UK 10th Social Science

UK Board 10th Class Social Science – (अर्थशास्त्र) – Chapter 1 विकास

UK Board 10th Class Social Science – (अर्थशास्त्र) – Chapter 1 विकास

UK Board Solutions for Class 10th Social Science – सामाजिक विज्ञान – (अर्थशास्त्र) – Chapter 1 विकास

पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1 – सामान्यतः किसी देश का विकास किस आधार पर निर्धारित किया जा सकता है-
(क) प्रति व्यक्ति आय
(ख) औसत साक्षरता स्तर
(ग) लोगों की स्वास्थ्य स्थिति
(घ) उपर्युक्त सभी।
उत्तर- (घ) उपर्युक्त सभी।
प्रश्न 2 – निम्नलिखित पड़ोसी देशों में से मानव विकास के लिहाज से किस देश की स्थिति भारत से बेहतर है?
(क) बंगलादेश
(ख) श्रीलंका
(ग) नेपाल
(घ) पाकिस्तान ।
उत्तर- (ख) श्रीलंका ।
प्रश्न 3 – मान लीजिए कि एक देश में चार परिवार हैं। इन परिवारों की प्रति व्यक्ति आय 5,000 रुपये है। अगर तीन परिवारों की आय क्रमश: 4,000, 7,000 और 3,000 रुपये है तो चौथे परिवार की आय क्या है?
(क) 7,500 रुपये
(ख) 3,000 रुपये
(ग) 2,000 रुपये.
(घ) 6,000 रुपये।
उत्तर – (घ) 6,000 रुपये।
प्रश्न 4 – विश्व बैंक विभिन्न वर्गों का वर्गीकरण करने के लिए किस प्रमुख मापदण्ड का प्रयोग करता है? इस मापदण्ड की, अंगर कोई हैं, तो सीमाएँ क्या हैं?
उत्तर – विश्व बैंक विभिन्न वर्गों का वर्गीकरण करने के लिए ‘प्रति व्यक्ति आय’ मापदण्ड का प्रयोग करता है। विश्व बैंक की, विश्व विकास “रिपोर्ट में, देशों का वर्गीकरण करने में इसी मापदण्ड का प्रयोग किया गया ‘ है। वे देश, जिनकी 2017 में प्रति व्यक्ति आय 12,056 डॉलर प्रतिवर्ष या उससे अधिक थी, समृद्ध देश माने गए हैं तथा वे देश, जिनकी प्रति व्यक्ति आय 995 अमेरिकी डॉलर प्रतिवर्ष या उससे कम थी, निम्न आय देश माने गए। भारत मध्य आय देशों के वर्ग में आता है क्योंकि उसकी प्रति व्यक्ति आय 2017 में केवल 1820 डॉलर प्रतिवर्ष थी।
‘प्रति व्यक्ति आय’ मापदण्ड की प्रमुख सीमाएँ निम्नलिखित हैं-
  1. प्रति व्यक्ति आय के आँकड़े आय के वितरण के बारे में कुछ नहीं बताते।
  2. प्रति व्यक्ति आय अधिक होने के बावजूद यह सम्भव हो सकता हैं कि देश में कुछ ही लोग अत्यधिक धनी हों और अधिकांश लोग अत्यधिक निर्धन हों।
  3. प्रति व्यक्ति आय का अधिक होना जनकल्याण में वृद्धि का अभिसूचक नहीं है।
प्रश्न 5 – विकास मापने का यू०एन०डी०पी० का मापदण्ड किन पहलुओं में विश्व बैंक के मापदण्ड से अलग है ?
उत्तर – विश्व बैंक का विकास मापने का मापदण्ड ‘प्रति व्यक्ति आय’ है। महत्त्वपूर्ण होते हुए भी यह मापदण्ड विकास मापने का एक अपर्याप्त और दोषपूर्ण मापदण्ड है। यू०एन०डी० पी० द्वारा प्रकाशित मानव विकास रिपोर्ट विभिन्न देशों की तुलना करते समय प्रति व्यक्ति आय के साथ-साथ लोगों के शैक्षिक तथा स्वास्थ्य स्तर को आधार बनाती है। इस प्रकार यू० एन०डी०पी० द्वारा अपनाए गए विकास के मापक हैं-
  1. प्रति व्यक्ति आय,
  2. जन्म के समय आयु सम्भाविता,
  3. 15+ वर्षों की जनसंख्या में साक्षरता दर,
  4. तीन स्तरों पर संकल नामांकन अनुपात । ये तीन स्तर हैं— प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा ।
प्रश्न 6 – हम औसत का प्रयोग क्यों करते हैं? इनके प्रयोग करने की क्या कोई सीमाएँ हैं? विकास से जुड़े अपने उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – हम औसत का प्रयोग इसलिए करते हैं क्योंकि दो देशों की आर्थिक स्थिति को जानने का यह एक अच्छा एवं सरल मापदण्ड है।
औसत आय ज्ञात करने की विधि – किसी देश की कुल आय को उसकी कुल जनसंख्या से भाग देने पर औसत आय प्राप्त हो जाती है।
तुलना की दृष्टि से ‘औसत’ का प्रयोग प्रायः किया जाता है। यह एक अच्छा मापदण्ड है किन्तु इससे वितरण की असमानताएँ छिप जाती हैं।
उदाहरण – माना ‘अ’ और ‘ब’ दो देश हैं और प्रत्येक देश में 5 निवासी हैं। निम्नांकित तालिका को देखें-
यद्यपि दोनों देशों की प्रति व्यक्ति आय समान अर्थात् 10,000 रु० है, तथापि दोनों देश समान रूप से विकसित नहीं कहे जा सकते। अधिकांश लोग देश ‘अ’ में रहना अधिक पसन्द करेंगे क्योंकि इस देश में आय के वितरण में समानताएँ पायी जाती हैं। उपर्युक्त तालिका द्वारा यह स्पष्ट है कि देश ‘अ’ में न बहुत अमीर लोग हैं और न ही बहुत गरीब, किन्तु देश ‘ब’ में 5 में से 4 अर्थात् 80% लोग बहुत गरीब हैं और 5 में से केवल 1 अर्थात् 20% लोग बहुत अमीर हैं।
प्रश्न 7 – प्रति व्यक्ति आय कम होने पर भी केरल का मानव विकास क्रमांक हरियाणा से ऊँचा है। इसलिए प्रति व्यक्ति आय एक उपयोगी मापदण्ड बिल्कुल नहीं है और राज्यों की तुलना में इसका उपयोग नहीं करना चाहिए। क्या आप सहमत हैं? चर्चा कीजिए।
उत्तर – तालिका 1.2 में हरियाणा और केरल के कुछ तुलनात्मक आँकड़े दिए हुए हैं-
मैं इस कथन से सहमत हूँ कि प्रति व्यक्ति आय एक उपयोगी मापदण्ड बिल्कुल नहीं है और राज्यों की तुलना के लिए इसका उपयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि—
  1. प्रति व्यक्ति आय की तुलना में मानव विकास क्रमांक के आँकड़े हमें अधिक सही और स्पष्ट तसवीर देते हैं।
  2. यह सत्य है कि हरियाणा की तुलना में केरल की प्रति व्यक्ति आय कम है किन्तु यदि हम शिशु मृत्यु दर प्रति हजार देखें तो हम पाएँगे कि केरल में यह मात्र 10 है, जबकि हरियाणा में यह 33 है। इसका अर्थ है कि केरल में पंजाब की तुलना में अधिक अच्छी स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध हैं।
  3. यदि हम साक्षरता दर प्रतिशत को लें तो हम पाते हैं कि यह केरल में 94 है (सभी अन्य राज्यों की तुलना में सबसे अधिक ) और हरियाणा में मात्र 82 है, जिसका अर्थ है कि हरियाणा की तुलना में केरल में अधिक अच्छी शैक्षिक सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
  4. प्राथमिक कक्षा में छात्रों की उपस्थिति की दृष्टि से भी हरियाणा की तुलना में केरल की स्थिति बेहतर है। हरियाणा में यह मात्र 61 है, जबकि केरल में यह 89 है।
अत: राज्यों की तुलना के लिए औसत आय एक उपयुक्त मापदण्ड नहीं है।
प्रश्न 8 – भारत के लोगों द्वारा ऊर्जा के किन स्रोतों का प्रयोग किया जाता है? ज्ञात कीजिए। अब से 50 वर्ष पश्चात् क्या सम्भावनाएँ हो सकती हैं?
उत्तर — भारत में ऊर्जा के निम्नलिखित स्रोतों का प्रयोग किया जाता है—
(अ) परम्परागत स्रोत – ( 1 ) मानव संसाधन, ( 2 ) पशु-साधन(3) कोयला, (4) विद्युत – ताप विद्युत व जल विद्युत, (5) पेट्रोल, डीजल, व मिट्टी का तेल, (6) परमाणु शक्ति ऊर्जा, (7) प्राकृतिक गैस । .
(ब) गैर-परम्परागत साधन – (1) पवन ऊर्जा, (2) ज्वारीय ऊर्जा, (3) भू-तापीय ऊर्जा, (4) जैव ऊर्जा, (5) अपशिष्टों से प्राप्त ऊर्जा, (6) सौर ऊर्जा ।
आज से 50 वर्ष बाद सम्भवतः ऊर्जा के कुछ स्रोतों पर भारी संकट होगा। पेट्रोल व पेट्रोलियम उत्पादों की माँग बहुत अधिक होगी और देश के लिए उनकी आपूर्ति कर पाना सम्भव नहीं हो पाएगा। अपने प्राकृतिक संसाधनों द्वारा पूर्ति न कर पाने के साथ-साथ विश्व में भी इनका भण्डार कम होता जाएगा और मूल्यों में निरन्तर वृद्धि के कारण इनका अधिक आयात भुगतान सन्तुलन की प्रतिकूलता को बढ़ाएगा। अतः नए-नए ऊर्जा स्रोतों को खोजना होगा। पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, जैव ऊर्जा व सौर ऊर्जा पर अपनी निर्भरता बढ़ानी होगी।
प्रश्न 9 – धारणीयता का विषय विकास के लिए क्यों महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर- धारणीयता का अर्थ है – विकास का जो स्तर हमने प्राप्त किया है, वह भावी पीढ़ी के लिए भी बना रहे। यदि विकास पर्यावरण को क्षति पहुँचाता है तो इसके दुष्परिणाम भावी पीढ़ी को भुगतने होंगे। वास्तव में पर्यावरण और अर्थव्यवस्था दोनों अन्योन्याश्रित हैं और एक-दूसरे पर निर्भर हैं। आज हमें ऐसा विकास चाहिए जो आने वाली पीढ़ियों को जीवन की सम्भावित औसत गुणवत्ता प्रदान करे जो कम-से-कम वर्तमान पीढ़ी द्वारा उपयोग की गई सुविधाओं के बराबर हो। ऐसा विकास धारणीय विकास (Sustainable Development) कहलाएगा। दूसरे शब्दों में धारणीय विकास ऐसा विकास है जो वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताओं को पूरा करते समय यह ध्यान रखे कि इससे भावी पीढ़ी की पूर्ति क्षमता बाधित न हो। कुछ अर्थविद् धारणीय विकास का अर्थ मौलिक स्तर पर गरीबों के जीवन के भौतिक मानकों को ऊँचा उठाने के सन्दर्भ में लगाते हैं। इसे आय, शैक्षिक सेवाएँ, स्वास्थ्य सुविधाएँ, जलापूर्ति आदि के रूप में परिमाणात्मक रूप से मापा जा सकता है।
संक्षेप में, धारणीय विकास भावी पीढ़ी को कम-से-कम वर्तमान संसाधनों की पूर्ति क्षमता को बनाए रखने का आश्वासन है। हमारा कर्त्तव्य है कि हम भावी पीढ़ी को एक स्वस्थ एवं व्यवस्थित पर्यावरण प्रदान करें और विकास के ऐसे उपाय न अपनाएँ जो पर्यावरण को क्षति पहुँचाएँ ।
प्रश्न 10 – ‘धरती के पास सब लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं, लेकिन एक भी व्यक्ति के लालच को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं।’ यह कथन विकास की चर्चा में कैसे प्रासंगिक है? चर्चा कीजिए ।
उत्तर — धरती के पास सब लोगों की आवश्यकताएँ पूरी करने के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हैं। दूसरे शब्दों में, यहाँ मिट्टी, वायु, जल, वन सम्पदा, वन्य प्राणी, खनिज सम्पदा, पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। यदि इन | संसाधनों का विवेकसम्मत व सुनियोजित ढंग से विदोहन किया जाए, हम | इनका लालची ढंग से अति विदोहन न करें, दुरुपयोग न करें, विनाश न करें तो धरती पर इनका अभाव नहीं होगा । किन्तु लालच इन साधनों के दुरुपयोग के लिए अन्धा बना देता है। एक शासक द्वारा दूसरे शासकों पर विजय पाने की लालसा, उसके संसाधनों को लूटकर ले जाने की इच्छा, स्वयं को विश्व का सिरमौर बनाने की अभिलाषा और इसके लिए विनाशकारी हथियारों का प्रयोग इन संसाधनों को क्षण भर में राख में परिवर्तित कर देंगे परिणामस्वरूप संसाधनों का अभाव हो जाएगा। अतः यह आवश्यक है कि सभी देश उपलब्ध संसाधनों का विवेकपूर्ण एवं सुनियोजित ढंग से उपयोग करें तथा वैज्ञानिक विधियों द्वारा नए-नए संसाधनों की खोज करें।
प्रश्न 11 – पर्यावरण में गिरावट के कुछ ऐसे उदाहरणों की सूची बनाइए जो आपने अपने आसपास देखे हों।
उत्तर – आसपास के क्षेत्रों में पर्यावरण में निरन्तर गिरावट आ रही है। इसे निम्नलिखित उदाहरणों द्वारा पुष्ट किया जा सकता है—
  1. भूमिगत जल का अति उपयोग हो रहा है जिसके कारण पानी के स्तर में निरन्तर गिरावट आ रही है। कुछ क्षेत्रों में यह गिरावट 15 फुट से भी अधिक है। यह भूमिगत जल के लिए एक भयंकर खतरे का सूचक है। के 50 प्रतिशत से भी अधिक भाग में भूमिगत जल का अति उपयोग हो रहा है ।
  2. हमारे देश में वनों की अन्धाधुन्ध कटाई हो रही है। इसके परिणामस्वरूप देश में केवल 23% भूमि पर ही वन रह गए हैं। इससे रेगिस्तान के फैलाव का खतरा बढ़ गया है।
  3. शिकारी और तस्कर निरन्तर वन्य जीवों का शिकार कर रहे हैं और उनके विभिन्न अंगों का व्यापार कर रहे हैं। इससे दुर्लभ वन्य प्राणियों के लुप्त होने का खतरा उत्पन्न हो गया है।
  4. पेट्रोल व पेट्रोलियम पदार्थों की पूर्ति माँग की तुलना में बहुत कम है। इनका उपयोग घरेलू कार्यों में, परिवहन के साधनों में, सिंचाई व कृषि यन्त्रों में बड़ी मात्रा में किया जा रहा है। इससे वायु एवं ध्वनि प्रदूषण बढ़ा है।
  5. नदी-नालों में डाले जाने वाले अपशिष्टों ने जल प्रदूषण को बढ़ाया है।
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
• विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1 – आर्थिक विकास से क्या आशय है? आर्थिक विकास एवं आर्थिक संवृद्धि में अन्तर बताइए ।
उत्तर- आर्थिक विकास का अर्थ- – सामान्य शब्दों में आर्थिक विकास एक ऐसी प्रक्रिया है जिससे देश की राष्ट्रीय आय में दीर्घकालीन वृद्धि होती है। इस अर्थ में राष्ट्रीय आय को विकास का मापदण्ड माना गया है। यह मापदण्ड उत्पादन के स्वरूप पर प्रकाश नहीं डालता और न ही आय और धन के वितरण पर ध्यान देता है। इसलिए कुछ अर्थशास्त्री आर्थिक विकास को एक ऐसी प्रक्रिया मानते हैं जिससे प्रति व्यक्ति आय में दीर्घकालीन वृद्धि होती है। किन्तु प्रति व्यक्ति आय के आँकड़े भी हमें आय और धन के वितरण के सम्बन्ध में कुछ नहीं बताते। अतः कुछ अन्य अर्थशास्त्रियों के अनुसार ‘भौतिक कल्याण में सतत दीर्घकालीन उन्नति’ आर्थिक विकास है। संक्षेप में, किसी देश का आर्थिक विकास गरीब लोगों का पोषण, स्वास्थ्य, शिक्षा व उनके रहन-सहन की दशाओं में सुधार करने तथा उनके लिए काम के अधिक अवसर और अतिरिक्त समय प्रदान करने से सम्बन्धित है।
आर्थिक विकास व आर्थिक संवृद्धि में अन्तर – आर्थिक संवृद्धि का अर्थ है- वास्तविक राष्ट्रीय आय एवं वास्तविक प्रति व्यक्ति आय में निरन्तर दीर्घकालीन वृद्धि । आर्थिक विकास की अवधारणा आर्थिक संवृद्धि की अवधारणा से अधिक विस्तृत है। विकास का सम्बन्ध राष्ट्रीय आय के समान वितरण और जनसामान्य के भौतिक कल्याण में वृद्धि से भी है। इसमें केवल आर्थिक कारक ही महत्त्वपूर्ण नहीं है, अपितु सामाजिक, सांस्कृतिक व राजनीतिक कारक भी महत्त्वपूर्ण हैं। आर्थिक विकास में दोनों पक्ष शामिल हैं— उत्पादन पक्ष व वितरण पक्ष, जबकि आर्थिक संवृद्धि में केवल उत्पादन पक्ष पर बल दिया जाता है।
प्रश्न 2 – विकास के क्या-क्या लक्ष्य हो सकते हैं?
उत्तर— विभिन्न लोगों की इच्छाएँ एवं आकांक्षाएँ अलग-अलग होती हैं। वे ऐसी चीजें चाहते हैं जो उनके लिए सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण हैं अर्थात् वे चीजें जो उनकी इच्छाओं तथा आकांक्षाओं को पूरा कर सकें। इन इच्छाओं और आकांक्षाओं की पूर्ति ही विकास के लक्ष्य हैं। ये लक्ष्य निम्नलिखित हैं—
  1. आर्थिक लक्ष्य – अधिक आय, नियमित रोजगार, बेहतर मजदूरी और अपनी उपज तथा अन्य उत्पादों के लिए अच्छी कीमतें । यदि व्यक्ति को रोजगार घर से काफी प्राप्त हुआ है तो वेतन / मजदूरी के अतिरिक्त अन्य बातों पर भी विचार किया जाएगा; जैसे- मिलने वाली अन्य सुविधाएँ, काम करने का वातावरण, सीखने के अवसर आदि ।
  2. गैर-आर्थिक लक्ष्य-अधिक आय चाहने के अतिरिक्त लोग कुछ अन्य बातें भी चाहेंगे; जैसे—समानता का व्यवहार ( भेदभाव रहित व्यवहार), स्वतन्त्रता, सुरक्षा और दूसरों से प्राप्त सम्मान। कभी-कभी गैर-आर्थिक लक्ष्य आर्थिक लक्ष्यों से अधिक महत्त्वपूर्ण हो सकते हैं। उदाहरण के लिए -आय के साथ-साथ आय की सुरक्षा भी चाहिए।
प्रश्न 3 – विकास के विभिन्न मापदण्डों का उल्लेख कीजिए ।
अथवा विभिन्न देशों के मध्य तुलना करने के लिए मापदण्ड बताइए।
उत्तर— सामान्यत: हम व्यक्तियों की एक या दो महत्त्वपूर्ण विशिष्टताएँ लेकर उनके आधार पर तुलना करते हैं। यही बात विकास पर भी लागू होती है। विकास के मापदण्ड निम्न प्रकार हैं-
  1. राष्ट्रीय आय – राष्ट्रीय आय विकास का एक महत्त्वपूर्ण मापदण्ड है । जिन देशों की राष्ट्रीय आय अधिक होती है उन्हें कम आय वाले देशों से • अधिक विकसित समझा जाता है। यह बात इस मान्यता पर आधारित है कि अधिक आय का अर्थ मानवीय आवश्यकताओं की सभी वस्तुओं का उपलब्ध होना है। किन्तु दो देशों के मध्य तुलना करने के लिए यह एक उपयुक्त माप नहीं है क्योंकि विभिन्न देशों में जनसंख्या अलग-अलग होती है। अतः इससे हमें यह ज्ञात नहीं होता कि औसत व्यक्ति क्या कमा सकता है।
  2. औसत आय या प्रति व्यक्ति आय – दो देशों के मध्य तुलना करने के लिए प्रति व्यक्ति आय को एक अच्छा आधार माना जाता है। देश की कुल आय को कुल जनसंख्या से भाग देकर प्रति व्यक्ति आय ज्ञात कर ली जाती है। विश्व बैंक की विश्व विकास रिपोर्ट में देशों का विकास के आधार पर वर्गीकरण करते समय इसी मापदण्ड का प्रयोग किया गया है। यद्यपि यह तुलना के लिए उपयोगी है किन्तु इसका मुख्य दोष यह है कि यह आय के वितरण की उपेक्षा करता है। अतः यदि प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि के साथ आय की असमानताएँ बढ़ती जा रही हैं अथवा धन का संकेन्द्रण कुछ ही गिने-चुने हाथों में हो रहा है तो हम इसे विकास कदापि नहीं कह सकते।
  3. अन्य मापदण्ड–अनेक ऐसी वस्तुएँ एवं सुविधाएँ हैं, जो मुद्रा (आय) द्वारा नहीं खरीदी जा सकतीं। अतः आय अपने आप में विकास की पूर्ण सूचक नहीं हो सकती । भौतिक कल्याण में वृद्धि, स्वास्थ्य सुविधाएँ, शिक्षा सुविधाएँ, आवास सुविधाएँ, औसत आयु आदि विकास के अन्य महत्त्वपूर्ण मापदण्ड हैं।
प्रश्न 4 – राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम, 2005 (NREGA, 2005) के उद्देश्यों की व्याख्या कीजिए । अथवा महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम (मनरेगा) 2005 पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर – राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम, 2005 का उद्देश्य चयनित जिलों में ग्रामीण क्षेत्रों के प्रत्येक परिवार के एक सदस्य को वर्ष में कम-से-कम 100 दिन अकुशल श्रम वाले रोजगार की गारण्टी देना है। वर्ष 2009-10 में इसका नाम बदलकर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम कर दिया गया है। राज्यों में कृषि श्रमिकों के लिए लागू वैधानिक न्यूनतम मजदूरी का भुगतान इसके लिए किया जाएगा। इसके अन्तर्गत 33% लाभभोगी महिलाएँ होंगी। योजना के इच्छुक एवं पात्र व्यक्ति द्वारा पंजीकरण कराने के लिए 15 दिन के भीतर रोजगार न दिए जाने पर निर्धारित दर से बेरोजगारी भत्ता सरकार द्वारा दिया जाएगा। इस प्रकार यह अधिनियम रोजगार की वैधानिक गारण्टी प्रदान करता है। अधिनियम के अन्तर्गत इस तरह के कामों को वरीयता दी जाएगी जिनसे भविष्य में भूमि से उत्पादन बढ़ाने में मदद मिल सकेगी।
• लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1 – राष्ट्रीय आय से क्या अभिप्राय है?
उत्तर- जिस प्रकार किसी उत्पादन की एक इकाई की वास्तविक उत्पत्ति का अनुमान प्रतिवर्ष लगाया जाता है, वैसे ही किसी एक राष्ट्र की समस्त उत्पत्ति (समस्त व्यक्तियों की उत्पत्ति का योग ) का अनुमान लगाया जाता है। यह सम्पूर्ण उत्पत्ति उस राष्ट्र की राष्ट्रीय आय या राष्ट्रीय लाभांश कहलाती है।
प्रश्न 2 – सकल राष्ट्रीय उत्पाद एवं शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद से आप क्या समझते हैं?
उत्तर – सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP) – किसी अर्थव्यवस्था में जो भी अन्तिम वस्तुएँ और सेवाएँ एक वर्ष की अवधि में उत्पादित की जाती हैं, उन सभी के बाजार मूल्य के योग को ‘सकल राष्ट्रीय उत्पाद’ कहते हैं। इसमें हम केवल उन्हीं वस्तुओं या सेवाओं के मूल्य को लेते हैं जो बाजार में आती हैं।
शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNP) – सकल राष्ट्रीय उत्पाद में से मूल्य ह्रास एवं पुरानेपन से होने वाला ह्रास घटा देने से जो शेष बचता है, उसे शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद कहते हैं। इसे बाजार मूल्यों पर राष्ट्रीय आय भी कहा जाता है।
प्रश्न 3 – ‘सकल घरेलू उत्पाद’ और ‘शुद्ध घरेलू उत्पाद’ की अवधारणाओं को समझाइए ।
उत्तर – सकल घरेलू उत्पाद (GDP) – किसी देश में एक वर्ष की अवधि में जिन वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन किया जाता है, उनके मौद्रिक मूल्य को ही घरेलू उत्पाद कहते हैं। इस मूल्य में से उस आय को घटा दिया जाता है, जो हमारे देश में विदेशियों द्वारा अर्जित की जाती है तथा इसमें विदेशों से प्राप्त आय को जोड़ दिया जाता है। सूत्र रूप में,
सकल घरेलू उत्पाद = कुल राष्ट्रीय उत्पाद (निर्यात मूल्य – आयात मूल्य)
शुद्ध घरेलू उत्पाद (NDP) – एक देश में एक वर्ष की अवधि में देश के अपने ही साधनों द्वारा उत्पादित की गई वस्तुओं और सेवाओं के कुल मौद्रिक मूल्य में से यदि घिसावट व्यय अथवा प्रतिस्थापन व्यय घटा दिया जाए, तो जो शेष बचता है, उसे ‘शुद्ध घरेलू उत्पाद’ कहते हैं। सूत्र रूप में,
शुद्ध घरेलू उत्पाद = कुल घरेलू उत्पाद प्रतिस्थापन व्यय
प्रश्न 4 – आर्थिक विकास से आप क्या समझते हैं?
उत्तर – आर्थिक विकास एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा अर्थव्यवस्था की वास्तविक राष्ट्रीय आय दीर्घकाल में बढ़ती है। कुछ अर्थशास्त्री आर्थिक विकास को एक ऐसी प्रक्रिया मानते हैं जिससे देश की वास्तविक प्रति व्यक्ति आय में दीर्घकालीन वृद्धि होती है। किन्तु अधिकांश अर्थशास्त्री इन दोनों ही व्याख्याओं को अपूर्ण मानते हैं। उनके अनुसार, आर्थिक विकास एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा देश में वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन में वृद्धि होती है और साथ ही जनसाधारण के भौतिक कल्याण में वृद्धि होती है।
प्रश्न 5 – धारणीय विकास क्या है? अपने आसपास के क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए धारणीय विकास की चार रणनीतियाँ सुझाइए।
उत्तर- धारणीय विकास, विकास की वह प्रक्रिया है जो पर्यावरण को क्षति पहुँचाए बिना, संसाधनों की भावी पीढ़ी के लिए आपूर्ति को व्यय किए बिना, वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताओं को पूरा करती है।
धारणीय विकास की चार रणनीतियाँ निम्नलिखित हैं-
  1. संसाधनों पर बढ़ते दबाव को कम करने के लिए जनसंख्या वृद्धि को नियन्त्रित किया जाए।
  2. परम्परागत संसाधनों को भावी पीढ़ी के लिए सुरक्षित रखने हेतु ऊर्जा के गैर-परम्परागत स्रोतों का अधिकाधिक उपयोग किया जाए।
  3. वायु प्रदूषण रोकने के लिए सार्वजनिक वाहन प्रणाली को विकसित किया जाए और इसमें प्रदूषण न फैलाने वाली ऊर्जा का प्रयोग किया जाए।
  4. वनों की अन्धाधुन्ध कटाई पर रोक लगाई जाए और नए पेड़-पौधों को रोपित किया जाए।
• अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1 – राष्ट्रीय आय से क्या अभिप्राय है?
उत्तर- जिस प्रकार किसी उत्पादन की एक इकाई की वास्तविक उत्पत्ति का अनुमान प्रतिवर्ष लगाया जाता है, वैसे ही किसी एक राष्ट्र की समस्त उत्पत्ति (समस्त व्यक्तियों की उत्पत्ति का योग ) का अनुमान लगाया जाता है। यह सम्पूर्ण उत्पत्ति उस राष्ट्र की राष्ट्रीय आय या राष्ट्रीय लाभांश कहलाती है।
प्रश्न 2 – देश की कुल आय को कुल जनसंख्या से भाग देकर प्रति व्यक्ति आय निकाली जाती है।” यह कथन सही है अथवा गलत ?
उत्तर— यह कथन सही है।
प्रश्न 3 – लोगों द्वारा इच्छित सामाजिक लक्ष्य क्या हैं?
उत्तर – लोगों द्वारा इच्छित सामाजिक लक्ष्य हैं – (1) समान व्यवहार, (2) सामाजिक सुरक्षा तथा (3) अन्य लोगों द्वारा सम्मान ।
प्रश्न 4 – आय के अतिरिक्त हमारे जीवन के किन्हीं दो महत्त्वपूर्ण पहलुओं का उल्लेख कीजिए ।
उत्तर – (1) शिक्षा, (2) मौलिक अधिकार ।
प्रश्न 5- प्रति व्यक्ति आय से क्या तात्पर्य है?
अथवा प्रति व्यक्ति आय किसे कहते हैं?
उत्तर – राष्ट्रीय आय को जनसंख्या से भाग देने पर प्रति व्यक्ति आय ज्ञात हो जाती है। सूत्र रूप में,
प्रति व्यक्ति आय = राष्ट्रीय आय/जनसंख्या
प्रति व्यक्ति आय ही औसत आय कहलाती है।
प्रश्न 6 – आर्थिक संवृद्धि क्या है ?
उत्तर — आर्थिक संवृद्धि से आशय एक अर्थव्यवस्था में सकल घरेलू उत्पाद में सतत एवं दीर्घकालीन वृद्धि से है।
प्रश्न 7 – भारत के किस राज्य में प्रति व्यक्ति आय सबसे अधिक है?
उत्तर— गोवा ।
प्रश्न 8 – एच० डी० आई० (H.D. I.) का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर – एच०डी०आई० का पूरा नाम है— ह्यूमन डेवलपमेण्ट इण्डेक्स (मानव विकास सूचकांक ) ।
प्रश्न 9 – एच० डी०आर० का पूर्ण रूप लिखिए।
उत्तर – एच०डी०आर० (H.D.R.) का पूर्ण रूप है— ह्यूमन डेवलपमेण्ट रिपोर्ट |
• बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1 – सामान्यतः किसी देश का विकास किस आधार पर निर्धारित किया जा सकता है-
(अ) प्रति व्यक्ति आय
(ब) औसत साक्षरता दर
(स) लोगों की स्वास्थ्य स्थिति
(द) उपर्युक्त सभी।
उत्तर- (द) उपर्युक्त सभी।
प्रश्न 2 – निम्नलिखित पड़ोसी देशों में से मानव विकास के लिहाज से किस देश की स्थिति भारत से बेहतर है-
(अ) बंगलादेश
(ब) श्रीलंका
(स) नेपाल
(द) पाकिस्तान ।
उत्तर – (ब) श्रीलंका ।
प्रश्न 3 – औसत आय को कहा जाता है-
(अ) प्रति व्यक्ति आय
(ब) राष्ट्रीय आय
(स) सफल राष्ट्रीय उत्पाद,
(द) सकल राष्ट्रीय आय ।
उत्तर- (अ) प्रति व्यक्ति आय।
प्रश्न 4 – आर्थिक विकास के अन्तर्गत सम्मिलित लक्ष्य है-
(अ) नियमित रोजगार
(ब) नियमित व बेहतर मजदूरी
(स) सुरक्षा एवं स्वतन्त्रता
(द) ये सभी।
उत्तर— (द) ये सभी।
प्रश्न 5 – विश्व बैंक की विश्व विकास रिपोर्ट में देशों का वर्गीकरण किस आधार पर किया जाता है-
(अ) राष्ट्रीय आय के आधार पर
(ब) प्रति व्यक्ति आय के आधार पर
(स) खाद्यान्न उपलब्धता के आधार पर
(द) उपर्युक्त सभी।
उत्तर – (ब) प्रति व्यक्ति आय के आधार पर।
प्रश्न 6 – विकास को मापने हेतु आय के अतिरिक्त अन्य कौन-सा मापदण्ड है-
(अ) साक्षरता दर
(ब) स्वास्थ्य
(स) प्रति व्यक्ति आय
(द) ये सभी।
उत्तर – (द) ये सभी ।

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