बजट क्या होता है और बजट के क्या फायदे होते है| What is the budget
बजट क्या होता है और बजट के क्या फायदे होते है| What is the budget
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आय–व्यय का लेखा, आय–व्यय पत्रक।
“Budget tells you where money to go instead of wondering where money went”
यानी Budget , पैसे मैनेज करने का एक ऐसा तरीका है, जो हमें बताता है कि – हमारे पैसे कहा खर्च किये जाने चाहिए और कहा नहीं,
बजट का अर्थ (Meaning of Budget)
बजट (पुराने फ्रांसीसी शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ है पर्स) आगामी लेखा अवधि के लिए एक मात्राबद्ध वित्तीय योजना है।
माइक्रोइकॉनॉमिक्स में बजट एक महत्वपूर्ण अवधारणा है, जो दो या दो से अधिक वस्तुओं के बीच व्यापार-उतार को दर्शाने के लिए बजट लाइन का उपयोग करता है। अन्य शब्दों में, बजट एक संगठनात्मक योजना है जिसे मौद्रिक संदर्भ में कहा जाता है।
बजट की परिभाषा (Budget Definition)
बजट, भविष्य के लिये की गई वह योजना है जो, पूरे साल की राजस्व व अन्य आय तथा खर्चो का अनुमान लगा कर बनाई जाती है. जिसमे वित्तीय मंत्री के द्वारा, सरकार के समक्ष अपनी व्यय का अनुमान लगा कर, आने वाले वर्ष के लिये कई योजनायें बना कर, जनता के सामने हर वित्तीय वर्ष के दौरान प्रस्तुत करती है. एक आदर्श बजट वह होता है जिसमे,किसी का स्वार्थ ना हो. सरकार द्वारा उस बजट मे लोग, व्यापार, सरकार, देश, बहुराष्ट्रीय संगठन के लिये, एक व्यक्ति, परिवार, समूह के लिये अच्छी से अच्छी योजनायें बनाई गई हो तथा खर्चे व निवेश किये गये हो.
सरकार द्वारा हर साल बजट क्यों बनाया जाता है? (What are the Objectives of a Budget)
सरकार हर साल बजट बनाकर दो काम करती है-
1. अगले वित्तवर्ष में देश के विभिन्न क्षेत्रों (जैसे- उद्योग, विनिर्माण, शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन आदि) में किए जाने वाले विभिन्न प्रकार के विकास कार्यों में होने वाले खर्चों का अनुमान लगाती है।
2. अगले वित्तवर्ष के लिए अनुमानित खर्चों को पूरा करने के लिए धन (Funds) की व्यवस्था करने के लिए सम्यक उपाय (जैसे- कुछ चीजों पर कुछ खास तरह के नए Tax लगाने या बढ़ाने अथवा किसी वस्तु या सेवा पर पहले से दी जा रही सब्सिडी (Subsidy) को कम या खत्म करना आदि) करती है।
यानी सरल शब्दों में कहें तो सरकार ये निश्चित करती है कि उसे अगले वर्ष देश के विकास से संबंधित किन चीजों पर प्राथमिकता के साथ खर्च करना है और उन खर्चों के लिए धन की व्यवस्था कैसे करनी है। आय (Income) व व्यय (Expenditure) के इसी ब्यौरे का नाम बजट (Budget) है और प्रत्येक बजट एक निश्चित अवधि के लिए बनाया जाता है।
बजट के प्रकार (Types of Budget)
बजट मुख्यतः पांच प्रकार के होते हैं, जो निम्न हैं:
1. पारम्परिक या आम बजट (Aam Budget): वर्तमान समय के “आम बजट” का प्रारंभिक स्वरूप “पारम्परिक बजट (Traditional Budget) कहलाता है| आम बजट का मुख्य उद्देश्य “विधयिका” और “कार्यपालिका” पर “वित्तीय नियंत्रण” स्थापित करना है| इस बजट में सरकार की आय और व्यय का लेखा-जोखा होता है| इस बजट में सरकार अगले वित्त वर्ष में किस क्षेत्र में कितना धन खर्च करेगी, उसका उल्लेख तो करती है लेकिन इस खर्च से क्या-क्या परिणाम होंगे उनका ब्यौरा नहीं दिया जाता है|
अतः इस प्रकार के बजट का उद्देश्य सरकारी खर्चों पर नियंत्रण करना तथा विकास कार्यों को लागू करना था न कि तीव्र गति से विकास करना था| अतः पारम्परिक बजट की अवधारणा स्वतंत्र भारत की समस्याओं को सुलझाने तथा विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने में असफल रही| परिणामस्वरूप भारत में “निष्पादन बजट (Performance Budget)” की आवश्यकता और महत्व को स्वीकार किया गया और इसे पारम्परिक बजट के “पूरक” के रूप में पेश किया जाता है|
2. निष्पादन बजट (Performance Budget): किसी कार्य के परिणामों को आधार मानकर बनाये जाने वाले बजट को “निष्पादन बजट (Performance Budget)” कहते हैं| विश्व में सर्वप्रथम “निष्पादन बजट” की शुरूआत संयुक्त राज्य अमेरिका में हुई थी|
अमेरिका में 1949 में प्रशासनिक सुधारों के लिए “हूपर आयोग” का गठन किया गया था| इसी आयोग की सिफारिश के आधार पर अमेरिका में “निष्पादन बजट” की शुरूआत हुई थी| “निष्पादन बजट” में सरकार जनता की भलाई के लिए क्या कर रही है? कितना कर रही है? और किस कीमत पर कर रही है? जैसी सभी बातों को शामिल किया जाता है| भारत में “निष्पादन बजट” को उपलब्धि बजट या कार्यपूर्ति बजट भी कहा जाता है|
3. शून्य आधारित बजट (Zero Based Budget): भारत में इस बजट को अपनाने के दो प्रमुख कारण है:
(i) देश के बजट में लगातार होने वाला घाटा
(ii) निष्पादन बजट प्रणाली का सफल क्रियान्वयन न हो पाना
शून्य आधारित बजट में पिछले वित्त वर्षों में किए गए व्ययों पर विचार नहीं किया जाता है और न ही पिछले वित्त वर्षों के व्यय को आगामी वर्षों के लिए उपयोग किया जाता है| बल्कि इस बजट में इस बात पर जोर दिया जाता है कि व्यय किया जाय या नहीं अर्थात व्यय में वृद्धि या कमी के बजाय व्यय किया जाय या नहीं इस पर विचार किया जाता है|
शून्य आधारित बजट में प्रत्येक कार्य का निर्धारण “शून्य आधार” पर किया जाता है अर्थात पुराने व्यय के आधार पर नए व्यय का निर्धारण नहीं किया जाता है बल्कि प्रत्येक कार्य के लिए नए सिरे से नीति-निर्धारण किया जाता है| इस बजट को “सूर्य अस्त बजट (sun set budget)” भी कहा जाता है जिसका अर्थ है कि वित्तीय वर्ष की समाप्ति से पहले प्रत्येक विभाग को शून्य आधारित बजट पेश करना पड़ता है जिसमें विभाग के प्रत्येक क्रियाकलाप का लेखा-जोखा रहता है|
शून्य आधारित बजट का जन्मदाता “पीटर ए पायर” को माना जाता है जिन्होंने 1970 में इसका प्रतिपादन किया था| इस प्रणाली का सर्वप्रथम प्रयोग 1973 में अमेरिका के जार्जिया प्रान्त के बजट में तत्कालीन गवर्नर “जिमी कार्टर” द्वारा किया गया था| बाद में 1979 में अमेरिका के राष्ट्रीय बजट में भी इस प्रणाली को अपनाया गया|
भारत में शून्य आधारित बजट की शुरूआत एक प्रमुख शोध संस्थान “वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद्” (Council of Scientific and Industrial Research) द्वारा किया गया था और केन्द्र सरकार ने 1987-88 के बजट में इस प्रणाली को अपनाया था|
4. परिणामोन्मुखी बजट (Outcome Budget): भारत में हर वर्ष बड़ी संख्या में विकास से संबंधित योजनाएं, जैसे- मनरेगा, एनआरएचएम, मध्याहन भोजन योजना, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, डिजिटल इंडिया, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना आदि शुरू होती हैं| इन योजनाओं में हर वर्ष भारी-भरकम धनराशि खर्च की जाती है| लेकिन ये योजनाएं अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में कहां तक सफल रहीं इसके मूल्यांकन के लिए हमारे देश में कोई खास पैमाना निर्धारित नहीं है| कई बार योजनाओं के लटके रहने से लागत में कई गुना की बढ़ोतरी हो जाती है|
अतः इन कमियों को दूर करने के लिए 2005 में भारत में पहली बार “परिणामोन्मुखी बजट (Outcome Budget)” पेश किया गया था जिसके अंतर्गत आम बजट में आवंटित धनराशि का विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों ने किस प्रकार उपयोग किया उसका ब्यौरा देना आवश्यक था.
परिणामोन्मुखी बजट (Outcome Budget) सभी मंत्रालयों और विभागों के कार्य प्रदर्शन के लिए एक मापक का कार्य करता है जिससे सेवा, निर्माण प्रक्रिया, कार्यक्रमों के मूल्यांकन और परिणामों को और अधिक बेहतर बनाने में मदद मिलती है|
5. लैंगिक बजट (Gender Budget): किसी बजट में उन तमाम योजनाओं और कार्यकमों पर किया गया खर्च जिनका संबंध महिला और शिशु कल्याण से होता है, उसका उल्लेख लैंगिक बजट (Gender Budget) माना जाता है| लैंगिक बजट के माध्यम से सरकार महिलाओं के विकास, कल्याण और सशक्तिकरण से संबंधित योजनाओं और कार्यक्रमों के लिए प्रतिवर्ष एक निर्धारित राशि की व्यवस्था सुनिश्चित करने का प्रावधान करती है|.
भारतीय बजट के प्रमुख दस्तावेज़ (Major Documents of Indian Budget)
भारतीय बजट के प्रमुख दस्तावेज़ इस प्रकार है |
- वित्तमंत्री का भाषण
- वार्षिक वित्तीय कथन
- बजट का सार
- वित्त विधेयक
- बजट प्राप्तियाँ
- बजट व्यय
- अनुदान की माँग
बजट का महत्व और प्रक्रिया (Importance And Process Of Budget)
बजट द्वारा सरकार के सभी कार्य निर्धारित किये जाते है| सरकार द्वारा संचालित सभी योजनाओं के लिए धन की व्यवस्था बजट के माध्यम से ही किया जाता है | सरकार बिना बजट के एक रूपये का व्यय नहीं कर सकती है |
बजट में प्रत्येक वर्ष नयी योजनाओं की घोषणा होती है और टैक्स में संसोधन किया जाता है, जिसका सीधा प्रभाव जनता पर पड़ता है, बजट में किये गए सभी प्रावधान तब तक लागू नहीं किये जा सकते है, जबतक संसद के द्वारा पास नहीं किया जाता है |
बजट को वित्त विधेयक द्वारा पेश किया जाता है| वित्त विधेयक केवल लोकसभा में ही पेश किया जा सकता है| बजट लोकसभा में पास होने के बाद राज्य सभा के पास स्वीकृति के लिए भेजा जाता है, यदि राज्य सभा इस पर 14 दिन के अंदर स्वीकृति प्रदान नहीं करती है, तो बजट को पास मान लिया जाता है, और वित्तीय वर्ष की पहली तिथि को बजट में किये गए प्रावधान पूरे देश में लागू कर दिया जाता है |
राज्य सरकार द्वारा निर्मित बजट केवल राज्य की सीमाओं तक के लिए मान्य रहता है | बजट में यदि राज्य सरकार और केंद्र सरकार के बजट में विरोधाभास होता है, तो केंद्र सरकार के बजट को मान्यता प्रदान की जाती है |
बजट बनाने का आरम्भ कब होता है (When Does The Budget Start) ?
भारत में बजट निर्माण प्रक्रिया अगस्त-सितंबर के महीने में शुरू कर दी जाती है | इसके लिए बजट सर्कुलर जारी किया जाता है | वित्त विभाग के अधीन बजट डिवीजन अगस्त के अंत में या सितंबर के प्रारम्भ में बजट सर्कुलर जारी करता है | इस सर्कुलर के माध्यम से भारत सरकार और उसके सभी मंत्रालयों से संबंधित आय- व्यय का पूरा विवरण माँगा जाता है | इस विवरण के आधार पर बजट की रूप- रेखा तैयार की जाती है | सितंबर महीने के अंत में अगले वित्त वर्ष के लिए सरकारी खर्च का अनुमानित आंकड़ा तैयार किया जाता है |
बजट के प्रकार -2 (Type of Budget)
सामान्यतया सालाना बजट वित्त मंत्रालयों मे उनके बाटे गये विभाग द्वारा बनाये जाते है. जिसकी अंतिम मंजूरी राष्ट्रपति द्वारा दी जाती है जोकि, केन्द्र व राज्य सरकार दोनों के सम्बन्ध मे होती है. रेल बजट,रेल मंत्रालय द्वारा अलग से तैयार किया जाता है. बजट के मुख्य रूप से तो दो ही प्रकार होते है.
- केन्द्रीय बजट
- रेल बजट
केन्द्रीय बजट (Union Budget)
केन्द्र सरकार द्वारा प्रस्तुत किया गया सबसे बड़ा बजट जो हर वर्ग के व्यक्ति को ध्यान मे रख कर बनाया जाता है. जिसे आम बजट भी कहा जाता है इसमें सभी तरह के प्रावधान होते है जोकि, बिल के रूप मे पारित होते है. प्रत्येक वर्ष नये बजट के साथ नये नियम व कानून के साथ पारित होते है. केन्द्रीय बजट के कई छोटे-छोटे प्रावधान है,जिनके लिये बजट बनाया जाता है,जैसे-
रेल बजट ( Rail Budget)
संसद मे रेल मंत्री द्वारा प्रत्येक वित्तीय वर्ष के दौरान रेल बजट प्रस्तुत किया जाता है. जिसमे आम जनता के लिये,
- कई नयी ट्रेनों की घोषणा की जाती है.
- यात्रियों के लिये ई-रेलवे की सुविधाये.
- ट्रेनों मे तथा प्लेटफार्म पर सुविधाये घोषित करना.
- एसएमएस और नेट के द्वारा बुकिंग तथा चैकिंग की सुविधा.
यह दो मुख्य रूप से बनाये गये बजट होते है. जोकि, जहा तक संभव हो इसे फरवरी मे बनाया जाता है. और वित्तीय वर्ष के दौरान घोषित किया जाता है.
ठीक इसी तरह केन्द्र के बजट जोकि, पूरे देश पर लागू होते है. परन्तु हर राज्य का अपना एक अलग बजट बनता है जिसमे, वह राज्य के लिये प्रावधान करती है.
कई वर्षों पहले रेल बजट अलग से पेश किया जाता था क्योंकि भारतीय रेल विभाग बहुत ही बड़ा विभाग माना जाता रहा है लेकिन मोदी सरकार के आने के बाद से रेल बजट को आम बजट में ही शामिल कर लिया गया है अतः अब रेल बजट अलग से पेश नहीं किया जाता।
संविधान के अनुसार बजट
संविधान के अनुछेद (Artical) 112 के अनुसार, राष्ट्रपति प्रत्येक वित्तीय वर्ष के दौरान ,संसद के दोनों सदनों के समक्ष वार्षिक वित्तीय विवरण रखवाते है, जिसमे सरकार के गत वर्ष के आय/प्राप्तियों व व्ययों का ब्योरा होता है.
बजट मे अनुमानित मुख्य रूप से दो मदों को लिखा जाता है –
- भारत सरकार की संचित निधि पर लगे व्यय.
- सरकार की संचित निधि के लिये किये जाने वाले अन्य व्ययों की भरपाई के लिये अपेक्षित राशि.
इसके आलावा अन्य तथा राजस्व व्ययों का विवरण बजट मे देना होता है..
बजट के फायदे (BENEFITS OF BUDGET)
आइए अब बजट के कुछ और फायदों के बारे में जानते है – बजट के क्या क्या फायदे है और बजट हमारे लिए कितने काम की चीज है,
बजट का पहला सबसे बड़ा फायदा ये है कि –
बजट बनाने से हम अपनी जरुरत और अपनी इक्षाओ के बीच फर्क को समझ पाते है,
(understanding difference between Needs and Want)
अपने खर्चो पर कण्ट्रोल करने के लिए अपनी जरुरत और इक्षा के बीच फर्क को समझना बहुत जरुरी होता है –
याद रखीए –
जरुरत यानी Needs – वे चीजे है, जो हमारी सामान्य जिन्दगी को जीने के लिए सबसे ज्यादा जरुरी है, जैसे – घर का राशन, किराया, कपड़े, और अन्य चीजे लाइट, पानी,
और इक्षा या Wants – वे चीजे है, जो हमारी इक्षा होती है, लेकिन इन इक्षाओ को पूरा किये बिना भी हम अपनी सामान्य जिन्दगी जी सकते है,,
जैसे – एक आम आदमी की इक्षा हो सकती है – एप्पल का आइफोन, क्योकि इस I Phone के नहीं होने से भी उसको जिन्दगी जीने में कोई फर्क नहीं आएगा,
और इस तरह, जैसे ही आप बजट बनाते है, और अपनी आदमनी और अपने खर्च को लिखते है, तो बजट बनाने में आपको अपनी जरुरतो पर ज्यादा ध्यान देना होता है, इक्षाओ पे नहीं, और इस तरह आप बहुत आसानी से अपने बजट के उद्देश्य यानि खर्च पर कण्ट्रोल और बचत के लिए मोटीवेट हो पाते है,
बजट का दूसरा सबसे बड़ा फायदा ये होता है कि –
बजट बनाने से आप फिजूलखर्ची से बच जाते है (Budget stops you from overspending) –
बजट बनाने से आप जरुरी चीजो को ही खरीदते है, और गैर जरुरी चीजो को आप छोड़ देते है, वास्तव में बजट आपके खर्च की गाडी को ब्रेक मारने में हेल्प करता है, और अगर आप बजट नहीं बनाते इसका मतलब ये हुआ कि – आपके खर्चे पर कोई कण्ट्रोल नहीं है, और आप उन चीजो को भी खरीद ले रहे है, जिसकी आपको जरुरत नहीं है,
और ऐसे में आपको दुनिया के महान निवेशक वारेन बफे की ये बात याद रखने की जरुरत है कि –
अगर आप उन चीजो को खरीद रहे है, जिसकी आपको जरुरत नहीं है तो आपको जल्द ही वो चीजे बेचनी पड़ेगी जिसकी आपको जरुरत है,
तो इसलिए बजट बनाये और फिजूलखर्ची पर लगाम लगाइए,
बजट का तीसरा सबसे बड़ा फायदा ये होता है कि –
आप बुरे कर्ज लेने से बच जाते है (Budget helps you to avoid bad loans)
Budget नहीं होने से जैसे ही आपको सैलरी मिलती है, आप खर्च करते है, कुछ दिनों में अकाउंट खाली हो जाता है, और जब पैसे कम पड़ते है तो आपको अपने दोस्तों से उधार भी लेना पड़ता है,
धीरे धीरे आपकी खर्च की आदतों पर कण्ट्रोल नहीं होने से दोस्तों से दिए उधार चुकाने के लिए कोई पर्सनल लोन ले लेते है, यार फिर आपको क्रेडिट कार्ड भी मिल जाता है, क्रेडिट कार्ड मिलने से आप और अधिक खर्च करने लगते है,
और धीरे धीरे आप कर्ज के जाल में फास जाते है,
ऐसे में Budget आपकी बहुत हेल्प करता है, बजट के कारण आपको उधार लेने की जरुरत नहीं पड़ती, और इस तरह आप कर्ज के जाल में फसने से बच जाते है,
इसलिए अपने खर्चे की गाडी में Budget का ब्रेक जरुर लगाइए, नहीं तो बिना बजट का खर्च करना आपको बहुत महंगा पड़ सकता है और आप कर्ज के गड्ढे में गिर सकते है,
इसके आलावा बजट का चौथा सबसे बड़ा फायदा ये है कि –
बजट के कारण आप अपने फाइनेंसियल गोल्स को पूरा करने के रेगुलर बचत कर पाते है, (Budget Helps you to reach the financial goals)
जब आप बजट बनाते है तो आप अपने फाइनेंसियल गोल्स के अनुसार अपनी कमाई से बचत की जाने वाली रकम को सबसे पहले अलग करने का प्लान बनाते है, और इस कारण आप रेगुलर बचत और निवेश करके अपने फाइनेंसियल गोल्स को पूरा कर पाते है,
इसके आलावा बजट का पांचवा सबसे बड़ा फायदा ये है कि –
Budget से आपको अपने पैसे के ऊपर पूरा कण्ट्रोल मिलता है,
बजट आपके फाइनेंसियल गाड़ी में बजट एक ब्रेक की तरह होता है,
और इस कारण Budget से आपको अपने पैसे की गाडी के ऊपर पूरा कण्ट्रोल मिलता है,
जिस तरह बिना ब्रेक का इस्तेमाल किए आप किसी गाडी के ऊपर सही तरह से कण्ट्रोल कर पाते है,
ठीक वैसे ही आप बजट का इस्तेमाल करके अपने फाइनेंस की गाड़ी यानि पैसे की गाडी के ऊपर पूरा कण्ट्रोल कर पाते है,
और इस तरह अपने फाइनेंस के ऊपर कण्ट्रोल करने से आपको फायदा ये होता है कि आप अपनी सभी जरूरतों को पूरा करने के साथ, रेगुलर बचत करके अपने आर्थिक जीवन पर पूरा कण्ट्रोल रख पाते है,
आपको अपने फाइनेंस के बारे में पूरी जानकारी होती है, आपका पैसा कहा से आ रहा है, कहा जाना चाहिए, और ये कहा जा रहा है,
आपको किसी जरुरी खर्च के लिए पैसे कम पड़ने की चिंता नहीं होती, क्योकि Budget में आपने सभी जरुरी खर्चो का पहले ही प्लान कर लिया होता है और इस कारण आपको किसी उधार मांगने वाले के सामने शर्मिंदा नहीं होना पड़ता,
और आपके अपने फाइनेंस के ऊपर कण्ट्रोल होने से, आपको अपने फ्यूचर के लिये बहुत अधिक चिंता करने की जरुरत नहीं होती तो आप बहुत सुख और शान्ति अनुभव कर पाते है,
और आपको फाइनेंसियल सक्सेस मिलने से आप एक बेहतर लाइफ जी पाते है,