UK 10th Social Science

UK Board 10th Class Social Science – (इतिहास) – Chapter 5 मुद्रण, संस्कृति और आधुनिक दुनिया

UK Board 10th Class Social Science – (इतिहास) – Chapter 5 मुद्रण, संस्कृति और आधुनिक दुनिया

UK Board Solutions for Class 10th Social Science – सामाजिक विज्ञान – (इतिहास) – Chapter 5 मुद्रण, संस्कृति और आधुनिक दुनिया

पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
• संक्षेप में लिखें
प्रश्न 1 – निम्नलिखित के कारण दें-
(क) वुडब्लॉक प्रिंट या तख्ती की छपाई यूरोप में 1295 के बाद आई।
(ख) मार्टिन लूथर मुद्रण के पक्ष में था और उसने इसकी खुलेआम प्रशंसा की ।
(ग) रोमन कैथोलिक चर्च ने सोलहवीं सदी के मध्य से प्रतिबन्धित किताबों की सूची रखनी शुरू कर दी।
(घ) महात्मा गांधी ने कहा कि स्वराज की लड़ाई दरअसल अभिव्यक्ति, प्रेस और सामूहिकता के लिए लड़ाई है।
उत्तर— (क) 1295 ई० में मार्को पोलो नामक महान् खोजी यात्री चीन में काफी वर्षों तक खोज करने के बाद इटली वापस लौटा। चीन के पास वुडब्लॉक (काठ की तख्ती) वाली छपाई की तकनीक पूर्व से ही मौजूद थी। मार्को पोलो यह ज्ञान अपने साथ लेकर लौटा।
(ख) अपने प्रोटेस्टेंट विचारों के प्रकाशन से मार्टिन लूथर ने रोमन कैथोलिक चर्च की कुरीतियों की आलोचना की और उन्हें चुनौती दी। जब उसने न्यू टेस्टामेंट का अनुवाद किया तो अल्प समय में उसकी 5,000 प्रतियाँ बिक गईं। प्रिंट तकनीक के बिना यह असम्भव था। इसलिए मार्टिन लूथर मुद्रण के पक्ष में था और उसने इसकी खुलेआम प्रशंसा की ।
(ग) 16वीं सदी के मध्य से रोमन कैथोलिक चर्च को अनेक मतभेदों का सामना करना पड़ रहा था। लोगों ने अपनी पुस्तकों की रचना कर ली थी। पुस्तकों में ईश्वर और उसकी रचना की उनके द्वारा मनमानी व्याख्याएँ दी गई थीं। इसलिए चर्च ने ऐसी पुस्तकों को प्रतिबन्धित कर दिया। इसकी सूची रखी जाने लगी।
(घ) गांधी जी के अनुसार, बोलने की स्वतन्त्रता, प्रेस और संगठन बनाने की आजादी – ये तीन अभिव्यक्तियाँ जनता के विचारों को परिष्कृत करने के सर्वाधिक शक्तिशाली वाहक हैं। इसलिए उन्होंने कहा है कि स्वराज की लड़ाई बोलने की स्वतन्त्रता, प्रेस और संगठन बनाने की आजादी की लड़ाई थी।
प्रश्न 2- -छोटी टिप्पणी में इनके बारे में बताएँ-
(क) गुटेनबर्ग प्रेस।
(ख) छपी किताब को लेकर इरैस्मस के विचार ।
(ग) वर्नाक्युलर या देसी प्रेस एक्ट ।
उत्तर- (क) यह वुडब्लॉक प्रेस से आगे का विकसित रूप था। सीसे के साँचों का उपयोग अक्षरों की धातुई आकृतियों को तैयार करने के लिए किया जाता था। गुटेनबर्ग ने 1944 ई० तक अपना यन्त्र तैयार कर लिया। उसने जो पहली किताब छापी वह बाइबिल थी। तीन वर्षों में उसने बाइबिल की 180 प्रतियाँ छापीं ।
(ख) इरैस्मस एक लैटिन विचारक था। वह कैथोलिक धर्म-सुधारक भी था। उसने पुस्तकों की छपाई की आलोचना की। उसका मत था कि अधिकांश पुस्तकें मूर्ख, बकवास, सनसनीखेज, धर्म विरोधी, अज्ञानी और षड्यन्त्रकारी हैं।
(ग) भारत सरकार द्वारा 1878 ई० में वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट पारित किया गया। यह कानून ईश प्रेस कानून के (आयरलैण्ड मुद्रण कानूनों के अनुरूप) अनुसार बनाया गया। इस कानून के बनने से ब्रिटिश सरकार को अत्यन्त व्यापक अधिकार मिल गए और वह देशी भाषा में छपने वाली रिपोर्ट और सम्पादकों पर व्यापक रूप से प्रहार कर सकते थे।
प्रश्न 3 – उन्नीसवीं सदी में भारत में मुद्रण-संस्कृति के प्रसार का इनके लिए क्या मतलब था ?
(क) महिलाएँ
(ख) गरीब जनता
(ग) सुधारक ।
उत्तर— (क) मुद्रण संस्कृति से भारतीय महिलाओं को लाभ हुआ। उनमें जागृति उत्पन्न हुई। कई महिलाओं ने अपनी जीवनगाथा / आत्मकथाओं को लिखा और प्रकाशित कराया।
(ख) गरीबों ने अपने प्रिय प्रवक्ताओं अम्बेडकर, पेरियार, फूले आदि के विचारों को अपने निकट पाया। सस्ती पुस्तकों के प्रकाशन से गरीब पाठकों की संख्या में वृद्धि हुई ।
(ग) 19वीं सदी के भारतीय सुधारकों ने अपने सुधारवादी विचारों को फैलाने के लिए मुद्रण संस्कृति को सबसे कारगर माध्यम के रूप में प्रयुक्त किया। मुद्रण संस्कृति ने उन्हें धार्मिक अन्धविश्वासों को तोड़ने और आधुनिक, सामाजिक और राजनैतिक विचारों को फैलाने का मंच प्रदान किया।
• चर्चा करें
प्रश्न 1 – अठारहवीं सदी के यूरोप में कुछ लोगों को क्यों ऐसा लगता था कि मुद्रण संस्कृति से निरंकुशवाद का अन्त और ज्ञानोदय होगा?
उत्तर- 18वीं सदी में यूरोप में लुई सेबेस्तिएँ मर्सिए जैसे लोगों का मत था कि मुद्रण संस्कृति जनता के उत्थान और दृष्टिकोण का सबसे शक्तिशाली साधन है। इसमें निरंकुशवाद को समाप्त करने व ज्ञान के विस्तार की शक्ति है।
प्रश्न 2 – कुछ लोग किताबों की सुलभता को लेकर चिन्तित क्यों थे? यूरोप और भारत से एक-एक उदाहरण देकर समझाएँ ।
उत्तर – कुछ लोग पुस्तकों की सुलभता को लेकर अत्यन्त चिन्तित थे; क्योकिं—
(i) उन्हें डर था कि इनसे विद्रोह और अधार्मिक विचारों का प्रस्फुटन होगा।
(ii) यूरोप में रोमन कैथोलिक चर्च ने प्रतिबन्धित पुस्तकों की सूची बनाकर उन्हें मुद्रण से रोकने का प्रयास किया।
(iii) भारत में वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट ने भारतीय प्रेस और बहुत-से स्थानीय समाचार पत्रों पर प्रतिबन्ध लगा दिया था।
प्रश्न 3 – उन्नीसवीं सदी में भारत में गरीब जनता पर मुद्रण संस्कृति का क्या असर हुआ ?
उत्तर – मुद्रण संस्कृति के असर को निम्नलिखित बिन्दुओं में देखा जा सकता है—
(i) अनेक बेरोजगार व्यक्तियों को छापेखानों में काम मिला।
(ii) सस्ती छपी सामग्री से उन्हें सभी स्तर के समाचार प्राप्त होने लगे।
(iii) अपनी ही भाषा में छप रही सामग्री ने उनमें राष्ट्रवादी भावनाओं का प्रचार-प्रसार किया।
(iv) मुद्रण संस्कृति के माध्यम से देश में गरीबों के प्रति मद्यपान, अशिक्षा आदि सामाजिक बुराइयों के प्रति जागरूकता अभियान छेड़ा गया।
प्रश्न 4 – मुद्रण संस्कृति ने भारत में राष्ट्रवाद के विकास में क्या मदद की?
उत्तर – मुद्रण संस्कृति ने भारत में राष्ट्रवाद के विकास में प्रभावी ढंग से निम्न प्रकार सहायता की-
(i) क्षेत्रीय भाषाओं के समाचार-पत्रों के माध्यम से औपनिवेशिक सरकार के शोषण के तरीकों की जानकारी प्रदान की जाती थी ।
(ii) सरकार के कठोर नियमों और प्रेस की स्वतन्त्रता, राष्ट्रवादी भावनाओं को फैलने से रोकने आदि के प्रति उठाए गए इसके दमनकारी कदमों की जानकारी विस्तारपूर्वक प्रकाशित की जाती थी।
(iii) मुद्रण संस्कृति के माध्यम से क्रान्तिकारी विचार भी गुप्त रूप से फैलाए जाते थे।
(iv) देश में प्रकाशित होने वाले राष्ट्रीय समाचार-पत्र हमेशा भारतीय जनमानस के दृष्टिकोण को प्रचारित-प्रसारित करते रहते थे।
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
• विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1 – 17वीं और 18वीं सदी में लोगों में पढ़ने का उत्साह क्यों उत्पन्न हुआ? उस समय किस प्रकार का साहित्य प्रकाशित कराया गया ?
उत्तर – पूरी सत्रहवीं और अठारहवीं सदी की अवधि में यूरोप के अधिकांश भागों में साक्षरता बढ़ती रही। अलग-अलग सम्प्रदाय के चर्चों ने गाँव में स्कूल स्थापित किए और किसानों-कारीगरों को शिक्षित करने लगे ।। अठारहवीं सदी के अन्त तक यूरोप के कुछ भागों में तो साक्षरता दर 60 से 80 प्रतिशत तक हो गई थी। यूरोपीय देशों में साक्षरता और स्कूलों के प्रसार के साथ लोगों में पढ़ने का जैसे जुनून उत्पन्न हो गया। लोगों को पुस्तकें चाहिए थीं, इसलिए मुद्रक अधिक-से-अधिक पुस्तकें छापने लगे।
नए पाठकों की रुचि को दृष्टिगत रखते हुए विभिन्न प्रकार का साहित्य छपने लगा। पुस्तक विक्रेताओं ने गाँव-गाँव जाकर छोटी-छोटी पुस्तकों को बेचने वाले फेरीवालों को काम पर लगाया। ये पुस्तकें मुख्यतः पंचांग के अलावा लोक-गाथाएँ और लोकगीतों की हुआ करती थीं। लेकिन शीघ्र पुस्तकें ही मनोरंजन- प्रधान सामग्री भी साधारण पाठकों तक पहुँचने लगी। इंग्लैंड में पेनी चैपबुक्स या एकपैसिया किताबें बेचने वालों को चैपमेन कहा जाता था। इन पुस्तकों को गरीब लोग भी खरीदकर पढ़ सकते थे। फ्रांस में बिब्लियोथीक ब्ल्यू का चलन था, जो सस्ते कागज पर छपी • और नीली जिल्द में बँधी छोटी पुस्तकें हुआ करती थीं। इसके अलावा चार-पाँच पन्ने की प्रेम कहानियाँ थीं, और अतीत की थोड़ी गाथाएँ थीं, जिन्हें ‘इतिहास’ कहते थे। आप देख सकते हैं कि अलग-अलग उद्देश्य और रुचि के हिसाब से पुस्तकों के कई आकार-प्रकार थे।
अठारहवीं सदी के आरम्भ में पत्रिकाओं का प्रकाशन प्रारम्भ हुआ, जिनमें समसामयिक घटनाओं की खबर के साथ मनोरंजन भी परोसा जाने लगा। अखबार और पत्रों में युद्ध और व्यापार से सम्बन्धित जानकारी के अलावा दूर देशों की खबरें होती थीं।
उसी प्रकार वैज्ञानिक और दार्शनिक भी साधारण जनता की पहुँच के बाहर नहीं रहे। प्राचीन व मध्यकालीन ग्रन्थ संकलित किए गए और नक्शों साथ-साथ वैज्ञानिक खाके भी बड़ी मात्रा में छापे गए। जब आइजैक न्यूटन जैसे वैज्ञानिकों ने अपने आविष्कार प्रकाशित करने प्रारम्भ किए तो उनके लिए विज्ञान-बोध में पगा एक बड़ा पाठक वर्ग तैयार हो चुका था। टॉमस पेन, वॉल्टेयर और ज्याँ जाक रूसो जैसे दार्शनिकों की पुस्तकें भी भारी मात्रा में छपने और पढ़ी जाने लगीं। स्पष्ट है कि विज्ञान, तर्क और विवेकवाद के उनके विचार लोकप्रिय साहित्य में भी स्थान पाने लगे।
प्रश्न 2 – प्रिंटिंग प्रेस के आविष्कार के पश्चात् प्रकाशित पुस्तकों ने यूरोपीय समाज में क्या बदलाव किए?
उत्तर – सत्रहवीं और अठारहवीं सदी की अवधि में यूरोप के अधिकांश भागों में साक्षरता बढ़ती रही। अलग-अलग सम्प्रदाय के चर्चों ने गाँवों में स्कूल स्थापित किए और किसानों-कारीगरों को शिक्षित करने लगे । अठारहवीं सदी के अन्त तक यूरोप के कुछ भागों में तो साक्षरता दर 60 से 80 प्रतिशत तक हो गई थी। यूरोपीय देशों में साक्षरता और स्कूलों के प्रसार के साथ लोगों में पढ़ने का जैसे जुनून उत्पन्न हो गया। लोगों को पुस्तकें चाहिए थी, इसलिए मुद्रक अधिक-से-अधिक पुस्तकें छापने लगे।
नये पाठकों की रुचि को दृष्टिगत रखते हुए विभिन्न प्रकार का साहित्य छपने लगा। पुस्तक विक्रेताओं ने गाँव-गाँव जाकर छोटी-छोटी पुस्तकों को बेचने वाले फेरीवालों को काम पर लगाया। ये पुस्तकें मुख्यतः पंचांग के अलावा लोक-गाथाएँ और लोकगीतों की हुआ करती थीं। लेकिन शीघ्र पुस्तकें ही मनोरंजन प्रधान सामग्री के रूप में साधारण पाठकों तक पहुँचने लगीं। इंग्लैण्ड में पेनी चैपबुक्स या एकपैसिया किताबें बेचने वालों को चैपमेन कहा जाता था। इन पुस्तकों को गरीब लोग भी खरीदकर पढ़ सकते थे। फ्रांस में बिब्लियोथीक ब्ल्यू का चलन था, जो सस्ते कागज पर छपी और नीली जिल्द में बँधी छोटी पुस्तकें हुआ करती थीं। इसके अलावा चार-पाँच पन्ने की प्रेम कहानियाँ थीं और अतीत की थोड़ी गाथाएँ थीं, जिन्हें ‘इतिहास’ कहते थे। आप देख सकते हैं कि अलग-अलग उद्देश्य और रुचि के हिसाब से पुस्तकों के कई आकार-प्रकार थे।
अठारहवीं सदी के आरम्भ में पत्रिकाओं का प्रकाशन प्रारम्भ हुआ, जिनमें समसामयिक घटनाओं की खबर के साथ मनोरंजन भी परोसा जाने लगा। अखबार और पत्रों में युद्ध और व्यापार से सम्बन्धित जानकारी के अलावा दूर देशों की खबरें होती थीं।
उसी प्रकार वैज्ञानिक और दार्शनिक भी साधारण जनता की पहुँच के बाहर नहीं रहे। प्राचीन व मध्यकालीन ग्रन्थ संकलित किए गए और नक्शों के साथ-साथ वैज्ञानिक खाके भी बड़ी मात्रा में छापे गए। जब आइजैक न्यूटन जैसे वैज्ञानिकों ने अपने आविष्कार प्रकाशित करने प्रारम्भ किए तो उनके लिए विज्ञान-बोध में रुचि रखने वाला एक बड़ा पाठक-वर्ग तैयार हो चुका था। टॉमस पेन, वॉल्टेयर और ज्याँ जाक रूसो जैसे दार्शनिकों की पुस्तकें भी अधिक संख्या में छापी और पढ़ी जाने लगीं। स्पष्ट है कि विज्ञान, तर्क और विवेकवाद के उनके विचार लोकप्रिय साहित्य में भी स्थान पाने लगे।
• लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1 – प्राचीनकाल में चीनी पुस्तकें कैसे बनी थीं?
उत्तर – प्राचीनकाल में जब चीन में कागज का आविष्कार हुआ तो लकड़ी के ब्लॉक या तख्ती पर कागज को रगड़कर पुस्तकें छापी जाने लगीं। यह पारम्परिक चीनी पुस्तक ‘एकॉर्डियन शैली’ में किनारों को मोड़ने के पश्चात् सिलकर बनाई जाती थी। बाद में कुशल कारीगर इनकी प्रतिलिपियाँ तैयार करते थे।
प्रश्न 2 – उन्नीसवीं सदी में मुद्रण संस्कृति का महिलाओं की सामाजिक स्थिति पर क्या प्रभाव पड़ा? विवेचन कीजिए।
अथवा 19वीं सदी के भारत में मुद्रण संस्कृति ने महिलाओं को किस प्रकार प्रभावित किया? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – महिलाओं की जीवनी और उनकी भावनाएँ बड़ी साफगोई और गम्भीरता से लिखी जाने लगीं। इसलिए मध्यमवर्गीय घरों में महिलाओं का पढ़ना भी पहले से अधिक हो गया। उदारवादी पिता और पति अपने यहाँ औरतों को घर पर पढ़ाने लगे और उन्नीसवीं सदी के मध्य में जब बड़े-छोटे को जगह दी और उन्होंने नारी-शिक्षा की आवश्यकता को बार-बार शहरों में स्कूल बने तो उन्हें स्कूल भेजने लगे। कई पत्रिकाओं ने लेखिकाओं रेखांकित किया। इन पत्रिकाओं में पाठ्यक्रम भी प्रकाशित होता था, और के लिए किया जा सकता था। आवश्यकतानुसार पाठ्य सामग्री भी, जिसका उपयोग घर बैठे स्कूली शिक्षा
प्रश्न 3 – बटाला ने प्रकाशन जगत को किस प्रकार ख्याति दी?
उत्तर— बंगाल में केन्द्रीय कलकत्ता का एक पूरा क्षेत्र बटाला – लोकप्रिय पुस्तकों के प्रकाशन को समर्पित हो गया । यहाँ पर आप धार्मिक गुटकों और ग्रन्थों के सस्ते संस्करण तो खरीद ही सकते थे, जो साधारण रूप से अश्लील और सनसनीखेज समझा जाता था, वह भी उपलब्ध था । उन्नीसवीं सदी के अन्त तक, ऐसी बहुत सारी पुस्तकों पर काठ की तख्ती और लिथोग्राफी रंगों की मदद से प्रचुर मात्रा में तसवीरें उकेरी जा रही थीं। फेरीवाले बटाला के प्रकाशन लेकर घर-घर घूमते थे, जिससे महिलाओं को आराम के क्षणों में मनपसन्द पुस्तकें पढ़ने में सरलता हो गई । .
प्रश्न 4 – मार्टिन लूथर कौन था? धार्मिक बहस को प्रारम्भ करने के लिए उसने मुद्रण कला का उपयोग किस प्रकार किया?
उत्तर— (i) सन् 1512 में धर्मसुधारक मार्टिन लूथर ने रोमन कैथोलिक चर्चा की कुरीतियों की आलोचना करते हुए अपनी ‘पिच्चानवे स्थापनाएँ’ लिखीं।
(ii) इसकी एक प्रकाशित प्रति विटेनबर्ग के गिरजाघर के दरवाजे पर टाँगी गई।
(iii) इसमें उसने चर्च शास्त्रार्थ के लिए चुनौती दी थी।
(iv) जल्दी ही लूथर के लेख बड़ी संख्या में छापे और पढ़े जाने लगे।
इसके परिणामस्वरूप चर्च में विभाजन हो गया और प्रोटेस्टेंट धर्म सुधार की शुरुआत हुई।
• अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1 – मुद्रण ईश्वर की दी हुई महानतम देन है, सबसे बड़ा तोहफा ।’ यह कथन किसका था?
उत्तर – मार्टिन लूथर का ।
प्रश्न 2 – मुद्रण क्रान्ति का क्या अर्थ है ?
उत्तर – प्रिंटिंग प्रेस द्वारा पुस्तकें छापने के नये तरीके को मुद्रण क्रान्ति कहते हैं ।
प्रश्न 3 – गुटेनबर्ग ने प्रिंटिंग मशीन का आविष्कार कब किया? 
उत्तर- गुटेनबर्ग ने 1448 ई० में प्रिंटिंग मशीन का आविष्कार किया।
प्रश्न 4 – यूरोप में प्रिंटिंग प्रेस का आविष्कार किसने किया? इस प्रेस में छपने वाली प्रथम पुस्तक का नाम बताइए ।
अथवा मुद्रण की पहली तकनीक किस देश में विकसित हुई ?
अथवा प्रिंटिंग प्रेस का आविष्कार किसने किया?
अथवा गुटेनबर्ग द्वारा छापी गई पहली किताब कौन-सी थी ?
उत्तर – यूरोप में प्रिंटिंग प्रेस का आविष्कार गुटेनबर्ग ने किया था। इस प्रेस में छपने वाली प्रथम पुस्तक बाइबिल थी ।
प्रश्न 5 – भारत में प्रिंटिंग प्रेस कौन लाया?
उत्तर – भारत में सर्वप्रथम प्रिंटिंग प्रेस पुर्तगाली धर्म प्रचारक लाए और इसे गोवा में स्थापित किया गया।
प्रश्न 6 – वेलम या चर्मपत्र क्या है?
उत्तर — वेलम या चर्मपत्र पशुओं के चमड़े से बनी सतह है जिस पर लिखने का कार्य किया जाता था।
प्रश्न 7 – ‘जंगल बुक’ नामक प्रसिद्ध पुस्तक के लेखक का नाम लिखिए।
उत्तर — ‘जंगल बुक’ रूडयार्ड किपलिंग की रचना है।
प्रश्न 8 – जापान की प्राचीनतम मुद्रित पुस्तक कौन-सी है ?
उत्तर – ‘डायमण्ड सूत्र’ जापान की प्राचीनतम मुद्रित पुस्तक है। इसमें छह पाठों के साथ-साथ काठ पर खुदे चित्र हैं।
प्रश्न 9 – मर्सिए कौन था ?
उत्तर – लुई सेबेस्तिएँ मर्सिए 18वीं सदी के फ्रांस का एक उपन्यासकार था। उसका मानना था कि पुस्तकों से समाज में ज्ञानोदय होगा और निरंकुशवाद समाप्त हो जाएगा।
प्रश्न 10 – भारत में उपन्यास कैसे लोकप्रिय हुए?
उत्तर – ‘उपन्यास’ का विकास यूरोप में हुआ लेकिन वे भारत में अधिक लोकप्रिय हुए। भारतीय उपन्यास साधारण आदमी के जीवन, अनुभव, भावनाओं और सम्बन्धों आदि को प्रकट करते थे।
• बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1 – मुद्रण की सबसे पहली तकनीक किस देश में विकसित हुई—
(अ) चीन
(ब) भारत
(स) कोरिया
(द) तिब्बत।
उत्तर- (अ) चीन।
प्रश्न 2 – ‘ डायमण्ड सूत्र’ किस देश की रचना है—
(अ) जापान
(ब) चीन
(स) कोरिया
(द) भारत।
उत्तर- (अ) जापान ।
प्रश्न 3 – गुटेनबर्ग ने प्रिंटिंग मशीन का आविष्कार किस वर्ष किया-
(अ) 1416 ई० में
(ब) 1417 ई० में
(स) 1430 ई० में
(द) 1420 ई० में।
उत्तर- (स) 1430 ई० में।
प्रश्न 4 – गुटेनबर्ग ने बाइबिल की कुल कितनी प्रतियाँ छापी थीं-
(अ) 140
(ब) 180
(स) 170
(द) 171
उत्तर- (ब) 180.
प्रश्न 5 – बंगाल गजट किस वर्ष प्रारम्भ हुआ था-
(अ) 1780 ई० में
(ब) 1784 ई० में
(स) 1773 ई० में
(द) 1782 ई० में।
उत्तर- (अ) 1780 ई० में।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *