन का सोने का और चिकित्सा का यहाँ कोई इन्तजाम नहीं है। मुझे खेत में ही रहना पड़ता है। यहाँ मुझसे मेरी क्षमता से अधिक काम कराया जाता है। जिस दिन दिया गया काम पूरा नहीं होता, या काम में कोई गलती हो जाती है उस दिन सजा दी जाती है और जुर्माना वसूला जाता है। यहाँ का जीवन बड़ा दयनीय है इसीलिए मैंने लिखा है ‘ठीक हूँ’ ऐसे जीवन को ‘ठीक ही कह सकता हूँ’ । अनुबन्ध समाप्त होते ही मैं घर वापस लौटना चाहता हूँ।
आपका
क. ख. ग.
प्रश्न 7 – अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक विनिमयों में तीन तरह की गतियों या प्रवाहों की व्याख्या करें। तीनों प्रकार की गतियों के भारत और भारतीयों से सम्बन्धित एक-एक उदाहरण दें और उनके बारे में संक्षेप में लिखें।
उत्तर – अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक विनिमयों में तीन तरह की गतियाँ या प्रवाह निम्नलिखित थे-
(अ) व्यापार का प्रवाह
(ब) श्रम का प्रवाह
(स) पूँजी का प्रवाह ।
वस्तुएँ, श्रम एवं पूँजी ऐसी तीन चीजें थीं, जो पूरे संसार में गतिमान रहती थीं। देश आयात-निर्यात में सक्रियता से जुटे रहते थे। इससे रोजगार के अवसर उत्पन्न होते थे। इसी प्रकार श्रमिक भी एक देश से दूसरे देश की ओर प्रवाहित होता रहता था। ये प्रवाह परस्पर निर्भर थे। भारत और भारतीय भी इन प्रवाहों या गतियों से अछूते नहीं रहे, निम्नलिखित उदाहरणों से यह स्पष्ट होता है-
1. भारत से व्यापार का प्रवाह – भारतीय कच्चा माल (जैसे कपास) विश्वप्रसिद्ध था। ब्रिटेन में इसकी बड़ी माँग थी। स्पष्ट है भारतीय भी इस प्रवाह में सम्मिलित थे।
2. भारत से श्रम का प्रवाह – अमेरिकी महाद्वीपों की खोज के पश्चात् ब्रिटेन ने बड़े जमीनी संसाधनों के दोहन पर विचार किया। खेत जोतने के लिए उन्हें श्रमिकों की आवश्यकता थी । यहाँ फिर भारतीय ही इसमें सम्मिलित हुए। अनुबन्धित श्रमिक व्यवस्था के अन्तर्गत भारतीय नई-नई जगहों पर पहुँचने लगे।
3. भारत में पूँजी का प्रवाह – भारतीय बैंकरों ने एक देसी नियमित व्यवस्था बना ली थी। न केवल भारत में ही पूँजी निवेश करते थे बल्कि अफ्रीका, यूरोपीय उपनिवेशों और उससे आगे भी। भारत के कुछ प्रमुख पूँजीपति थे – हैदराबादी सिंधी व्यापारी, नट्टूकोट्टई चेट्टियार ।
प्रश्न 8 – महामन्दी के कारणों की व्याख्या करें।
उत्तर- आर्थिक महामन्दी का प्रारम्भ 1929 ई० से हुआ। यह मन्दी तीस के दशक के मध्य तक बनी रही। यह दो महायुद्धों के बीच का समय था। प्रथम महायुद्ध के पश्चात् अमेरिका अन्तर्राष्ट्रीय कर्जदाता देश के रूप में उभरा। पूँजी उत्पादन एवं उपयोग तथा पूँजी के देश से बाहर प्रवाह के कारण इसकी अर्थव्यवस्था में उछाल उत्पन्न हो गया। लेकिन यह उछाल लम्बे समय तक बना न रह सका। जैसे ही उछाल समाप्त हुआ, कृषि उत्पादों के दाम नीचे आ गए। किसान घाटे के कारण कर्ज में डूब गए। संयुक्त राज्य अमेरिका की पूरी बैंकिंग व्यवस्था गड़बड़ा गई। अन्तर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था जो बड़े पैमाने पर अमेरिकी पूँजी पर निर्भर थी वह भी अस्त-व्यस्त हो गई, जिससे सम्पूर्ण संसार में आर्थिक महामन्दी का दौर प्रारम्भ हुआ। इस प्रकार कृषि, अति उत्पाद और विश्व बाजार से अमेरिकी निवेश के हट जाने से महामन्दी व्याप्त हो गई।
प्रश्न 9 – जी – 77 देशों से आप क्या समझते हैं? जी – 77 को किस आधार पर ब्रेटन वुड्स की जुड़वाँ सन्तानों की प्रतिक्रिया कहा जा सकता है? व्याख्या करें।
उत्तर – जी- 77 विकासशील देशों का एक ऐसा समूह है जो नई अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था (NIEO) को प्राप्त करने के लिए सामूहिक रूप से काम करता है। अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक (ब्रेटन वुड्स के दोहरे समझौते) की असन्तोषजनक सेवाओं के कारण नव स्वतन्त्र देशों ने जी – 77 का संगठन किया। इनकी स्वतन्त्रता के पश्चात् ब्रेटन वुड्स की संस्थाओं ने गरीब देशों को वित्तीय अनुदान का प्रस्ताव किया। लेकिन इसके एवज में उनके प्राकृतिक संसाधनों को गारण्टी के रूप में इन संस्थानों ने अपने नियन्त्रण में ले लिया। इस प्रकार विकासशील देश जो विकसित देशों के समान औद्योगिक विकास के मार्ग पर चलना चाहते थे ब्रेटन वुड्स की संस्थाओं ने उनका मार्ग अवरुद्ध कर दिया। इसकी प्रतिक्रियास्वरूप जी – 77 देश अस्तित्व में आ गए।
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
• विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1 – विश्व के महान् आर्थिक संकट या आर्थिक मन्दी के कारणों तथा परिणामों की विवेचना कीजिए।
उत्तर – विश्वव्यापी आर्थिक संकट (आर्थिक मन्दी)
आर्थिक मन्दी के कारण – प्रथम विश्वयुद्ध के फलस्वरूप उत्पन्न क्षतिपूर्ति तथा युद्ध-ऋण की समस्याओं ने विश्व के आर्थिक तन्त्रों तथा अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को छिन्न-भिन्न कर दिया। उद्योगों में मशीनीकरण तथा वैज्ञानिकीकरण, उत्पादन के आधिक्य, क्रय शक्ति में गिरावट, आर्थिक राष्ट्रवाद तथा स्वर्ण के असमान विभाजन ने विश्व में भीषण आर्थिक संकट उत्पन्न कर दिया। अक्टूबर 1929 ई० में न्यूयार्क के शेयर बाजार में शेयरों मूल्य एकाएक बहुत नीचे गिर गए, जिसके फलस्वरूप आर्थिक जगत खलबली मच गई। इस आर्थिक मन्दी के परिणाम बड़े दूरगामी और प्रभावकारी हुए।
आर्थिक मन्दी के परिणाम – आर्थिक मन्दी के कारण अनेक देशों की आर्थिक व्यवस्था चौपट हो गई, कल-कारखाने बन्द हो गए और बेकारी की समस्या भयंकर रूप धारण कर गई । लाखों व्यक्तियों और कम्पनियों को व्यापार में विनाशकारी घाटा उठाना पड़ा। पूँजीपति, उद्योगपति, मध्यमवर्गीय व्यक्ति, यहाँ तक कि श्रमिक, किसान और मजदूर भी घोर आर्थिक संकट में फँस गए।
अमेरिका और यूरोप के देशों को अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में भयंकर घाटा उठाना पड़ा। वे व्यापार में ‘संरक्षण नीति’ अपनाने के लिए बाध्य हुए। बेकारी, भुखमरी, अस्थिरता, असुरक्षा तथा निराशा की भावना के कारण जनता में लोकतन्त्र के प्रति आस्था कम होने लगी। मजदूर तथा किसान असन्तुष्ट होकर साम्यवाद और फासीवाद की ओर आकर्षित होने लगे।
आर्थिक संकट का सबसे महत्त्वपूर्ण परिणाम जर्मनी में नाजीवाद का उदय था। जर्मनी की आर्थिक दुर्दशा का लाभ उठाकर हिटलर; जर्मनी का चांसलर बन गया। आर्थिक मन्दी के कारण ही पोलैण्ड, यूगोस्लाविया, रूमानिया, बल्गेरिया, यूनान तथा पुर्तगाल आदि देशों में लोकतन्त्र का पतन हो गया। वहाँ पर अधिनायकवादी शक्तियाँ पनपने लगीं। आर्थिक संकट ने फ्रांस में आन्तरिक उपद्रवों तथा मन्त्रिमण्डलों की अस्थिरता को बढ़ा दिया। अधिकांश देशों ने आर्थिक संकट से उत्पन्न बेकारी को दूर करने के लिए अस्त्र-शस्त्रों का उत्पादन करना आरम्भ कर दिया। फलस्वरूप यूरोप में शस्त्रीकरण की ऐसी दौड़ आरम्भ हो गई जिसने संसार को दूसरे महायुद्ध की आग में जलने के लिए विवश कर दिया। मुसोलिनी ने आर्थिक संकट, का लाभ उठाकर इटली में अपनी तानाशाही स्थापित कर ली। इसी प्रकार पेरू और बोलीविया में भी फासीवादी सरकारें स्थापित हो गई। आर्थिक संकट के परिणामस्वरूप यूरोप में साम्यवाद का व्यापक प्रचार हुआ। यूरोप के बेकार श्रमिक बड़ी तेजी के साथ साम्यवाद की ओर आकर्षित होने लगे, जिसके बड़े भयंकर परिणाम निकले। आर्थिक संकट ने जापान में भी सैनिकवाद का विकास किया।
• लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1 – वर्ष 1929 की आर्थिक मन्दी के भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़े प्रभावों को बताइए।
उत्तर- वर्ष 1929 की आर्थिक मन्दी के भारतीय अर्थव्यवस्था पर निम्नलिखित प्रभाव पड़े-
(1) 1928 से 1934 के बीच देश के आयात-निर्यात घटकर लगभग आधे रह गए। जब अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में कीमतें गिरने लगीं तो यहाँ भी कीमतें नीचे आ गईं।
(2) शहरी निवासियों के मुकाबले किसानों और कलाकारों को अधिक नुकसान हुआ। सबसे बुरी मार उन किसानों पर पड़ी जो विश्व बाजार के लिए उपज पैदा करते थे।
(3) किसान पहले से ज्यादा कर्ज में डूब गए।
प्रश्न 2 – रेशम मार्ग से आप क्या समझते हैं? सविस्तार लिखिए।
अथवा सिल्क मार्ग से संसार के कौन-कौन से भाग जुड़े हुए थे?
अथवा रेशम मार्गों ने दुनिया को किस प्रकार जोड़ा?
उत्तर – रेशम मार्ग दुनिया के दूर-दूर स्थित भागों के बीच आधुनिक युग से पहले के जीवन्त व्यापार और संस्कृति जुड़ाव को दर्शाता है। रेशम मार्ग एशिया के साथ यूरोप और उत्तरी अफ्रीका से जुड़ा हुआ था।
इन मार्गों पर चीनी सिल्क व्यापार का मुख्य सामान था। इसे पश्चिमी यूरोपीय देशों में निर्यात किया जाता था। व्यापार बेहद लाभदायक था; अतः इन मार्गों का नामकरण रेशम मार्ग हो गया।
सिल्क मार्ग से चीनी सिल्क के साथ-साथ व्यापारी चीनी-पॉटरी ले जाते थे और इसी रास्ते से भारत के दक्षिण-पूर्व एशिया के कपड़े व मसाले दुनिया के दूसरे भागों में पहुँचते थे। वापसी में सोने-चाँदी जैसी कीमती वस्तुएँ यूरोप से एशिया पहुँचती थीं।
प्रश्न 3 – ‘आर्थिक मन्दी’ क्या थी? संक्षेप में इसके परिणाम लिखिए।
उत्तर- आर्थिक मन्दी – ‘आर्थिक मन्दी’ एक विश्वव्यापी आर्थिक संकट था, जो 1929 ई० में प्रारम्भ होकर 1933 ई० तक चला। इस आर्थिक संकट के दुष्परिणाम समूचे विश्व को भुगतने पड़े।
आर्थिक मन्दी के परिणाम — आर्थिक मन्दी के परिणाम निम्नलिखित हुए-
(1) विश्व के लगभग सभी पूँजीवादी देशों की अर्थव्यवस्था को गहरा आघात पहुँचा।
(2) आर्थिक संकट के परिणामस्वरूप यूरोप में फासीवादी शक्तियाँ जोर पकड़ने लगीं।
(3) माल की खपत न हो पाने के कारण अनेक कारखाने बन्द हो गए।
(4) वस्तुओं की माँग घट जाने से अनेक वस्तुओं का उत्पादन कम हो गया।
(5) अनेक कारखाने बन्द हो जाने के कारण विश्व के लगभग 8 करोड़ श्रमिक बेकार हो गए।
(6) आर्थिक मन्दी से निर्धनता में अत्यधिक वृद्धि हुई।
प्रश्न 4 – गिरमिटिया मजदूर से क्या अभिप्राय है? समझाइए ।
उत्तर— 19वीं सदी में भारत और चीन के लाखों मजदूरों को बागानों, खदानों और सड़क व रेलवे निर्माण परियोजनाओं में कार्य करने के लिए दूर-दूर के देशों में ले जाया जाता था। इन मजदूरों से अनुबन्ध पर हस्ताक्षर कराए जाते थे या अँगूठा लगवाया जाता था। यहीं मजदूर गिरमिटिया मजदूर कहलाते थे।
प्रश्न 5-सूरत बन्दरगाह 18वीं सदी के अन्त तक हाशिये पर क्यों पहुँच गया था?
उत्तर- 17वीं सदी के दौरान और 18वीं सदी के प्रारम्भिक वर्षों में सूरत पश्चिमी भारत से होने वाले समुद्री व्यापार का मुख्य केन्द्र रहा। 18वीं सदी के अन्त में भारतीय बाजारों में ब्रिटिश सामान की बाढ़ आ गई। सूरत बन्दरगाह से निर्यात व्यापार समाप्त हो चला और सूरत बन्दरगाह हाशिए पर आ गया।
• अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1 – वैश्वीकरण के मुख्य तत्त्व क्या हैं?
उत्तर- वैश्वीकरण के मुख्य तत्त्व हैं- व्यापार, रोजगार की खोज में पलायन, पूँजी व बहुत-सी वस्तुओं की आवाजाही ।
प्रश्न 2 – सिल्क मार्ग से संसार के कौन-से भाग जुड़े हुए थे?
उत्तर – सिल्क मार्ग एशिया के साथ यूरोप और उत्तरी अफ्रीका से जुड़ा हुआ था।
प्रश्न 3 – स्पैघेत्ती (नूडल्स) का जन्म कहाँ हुआ ?
उत्तर – नूडल्स को यात्री चीन से पश्चिम में ले गए, जहाँ वे इसे स्पैत्ती कहते थे।
प्रश्न 4 – पाँच सौ वर्ष पूर्व भारतीय कौन-से खाद्य पदार्थों के बारे में नहीं जानते थे?
उत्तर – पाँच सौ वर्ष पूर्व आलू, सोया, मूँगफली, मक्का, टमाटर, मिर्च, शकरकन्द आदि के विषय में भारतीय नहीं जानते थे।
प्रश्न 5 – किन तकनीकी आविष्कारों ने 19वीं सदी के विश्व का रूपान्तरण सम्भव किया?
उत्तर – रेलवे, टेलीग्राफ, भाप के इंजन, हल्की बोगियाँ, बड़े जहाज और वातानुकूलित जहाजों ने 19वीं सदी में विश्व का रूपान्तरण सम्भव किया।
प्रश्न 6 – ‘रिंडरपेस्ट’ क्या है?
उत्तर- ‘रिंडरपेस्ट’ पशुओं की बीमारी है। इसे मवेशी प्लेग भी कहते हैं। यह बीमारी 1890 ई० के दशक में अफ्रीका में फैली थी।
प्रश्न 7 – भारतीय अनुबन्धित श्रमिक काम के लिए कहाँ जाते थे?
उत्तर – भारतीय अनुबन्धित श्रमिक काम के लिए कैरीबियाई द्वीप (त्रिनिदाद, गुयाना और सूरीनाम) मॉरिशस, फिजी, सीलोन (श्रीलंका), मलाया व असम जाते थे। समूह
प्रश्न 8 – ‘होसे’ क्या था?
उत्तर- त्रिनिदाद में मुहर्रम के वार्षिक जुलूस को एक विशाल उत्सवी मेले का रूप दे दिया गया। इसमें सभी धर्मों व नस्लों के मजदूर हिस्सा लेते थे। इस उत्सव को ‘होसे’ नाम दिया गया।
प्रश्न 9 – कुछ भारतीय बैंकरों के नाम लिखिए।
उत्तर – शिकारीपूरी श्रॉफ और नट्टूकोट्टई चेट्टियार बहुत से भारतीय बैंकरों में से ही थे।
• बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1 – सिल्क मार्ग से रेशम कहाँ भेजा जाता था-
(अ) पश्चिमी देशों को
(ब) पूर्वी देशों को
(स) भारत को
(द) अमेरिका को ।
उत्तर- (अ) पश्चिमी देशों को ।
प्रश्न 2 – विश्व के लिए ‘नूडल्स’ किस देश की देन है-
(अ) चीन
(ब) फ्रांस
(स) रूस
(द) नेपाल ।
उत्तर- (अ) चीन।
प्रश्न 3 – 1840 ई० में किस देश में आलू का अकाल पड़ा-
(अ) चीन
(ब) भारत
(स) आयरलैण्ड
(द) स्पेन ।
उत्तर- (स) आयरलैण्ड ।
प्रश्न 4 – ‘कॉर्न लॉ’ किस देश में लागू किया गया-
(अ) आयरलैण्ड
(ब) चीन
(स) स्पेन
(द) ब्रिटेन।
उत्तर – (द) ब्रिटेन।
प्रश्न 5 – महामन्दी की शुरुआत किस वर्ष हुई-
(अ) 1929 ई० में
(ब) 1921 ई० में
(स) 1932 ई० में
(द) 1939 ई० में।
उत्तर- (अ) 1929 ई० में।